अम्मी बनी सास 088

Story Info
अम्मी ने बेटे के कमरे की दहलीज़ पार कर दी.
9.7k words
4.6
221
1
0

Part 88 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

"जब मेरा बेटा मुझे इतने प्यार से अपने पास बुला रहा है,तो मुझे उस के पास जाने में देर नही करनी चाहिए"अपने बेटे ज़ाहिद से उस के कमरे के अंदर आने की दावत मिलते ही रज़िया बीबी ने एक लम्हे के लिए सोचा।

और फिर ने अपना एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के कमरे की दहलीज़ पर कर दी।

रज़िया बीबी आज शाम से पहले तक ना जाने कितनी ही दफ़ा अपने बेटे ज़ाहिद के इस कमरे में आ चुकी थी।

लेकिन इस सारे अरसे में ज़ाहिद के कमरे में आते वक्त रज़िया बीबी के दिल की वो हालत कभी नही हुई थी। जो इस व्कत रज़िया बीबी महसूस कर रही थी।

उस रात को अपने धड़कते दिल के साथ रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपने बेटे के कमरे में अपना पावं रखा।

तो रज़िया बीबी को यूँ महसूस हुआ। कि उस के शोहर की वफात के वक्त से उस के वजूद के साथ लिपटी हुई बेवगी की चादर एक दम से गिर कर उस के बदन से अलग हो गई हो।

आज अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की हद में कदम रखते ही रज़िया बीबी ना सिर्फ़ अपने आप को हल्का फूला महसूस करने लगी।

बल्कि उस के बे करार दिल को भी यका यक करार आ गया।

ज़ाहिद के कमरे में आते वक्त रज़िया बीबी की चाल में भी एक अजीब किसम का निखार था।

रज़िया बीबी अपने बेवा से बीवी बनने के इस अमल के दौरान बहुत शान के साथ एक नई नवेली दुल्हन की तरह अपनी गान्ड मटकाती हुई अपने सरताज बेटे के कमरे में दाखिल हुई। तो उस के अंग अंग से एक अजीब किसम की मस्ती सी फूट पड़ी थी।

अपनी अम्मी के जिस्म और चाल की इस तब्दीली को ज़ाहिद की गहरी नज़रों ने भी महसूस किया।

मगर उसे फॉरी तौर पर अपनी अम्मी के वजूद में आने वाली ये तब्दीली की समझ नही आई।

रज़िया बीबी ने कमरे में दाखिल हो कर ज़ाहिद के बिस्तर की साइड टेबल पर दूध का ग्लास रखा।

ज्यों ही रज़िया बीबी और ज़ाहिद एक दूसरे के नज़दीक हुए। तो दोनो माँ बेटे ने एक दूसरे के जिस्म में लगी जिन्सी भूक की महक को फॉरन महसूस कर लिया।

"अम्मी के जिस्म की खुसबू को सूंघ कर तो यूँ महसूस हो रहा है जैसे नीचे से उन की फुद्दि "चुह चुह" (बह बह) कर तालाब बन चुकी है, लगता है अम्मी सिर्फ़ मुझे ही भैंस का दूध पिलाने नही आई, बल्कि वो खुद भी दुबारा से मेरे लंड का दूध भी पीने आई हैं"अपनी अम्मी के गरम वजूद से फूटने वाली चुदाई की भीनी भीनी महक को सूंघते हुए ज़ाहिद ने सोचा। तो उस का लंड खुशी से उस की निक्कर में लुदियाँ डालने लगा।

इधर दूसरी तरफ रज़िया बीबी भी ज्यों ही अपने बेटे ज़ाहिद के करीब हुई।

तो वो भी अपने जवान बेटे के सख़्त जिस्म से निकलने वाली गर्मी की हीट को महसूस कर के मस्त होने लगी।

"हाईईईईईईईईईई! लगता है कि आज दोपहर की तरह आज की रात भी मेरी चूत के लिए बहुत यादगार रात साबित हो गी" अपने बेटे ज़ाहिद के पास खड़े हो कर रज़िया बीबी के जेहन में सोच आई।

तो उस की चूत से बहने वाले पानी ने रज़िया बीबी की गुदाज रानों को गीला करना शुरू कर दिया।

