आखिर बेटी ने पापा से चुदवा ही लिया

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जयशंकर जी ने साफ़ साफ़ कह दिया- ये क्या बात हुई सुगंधा, तुम मेरा लौड़ा कई बार चूस चुकी हो और मुझसे अपनी चुत चटवा चुकी हो.. अब कैसी शर्म?

सुगंधा- छी: पापा ये आज आप कैसी बातें कर रहे हो.. मैं नहीं सोती यहाँ.. मैं जा रही हूँ.

सुगंधा उठ कर जाने लगी तो जयशंकर जी ने उसे पकड़ लिया और बिस्तर पे गिरा कर खुद उसके ऊपर आ गए और अब दोनों की गर्म साँसें एक-दूसरे के होंठों पे पड़ रही थी. बस किसी के पहल करने की देर थी.

सुगंधा- नहीं पापा.. ये ग़लत है आप ऐसा नहीं कर सकते.. मैं आपकी बेटी हूँ.

पापा- सुगंधा कुछ ग़लत नहीं है. इन दिनों हम दोनों ने जो किया, वो यही तो था. बस हम दोनों अनजान बने हुए थे और आज खुलकर मज़ा करेंगे.

पापा- मेरी बेटी, तुम कितनी अच्छी हो. आई लव यू डार्लिंग मगर तुम शायद ये भूल गई कि अगर तुम मुझे तड़पाओगी तो तुम भी तो साथ में तड़पोगी ना.. अब तुम्हें भी तो लंड की जरूरत पड़ेगी तो कोई और क्यों? तुम ही मेरे साथ कर लो ना.. ताकि घर की बात घर में ही रहे.

सुगंधा- नहीं पापा मुझे डर लगता है.. इससे बहुत दर्द होता है.. नहीं नहीं.. मैं नहीं करूँगी.

पापा- अरे तूने कभी किया ही नहीं तो तुझे क्या पता दर्द होगा.

सुगंधा- पापा मैं कोई बच्ची नहीं हूँ. इतना तो पता ही है, इसके लिए करना जरूरी नहीं है.

पापा- अच्छा तू किसी और पे भरोसा मत कर.. मैं तेरा बाप हूँ मुझपे तो तुझे भरोसा है ना, मैं बहुत आराम से करूंगा... एकदम धीरे-धीरे..!

सुगंधा- पापा, मैं आपका लंड चूस कर पानी निकाल देती हूँ ना.. प्लीज़ मुझे बहुत डर लग रहा है. मेरा सेक्स करने का कोई इरादा नहीं था, आप समझो ना प्लीज़.

सुगंधा के चेहरे पर डर साफ नज़र आ रहा था.

पापा- देख सुगंधा, तू मेरी बात सुन आज नहीं तो कल तुझे चुदाई करनी ही होगी. मुझसे नहीं तो किसी और से.. या शादी के बाद अपने पति से तो चुदेगी ही, तब क्या होगा.. सोच?

सुगंधा- पापा, पता नहीं मुझे इससे इतना डर क्यों लगता है.

पापा- अच्छा तुझे कैसे पता दर्द का.. कुछ तो हुआ होगा? तू खुलकर मुझे बता ना!

सुगंधा ने बताया वो एक बार नहा रही थी तब नीचे साबुन लगाते टाइम ग़लती से उसकी उंगली अन्दर चली गई तो बहुत दर्द हुआ था.. तब से उसको डर लगता है. सुगंधा ने एक झूठी कहानी सुनाई .

जयशंकर जी समझ गए कि सुगंधा को सेक्स फोबिया है यानि इंसान किसी भी चीज का वहाँ अपने मन में तय कर लेता है, फिर वही उसका डर बन जाता है. हालांकि सुगंधा ने कभी चुदाई नहीं की थी मगर एक बार चुत रगड़ते टाइम उसकी उंगली जरा सी अन्दर घुस गई थी बस उसी पल से उसको अहसास हुआ कि ये छोटी सी उंगली से इतना दर्द हुआ तो लंड से कितना होगा और यही डर धीरे-धीरे उसको चुदाई के खिलाफ कर चुका था.

पापा- अच्छा ये बात है.. चल जाने दे मैं तेरी चुदाई नहीं करूंगा मगर तुझे मैं खुलकर प्यार तो कर सकता हूँ ना.. उसमें तो तू मेरा साथ देगी ना.

