कमसिन बीवी

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जबर्दस्ती से मस्ती तक
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अनीता जल्दी जल्दी अपना और अपने पती रवि का टिफ़िन पैक कर रही थी तभी रवि बेडरूम से ही चिल्लाया,

"अनीता!!! मेरी सफेद शर्ट नहीं मिल रही, कल ही तो प्रैस की थी।"

'कुछ नहीं मिलता तुम्हें, वही सामने अलमारी मे रक्खी है," अनीता रसोई से झुंझुलाते हुए बोली। दोनो ही काम पर जाने के लिए सुबह सुबह तैयार हो रहे थे।

अनीता की परवरिश सहारनपुर मे हुई थी और करीब दो साल पहले ही वो शादी करके अपने पती के साथ मेरठ रहने आ गयी थी। रवि एक शुगर मिल मे काम करता था और मेरठ आने के बाद अनीता भी एक कंपनी मे छोटी सी जॉब शुरू कर दी थी ताकि दोनों लोग मिल कर होम लोन की किस्त चुका पाये। दोनों कुछ महीने पहले ही अपने नए मकान मे शिफ्ट हुए थे। जायदह बजट न होने के कारण मकान शहर के बाहर की तरफ बाइपास रोड पर नई बनती कॉलोनी मे ही ले पाये थे।

शादी से पहले सहारनपुर मे अनीता अपने मोहल्ले की सबसे खूबसूरत लड़की मानी जाती थी। 18 साल की उम्र से ही उसका बदन भर गया था और उसके गदराय जिस्म को देख लड़को ने घर के चक्कर लगाने शुरू कर दिये थे। अनीता की माँ बहुत ही घाग किस्म की औरत थी उसने किसी लड़के की परछाई भी अनीता पर नहीं पड़ने दी और जल्दी से जल्दी उसकी शादी करने की फिराक मे जुट गयी और 20 साल की उम्र मे शादी करा के ही मानी।

शादी के बाद अनीता बड़े अरमानो के साथ अपनी पती के साथ रहने आयी थी पर शादी के तुरंत बाद ही उसे हकीकत का अहसास हो गया था और जो भी रोमांटिक सपने उसने देखे थे वो सब मन मे ही रह गए। रवि साधारण सा इंसान था और साधन सीमित थे। अनीता को घर गृहथी मे व्यस्त हो जाना पड़ा, और तो और सेक्स मे भी रवि साधारण ही था। रवि अनीता का पहला मर्द था तो उसको कोई तजुरबा नहीं था पर जो कुछ भी उसने अपनी सहेलियों से सुना था की शादी के बाद शुरू शुरू मे दर्द होता है पर कुछ दिनो मे ही इतना मज़ा आता है की पती को छोड़ने का मन ही नहीं करता। कविता को दर्द तो हुआ पर वो मज़ा कब आयेगा इसको वो 2 साल से इंतज़ार ही कर रही थी। जब भी कोई सहेली मिलती और अपने बेडरूम के किस्से सुनाती तो कविता मन मसोस कर रह जाती।

शादी के दो साल हो चुके थे पर अनीता अभी बच्चा नहीं चाहती थी तो वो नियमित रूप से गोलीया लेती थी, लेकिन इन दो सालो मे उसका बदन और भी भर गया था, तने हुये स्तन और चौडा पिछवाड़ा देखने वालों के लन्ड खड़े कर देता था।

जहां इन लोगो ने मकान लिया था वो कॉलोनी अभी बन ही रही थी और आस पड़ोस मे अभी जयादह आबादी नहीं हुई थी। यहा भी आस पास के शोहदे अनीता के ऊपर लाइन मारने की कोशिश करते रहते थे। वो जब भी घर से बाहर निकलती तो आस पास के लड़के उसे ताड़ते रहते और मौका मिलते ही अश्लील कमेंट भी कर देते थे। अनीता उन्हे नज़रअंदाज़ करके आगे बढ़ जाती थी।

मोहल्ले मे राजा नाम का एक गुंडा था जो की लोकल MLA की चमचागिरि और छोटीमोटी चोरी चकारी करता रहता था, उसने अपना एक छोटा सा गैंग भी बना रखा था और उसका सबसे करीबी चेला मुन्ना था। एक एलेक्ट्रोनिक repair की दुकान भी खोल रक्खी थी जो जायदह चलती नहीं थी और दोनों दिनभर आवारागर्दी करते रहते या फिर मोहल्ले की औरतों पे दाना डालते रहते। कुछ मोहल्ले की चालू औरतों के साथ उसकी सेटिंग भी हो गयी तो वो और भी निडर हो गया था।

जब से अनीता मोहल्ले मे आई थी राजा की नज़र उसपर लगी थी। लेकिन जब भी उसने अनीता पे लाईन मारने की कोशिश की तो उसे अनीता की तरफ से कोई भी प्रोत्साहन नहीं मिलता, वो कोई भी प्रतिक्रिया दिये बिना चली जाती थी।

राजा उसकी कडक जवानी और गदराए हुए शरीर को देख देख के आहे भर्ता रहता था। उस दिन सुबह जब वो अनीता को ऑफिस जाते हुए ताड़ रहा था तो मुन्ना उसके साथ मे ही खड़ा था,

"भाई, कब तक देख देख के आहे भरते रहोगे," मुन्ना खी खी करता हुआ बोला, "ये हाथ आने वाली कबूतरी नहीं है।"

"इस कबूतरी का शिकार मै ही करूंगा," राजा दाँत पीसता हुआ बोला, "और जब मै शिकार कर लूँगा तो साले तू ही लार टपकता हुआ आ जाएगा दावत उड़ाने।"

"वो तो है ही भाई, लेकिन कब तक इंतज़ार करना होगा," मुन्ना खीसे निपोरते हुए बोला।

"भोसडी के तू झाटे साफ करके तैयार रहना," राजा गुर्राया।

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अनीता ने आफिस आने जाने के लिए एक स्कूटी ले रखी थी पर उस दिन स्कूटी खराब थी और बनने के दी हुई थी। तो स्कूटी न होने के कारण वो ऑटो करके घर आ रही थी, वैसे भी उस दिन वो घर आने मे लेट हो गयी थी। जब ऑटो घर के थोड़ी दूर था तो ऑटो वाले ने ऑटो रोक दिया।