ज़ाहिद के बिस्तर के पास दूध रख कर रज़िया बीबी ज्यों ही वापिस पलटी।

तो रज़िया बीबी के मुड़ने के अंदाज़ से ज़ाहिद को ना जाने क्यों ऐसा महसूस हुआ।कि उस की अम्मी वापिस अपने कमरे की तरफ जाने लगी है।

"थोड़ी देर मेरे पास भी बैठ जाओ ना अम्मी" ज़ाहिद ने जब रज़िया बीबी को एक दम से वापिस मुड़ते देखा। तो उस ने अपनी अम्मी की कलाई को अपने हाथ से पकड़ते हुए अम्मी से कहा।

"नही में आज बहुत थक गई हूँ, इसीलिए अब अपने कमरे में जा कर आराम करूँगी बेटा" ये कहते हुए रज़िया बीबी ने अपने हाथ को झटका दिया। और किसी मगरूर हसीना की तरह अपनी नाज़ुक कलाई को अपने आशिक़ बेटे के शिकंजे से चुरा कर कमरे के दरवाज़े की तरफ चल पड़ी।

इस के बावजूद रज़िया कि बीबी की फुद्दि में भी आग लगी हुई थी।

लेकिन चूँकि रज़िया बीबी ज़ाहिद के लंड को उस की शॉर्ट्स में मचलता हुआ देख चुकी थी।

इसीलिए अब वो अपने बेटे को थोड़ा तंग करने के मूड में आ गई थी।

जब कि दूसरी तरफ आज दोपहर के बाद से ज़ाहिद ये समझ रहा था। कि उस से एक बार चुदवाने के बाद तो अब उस की अम्मी रज़िया बीबी हर वक्त अपनी शलवार का नाडा खोल कर उस के सामने पड़ी रहे गी।या ज़ाहिद जब चाहेगा उस की अम्मी उस से चुदने के लिए राज़ी हो जाएगी।

मगर यहाँ तो ज़ाहिद की सोच के विपरीत उस की अम्मी रात की तेन्हाई में उस के पास आने के बावजूद उसे नज़र अंदाज़ किए जा रही थी।

अपनी अम्मी की बे रूखी का ये अंदाज़ ज़ाहिद के दिल और लंड दोनो ही के लिए बहुत जान लेवा साबित हो रहा था।

इसीलिए ज़ाहिद ने ज्यों ही अपनी अम्मी को अपने पास से गुज़र कर बाहर की तरफ जाता देखा। तो वो एक दम अपनी अम्मी के पीछे लपका।

ज़ाहिद ने जल्दी से रज़िया बीबी के पीछे आ कर अपनी अम्मी के भारी वजूद को अपनी बाहों में कस लिया।

अपनी अम्मी के जिस्म को अपनी बाहों में काबू करते ही ज़ाहिद ने पीछे से हाथ बढ़ा कर अपनी अम्मी की कमीज़ के खुले गले से बाहर छलकती हुई रज़िया बीबी की बड़ी बड़ी छातियों को अपने दोनो हाथों की गिरफ़्त में थाम लिया।

और अपनी अम्मी के मोटे मम्मो को अपने हाथों से दबाते हुए ज़ाहिद रज़िया बीबी के कान में सरगोशी करते हुए एक इंडियन गाने के ये बोल गुन गुनाने लगा,

"आ मेरे साथ कोई रात गुज़ार

तुझे सुबह तक करूँ में प्यार

ओह ऑश ऊऊऊओ!"

गन्ने के बोल गुनगुनाने के साथ ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की गान्ड पर अपने लंड को रगड़ते हुए रज़िया बीबी से पूछा "मुझे सच सच बताएँ, आप इस वक्त क्यों मेरे कमरे में आई हैं अम्मी जी"।

"ओह में वाकई तुम्हे दूध देने आई थी बेटा" अपने बेटे के सख़्त हाथों को अपने सॉफ्ट मम्मो के उपर चलता पा कर रज़िया बीबी सिस्काई।

"दूध तो बस एक बहाना है, असल में मामला कोई और है, प्लीज़ मुझे बताओ ना, अम्मी ज़ाआाआआआआआअँ" ज़ाहिद ने रज़िया बीबी की बात को अन सुनी करते हुए अपने हाथों और लंड का दबाव अपनी अम्मी के मोटे मम्मो और चौड़ी गान्ड पर बढ़ाते हुए फिर पूछा।

