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Click hereअम्मी बनी सास
PART 84
रज़िया बीबी की लज़्जत भरी आवाज़
"हााहह अम्मी मेरा दिल कर रहा है,कि में आज आप के जिस्म के एक एक हिस्से को खा जाऊं।" अपनी अम्मी के पेट और खास तौर पर नाफ़ (नेवेल) के आस पास के हिस्से पर अपनी गरम ज़ुबान फेरने के दौरान शाज़िया अपनी अम्मी के मोटे के मोटे गोश्त को अपने दाँतों में ले कर हल्का हल्का काट भी रही थी।
"अच्छा आज मुझ पर इतना प्यार आ रहा है मेरी बच्ची को, तभी मेरे जिस्म को यूँ नोन्चे जा रही हो तुम?" अपनी बेटी शाज़िया की ज़ुबान और मुँह की गुस्ताखियों अपने जिस्म पर महसूस करते हुए रज़िया बीबी स्वाद की लज़्जत से सिसकारी।
रज़िया बीबी के पेट पर से होते हुए शाज़िया के होंठ कुछ ही देर में अपनी अम्मी के मोटे और गुदाज मम्मो के तने हुए निप्पलो तक आ पहुँची।
शाज़िया ने अपनी अम्मी के भारी मम्मे के लंबे और मोटे निपल को अपने मुँह में पहली बार भर कर चूसा। तो रज़िया बीबी के मम्मे का निपल्स उस की बेटी शाज़िया के मुँह के थूक से पूरा गीला हो गया।
"अहह! शाज़िया आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज! तो तू मुझे पागल ही कर के छोड़ेगी मेरी बच्ची" अपनी बेटी की गरम ज़ुबान को अपने तने हुए निपल पर चलता हुआ पा कर रज़िया बीबी फिर से गरम होने लगी।
रज़िया बीबी ने जोश में आते हुए अपनी बड़ी छाती पर झुके हुए अपनी बेटी शाज़िया के सर को अपने अपने हाथ में थामा। और शाज़िया के सर को ज़ोर से नीचे दबाया।
रज़िया बीबी की इस हरकत से शाज़िया का मुँह खुल गया।
जिस की वजह से रज़िया बीबी के मोटे मम्मे का तकरीबन आधा हिस्सा शाज़िया के खुले हुए मुँह में समा गया।
शाज़िया को अपनी अम्मी का ये वलिहाना पुन अच्छा लगा। और उस ने मज़ीद जोश में आते हुआ एक बच्चे की तरह अपनी अम्मी के मोटे मम्मे को सक करना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर अपनी अम्मी के एक मम्मो को चूमने और चाटने के बाद शाज़िया ने दूसरे मम्मे का निपल अपने मुँह मे लिया। और फिर वो अपनी अम्मी के दूसरे मम्मे को भी अपनी ज़ुबान और मुँह से चूमते और चाटते हुए प्यार करने लगी।
"ओह मेरी बचिईीईईईईईईईईई! क्याआआ! मज़ा दे रही हो तुम आज अपनी अम्मी कूऊऊऊऊओ?" रज़िया बीबी अपनी बेटी के सर पर प्यार से हाथ फिराते हुए मज़े के साथ सिसकियाँ ले रही थी।
शाज़िया अब अपनी अम्मी के मम्मो से अपना मुँह से निकाल कर मज़ीद थोड़ा उपर उठी।
तो दोनो माँ बेटी के दहक्ते नंगे जिस्म सर से पैर तक पूरे के पूरे एक दूसरे के जिस्मों के बिल्कुल आमने सामने आ गये।
दोनो माँ बेटी की आँखे आपस में मिलीं। तो दोनो ने एक दूसरे की आँखों में एक जिन्सी हवस और प्यास देखी।
एक दूसरे की आँखों में आँखे डाल कर ज्यों ही रज़िया बीबी और शाज़िया ने एक दूसरे को देखा। तो दोनो माँ बेटी एक दूसरे को देख कर बे शर्मी से मुस्कराने लगीं।
"उफफफफ्फ़ अगर मुझे ये पता होता कि आप की चूत का पानी इतना मज़े दार है,तो में तो बहुत पहले ही आप की चूत के पानी का ज़ायक़ा चुख चुकी होती,अम्मी जान" शाज़िया ने ये कहते हुए अपनी अम्मी के गुदाज होंठो पर अपने लब चिस्पान कर दिए।