"क्या हुआ," अनीता बोली।

"आगे नहीं जा पायेगा, आगे रोड अभी बनी नहीं है," वो बोला।

वहा से घर थोड़ी ही दूरी पर था, स्कूटी से तो अनीता रोज किनारे से निकाल जाती थी पर ऑटो वाला उस रोड पर चलने से माना कर रहा था, तो अनीता ऑटो वही छोड़ कर पैदल ही घर की तरफ चल पड़ी। रात के आठ ही बजे थे पर रास्ता सुनसान और अंधेरा था। रास्ते मे छोटा सा ग्राउंड था जिसकी प्लौटिंग हो गयी थी पर घर अभी तक नहीं बने थे। सुनसान रास्ता देख के डर भी लग रहा था पर फिर अपने मन को तस्सली देते हुए अनीता तेजी तेजी आगे बढ्ने लगी।

इधर राजा और मुन्ना दारू के इंतजाम मे जा रहे थे की उन्होने अनीता को अकेले आते देख के अपना रास्ता बदल लिया।

"भाई क्या उठी हुई गांड है, साली को नंगी करके उल्टा लिटाने का मन कर रहा है," मुन्ना आह भर्ता हुआ बोला।

"चल आज कर ही डालते है नंगी साली को," राजा बोला।

"सच भाई," मुन्ना अगल बगल देखता हुआ बोला।

"आज दे के जाएगी चूत ये," राजा दृढ़ता से बोला।

अनीता अभी बीच मे ही थी की अचानक दोनों सामने आ गए। अनीता के मुह से जोर की सिसकारी निकाल गयी और दिल धक धक करने लगा। दोनों उसका रास्ता रोक कर खड़े हो गए। अनीता दोनों को पहचान तो नहीं पायी पर अंधेरा होने के बावजूद दिख रहा था की दोनों गुंडे टाइप तगड़े आदमी है।

"बहुत जल्दी है क्या, रात मे कहा घूम रही है," राजा बोला।

"काम से वापस आ रही हूँ," अनीता बोली और उनके बगल से निकालने की कोशिश करने लगी पर वो उसकी बाँह पकड़ लिया।

"शरीफ घर की औरते रात को नहीं घूमती है।"

"छोड़ो," अनीता बहुत घबरा गयी और हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी, "छोड़ो।"

"चुप," वो गुर्राया और खट से एक चाकू उसके सामने लहराने लगा, "आवाज निकाली तो घोप दूँगा।"

अनीता की डर के मारे घिघी बंध गयी। चारो ओर देखा तो दूर दूर तक अंधेरा था और कोई इंसान भी नहीं दिख रहा था।

वो उसे खीच के रोड से नीचे ग्राउंड मे उतारने लगा।

"क्या कर रहे हो, क्या चाहिए," अनीता घबराने लगी पर वो दोनों उसे ग्राउंड मे धकेल दिये।

उन्होने अनीता का पर्स छीन लिया और खोल के सारे पैसे निकाल लिए।

"400 रूपय, साली बस इतना ही माल लेके चलती है," वो गुर्राया। फिर उसकी नज़र उसके गले मे पड़ी चेन पर गयी और वो चेन खोलने लगा, अनीता चुपचाप प्रार्थना करती रही की वो चेन और पर्स ले कर चले जाये।

"कुछ भी नहीं है इसके पास तो, ये पतली सी चेन है," मुन्ना बोला, "हाथ मे भी काँच की चूड़िया है।"

"बस यही है," अनीता किसी तरह हिम्मत करके बोली, "अब मै जाऊ।"

"अबे तू साले ये चैन के पीछे क्यू पड़ गया है, तेरे को ये माल नहीं दिखाई पड़ता क्या," राजा उसके उरोजों की तरफ अश्लील इशारा करता हुआ बोला तो अनीता का दिल बैठने लगा।

"ये ही वो नया माल है न मोहल्ले का जिसके बारे मे सारे लौंडे बोल रहे थे," वो बोला। वो दोनों हाथो से अनीता को पकड़ के अपने सामने खड़ा कर दिया।

"प्लीज... प्लीज... चेन और पर्स तो ले लिया है अब जाने दो," अनीता घबराते हुए विनती करने लगी।

राजा उसको खीच के झड़ियो के पीछे ले जाने लगा तो अनीता के हाथ पैर शीतल पड़ने लगे वो समझ गयी की ये लोग उसके साथ कुछ भी बातमीजी कर सकते है, पर उसकी उनके सामने एक न चली।

राजा ने झटके से उसे खीच के अपनी बांहों मे दबोच लिया,

"नहीं, नहीं, छोड़ो," अनीता ज़ोर से चिल्लाई और कपकपाते हुए आस पास देखने लगी पर वहाँ दूर दूर तक कोई नहीं था सुनने वाला। वो उसके ब्लाउज़ पे हाथ रख दिया तो अनीता सिहर गयी।

"ये है माल," वो कुतसित स्वर मे बोला तो मुन्ना ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।

वो लंबा तक्डा आदमी था और अनीता उसकी पकड़ मे सिर्फ छटपटा कर रह गयी। दूर दूर तक अंधेरा ग्राउंड ही था और अब उसकी पूरी तरह से समझ आ गया था की ये उसकी इज्जत लूट के ही मानेगे। उसके दिमाग मे वो सारे किस्से घूमने लगे जो उसने सुने थे रेप के बारे मे, कैसे ये लोग लड़कियो को बेबस कर देते है।

"चुप नखरा बिलकुल नहीं," वो फिर से धमकाता हुआ बोला और उसको जमीन पर गिरा दिया। अनीता का दिमाग सुन्न हो रहा था, वो बेबसी मे छटपटा के रह गयी जब मुन्ना उसके दोनों हाथो को सर के पीछे करके जकड़ लिया।

