अम्मी बनी सास 071

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बहन तो बहन माँ रे माँ
3.1k words
4.33
221
00

Part 71 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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अपनी अम्मी के घर के अंदर जाने के दौरान ना जाने ज़ाहिद को क्या सूझी। कि रज़िया बीबी की तरह खुद भी अपने घर में जाने की बजाय वो अपनी मोटर साइकल पर बैठ कर पीछे से अपनी अम्मी के भारी वजूद को ललचाई नज़रो से देखने लगा।

ज़ाहिद अपनी अम्मी के जिस्म को देखते हुए सोचने लगा। कि उस की बहन शाज़िया की तरह उस की अम्मी का बदन भी काफ़ी भरा भरा है।

आज अपनी अम्मी के जिस्म का दीदार करते हुए ज़ाहिद की नज़र उस की अम्मी की बड़ी और उभरी हुई मोटी मस्त गान्ड पर गई।

"उफफफफफफफफफफ्फ़! शाज़िया तो शाज़िया!, मेरी अम्मी तो मेरी बहन से भी बढ़ कर एक माल है यार" अपनी अम्मी की हचकोले खाती गान्ड को देखते हुए ज़ाहिद के दिल में ख्याल आया। तो ज़ाहिद का लंड खुद ब खुद उस की पॅंट में खड़े हो कर झटके लेने लगा।

एक पल के लिए ज़ाहिद अपनी नज़रों से दूर होते हुए अपनी अम्मी के शरीर को देख कर बहका।

लेकिन तभी उस के दिल में ख्याल आया कि "बहन चोद अपनी अम्मी से तो बाज़ आ जा" ज़ाहिद ने अपने पॅंट में खड़े हुए लंड को समझाते हुए कहा।

ज़ाहिद अपने लंड को समझाने की कोशिश तो कर रहा था। मगर अभी तक उस की नज़रें अपनी अम्मी के मटकते हुए चुतड़ों पर जमी हुई थी।

मटक मटक कर चलने की वजह से रज़िया बीबी की मोटी गान्ड ज़ाहिद की आँखों का ध्यान अपनी तरफ खैंच रही थी।

जब के ज़ाहिद एक बुत की मानिंद बिल्कुल सख़्त हो कर मोटर साइकल पर बैठा,शलवार कमीज़ में कसे हुए अपनी अम्मी के भारी चुतड़ों के सही साइज़ का अंदाज़ा लगने की कोशिश में मसरूफ़ था।

जब कि उस की पॅंट में मौजूद उस का लंड जवानी के नशे में बिल्कुल तन गया था ।

रज़िया बीबी तो कब की घर के गेट में दाखिल हो चुकी थी। जब कि ज़ाहिद अभी तक घर के बाहर अपनी मोटर साइकल पर बैठा हुआ अपनी अम्मी के बारे में सोच रहा था।

उधर अपने कमरे तक जाते जाते रज़िया बीबी ने महसूस कर लिया। कि अपने बेटे के गरम और सख़्त लंड को पहली बार अंजाने में ही छू लेने की वजह से उस की फुद्दि अब बे तहासा पानी छोड़ रही है। जिस की वजह से उस की पैंटी भी गीली हो चुकी थी।

रज़िया बीबी ने अपने कमरे में जाते ही अपनी अलमारी से अपनी शलवार,कमीज़ और एक नई पैंटी निकाली। और अपने कमरे के अटेच बाथरूम की तरफ जाने लगी।

ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपने कमरे के बाथ रूम के दरवाज़े को हाथ लगाया तो वो उसे अंदर से बंद मिला। जिस पर रज़िया बीबी समझ गई की उस की बेटी शाज़िया बाथरूम यूज़ कर रही है।

रज़िया बीबी को अपनी चूत से बहते पानी की वजह से गीली हो जाने वाली पैंटी को पहने हुए अब उलझन हो रही थी।

इसीलिए उस की कॉसिश थी कि वो जितनी जल्दी हो सके अपनी गीली पैंटी को उतार कर धोने वाले कपड़ो की बास्केट में फैंक दे।

