खानदानी निकाह 21

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कमसिन और अल्हड़ जूनि की चुदाई​
1.1k words
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146
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Part 21 of the 67 part series

Updated 01/16/2024
Created 01/21/2022
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

भाग 21

कमसिन और अल्हड़ जूनि की चुदाई​

अपने नाम के मतलब के अनुसार जूनि बहुत 'प्यारी' थी और कमसिन और अल्हड़ जूनि की चुदाई करके मुझे बहुत मजा आया था।

जूनि, जीनत और मैं तीनो ऐसी मस्त चुदाई से बहुत खुश थे और अब मैंने हिसाब लगाया की एक महीना पूरा होने वाला है और निकाह के बाद मेरी पहली सुहागरात ज़ीनत के साथ मनाने का फैसला करते हुए मैंने ये भी फैसला किया था कि हर एक महीने के बाद सुहागरात मनाऊंगा।

तो अब मैंने अपना नया फैसला किया की अमीषा जैसी आरसी और रवीना जैसी रुखसार की चुदाई मुझे जल्द ही करनी है और फिर उनकी चुदाई का मन बनाकर उनको अपनी अम्मी को फ़ोन कर के बोला की आज कल खेत पर काम बहुत है और उन दोनों को ये कह कर वही पर बुलवा लिया की मौसम अच्छा है उनको यहाँ अच्छा लगेगा और साथ में जीनत आपा की भी काम में कुछ मदद हो जाएगी।

तो अम्मी बोली तो रिजवान आरसी और रुखसार को छोड़ने आजायेगा और अब आगे खेतो पर अब काम और बढ़ जाएगा इसलिए रिजवान भी वहीँ रुक जाएगा और मेरी बहनो रुखसाना, सलमा और फातिमा को भी रुखसार और आरसी के साथ भेज देंगी। सब मिल कर काम करना और रहना।

जबतक वह आती ज़ीनत और जूनि मुझसे रोज़ 2-2 राउंड लगवाती थी और ड्राई फ्रूट्स का हलवा और खूब खिला पीला कर मेरी ज़िन्दगी में बहार ला दी थी। जहाँ ज़ीनत का स्वाद मीठा था वहीँ जूनि का स्वाद खट्टा था और मैं रोज इन दोनों सुंदर और खट्टी मीठी बहनो का पूरा स्वाद लेता था।

निकाह के बाद चाचा और खाला की एक-एक लड़की को में चोद चूका था, मेरे मामा की कोई औलाद नहीं थी और मौसी मेरी चची ही थी क्योंकि मेरे अब्बू और चाचा के निकाह अपनी सेज माँ की लड़कियों से ही हुआ था।

रोज की लम्बी और जोरदार चुदाई से अल्हड़ और कमसिन जूनि की चुत सूज गयी थी और ज़ीनत उसकी सिकाई करती थी लेकिन रात होते ही उसको फिर लंड खाने की आदत लग गयी थी

एक रात मैंने जूनि की बहुत देर तक चुदाई की और सुबह मैं देर तक उन दोनों बाहों में सोया, जूनी और जीनत और जब मैं उठा तो वह जूनि बोली आज मत जाओ और मुझे दिन में भी चोदो लेकिन खेत में जाना जरूरी था तो मैंने उसे अपने साथ खेतों में ले जाने का फैसला किया ताकि मैं दोपहर में उसकी चुदाई कर सकूँ। जीनत ने एक नौकरानी को जूनी के साथ उसकी मदद के लिए भेजा।

लंच के समय जूनी खुले मैदान में खाना लेकर मेरे पास आयी। मैंने उससे कहा कि हम आउटहाउस में लंच करेंगे। खेतो के बीच में हमारा एक आउटहाउस था और मैं जूनी के साथ आउटहाउस चला गया जब मैंने दरवाज़ा खोला जूनी में आउटहाउस के बरामदे में कदम रखा तो एक पल में वह मेरी बाँहों में झूल गयी और कसकर गले से लग गई। मैंने देखा कि हवा का एक झोका आया और हाल में बड़ी अलमारी का दरवाजा थोड़ा हिल गया मैंने यह सोचकर अनदेखा कर दिया कि शायद इसे ठीक से बंद नहीं किया गया है और अब हवा के दबाव के कारण दरवाजा हिल गया है।

