अम्मी बनी सास 082

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अम्मी के कमरे के अंदर का मंज़र
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Part 82 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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अम्मी बनी सास

PART 82

अम्मी के कमरे के अंदर का मंज़र

अब रज़िया बीबी अपने एक हाथ से अपने मोटे मम्मे के निपल को मसल रही थी।

जब कि दूसरे हाथ की उंगली को अपनी गीली फुद्दि के उपर रगड़ रगड़ कर अपनी गरम और प्यासी फुद्दि में लगी हुई चुदाइ की आग को अपने हाथ से ठंडा करने की कोशिश करने लगी।

अपने जिस्म की जिन्सी भूक के हाथों रज़िया बीबी इतनी मदहोश और मजबूर हो चुकी थी। कि लाख रोकने के बावजूद रज़िया बीबी के मुँह से सिसकारियाँ फूट फूट कर ना सिर्फ़ कमरे में बल्कि पूरे घर में गूंजने लगी थी।

इधर जिस वक्त रज़िया बीबी सब दुनिया से बे खबर अपनी पानी पानी होती चूत की आग को अपने हाथों से ठंडा करने की कोशिश में मसरूफ़ थी।

तो दूसरी तरफ उसी लम्हे शॉपिंग के लिए गई हुई शाज़िया भी अपने घर के सामने टॅक्सी में से उतरी।

शाज़िया के पास घर के दरवाज़े की चाभी थी। जिस को बाहर से भी खोला जा सकता था।

इसीलिए शाज़िया अपने घर के छोटे गेट का दरवाजा खोल कर अपने घर में दाखिल हो गई।

ज्यों ही शाज़िया अपने घर के टीवी लाउन्ज में आई। तो शाज़िया के कानों में किसी औरत की सिसकियों की आवाज़ सुनाई दी।

"कहीं ज़ाहिद भाई तो किसी गैर औरत को चोदने के लिए अपने साथ घर नही ले आए" दो दफ़ा सुहागन बनने की बदोलत शाज़िया इस किस्म की सिसकियो और आवाज़ों को बहुत अच्छी तरह जानती और पहचानती थी।

इस के साथ साथ शाज़िया ये बात अच्छी तरह जानती थी। कि आज कल अपनी बहन शाज़िया की फुद्दि ना मिलने की वजह से उस के भाई ज़ाहिद का लंड "फुद्दि" के लिए बहुत मचल रहा है।

इसीलिए शाज़िया ने ज्यों ही अपने घर के अन्द्रूनि हिस्से में से आती ये आवाज़ें सुनी।

तो बे इख्तियारी में शाज़िया का शक सब से पहले अपने भाई ज़ाहिद की तरफ गया।

ये ख्याल आते ही गुस्से से शाज़िया के दिमाग़ का पारा एक दम चढ़ गया।

शाज़िया ने जल्दी से ज़ाहिद भाई के लिए खरीदा हुआ गिफ्ट और केक टीवी लाउन्ज में ही रखा। और खुद दबे पावं चलते हुए घर के अंदर वाले हिस्से की तरफ चल पड़ी।

गुस्से में भरी हुई शाज़िया ज्यों ही अपनी अम्मी के कमरे के सामने पहुँची।

तो अपनी अम्मी के कमरे के अंदर का मंज़र देख कर शाज़िया के तो जैसे होश ही उड़ गये।

शाज़िया ने देखा कि कमरे के अंदर कोई गैर औरत नही बल्कि उस की अपनी सग़ी अम्मी बिल्कुल बदना (नंगी) हालत में बिस्तर पर पड़ी अपनी मोटी फुद्दि से बिल्कुल उसी तरह खेल रही थी।

जिस तरह अपनी तलाक़ के बाद रात की तेन्हाई में अक्सर शाज़िया अपने जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर हो कर अपनी चूत से खेला करती थी।

शाज़िया तो अपने जेहन में कुछ और ही सोच कर गुस्से की हालत में घर के अंदर की तरफ दौड़ी थी।

