अंतरंग हमसफ़र भाग 084

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मुखमैथुन के नए पाठ
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Part 84 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मैं ये सोच रहा था कि ऐसा क्या हुआ की एमी जैसी शर्मीली लड़की अचानक कैसे इतना सब करने लगी और मुझे सेक्स के नए पाठ पढ़ाने लगी थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और फिर हम दोनों किस करने लगे । मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे अपने आलिंगन में ले लिया। हम फुसफुसाते हुए आपस में आयी लव यू बोल रहे थे।

एमी के बदन कोमल और उसकी चिकनी त्वचा देखने में बड़ी आकर्षक थी। उसके शरीर का हर अंग ना तो बहुत पतला था और ना ही मोटा। हर कोने से वह पूरी तरह शेप में थी। उसके स्तन मध्यम थे कमर पतली और उसकी गाँड़ की गोलाई और घुमाव खूबसूरत थी।

मुझे उसके होँठ बड़े ही रसीले लगे। जब मैं उन्हें चूस रहा था तो ऐसा लगा जैसे उन में से हरदम रस बहता रहता हो और सबसे ज्यादा आकर्षक थी उसकी की नशीली और आमंत्रित करती हुई आँखें। कुलमिला कर एमी थी रसीली और नशीली नवयुवती ।

मैं आगे झुक कर उसके प्यारे स्तनों को अपने हाथों में लेने लगा।

"नहीं, कुमार," मिली ने कहा, "हाथ नहीं। देखें कि आप कितने कल्पनाशील हो सकते हैं!" उसकी आवाज़ में चुनौती का कोई संकेत नहीं था, केवल एक चंचलपण था।

मुझे कुछ समझ नहीं आया तो लिली फुसफुसाई । कुमार हाथ नहीं मुँह का उपयोग करो । मुझे तुरंत समझ आ गया की यहाँ असली गुरु कौन था ।

मैंने एमी पास हुआ और उसे आलिंगन में लिया जिससे उसके स्तन मेरी छाती पर दब गए और मैंने उसके होंठ पर गर्म चुंबन की वर्षा तब तक की तक वह सांस के लिए हाफने नहीं लगी और उसकी मीठी साँसों की खुशबू को में तब तक चूसता रहा, जब तक कि वह उत्तेजित हो कर कांपने नहीं लगी।

फिर नाव के किनारों पर अपने हाथों का वजन डालते हुए मैं उसकी गर्दन, उसके कानों के पीछे नरम नम स्थान, उसके कंधों को चूमने के लिए झुक गया। मेरे मुंह-होंठ, दांत, जीभ-मेरे शरीर के एकमात्र हिस्से थे जो उसे छू रहा था, मैं उसे कुतर रहा था, चूम रहा था, मैं अपने होंठों और जीभ को उसकी बाहों से नीचे बगलो में ले गया तो वह आनद से कांप गयी। मैंने उसकी एक-एक उँगली एक-एक करके अपने मुँह में डाली, चूसती, कुतरी और फिर वापस उसके कंधों पर, उसकी कॉलर बोन के ठीक नीचे की चिकनी खोखली, उसके स्तनों के दृढ़ टीले जो इतने मधुर रूप से खड़े हुए थे।

जैसे ही मेरा मुँह बेर जैसे उसके उभरे हुए निप्पल तक पहुँचा, वह कराह उठी। धीरे-धीरे मैंने एक निप्पल को अपने मुंह में चूसा, उसे अपने दांतों से धीरे से पकड़ लिया और फिर मेरी जीभ उसके चारों ओर चक्कर लगा रही थी। एमी की महक मीठी थी, उसका पसीना नमकीन था। उसके प्रत्येक निप्पल के पीछे केवल माध्यम आकार के स्तन थे, पर उसके गुलाबी चूचक आश्चर्यजनक रूप से संवेदनशील थे ।

