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भाग 073
आग आहिस्ता आहिस्ता सुलग रही थी
उधर ज़ाहिद भी जब अपने पोलीस स्टेशन पहुँचा। तो उस वक्त तक भी उस का लंड "अम्मी अम्मी" पुकारता हुआ उसे बेचैन किए जा रहा था।
इसीलिए ज़ाहिद ने भी अपनी अम्मी की फुद्दि का ख्याल अपने जहाँ से निकालने के लिए पोलीस स्टेशन आते ही अपने आप को बिजी कर लिया।
उस रात जब ज़ाहिद अपने घर वापिस लोटा तो उस की नज़र टीवी लाउन्ज में बैठी हुई अपनी अम्मी पर पड़ी।
जो उस वक्त टीवी लाउन्ज के स्टूल पर इस हालत में बैठी थी। कि रज़िया बीबी ने उस वक्त अपने भारी सीने पर कोई दुपट्टा नही लिया हुआ था।
जिस वजह से रज़िया बीबी की तंग और कसी हुई कमीज़ में से उस के मोटे मोटे तरबूज़ नुमा मम्मे ज़ाहिद की आँखों को एक दिल कश नज़ारा दे रहे थे।
जब के छोटे से स्टूल पर बैठने से रज़िया बीबी के भारी और बड़े चूतड़ पीछे को लटक रहे थे।
"आ गये बेटा" ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपने बेटे को घर में आते देखा तो उस ने मुस्करा कर अपने बेटे से पूछा।
रज़िया बीबी अपने जवान बेटे को देख कर ऐसे मुस्कुराइ जैसे कोई जवान माशूका अपने आशिक़ की आमद पर उस का इस्तिकबाल करते हुए अपने महबूब पर अपनी मुस्कुराहट के फूल न्योछावर करती है।
"जी अम्मी "ज़ाहिद ने अपने बूट उतारते हुए बुलंद आवाज़ में अम्मी को जवाब दिया।
"आ गया हूँ आप के इन मोटे मम्मो और इस बड़ी गान्ड को अपनी आँखों से सेकने अम्मी" साथ ही साथ ज़ाहिद ने अपने दिल में ये बात कही।
अपनी अम्मी के भारी जिस्म को देखते ही ज़ाहिद के जिस्म में लगी हुई जवानी की आग फिर से भड़कने लगी। और उस की पॅंट में माजूद उस का लंड अपनी अम्मी की फुद्दि के लिए फिर से टाइट होने लगा था।
"शाज़िया जल्दी से खाना लगा दो बेटा,तुम्हारा भाई आ गया है" रज़िया बीबी ने किचन में काम करती शाज़िया को आवाज़ दी।
और खुद स्टूल से उठ कर टीवी लाउन्ज के फर्श पर लेट गई।
रज़िया बीबी के फर्श पर एक साइड करवट ले कर लेटने से उस के भारी और गुदाज मम्मे उस के ढीले ब्रेज़ियर में से लटक कर ज़मीन से टच होने लगे।
"आप फर्श पर क्यों लेट गई हैं अम्मी" ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को यूँ फर्श पर लेटते देखा। तो हैरान होते हुए उस ने अम्मी से पूछा।
"बेटा पता नही क्यों आज मेरा सारा जिस्म दर्द कर रहा है,और इस तरह फर्श पर लेटने से मुझे थोड़ा आराम मिलता है" रज़िया बीबी ने अपने बेटे को जवाब दिया।
रज़िया बीबी ज्यों ही फर्श पर लेटी। तो एक दम उसे यूँ लगा कि जैसे फर्श पर लेटते ही किसी कीड़े ने उस की गान्ड पर काट लिया हो। जिस की वजह से रज़िया बीबी को अपनी गान्ड पर एक दम से खुजली महसूस होने लगी।
