अम्मी बनी सास 083

Story Info
शाज़िया ऐसा मत करो.
1.8k words
4.89
228
00

Part 83 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

अम्मी बनी सास

PART 83

शाज़िया ऐसा मत करो

"ये क्या बकवास कर रही हो तुम, जानती हो ना कि में तुम्हारी माँ हूँ शाज़िया!" अपनी बेटी शाज़िया को अपने जिस्म की प्यास और चूत की गर्मी के मुतलक पहली बार यूँ खुल्लम खुल्ला बात करते सुन कर रज़िया बीबी सकते में आ गई। और फिर रज़िया बीबी अपना एक हाथ अपने बड़े मम्मे और दूसरे हाथ को अपनी चूत पर रख कर अपने हाथों से अपने मम्मे और फुद्दि को ढँकने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली।

"आप को याद है कि ज़ाहिद भाई से मेरी सुहाग रात के बाद आप ही ने मुझे कहा था कि नीलोफर की तरह में आप को भी एक सहेली ही समझू, इसी लिए में अब आप को एक सहेली की तरह ही तो कह रही हूँ, कि मेरे होते हुए आप को अब यूं तड़पने की ज़रूरत नही है, जिस तरह नीलोफर ने मेरी सहेली बन कर कभी मेरी फुद्दि की प्यास बुझाई थी, उसी तरह में भी आज आप की चूत की आग को अपने हाथों से ठंडा कर दूं गी अम्मी जी" ये कहते हुए शाज़िया ने रज़िया बीबी की चूत पर रखा हुआ हाथ हटाया।

और दुबारा से अपने मुँह को अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि पर रख कर अपनी अम्मी की चूत के मुलायम होंठो के अंदर अपनी गरम ज़ुबान फेरने लगी।

"आआआआआहह! हमम्म्ममममममममममम! शाज़िया यह बहुत गंदा कम्म्म्ममममममम!हाईईईईईई! मेरी बचिईीईईईईईईईई। " रज़िया बीबी शाज़िया को रोकने की कोशिश करने के दौरान सिसकारिया भरते हुए कहने लगी।

रज़िया बीबी चूँकि एक पुराने दूर की औरत थी। इसीलिए अपने मरहूम शोहर से शादी के बाद रज़िया बीबी सिर्फ़ ये जानती थी। कि जब भी ज़ाहिद के अब्बू का लंड खड़ा होता। तो वो रात को अपनी बेगम रज़िया बीबी को अक्सर पूरा नंगा किए बगैर सिर्फ़ उस की शलवार ही उतार कर अपना काम पूरा कर लेते। और फिर थोड़ी देर में ही थक कर सो जाते।

ज़ाहिद के अब्बू ने अपनी पूरी ज़िंदगी रज़िया बीबी की चूत में अपनी ज़ुबान फेरना तो दर किनार, काफ़ी दफ़ा तो अपनी उंगली भी रज़िया बीबी की चूत में नही डाली थी।

इसीलिए रज़िया बीबी की ज़िंदगी में ये पहला मोका था जब कोई मर्द नही बल्कि उस की अपनी सग़ी बेटी शाज़िया अपनी अम्मी की फुद्दि को मज़े ले ले कर चाटने में मसगूल थी।

रज़िया बीबी अपनी ही बेटी को अपनी चूत से चिप्टा देख कर बहुत शरम महसूस कर रही थी। और उस का दिल चाह रहा था कि वो अपनी बेटी शाज़िया को अपनी फुद्दि चाटने से मना कर दे।

मगर शाज़िया की गरम ज़ुबान किसी काले नाग की तरह अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि को इस तेज़ी से डॅंक मार रही थी। कि रज़िया बीबी अपनी बेटी की ज़ुबान और मुँह के आगे अब हर मानने लगी थी।

शाज़िया ने इस से पहले अपनी सहेली नीलोफर की गरम फुद्दि कोई कई बार चूसा और चाटा था।

मगर शाज़िया को इतना मज़ा तो कभी नीलोफर की फुद्दि चाटने में नही आया था।

जितना मज़े उसे आज अपनी ही सग़ी अम्मी की फुद्दि को चाटने में आ रहा था।

इस की वजह शायद ये रही हो गी कि नीलोफर तो सिर्फ़ शाज़िया की सहेली थी।

जब कि शाज़िया आज जिस चूत को चाटने में इतना मज़ा और सवा महसूस कर रही थी। वो कोई आम चूत नही बल्कि उस की अपनी ही सग़ी अम्मी की फुद्दि थी।

शाज़िया ने अपने दोनो हाथो से अपनी अम्मी रज़िया बीबी की चूत को फैलाया। और फिर अपनी अम्मी की चूत की तह में अपनी नुकीली ज़ुबान डाल कर अपनी अम्मी की मोटी फुददी के पानी पीने लगी।

