एक नौजवान के कारनामे 155

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मालिश से आराम और चुदाई.
1.4k words
3.5
108
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Part 155 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 19

मालिश से आराम और चुदाई

जब मालिश की मेज पर लेट कर जब आँखें खोलीं तो अपने ऊपर लटके हुए जार से तेल टपकता हुआ देखा। रानी जूही जन्नत में थी। एना की देखरेख में महर्षि द्वारा प्रदान किये गए जड़ी बूटियों का हर्बल उपचार और देखभाल प्राणपोषक थी। वह अपने महल में भी अच्छी तरह से मालिश इत्यादि का अनुभव कर चुकी थी लेकिन पूरे माहौल और सेटिंग में बदलाव ने उसके लिए पूरी तरह से नए स्तर का अनुभव था।

उसने महसूस किया कि उसके साथ मेरे सेक्स के कारण इस मालिश से उसे बहुत आराम मिला था और ये हर्बल तेल से मालिश का अनुभव काफी अच्छा था। हमारी यौन मुठभेड़ बहुत जोरदार थी और मैंने उसे बहुत ही शारीरिक रूप से ऊर्जावान फैशन में कई बार चोद दिया था। उसके अंगों में आनंद भरा दर्द हो रहा था और उसकी योनी नए आयामों तक खिंची हुई महसूस हो रही थी। उसने अपने शरीर के कुछ हिस्सों में दर्द और कुछ जगहों पर रोमांच महसूस किया था जिनके बारे में वह नहीं जानती थी।

और मालिश करनेवाली, जो उसके शरीर पर मालिश कर रही थी, उसकी विशेषज्ञ उंगलियाँ जादू भरी थी। महिला के हाथों ने तनाव और थकान मिटा दी और जूही को राहत मिली। जूही ने अपने शरीर को पुनः ऊर्जावान महसूस किया और एक बार फिर वह मुझे आकर्षित करने के बारे में सोचने लगी। मालिश करनेवाली उसके शरीर को एक बांसुरी की तरह बजा रही थी और वह उसके साथ कुछ यौन राहत में लिप्त हो सकती थी। लेकिन वह जानती थी कि मैं लंबे समय तक उपलब्ध नहीं रहूँगा और रानी माँ इसकी अनुमति भी नहीं देगी और जल्दी ही मैं अपने विवाह के लिए चला जाऊँगा और फिर मुझे अन्य रानियों को भी चौद कर गर्भवती करना है। ्मेरे साथ चुदाई के लिए यह उसका आखिरी मौका हो सकता है, जबकि मालिश करने वाली की सेवाएँ वह कभी भी ले सकती है।

राजमाता ने अपनी नयी बहू और मुझे पूरे जोश के साथ चोदते हुए देखा था। उसे अब कोई संदेह नहीं था कि संसेचन हो गया होगा। मैंने उसे एक से अधिक बार भीग लिया था और वीर्य दान कर उसकी योनि को हर बार भर दिया था। राजमाता के अपने सारे पूर्वाग्रह समाप्त हो गए थे और राजमाता ने खुद को भी तृप्त करने के बारे में कई बार सोचा था और वह मेरे लिंग की लम्बाई और आकार से आकर्षित थी और चुदाई को देख कर हर बार प्रभावित हुई थी। लेकिन दिन की रोशनी में, उसने अपने आप का समझा लिया था कि रानी जूही के गर्भधान के लिए अब मेरी ज़रूरत नहीं थी।

मुझे पता था क्यों। पूरी रात मैं और जूही बिस्तर पर चुदाई करते रहे थे और फिर कुछ देर के लिए चिपक कर सोए थे। रानी जूही जब तड़के उठी थी तो मैं उन्हें धीरे से मैंने चूम रहा था। मेरे स्पर्श से वह जग गईं थी और मुझे अपने साथ चिपका हुआ देखा था और फिर जूही रानी ने अपनी नंगी टांगें फैला दी थी, अपना हाथ नीचे डाल कर मेरा लंड पकड़ा सुपडे पर हाथ फिरा कर लण्ड का सुपाड़ा अपनी उंगलीयों से टटोल कर पकड़ लिया था और अपनी चूत के छेद पर टिका लिया था।

नरम छेद का सुपाड़े पर स्पर्श पाते ही मैंने तनिक देर भी और प्रतीक्षा किये बिना ही एक तेज धक्का लगा कर अपना सूजा हुआ लंड मुंड तेजी से रानी जूही की जांघो के बीच उसकी योनि में गायब कर दिया था और फिर मेरी गेंदे और नंगी जाँघे उसकी नंगी जाँघों से ऐंठने वाले झटके में टकरा रहे थी।

फिर जब हमने समाप्त किया तो उसकी योनी में दर्द हो रहा था। हम शोरगुल कर रहे थे और जंगली थे और इसके कारण एक बार फिर राजमाता की नींद हमने खराब कर दी थी।

मैं भी मालिश करवाने के बाद अब अपनी शादी के लिए चीजें पैक करवाने में व्यस्त था, जब महारानी की सबसे करीबी नौकरानी, विश्वासपात्र नैना मेरे पास आई।