"नहीं, नहीं, छोड़ो, छोड़ो," अनीता ज़ोर से चिल्लाई पर वहाँ दूर दूर तक कोई सुनने वाला नहीं था।

"चुप, बिलकुल चुप," राजा का तमतमाया चेहरा और उठा हुआ हाथ देख के अनीता की घिघी बंध गयी, "आवाज निकली तो मार खायेगी।"

"पुच पुच, आराम से लेटी रह," राजा उसके ब्लाऊज के बटन खोलने लगा। अनीता उससे हाथापाई करने लगी पर वो उसे रोक नहीं पा रही थी।

जैसे जैसे ब्लाउज़ के बटन खुलते गए वैसे वैसे अनीता का दिल बैठता जा रहा था। वो कुछ भी नहीं कर पा रही थी। उसकी रोकने के सारी कोशिश बेकार हो गयी और राजा ने उसका ब्लाउज़ और ब्रा को नोच कर ग्राउंड पे फेंक दिया।

मुन्ना मुह बाए अनीता के तने हुए दूधिया उरोजों को देख रहा था जो तेज चलती साँसो के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।

"मस्त माल है," राजा उसकी एक चूचि को अपनी हथेली मे दबोच लिया, उसका चेहरा वासना से तमतमाने लगा और वो अनीता के फड़फड़ाते जिस्म को अपने नीचे समेटने लगा।

"नहीं... नहीं... प्लीज," अनीता शर्म और डर से काँपने लगी, वो उसके भारी शरीर के नीचे हिल भी नहीं पा रही थी और उसके विरोध का दोनों पर कोई असर नहीं हो रहा था। मुन्ना उसके दोनों हाथो को सर के ऊपर करके पकड़े रहा और राजा अनीता के शरीर का मर्दन करने लगा।

अनीता इस सुनसान मैदान मे पीठ के बल लेटी हुई आसमान को तक रही थी और यकीन नहीं कर पा रही थी की ये सब उसके साथ क्या हो रहा है। सबकुछ एक बुरे सपने जैसा लग रहा था पर बार बार आंखे बंद और खोलने के बाद भी हकीकत बादल नहीं रही थी। उसकी छाती मे होती सनसनाहट साबित कर रही थी की राजा उसके निप्पल को बेरहमी से चूस और मसल रहा है।

"अहह... अहह... नहीं..." अनीता कसमसाती रही और दोनों अपने काम पर लगे रहे। मुन्ना उसके दोनों हाथो को दबोचे रहा और राजा उसकी साड़ी, पेटीकोट और चड्डी भी उतार फेंका। गरमियो का मौसम होने के बावजूद रात की ठंडी ठंडी हवा अनीता के जिस्म को कपकपाने लगी।

जब राजा अपने कपड़े उतार रहा था तो अनीता इधर उधर देख रही थी की शायद कोई आ जाए और ये लोग उसे छोड़ दे, पर वैसा कुछ नहीं हुआ और अनीता शर्म के मारे अपनी टाँगो को भीच के अपनी आबरू को ढकने की विफल कोशिश करने लगी.

राजा ने जैसे ही अपना काच्छा उतारा तो उसका मोटा काला लन्ड तन कर खड़ा हो गया। अनीता की न चाहते हुए भी नज़र उस पर पड गयी तो उसका दिल गले मे आ गया। उसने कभी इतना बड़ा लन्ड नहीं देखा था और ये एहसास होते ही की ये आदमी उसके अंदर ये लन्ड घुसायेगा अनीता के जिस्म मे सिहरन दौड़ गयी।

वो नंगा हो के उसके दोनों तरफ पैर डाल के चढ़ गया तो उसका मूसल जैसा लंड उसके पेट पर गड़ने लगा। वो अब खुश नज़र आ रहा था की अनीता कोई विरोध नहीं कर रही थी। वो धीरे धीरे उसके ऊपर पसर गया,

"गुड गर्ल," उसकी साँसे उसके गालो पर पड़ने लगी.

अनीता शर्म से गड़ी जा रही थी, वो कभी भी अपने पती के अलावा किसी परपुरुष के सामने नंगी नहीं हुई थी और यहाँ वो इन दो हरामियो के सामने नंगी पड़ी थी। उसने कनखियों से देखा तो दूसरा नदीदो की तरह उसके नंगे जिस्म को घूर रहा था.

"अहह, अहह, नहीं, अहह," अनीता ज़ोर से कसमसाई जब राजा उसका एक स्तन अपने मुह मे भर लिया और कस कस के चूसने लगा।

"छोड़ो, छोड़ो, अहह, आई," अनीता के मुह से रह रह के सिसकरिया निकालने लगी।

"मुन्ना साले, तू यहाँ पर कब तक सर पर खड़ा रहेगा, चल झाड़ी के पीछे जा और रोड पर नज़र रख," वो बोला तो मुन्ना नाराजगी सी दिखता हुआ दोनों को छोड़ के पीछे चला गया.

"पुच पुच,गया वो," वो उसके बालो को सहलाता हुआ बोला, "अब प्यार से लेने दे," और उसकी मजबूत हथेली उसके उरोजों पर कसने लगा।

"अहह... अहह... नहीं" अनीता के हाथ अब फ्री हो गए थे और वो राजा की पीठ पर मुक्के बरसने लगी पर उसका कमजोर विरोध राजा पर कोई असर नहीं कर रहा था। वो मस्त हो के उसके मोमे रगड़ता रहा और उसके निप्प्ल्स को अपने अंगूठे और उंगली के बीच मसलता रहा।

"आई... आई... नहीं... प्लीज... नहीं..." पर अनीता की कराहे सुनने वाला कोई नहीं था।

अनीता अब अपने को हालात के हवाले कर चुकी थी और अपने मन को समझा रही थी की जो होना है वो तो होगा ही । उसके मुह से अब लगातार कराहे निकाल रही थी और राजा अपनी कई महीनो की हसरत पूरी करने मे जुट गया। धीरे धीरे अनीता की साँसे भी भारी होने लगी थी और वो अपनी आंखे बंद कर ली।