"हाईईईईईईईईईई! शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्सा! आआआआहह!, बेटी मुझे तो आज तक पता ही नही चला कि ये ज़ुबान भी इतने कमाल की चीज़ है, जो मर्द के लंड से ज़्यादा मज़ा दे सकती है, और वो भी तब जब एक औरत दूसरी औरत की चूत को चाट्ती है, ओह चाटो और चाटो म्म्म्म! मममममम!बहुत मज़ा आ रहा है मुझे " अपनी बेटी शाज़िया को गर्मजोशी के साथ अपनी चूत का पानी पीते देख कर रज़िया बीबी को बहुत मज़ा आ रहा था। और इस मज़े की शिद्दत से वो अपने आप को हवा में उड़ता हुआ महसूस करने लगी थी।

(वैसे ये ज़ालिम चूत चीज़ ही ऐसी है कि इसे लाख अपना हाथ लगाओ कुछ नहीं होता। लेकेन किसी और के जिस्म का कोई भी हिस्सा औरत की चूत को छू जाए। तो उस के पूरे जिस्म में बिजली सी दौड़ जाती है। ये ही हॉल इस वक्त रज़िया बीबी का भी था। जो कि अब अपनी बेटी शाज़िया की गरम ज़ुबान के चाटने की वजह से पागल होने लगी थी। )

(वैसे ये ज़ालिम चूत चीज़ ही ऐसी है कि इसे लाख अपना हाथ लगाओ कुछ नहीं होता। लेकेन किसी और के जिस्म का कोई भी हिस्सा औरत की चूत को छू जाए। तो उस के पूरे जिस्म में बिजली सी दौड़ जाती है। ये ही हॉल इस वक्त रज़िया बीबी का भी था। जो कि अब अपनी बेटी शाज़िया की गरम ज़ुबान के चाटने की वजह से पागल होने लगी थी। )

रज़िया बीबी की चूत से उस की फुद्दि का पानी बारिश की बूदों की मानिंद टपक रहा था। और शाज़िया अपनी अम्मी की चूत के नमकीन स्वाद वाले पानी को चाटे जा रही थी।

अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि को चाटते चाटते शाज़िया को ना जाने क्या सूझी। कि उस ने एक लम्हे के लिए अपनी अम्मी की फुद्दि से अपना मुँह हटाया।

और फिर अपनी दो उंगलियों को एक साथ जोड़ते हुए दोनो उंगलियाँ एक दम से अपनी अम्मी की मोटी फुद्दी में डाल दीं। और फिर साथ ही अपने दूसरे हाथ को अपनी अम्मी की चूत के मोटे देने पर रख कर अपने हाथ के अंगूठे से अपनी अम्मी की चूत के छोले को मसल्ने लगी।

ज्यों ही शाज़िया की उंगलियाँ रज़िया बीबी की फुद्दि में दाखिल हुईं। तो आज इतने सालों बाद किसी और की उंगलियों को अपनी चूत की गहराई में पा कर मज़े के मारे रज़िया बीबी का मुँह खुल गया और वो चल उठी "आआआआआआअहह!,ओह! शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स!"

इस के साथ ही रज़िया बीबी अपने हाथों को अपने मोटे मोटे पुश्ठो (मम्मो) पर ले गई। और उस ने अपने हाथों से अपने ही निपल को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया था।

असल में शाज़िया के मुँह और हाथों की हरकतों ने रज़िया बीबी के जिस्म में एक नई किस्म की जिन्सी भूक पेदा कर दी थी।

जिस की वजह से रज़िया बीबी के जिस्म की मस्ती अब अपने पूरे शबाब पर थी। और इस मस्ती की अपनी एक अलग ही दुनिया थी।

शाज़िया ये ही हरकत इस से पहले भी कई बार अपनी सहेली से कर चुकी थी।

मगर आज अपनी ही अम्मी के साथ ये हरकत दोराहने और इस पर अपनी अम्मी का रियेक्शन देख कर शाज़िया की अपनी फुद्दि भी नीचे से पानी छोड़ने लगी।

तो शाज़िया अपनी अम्मी की चूत के दाने पर फिसलते हुए अपने हाथ को अम्मी की चूत से हटा कर अपनी अम्मी की छाती पर ले गई।

और अपनी अम्मी को एक मम्मे को नीचे से पूछ करते अपने हाथ से अपनी अम्मी के मम्मे को अपनी अम्मी के मुँह के बिल्कुल नज़दीक ले गई।

"अम्मी आप अपना मुँह खोल कर अपने मम्मे को मुँह में डालो, और अपनी ज़ुबान के साथ अपने निपल को सक करो" शाज़िया ने अपने हाथ से अपनी अम्मी के गुदाज मम्मे को अपनी अम्मी के मुँह की तरफ देखते हुए रज़िया बीबी से कहा।

रज़िया बीबी तो अपनी चूत की प्यास के हाथों मजबूर हो कर अपनी सूझ बूझ गवाँ बैठी थी। और वो अब अपनी ही बेटी के हाथों में एक खिलोने की तरह खेलने में खुशी महसूस करने लगी थी।

इसीलिए रज़िया बीबी ने बिना कुछ सोचे अपना मुँह खोला। और अपनी लंभी ज़ुबान को अपने मुँह से बाहर निकाल कर अपने भारी मम्मे के तने हुए डार्क पिंक कलर के मोटे निपल को हलका सा छुआ।

