एक नौजवान के कारनामे 189

Story Info
दुल्हन की बिदाई
2.1k words
5
105
00

Part 189 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-4

दुल्हन की बिदाई

PART 9​

शादी करने वाली पुरोहित जी बोले आप दोनों ने एक दूसरे को अपनी आजीवन प्रतिबद्धता प्रेम की ओर अग्रसर किया है, अब मैं आपको पति-पत्नी घोषित करता हूं, उसी के साथ, सभी ने ताली बजाई और हम पर फूलो की बारिश की और सबने हमे बधाई दी ।

मेरे फूफेरे भाई और बहनो ने जिद्द की की मैं अपनी दुल्हन को किश करून तो मैंने भी उसके कम में हाथ डाल के उसे थोड़ा पीछे झुका कर किश किया।

सभी मेहमानों को रात के खाने के लिए बैठाया गया और ज्योत्सना के परिवार की महिलाये तुरंत हम दोनों को घर में ले गयी ।

फिर वो मेरे से बोली चूड़ीदार और सुनेहरी शेरवानी मे आप बहुत ही हैडसम लग रहे हो और मैंने कहा की गुलाबी के लहँगे मे आप भी बहुत हसीन लग रही हो इसके लहंगे में जो सोने की तारों का काम था वो मेरी शेरवानी से मैंच कर रहा था।

हमारी माँओ ने बहुत ही खूबसूरती से और कुशलता से भोजन की योजना बनाई थी, हमने उस भव्य भोजन का आनद लिया।

कुलगुरु ने मुझे बोला था शादी की रस्मे आज ही पूरी होनी है और दादा गुरु के आदेश के अनुसार दुल्हन को हमने उसी रात अपने घर ले जाना था और परम्परा अनुसार दुल्हन की सास को उसके लिए उसका स्वागत करते हुए घर का दरवाजा खोलना चाहिए, और नए जीवन की शुरुआत करने के लिए दरवाजे से गुजरते समय दुल्हन को अन्न लुढ़कना होता है और दूल्हे की माँ को पानी का लौटा उसके सिर पर फिराना होता है। वैसे तो घर सूरत या फिर पंजाब में पटिआला में था परन्तु गुरुदेव के आदेश के अनुसार खमे कुछ रस्मे आज रात ही पूरी करनी थी इस कारण विवाह स्थल से कुछ दूर ही हमारा लोकल घर का चयन किया गया जो की वास्तव में पिताजी के मित्र का घर था जो की ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पर था । माँ हमारे सामने कार में बैठी, और हमारा स्वागत करने के लिए अन्य महिलाओ के साथ घर चली गई।

मेरी फूफेरी बहने कुछ ज़्यादा ही चहक रही थी, इसलिए की ज्योत्स्ना की सहेलियों और मेरी सालियो का जूता चुराने का प्रोग्राम फेल हो गया था। जेन ने खुद मेरे जूते उतारे थे और अपने लहंगे में छिपा के, सब लोगों को चिढ़ाते हुए, दिखा के बैठ गयी थी । विजया जो की ज्योत्स्ना की चहेरी बहन है ने मेरे साले राजकुमार महीपनाथ को उसके पास पानी भेजा और जब वह जेन के पास पहुँचा तो उसके लाख प्रयत्न करने पर भी उसने पानी थामने की कोशिश नहीं की। इस फेर में पानी जेन पर गिर गया और जेन चिहुकी और कड़ी हुई और ज्योत्स्ना की चचेरी बहन विजया और उसकी सहेलिया पहले से ही तैयार थी।वो तुरंत एक जूता ले के गायब हो गई।

लड़किया जूतों का नेग मांगने लगी पर मेरे फूफेरे भाई बोल रहे थे चुराया नहीं धोखे से लिए हैं पर विजया बहुत चालाक थी उसने जूतों के वाद विवाद के बीच चुपके से मेरा मोबाइल भी उठा लिया था और जब मैंने देखा मेरा मोबाइल गायब है और विजया ने मचलते हुए उसे दिखाया तो मैंने कहा कि जूते का तो साली का नेग होता ही है और उन्होने कैसे लिया इससे कोई फ़र्क थोड़े ही पढ़ता है और 10000 रूपये निकाल के विजया को पकड़ा दिए और साथ में कुछ चांदी के छल्ले भी पकड़ा दिए । एक साथ ही सारी लड़कियाँ, दुल्हन की बहनें सहेलिया, भाभीया, खुश हो गयी और बोलने; लगी, वाह विजया कमाल कर दिया तुमने!