ये खुजली इतनी अचानक और शदीद थी। कि रज़िया बीबी को अपने बेटे ज़ाहिद की कमरे में मौजूदगी का एहसास ही ना रहा।
रज़िया बीबी एक दम से अपना एक हाथ अपने पीछे ले गई। और वो बे ध्यानी में अपने हाथ से अपनी चूत और गान्ड के सुराख के दरमियाँ वाली जगह पर खुजाने लगी।
रज़िया बीबी ने इस तरह अचानक अपनी गान्ड को खुजाने के दौरान ना सिर्फ़ अपनी टाँगे एक दम से हवा में उठा कर खोल दीं।
ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी टाँगे खोलीं। तो शलवार पहने होने के बावजूद ज़ाहिद को अपनी अम्मी की मोटी फुददी की मामूली से शेप नज़र आ ही गई।
अपनी अम्मी की फुद्दि के भारी होंठो की ये झलक देखते ही ज़ाहिद की तो साँस ही उस के गले में अटक गई।
इस दौरान कमरे में लगे पंखे की तेज हवा से रज़िया बीबी की कमीज़ भी उस के पेट से उठ गई।
जिस वजह से रज़िया बीबी का आधा पेट भी ज़ाहिद की नज़रों के सामने नंगा हो गया।
"उफफफफफफफ्फ़ अगर आप चाहें तो मैं अपनी ज़ुबान और लंड से आप की गान्ड और चूत की खारिश मिटा सकता हूँ अम्म्मिईिइ" अपनी अम्मी को अपनी गान्ड की खुजली करता देख कर ज़ाहिद मचल उठा। और उस ने एक सिसकी भरते हुए अपने दिल ही दिल में सोचा।
आज अपनी अम्मी को यूँ अपनी टाँगें खोल कर अपनी चूत और गान्ड की दरमियानी जगह पर खुजली करते हुए देखना ज़ाहिद के लिए वाकई ही काबले दीद मंज़र था।
ज़ाहिद ने आज तक अपनी अम्मी के जिस्म का कोई हिस्सा कभी नंगा नही देखा था।
इसीलिए ज्यों ही हवा की वजह से उस की अम्मी का पेट नंगा हुआ। तो ज़ाहिद को पहली बार अपनी अम्मी के बड़े और मोटे पेट को अपनी आँखों से देखने का सुनहरी मोका देस्तियाब हो गया।
आज ज़ाहिद अपनी खुली आँखों से अपनी अम्मी का वो मोटा पेट देख रहा था। जिस पेट में पूरे 9 महीने रह कर ज़ाहिद ने इस दुनिया में जनम लिया था।
अपनी अम्मी के नंगे पेट को पहली बार आधा नंगा देख कर ज़ाहिद के तो होश ही उड़ गये थे।
ज़ाहिद अपनी आँखे फाड़ फाड़ कर अपनी अम्मी को अपनी भारी गान्ड खुजलाते देख रहा था। कि इतने में रज़िया बीबी की नज़र अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ उठ गई।
रज़िया ने जब देखा के उस का बेटा बहुत ध्यान से उसे अपनी गान्ड को खुजाते देख रहा है। तो ज़ाहिद की आँखों में अपनी माँ के लिए छुपी हुई हवस रज़िया बीबी के जहन दीदा आँखों से ओझल ना रह सकी।
अपने बेटे की आँखों में अपने लिए प्यार की इस तहरीर (लाइन) को पढ़ कर रज़िया बीबी की अपनी चूत भी बुरी तरह सुलग उठी।
"उधर ही बैठ कर अपनी अम्मी की चूत को देखते रहोगे,या फिर आगे बढ़ कर आज अपनी अम्मी की फुद्दि का मज़ा भी चखो गे बेटा" अपने बेटे को यूँ अपनी टाँगों के दर्र्मियाँ नज़रें गढ़ाए देख कर रज़िया बीबी ने सोचा।