मगर अब अपनी अम्मी को इस नंगी हालत में देख कर ना सिर्फ़ शाज़िया के कदम फर्श (फ्लोर) पर जाकर से गये।

बल्कि उस के दिल में जनम लेने वाला गुस्सा भी रफू चक्कर हो गया।

शाज़िया ने देखा कि उस की अम्मी रज़िया बीबी बिस्तर पर कुछ इस हालत में लेटी थी। कि रज़िया बीबी का सर कमरे की दीवार की तरफ था। जब कि रज़िया बीबी के पैर कमरे के दरवाज़े की तरफ थे।

अपनी आँखे बंद कर के बिस्तर पर इस स्टाइल में लेटने की वजह से रज़िया बीबी दरवाज़े पर खड़ी अपनी बेटी शाज़िया को तो नही देख पा रही थी।

मगर कमरे से बाहर खड़ी शाज़िया को अपनी अम्मी के तेरबूज़ की तरह मोटे मोटे मम्मे,अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि और उस पर तेज़ी से चलती हुई रज़िया बीबी की उंगलियाँ बहुत वज़िया नज़र आ रही थी।

शाज़िया अभी अपनी साँसे रोके अपनी अम्मी को अपने मोटे फुद्दे और जिस्म से खेलता देख ही रही थी। कि इतने में शाज़िया के कानों में अपनी अम्मी की आवाज़ पड़ी "ओह्ह्ह ज़ाहिद के अब्बू क्यों छोड़ गये है आप मुझे इस दुनिया में अकेला,अब आप ही बताओ,में अपनी इस प्यासी चूत की आग को कैसे ठंडा करू,मेरी ये प्यासी चूत तो आज भी लंड के लिए तड़प रही है आहह उईईईईई ऊऊओ मेरी माआ"

शाज़िया तो मार्केट में ही अपने भाई ज़ाहिद से बात कर के काफ़ी गरम हो चुकी थी।

और अब अपने घर वापिस आ कर अपनी अम्मी को यूँ पहली बार अपनी आँखों के सामने अपनी फुद्दि से खेलता देखने का ये मंज़र शाज़िया के जिस्म में एक अजीब सी गर्मी पैदा कर चुका था।

इसीलिए शाज़िया ने ज्यों ही अपनी सग़ी अम्मी के मुँह से "लंड और चूत" के इलफ़ाज़ पहली बार निकलते हुए सुने।

तो शाज़िया को भी एक दम जोश आया और उस का अपना हाथ भी खुद ब खुद अपनी प्यासी और गरम "हमला" फुद्दि तक आन पहुँचा।

अपनी अम्मी की देखा देखी शाज़िया ने भी अपनी मोटी फुद्दि को अपने हाथ में जकड़ा और अपनी अम्मी के साथ ताल से ताल मिलाते हुए अपनी शलवार के उपर से अपनी फुद्दि को मसलने लगी।

"हाईईईईईईईईईईईई! अम्म्म्ममममममी!" ज्यूँ ही शाज़िया की उंगलियाँ उस की गरम फुद्दि पर चलीं। तो अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि पर नज़रें जमाते हुए शाज़िया के मुँह से एक सिसकारी फूटी।

इधर ज्यों ही अपनी अम्मी रज़िया बीबी की तरह शाज़िया भी कमरे के बाहर खड़े हो कर अपनी फुद्दि से खेलने में मसरूफ़ हुई।

तो दूसरी तरफ कमरे में मौजूद रज़िया बीबी अपने मम्मे पर फिसलते हुए हाथ को भी अपनी फुद्दि पर लाई।

और शाज़िया के देखते ही देखते रज़िया बीबी ने अपने दोनो हाथों से अपनी फुद्दि के होंठों को पकड़ कर पूरा खोल दिया।

ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी फुद्दि के फूले हुए होंठो को अपने हाथों से पकड़ कर खोला।