बीच बीच में उसे अपने पती का ख़याल भी आ जाता तो मन मे हुक सी उठ जाती की जो शारीर सिर्फ उसके पती का होना चाहिए वो ये हरामी जबरदस्ती लूट रहा है, पर फिर दिल को तस्सली देती की जो कुछ भी हो रहा है उसमे उसका कोई दोष नहीं है। इसी ऊहापोह मे कितना समय बीत गया पता ही नहीं चला।

चारो तरफ सन्नाटा था और अनीता बिलकुल भूल गयी की वो ग्राउंड मे इन हरामियो की जबर्दस्ती का शिकार हो रही थी बल्कि उसे एसा लगा की वो अपने बेडरूम की सुरक्षा मे अपने मर्द को अपना शरीर सौप रही है। उसके होंट स्वतः खुल गए और राजा उसके मुह के जीभ डाल के चूमने लगा और अनीता अनजाने मे ही जैसे कोई स्वचालित गुड़िया हो, उसके होंट और जीभ को चूसने लगी।

राजा तो जैसे स्वर्ग मे आ गया हो, इतना मस्त और गदराया हुआ जिस्म इससे पहले कभी उसके हाथ नहीं आया था। जब उसका हाथ अनीता की टाँगो के बीच पहुंचा तो उसकी टाँगे स्वतः ही फैल गयी।

"अहह... अहह..." अनीता अधखुली आंखो से राजा के हवस भरे चेहरे को देख गहरी गहरी साँसे लेने लगी।

राजा ने अनीता का हाथ पकड़ के अपने तने हुए लंड पर रख दिया, "सहलाओ इसे," तो उसके जिस्म मे सनसनी दौड़ गयी। उसे महसूस हुआ की उसका लन्ड कितना लंबा और मोटा था। अनीता न चाहते हुये भी उसके लंड को अपने पती के लंड से तुलना करने लगी।

गरम गरम लन्ड उसकी पूरी हथेली को भर दिया था और अनीता शर्म के बावजूद उत्तेजना से काँपने लगी।

"सहलाओ इसे," राजा भर्राई आवाज मे फुसफुसाया तो अनीता का हाथ अपने आप चलने लगा और वो धीरे धीरे उसे उपर से नीचे तक सहलाने लगी। अनीता का दिमाग उस वक़्त पूरी तरह से शून्य हो चूका था और उसे कुछ भी नहीं सूझ रहा था, वो एक अजीब से नशे मे डूबती जा रही थी और उसका अपने शरीर पे कोई कंट्रोल नहीं रह गया था। बस मन कर रहा था की वो एसे ही उसके शरीर को मथता रहे। बार बार दिमाग में उसका मोटा लंड घूम रहा था और अनीता उसको अपने अंदर महसूस करना चाहती थी।

अनीता की चूत में अजीब सी बैचनी भर गयी थी, जैसी कि उसने पहले कभी महसूस नहीं की थी, अपने पती के साथ भी अनीता कभी इतनी उत्तेजित नहीं हुई थी। अनीता अपनी टांगे फैला के उससे जोर से चिपक गयी और वो उसकी टाँगो के नीचे अपने हाथ डाल के एकदम से ऊपर उठा दिया। अनीता की गीली चूत बिलकुल खुल के उसके सामने थी।

"अहह...अहह... ओहह... ओहह..." अनीता ज़ोर से कराह उठी जब मूसल जैसा लन्ड उसकी मुलायम चूत की फाँको को फैला के अंदर घुसने लगा।

राजा उसको दबोच कर उसके ऊपर पूरा पसर गया और अनीता के घुटने दोहरे होकर उसकी छाती से लग गए।

"अह, अह, अहह, क्या गदराई हुई बॉडी है तेरी," राजा की हाफती हुई साँसे अनीता के गालो पर पड़ने लगी और वो अपना पूरा वजन उसके ऊपर डाल के अंदर घुसेड़ने लगा।

"अहह...अहह...अहह...अहह...अहह...अहह...अहह...अहह..." अनीता की लगातार सिसकारिया छूटने लगी।

मुन्ना थोड़ी दूर झाड़ी के पास खड़ा हुआ हैरत और प्रसंसा भरे भाव से देख रहा था, "भाई ने सेट कर ही लिया साली को, क्या चिपक चिपक के दे रही है," वो बुदबुदाया। वो अपने खड़े लन्ड को सहलाता हुआ टकटकी लगाए राजा को देखने लगा जो अनीता को एसे भभोड़ रहा था जैसे एक शेर हिरनी को भभोड़ रहा हो।

अनीता अब सब कुछ भूल के राजा से चिपकी हुई थी जो हुमच हुमच के धक्के मार मार के चोदने मे लगा हुआ था। अनीता अपने अंदर एक उबाल महसूस करने लगी और वो भी नीचे से अपनी कमर हिला हिला कर राजा का साथ देने लगी।

अनीता के जिस्म मे चूत से लेकर चूचियो तक सनसनी दौड़ रही थी,

"अहह... मम्मी... आई... उफ़्फ़," अनीता का बदन उत्तेजना से एठने लगा।

"करते रहो... करते रहो..." वो अनजाने मे फुसफुसाने लगी और कस कर राजा से चिपक गयी। उसके अंदर का उबाल अब चरम पर था,

"आई, मम्मी, मै मर जाऊँगी... आई... आई...ई...ई..." वो राजा से चिपक कर झड़ने लगी।

पर राजा अभी भी पूरे जोश मे पेलता जा रहा था, उसका भारी जिस्म अनीता की टांगो के बीच चोट करता रहा और उसका मोटा लंड चूत में फ़च फ़च की आवाज के साथ अंदर बहार होता रहा। अनीता अपने शरीर को ढीला छोड़ दी और आँख बंद करके मीठे मीठे दर्द का मज़ा लेने लगी।

"तेरी चूत भर दूँगा आज," वो उत्तेजना मे बड़बड़ाया।

"अहह, अहह," उसका चेहरा परमसुख से विकृत हो रहा था और वो झटके मार मार के चूत में झड़ने लगा.