मगर इस से पहले के दोनो माँ बेटे के दरमियाँ शुरू होने वाला ये खेल मज़ीद आगे बढ़ता । कि इतने में उन दोनो को शाज़िया के कदमों की आवाज़ सुनाई दी।
अपनी बेटी शाज़िया के टीवी लाउन्ज में आने का एहसास होते ही रज़िया बीबी ने अपनी टाँगें नीचे कर लीं।
जब कि ज़ाहिद फॉरन उठ कर अपने कमरे में चला गया।
अपनी अम्मी की भारी और मोटी रानों के बीच छुपी हुई चूत का अक्श देख कर ज़ाहिद की भूख मर चुकी थी।
वो सीधा अपने कमरे में चला गया और दरवाज़ा बंद कर के उस ने तकियों के बीच अपने सिर को छुपा लिया।
अपनी बंद आँखो से अपनी अम्मी की उठी हुई टाँगों को याद करते करते ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में पूरी तरह से अकड़ा हुआ था।
उस रात अपने अपने बिस्तर पर लेट कर रज़िया बीबी और ज़ाहिद दोनो माँ बेटा एक दूसरे का ख्याल अपने दिल से निकालने की ना काम कोशिश कर रहे थे।
मगर हक़ीकत ये थी। कि कल से ले कर आज तक होने वाले सारे वक्त ने दोनो माँ बेटा के जिस्मो में एक दूसरे के लिए वो आग भड़का दी थी।
जिस को ठंडा किया बगैर अब दोनो का गुज़ारा बहुत मुश्किल होने लगा था।
इस के बावजूद के रज़िया बीबी और ज़ाहिद दोनो माँ बेटे के जिस्म अब एक दूसरे को हासिल करने के लिए मचलने लग गये थे।
लेकिन दोनो में माँ बेटे के सगे रिश्ते के दरमियाँ होने वाली क़ुदरती शर्मो-हया की वजह से दोनो को ही ये समझ नही आ रही थी। कि वो कैसे और किस तरह एक दूसरे को अपने दिल का हाल बताएँ और अपने अपने प्यासे जिस्मो की प्यास को एक दूसरे से बुझाएँ ।
रज़िया बीबी की ख्वाइश थी कि जिस तरह ज़ाहिद ने खुद पहल करते हुए अपनी बहन शाज़िया के साथ अपने जिस्मे ताल्लुक़ात का आगाज़ किया था। इसी तरह अब भी ज़ाहिद ही आगे बढ़ कर अपनी अम्मी के प्यासे वजूद को अपनी बाहों में भर कर रज़िया बीबी की प्यासी चूत को अपने मोटे लंड के पानी से शांत करे।
जब कि दूसरी तरफ ज़ाहिद एक तो अपनी बहन/बीवी शाज़िया से किए हुए वादे को तोड़ना नही चाहता था।
दूसरा ज़ाहिद को भी डर था कि कहीं वो अपनी अम्मी के जज़्बात को सही तरह से समझने में ग़लती तो नही कर रहा।
और अगर अपने जज़्बात में आ कर उस ने अंजाने में अपनी अम्मी से कोई ग़लत हरकत कर दी। जिस को उस की अम्मी रज़िया बीबी ने पसंद नही किया। तो फिर ज़ाहिद के लिए अपनी अम्मी का सामना करने की हिम्मत नही रहे गी।
इसीलिए एक ही छत के नीचे रहने के बावजूद अब ना चाहते हुए भी दो प्यासे बदन एक दूसरे से अलग रहने पर मजबूर हो रहे थे।
ज़ाहिद और उस की अम्मी रज़िया बीबी के जिस्मो में लगी हुई आग तो आहिस्ता आहिस्ता सुलग ही रही थी।
मगर उन के साथ साथ उस घर के तीसरे शख्स को भी उस की जवानी की आग ने बे चैन किए हुए था। और वो तीसरा शख्स कोई और नही बल्कि रज़िया बीबी की बेटी और ज़ाहिद की अपनी सग़ी बहन और बीवी शाज़िया ही थी।
जारी रहेगी