"ओह"अपनी ज़ुबान से अपने निपल को छूने में रज़िया बीबी को बे इंतहा मज़ा आया कि वो बे इख्तियार सिसकने लगी।

"शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्सस्स! तुम ने क्याआआआअ! जदूऊऊऊऊ! कर दिया है मुझ पर मेरी बचिईीईईईई!" रज़िया बीबी को आज अपना ही मम्मा और निपल सक करना इतना अच्छा लगा कि वो मज़े से चिल्ला उठी। ।

और फिर वो अपने मम्मे को अपने मुँह में भर कर अपनी ज़ुबान से अपना निपल और उस के इर्द गिर्द के गुलाबी हिस्से को पागलों की तरह खुद ही चाटने लगी।

शाज़िया ने ज्यों ही आज अपनी अम्मी को यूँ अपना ही मोटे मम्मे सक करते देखा तो उस ने भी मज़ीद गरम होते हुए अपनी अम्मी की चूत को दाखिल अपनी उंगलियों की स्पीड बढ़ा दी। और अपनी उग्लियों से अपनी ही अम्मी की फुद्दि को ऐसे चोदने लगी। जैसे एक लंड किसी फुद्दि को चोदता है।

इस के साथ ही शाज़िया ने अपना मुँह फिर से आगे किया और अपनी अम्मी की चूत के दाने को फिर से अपने मुँह में भर लिया।

रज़िया बीबी तो अपनी बेटी की ज़ुबान और हाथों की छेड़ छाड़ से पहले ही बहुत गरम हो चुकी थी।

इसीलिए ज्यों ही शाज़िया ने रज़िया बीबी की चूत के छोले को अपने मुँह में भरा। तो रज़िया बीबी की चूत का बाँध टूट गया।

"ओह मेरी बचिईीईईईईईईईईई! में फारिग होने लगी हूँ" कहते हुए रज़िया बीबी ने अचानक अपने एक हाथ को नीचे ला कर उसे शाज़िया के सर पर रखा। और शाज़िया के मुँह को अपनी चूत पर ज़ोर से दबा दिया।

इस के साथ ही रज़िया बीबी के जिस्म मे झटके ले लेकर काँपने लगा। और उस ने अपनी चूत का सारा पानी पहली बार अपनी ही बेटी के मुँह में खारिज कर दिया।

"ओह अमिीईईईईईईई! आप की चूत तो पूरी झरना (वॉटर फॉल) बन गई है, देखिए कितना रस छोड़ रही है आप की फुद्दिईईईईई। " ज्यों ही शाज़िया ने अपने मुँह में अपनी ही अम्मी की चूत का पानी बारिश के कतरो की तरह बूँद बूँद बन कर आते हुए महसूस किया। तो उस ने भी नीचे से अपना मुँह पूरी तरह खोला। और अपनी अम्मी की चूत का रस चूस चूस कर अपने मुँह में भर लिया।

"उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! अम्म्मी अपनी फुद्दि का पानी तो शायद (होने) से भी ज़्यादा मीठा और मज़े दार है" ज्यों ही रज़िया बीबी के जिस्म ने झटके लेना बंद किया। तो शाज़िया ने अपनी अम्मी की मोटी थाइस पर अपनी ज़ुबान रगड़ते हुए कहा।

शाज़िया अब अपनी अम्मी की मोटी रानों पर अपनी ज़ुबान को आहिस्ता आहिस्ता घुमाते हुए अपना मुँह अपनी अम्मी के मोटे और थोड़ा सा बाहर को निकले हुए पेट की तरफ ले जाने लगी।

"ओह्ह्ह्ह!,हाहहााआअ!,शाज़िया ऐसा मत करो, मुझे गुदगुदी हो रही है बेटी" ज्यों ही शाज़िया की गरम ज़ुबान ने अपनी अम्मी के पेट को छुआ। तो रज़िया बीबी को मज़े के साथ साथ एक दम से थोड़ी हँसी भी आ गई।

"हााहह अम्मी मेरा दिल कर रहा है,कि में आज आप के जिस्म के एक एक हिस्से को खा जाऊं" अपनी अम्मी के पेट और खास तौर पर नाफ़ (नेवेल) के आस पास के हिस्से पर अपनी गरम ज़ुबान फेरने के दौरान शाज़िया अपनी अम्मी के मोटे के मोटे गोश्त को अपने दाँतों में ले कर हल्का हल्का काट भी रही थी।

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

Sorority Coach, Daughter's Body Mom hires consultant to make daughter a sorority girl.in Lesbian Sex
A BDSM Family Brian meets the in-laws.in Fetish
Trading Chloe Mother uses daughter to keep relationship.in NonConsent/Reluctance
Broadmoor's Haughty Headmistress A student reprograms Broadmoor's abusive principal.in Mind Control
S.L - The Matriarch Pt. 01 Fatema has enough of her lazy daughter's behaviour.in NonConsent/Reluctance
More Stories