"रानी साहिबा आपसे मिलना चाहती हैं," उसने मुझे सूचित किया।

"वौ कहा हॆ?" मैंने पूछ लिया। मैंने उसकी तलाश की थी लेकिन वह नहीं मिली।

"वह दूसरे छोर पर झोपड़ी में है, जहाँ उनका हर्बल उपचार किया जा रहा है," नौकरानी ने शरमाते हुए कहा। उसे मालूम था राजकुमारी आग से खेल रही थी, वह जानती थी। रानी खुद जल रही थी और वह भी जानती थी। "राजकुमारी को इतनी दूर तक ले जाने वाला जरूर चुदाई में सांड ही होगा और फिर उसने मेरा खड़ा हुआ लम्बा और विशाल लंड भी सुबह ही देखा था," उसने मन ही मन सोचा।

जब मैं वहाँ पहुँचा तो जूही वहीं लेटी हुई थी, उसका बदन नग्न था। मालिश करने वाली के विशेषज्ञ हाथों ने उसे सभी शारीरिक तनावों से मुक्त कर दिया था लेकिन उसके शरीर में यौन तनाव से आग लगा दी थी। मैंने रानी जूही के व्यक्तित्व को एक नया आयाम दिया था। वह दुखी थी कि मैं जा रहा था लेकिन फिलहाल हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते थे। उसका शरीर मेरे मर्दाना हाथों से उसकी मालिश के लिए तड़प रहा था।

मैं झोपड़ी में घुसा तो जूही को नग्न अवस्था में लेटी हुई देख दंग रह गया। उसका शरीर तेल से चमक रहा था। उसके स्तन उसकी छाती पर सीधे थे और दोनों निप्पल खड़े थे और आकाश की ओर इशारा कर रहे थे॥ जूही रानी कामोद्दीपक थीं। मेरा लंड सलाम में झटक गया। जूही के साथ सम्भोग करने के बाद से मेरा इरेक्शन शायद ही कभी पूरी तरह से कम हुआ हो। लंड के लिए एकमात्र राहत उसकी योनी का गर्म घोंसला था। लंड की कठोरता ने मुझे पहली बार पीड़ा दी।

उसने महसूस किया कि मेरे प्रवेश करते ही वह मुड़े हुए घुटने से एक पैर ऊपर उठाते हुए मेरी तरफ मुड़ी। वह अपने पैरों के बीच गैप और इस तथ्य से बेखबर थी कि उसकी चूत मुझे दिखाई दे रही थी। वह ऐसा ही चाहती थी। "कुमार मालिश करने वाली ने एक काम अधूरा छोड़ दिया है," वह फुसफुसायी, उसकी आवाज़ उत्साह के साथ कांप रही थी।

जूही ने अपने निप्पल को सहलाते हुए एक स्तन अपने हाथ में तौला। वह काँप उठी और उसने मुझे पास आने का इशारा किया।

"रानी साहिबा," मैं फुसफुसाया।

"मुझे पता है कि आप मुझे जुहिइइइइइ कैसे बुलाते हैं," उसने जवाब दिया, उसका हाथ मेरी धोती के नीचे कुछ खोज रहा था।

एकदम स्पंजी कमर मांसल यौवन देख कर मैंने उसे चोदने का मन बना लिया और कमरे को बंद कर उसको चूमने चाटने लगा। वह उठी और मुझे अपने लिप्स और जीभ से चाटने लगी। उसके ऐसा करने से मैं जोश में भर कर मैंने उसे अपने पास खींचा और अपने लंड को उसकी चुत में घुसेड़ दिया और जैसे माखन की टिकिआ में चाकू जाता है उसी सरलता से लंड अंदर चला गया। फिर मैंने उसे बेरहमी से चौदा और मज़ा लूटा और उसने भी चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई का मज़ा लिया फिर पलट कर उसे ऊपर ले लिया और मेने उसकी बेरहमी से उछाल-उछाल कर चुदाई की और फिर हम दोनों ने एक दूसरे की बांहो में जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिया और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा॥

जैसे ही मेरा बीज उसमें डाला गया, वह बाहर बह गया और नीचे की मेज पर टपक रहा था। जूही ने मेरे हाथों को अपने स्तनों, को बाते हुए महसूस किया। उसके निप्पल मेरे चंगुल में नरम महसूस हुए वह लूटने के लिए मेरी थी और वह चाहती थी कि मैं उस के शरीर पर अपने प्यार के निशान छोड़ दूं। शायद उसके स्तनों पर मेरे रात के प्यार के घाव थे। उसने मेरी जांघों को कांपते हुए देखा।

उसने नीचे देखा और देखा कि मेरा वीर्य उसकी योनी से अभी भी टपक रहा था। यह निश्चित रूप से वह स्थिति नहीं थी जिससे रानी माँ संसेचन की गारंटी चाहती थी।

राजमाता चुपके से हमारी चुदाई देख रही थी उसने रानी को जाने के लिए निर्देश देने के लिए इशारा दिया। हम दोनों वासना में जानवर बन गए थे और स्पष्ट रूप से राजमाता हमें रोकने के लिए और कुछ नहीं कर सकती थी। रानी माँ खुश थी कि उसने मुझे इस काम के लिए चुना था। पिछले 36 घंटों में काफी चुदाई हुई थी और राजमाता जानती थी कि मैंने पर्याप्त वीर्य उत्सर्जन किया है। निश्चय ही समय पर रानी गर्भवती पाई जाएगी। अब जूही की और चुदाई, इंतजार करने और चुदाई देखने की कोई जरूरत नहीं थी।

जाहिर है, जूही रानी अब खुद को लंड से ज्यादा दूर नहीं रख सकेगी इसलिए रानी मा ने अब इसे रोकने का निर्णय लिया और इशारा पाते ही उनकी बहू ने अपने खुले हुए वस्त्रों को इकट्ठा किया, पहना और अपने कक्ष में चली गई।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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