"ओह ज़ाहिद अगर सच जानना चाहते हो तो सुनो, शाज़िया चाहती है कि जब तक वो तुम्हारे बच्चे को जनम नही दे लेती, उस वक्त तक उस की जगह में तुम्हारी बीवी की हैसियत से तुम्हारे साथ इस कमरे में सोया करूँ, मेरे बच्चे" अपने वजूद को अपने बेटे की गिरफ़्त में पा कर रज़िया बीबी मचल उठी। और उस ने अपनी चौड़ी गान्ड को ज़ाहिद के मोटे और सख़्त लंड पर दबाते हुए एक दम से अपना मुँह खोल दिया।

ये ज़ाहिद के साथ हाथों का ही कमाल था। जिस की वजह से रज़िया बीबी अब मज़े से बे हाल हो कर लंबी-लंबी साँसें लेने लगी थी। और उस का दिल और मोटे मम्मे ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगे थे।

"उफफफफफफफफफ्फ़ मुझे तो यकीन ही नही हो रहा, क्या वाकई ही शाज़िया ये चाहती है कि आज से आप मेरी बीवी की हैसियत से मेरी रातों को रंगीन किया करो अम्मी जीिीइ" रज़िया बीबी की तरह ज़ाहिद भी अभी तक ये ही समझ रहा था। कि दोपहर में शाज़िया ने उसे अपनी अम्मी को चोदने की जो दावत दी थी।वो शाज़िया का कोई सोचा समझा मंसूबा नही था।

बल्कि ये सिर्फ़ और सिर्फ़ शाज़िया पर तरी उस वक्त के जिन्सी जज़्बात का असर था।जिस की वजह से शाज़िया ने उस वक्त ज़ाहिद को अपनी अम्मी के साथ चुदाई की इजाज़त दे दी थी।

और अब उस जिन्सी जनून का असर ख़तम होने के बाद शाज़िया शायद ज़ाहिद को अपनी अम्मी के साथ रंग रलियाँ मनाने का मोका ना दे।

इसी लिए रज़िया बीबी के बताने के बावजूद ज़ाहिद को यकीन नही हो रहा था। कि वो जो कुछ अपनी अम्मी के मुँह से सुन रहा है।वो वाकई ही सच है।

"ये सच है ज़ाहिद, तुम्हारी बीवी शाज़िया वाकई ही ये चाहती है कि में अब उस की अम्मी या सास नही, बल्कि अब उस की शौतान की हैसियत से तुम्हारे बिस्तर को हर रात गरम किया करूँ, अब तुम बताओ तुम्हें तो कोई ऐतराज नही मेरे बच्चे" रज़िया बीबी ने गोश्त से भरी अपनी पीठ (बॅक) को अपने बेटे की सख़्त छाती पर रगड़ते हुए पूछा।

"ओह मेरे लिए इस से बढ़ कर खुश किस्मती और फक्र की बात हो गी, कि मेरी सग़ी अम्मी अब मेरी बीवी बन कर मेरे साथ हम बिस्तरी किया करे गी" अपनी बहन शाज़िया की इस ख्वाहिश को अपनी अम्मी के मुँह से सुन कर ज़ाहिद तो खुशी से पागल होने लगा था।

"ये सच है ज़ाहिद, तुम्हारी बीवी शाज़िया वाकई ही ये चाहती है कि में अब उस की अम्मी या सास नही, बल्कि अब उस की शौतान की हैसियत से तुम्हारे बिस्तर को हर रात गरम किया करूँ, अब तुम बताओ तुम्हें तो कोई ऐतराज नही मेरे बच्चे" रज़िया बीबी ने गोश्त से भरी अपनी पीठ (बॅक) को अपने बेटे की सख़्त छाती पर रगड़ते हुए पूछा।

"ओह मेरे लिए इस से बढ़ कर खुश किस्मती और फक्र की बात हो गी, कि मेरी सग़ी अम्मी अब मेरी बीवी बन कर मेरे साथ हम बिस्तरी किया करे गी" अपनी बहन शाज़िया की इस ख्वाहिश को अपनी अम्मी के मुँह से सुन कर ज़ाहिद तो खुशी से पागल होने लगा था।

ज़ाहिद ने तो कभी ख्वाब में भी नही सोचा था। कि ना सिर्फ़ उस की सग़ी बहन शाज़िया। बल्कि उस के बाद उस की अपनी सग़ी अम्मी रज़िया बीबी भी उस की बीवी की हैसियत से कभी उस के बिस्तर की ज़ीनत बने गी।

इसीलिए अपनी बहन के बाद अब अपनी ही सग़ी अम्मी का शोहर बनने का सोच कर ज़ाहिद को अपनी किस्मत पर खुद ही रश्क आने लगा था।

इसे कहते हैं कि,

"नाले चोपडियाँ

नाले दो दो!"