रज़िया बीबी आज अपनी सग़ी बेटी से अपनी चूत चाटवा कर अब अपनी बेटी के रंग में पूरी तरह रंग चुकी थी।
इसीलिए शाज़िया की गरम ज़ुबान ने ज्यों ही अपनी अम्मी के होंठो को छुआ। तो रज़िया बीबी का मुँह भी खुद ब खुद खुल गया।
शाज़िया की ज़ुबान अपनी अम्मी के मुँह में दाखिल हो कर अपनी आमी की ज़ुबान से टच हुई।
और फिर दोनो माँ बेटी एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे की ज़ुबान को बहुत गरम जोशी से सक करने लगी।
"शाज़िया आज तुमने मेरी चूत को अपने मुँह से सकून पहुँचा कर मुझे मज़े की जिस नई दुनिया से रोशनाश करवाया है में उस के लिए तुम्हारी बहुत शूकर गुज़ार हूँ मेरी बचिईीईईई!" अपनी बेटी के मोटे होंठो का रस चुसते हुए रज़िया बीबी ने अपनी बेटी का शुक्रिया अदा किया।
रज़िया बीबी अपनी बेटी के हाथों और मुँह की मेहरबानी की वजह से एक दफ़ा अपनी चूत का पानी अपनी ही बेटी के मुँह में खारिज कर के शाज़िया की तरह अब शर्म-ओ-हैया का दामन तो पहले ही छोड़ चुकी थी।
इसीलिए बिना किसी शरम के रज़िया बीबी भी खुलम खुल्ला अपनी बेटी शाज़िया से अपने जज़्बात का इज़हार करने लगी थी।
"आप की चूत की गर्मी तो कुछ कम हो चुकी है,मगर मेरी फुद्दि में अभी तक आग भड़क रही है अम्मी" अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया भी अपनी अम्मी के गुदाज होंठो को ज़ोर से काटते हुए बोली।
इस के साथ ही शाज़िया ने अपनी अम्मी के जिस्म को अपनी बाहों में ले कर अपने साथ कसा। तो दोनो माँ बेटी की छातियाँ एक दूसरे के साथ रगड़ खाने लगीं।
"मुझे बताओ में कैसे तुम्हारी चूत की गर्मी दूर करूँ मेरी बच्ची" अब रज़िया बीबी ने पहली बार अपनी सग़ी बेटी की जवान छाती को अपनी मुट्ठी में काबू किया। और फिर बहुत जोश से रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के मम्मे को अपने हाथ से दबाया।
"ओह अम्मिईीईईईईईईईई! जैसे मेने आप को चूत को चाट कर आप की गरम चूत को ठंडा किया है,वैसे ही आप भी अब मेरी फुद्दि को चाटो नाआआआआआआ" शाज़िया ने अपनी अम्मी से फरमाइश की।
"शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्सस्स! मेने आज तक किसी औरत की चूत नही चाटी, इसीलिए मुझ से ये काम शायद ना हो सके मेरी बच्ची" रज़िया बीबी अपनी बेटी से अपनी चूत चटवा कर मज़ा तो ले चुकी थी।
मगर अब अपनी बेटी की चूत को चाटने में रज़िया बीबी को ना जाने क्यों घिन आ रही थी।
इसीलिए रज़िया बीबी थोड़ा सोच कर अपनी बेटी की बात का जवाब दिया।
"अम्मी को शायद फुद्दि की स्मेल अच्छी नही लगती,या वो फुद्दि चाटने को एक गंदा काम समझती हैं,इसी लिए वो अब मेरी चूत को चाटने में शर्म और झिझक महसूस कर रही है" शाज़िया ने अपनी अम्मी की हिच किचाहट को देख कर अपने दिमाग़ में सोचा।
मगर नीलोफर से अपने लेस्बियन ताल्लुक़ात कायम करने और अपनी ही भाई के लंड को लेने के बाद जिन्सी मामोलात में शाज़िया भी अब एक माहिर खिलाड़ी बन चुकी थी। इसीलिए वो भी अब हार मानने को तैयार नही थी।
इसीलिए बातों बातों के दरमियाँ शाज़िया ने अपनी एक टाँग को अपनी अम्मी की टाँग के नीचे से क्रससिंग करते हुए अपनी जवान फुद्दि को अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि के साथ लगाया।