तो कमरे के बाहर खड़ी शाज़िया को अपनी सग़ी अम्मी के मोटे और प्यासी फुददी को पूरा अंदर तक देखने का मोका मिल गया।

"ओह! मेरी अम्मी की फुद्दि कितनी मज़े दार और प्यारी हाईईईईईईईईईईईई!" शाज़िया ने ज्यों ही अपनी अम्मी के मोटे फुद्दे को पहली बार यूँ पहली बार अपनी आँखों के सामने खुलता देखा।

तो अपनी अम्मी की पानी छोड़ती गरम फुद्दि का अन्द्रूनि पिंक हिस्सा देख कर शाज़िया के मुँह में पानी आ गया। और इस के साथ ही बे इख्तियारि में शाज़िया की ज़ुबान उस के अपने होंठो पर फिरने लगी।

आज अपनी अम्मी के मोटे नंगे मम्मो और खास तौर पर अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि को देख कर यूँ एक दम से अपनी चूत का पानी छोड़ने पर शाज़िया खुद भी हैरान थी।

लेकिन शाज़िया का आज अपनी ही अम्मी के लिए यूँ एक दम गरम होने की वजह ये थी। कि एक तो हमाल ठहरने के बाद शाज़िया को अपने भाई ज़ाहिद का लंड मिलना बंद हो गया था।

दूसरी और मेन वजह ये थी। कि अपनी पहली शादी से ले कर अपने पहले शोहर से तलाक़ के बाद तक तो शाज़िया ये ही समझती रही थी। कि सिर्फ़ एक मर्द ही एक औरत को जिन्सी सकून पहुँचा सकता है।

मगर नीलोफर के साथ अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम होने के बाद शाज़िया को भी अंदाज़ हो गया था। कि लिसेबियन चीज़ की कोई बला भी इस दुनिया में मौजूद होती है।

फिर अपने भाई ज़ाहिद के साथ चुदाई से पहले तक नीलोफर ने शाज़िया की चूत को कई बार चाट चाट कर शाज़िया को लज़्जत की उन मंज़िलों तक पहुँचाया था।

जिन तक पहुँचने का शाज़िया ने अपनी पहली शादी शुदा ज़िंदगी में कभी तसव्वुर तक नही किया था।

नीलोफर से अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम होने के बाद शाज़िया को शुरू में तो अपनी सहेली की चूत को चाटना पसंद नही आया था।

मगर वक्त गुज़रने के साथ साथ शाज़िया की ज़ुबान को भी अपनी सहेली नीलोफर की चूत का कुछ ऐसा नशा चढ़ा। के उस के बाद तो शाज़िया अपनी सहली की फुद्दि की आशिक़ ही बन गई।

अब अपने भाई ज़ाहिद से शादी और फिर नीलोफर के मलेशिया चले जाने के बाद शाज़िया नीलोफर की चूत की खुश्बू,लज़्जत और चूत के नमकीन पानी को बहुत मिस कर रही थी।

इसीलिए आज इतने महीने बाद जब शाज़िया ने अपनी ही सग़ी अम्मी की गरम और मोटी फुद्दि को अपनी आँखों के सामने यूँ खुलता देखा। तो अपनी अम्मी के इस हसीन फुद्दि को देख कर शाज़िया के मुँह मे पानी भर आया।

"मेरे पास लंड तो नही, मगर में अपनी अम्मी की फुद्दि को चाट कर अपनी ज़ुबान से तो अम्मी की चूत को सकून दे ही सकती हूँ ना, और इस तरह अम्मी की फुद्दि के साथ साथ मेरी गरम ज़ुबान भी ठंडी हो जाएगी। " अपनी अम्मी की पानी छोड़ती फुद्दि के मोटे और फूले होंठो को देख कर शाज़िया के दिल में ये ख्याल आया।

आज अपनी ही अम्मी के उस मोटी फुददी को देख कर ना सिर्फ़ शाज़िया अपने होश-ओ-हवस खो बैठी।