फिर मुझे एक आसन पर बैठने को कहा गया मैंने बैठने से पहले झुक के उस पर रखा कुशन हटाया।

उसके नीचे ढेर सारे पापड रखे थे। उन्हें हटा के मैं वहाँ बैठ गया । सब लोगों ने चुप चाप प्रशंसा भर निगाह से मुझे देखा अगर माने ऐसे ही बैठ जाता और पापड टूट कर आवाज करते तो सबको मज़ाक का एक मौका मिलता। फिर मुझे गाना सुनाने को कहा गया तो मैंने रफ़ी साहब का गाना एहसान तेरा होगा मुझपर सुना दिया और भाभी ने नेग दिया ।

उसके बाद ज्योत्स्ना की भाभियों ने मुझसे कुल देवी के आगे सिर झुकानेको कहा। एक मूर्ति-सी पर्दे के अंदर रखी गई थी। उन्होने कहा कि नहीं पहले आप पूजा करो फिर मैं करूंगा ।

पहले ज्योत्स्ना ने सर झुका दिया तो मैंने भी सर झुका दिया । भाभी ने कपड़ा उठाया तो वह वास्तव में कुल देवी की मूर्ति थी।

उसके बाद एक और मूर्ति थी तो ज्योत्स्ना ने सर झुका दिया और मैंने अपनी अंगूठी का प्रयोग कर भाबही का मन पढ़ा तो मुझे खतरा का आभास हुआ और मैंने सर नहीं झुकाया ा और जब पर्दा हटाया गया तो वहाँ ज्योत्स्ना की मूर्ति थी मैंने झट से सर झुका कर कहा मुझे इनकी ठीक से पूजा कर लेने दीजिये अब ये ही मेरी इष्ट देवी है।

फिर कुछ और रस्मे हुई और हसि मजाक चलता रहा और बिदाई का समय हो गया और आख़िरी रस्म थी, गुड दही खिलाने की। विजया ने ज्योत्स्ना का हाथ पकड़ के मुझे दही गुड खिलवाया, साथ ही साथ अच्छी तरह मेरे गाल पर लपेट दिया और मैं बोला जेन चाट के साफ कर दे और जेन मजे से सब चाट गयी ।

जब मैंने अपने हाथ से ज्योत्स्ना को दही गुड खिलाया, तो ज्योत्स्ना ने कस के काटने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

हम फिर खड़े हो गए और ज्योत्सना के पिता ने ज्योत्सना का हाथ लिया और मेरे हाथ में रख दिया और कहा, "बेटा, वह मेरी जान है, उसकी अच्छी देखभाल करना।"

मैंने जवाब दिया, "मैं वादा करता हूँ पापा।"

विदाई के समय पूरा माहौल बदल गया था। अपनी माँ महारानी चित्रां देवी से मिलते समय ज्योत्स्ना की आँखे भर आई ।किसी तरह मैं आँसू रोक पाई, लेकिन भाभी और विजया से गले मिलते समय, सारे बाँध टूट गये। मैं मौहौल हलका करने के लिए बोला "अगर गले मिल रोने का रिवाज है तो मैं भी रोना चाहूँगा।" पल भर में माहौल बदल गया और सब मुस्कुराने लगे और ज्योत्स्ना की रत्नावली भाभी ने हंस कर कहा एकदम। जैसे ही वह आगे बढ़ी, मैंने भाभी को कस के गले लगा लिया और भाभी ने भी वह मौका नहीं छोड़ा।

दौड़ने तरफ के सभी मेहमान हमारे पीछे-पीछे कार तक गए, हमारा उत्साहवर्धन करते हुए क्योंकि हम अपने जीवन का नया अध्याय शुरू करने जा रहे थे । मैंने लिमो का दरवाज़ा खोला और ज्योत्सना को अंदर बैठा दिया और उसका भव्य लेहंगा पिछली सीट पर फ़ैल गया, फिर मैं दूसरी तरफ गया और अंदर उसे साथ बैठ गया। उसने अपना घूंघट उठा लिया और मैंने पहली बार अपनी नई दुल्हन का चेहरा देखा। हमने एक-दूसरे को देखा और मुस्कुराए, लेकिन ज्योत्सना उदास लग रही थी।