झड़ने के बाद वो थोड़ी देर उसके ऊपर पड़ा हाँफता रहा और फिर साइड मे लुढ़क गया। अनीता आंखे बंद करके गहरी गहरी साँसे लेने लगी और फिर धीरे धीरे उसे एहसास होने लगा की क्या हुआ। शर्म और ग्लानि से वो आँख भी नहीं खोल पा रही थी की कैसे वो सब कुछ भूल के इस गुंडे को अपना शरीर सौप रही थी और कैसे वो इस घृणित कृत का आनंद ले रही थी।

"ही ही ही, अब मेरी बारी है," मुन्ना खीसे निपोरता हुआ अनीता को दबोच लिया।

अनीता जानती थी की न नुकुर का कोई फाइदा नहीं है तो वो चुपचाप लेटी रही और फिर उस रात दूसरा मर्द उसके ऊपर चढ़ गया।

अनीता को अब उतनी शर्म और ग्लानि नहीं हो रही थी जो शुरू शुरू मे राजा के साथ हो रही थी। अब वो निर्विकार भाव से टांगे खोल के लेटी रही और अपने आप को समझा लिया की मुन्ना की हवस का शिकार होने के बाद ही वो घर जा सकती है।

मुन्ना का सख्त हाथ तुरंत ही उसके बदन पर फिरने लगा, अनीता को वो राजा से भी ज्यादा कड़क लगा।

"आई, नहीं, इतनी ज़ोर से नहीं," वो चिहुक पड़ी जब मुन्ना उसके तने हुए उरोजों को मसलने लगा। पर मुन्ना पूरे जोश मे था वो उसके शरीर को कस कस कर निचोड़ने लगा।

"नहीं, नहीं, ज़ोर से नहीं, छोड़ो, छोड़ो," अनीता छटपटा गयी उसके शरीर मे दर्द की लहर दौड़ गयी, "प्लीज आराम से करो, ज़ोर से नहीं।"

"आई, अहह, ऊई माँ, नहीं, अहह, नहीं," अनीता लगातार सिसकरिया भरने लगी। उसके सख्त हाथ कभी उसकी छातियो को नोचे तो कभी गांड को। उसके सारे शरीर पर उसके मजबूत हाथ फिरने लगे और अनीता रह रह कर कराहती रही।

राजा एक सिग्रेट सुलगा लिया और झाड़ियो के पीछे नज़र रखने चला गया और अनीता की आहे कराहे फिर से गूंजने लगी।

सिगरेट खत्म करने के बाद वो झांक के देखा तो अनीता टाँगे ऊपर उठा के मुन्ना की कमर पे लपेटे हुई थी और मुन्ना उसे अपने नीचे समेट कर मस्ती से धक्के मार रहा था। मुन्ना का मोटा लन्ड चूत रस से लिप्त चमचमा रहा था और आराम से अनीता की चूत मे फिसल रहा था।

राजा के होंटो पर मुस्कान फैल गयी ये देख के की कैसे अनीता जोश मे पूरा सहयोग कर रही थी मुन्ना के साथ। कैसे वो उत्तेजना मे मुन्ना की पीठ मसल रही थी और उसके होंटो को चूस रही थी। राजा के लन्ड मे फिर से जान आने लगी।

अनीता अब सबकुछ भूल के अपने ऊपर चढ़े मुन्ना को जकड़े हुए थी, वो यकीन नहीं कर पा रही थी दस मिनट मे ही वो फिर से चरम पर पहुचने वाली है। तभी अचानक मोबाइल की घंटी बजने लगी।

आवाज अनीता के हैंडबैग से आ रही थी, राजा मोबाइल निकाल लाया, स्क्रीन पर देखा की रवि, उसके पती, का फोन था। अचानक अनीता धरातल पर आ गयी और अहसास हुआ की वो शादीशुदा है और घर मे पती इंतज़ार कर रहा है।

अनीता फोन उठाना नहीं चाहती थी पर राजा बटन दबा कर मोबाइल उसको पकड़ा दिया।

"हैलो,"

"अनीता कहा हो तुम इतने देर से ट्राइ कर रहा था," रवि चिंतित स्वर मे बोला।

मुन्ना अभी भी उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और अनीता उसके मोटे बांस को अपने अंदर बाहर होते हुए महसूस कर रही थी।

"अह... मै... ऑफिस मे लेट हो गयी हू," अनीता किसी तरह अपनी साँसो को कंट्रोल करके बोली।

"सब ठीक है न, तुम्हारी आवाज भारी सी लग रही है, क्या हुआ।"

"कुछ नहीं, चल रही हूँ इस लिए साँसे भारी हो रही है।"

"कब तक आओगी," वो बोला तो अनीता राजा की तरफ देखने लगी। राजा अपना खड़ा हुआ लन्ड सहलाता हुआ कुटिलता से मुस्कुराने लगा।

"लगभग घंटा और लग जाएगा," वो बोली और फोन काट दिया।

"गुड गर्ल," राजा भराई आवाज मे बोला और अनीता के करीब बैठ कर उसके बालो को सहलाने लगा। ग्राउंड मे सन्नाटा पसरा हुआ था बस हवा से हिलती झड़ियो के सरसराने की आवाज या फिर मुन्ना के धक्को से फ़च फ़च की आवाज ही आ रही थी। राजा उसका सर अपनी गोदी मे खीच लिया और लंड उसके होंटो और गालो पर रगड़ने लगा। अनीता समझ गयी की ये क्या चाहता है। इससे पहले वो कभी भी लंड मुह में नहीं ली थी, पर आज सबकुछ बदलने वाला था। वो हिचकिचाने लगी।

"इसको घुटनो के बल ले कर पीछे से डाल," वो मुन्ना से बोला तो वो अनीता को उल्टा लिटा दिया और उसके चूतड पकड़ के लन्ड निशाने पर लगा दिया।

