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Part 075
बहन की गान्ड चोदी
उधर कमरे में शाज़िया अपने भाई के हाथों नंगा होते ही बिस्तर पर बैठ गई।
शाज़िया के बिस्तर पर बैठते ही ज़ाहिद भी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया।
ज़ाहिद की पॅंट ज्यों ही उतरी उस का काले नाग जैसा लंड एक दम से अपना फन उठा कर खड़ा हो गया।
ज़ाहिद के मोटे और जवान लंड को यूँ खड़े हुए देख कर रज़िया बीबी और शाज़िया दोनो माँ बेटी के मुँह से एक साथ सिसकारी निकली "हाईईईईईईईई! "
और दोनो की फुद्दियो से पानी बारिश की बंडों की तरह हल्का हल्का बहने लगा।
ज़ाहिद के नंगा होते ही शाज़िया बिस्तर पर लेट गई। और उस ने बिस्तर पर लेटे लेटे अपने भाई ज़ाहिद को अपने नज़दीक आने का इशारा किया।
ज्यों ही अपनी बहन का इशरा पा कर ज़ाहिद अपनी बहन के नज़दीक गया। तो शाज़िया ने बिस्तर पर लेटते ही अपना एक पावं आगे किया और अपने भाई के तने हुए लंड पर ला कर रख दिया।
"लगता है आज कल आप के लंड में कुछ ज़्यादा ही सख्ती आ गई है भाई।" अपने भाई के लंड पर बहुत प्यार से अपने पावं का पंजा फिराते हुए शाज़िया ने कहा।
"जब मेरी अपनी बीवी अपने सरताज लंड से यूँ बे रूखी बरतेगी, तो गुस्से के मारे लंड आकड़े ही गा ना मेरी जान" अपनी बहन के पावं की गर्मी को अपने खड़े हुए लंड की नसों पर महसूस कर के ज़ाहिद सिसकारा।
"तो मुझे बताए कि में आप की नाराज़गी दूर करने के लिए क्या हल निकालूं भाई" शाज़िया अपने पावं को अपने भाई के लंड के नीचे हिस्से पर लाई। और ज़ाहिद के मोटे लंड के नीचे हिस्से पर अपने पावं की उंगलियों से ज़ाहिद के लंड का मसाज करने लगी।
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! मेरे लंड को राज़ी करने का एक ही तरीका है कि किसी तरह इस का पानी निकाल दो मेरी जान" अपने खड़े हुए लंड पर अपनी बहन के पाँव की मसाज का मज़ा पा कर ज़ाहिद फिर सिसकते हुए बोला।
"अच्छा आप भी क्या याद करो गे कि आप को कितनी अच्छी बीवी मिली है भाईईईईईईईईईईई!" कहते हुए शाज़िया ने अपने भाई के मोटे और बड़े लंड को अपने दोनो पाँव की गिरफ़्त में जकड़ा। और अपने पाँव को आहिस्ता आहिस्ता ज़ाहिद के सख़्त लंड पर रगड़ कर अपने पावं से अपने भाई की मूठ लगाने लगी।
"क्यों भाईईईईईईई! मज़ा आ रहा है" शाज़िया ने अपने पाँव से भाई के लंड को रगड़ते हुए पूछा।
"हहान्ंनननननणणन्! हाईईईईईईईईईई!,ओह,मेरी बहन के इन नरम पाँव का भीअलग स्वाद हाईईईईईईईईईईईई!,उफफफफफफफफफफ्फ़!" अपनी बहन से इस तरह का लंड मसाज पा कर ज़ाहिद मज़े से बे हाल हो गया।
शाज़िया चूँकि आज काफ़ी दिनो बाद अपने भाई के लंड से यूं खेल रही थी।
इसीलिए शाज़िया के नर्मो नाज़ुक पावं की गर्मी और मसाज के इस नये अंदाज़ की वजह से ज़ाहिद को अपने उपर कंट्रोल रखना नामुमकिन होता जा रहा था।
फिर ज़ाहिद के मुँह से एक दम से जोश भरी एक सिसकारी निकली। और इस के साथ ही ज़ाहिद ने आज पहली बार अपनी बहन के पाँव के दरमियाँ अपने गरम लंड का लैस दार पानी का फव्वारा खोल दिया।
कमरे के अंदर तो ज़ाहिद अपनी बहन के पैरों के दरमियाँ अपना वीर्य उडेल रहा था।