मेरे मुंह ने उसके निप्पल के साथ एक छोटा-सा खेल खेला, धीरे-धीरे उसे चूसते हुए, फिर उसे बाहर धकेलते हुए, कुतरते हुए फिर उसे फिर से अंदर, फिर बाहर, फिर अंदर करता रहा। फिर पेट को चूमा और फिर नाभि और फिर उनके योनि क्षेत्र पर गया और उसकी चूत का मांस पूरी तरह से नग्न था। कोई बाल का नामो निशाँ नहीं था ।

"ओह, हाँ," वह कराह उठी । "वहाँ वहाँ!" मेरी जीभ ने एमी के भगशेफ, दृढ़ और गीला, और छोटे रसीले फल की तरह पाया। उसके भगशेफ के चारों ओर, नीचे उसकी गर्म और रसीली योनि में, उसके भगशेफ के सिर पर आगे-पीछे। एमी की चूतके रस का स्वाद स्वादिष्ट था, एक साथ मीठा और मसालेदार।

एमी की पीठ झुकी हुई थी और वह मेरे चेहरे पर अपनी गर्म योनी को दबा रही थी। मैंने अपने हाथों में उसकी गांड को सहारा दिया क्योंकि उसके पैर मेरे शरीर के दोनों ओर लटके हुए थे। मैंने अपना चेहरा उसकी मीठी, रेशमी, मसालेदार योनी में दफ़न कर दिया, जैसे कि मैंने अपने हाथों में एक रसदार खरबूजा रखा हो, अपने चेहरे, अपने मुंह को उसके केंद्र में ले जाकर उसे खाने के लिए अपनी जीभ उसके अंदर उसकी गहरी मांसपेशीयो पर चलाने लगा और मेरी जीभ उसके कौमार्य की झिल्ली तक पहुँच गयी थी । एमी की भगशेफ सख्त और खून से लबालब भर गयी थी और उसी तरह मेरा अपना लिंग भी कठोर हो कर सीधा हो गया था और लाल खून से भर गया था। मेरी जीभ और होठों एमी की योनि की संवेदनशील हिस्सों के छेड रही थी जिससे एमी का पूरा शरीर मेरी जीभ की लय में कांप रहा था।

जब वह स्खलन के पास पहुँची उसने अपने पैरों को मेरे सिर पर कस दिया, उसे अपनी योनि के सूजे हुए होंठों के खिलाफ कसकर दबा लिया-जैसे कि अब मैं कहीं भी जाऊँ! यह मेरे लिए बिल्कुल नया आउट बढ़िया अनुभव था। कामुक प्रसन्नता और उत्साह को प्रकट करने के लिए एक नया द्वार खुला, जिसके बारे में मुझे पता नहीं था। वह बार-बार झड़ रही थी और लहरों में स्खलित हो रही थी, उसके शरीर को तानते हुए, घुमाते हुए, उसे गर्म करते हुए, योनि को चेहरे से थपथपाते हुए, मैं उसकी योनि को चूम, चोस और चाट रहा था और वह मुझे पैरो से कसते हुए और फिर अपने पैरों को ढीला करते हुए और फिर एक, जंगली, तेजी से नितम्बो को ऊपर उठाया और तेजी से उसका बदन ऐंठा और वह स्खलित हो गयी।

इस सत्र में मैंने एमी और मिली से धीमा होना, सेक्स में सहज होना, अपना समय लेना और भावनाओं को बढ़ने देना, जुनून का निर्माण और खुद पर नियंत्रण कर सम्भोग को लम्बा करना सीखा।

अन्य लड़कियों के साथ मैं हमेशा तेजी से सेक्स करता था। निश्चित तौर पर सम्भोग की परिकाष्ठा स्खलन है जो अब तक मेरे लिए सुखद था अच्छा था, और सम्भोग का लक्ष भी स्खलन ही रहता था कि चलो इसे प्राप्त करें और अपने साथी को भी स्खलित होने तक उसे प्यार करे और अब मुझे समझ आया की स्खलन तक का सफ़र भी स्खलन जितना ही मजेदार होता है। एमी और मिली मुझे स्खलन के रास्ते के सभी कोमल, सूक्ष्म क़दम सिखा रही थी और जो ख़ुद उन्हें और मुझे भी बहुत अच्छे लगे।