रावलपिंडी में किराए वाले इस घर के सिर्फ़ दो ही बाथरूम थे। जिन में से एक अब शाज़िया यूज़ कर रही थी। जब कि दूसरा बाथरूम ज़ाहिद के कमरे में था।

रज़िया बीबी ने सोचा कि ज़ाहिद को मोटर साइकल खड़ी कर के अपने कमरे तक आते आते थोड़ी देर हो जाएगी। तो क्यों ना वो इतनी देर में अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे वाले बाथरूम में जा कर उसे यूज़ कर ले।

ये सोच कर रज़िया बीबी जल्दी से आ कर अपने बेटे के बाथरूम में घुसी। और अपनी शलवार कमाीज़ और पैंटी उतार कर अपनी पानी छोड़ती चूत को देखा। तो पता चला कि वाकई ही उस की पच पच करती चूत के पानी ने उस की पैंटी को पूरा भिगो दिया था।

रज़िया बीबी के पास वक्त कम था। इसीलिए उस ने जल्दी से अपनी चूत को बाथरूम के टिश्यू पेपर से सॉफ किया और नई पैंटी पहन कर अपनी नई शलवार कमीज़ ज़बे तन कर ली।

अपने बेटे के लंड को अचानक छूने से रज़िया बीबी अपने दिल में इतनी शरम महसूस कर रही थी। कि वो अपने बेटे ज़ाहिद का सामना करने की अब हिम्मत नही पा रही थी।

इसीलिए उस की ख्वाहिश थी कि वो जितनी जल्दी हो सके अपने बेटे के बाथ रूम से निकल कर अपने कमरे में पहुँच जाए।

इसी जल्दी में अपने कमरे की तरफ जाते हुए रज़िया बीबी ना सिर्फ़ ज़ाहिद के बाथरूम के दरवाज़े के पीछे अपनी पुरानी शलवार को भी लटका छोड़ गई।

बल्कि ज्यों ही रज़िया बीबी बाथरूम से निकल कर ज़ाहिद के कमरे से बाहर जाने लगी। तो जल्दी और अंजाने में उस ने अपनी गीली पैंटी को भी ज़ाहिद के बिस्तर के बिल्कुल नज़दीक गिरा दिया। जो गिरते ही ज़ाहिद के बिस्तर की लंबी चादर के नीचे छुप गई। और रज़िया बीबी को इस वक्त जल्दी में इस बात का बिल्कुल पता ही ना चला।

रज़िया बीबी ज़ाहिद के कमरे से बाहर आई। और उस ने अपने पुराने कपड़े धोने के लिए टोकरी में फैंक दिए।

अपनी अम्मी के कमरे से जाने के थोड़ी देर बाद ज़ाहिद अपने कमरे में आया। और अपने कपड़े चेंज कर के फिर किसी काम के सिलसिले में घर से बाहर निकल गया।

उस रात ज़ाहिद देर गये अपने घर वापिस लौटा। तो उस वक्त तक उस शाज़िया और उस की अम्मी अपने कमरे में जा कर सो चुकी थी।

ज़ाहिद खामोशी से अपने कमरे में गया और जाते ही अपने बिस्तर में घुस गया।

दिन भर का थका होने के बावजूद ज़ाहिद को बिस्तर पर नीद नही आ रही थी। इसीलिए वो बिस्तर पर इधर उधर करवटें बदल रहा था।

थोड़ी देर बाद ज़ाहिद को पेशाब की हजत महसूस हुई। तो वो बिस्तर से उठ कर बाथरूम चला गया।

बाथरूम में जाते वक्त ज़ाहिद ने अपने बाथरूम का दरवाज़ा मुकम्मल बंद नही किया।

ज्यों ही ज़ाहिद कमोड पर बैठ कर पेशाब करने लगा।

तो उस की नज़र दरवाज़े के पीछे टॅंगी हुई अपनी अम्मी की शलवार पर गई।

"ये अम्मी की शलवार इधर क्यूँ और कैसे" ज़ाहिद के ज़हन में सवाल आया।

पेशाब से फारिग होने के कुछ देर बाद जब ज़ाहिद दुबारा अपने कमरे में आया। तो उस की नज़र अपने पलंग के नीचे पड़ी हुई किसी चीज़ पर पड़ी।