सुगंधा- हाँ पापा, सेक्स के अलावा आप कुछ भी कहो... मैं करने को रेडी हूँ.

पापा- तो ठीक है ये नाइटी निकाल दे, मैं रोशनी में तेरे जिस्म को देखना चाहता हूँ.. इसे चूसना चाहता हूँ तेरे निपल्स को निचोड़ कर इनका रस पीना चाहता हूँ.

सुगंधा- चुप करो पापा, मुझे आप से शर्म आ रही है.

जयशंकर जी ने अपनी लुंगी उतार दी और लंड को हाथ से सहलाते हुए बोले- अरे लंड चूसने में शर्म नहीं आई तो देखने में कैसी शर्म? ये देख कैसे मेरा लंड तुझे बुला रहा है.. चल अब निकाल दे.

सुगंधा- पापा आप ही निकाल लो ना प्लीज़.

सुगंधा ने इशारा दे दिया तो जयशंकर जी आगे बढ़े और बेटी को नंगी कर दिया अब वो ऊपर से नीचे तक सुगंधा को निहार रहे थे और मन ही मन अपनी कामयाबी पे खुश हो रहे थे, उन्होंने सुगंधा को बिस्तर पर लेटाया; उसके नर्म होंठों को अपने होंठों से जकड़ लिया और फिर एक लंबी किस के बाद वो सुगंधा की जीभ को चूसने लगे.

अब सुगंधा भी खुलकर उनका साथ दे रही थी.

अब जयशंकर जी उसके मम्मों पर टूट पड़े और निप्पलों को ऐसे चूसने लगे जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो.

सुगंधा- आह.. पापा नहीं.. आह.. मज़ा आ रहा है.. आप बहुत अच्छे हो.. आह.. चूसो उफ्फ ऐसे ही दबाओ इन्हें आह..

जयशंकर जी मंजे हुए खिलाड़ी थे और सुगंधा नादान कली थी, उसको तो मज़ा आना ही था. अब जयशंकर उसके गले पर सीने के ऊपर पेट पर हर जगह चूम रहे थे, चाट रहे थे और सुगंधा तड़प रही थी.

धीरे-धीरे जयशंकर जी अब नीचे चुत पर आ गए और सुगंधा की जांघें चूसने लगे. अब सुगंधा की उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी चुत के बाँध को रोके रखना अब उसके बस का नहीं था.

सुगंधा- ससस्स पापा आह नहीं.. आह.. उफ़फ्फ़.. मेरा पानी निकालने वाला है.

जयशंकर जी समझ गए कि अब रस की धारा आने वाली है, वो जल्दी से बेटी की चुत से चिपक गए और चुत को होंठों में दबा कर चूसने लगे. उसी पल सुगंधा की चुत का लावा बह गया वो कमर को हिला हिला कर झड़ने लगी और जयशंकर जी सारा रस चाट गए.

सुगंधा- आह.. पापा उफ़फ्फ़.. बस भी करो जान निकाल कर मानोगे क्या.. आह.. आज तो आपने मेरी चाटे बिना ही पानी निकाल दिया.

पापा- क्या चाटे बिना.. चुत बोल सुगंधा.. मुझे तेरे मुँह से सुनकर अच्छा लगेगा.

सुगंधा- नहीं मुझे शर्म आती है.

पापा- अरे नंगी चुत को चटवा सकती है तो पापा की ख़ुशी के लिए बोल नहीं सकती.

सुगंधा- अच्छा ठीक है चुत को आपने चाटा.. मुझे अच्छा लगा. बस अब आप खुश..!

पापा- हाँ मेरी जान खुश. अब तू क्या करेगी.. वो भी बोल कर बता.

सुगंधा- मैं आपके इस लंबे लंड को चूस कर ठंडा करूंगी और आपका रस पीऊंगी.

पापा- आह.. मज़ा आ गया तेरे मुँह से ये चुत और लंड सुनना कितना अच्छा लगता है.

सुगंधा- चलो अब आप लेट जाओ और मैं भी आपको उसी तरह मज़ा दूँगी जैसे अपने मुझे अभी दिया है.

पापा- ठीक है सुगंधा जैसा तेरा मन करे, तू कर ले.. निकाल ले अपने मन की.