फिर मिली बोली "मेरी प्यारी बहन एमी अब आप कुमार की हो और अपने शरीर और आत्मा के साथ ईमानदारी से इसकी सेवा करो।"

एमी ने धीरे से कहा, "मैं अपने शरीर, मन और आत्मा के साथ अपने कुमार की आजीवन सेवा करने का वादा करती हूँ।"

उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया, और मेरी गेंदों को अपने नाखूनों की युक्तियों से सहलाया, वह मुझे बस छू रही थी, उसकी छुअन में बस सनसनी की फुसफुसाहट थी और फिर एमी ने मुझे ओरल सेक्स का अंतिम अनुभव दिया।

वह पलटी उसके हल्के से हिलने डुलने से भी उसकी चूचियाँ उछल पड़ी और उसने अपने पैरों को मेरे ऊपर घुमाया ताकि उसकी गुलाबी चूत मेरे चेहरे से कुछ इंच ऊपर हो। जैसे ही उसने अपना सिर धीरे-धीरे आगे-पीछे किया, उसके लंबे रेशमी बाल मेरे धड़कते हुए लंड को छू रहे थे, मेरी सूजी हुई गेंदों को छेड़ रहे थे। उसकी गीली, गर्म योनि को मेरे इंतज़ार कर रहे चेहरे में उतारते हुए उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया।

मैंने अपनी बाँहों को उसकी गांड के चारों ओर लपेट लिया, मैंने उसकी योनि को अपने चेहरे पर कस कर खींच लिया। मेरी जीभ जोर-जोर से उसकी चिकनी गर्म और रसीली चूत में गयी। मैं अपनी जीभ के साथ जितना हो सके, उसकी योनि में अंदर और बाहर कर रहा था और उसकी सूजी हुई भगशेफ को, गहरे-कोमल और गहरे से चूस रहा था। एमी अपने लंबी टांगो के साथ, उसकी चूत बहने लगी और चुतरस गर्म, मसालेदार और चिकना था और मैं अपने लंड को उसके मुंह में धकेल रहा था।

उसके गले के अंदर गहरे में उसकी जीभ और होंठो को दबाता हुआ लंड अंदर था और वह लंड पर मुँह आगे पीछे कर रही थी और जीभ से लंडमुंड को छेड़ और सहलाए जा रही थी।

एमी बार-बार झड़ी, उसका पहला स्खलन एक छोटा-सा रास का विस्फोट था, अगला और अगला और अधिक तीव्र और फिर मेरे मुँह में उसके रस की बाढ़ आ गयी। वह धीरे-धीरे मेरे लंड को उसके मुँह से निकलने देने के बजाय उसने नरम ओंठो से लंड को पकड़ रखा था उसने अपना वज़न मेरे शरीर पर टिका दिया और उसकी चूत अभी भी गर्म और मेरे चेहरे पर गीली थी।

हम एक-दूसरे को बहुत देर तक एक-दूसरे के स्वाद, रस और गंध का आनंद लेते हुए ऐसे ही पकड़े रह। मैं अब अपने हाथों ने एमी के स्तनोंपर ले गया और वह पूरी तरह से दृढ़ थे और मजबूती से लटके हुए थे। उसके निप्पल धीरे-धीरे सख्त हो गए और अधिक खड़े हो गए ।

मैंने उन्हें धीरे से निचोड़ा, धीरे-धीरे सूजे हुए नीपल्लो को अपनी उंगलियों के बीच में थपथपाया। मैंने अपने नाखूनों को उसके स्तनों के किनारों पर और उसकी पीठ के पार, धीरे-धीरे अपनी जीभ और दांतों के साथ उसके निपल्स तक नीचे की ओर, चाटा और धीरे से अपने होठों से उसकी योनि को सहलाया।

