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Click hereअम्मी बनी सास
भाग - 072
डोला रे डोला रे डोला लंड डोला
किचन के दरवाज़े के बाहर पहुँच कर ज़ाहिद की नज़र किचन में अपने काम करती हुई अपनी अम्मी पर पड़ी।
रज़िया बीबी की कमर इस वक्त अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ थी। जिस वजह से ज़ाहिद ज्यों ही किचन के पास गया तो उस की नज़र सीधी अपनी अम्मी के भारी चुतड़ों पर पड़ी।
रज़िया बीबी ने किचन में अपने काम काज के दौरान दो तीन दफ़ा झुक कर सिंक के नीचे बने हुए हिस्से से आयिल की बॉटल उठाई थी।
इस तरह बार बार झुकने से रज़िया बीबी की कमीज़ पीछे से उस के भारी चुतड़ों में जा कर फँसी गई। जिस का रज़िया बीबी को ज़रा भी एहसास ना हुआ।
रज़िया बीबी की गान्ड में फँसी हुई कमीज़ की वजह से रज़िया बीबी की गान्ड की शेप इतनी वज़िया हो गई थी। के अपनी अम्मी की मोटी गान्ड का ये दिल कश नज़ारा देखते ही ज़ाहिद का दिल में इंडियन मूवी देवदास का ये गाना गूंजने लगा।
"डोला रे डोला रे डोला अम्मी की गान्ड पे मेरा लंड डोला"
हालाकी रात अपनी अम्मी के नाम की मूठ लगाने के बाद ज़ाहिद ये सोच कर सोया था। कि वो अब कभी दुबारा अपनी अम्मी के मुतलक कोई गंदी बात अपने दिमाग़ में नही ले गा।
मगर अब अपनी अम्मी की भारी गान्ड को देखते ही ज़ाहिद का ईमान दुबारा से डोलने लगा।
जिस वजह से उस का मोटा बड़ा लंड फिर से उस की पॅंट में अपना सर उठाने लगा था।
"काश मैं अपनी अम्मी की इस भारी गान्ड की इन उभरी हुई पहाड़ियों में अपने लंड को डाल सकता"अपनी अम्मी की बड़ी गान्ड को देखते हुए ज़ाहिद के दिल और लंड में दुबारा से एक अजीब सी हलचल मचने लगी। और ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में फनफनाने लगा था।
अब जैसे जैसे रज़िया बीबी किचन में काम के दौरान मूव करती इधर उधर होती। पीछे से उस की गान्ड की मोटी पहाड़ियाँ भी उसी तरह थल थल करती हुई उपर उछल हो रही थी।
अपनी अम्मी की मटकती गान्ड को देख देख कर ज़ाहिद का लंड और सख़्त होने लगा। तो ज़ाहिद ने किचन के बाहर ही खड़े हो कर अपनी अम्मी की गान्ड को देखते हुए अपने लंड को अपनी पॅंट के ऊपर से ही आहिस्ता आहिस्ता मसलना शुरू कर दिया।
ज़ाहिद कुछ देर तो किचन के बाहर खड़ा हो कर अपनी अम्मी के कसे हुए भारी जिस्म को अपनी आँखों से ही चोदता रहा।
फिर जब ज़ाहिद से अपनी अम्मी के जिस्म से दूरी मज़ीद बर्दास्त ना हुई। तो ज़ाहिद आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ किचन में एंटर हुआ। और बगैर कोई आवाज़ किए किचन में आ कर अपनी अम्मी के बिल्कुल पीछे खड़ा हो गया।
रज़िया बीबी आज किचन में इतनी मसरूफ़ थी। कि उसे पता ही ना चला कि उस का बेटा ज़ाहिद उस के पीछे आ कर खड़ा हो चुका है।
"इस से पहले के ज़ाहिद आ जाए मुझे जल्दी से उस के लिए नाश्ता टेबल पर लगा देना चाहिए"ये बात अपने जहाँ में सोचते हुए रज़िया बीबी एक दम से अपने पीछे पड़े हुए टेबल की तरफ मूड गई।