बल्कि अपनी अम्मी की गरम चूत देख कर शाज़िया के मुँह से राल भी टपकने लग पड़ी थी।

अपनी आँखों के सामने मचलती हुई अपनी अम्मी की चूत को देख कर शाज़िया को अपने उपर कोई कंट्रोल नही रहा। तो फिर बिजली की तेज़ी के साथ शाज़िया ने अपने जिस्म से सारे कपड़े उतार फैंके।

अपने घर के बरांडे में बिल्कुल नंगी होते ही शाज़िया दबे पाँव अपनी अम्मी के कमरे में दाखिल हुई। और आहिस्ता आहिस्ता चलती हुई बिस्तर पर अपनी आँखे बंद किए पड़ी हुई अपनी अम्मी के पास खड़े हो कर खामोशी से अपनी अम्मी के मोटे और भारी वजूद का करीब से जायज़ा लेने लगी।

रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया की कमरे में मौजूदगी से बे नियाज़ अपनी आँखे मून्दे (क्लोज़ किए) अपनी गरम फुद्दि से खेलने में मसरूफ़ थी।

"उफफफफफफफफफ्फ़! मेरी अम्मी के मम्मे तो मुझ से भी बड़े हैं,ओह देखूऊऊ! तो मेरी अम्मी के डार्क ब्राउन निपल्स भी कैसे खड़े हुए हैं,और्र्र्र्ररर! सब्बब्बबब! से बढ़ कर मेरी अमिीईईईईईई! की ये मोटी फुद्दीईईईईई! कितनी प्यारी है, जिस की खूबसूरती और ताज़गी तो 5 बच्चे निकालने के बाद भी अभी तक मंद नही पाडिइईईईईईई"। बिस्तर पर लेटी रज़िया बीबी की खुली टाँगों में से अपनी अम्मी के गुदाज और भारी मम्मो और फूले होंठो वाली पानी छोड़ती फुद्दि को देख कर शाजिया ये बात सोचते हुए साथ ही साथ अपनी नंगी चूत में भी उंगली भी मार रही थी।

"हाईईईईईईईईईईईई! अम्मी की चूत का पानी तो उन की फुद्दि से बह बह कर बिस्तर पर ज़ाया हो रहा है, मुझे चाहिए कि में आगे बढ़ुँ और अपनी अम्मी की फुद्दि से अपना मुँह लगा कर अपनी अम्मी के इस बहते झरने का सारा पानी अपने अंदर जज़ब कर लूँ। " अपनी मोटी फुद्दि पर अपनी उंगली को तेज़ी से रगड़ते हुए शाज़िया ने सोचा।

अभी शाज़िया अपनी इस सोच में ही मगन थी। कि इतने में रज़िया बीबी मज़ीद गरम होते हुए अपने दोनो हाथों को अपने बड़े बड़े चुचों (मम्मो) पर लाई।

और अपने दोनो मोटे और भारी मम्मो को अपने हाथों में ले कर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगी। इस सारे अमल के दौरान रज़िया बीबी की आँखे बदस्तूर बंद थी।

अब नीचे से रज़िया बीबी की गरम और प्यासी फुद्दि अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ उस की बेटी शाज़िया की नज़रों के सामने खुली पड़ी थी।

ये शाज़िया के लिए बहुत सुनहरी मोका था। जब वो अपनी अम्मी की प्यासी फुद्दि को अपनी नुकीली ज़ुबान से ठंडा कर सकती थी।

इसीलिए इस मोके को गनीमत जानते हुए शाज़िया नीचे झुकी और बहुत आहिस्ता से अपनी अम्मी की टाँगों के दरमियाँ बैठ कर शाज़िया ने ज्यों ही अपने मुँह को अपनी अम्मी के मोटी फुद्दी के नज़दीक किया। तो रज़िया की पानी छोड़ती मोटी फुद्दी की खुसबू दार महक शाज़िया के नथुनो में समा गई।

