अम्मी बनी सास 085

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लज़्जत भरी आवाज़.
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Part 85 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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अम्मी बनी सास

PART 085

शाज़िया की लज़्जत भरी आवाज़

इधर जिस वक्त शाज़िया ने अपनी अम्मी के मुँह की गरमाइश को अपनी चूत पर महसूस कर के ज़ोर की सिसकी ली।

ठीक उसी वक्त ज़ाहिद अपने घर का छोटा गेट खोल कर अपने घर के अंदर दाखिल हुआ।

वैसे तो ज़ाहिद अब से कुछ टाइम पहले अपनी बहन शाज़िया को तो आज रात घर लेट आने का कह चुका था।

मगर अपनी बहन शाज़िया से ये बात कहने के बाद ही ज़ाहिद को एक पोलीस कॉन्स्टेबल से पता चला। कि एसएचओ साब ने जिस काम के लिए ज़ाहिद को आज रात देर तक रुकने का कहा था। वो काम अब अगले वीक तक लेट हो गया। इसीलिए एसएचओ साब ने ज़ाहिद को आज के लिए फ्री कर दिया है।

ज़ाहिद को अब अपने थाने में खास मसरूफ़ियत तो थी नही। इसीलिए वो थाने से निकल कर अपने घर चला आया।

अपने घर में दाखिल होते ही ज़ाहिद के कान में शाज़िया की सिसकी भरी आवाज़ पड़ी। तो शक के मारे शाज़िया की तरह ज़ाहिद के भी कान खड़े हो गये।

"ज़रा जा कर देखूं तो सही,कि आज मेरे घर में क्या तमाशा चल रहा है" ज़ाहिद ने शाज़िया की सिसकी सुनते ही सोचा।

और फिर अपनी बहन शाज़िया की तरह वो भी दबे पाँव घर के अंदर की तरफ चल पड़ा।

जिस वक्त ज़ाहिद अपने घर के अंदर पहुँचा। तो उस ने देखा कि उस की अम्मी के कमरे के अंदर उस की बहन शाज़िया अपनी आँखे बंद किए बिस्तर पर बिल्कुल नंगी लेटी हुई है।

जब के उस की सग़ी अम्मी रज़िया बीबी उस की बहन शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ झुक कर अपनी ही सग़ी बेटी की गरम चूत को चाटने में मसरूफ़ है।

ज़ाहिद ने देखा कि उस की अम्मी रज़िया बीबी के इस तरह आगे को झुक कर अपनी बेटी शाज़िया की चूत को चाटने के अमल के दोरान उस की अम्मी की मोटी और भारी गान्ड पीछे से उपर को उठी हुई थी।

जिस की वजह से रज़िया बीबी के गान्ड के मोटे चूतड़ पीछे से फैल कर मज़ीद चौड़े हो गये थे।

"मुझ से शादी से पहले तो शाज़िया अपनी सहेली नीलोफर से अपनी फुद्दि चटवाती रही है, अब नीलोफर के जाने के बाद,लगता है शाज़िया ने अम्मी को भी इसी राह पर लगा दिया है शायद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड!" ज़ाहिद को शाज़िया और नीलोफर के आपस में लेस्बियन तलोकात का तो बहुत अच्छी तरह ईलम था।

मगर अपनी अम्मी और बहन को आपस में ही अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने का ख्याल तो ज़ाहिद के ख्वाब में भी कभी नही आया था।

इसीलिए उसे आज अपनी अम्मी को यूँ मस्त हो कर अपनी ही बेटी की फुद्दि ख़ाते देख कर बहुत हैरत हुई।

अपनी अम्मी के कमरे के अंदर अपनी बहन/बीवी और अपनी सास/अम्मी का आपस में जिस्मानी खेल देख कर एक लम्हे के लिए ज़ाहिद के हाथों के तोते तो उड़ गये।

मगर दूसरे ही लम्हे लटक कर बिस्तर की चादर से टच होते अपनी अम्मी के मोटे मम्मे और पीछे से हवा में उठी हुई अपनी अम्मी की भारी गान्ड की चौड़ी फांकों को देख कर ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में फनफना उठा।

"आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज! कुछ भी हो जाए आज में शाज़िया के सामने ही अम्मी के नाम की मूठ लगा कर रहूं गा" ज़ाहिद ने बेचैनी से अपनी पॅंट में खड़े लंड पर अपना हाथ पकड़ते हुए सोचा।

इस के साथ ही ज़ाहिद अब मज़ीद सबर किए बगैर अपनी शर्ट और पॅंट उतार कर कमरे के बाहर बिल्कुल नंगा हुआ।

और अपनी अम्मी के मोटे जिस्म और चौड़ी गान्ड को पीछे से देखते हुए अपने तने हुए लंड को पकड़ कर अपनी मूठ लगाने लगा।

ज़ाहिद कमरे के बाहर जिस जघा ख्रे हो कर अपनी बहन और अम्मी का ये दिलचस्प खेल देखने में मसरूफ़ था।