अपनी अम्मी की बात सुनते ही ज़ाहिद ने अपने एक हाथ को नीचे ला कर रज़िया बीबी की शलवार का नाडा खोल दिया। तो रज़िया बीबी की शलवार उस के जिस्म से ढीली हो कर कमरे के फर्श पर गिर पड़ी।

अपनी अम्मी की लंबी सुडौल रानों को शलवार की क़ैद से रिहाई दिलाते ही ज़ाहिद ने पैंटी में कसी हुई अपनी अम्मी की चूत पर हाथ रखा।

तो ज़ाहिद को अंदाज़ा हुआ कि ना सिर्फ़ उस की अम्मी की फुद्दि, अपनी ही चूत के अपने ही पानी से पूरी तरह तर हो चुकी है।

बल्कि चूत के साथ साथ रज़िया बीबी की पैंटी भी उस की फुद्दि के पानी से भीग भीग कर पूरी गीली हो चुकी है।

"ये आप की चूत क्यों इतनी गीली हो रही है अम्मिईीईईईईईईईई!" ज़ाहिद ने पैंटी के उपर से अपनी अम्मी की चूत के फूले हुए होंठो पर अपने हाथ फिराते हुए रज़िया बीबी को छेड़ते हुए पूछा।

"जब एक जवान बेटा अपनी अम्मी की गान्ड पर अपने लंड को यूँ बे शर्मी के साथ रगडे गा,तो उस की माँ की फुद्दि गरम हो कर पानी नही छोड़े गी,तो और क्या करे गी बेटा?" रज़िया बीबी ने सिसकारते हुए ज़ाहिद की बात का जवाब दिया।

कुछ देर अपनी अम्मी की गरम फुद्दि से छेड़ खानी करने के बाद ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की कमीज़ को नीचे से पकड़ा। और फिर दूसरे ही लम्हे अपनी अम्मी को उस की कमीज़ के बोझ से भी निजात दिला दी।

अपने जवान बेटे के हाथों यूँ पहली बार नंगा होते ही रज़िया बीबी अपने होश-ओ-हवास खो बैठी।

अपने जिस्म से कपड़े उतर ते ही रज़िया बीबी ने एक झटके के साथ अपने आप को ज़ाहिद के हाथों की गिरफ़्त से छुड़ाया। और इस के साथ ही अपने पीछे खड़े हुए ज़ाहिद की तरफ मूड गई।

ज्यों ही पुश अप ब्रेज़ियर और थॉंग नुमा पैंटी में कसा हुआ रज़िया बीबी का वजूद उस के जवान बेटे की भूकि नज़रों के सामने आया।

तो अपनी अम्मी के मोटे जिस्म को सेक्सी किस्म के इन ब्रेजियर और पैंटी में मलबोस देख कर ज़ाहिद अपनी ज़ुबान को अपने होंठो पर रगड़ने लगा।

ज़ाहिद ने सर से पैर तक अपनी अम्मी के गरम वजूद का जायज़ा लिया। तो उस ने देखा कि उस की अम्मी के बड़े मम्मो के मोटे ब्राउन निपल्स उस की अम्मी के जाली दार ब्रेजियर में से सॉफ नज़र आ रहे थे।

जब कि नीचे से रज़िया बीबी की चूत के मोटे लिप्स को उस की पतली पैंटी, अपने अंदर छुपाने में मुकम्मल तौर पर नाकाम हो चुकी थी।

जिस की वजह से ज़ाहिद को अपनी अम्मी की फूली हुई फुद्दि भी रज़िया बीबी की गीली पैंटी में से वज़िया तौर पर नज़र आ रही थी।

"हाईईईईईईईईईई!ईईईई! इस नये स्टाइल के ब्रेज़ियर और पैंटी में तो आप का मोटा जिस्म एक कयामत ही ढा रहा है अम्मी जान" अपनी अम्मी के नीम नंगे वजूद को अपने सामने पा कर ज़ाहिद अपनी अम्मी के जिस्म की तारीफ किए बना ना रह सका।