उसका मुंह अब मेरे धड़कते लंड के सिर को हल्का और ढीला कर रहा था, उसकी जीभ सख्त गोलाकार रिज के चारों ओर घुम रही थी और उसे सूजे हुए सिरे पर फड़फड़ा रही थी, फिर वह मेरी गेंदों को सहलाने लगी। उसने उन्हें अपने हाथ में पकड़ लिया और धीरे से निचोड़ा, उन्हें नीचे खींच कर मेरे लंड की त्वचा को कस दिया और फिर उसने मेरे पूरे लंड को फिर से अपने मुँह में ले लिया और अपने गले के पिछले हिस्से के अंदर तक ले गयी बार-बार, तेज़ और तेज़ चूसने लगी। मेरा बड़ा लंड पूरा उसके मुँह के अंदर था यहाँ तक की गले तक था। से सांस लेने में तकलीफ होने लगी मैंने एमी की खांसी की आवाज़ सुनी और महसूस किया कि उसने मेरे विशाल लंड के मुँह में फसे होने की वज़ह से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

मैंने अपने लंड को उसके मुँह से वापस पीछे किया ताकि उसे साँस आये लेकिन उसने लंड पर ओंठ कास कर पूरा बाहर नहीं निकलने दिया। उसका मुँह लार और मेरे परिकम से भरा था, जिसकी बूँदें उसके मुँह से टपक रही थीं और मेरा बड़ा और काला लंड उसकी लार से भीगा हुआ दमक रहा था। मैंने जीभ फिर से उसकी योनि के अंदर घुसा दी।

"ओह्ह!" वह कराह उठी, और-और मैंने उसके योनि के होंठों को और उसकी भगनासा को रगड़ना जारी रखा मैंने अपने कूल्हों को उसके चेहरे की तरफ़ ज़ोर से दबाया जिससे मेरा मोटा लंड पूरा नादर गया और मेरे अंडकोष उसके होठों से टकरा गए और मैं अपने लंड को उसके मुँह के अंदर बाहर करता रहा।

थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद, मैंने रफ़्तार पकड़नी शुरू कर दी और अपने लंड को उसके मुंह में ज़्यादा से ज़्यादा घुसेड़ दिया। इससे उसे इस बात का अहसास हुआ कि इस दर पर, मैं बहुत जल्द उसके मुंह में पिचकारियाँ मारूंगा। जैसे ही मेरा स्पस्मोडिक, परमानंद विस्फोट स्पंदित हुआ, उस समय मेरा लंड का मुँह उस समय उसके गले के ठीक सामने था और मैंने उसके मुँह में पिचकारी मार दी।

वीर्य की बड़ी धार उसके गले में लगी और चिपचिपाहट के कारण, वही चिपक गयी और वह तुरंत उस गाड़े और मोटी गोली को-को निगलने की कोशिश करने लगी।

मैं साथ ही लंड को आगे पीछे भी कर रहा था जिससे मेरे अंडकोष उसकी नाक और ओंठो से टकरा कर नाक और ओंठो को भी दबा रहे थे, उसके मुँह में लंड ठूसा हुआ था इसलिए वह केवल नाक से ही या जब लंड बाहर निकलता था तब ही साँस ले सकती थी। मैं उसकी सांस लेने की नली तक पिचकारी मार रहा था।

जब उसे सांस लेने में दिक्कत हुए तो वह खाँसने लगी, तो उसकी नाक से मेरे वीर्य निकल आया, मैंने उसके मुँह के अंदर पम्पिंग करनी और पिचकारियाँ मारनी जारी रखि। वीर्य से उसका नाक मुँह और गला भर गया जिससे खांसी हो रही थी और निगलना कठिन हो गया था। उसने कातर निगाहो से देखा तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया और आखरी कुछ पिचकारियाँ उसके मुँह पर मार दी जिससे मेरा वीर्य उसके मुँह आँखो गालो माथे और बालो तक फ़ैल गया ।

कुछ देर तक हम आपस में लिपटे रहे।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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