जयशंकर जी लेट गए तो सुगंधा उन्हें किस करने लगी. उनके सीने पर भी किस किया.. फिर उसकी लंड चूसने की ललक उसको नीचे ले गई और वो मज़े से लंड को चूसने लगी. साथ ही साथ वो गोटियां भी चूस रही थी.

पापा- आह.. सुगंधा आज तूने मेरी बरसों की तमन्ना पूरी कर दी.. आह.. उफ्फ.. चूस मेरी जान आ चूस.

पापा की बातें सुगंधा को और जोश दिला रही थी. अब वो और तेज़ी से लंड को चूस रही थी.

पापा- आह.. सुगंधा चूस.. तेरे होंठों में इतनी गर्मी है..तो तेरी चुत कैसी होगी उफ्फ चूस आह...

काफ़ी देर तक ये चुसाई चलती रही उसके बाद जयशंकर जी झड़ गए. सुगंधा ने उनका पूरा वीर्य गटक लिया और लास्ट बूँद भी जीभ से छत कर साफ कर दी.

पापा- सुगंधा तुम बहुत अच्छी तरह लंड चूसती हो.. ये कहाँ से सीखा तुमने?

सुगंधा- मैं कहाँ से सीखूँगी.. आपने ही पहले चुसाया था.. तब से सीखी हूँ बस.

पापा- अरे मैं कोई इल्ज़ाम नहीं लगा रहा बेटी.. बस मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था.

अब प्लीज़ मान जाओ ना. बस एक बार हाँ कहो. कि मैं तुझे ही चोदूँ.. ताकि घर की बात बाहर ना जाए.

सुगंधा- नहीं पापा मैंने बताया तो है आपको.. मुझे डर लगता है.

पापा- अरे शादी के बाद पति रहम नहीं करेगा.. वो तो ज़बरदस्ती तेरी चुत में लंड घुसा देगा और तब ज़्यादा दर्द होगा. इससे अच्छा तू मुझसे चुदवा ले. मैं तेरा बाप हूँ तुझे बहुत प्यार से चोदूँगा समझी.

सुगंधा ने थोड़ी देर सोचा कि पापा सही कह रहे हैं और पापा से चुदवाने में फायदा भी है. पापा- क्या सोच रही हो सुगंधा. ये दुनिया बहुत खराब है, इसमें जीना है तो इसके तौर-तरीके सीखने जरूरी है. नहीं तो बाद में तुम्हें मौका नहीं मिलेगा.

सुगंधा- ठीक है पापा, मैं आपकी बात मान लेती हूँ.. मगर आपका लंड बहुत बड़ा है और मुझे पता है एक बार तो ये मेरी जान निकाल ही देगा और कल कॉलेज में मेरा जाना बहुत जरूरी है तो आज आप बस ऐसे ही मज़ा ले लो, कल आप मेरी चुत मार लेना.

पापा- थैंक्स बेटा मुझे ये मौका देने के लिए.. अब इतना वेट किया है तो एक दिन और सही.. बस कल देखना मैं तुझे कैसे कली से खिलता हुआ गुलाब बना देता हूँ.

सुगंधा- ठीक है पापा आपकी बातों से चुत में फिर हलचल शुरू हो गई है. एक बार और इसको चूस कर ठंडा कर दो ना.

पापा- क्यों नहीं मेरी जान तेरी चुत को तो पूरी रात चूस सकता हूँ.. मगर बदले में तुझे भी कुछ करना होगा.

सुगंधा- नहीं पापा आपका पानी बहुत देर से निकलता है और दूसरी बार तो पता नहीं कितनी देर लगेगी. फिर मुझे सुबह जल्दी उठने में तकलीफ़ हो जाएगी.

पापा- अरे मैं लंड चूसने को नहीं बोल रहा.. पहले मेरी बात सुन तो लेती.

सुगंधा- अच्छा तो फिर क्या बात है.

पापा- आज रात तू ऐसे ही नंगी मेरे साथ चिपक कर सोएगी, यहीं इसी कमरे में.

सुगंधा- नहीं पापा पूरी रात ऐसे नंगी.. नहीं नहीं.. रात को आपका दिमाग़ घूम गया और अपने मेरी चुत में लंड घुसा दिया तो?