"ये वो ही ब्रेज़ियर और पैंटी हैं जो तुम ने अपने हाथों से मेरे लिए खुद खरीदे थे, मेरे बच्चे" अपने जवान बेटे के मुँह से अपने जिस्म की तारीफ सुन कर रज़िया बीबी किसी सोलह साला दोशेज़ा की तरह शरमाने का नाटक करते हुए ज़ाहिद से कहने लगी।

अपने बेटे से एक दफ़ा चुद जाने के बाद तो रज़िया बीबी की सारी शरम ख़तम हो चुकी थी।

इसीलिए अब ज़ाहिद के सामने यूँ अपने ब्रेज़ियर और पैंटी में मलबोस हो कर खड़े होने में रज़िया बीबी को कोई शरम महसूस नही हो रही थी।

रज़िया बीबी कुछ देर अपने जवान बेटे के सामने यूँ ही खड़े रह कर ज़ाहिद को अपने जिस्म को अच्छी तरह से सेकने का मोका देती रही।

ज्यूँ ज्यूँ ज़ाहिद की गरम नज़रें उस की अम्मी के वजूद के आर पर हो रही थी।

त्यु त्यू रज़िया बीबी के जिस्म में लगी आग के शोले मज़ीद बुलंद होते जा रहे थे।

जिस की वजह से रज़िया बीबी की चूत के मोटे लब अपने बेटे का लंबा लंड अपने अंदर लेने के लिए पूरी तरह से फूल चुके थे।

कुछ देर ज़ाहिद को अपने आधे नंगे जिस्म का दीदार करवाने के बाद रज़िया बीबी ने बे शर्मी से आगे बढ़ कर अपने जवान बेटे ज़ाहिद के जिस्म को अपनी बाहों में काबू किया। और इस के साथ ही अपने मुँह को आगे बढ़ा कर अपने गुदाज होंठ अपने बेटे ज़ाहिद के होंठो पर रख दिए।

"ओह ज़ाहिद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड, आज तुम्हारी सग़ी माँ खुद तुम्हारे साथ अपनी सुहाग रात मनाने आई है मेरे बच्चेययययययययी"रज़िया बीबी ने अपने दाँतों से अपने जवान बेटे के होंठो को काटते हुए कहा।

"हाईईईईई! में शायद इस दुनिया का वाहिद खुश नसीब इंसान होउंगा, जिस ने अपने ही घर में अपनी बहन और माँ के साथ अपनी सुहाग रात मनाई हो गी, अम्मी जानंनणणन्" अपनी अम्मी की गरम गोशी देख कर ज़ाहिद भी मस्ती में आ गया।

ज़ाहिद ने थॉंग में कसी हुई अपनी अम्मी की आदि नंगी गान्ड को अपने हाथ में काबू किया।

और अपनी अम्मी की गान्ड की बड़ी बड़ी पहाड़ियों को अपने हाथों से दबोचाते हुए रज़िया बीबी के मोटे जिस्म को अपने तरफ खैंचा।

इस दौरान ज़ाहिद और रज़िया बीबी के मुँह एक दूसरे से जुड़ कर एक दूसरे के होंठो और ज़ुबान का ज़ायक़ा चेक करने में मसरूफ़ थे।

जब कि नीचे से ज़ाहिद का लंड उस की निक्कर में अब पूरी तरह तन कर ऐसे खड़ा हो कर अपनी अम्मी की चूत की तरफ इशारा कर रहा था।

जैसे लंड ना हुआ सड़क (रोड) के किनारे पर लगा हुआ तीर (आरो) का वो निशान हो गया। जो रास्ते में चलने वालों को सीधा या सामने जाने का रास्ता दिखाता है।

जब कि नीचे से ज़ाहिद का लंड उस की निक्कर में अब पूरी तरह तन कर ऐसे खड़ा हो कर अपनी अम्मी की चूत की तरफ इशारा कर रहा था।

जैसे लंड ना हुआ सड़क (रोड) के किनारे पर लगा हुआ तीर (आरो) का वो निशान हो गया। जो रास्ते में चलने वालों को सीधा या सामने जाने का रास्ता दिखाता है।

" हाईईईईईईईईई! में सदक़े जाऊ अपनी अम्मी के, जो खुद चल कर मेरे साथ सुहाग रात मनाने आई हैंन्नणणन्" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के होंठो पर अपने दाँत काटते हुए कहा