वो जगह बिस्तर पर दरवाज़े की तरफ मुँह कर के लेटी हुई शाज़िया की तो नज़र में तो आ सकती थी।

मगर रज़िया बीबी के मुँह का रुख़ कमरे की दीवार की तरफ होने की वजह से ज़ाहिद की अम्मी अपने बेटे की कमरे से बाहर मौजूदगी को नही जान सकती थी।

इधर ज्यों ही ज़ाहिद अपने कपड़े उतार कर अपने लंड की मूठ लगाने में मसरूफ़ हुआ।

तो दूसरी तरफ कमरे में मौजूद शाज़िया ने अपनी बंद आँखों को एक दम से खोला।

अपनी आँखे खोलते ही शाज़िया की नज़र जैसे ही कमरे के बाहर खड़े हुए अपने नंगे भाई पर पड़ी।

तो ज़ाहिद भाई की इस वक्त घर आमद और सब से बढ़ कर अपने भाई को अपनी अम्मी के नंगे वजूद को देखने के दौरान अपने लंड की मूठ लगाते हुए पा कर शाज़िया एक दम से चौंक गई।

"उफफफफफफफफफ्फ़! भाईईईईईईईईईईई! यहाँ क्या कर रहा हाईईईईईईईईईईईईईई?,इस वक्त्त्त्त,उस ने तो आज लेट आने का कहा था" अपने भाई की मौजूदगी में अपनी ही अम्मी से अपनी फुद्दि को चटवाते हुए,एक सेकेंड के लिए शाज़िया को थोड़ी शरम महसूस हुई।

"चलूऊऊऊ! एक ना एक दिन भाई को पता तो चल ही जाना था,कि अब भाई की तरह, हमारी सग़ी अम्मी भी अपनी ही बेटी की चूत की पुजारी हो चुकी है" दूसरे ही लम्हे शाज़िया के दिल में ख्याल आया।

इस के साथ ही दोनो बहन भाई की नज़रों का आपस में मिलाप हुआ।

तो अपनी अपनी जिन्सी भूक के हाथों मजबूर दोनो बहन भाई एक दूसरे को देख कर बे शर्मी से मुस्करा दिए।

"अमिीईईईईईईईईईईई! मेरी चूत्त्त्त्त्त्त्त्त! के अंदर तक अपनी ज़ुबान को ले जाओ नाआआआअ!प्लेआस्ईईई!" अपने भाई की आँखों में आँखे डालते हुए शाज़िया ने अपनी अम्मी से कहा।

और उस के साथ ही शाज़िया अपनी गान्ड को बिस्तर से उठा कर अपनी चूत को अम्मी के मुँह पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी।

"हाईईईईईईईईईईईईई! शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स! तुम्हारी चूत का पनीईईईईइ! तो बहुत ही मज़े दार हाईईईईईईईईईईई! मेरी बचिईीईईईईई!" ज्यों ही शाज़िया ने गरम जोशी से अपनी अम्मी के होंठो पर अपनी गरम चूत को रगड़ा।

तो रज़िया बीबी ने भी उसी गरम जोशी से अपनी बेटी की चूत के अंदर तक अपनी लंबी ज़ुबान को घुमाते हुए कहा। और अपनी जवान बेटी की फुद्दि से निकलने वाले लेस दार पानी को "शारप शारपप्प्प्प्प्प!" कर के चाटने लगी।

"हाईईईईईईईईई! लगता है कि शाज़िया की तरह मेरी अम्मी की फुद्दि की गर्मी भी इतनी बढ़ चुकी है कि आज अम्मी को कुछ समझा नही आ रहा कि वो क्या कर रही है और क्या बोले जा रही हैं" कमरे के बाहर खड़े ज़ाहिद ने जब अपने कानो से अपनी सग़ी अम्मी को इस तरह की गरम बातें करते पहली बार सुना।तो ज़ाहिद को अपने कानो पर यकीन ना हुआ।

अपनी सग़ी अम्मी को अपनी ही बेटी की चूत चाटते और फिर शाज़िया की मोटी गरम फुद्दि की तारीफ करते सुन कर ज़ाहिद तो जैसे पागल सा हो गया।

ज़ाहिद ने अपने लंड पर चलते हुए अपने हाथ को अपने मुँह के सामने ला कर अपनी हथेली पर थुका।

और फिर अपनी अम्मी की गान्ड की चौड़ी दरार को देखते हुए अपने थूक से भरे हुए हाथ के साथ अपने लंड की मूठ लगाने लगा।

"आज मोका है कि में अपने शोहर/भाई का मोटा और सख़्त लंड, अपनी आँखों के सामने,अपनी ही अम्मी की गरम फुद्दि में डलवा कर, ना सिर्फ़ अपनी अम्मी के अपने उपर कियी हुए अहसान का बदला चुका दूं,बल्कि अपने भाई को अपनी आमी की चूत दिलवा कर ज़ाहिद भाई को उन की साल गिरह का एक हसीन और गरम तोहफा भी दे दूं" कमरे के बाहर खड़े अपने भाई को अपनी अम्मी की फुद्दि के लिए यूँ गरम होता देख कर शाज़िया ने सोचा।