पेशाब से फारिग होने के कुछ देर बाद जब ज़ाहिद दुबारा अपने कमरे में आया। तो उस की नज़र अपने पलंग के नीचे पड़ी हुई किसी चीज़ पर पड़ी।

"ये मेरे पलंग के नीचे क्या पड़ा है" ज़ाहिद ने झुक कर फर्श से अपने बिस्तर की चादर को हटाया। और पलंग के नीचे पड़ी हुई उस चीज़ को देखने लगा।

ज़ाहिद ने जब देखा कि ये तो एक पैंटी है। तो इस पैंटी अपने पलंग के नीचे पड़ी देख कर उसे बहुत हैरत हुई।

"अगर अम्मी की शलवार बाथरूम के दरवाज़े पर लटकी हुई है,तो यक़ीनन ये पैंटी भी अम्मी की ही है"

ज़ाहिद के दिल में ख्याल आया और उस ने हाथ बढ़ा कर फर्श पर पड़ी अपनी अम्मी की पैंटी को अपने हाथ में उठा लिया।

रज़िया बीबी ने जिस वक्त अपनी पैंटी उतारी थी। उस वक्त तो पैंटी काफ़ी गीली थी।

मगर अब आधी रात के वक्त पैंटी काफ़ी हद तक सूख तो चुकी थी। मगर अब भी पैंटी पर गीले पन के असर देखे और महसूस किया जा सकते थे।

"लगता है अम्मी की चूत बहुत पानी छोड़ती रही है,इसी लिए ये इतनी मैली (डर्टी) है" अपनी अम्मी की पैंटी पर लगे हुए दाग देख कर ज़ाहिद को अंदाज़ा हो गया। कि उस की बहन शाज़िया की तरह उस की अम्मी की चूत भी बहुत ही प्यासी है। इसी वजह से उस की अम्मी रज़िया बीबी की पैंटी इतनी गंदी हालत में थी।

आज दिन के वक्त अपनी अम्मी से स्टोर में होने वाली बात चीत,मोटर साइकल पर अम्मी के मोटे मम्मो का ज़ाहिद की पीठ से टकराना,उस की अम्मी रज़िया बीबी का ज़ाहिद के मोटे लंड पर लगने वाला हाथ और फिर उस की अम्मी की मटकती हुई भारी गान्ड की ताल ने तो पहले ही ज़ाहिद के जिस्म में माजूद उस की जवानी की आग को भड़का दिया था।

मगर अब से पहले तक ज़ाहिद ने हर दफ़ा अपनी पैंट में खड़े हुए लंड को "मालमत" करते हुए ये समझा कर पुरसकून कर दिया था। कि जो भी हो आख़िर कर रज़िया बीबी उस की सग़ी अम्मी है।

ज़ाहिद की आज शाम तक ये ही सोच थी। कि अगर उस ने अपनी ही सग़ी बहन से अपने जिश्मानि ताल्लुक़ात कायम कर के एक गुनाह कर लिया है। तो ये लाज़मी नही कि वो ये ही गुनाह अब दुबारा अपनी सग़ी अम्मी के साथ भी दोहराए।

लेकिन अब अपनी अम्मी की इस्तेमाल शुदा पैंटी को अपने हाथ में थामते ही ज़ाहिद का लंड ज़ाहिद से बग़ावत करते हुए फिर से अकड़ कर उस की शलवार में पूरा अकड़ गया था।

अपनी बहन और बीवी शाज़िया की गरम फुद्दि से कुछ दिनो की महरूमी की वजह से ज़ाहिद के दिमाग़ पर तो पहले ही अपने लंड की मनमानी चढ़ि हुई थी।

इसीलिए आज अपनी अम्मी के अंडर गारमेंट को पहली बार अपने हाथ में ले कर ज़ाहिद के सबर का पैमाना लबरेज हो गया।

"ज़ाना तो ज़ाना है,और गुनाह तो गुनाह है,चाहे वो बहन के साथ हो या माँ के साथ"ज़ाहिद अपने दिमाग़ में आने वाली अपनी गंदी और घटिया सोच को जस्टिफाइ करते हुए अपने बिस्तर पर बैठा। और अपनी शलवार और कमीज़ उतार का बिल्कुल नंगा हो गया।