जब कि कमरे के बाहर कराई रज़िया बीबी की चूत में भी अपने जवान बेटे के इतने मोटे और सख़्त लंड को देख कर पानी आ गया।
मगर सोई किस्मत कि रज़िया बीबी अपने बेटे के लंड को यूँ छुप छुप कर देख तो सकती थी। लेकिन इस से आगे वो कुछ भी करने से मजबूर थी।
अपने बच्चो की ये सब गरम हरकतें देख कर रज़िया बीबी का पूरा बदन पसीने से भीग गया था।
रज़िया बीबी अपने दोनो जवान बच्चो की मस्ती भरा खेल देखने में इतनी मगन हो चुकी थी। कि उसे पता ही नही चला कि कब उस का एक हाथ खुद ब खुद उसके मोटे मम्मे पर जब कि दूसरा हाथ उस की शलवार के अंदर जा कर उस की गरम और प्यासी चूत के उपर जा टिका था।
रज़िया बीबी इस वक्त ना सिर्फ़ अपनी साँस रोके अपने बच्चो को देखने में मसरूफ़ थी। बल्कि साथ ही साथ वो एक हाथ से अपने बड़े मम्मे को अपने ही हाथ में ले के मसल रही थी।
साथ ही साथ रज़िया बीबी सेक्स की आग में तारपटे हुए अपने दूसरे हाथ की उंगली को अपनी छूट में अंदर बाहर कर के अपनी जिस्मानी आग को ठंडा करने की नाकाम कोशिश में भी लगी हुई थी।
उधर ज्यों ही ज़ाहिद के लंड से उस का पानी निकला तो शाज़िया चीक पड़ी "आप्प्प्प्प तो आज एक दम ही फारिग हो गे,अब मेरे जिस्म की प्यास कैसे बजे गी भाईईईईईईईईईईईई!"
"जब तुम इतने दिन मुझे अपनी चूत से महरूम रखो गी तो ये तो हो गा,लेकन तुम फिकर मत कर मेरी जान, अभी तुम्हारे भाई की ज़ुबान सलामत है,बस तुम ज़रा बिस्तर पर लेट कर घोड़ी तो बनो मेरी शहज़ादी" अपनी बहन को यूँ मायूष होता देख कर ज़ाहिद ने शाज़िया से फरमाइश की। और साथ ही साथ ज़ाहिद ने अपने लंड को हाथ में ले कर मसलना शुरू कर दिया।
"उफफफफफफफ्फ़ देखो तो सही, अपने लंड का पानी निकलने के बावजूद मेरे बेटे का लंड कैसे अकड कर खड़ा है, जब कि ज़ाहिद के अब्बू का लंड तो अपनी जवानी में भी, एक दफ़ा फारिग होने के बाद एक दम से मुरझा जाता था" कमरे के बाहर खड़ी रज़िया बीबी अपने बेटे के जवान लंड को यूँ अकडा देख कर हैरत जदा रह गई थी।
"अच्छा भाईईईईईई!" अपने जिस्म और फुद्दि की गर्मी के हाथों निढाल हो कर शाज़िया ने कहा।
और खुद बिस्तर पर उल्टी हो कर अपने भाई के सामने घोड़ी बन का लेट गई।
"उफफफफफफफफफफफ्फ़! क्या ज़ालिम गान्ड है मेरी बहन की" ज़ाहिद ने अपने सामने झुकी हुई शाज़िया की गान्ड की गोलाईयों को अपने दोनो हाथों में थामे हुए था।
और अपनी बहन की चौड़ी गान्ड की भारी पहाड़ियों को खोलते हुए पीछे से अपना मुँह आगे बढ़ा कर ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड के सुराख पर ढेर सारा थूक डाला और मज़े ले ले कर अपनी बहन कई गान्ड के सुराख को चाटने लगा।
"ओह भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई!" ज्यों ही ज़ाहिद की नोकिली ज़ुबान उस की बहन की गान्ड के सुराख से टकराई। तो मज़े की शिद्दत की वजह से शाज़िया सिसक उठी।
ज़ाहिद अब मज़े और जोश से अपनी बहन की गान्ड के सुराख को चाटने में मसरूफ़ था। और शाज़िया मज़े में पागल हो कर अपने भाई से कहे जा रही थी"आआआआआआ,ऊऊऊओ!,ज़ाहिद भाई ओर तेज़ करो ना प्ल्ज़। । मज़ा आ रहा है,चाटते रहो मेरी गान्ड्द्द्द्द्द्द! जनंननननननणन्नुऊऊु उउ!"