मेने देखा कि आगे एक और कार मे, पिछली सीट पर जेन बैठी और अगली सीट पर ज्योत्स्ना की सखी अनुपमा बैठी हुई थी तब तक महिप ज्योत्स्ना के पास पानी का गिलास ले आया और वह जैसे ही पीने लगी, महिप ने धीरे से अपनी बहन से कहा, बस थोडा-सा पीना। मेने कनेखियो से देखा और विजय आ कर अगली सीट पर बैठ गयी उसने वह ग्लास विजया के हवाले कर दिया। विजया ने मुस्करा कर वह ग्लास ' मुझे दिया। साली कुछ दे और मैं मना कर दू मैंने पूरा ग्लास गटक लिया।

कार धीरे-धीरे चलने लगी और बाकी सब बारातियो ने भी ज्योत्स्ना के घर वालो से बिदा ली और हमारे साथ में विजया अगली सीट पर बैठ गयी ड्राइवर की सीट पर मेरी प्रमुख अंगरक्षक मरीना था और उसके पीछे मेरे अंगरक्षकों की गाडी थी और धीरे-धीरे काफिला कामरूप के हमारे लोकल ठिकाने की तरफ बढ़ चला ।

जैसे ही गाडी गेट से आहर निकली मैंने ज्योत्स्ना आँखों में देखा, वे मुस्कुरा दी लेकिन एक आंसू उसके गाल पर लुढ़क गया। फिर उसने बिना एक शब्द कहे नीचे की ओर देखा। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी ठुड्डी के नीचे रखा और उसका चेहरा उठा लिया और पुछा क्या बात है मेरी दुल्हन राजकुमारी आप क्यों उदास हो? क्या तुम ठीक हो?

वह अपनी अंगूठियों के साथ खेल रही थी, उन्हें अपनी मेंहदी से रंगी हुई उंगलियों से घुमा रही थी और बोली सब कुछ बदल गया अब मैं शादीशुदा हूँ! मैं वास्तव में शादीशुदा हूँ और आपकी पत्नी हूँ। "

"हाँ जानेमन, हम सच में शादीशुदा हैं।?" मैंने धीरे से कहा।

वो बोली लेकिन अब मैं अपनी मम्मी पापा से दूर हो रही हूँ और अब मेरे बिस्तर कमरे सब बदल जाएंगे!

"क्या आप चाहती हो? क्या आपको लगता है कि आपने कोई गलती की है; क्या आपको डर है कि अभी आपको शादी नहीं करनी चाहिए थी?"

नहीं ये तो मेरा बेस्ट निर्णय था । मुझे पता है आप मुझसे कितना प्यार करते हो? पर मैं सबको मिस करुँगी ।

'जानेमन हर चीज का एक समय और मौसम होता है: रोने का समय, हंसने का समय, प्यार करने का समय और शादी करने का समय।' अब हमारा समय है चलो हम एक साथ मिलकर एक नया जीवन शुरू करते हैं ।"

वो बोली मैंने अपना प्यार, अपना जीवन, अपना शरीर और वह सब कुछ जो मैं हूँ सब तुम्हारे लिए समर्पित किया है! मैं तुम्हें अपने पति मान कर प्यार करती हूँ और मैं तुम्हारे लिए ही जियूँगी और तुम्हारे लिए मरूँगी । यह सिर्फ इतना है कि मुझे एहसास है कि आपकी पत्नी के रूप में आपके साथ मेरा नया जीवन शुरू करने के लिए, मुझे अपने पिछले जीवन का एक दरवाजा बंद करना चाहिए और अपने बचपन और परिवार को पीछे छोड़ देना चाहिए। कृपया मुझसे नाराज़ मत होंना, या मुझे एक मूर्ख लड़की समझ माफ़ कर देना। "

उसके दुःख को कम करने की कोशिश करते हुए, मैं धीरे से हँसा और कहा, " लेकिन मेरी प्रिय, मेरे लिए तुम चाहे जैसी भी हो मेरी प्यारी और मेरी प्रियतमा हो, मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ, न ही मैं तुमसे निराश हूँ। मैं केवल तुम्हें चाहता हूँ और चाहता हूँ तुम हमेशा खुश रहो हम दोनों खुशी और आशा के साथ अपने नए जीवन की शुरुआत करे।