"मुह खोलो," राजा उसके बालो को पकड़ता हुआ फुसफुसाया तो अनीता झिझकते हुए होंटो को सिकोड़ के लन्ड के सुपाड़े को चूम ली।

"अहहम," होंटो की गर्मी लगते ही राजा के मुह से हुंकार निकाल गयी।

उधर मुन्ना उसकी गांड पकड़ के धक्के मारने लगा।

राजा जल्दबाज़ी किए बिना अनीता का सर सहलाता रहा, उसे पता था की वो अब पूरी तरह से समर्पण के लिए तयार है। वो बालो को पकड़ के उसके सर को आगे पीछे करने लगा।

"अग्ग, गौ,"

"मुह खोल, लन्ड चूसने का भी मज़ा है।"

अनीता चुपचाप आंखे बंद करके दो दो लन्ड अपने अंदर लेने लगी। उसको अपना मुह पूरा खोलना पड़ा मोटा लन्ड लेने के लिए।

"अहहम्म अहह, गुड गर्ल," वो बड़बड़ाया। दोनों अनीता को बीच मे एडजस्ट करके धक्के मारने लगे।

दोनों अनीता को उस रात जम के चोदे, सीधा लिटा कर, उल्टा लिटा कर, कुतिया बना कर, लन्ड चुसवा के। मुन्ना दो बार करके पूरी तरह निढाल पड़ा था पर राजा तीसरी बार भी अनीता को अपने लन्ड पर बैठा लिया था।

"भाई अब चलते है," मुन्ना उनकी तरफ देखता हुआ बोला, राजा आराम से लेटा हुआ था और अनीता उसके ऊपर चढ़ के अपनी गांड ऊपर नीचे कर के लगी हुई थी। वो मुन्ना की बात सुन के ठिठक गयी।

"तू क्यो रुक रही है, करती रह," राजा बोला और उसकी गर्दन मे हाथ डाल के उसे अपने से चिपका लिया, "बहुत जान है," वो अनीता के गांड थपथपाया, "जब तक माल निकल नहीं जाता करती रह।"

अनीता अपनी कमर आगे पीछे ऊपर नीचे करके राजा के लन्ड का रस निचोड़ने लगी।

बाद मे चलते हुए दोनों ने अनीता का लूटा हुआ पर्स, पैसे और चेन सब वापस कर दिया।

"अब तो मिलते रहेंगे," राजा मुसकुराता हुआ बोला।

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AnonymousAnonymous12 days ago

मेरी बीवी मालती भी कुछ एसे ही चक्कर मे फंस गयी थी। मोहल्ले का ही एक मनचला मालती को भाभी भाभी बोलकर छेड़ता रहता था और मालती भी उसे discourage नहीं करी बल्कि मज़ाक का जवाब मज़ाक मे देती रही। फिर होली पर वो हदे पार कर दिया और उसकी चूचिया और नितांब मसल दिये। मालती उस वक़्त तो बच के निकल गयी पर इसके बारे मे किसी को नहीं बताया और उधर उस हारामी की हिम्मत बढ़ गयी। एक बार बाज़ार से दोपहर मे लौट रही थी तो मोटरसाइकल पर घर छोड़ दूँगा करके उसे बैठा लिया और फिर चाय पी कर जाना कह के उसे पता नहीं किसके फ्लॅट पर ले गया। फिर फ्लॅट पर वही हुआ, तबीयत से चुदाई हुई। घर आ के फिर किसी को नहीं बताई। इसके बाद अक्सर उसके साथ जाने लगी, उसके फ्लॅट वाले दोस्त से भी चुदी। किसी ने फ्लॅट मे जाते देख लिया तो बात उड़ते उड़ते मुझे तक भी पहुँच गयी। जब मैंने पूछा तो रो रो कर कहने लगी मेरे साथ जबर्दस्ती हुई है। मेरे को कोई भी action लेने से भी मना कर दिया की मामले को दबा दो नहीं तो बदनामी होगी। हम लोगो ने फिर मोहल्ला बदल दिया और मै खून का घूट पी कर रह गया।

कुछ दिनो बाद मैंने उस हरामी को फिर घर के आस पास देख लिया, तो मालती नई कहानी ले कर मेरे सामने रोना धोना शुरू कर दिया की उसकी video बना ली है और मै कुछ न बोलू। मेरे को समझाई की अगर नहीं चुदवायगी तो बदनामी कर देगा। मैंने उसे video दिखाने को बोला तो कुछ दिनो बाद एक video मुझे दिखाई जिसमे वो उसका लंड चूस रही थी। मैंने वो video उससे ले ली और फिर तलाक के लिए बोल दिया जो उसने video की वजह से चुपचाप दे दिया।

आजकल मालती एक घटिया से होटल मे reseptionist का काम कर रही है और रात मे रंडी का।

AnonymousAnonymous6 months ago

एक बार मै अपनी बहन के साथ आ रहा था, रात काफी हो गयी थी और हाइवे पर हमारी मोटरसाइकल रोक ली और 5 बदमाशो ने हमे घेर लिया। हम दोनों को सड़क के नीचे खेतो मे ले गए और सभी पैसे गहने छीन लिए। फिर बहन को पकड़ लिए चोदने के लिए। मै कुछ कर नहीं पाया, मेरे विरोध करने पर मेरी पिटाई होने लगी तो दीदी बीच मे आ गयी और समर्पण कर दिया।

सिर्फ समर्पण करने से काम नहीं चला, दीदी को पूरा सहयोग करना पड़ा चुदाई मे। मेरा कलेजा मुह को आने लगा जब वो दीदी को मेरे सामने ही नंगा कर दिये।

दीदी को पांचों ने बुरी तरह भभोड़ भभोड़ के चोदा। पांचों ने लाँड़ चुसवाया और तीन ने गांड मारी और दो ने चूत मारी। फिर दो ने लाँड़ चुसवाया और मुह मे ही माल निकाल दिया और दो और ने सेकंड राउंड मे गांड मारी। जब पांचों छोड़ के गए तो दीदी पस्त पड़ी रही और मुझे ही उनको कपड़े पहनाने पड़े।