हालाकी ज़ाहिद एक दफ़ा अपने लंड का पानी निकाल चुका था। मगर इस के बावजूद उस के लंड की तसल्ली नही हुई थी।
अब अपनी बहन की गान्ड के सुराख पर अपनी ज़ुबान घुमाते वक्त शाज़िया के मुँह से फूटने वाली सिसकियाँ सुन कर ज़ाहिद का मज़ा और जोश बढ़ता जा रहा था।
"डॉक्टर ने तो चूत में लंड डालने से मना किया है,तो क्यों ना में अभी अपनी बहन की गान्ड में लंड डाल कर उसे चोद लूँ" अपनी बहन शाज़िया की गान्ड पर प्यार करते हुआ ज़ाहिद ने सोचा।
ये ख्याल ज़हन में आते ही ज़ाहिद अपना मुँह शाज़िया की गान्ड से हटा कर थोड़ा से उपर की तरफ उठा।
और हवा में उठी हुई अपनी बहन शाज़िया की गान्ड के सुराख पर अपना लंड रखते ही एक दम से झटका मारा। तो उस का मोटा और सख़्त लंड फिसलता हुआ उस की बहन शाज़िया की गान्ड में चला गया।
हवा में उठी हुई अपनी बहन शाज़िया की गान्ड के सुराख पर अपना लंड रखते ही एक दम से झटका मारा। तो उस का मोटा और सख़्त लंड फिसलता हुआ उस की बहन शाज़िया की गान्ड में चला गया।
"उफफफफफफफफफफफफफ्फ़! ये आप ने वादा खिलाफी की हाईईईईईईईईईईई! भाईईईईईईईईई!" अपने भाई के मोटे लंड को अपनी गान्ड में उतरते हुआ महसूस कर के शाज़िया चीखी। और दर्द के मारे शाज़िया ने अपना सर अपने सामने पड़े तकिया पर रख दिया।
"मेने चूत में लंड ना डालने का वादा किया था,जब कि मेने लंड तो तुम्हारी गान्ड में डाला है मेरी जान" ज़ाहिद अपनी बहन की बात सुन कर बे शर्मी से मुस्कुराया।
अपना लंड अपनी बहन की गान्ड में डालते ही ज़ाहिद ने शाज़िया के पेट के नीचे से अपना एक हाथ अपनी बहन की चूत के मोटे दाने पर रख कर शाज़िया की चूत के छोले को मसलना शुरू किया।
और साथ ही साथ अपनी बहन की गान्ड में ज़ोर से झटके भी मारने लगा।
रज़िया बीबी चूँकि पुराने ज़माने की औरत थी। इसीलिए अपनी पूरी शादी शुदा ज़िंदगी के दौरान अपने महरूम शोहर के साथ गान्ड चुदाई करना तो एक तरफ, रज़िया बीबी या उस के महरूम शोहर ने तो कभी इस बारे में सोचा तक नही था।
इसी वजह से उधर कमरे में ज्यों ही शाज़िया अपनी गान्ड में ज़ाहिद का लंड लेते हुए दरद और स्वाद के हाथों मजबूर हो कर चीखी।
तो दूसरी तरफ कमरे के बाहर खड़ी रज़िया बीबी को अपने बेटे और बेटी की गान्ड चुदाई का ये मंज़र इतना दिल कश और हैरत अंगैज़ लगा। कि अपनी बेटी की मोटी गान्ड में अपने जवान बेटे का सख़्त और बड़ा लंड जाता देख कर शाज़िया के साथ साथ रज़िया बीबी के मुँह से भी एक चीख सी निकल गई।
कमरे में मौजूद शाज़िया उस वक्त बे शक अपनी जवानी के मज़े में डूबी हुई अपने भाई से अपनी गान्ड मरवाने में मसरूफ़ थी।
मगर इस के बावजूद अपनी अम्मी रज़िया बीबी के मुँह से निकलने वाली चीख शाज़िया के कान में गूँज ही गई।
"ये कमरे के बाहर से किस की आवाज़ आई है" शाज़िया ने अपने भाई के मोटे लंड को अपनी भारी गान्ड के छोटे से सुराख में दबोचते हुए सोचा।
इस के साथ ही शाज़िया ने हैरान होते हुए अपने झुके हुए सर को उपर उठाया। और अपने सर को पीछे की तरफ मोड़ कर कमरे से बाहर देखने की कोशिस की।