इस तरह एक अचानक और एक दम से मुड़ने की वजह से रज़िया बीबी अपने बिल्कुल पीछे खड़े हुए अपने बेटे ज़ाहिद के जिस्म के साथ टकरा गई।
रज़िया बीबी चूँकि इस बात की तवक्को नही कर रही थी। इसीलिए ज़ाहिद के साथ टकराती ही वो अपना तवज्जो खो बैठी और एक दम से पीछे सिंक की तरफ गिरने लगी।
ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को यूँ पीछे की तरफ गिरते देखा। तो उस ने फॉरन अपनी अम्मी को सहारा देने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। और अपनी अम्मी की मोटी कमर के गिर्द अपने हाथ को लपेट कर अपनी तरफ खैंचा।
ज़ाहिद के हाथ का सहारा मिलते ही रज़िया बीबी का पीछे की तरफ गिरता वजूद एक दम से ऊपर की तरफ उठा। तो इस दफ़ा ना सिर्फ़ दोनो माँ बेटा की छाती एक दूसरे की छाती में पेवस्त होती चली गई।
बल्कि नीचे से भी ज़ाहिद की पॅंट में खड़ा हुआ उस का लंड अपनी अम्मी की शलवार में माजूद रज़िया बीबी की गरम और प्यासी चूत से रगड़ खा गया।
"आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज! अपनी माँ को अपनी इन मज़बूत बाहों में जकड कर मार ही डालो मुझे यययययययययययी बएटााआआआआआआआ" अपने बेटे की सख़्त और जवान छाती से चिपकते ही रज़िया बीबी के दिल में ये ख्वाहिश उमड़ी।
"हाईईईईईईईईईईई! आप ने बचपन में मुझे अपने इन मोटे मम्मों का दूध पिला कर मुझे जवान तो कर दिया है,अब आप कब अपने इस जवान बेटे को अपने इन मम्मो से दुबारा अपना दूध पीने का मोका दोगी अम्मिईीईईईईईईई" अपनी अम्मी की भारी और गुदाज छातियों को यूँ अपनी सख़्त छाती से टकराते हुए महसूस कर के ज़ाहिद के दिल में भी ख्याल आया।
दोनो माँ बेटे के प्यासे वजूद ज्यों ही अचानक आपस में इस तरह टकराई। तो ज़ाहिद और रज़िया बीबी दोनो को ना सिर्फ़ एक दूसरे के जिस्मो में लगी हुई आग का अंदाज़ा हुआ।
बल्कि ज़ाहिद और रज़िया बीबी ने एक दूसरे की बिखरी हुई सांसो को भी अच्छी तरह से सुन लिया था।
"इस से पहले कि में अपने जवान बेटे के जिस्म की गर्मी से पिघल कर बहक जाऊं, मुझे अपने बेटे की बाहों से निकल जाना चाहिए" रज़िया बीबी के दिमाग़ में ख्याल आया। और उस ने अपने आप को संभालने हुए अपने वजूद को अपने बेटे की बाहों से आज़ादी दिला दी।
"तुम कब आई,मुझे तो पता ही नही चला बेटा" रज़िया बीबी ने ज़ाहिद की बाहों से निकलते ही पूछा।
"में तो अभी अभी ही किचन में आप को ये बताने आया हूँ, कि मुझे ज़रा जल्दी जाना है, इसीलिए आप आज मेरे लिए नाश्ता मत बनाना अम्मी" ज़ाहिद ने जवाब दिया और साथ ही जल्दी से मूड कर किचन से बाहर निकलने लगा।
"कहाँ जा रहे हो तुम,नाश्ता तैयार है ज़रा ठहरो मैं अभी देती हो बेटा" ज्यों ही "देने" वाली ये ज़ू महनी बात रज़िया बीबी के मुँह से निकली। तो रज़िया बीबी को फॉरन ही अपनी ग़लती का एहसास हुआ। इसीलिए शरम के मारे रज़िया बीबी ने अपना मुँह फॉरन किचन की शेल्फ की तरफ मोड़ लिया।
"अम्मी आप इतने प्यार से दो गी तो कौन कम बख़्त इनकार करे गा, वैसे जितने प्यार से आप देती हैं, उतने प्यार से शाज़िया कभी नही देती अम्मी" अपनी अम्मी के मुँह से इस तरह की बात सुन कर ज़ाहिद का लंड मज़ीद उठने लगा।