AnonymousAnonymousabout 1 year ago

मुझे होली के दिन 5 हरामियो ने पकड़ लिया था। मै अपनी बिल्डिंग सोसाइटी मे ही होली खेल रही थी। नीचे सभी लोग ग्राउंड मे जमा थे डीजे ज़ोर ज़ोर से बज रहा था, रंग गुलाल उड़ रहा था। मै बिल्डिंग की लिफ्ट के पीछे से आ रही थी की तभी 5 मुस्टंडो ने मुझे घेर लिया। भाभी होली, भाभी होली, मै समझी सोसाइटी के ही लोग होंगे। मै उनके बीच घिर सी गयी और फिर अपने रंगे हुए हाथ मेरे गालो पर मलने लगे। एक हाथ पीछे से गले पे पहुच गया तो मै चिल्लाई, ‘बातमीजी नहीं’ पर वो ज़ोर से चिल्लाए ‘होली है।’ मै उनके बीच से निकलने की कोशिश करने लगी पर पीछे से किसी ने जकड़ लिया और हाथ कुर्ते के अंदर चूचि को जकड़ लिया। मै एकदम हड्बड़ा गयी, मुझे उम्मीद नहीं थी की एसी बत्तमीजी करेंगे।

मै चिल्लाने लगी, धक्का दे कर छूटने की कोशिश करने लगी पर वो 5 लोग थे और डीजे की आवाज मे मेरी आवाज किसी को नहीं सुनाई पड़ने वाली थी। मै छीना झपटी करती रही पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, मेरी चूचिया भोपू की तरह बजा रहे थे, टाँगो के बीच हाथ डाल के चूत मसल रहे थे। तभी मुझे एहसास हुआ की छीना झपटी करते करते वो मुझे सीढ़ियो से नीचे बेसमेंट मे ले आए थे, मेरा हलक सूखने लगा। अभी तक लग रहा था की होली का बहाना कर के सिर्फ बातमीजी, छेड़छाड़ करेंगे, पर अब बेसेमेंट के लगभग अंधेरे से माहौल मे मै अनहोनी की आशंका मे काँपने लगी। मेरे चिल्लाने का, विनती करने का कोई असर नहीं पड़ रहा था। मै संघर्ष करती रही पर वो मेरे कपड़े आसानी से उतार फेंके। फिर मैंने देखा की एक आदमी अपनी जीन्स की ज़िप खोल के लंड बाहर निकाल लिया। चार लोगो ने मुझे जकड़ रक्खा था और मेरी टांग उठा के फैला दी थी। वो आदमी मेरी टाँगो के बीच खड़ा होके अपना लंड मेरी चूत पर फिराने लगा और फिर अगले ही पल एक ही धक्के मे वो पूरा मेरी चूत के अंदर समा गया। मै यकीन नहीं कर पा रही थी की मेरा रेप हो रहा था, कितनी आसानी से उन्होने मुझे बेबस कर दिया था। उसका लंड मुझे एक नश्तर की तरह लगा रहा था जो मेरे अंदर बाहर हो रहा था। थोड़ी देर मे वो हुंकार सी भरता हुआ मेरे अंदर ही पानी गिरा दिया।

उसके बाद मुझे फर्श पर लिटा दिया गया और दूसरा आदमी मेरे ऊपर सवार हो गया। मेरी विरोध करने की इक्छाशक्ति समाप्त हो चुकी थी। वो मेरे उरोजों को मसलते, चूसते हुए मुझे चोदता रहा। उसके बाद तीसरा फिर चौथा, मै गिनती रही, जब पांचवा उतरा तो मै सोची की अब खत्म, पर नहीं, कोई दूसरे राउंड के लिए फिर से जकड़ लिया। तीन लोगो ने दूसरा राउंड भी किया। इसके बाद वो मुझे वही नंगी छोड़ के भाग गए।

मै उठ के अपने कपड़े ढूंढ ढूंढ के पहनी और फिर बेसमेंट की सीढ़िया चढ़ के ऊपर आने लगी। मै सोच रही थी मे शायद मै उठ भी न पाऊँगी पर मै बिना किसी शारीरक तकलीफ के चल के ग्राउंड मे पहुँच गयी। वहाँ वैसा ही मौहौल था, सब होली की हुड़दंग मे मस्त थे, मेरे पति और बच्चे कुछ दूर पर ही खेल रहे थे। मै एक कोने मे बैठ के सोचने लगी की क्या करू। थोड़ी देर बाद मुझे कुछ नहीं सूझा तो चुपचाप उठ के घर चली आई और बाथरूम मे घुस गयी नहाने के लिए।

AnonymousAnonymousover 1 year ago

इतना उत्तेजक और मज़ेदार नहीं होता औरत के लिए बलात्कार। मेरे को सड़क से उठा लिया था शाम को 7 बजे ही जब मै पड़ोस की दुकान से सामान खरीद कर घर आ रही थी और सड़क के किनारे ही एक अधबनी बिल्डिंग मे ले गए। मुझे पता ही नहीं चला कब उन्होने मुझे अपने कब्जे मे ले लिया, कुछ सोचने, समझने, करने का मौका ही नहीं मिला, वो पाँच मजदूर लोग थे जो वहाँ काम करते थे।

बिल्डिंग की बेसमेंट मे उन्होने मुझे लिटा लिया, जब मैंने विरोध करने की कोशिश की तो मेरी पिटाई करने लगे, मेरे पेट मे इतनी ज़ोर से मारा की मेरी जान ही निकल गयी। उसके बाद जब वो मेरे कपड़े उतारने लगे तो मै रोने लगी पर डर के मारे चुपचाप लेटी रही।