ज्यों ही शाज़िया ने अपना सर घूमते हुए पीछे की तरफ मोड़ कर अपने कमरे से बाहर देखने की कोशिश की।
तो इसी लम्हे ज़ाहिद ने पीछे से अपना मुँह आगे किया। और अपनी बहन के चेहरे पर अपने होंठ रख कर अपनी बहन के गुदाज गाल चाटने लगा।
अपने भाई के प्यार और उस के ज़ोर दार झटकों ने दूसरे ही लम्हे शाज़िया के कान में गूंजने वाली चीख की आवाज़ को दबा दिया। और शाज़िया ने अपने भाई के जबर्जस्त लंड के आगे हार मानते हुए अपना सर दुबारा अपने सामने पड़े हुए तकिया के उपर रख दिया।
अब शाज़िया पीछे से अपनी गान्ड को मज़ीद उपर उठा कर अपने भाई का बड़ा लंड अपनी गान्ड की पहाड़ियों में ले कर चुदाइ का मज़ा लेने लगी।
ज़ाहिद जोश और मस्ती से अपनी बहन की मोटी गान्ड के सुराख को चोद चोद कर अब अपने मज़े की आखरी मंज़ल पर आन पहुँचा था।
इसीलिए कुछ ही देर बाद ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड के अंदर ही अपने लंड का पानी निकाल दिया।
ज्यों ही ज़ाहिद ने अपने लंड का पानी अपनी बहन की गान्ड में खारिज किया। तो इस के साथ ही उस ने शाज़िया की चूत के दाने पर चलती हुई अपनी उंगलियों का दबाब भी बढ़ा दिया।
अपनी चूत के दाने पर अपने भाई के हाथ की रगड़ ने शाज़िया को बे हाल कर दिया। और फिर दूसरे ही लम्हे शाज़िया भी झटके खाती हुई अपनी चूत का पानी छोड़ने लगी।
इधर कमरे में मजूद दोनो बहन भाई ने ज्यों ही अपने अपने जिस्मो का पानी रिलीस किया ।
तो कमरे के बाहर खड़ी को कर अपनी चूत में उंगली करती हुई उन की अम्मी रज़िया बीबी की चूत के सबर का पैमाना भी लबरेज हो गया। और रज़िया बीबी ने अपने मुँह से हल्की सी आवाज़ में "ज़ाहिद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड!" पुकारते हुए अपनी फुद्दि से भी पानी का फव्वारा छोड़ दिया। ।
उस वक्त रज़िया बीबी की चूत से इतना पानी निकला। कि रज़िया बीबी की चूत के पानी के चन्द कतरे रज़िया बीबी की टाँगों को भिगोते हुए नीचे फर्श (फ्लोर) पर गिर गये।
ये रज़िया बीबी,ज़ाहिद और शाज़िया की ज़िंदगी में पहला मोका था। जब एक बेटे,बेटी और उन की वल्दा ने एक ही घर में रहते हुए अपनी अपनी चूत और लंड का पानी एक साथ छोड़ा था।
फिर ज्यों ही शाज़िया का जोश ठंडा हुआ। तो उस ने जल्दी से अपने उपर पड़े अपने भाई को पीछे हटाया। और बिस्तर से उठ कर जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी।
"तुम्हें इतनी जल्दी क्यों है जान,ज़रा और रुक जाओ ना" ज़ाहिद ने जब शाज़िया को यूँ तेज़ी से अपने कपड़े पहनते देखा तो बोला।
"मुझे अभी बहुत काम करने हैं,और वैसे भी अम्मी अभी आने वाली होंगी भाई" शाज़िया ने जवाब दिया और अपने बिखरे बालों में कंघी करने लगी।
उधर ज्यों ही रज़िया बीबी की चूत की आग थोड़ी ठंडी हुई तो उसे भी थोड़ी होश आया।
और अपनी बेटी शाज़िया की तरह रज़िया बीबी भी अपने कपड़े ठीक करती दुबारा घर से बाहर निकल गई। ताकि उस के बच्चो को ये पता ना चले कि उन की अम्मी घर वापिस आ कर उन दोनो बहन भाई की चुदाई देख चुकी है।
जारी रहेगी