और अपनी अम्मी के भारी चुतड़ों को अपने हाथों में थामते हुए अपनी जवान और गरम फुद्दि को अपनी अम्मी की नरम और मोटी फुद्दि के होंठो के साथ ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी।
"ओह! शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स!" ज्यों ही शाज़िया ने अपनी चूत को अपनी अम्मी की फुद्दि से रगड़ा। तो अपनी बेटी की चूत की गर्मी से रज़िया बीबी की चूत भी फिर से भड़क उठी।
"अमिीईईईईईईईईई! मेरी फुद्दीईईईईईईइ! कहूऊऊऊऊऊऊ! ना प्लेआस्! ईईई!" शाज़िया ने जोश में अपनी अम्मी से दुबारा इल्तिजा की।
रज़िया बीबी को आज उस की अपनी ही सग़ी बेटी शाज़िया चुदाई की वो नई राहे दिखा रही थी।
जिन पर चलना तो दूर,रज़िया बीबी ने इन चीज़ों के बारे में इस से पहले कभी सोचा तक नही था।
जिस तरह अपनी सग़ी बेटी से अपनी चूत और मम्मे चटवाने का आज का ये तजुर्बा रज़िया बीबी के लिए नया था।
बिल्कुल उसी तरह शाज़िया के साथ किस्सिंग और चूत रगडाइ का ये स्टाइल भी रज़िया बीबी के लिए बिल्कुल नया था।
और अपनी बेटी के हाथों से चुदाई के ये नये मज़े पा कर रज़िया बीबी भी बहकने लगी थी।
"वैसे तो मेने आज तक किसी औरत ही चूत नही चाटी,मगर तुम्हारी मोहब्बत में आज मैं ये काम भी करने को तैयार हूँ मेरी बच्ची" अपनी बेटी के हवस भरे लहजे में की गई ये इल्तिजा सुन कर रज़िया बीबी ने शाज़िया से कहा।
फिर रज़िया बीबी ने अपने हाथ को शाज़िया की छाती पर लेजा कर अपनी बेटी का मोटा मम्मा उमेठा।
और अपने सिर को झुका कर अपनी बेटी के जवान मम्मे के लंबे निपल पर अपनी ज़ुबान घुमाने लगी।
"हाईईईईईईईईईईई! अम्मिईीईईईई! जानंननननननणणन्!" अपने मम्मे को अपनी अम्मी के मुँह में पा कर शाज़िया बे करार हो गई। और उस की चूत ने नीचे से अपना पानी निकालना शुरू कर दिया।
"अपनी प्यासी बेटी के निपल्स को काट खाओ अम्मी जीिइईईईईईईईईईईईई!" शाज़िया ने अपने मम्मे पर झुके हुए अपनी अम्मी के सर को अपने मोटे मम्मे पर ज़ोर से दबाते हुए कहा।
आज रज़िया बीबी के अंदर की चुड़क्कड़ औरत को उस की सग़ी बेटी ने अपने हाथों और मुँह से मुकम्मल बेजार कर दिया था।
शाज़िया की तरह रज़िया बीबी भी अब रिश्तों की शर्म-ओ-हया को भुला कर अपनी बेटी को वो ही मज़ा देने पर तूल चुकी थी।
जो मज़े वो चन्द मिनट्स पहले अपनी बेटी के लबों से हाँसिल कर चुकी थी।
इसीलिए रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया के कहने के मुताबिक अपनी बेटी के मोटे मम्मे को अपने मुँह में भर कर ज़ोर से दाँतों से काटा।
तो शाज़िया के मुँह से दरद और मज़े की शिद्दत की वजह से सिसकियाँ निकालने लगीं।
रज़िया बीबी बे शक आज पहली बार एक औरत के मम्मो को अपने मुँह में ले कर चूस रही थी।
मगर इस के बावजूद रज़िया बीबी के जोश और वलिहाना प्यार को देख कर ये हरगिज़ नही महसूस होता था। कि रज़िया बीबी ने मम्मे चुसाइ का ये काम पहले कभी नही किया।
इस की वजह शायद ये रही हो गी। कि शाज़िया की तरह रज़िया बीबी को भी इस बात से ज़्यादा मज़ा आ रहा था। कि जिस औरत के मम्मो से वो आज पहली बार खेल रही है। वो कोई और नही बल्कि उस की अपनी सग़ी बेटी है।
इसीलिए रज़िया बीबी अब अपनी बेटी शाज़िया की दोनो जवान छातियों को बार बार अपने मुँह में ले कर अपने होंठो और ज़ुबान से प्यार किए जा रही थी।