"पता नही मेरी अम्मी की फुद्दि केसी हो गी" अपनी अम्मी के अंडरवेार पर चूत वाली जगह पर अपनी नज़रें जमा कर ज़ाहिद के जेहन में ख्याल आया। और इस के साथ उस ने अपनी अम्मी की पैंटी को उस की चूत वाली जगह से चूम लिया।

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की पैंटी को अपनी ज़ुबान से चूमने की खातिर अपने मुँह के नज़दीक किया।

तो रज़िया बीबी की इस्तेमाल शुदा पैंटी से उठने वाली बू (स्मेल) ज़ाहिद की नाक के रास्ते उस के नथुनो में घुस गई।

अपनी सग़ी अम्मी की चूत की महक को पैंटी पर से सूंघ कर ज़ाहिद तो जैसे पागल हो गया। और अपनी माँ की फुद्दि के नशे में टन हो कर ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की पैंटी को को दीवाना वार चूमना और चाट्ना शुरू कर दिया।

अपनी अम्मी की पैंटी को सूंघते सूंघते ज़ाहिद का लंड बुरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया था।

ज़ाहिद ने आज से पहले ना तो कभी अपनी अम्मी के मुतलक इस तरह सोचा था। और ना ही उस ने इस से पहले कभी अपनी अम्मी को बुरी नज़र से देखने की जुर्रत की थी।

लेकिन शाज़िया की चूत से दूरी ने ज़ाहिद की हालत एक ऐसे पागल कुत्ते जैसी कर दी थी। जो हादी (बोने) हासिल करने के लिए कुछ भी करने पर तूल सकता हो।

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया की चूत ने वो मज़ा और स्वाद दिया था।

जिसे किसी दूसरी औरत से हासिल करने का ज़ाहिद ने कभी तस्व्वुर भी नही किया था।

इसीलिए अपनी बहन से जहली शादी करने के बाद ज़ाहिद ने किसी और औरत की तरफ देखना तो दर किनार उस ने किसी दूसरी औरत के मुतलक सोचा तक ना था।

इस की वजह ये थी। कि शाज़िया ने ज़ाहिद की बहन से उस की बीवी बनने के बाद अपने भाई के लंड पर अपनी गरम फुद्दि का एक अजीब सा जादू चला दिया था।

शाज़िया ने अपनी प्रेग्नेन्सी से पहले तक अपने भाई ज़ाहिद को अपनी चूत दे दे कर इतना ज़्यादा पूर बाश कर देती थी। कि ज़ाहिद को किसी और की चूत की ख्वाहिश ही नही रहती थी।

मगर ना चाहने के बावजूद आज एक नई चूत के खून का ज़ायक़ा ज़ाहिद के मुँह और लंड को लग गया था।

और ये कोई आम और मामूली चूत नही थी। बल्कि ये तो वो चूत थी जिस चूत से निकल कर ज़ाहिद इस दुनिया में आया था।

ये चूत उस की अम्मी रज़िया बीबी की चूत थी। जिस की सिर्फ़ खूबू को ही सूंघ कर ज़ाहिद के होश उड़ गये थे।

और ज़ाहिद इस सोच से ही पागल होने लगा कि अगर उसे कभी अपनी अम्मी की फुद्दि चोदने को मिल गई तो फिर उस का क्या हाल हो गा।

इस के साथ ही ज़ाहिद ने बिस्तर पर लेटे लेटे अपनी अम्मी की पैंटी को अपने मुँह से हटा कर अपने लंड के उपर लपेटा।

और आँखे बंद कर के अपनी अम्मी के भारी चुतड़ों को याद करते हुए अपने लंड की मूठ लगाने लगा।

अपनी अम्मी की पैंटी को अपनी मोटी टोपी पर महसूस करते ही ज़ाहिद का लंड भी पूरा अकड़ कर सख़्त हो उठा था।