पापा- अरे मैं तेरा पापा हूँ कोई जल्लाद नहीं और तुम्हें मुझपे इतना भी भरोसा नहीं है क्या? ऐसी हरकत मैं क्यों करूँगा?

सुगंधा- सॉरी पापा ग़लती हो गई अच्छा ठीक है हम ऐसे ही सोएंगे.. चलो अब जल्दी से मेरी चुत को ठंडा करो.

पापा- पहले मैं अपना लंड चुत पे रगड़ता हूँ.. फिर चाट लूँगा.. ठीक है.

सुगंधा- नहीं आप फिर गर्म हो जाओगे तो मुझे भी आपका पानी निकालना पड़ेगा. आप ऐसे ही कर दो फिर चुपचाप सो जाएँगे.

पापा मान गए और अबकी बार उन्होंने जीभ से चुत को कुरेद कर सुगंधा को मज़ा दिया. फिर अच्छे से चुत की चुसाई की और उसको ठंडा किया.

सुगंधा- थैंक्स पापा.. अब हम सो जाएं मगर आपका लंड तो बहुत कड़क हो गया.

पापा- कोई बात नहीं बेटा, इसको ऐसे सूखा रहने की आदत है.. मगर बस आज की बात है. कल से तो इसकी हर रात रंगीन हो जाएगी.

सुगंधा- हाँ पापा, मैं कोशिश करूंगी कि आपको कभी सूखा ना रहना पड़े लेकिन माँ के आने के बाद हम कैसे करेंगे?

पापा- जैसे अभी कर रहे हैं.. वैसे ही करेंगे.

सुगंधा- ओके पापा जी.

पापा- बस मेरी जान अब कल का इन्तजार है. उसके बाद सब कमी दूर हो जाएगी.

जयशंकर जी ने सुगंधा को अपने से चिपका कर सुला लिया. सुगंधा तो दो बार झड़ने के कारण थक गई थी, तो उसको जल्दी नींद आ गई. मगर जयशंकर जी सोने की कोशिश करते रहे. वैसे तो ऐसी कली पास में हो और वो भी नंगी, तो किस पागल को नींद आएगी मगर जयशंकर जी ने अपने ज़ज्बात पर काबू रखा और देर से ही सही, उनको भी नींद आ ही गई.

रात को अपने पापा से वादा करके सुगंधा सो गई थी. सुबह वो उठी तो पापा जी का लंड अकड़ा हुआ था, जिसे देख कर सुगंधा के मुँह में पानी आ गया.

सुगंधा- उह... पापा आपका लंड है या गन्ना, हमेशा खड़ा ही रहता है, अब सुबह-सुबह ही देखो कैसे तना हुआ है. अब इसको ठंडा करने के बाद ही मैं फ्रेश होने जाऊंगी. नहीं तो ये आपको परेशान करेगा.

सुगंधा ने अपने पापा के लंड के सुपारे को मुँह में ले लिया और उसको मजे से चूसने लगी. तभी जयशंकर की आँख खुल गई और वो ये नजारा देख कर बहुत खुश हो गए.

पापा- आह.. मजा आ गया बेटी.. अगर ऐसे ही सुबह सुबह लंड को मसाज मिल जाए तो क्या कहने. वाह... तेरी जैसी बेटी पाकर मैं धन्य हो गया सुगंधा.. आह.. चूस मेरी जान.. ओफ्फ.. मजा आ रहा है आह!

सुगंधा- ये कैसा लंड है पापा.. मैं उठी तो अकड़ा हुआ था तो मैंने सोचा इसको ठंडा कर देती हूँ.. नहीं तो ये पूरा दिन आपको परेशान करेगा.

पापा- बहुत अच्छा सोचा तूने.. आह.. चूस दे इसे, अगर तेरी चुत भी मचल रही है तो बता दे.. मैं उसको भी ठंडी कर देता हूँ.

सुगंधा- नहीं पापा इसको तड़पने दो आज तो आप इसको लंड से ही ठंडा करना.

पापा- ठीक है सुगंधा, तू कॉलेज से आकर अच्छी तरह नहा लेना. आज रात मैं तेरे लिए यादगार बनाना चाहता हूँ.

सुगंधा- सीधे से कहो ना.. सारे बाल साफ करने हैं और आप भी कर लेना. ये छोटे-छोटे बाल मेरे मुँह को चुभते हैं.