मेरा लंड खड़ा हो गया और सूज गया और कपड़ों पर जोर से जोर पड़ने लगा।

' जूनी मुझे चुप रहने के लिए फुसफुसा रही थी उसे अंदेशा था कि नौकरों और अन्य खेत श्रमिकों या लोग हमारी आवाजे सुन सकते हैं लेकिन मैं बिलकुल बोल्ड हो गया और जल्द ही सीधे उसके घाघरे के नीचे मेरा हाथ गया और मैंने उसे नीचे खींच दिया अगले ही पल में मेरी आंखों के सामने उसकी चिकनी लम्बी और बिना कपड़े वाली जांघें थी और मेरे हाथ ने उसके चुत को सहलाया और मैंने अपने पास खींचा उसके ओंठो को चूम उसे करीब से दबाया और अपने खड़े लंड को उसकी चुत के खिलाफ रगड़ा।

' तब मुझे एहसास हुआ कि भोली जूनी अब और अधिक बोल्ड हो गई है और उसका हाथ मेरी पैंट के सामने की ओर चला गया और उसने मेरी पैंट को खोल दिया और मेरा खड़ा और लंड ने बाहर छलांग लगा दी। मेरे विशाल लंड की छलांग का दृश्य देखकर वह चौंक गई, वह मेरे विशाल गर्म हथियार को देखकर लगभग विस्मय से कराह उठी उफ़, इतना बड़ा और कठोर!, लेकिन अब जूनी को इससे कोई डर नहीं लग रहा था, उसने अपनी हथेली में प्यार के जादू के साथ लंड को पकड़ा, सहलाया और-और दबा कर उसे खींचती हुई अपनी योनि के द्वार पर ले गयी और मुझे इशारा किया कि वह अब इसे अपने अंदर चाहती है।

' यह सब, निश्चित रूप से, मुझे यहाँ बताने और लिखने में जितना समय लगता है, उससे बहुत कम समय में हुआ और फिर उसकी ख़ुशी और मजे के लिए मैंने खुशी से जूनि को एक लंबे झूले पर बैठा दिया जो आंगन ने लगा हुआ और उसके कपड़े निकाल कर फेंक उसकी पूरी नंगी कर दिया और अब उसके सारे आकर्षक यौनांग मेरे सामने मुझे ललचा रहे थे मैंने उसके स्तनों को सहला कर चूमा और मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाल दिए और उसने अपनी गुलाबी और उग्र चुत के प्रवेश द्वार पर मेरे खड़े हुए लंड के सुपारे को लगाया और उसने जल्द ही इसे अपने भीतर समा लिया और फिर लंड पर हुक पर फसी मछली की तरह थिरकने और तड़पने लगी!

मैंने धक्के मारने शुरू किये और जूनि के मुँह से ऐक सिसकारी निकली और उसने खुद साथ में अपने चूतड़ को उछाला और मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया, जूनि के मुँह से सिसकारी निकली लेकिन उसका मुँह मेरे मुँह में था इसलिए आवाज बाहर नहीं गयी और फिर मैंने खूब ज़ोर-ज़ोर से झटके मारे, मुझे बोहत मज़ा आ रहा था और जून बुरी तरहा से सिसकने लगी, आआआअहह-आआआअहह उूउउफ आह्हः आआअहह ऊऊऊऊीीईईईईई मुझे बोहत माज़ा आरहा है उम्म्म!

' मेरे बड़े लंड के तेज झटको के साथ और कमर की नियमित पंपिंग स्पीड के कारण मैंने लंड को लगातार उसकी कोमल चुत में अंदर बाहर किया और हम दोनों एक साथ झड़ गए।

फिर हमने दोपहर का भोजन किया और फिर एक दूसरे की बाहों में कुछ देर आराम किया। फिर मैंने जूनि को एक बार और चौदा और उसकी चुत बिलकुल सूज गयी थी मैंने उसको कपड़े पहनने में मदद की, अपनी पैंट को पहना और एक चुंबन दिया और खेत की तरफ चला गया।

रात की जीनत आपा ने जूनि की चूत का मुआयना किया और बोली इसकी चुत की तो बुरी हालत हो गयी है। तो मैंने पहले जीनत की चुदाई की, फिर जूनि जीनत आपा की चुदाई देखने के बाद चुदासी हो गयी थी,

इसलिए ज़ीनत आपा ने कहा की इसकी गांड मारो और में तुम्हे इसकी इज़ाज़त देती हु और फिर मैंने जूनि की गुलाबी नाज़ुक गांड बड़ी बेरहमी से मारी और उसकी चीखो से घबरा कर बीच में ही उसकी गांड छोड ज़ीनत की गांड मार दी जिससे दोनों की हालत ख़राब हो गयी और 7 दिन चुदने लायक नहीं रही।

कहानी जारी रहेगी

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