"ओह अम्म्मिईीईईईईईई! जीिइईईईईईईईईईईईईईईई! "अपने लंड पर अपनी अम्मी की पैंटी का एहसास आज ज़ाहिद को एक अलग ही मज़ा दे रहा था। और उस के मुँह से बार बार अपनी अम्मी का नाम ही निकलने लगा।

"ओह अमिीईईईईईई! उउम्म्म्मममममममम! अहह क्या ज़ालिम मम्मे है आप के, और क्या ग़ज़ब की गान्ड है आप की अम्म्मिईीईईईई!, उफफफफफफफफफ्फ़! कब मेरा लंड को आप की चूत नसीब होगी अमिीईईईईईईईईईईईईई!" ज़ाहिद ज़ोर और जोश से आज पहली बार अपनी ही सग़ी अम्मी के नाम की मूठ लगाने में मसरूफ़ था।

ज़ाहिद अपनी अम्मी की छोटी सी पैंटी को अपने लंड की टोपी पर रख कर रगड़ने लगा।

और फिर कुछ ही देर इस तरह रगड़ते रगड़ते ज़ाहिद के मुँह से निकला "अम्म्मिईीईईईईईई!" और ज़ाहिद के मोटे जवान लंड ने अपना गरम और सफेद वीर्य अपनी अम्मी की पैंटी पर उंड़ेल दिया।

आज काफ़ी दिन बाद अपने लंड की मूठ लगा कर जब ज़ाहिद के जिस्म की गर्मी की शिद्दत कुछ कम हुई। तो उस का जिस्म और लंड कुछ पुरसकून हो गया।

"उफफफफफफफफफफफ्फ़! ये मुझे क्या होता जा रहा है,मैं आइन्दा कभी अपनी अम्मी के बारे में कोई घटिया सोच अपने जेहन में नही आने दूँगा।"अपने लंड का पानी आज पहली बार अपनी ही अम्मी के नाम पर निकालने के बाद जब ज़ाहिद के जेहन से उस के वीर्य ने खुमार उतारा। तो उसे अपनी आज की इस हरकत पर अब शर्मिंदगी महसूस हुई।

मगर वो कहते हैं ना कि "अब क्या होत,जब चिड़िया चुग गई खैत"

इसीलिए अब जो होना था वो हो चुका था। और अपनी की गई आज की हरकत को ज़ाहिद चाहते हुए भी अब बदल नही सकता था।

फिर अपनी गंदी सोच पर अपने आप को कोसते हुए ज़ाहिद बाथरूम में गया और उधर जा कर अपने लंड को अच्छी तरह सॉफ किया। और वापिस अपने बिस्तर पर आ कर सोने के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं।

उधर दूसरे कमरे में अपने बिस्तर पर लेटी रज़िया बीबी की हालत भी आज अपने बेटे ज़ाहिद से कुछ मुक्तलफ नही थी।

अपने बिस्तर पर पड़ी रज़िया बीबी की आँखे तो ब ज़ाहिर सोने के लिए बंद ही थी। मगर वो अब अपनी बंद आँखों के साथ अपने बेटे के लंड को पहली बार छूने के मंज़र को याद कर कर के बुरी तरह गरम हुए जा रही थी।

रज़िया बीबी को अपने बेटे के जवान,सख़्त और बड़े लंड की गर्मी की तपिश अभी तक अपने हाथ पर महसूस हो रही थी। और इसी लिए अपने बेटे के लंड को याद कर कर के रज़िया बीबी की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

रज़िया बीबी अपनी तपती चूत की गर्मी को दूर तो करना चाहती थी। मगर अपनी बेटी शाज़िया की कमरे में मौजूदगी की वजह से वो अपने बेटे ज़ाहिद के बार अख़्श अपनी चूत से खेल कर अपनी गरम चूत को ठंडा करने से महरूम थी।

रज़िया बीबी ने एक आध बार कोशिश भी की कि वो कमरे की मध्यम रोशनी और अपने जिस्म पर ओडी हुई चादर का फ़ायदा उठा कर अपनी शलवार में अपना हाथ डाले। और अपनी पानी छोड़ती चूत को आहिस्ता आहिस्ता से सकून पहुँचा ले।