आपस में अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने के बाद शाज़िया और ज़ाहिद के दरमियाँ रिश्तों की शरम-ओ-हया तो कब की ख़तम हो चुकी थी।

इसीलिए आज अपनी नज़रों के सामने अपनी ही अम्मी को अपने शोहर/भाई से चुदवाने का ख्याल दिल में आने पर शाज़िया को अपनी इस सोच पर ज़रा सी भी नदमत महसूस नही हो रही थी।

बल्कि अपनी इस सोच पर शरम महसूस करने की बजाय। इस ख्याल के दिल में आते ही शाज़िया की चूत ने तो पहले से भी ज़्यादा पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।

अपनी इस सोच को अमली जामा पहनाने के लिए फिर दूसरे ही लम्हे शाज़िया ने अपने भाई ज़ाद की आँखों में देखते हुए।

अपने भाई ज़ाहिद को अपनी आँखों ही आँखों से आगे बढ़ कर अपनी अम्मी की फुद्दि में अपना लंड पेलने का इशारा किया।

"क्याआआआअ? शाज़िया ये कह रही है कि में कमरे में आ कर अपनी ही अम्मी की चूत में अपना लंड डाल दूं?,मुझे अम्मी के लिए मूठ लगाता देख कर बे शक शाज़िया गुस्सा नही हुई,मगर शाज़िया कभी नही चाहेगी कि में उस के सामने ही अपनी अम्मी को चोद दूं, नहियीईईईईईईईईई! लगता है मुझे कोई बहुत बड़ी ग़लत फहमी हो रही है," अपनी बहन शाज़िया की नज़रों का इशारा देख कर ज़ाहिद को हैरत हुई।और ज़ाहिद के जेहन में एक साथ कई सवालों ने जनम लिया।

अपने जेहन में आने वाले इन ख्यालो को सोच कर ही ज़ाहिद के दिल में कमरे में जाने की हिम्मत नही पेदा हुई। और ज़ाहिद बदस्तूर कमरे के बाहर ही खड़ा हो कर अपने लंड को अपने हाथ से मसलता रहा।

"एक तो में आज खुद ज़ाहिद भाई को अपनी अम्मी की इस गरम और प्यासी चूत का मज़े लेने का मोका फरमा कर रही हूँ,और भाई है कि वो मेरे इशारे को समझ ही नही रहा, बुद्धू कहीं कााआआ" अपने भाई ज़ाहिद को अभी तक कमरे के बाहर खड़े पा कर शाज़िया झुंझला गई।

तो शाज़िया ने अब की बार अपना एक हाथ हल्का से उठा कर अपने भाई को अपने हाथ से अपनी अम्मी की चूत को चोदने का इशारा दुबारा किया।

"उफफफफफफफफफ्फ़! मुझे तो आज अपने ही घर में दो दो चुते नसीब हो रही हैं, इसे कहते हैं "यक ना शुड डू शुड" शाज़िया के हाथ का ये इशारा इतना सॉफ था। कि अब ज़ाहिद के लिए शक की कोई गुंजाइश बाकी नही रही थी।

"लगता है अपनी आँखो के सामने ही अम्मी को मुझ से चुदवा कर मेरी बहन शाज़िया आज अपनी ही सग़ी अम्मी को अपनी सोतन बनाना चाहती हाईईईईईईईईई!" ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया के इशहरे को अच्छी तरह समझते हुए मचल उठा।

अपनी बहन शाज़िया की चूत को चोदने के बाद तो ज़ाहिद खुद कब से अपनी अम्मी के मोटे फुद्दे को चोदने का अरमान अपने दिल और लंड पर लिए घूम रहा था।

इसीलिए आज जब वो वक्त आ ही गया था। कि ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया से की गई शादी के जहीज़ में अपनी ही सग़ी अम्मी की मोटी फुद्दि नसीब हो रही थी।

तो ज़ाहिद किसी सूरत में ये बेहतरीन मोका अपने हाथ से नही जाने देना चाहता था।

ज़ाहिद ने अपने लंड पर दुबारा से ढेर सारा थूक लगाया। और दबे पाँव चलता हुआ शाज़िया की चूत पर झुकी अपनी अम्मी के पीछे आ कर खड़ा हो गया।

रज़िया बीबी अपने घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ कर अपनी बेटी की चूत पर अपनी ज़ुबान फिराने में मसरूफ़ थी। और इस अमल के दौरान रज़िया बीबी ने अपनी आँखे बंद की हुई थी।

ज़ाहिद ने देखा कि उस की अम्मी अपनी बेटी शाज़िया की गरम चूत को मज़े ले ले कर चाटने में इतनी मसरूफ़ थी। कि रज़िया बीबी को एक लम्हे के लिए भी कमरे में किसी तीसरे फराद की मौजूदगी का अहसास ना हुआ।

जारी रहेगी

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