और उस ने भी जान बूझ कर ज़ू महनी अंदाज़ में ही अपनी अम्मी को जवाब दिया। और जल्दी से नाश्ते के टेबल पर बैठ गया। कि कहीं उस की अम्मी का ध्यान उस की पॅंट में खड़े हुए उस के लंड पर ना पर जाए।
"हां बेटा शाज़िया चाहे भी तो मेरा मुकाबला नही कर सकती,क्यों कि आख़िर में माँ हूँ तुम्हारी और वो मेरी बेटी,और बेटी कब अपनी माँ का मुकाबला कर सकती है भला"एक बार अंजाने में एक ज़ू महनी लफ़्ज अपने मुँह से निकालने के बाद रज़िया बीबी को शरम तो आई थी। मगर अपने बेटे ज़ाहिद के मुँह से भी इसी तरह का जवाब पा कर अब शायद रज़िया बीबी का होसला बढ़ गया था। इसीलिए वो अब ज़ाहिद से इस तरह की बात चीत में शरम कुछ कम महसूस करने लगी थी।
रज़िया बीबी ने ज़ाहिद के लिए बनाया हुआ परान्ठा और चाय का एक कप ला कर अपने बेटे के सामने टेबल पर रखा और बोली "आज मेने बड़े प्यार से अपने बेटे के लिए आलू का परान्ठा बनाया है"
आलू का परान्ठा देख कर ज़ाहिद की भूक भड़क उठी। और उस ने तेज़ी से परान्ठे का एक नीवाला तोड़ का अपने मुँह में डाला।
"लगता है आज आप ने नमक थोड़ा सा ज़्यादा ही डाल दिया है आटे में अम्मी" ज़ाहिद ने ज्यों ही परान्ठे का टुकड़ा अपने मुँह में डाला। तो उसे परान्ठे का ज़ायक़ा कुछ नमकीन सा महसूस हुआ।
"नही मेने नमक ज़्यादा तो नही डाला,वैसी अगर परान्ठा मज़े दार नही तो मत खाओ बेटा"अपने बेटे की बात सुन कर रज़िया बीबी ने जवाब दिया। मगर इस के साथ ही रज़िया बीबी सोचने लगी कि ज़ाहिद ये क्यों कह रहा है कि परान्ठे में आज नमक थोड़ा ज़्यादा है।
"उफफफफफफफफफ्फ़ परान्ठा बनाते वक्त मेने अपनी पानी छोड़ती चूत में उंगलियाँ डाली थी और फिर बे ध्यानी में उन्ही उंगलियों से परान्ठा तवे से भी उतरा था, लगता है कि इस दौरान मेरी उंगलियों पर लगा हुआ मेरी चूत का पानी ज़ाहिद के परान्ठे पर भी लग गया था,और अब मेरा बेटा परान्ठे के साथ साथ परान्ठे पर लगा हुआ मेरी चूत के पानी का ज़ायक़ा भी चख लिया आज " ये बात सोचते ही रज़िया बीबी की फुद्दि में फिर से नमी आने लगी।
"अम्मी लगता है आज आप ने कुछ स्पेशल किसम का मक्खन लगाया है इस परान्ठे पर,तभी तो परान्ठा इतना मज़े दार बना है आज" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को जवाब दिया। और मज़े ले ले कर अपनी अम्मी की चूत के रस से भरपूर परान्ठे को खाने लगा।
"उूुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स" अपने बेटे ज़ाहिद को अपनी चूत के पानी से लबरेज परान्ठे को यूँ मज़े ले कर खाते देख कर रज़िया बीबी काँप ही उठी। और उस की चूत से बहता पानी उस के दोनो होंठो पर से बैठा हुआ नीचे को जाने लगा।
ज़ाहिद ने जल्दी से नाश्ता मुकम्मल किया और अपनी बहन के जागने से पहले ही पोलीस स्टेशन की तरफ रवाना हो गया।
ज़ाहिद के जाते ही रज़िया बीबी ने अपनी गरम फुद्दि पर हाथ फेरते हुए उसे तसल्ली दी। और फिर अपना ध्यान अपने बेटे के मोटे लंड से हटाने की खातिर रज़िया बीबी ने अपने आप को घर के काम काज में मसरूफ़ कर लिया।
जारी रहेगी