लेकिन अपनी चोरी पकड़े जाने के डर से रज़िया बीबी में ये काम करने की हिम्मत नही हुई। और फिर करवट बदलते बदलते किस वक्त उस की आँख लग गई। इस का खुद रज़िया बीबी को भी पता ना चला।

दूसरी सुबह हुस्बे मामूल रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया से पहले उठ कर किचन में चली गई।

रज़िया बीबी का दिल चाह रहा था कि आज अपने बच्चो को अपने हाथों से आलू वाले परान्ठे बना कर खिलाए।

इसीलिए किचन में जाते ही उस ने अपने और अपने बच्चो के लिए सुबह का नाश्ता बनाने की तैयारी शुरू कर दी।

किचन में नाश्ते की तैयारी करते हुए भी रज़िया बीबी के दिमाग़ में एक हलचल मची हुई थी।

एक दिन गुज़र जाने के बावजूद जवान बेटे का बड़ा लंड रज़िया बीबी के होश-ओ-हवास पर छाया हुआ था।

इस दौरान आटे का पैरा बना कर रज़िया बीबी ने ज्यों ही परान्ठे को तवे पर डाला। तो उस के दिमाग़ में फिर से शाज़िया के फोन में देखी हुई अपने बेटे ज़ाहिद की नंगी तस्वीरे उभर आईं।

"उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! क्या मज़े दार लंड है मेरे बेटा का। " अपने बेटे ज़ाहिद के लंड का तस्व्वुर जेहन में आते ही रज़िया बीबी की चूत मचल उठी।

रज़िया बीबी के दिमाग़ में इस वक्त बार बार अपने बेटे ज़ाहिद के लंड का ख्याल आ रहा था। और वो अपने बेटे के ख्यालों में गुम होते हुए एक मशीन की तरह साथ ही साथ परान्ठा भी बनाती जा रही थी।

अपने बेटे के नंगे लंड को याद करते हुए रज़िया बीबी को अपनी चूत में खुजली महसूस हुई। तो रज़िया बीबी ने अंजाने में अपनी शलवार के अंदर हाथ डाल कर अपनी चूत के ऊपर खुजली शुरू कर दी।

"हाईईईईईईईईईई! मेरी चूत कितना पानी छोड़ रही है ज़ाहिद के मोटे लंड के लिए"अपनी चूत पर खुजली करते हुए रज़िया बीबी को अंदाज़ा हुआ कि उस की चूत तो अपने बेटे ज़ाहिद को याद करते करते पानी पानी हो रही है।

रज़िया बीबी की चूत आज इतना पानी छोड़ रही थी। कि उस की चूत के पानी से रज़िया बीबी के हाथ की उंगलियाँ भी भीग गईं।

इतनी देर में तवे पर पड़ा हुआ परान्ठा पक कर तैयार हो गया। तो रज़िया बीबी ने बेध्यानी में अपनी पानी छोड़ती चूत से अपना हाथ हटाया। और एक दम से तवे पर तैयार परान्ठे को उसी हाथ से उतार कर प्लेट में रख दिया।

जिस तरह एक सोलह साला जवान लड़की अपनी जवानी के पहले प्यार में पागल हो कर अपने होश ओ हवाश खो बैठती है।

बिल्कुल इसी तरह रज़िया बीबी आज अपने बेटे के ख्यालों में इतनी मगन थी। कि उसे ये अंदाज़ा ही ना हुआ। कि अपनी इस अचानक हरकत की वजह से वो अपनी चूत के पानी से भीगी हुई उंगलियों के ज़रिए अपनी ही चूत का रस अपने बेटे के लिए बनाए हुए परान्ठे पर भी लगा चुकी है।

इधर अपनी गरम सोचो में डुबी हुई रज़िया बीबी अपने काम में मसरूफ़ थी।

और उधर दूसरी तरफ ज़ाहिद भी सुबह सुबह उठ कर बाथरूम गया। और नहा धो कर अपनी नोकरी पर जाने के लिए तैयार होने लगा।

ज़ाहिद अपने कमरे से तैयार हो कर बाहर आया और किचन की तरफ चल पड़ा।

जहाँ उस की अम्मी उस के लिए नाश्ता बनाने में मसरूफ़ थी।

जारी रहेगी

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