‘चुप कुतिया, चुप साली रंडी,’ वो मेरे को हड्काने लगे और साथ ही साथ मेरे बदन को जगह जगह नोचने लगे, चूचियो को इतनी ज़ोर से निचोड़ा की मेरी चीख निकल गयी। उसके बाद वो फिर मेरे गालो और चुतड़ों पर चांटे मारने लगे, ‘चुप साली, आवाज नहीं, एकदम चुप कुतिया।“ उन्होने मुझे मार मार के और जांघों और चूचियो को नोच नोच के मेरा बुरा हाल कर दिया। जब वो संतुष्ट हो गए की ये औरत पूरी तरह काबू मे है तब एक मजदूर ने मुझे घुटनो के बल बैठा के अपना लंड मेरे मुह मे घुसेड़ दिया। ‘चल चूस साली, कुतिया अगर ठीक से नहीं चूसा तो मार के यही गाड़ दूँगा, दाँत नहीं लगना चाहिए।“ मै डर के मारे चुपचाप चूसती रही और दूसरा मजदूर पीछे से मेरी चूत मे लंड घुसाने लगा। कितनी ही देर तक पांचों मुझे चोदते रहे, कभी दो दो तो कभी एक एक करके। करने के बाद वो मुझे वहीं नंगा छोड़ के भाग गए।

AnonymousAnonymousover 1 year ago

मेरे को भी एक बार एसे ही जबर्दस्ती चोद दिया गया था और वो चार ताकतवर मर्द थे। मुझे मेरी ही गाड़ी में दबोच लिया और गाड़ी को ले कर पता नहीं कहा सुनसान में ले गए, कोई बंद पड़ी फैक्टरी का आहता था। एक चांटा खाने के बाद मै बुरी तरह से डर गयी फिर एक मेरे को गाड़ी की पीछे वाली सीट पर लिटा के गंदी गंदी गाली देने लगा और मेरी गांड पर ज़ोर ज़ोर से चांटे मारने लगा और कहने लगा की जरा भी नखरा किया तो मार मार के भूत बना देगा। जब वो मेरी सलवार का नाड़ा खोलने लगा तो मेरी हिम्मत नहीं हुई की जरा भी विरोध करू। मुझे पूरी नंगी कर के वो खुद भी नंगा हो गया और मेरे ऊपर चढ़ गया। वो ज़ोर ज़ोर से मेरी पूरे शरीर को रगड़ने लगा, जब वो मेरी छातियो और चूचको को मसलता तो मै दर्द के मारे चिल्ला पड़ती। थोड़ी देर मे ही वो मेरी टाँगे उठा के अपना मोटा लंड मेरी चूत मे घुसेड़ दिया और पेलने लगा। करीब 5-10 मिनट मुझे चोदने के बाद वो मेरे अंदर ही अपना माल निकाल दिया। उसके बाहर जाते ही दूसरा चढ़ गया। चौथे का नंबर आते आते मेरा बुरा हाल हो गया था, चारो मेरे शरीर को जगह जगह से मसल डाले और मेरी छातियो पर नील के निशान पड गए।

थोड़ी देर बाद एक आदमी फिर मेरे से ऊपर चढ़ गया तो मै रुवासी हो गयी और उससे विनती करने लगी की वो अब और न चोदे पर वो कहा सुनने वाला था। वो मेरे बुरी तरह से दर्द करते जिस्म को फिर से मसलने लगा तो मै दर्द के मारे चिल्लाने लगी। मै चिल्लाती रही और वो बेरहमी से पेलता रहा। उसके हटने के बाद थोड़ी देर शांति रही फिर दो लोग अंदर घुस आए।

वो बारी बारी मुझसे अपने लंड चुसवाने लगे, न करने का तो प्रश्न ही नहीं था। लंड मेरे मुह मे घुसाने से पहले ही मुझे समझा दिया था की अगर दाँत जरा सा भी लंड पे गड़े तो मेरी खैर नहीं। कितनी ही देर तक मै चूसती रही, मुह भी दर्द करने लगा। बाद मे मै बेसुध सी सीट पर पड़ी रही और कोई न कोई मेरे ऊपर चढ़ जाता। वो लोग करीब सुबह 4 बजे तक मुझे बारी बारी तो कभी दो एक साथ, पेलते रहे फिर मुझे वही छोड़ कर चले गए। मै वैसे ही नंगी बेसुध पड़ी रही। सुबह 6 बजे कोई मेरे कंधे हिला के मुझे जगाया। वो वहाँ का शायद चौकीदार था।

वो मुझे धंधेवाली समझा और मेरे ऊपर चिल्लाने लगा की सुबह हो गयी है अभी तक नंगी पड़ी है, ये कोई धंधा करने की जगह है। मै शर्म के मारे गड़ी जा रही थी और अपने कपड़े ढूँढने लगी। तभी वो अंदर आ गया और दरवाजा बंद कर दिया। उसके चेहरे पर वासना साफ झलक रही थी। वो मेरी टाँगे पकड़ के खीच लिया और सीट पर लिटा दिया। मेरे अंदर विरोध करने के शक्ति नहीं बची थी। वो अपनी ज़िप खोल के काला सा मोटा लंड बाहर निकाल लिया। दो तीन बार हिला हिला के वो उसे थोड़ा बड़ा कर लिया पर पूरा खड़ा नहीं हुआ। वो मेरे दोनों ओर पैर डाल के लंड मेरे मुह के पास ले आया। मै न मे गर्दन हिलाने लगी तो वो लंड को मेरे होंटो पर रगड़ता हुआ बोला “नखरा मत कर, खड़ा कर इसे।” थोड़ी न नुकुर के बाद वो अपना लंड मेरे मुह मे घुसेड़ दिया।

मेरे मुह की गर्मी पाते ही वो तेजी से कडक हो गया। करीब 5-7 मिनट चुसवाने के बाद वो चूत चोदने मे जुट गया। अपनी संतुस्टी करने के बाद वो हट गया और मेरे को जल्दी से कपड़े पहन के निकालने के लिए कहने लगा। मै उस दिन बड़ी मुश्किल से घर पहुंची।

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