हमारे दिल में कुछ चीजें होती हैं जो हमने अपने माता-पिता को भी नहीं बताते, लेकिन अब हम दोनों जीवन साथी हैं, अब हम दोनों एक हो गए हैं और जब हम में से एक को दुख होता है या दुख होता है, तो दूसरा इसे महसूस करता है और जब हम में से एक खुश और हर्षित होता है, तो दूसरा भी इसे साझा करता है। हमारे जीवन में हमेशा ऐसे दरवाजे होंगे जिन्हें हम और केवल हम, एक दूसरे की मदद से खोलना या बंद करना चुन सकते हैं। आप और मैं आज उनमें से एक बिंदु पर पहुँचे हैं। जिस क्षण मैंने पहली बार तुम्हारी आँखों में देखा, मैंने उस पिछले दरवाजे को खुशी के साथ बंद कर दिया था, जिसका आप सामना अब कर रही हो।

अपने दिल में देखो प्रिय, हमारे साथ हमारे माता पिता और गुरुओ का आशीर्वाद हैं और आपने मुझे और हमारे परिवारों के लिए घोषित प्रतिज्ञाओं को पूरा करने के लिए प्रेरित किया है और परिवार के दायित्व को आपने आपभी से निभाना भी शुरू कर दिया है। अगर हमारा प्यार सच्चा है, तो हमारे बीच में हमेशा प्यार और आनंद रहेगा और मुझे लगता है कि अगर आप फिर से अपने दिल में गहराई से देखें, तो आप वह वो दरवाजा पहले ही बंद कर चुकी हैं। "

मैं नीचे झुक गया और उसके कांपते होंठों को चूमा। यह एक प्रेमपूर्ण और पवित्र, मीठा चुंबन था। फिर प्रिया मेरी गोद में रेंग गयी अपनी बाहें मेरे चारों ओर रख दीं और अपना छोटा-सा मुँहमेरे ओंठो पर दबा दिया। फिर उसके होंठ अलग हो गए और मैंने महसूस किया कि उसकी जीभ मेरे होंठों को दबा रही है। जब मैंने अपने होठों को अलग किया, तो उसका भी मुँह खुल गया और मैंने उस अमृत का स्वाद चखा जिसकी मुझे बहुत इच्छा थी। उसने भी पवित्रता और मासूमियत के मीठे, मीठे स्वाद की तरह चखा और हाँ, यौवन के जोश की मिठास का आनंद लिया।

मेरा लंड अब जग रहा था और सीधा हो गया और मैंने धीरे से उसे अपने पास खींच लिया। जब मैंने उसकी जीभ अपनी जीभ के नीचे दबाई, तो उसने एक नरम कराह दी और काँप उठी। उसने हल्के से चुंबन को तोड़ा और फिर से आगे की ओर दबाते हुए अपनी छोटी-सी जीभ को मेरे दांतों पर घुमाते हुए खींच लिया। उसका चेहरा गर्म था और उसके गाल लाल हो गए थे, उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया और धीरे से कहा, " आई लव यू जानू, मैं तुम्हारी हूँ, लेकिन कृपया धैर्य रखें, बस थोड़ी देर प्रतीक्षा करें। मैंने एक दरवाजा बंद कर दिया है।, लेकिन अब हमें प्रतीक्षा करनी चाहिए। अगले दरवाजे के अंदर हम एक साथ प्रवेश करेंगे जो आपकी माँ द्वारा खोला जाएगा। कृपया, उस समय आप मुझे पकडे रखना और मेरा साथ देना क्योंकि मई अब एक नए परिवेश में जा रही हूँ और मुझे हर कदम पर आपकी मदद चाहिए होगी ।

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

I'm My Sister's Husband's Wife He replaces his twin sister at her wedding.in Transgender & Crossdressers
Given Away A boy is given away as a bride to his Father's coworker.in Gay Male
Wedding Jitters Ch. 1 Bride wonders whether hubby will be her sexual match.in Erotic Couplings
Wild Sex in a Noisy Indian Wedding An Indian bride has wild group sex on eve of her marriage.in Loving Wives
Tell It Like It Is Ch. 01 Spencer drops a bombshell on Lyra.in Erotic Couplings
More Stories