"हां तुम्हारे मोटे सख़्त लंड से एक बार चुद कर तुम्हारी माँ अब इतनी मजबूर हो चुकी है, कि अब मुझे खुद चल कर अपने ही सगे जवान बेटे से अपनी सुहाग रात मनाने के लिए आना पड़ा, मेरे बच्चे" ये कहते हुए रज़िया बीबी ने अपने सामने खड़े ज़ाहिद को एक धक्का दिया। तो ज़ाहिद एक दम अपने पीछे पड़े हुए बिस्तर पर जा बैठा।

ज़ाहिद के बिस्तर पर बैठते ही रज़िया बीबी फिर आगे बढ़ी।और बिस्तर पर बैठे अपने बेटे के सामने खड़े हो ज़ाहिद की सख़्त जवान छाती पर अपना हाथ रखा।

इस के साथ ही रज़िया बीबी फिर दुबारा से अपने बेटे के मुँह में अपना मुँह डाल कर अपने बेटे ज़ाहिद के होंठो से उस का रस पीने लगी।

अपनी अम्मी के गुदाज होंठो को चुसते चुसते ज़ाहिद अपने हाथों को अपनी अम्मी की कमर के पीछे ले गया। और किस्सिंग के दौरान ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के ब्रेज़ियर की हुक खोल दी।

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के ब्रेजियर की हुक खोली। तो इस के साथ ही रज़िया बीबी भी अपने हाथों को अपने ब्रेजियर पर लाई। और उस ने एक ही झटके में अपने ब्रेज़ियर को अपने मोटे मम्मो से अलग कर के बिस्तर पर फैंक दिया।

ब्रेजियर की क़ैद से आज़ाद होते ही रज़िया बीबी ज्यों ही थोड़ा आगे को झुकी। तो उस के मोटे और भारी मम्मो के लंबे निपल्स बिस्तर पर बैठे हुए ज़ाहिद की सख़्त छाती से रगड़ खाने लगे।

"हाईईईईईईईईईई!ईईईई! ज़्हीद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड!" ज्यों ही रज़िया बीबी के निपल्स की टोपियाँ अपने बेटे की छाती से टच हुई। तो रज़िया बीबी के मुँह से बे इकतियार एक सिसकी निकल गई।

रज़िया बीबी तो अपनी बेवगी के बाद से अपने मम्मो के निप्पलो के यूँ किसी मर्द की छाती से टकराने के मज़े को तो भुला ही चुकी थी।

इसीलिए आज जब इतने अरसे बाद रज़िया बीबी के मोटे लंबे निपल्स अपने जवान बेटे के चौड़े सख़्त सीने से छुए।

तो मज़े के मारे रज़िया बीबी के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगीं। और रज़िया बीबी मज़े से बे हाल होते हुए बार बार अपने मम्मो को ज़ाहिद की सख़्त छाती से रगड़ कर स्वाद लेने लगी।

कुछ देर अपनी नंगी छातियों को ज़ाहिद की छाती से रगड़ने के बाद रज़िया बीबी अपने घुटनों (नी) को मोड़ती हुई नीचे को झुकी।

नीचे झुकते ही रज़िया बीबी अपने मुँह को भी नीचे लाई। और नीचे हो कर ज़ाहिद की गर्दन पर अपने होन्ट चिस्पान कर के अपने बेटे की गर्दन को अपने होंठो से चूमने लगी।

"हाईईईईईईईईईई! अम्मिईीईईईई! आज बहुत प्यार आ रहा है आप को अपने बेटे पर" अपनी अम्मी के प्यार का ये अंदाज़ देख कर ज़ाहिद भी मस्ती से सिसकार उठा।

रज़िया बीबी ने अपने बेटे की बात का जवाब देने की बजाय अपने जिस्म को थोड़ा और झुकाया।

इस तरह झुकने से रज़िया बीबी अब ज़ाहिद के बिल्कुल सामने अपने घुटनों के बल फर्श पर बैठ गई। और ज़ाहिद की गर्दन से होती हुई अपनी गरम ज़ुबान को अपने बेटे के जवान सीने पर ले गई।

ज़ाहिद के चौड़े सख़्त सीने पर अपनी गरम ज़ुबान को फेरते हुए रज़िया बीबी अपने मुँह को अपने बेटे की जवान छाती के निपल के करीब लाई।