"उफफफफफफफ्फ़! अम्मी की चूत की ये खुसबू कितनी मज़ेदार हाईईईईईईईई!" अपनी अम्मी की चूत की खुसबू को सूंघते हुए शाज़िया ने अपनी अम्मी की फूली हुई चूत पर हाथ फेरा। और झुक कर एक दम अपनी अम्मी की पानी पानी होती गरम फुद्दी पर अपने गरम होन्ट चिस्पान कर दिए।

शाज़िया के गरम होन्ट ज्यों ही अपनी अम्मी की गीली चूत से टच हुए। तो अपनी अम्मी की चूत के बहते पानी से शाज़िया के होंठ पूरी तरह तर हो गये।

"ओह कूऊऊऊऊओन! हो तूमम्म्ममममममममम!"ज्यों ही शाज़िया ने अपनी अम्मी की चूत के मोटे लिप्स को अपने मुँह में भरा।

रज़िया बीबी एक दम घबरा कर अपने बिस्तर से एक फुट उपर की तरह उछली। और अपने जिस्म को छुपाने के लिए बिस्तर की चादर को अपने उपर लेने की कोशिश करने लगी।

"शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स! ये क्या गंदी हरकत कर रही हो तुम मेरे साथ बेटी?" रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपना सर उठा कर अपनी टाँगों के दरमियाँ देखा। तो अपनी बेटी शाज़िया को अपनी फुद्दि पर मुँह मारता देख कर रज़िया बीबी ने तो होश ही उड़ गये।

"एक औरत होने के नाते जिस्म की गर्मी को में अच्छी तरह समझती हूँ। इसीलिए आप परेशान ना हों,में अभी कुछ ही देर में आप की प्यासी चूत को ठंडा कर दूंगी अम्मी। " शाज़िया ने अपने मुँह को अम्मी की चूत से थोड़ा सा हटाया। और अपने होंठो पर लगे हुए अपनी अम्मी की गरम चूत के नमकीन पानी पर अपनी नुकीली ज़ुबान फेरते हुए बोली।

दूसरे ही लम्हे शाज़िया ने अपनी अम्मी के जिस्म पर पड़ी चादर को अपने हाथ में पकड़ा। और एक ही झटके में अपनी अम्मी के जिस्म से चादर खैंच कर अपनी अम्मी के मोटे जिस्म को दुबारा से पूरा नंगा कर दिया।

"तुम ये सब कययययययययययययययययया! आआआअ! कर रही हो मेरे साथ शाज़िया?" अपने जिस्म को अपनी बेटी के हाथों दुबारा नंगी पा कर रज़िया बीबी चीखी।

"में जानती हूँ कि जिस तरह मेरी तलाक़ के बाद मेरी ज़िंदगी बे रोनक हो गई थी। इसी तरह अब्बू की मौत के बाद आप की ज़िंदगी और चूत भी खुशक हो गई है अम्मी। आप ने मुझे तो अपने ही भाई की दुल्हन बना कर, मुझे अपने ही भाई के मोटे लंड से मज़ा लेने का मोका अता कर दिया,मगर मेरे बदकास आप अभी तक चुदाई के मज़े से महरूम हैं। इसीलिए आज में खुद अपने हाथों और मुँह से आप को भी चुदाई का मज़ा देना चाहती हूँ अम्मी। " शाज़िया इतनी सारी बातें एक ही साँस में अपनी अम्मी से कह गई।

शाज़िया अपनी जिन्सी भूक के हाथों मजबूर हो कर आज एक बार फिर अपने और अपनी अम्मी के दरमिया कायम माँ बेटी के रिश्ते को ना सिर्फ़ बुला बैठी थी।

बल्कि अब एक दफ़ा अपनी ज़ुबान पर अपनी अम्मी की गरम फुद्दि के पानी का नमकीन ज़ायक़ा पाते ही शाज़िया पागल हो के इस तरह की बहकी बहकी बातें करने लगी थी।

जारी रहेगी

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