"ओह मेरिइईईईई चूत्त्त्त्त्त्त का कुछ करने अम्मिईीईईईईईईईईईईई!" अपनी अम्मी का प्यार अपने मम्मो पर पहली बार पा कर शाज़िया से जब सबर ना हुआ। तो सिसकारते हुए तकरीबन चिल्ला उठी।
"ठीक है अपनी टाँगे खोल दो मेरे लिएय!,मेरी बचिईीईईईईईईई!" थोड़ी दार तक अपनी बेटी के मम्मो को एक एक कर के किस और सक करने के बाद रज़िया बीबी अपनी बेटी के मम्मो को छोड़ कर नीचे हुई।
और बिस्तर पर चित लेटी अपनी बेटी शाज़िया की गुदाज और सुडोल रानों को अपने हाथ से खोल कर चोडा कर दिया।
"उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ अब में समझी कि मेरा बेटा क्यों अपनी ही बहन की चूत के लिए इतना खुमार हो रहा था, मेरी बेटी की फुद्दि है इतनी खूबसूरत कि जो कोई भी इसे देखे वो पागल हो जाए इस चूत के लिएययययययी मेरी बच्ची" शाज़िया की फूली हुई चूत ज्यों ही अपनी अम्मी के सामने हुई। तो एक औरत और सग़ी माँ होने के बावजूद रज़िया बीबी अपनी बेटी की इस जवान और मोटी फुद्दि की तारीफ किए बिना ना रह सकी।
ऐसी बातें ना करें अम्मी जान" शाज़िया अपनी अम्मी के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर शरमा गई। और बे इख्तियारी में अपनी खुली टाँगों को बंद करने लगी।
"हाईईईईईईईईईईईई! अब अपनी बारी आने पर, यूँ शरमाने लगी हो, जैसे कोई कंवारी लड़की अपने महबूब से पहली मुलाकात पर शरमाती है" रज़िया बीबी शाज़िया को यूँ शरमाता देख कर मुस्कारने लगी।
इस के साथ ही रज़िया बीबी ने शाज़िया की खुली टाँगों के सामने झुक कर अपने हाथों से अपनी बेटी की चूत के बंद लिप को अपने हाथ से खोला।
तो शाज़िया की चूत का मुँह ऐसे खुल गया। जैसे कोई बंद कली खिल कर फूल बन जाती है।
बे शक शाज़िया के मुक़ाबले रज़िया बीबी अभी तक पूरी तरह लेस्बियन नही बनी थी।
मगर इस के बावजूद अपनी बेटी की जवान चूत का मुँह यूँ अपने सामने खुलता देख कर रज़िया बीबी के मुँह में पानी आ गया।
"ये तो वो ही चूत है जहाँ मेरे बेटे का जवान और मोटा लंड हर रोज़ दाखिल होता है" अपनी बेटी की मोटी फूली हुई चूत के सुराख को देख कर रज़िया बीबी ने सोचा।
इस के साथ ही गरम होते हुए रज़िया बीबी ने एक दम अपना मुँह अपनी बेटी की फुद्दि के नज़दीक किया। तो चूत की मखसोस बू (स्मेल) रज़िया बीबी के नाक में समाई।
"नहियीईईईईईईई में ये नही कर पाऊँ गी" अपनी बेटी की चूत की बू को सूंघते ही रज़िया बीबी के दिल ने अपने चूत को चाटने का इरादा तरह्क करने का सोचा।
"अगर मेरी बच्ची मेरे जिस्म को सकून पहुँचाने के लिए मेरी फुद्दि खा सकती है,तो मुझे भी अभी उसी तरह शाज़िया की चूत को चाट कर अपनी बच्ची की चूत की प्यास बुझानी चाहिए" ये ख्याल आते ही रज़िया बीबी ने अपने मुँह को मज़ीद आगे किया। और उस ने पहली बार अपनी सग़ी जवान बेटी की गरम और प्यासी चूत के लिप्स पर अपना मुँह रख दिया।
"आआआआआआआअ अम्मी जानंनननननननननननणणन्!" ज्यों ही रज़िया बीबी के गरम होंठ अपनी बेटी की चूत के मोटे लिप्स को छेड़ते हुए शाज़िया की गरम फुद्दि के अंदर दाखिल हुए।
तो शाज़िया का बदन एक दम से अकडा। और शाज़िया के मुँह से एक लज़्जत भरी आवाज़ फूट पड़ी। जो कि कमरे से बाहर निकल कर पूरे घर में गूँज गई।
जारी रहेगी