और ज़ाहिद की छाती पर "खड़े" हुए अपने बेटे के छोटे से निपल को अपने मुँह में भर कर रज़िया बीबी ने ज़ाहिद की छाती के निपल को अपने दाँतों से काटा।

"हाईईईईईईईईईई!ईईई! दर्द होता है अम्मिईीईईईईईई!" अपनी अम्मी के दाँतों को अपने निपल पर जमे हुए पा कर ज़ाहिद दर्द और मज़े की शिद्दत से चीखा।

"अपनी अम्मी से हम बिस्तरी करनी है,तो फिर इस किस्म के दर्द तो बर्दास्त करने पड़ेगे बएटााआआआअ" ज़ाहिद की चीख सुन कर रज़िया बीबी बोली।

अपने बेटे की मज़े और दर्द भरी इस चीख ने रज़िया बीबी को मज़ीद गरमा दिया था।

इसीलिए रज़िया बीबी ने ज़ाहिद की चीख की परवाह ना करते हुए अपने मुँह को मज़ीद खोला। और अपने बेटे की छाती के निपल पर अपनी गरम ज़ुबान घुमाते हुए ज़ाहिद के निपल को प्यार से सक करने लगी।

कुछ देर ज़ाहिद की छाती के दो निपल को चूसने और काटने के बाद रज़िया बीबी ने ये ही अमल अपने बेटे की छाती के बाईं निपल पर दोहराया। तो मज़े की शिद्दत से ज़ाहिद बे हाल हो गया।

"हाईईईईईईईईईई! अम्मिईीईईईईई! आज तो आप एक माशूका की तरह अपने आशिक़ को प्यार कर रही हैं" अपनी अम्मी के गरम होंठ अपनी गर्दन और छाती के निप्पलो पर महसूस करते ही ज़ाहिद मचल उठा।

आज से पहले तक तो ज़ाहिद ही हमेशा औरतों के निप्पलो को यूँ अपने मुँह में भर कर चूस्ता रहा था।

मगर आज ज़ाहिद की ज़िंदगी में ये पहला मोका था। जब कोई आम औरत नही बल्कि उस की अपनी सग़ी अम्मी उस के अपने निपल्स को यूँ अपने मुँह में भर कर सक कर रही थी।

बे शक ज़ाहिद कोई गान्डु शख्स नही था। लेकिन इस के बावजूद उसे आज अपनी छाती के निपल्स को अपनी अम्मी से चुसवाने में बहुत ही मज़ा आ रहा था।

अपनी अम्मी के प्यार करने का ये अंदाज़ और स्टाइल देख देख कर ज़ाहिद बहुत हैरान हो रहा था।

ज़ाहिद को यकीन ही नही हो रहा था। कि ये वाकई ही उस की अपनी सग़ी अम्मी हैं।

जो इस वक्त बहुत वलिहाना अंदाज़ में अपने बेटे के जिस्म को प्यार किए जा रही हैं।

ज़ाहिद को यकीन ही नही हो रहा था। कि ये वाकई ही उस की अपनी सग़ी अम्मी हैं।

जो इस वक्त बहुत वलिहाना अंदाज़ में अपने बेटे के जिस्म को प्यार किए जा रही हैं।

ज़ाहिद ने अपनी जवानी के आगाज़ से ले कर अपनी बहन से शादी तक, बहुत सी औरतों के साथ हम बिस्तरी की थी।

मगर शाज़िया के बाद आज उस की अपनी सग़ी अम्मी ही वो दूसरी औरत थी। जिस के प्यार के इज़हार का अंदाज़ देख कर ज़ाहिद को दिली मज़ा आ रहा था।

इधर दूसरी तरफ रज़िया बीबी भी आज अपने दिल में ये तय कर के आई थी। कि जिस तरह एक अरसे के बाद आज दोपहर को उस के अपने सगे बेटे ज़ाहिद ने उस की प्यासी चूत में अपना मोटा लंड डाल कर अपनी अम्मी की गरम चूत को सकून पहुँचाया है।

उसी तरह आज वो भी कुछ ऐसा करे गी। कि जिस के करने से उस के जवान बेटे ज़ाहिद को भी मज़ा आए।

और फिर ज़ाहिद अपनी अम्मी का भी उसी तरह आशिक़ और दीवाना बन जाए। जिस तरह वो अपनी बहन का आशिक़ बन चुका है।

अपनी इसी सोच पर अमल करते हुए रज़िया बीबी कुछ देर यून अपने बेटे की छाती पर अपनी गरम ज़ुबान रगड़ कर खुद भी मज़ा लेती रही। और साथ ही साथ अपने बेटे ज़ाहिद को भी मज़े की नई मंज़लों से रोशनास करवाती रही।

जब ज़ाहिद की छाती को चाट चाट कर रज़िया बीबी का दिल भर गया। तो वो अपने मुँह को ज़ाहिद के जिस्म पर पकड़े हुए अपने होंठ अपने बेटे के पेट पर ले आई।

ज़ाहिद के पेट पर अपना मुँह लाते ही रज़िया बीबी ज़ाहिद की मोटी दुहनी (नेवेल) को अपनी गरम ज़ुबान से चाटने और प्यार करने लगी।

"हाईईईईईईईई!ई गुदगुदी होती हाईईईईईईईईईई!ईईईईईईई!अम्मिईीईईईईईईईईईईई!" अपनी अम्मी की लंभी और नोकेलि ज़ुबान को अपनी दुहनी पर महसूस करते ही ज़ाहिद को गुदगुदी हुई। और उस ने अपने हाथ के साथ अपनी अम्मी के मुँह को अपने जिस्म से अलग करने की कोशिश की।

रज़िया बीबी को शायद ज़ाहिद के इस रिक्षन का अंदाज़ था।

इसीलिए उस ने अपने हाथों को ज़ाहिद की कमर के गिर्द जकड कर अपने मुँह को मज़बूती से अपने बेटे के पेट पर जमा लिया।

जिस की वजह से ज़ाहिद अपनी कोशिश के बावजूद अपनी वालिदा को अपने आप से अलग ना कर पाया।

रज़िया बीबी ने अपने मुँह को उसी तरह अपने बेटे के पेट से चिस्पान करते हुए अपनी लंबी ज़ुबान को ज़ाहिद की दुहनी के अंदर फेरा। तो ज़ाहिद को ऐसे लगा जैसे किसी ने उस के लंड के अंदर एक आग सी भर दी हो।

ज़ाहिद को एक दम जोश आया। और उस ने बिस्तर पर बैठे बैठे अपने जिस्म को एक झटका दिया।

तो ज़ाहिद की शॉर्ट्स में खड़ा हुआ उस का लंड उस की अपनी अम्मी रज़िया बीबी के लटकते हुए मोटे मम्मो के दरमियाँ रगड़ खाने लगा।

ज़ाहिद की निक्कर में खड़े हुए अपने बेटे के लंड को यूँ अपनी मोटी छातियों के दरमियाँ टच होते देख कर रज़िया बीबी के ज़हन में यका यॅक एक ख्याल आया।

इस ख्याल के ज़हन में आते ही रज़िया बीबी एक दम से नीचे हो कर फर्श पर बैठ गई।

फर्श पर इस तरह बैठने से अब रज़िया बीबी का मुँह बिस्तर पर बैठे हुए अपने बेटे ज़ाहिद की टाँगों के दरमियाँ में उस की निक्कर के अंदर खड़े हुए लंड के बिल्कुल सामने आ गया था।

फर्श पर बैठे बैठे रज़िया बीबी ने ज़ाहिद की कमर के गिर्द अपने हाथ डाले। और अपने बेटे की निक्कर को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर उतारने लगी।

ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपने बेटे की निक्कर को हाथों में पकड़ कर खैंचा।

तो ज़ाहिद ने भी बिस्तर से अपनी गान्ड को हल्का सा उपर उठा कर अपनी अम्मी की मदद की। और यूँ रज़िया बीबी ने कई सालों बाद अपने बेटे ज़ाहिद को उस की जवानी में फिर से अपने हाथों नंगा कर दिया था।

रज़िया बीबी ने इस से पहले कई दफ़ा ज़ाहिद के बचपन में उसे नहलाते वक्त अपने बेटे के कपड़े खुद अपने हाथ से उतारे थे।

मगर ज़ाहिद के जवान होने के बाद आज रज़िया बीबी की ज़िंदगी में ये पहला मोका था। जब उस ने अपने जवान बेटे को खुद अपने हाथ से नंगा किया था।