पापा- हा हा हा तू बड़ी स्यानी हो गई है.. अच्छा कर लूँगा अब जल्दी कर, इसका पानी निकालने के बाद तुझे नाश्ता भी रेडी करना है और खुद को भी रेडी करना है.

सुगंधा ने फिर लंड को मुँह में ले लिया और स्पीड से लंड चूसने लगी. साथ ही वो लंड की गोटियां भी चूस रही थी और गुलसन जी मजे की अलग ही दुनिया में खो गए थे.

बीस मिनट की ज़बरदस्त चुसाई के बाद जयशंकर जी के लंड ने पानी चोदा, जिसे उनकी बेटी सुगंधा रसमलाई समझ कर गटक गई.

पापा- आह.. मजा आ गया सुगंधा बेटी ओफ्फ.. काश तू रोज ऐसे ही सुबह सुबह मेरे लंड को शांत कर दिया करे तो कितना मजा आए.

सुगंधा- अच्छा ऐसी बात है तो रोज कर दूँगी, इसमें क्या है.. पापा, ये तो अब मेरा ही लंड है ना.

सुगंधा ने अपने बाप के लंड पे एक किस किया, फिर मुस्कुराते हुए वहाँ से उठ कर चली गई.

बस जयशंकर जी बहुत देर तक आँखें बंद किए वहीं लेटे रहे.

सुगंधा रेडी हो गई, उसने नाश्ता बना दिया और पापा के साथ नाश्ता करके वो टीना के घर की तरफ़ निकल गई.

सुगंधा घर आई और पापा को वहाँ देख कर चौंक गई.

सुगंधा- पापा, आप यहीं हो... आज आप दुकान नहीं गए?

पापा- गया था मेरी जान... मगर मन नहीं लगा तो वापिस आ गया और सोचा कॉलेज से आकर तू क्या बनाएगी क्या खाएगी, इसलिए आते वक़्त बाहर से खाना भी लेकर आ गया. मगर तू घर आने में इतनी लेट क्यों हो गई?

सुगंधा- वो पापा, मैं अपनी फ्रेंड्स के साथ उसके घर चली गई थी. मुझे पता होता आप यहीं हो तो मैं सीधे यहीं आती ना.

पापा- चल जाने दे, अब तो आ गई ना तू अब जल्दी से कपड़े चेंज कर ले. फिर साथ में खाना खाते हैं. उसके बाद हमें बहुत काम भी करने हैं.

सुगंधा- कौन से काम पापा... ज़रा आप मुझे भी तो बताओ?

पापा- सब बताऊंगा... पहले खाना तो खालो.

सुगंधा समझ गई कि जो भी काम है, वो मजेदार ही होगा और वैसे भी उसकी चुत गीली हो गई थी. अब उसको भी ठंडा करने की जरूरत थी. यही सोच कर सुगंधा अपने कमरे में गई और सिर्फ़ नाइटी पहन कर बाहर आ गई.

दोनों ने साथ में खाना खाया उसके बाद जयशंकर जी ने एक छोटा पैकेट सुगंधा को दिखाते हुए कहा- ये है वो काम.

सुगंधा- ये क्या है पापा दिखाओ तो?

'खुद ही देख लो.'

जब सुगंधा ने पैकेट खोला, तो उसमें रेजर थे. कुछ लेडीज के और कुछ नॉर्मल, जो मर्दों के काम आते हैं.

सुगंधा- ये क्या पापा आप ये रेजर क्यों लेके आए हो... इनसे क्या करोगे?

पापा- मेरी जान, इस वाले से मेरी झांटें साफ होंगी और ये सॉफ्ट वाले से तेरी झांटें साफ होंगी... समझी तू!

सुगंधा- लेकिन इसकी क्या जरूरत थी मेरे पास तो बाल साफ़ करने वाली क्रीम है ना... मैं तो उसी से कर लेती.

पापा- नहीं मेरी बेटी क्रीम से वो चिकनाई नहीं आती, जो इससे आएगी समझी और वैसे भी तुझे डरने की जरूरत नहीं है. मैं खुद अपने हाथों से तेरी चुत को साफ करूँगा. आज उसके बाद तू मेरे लंड को साफ करना बहुत मजा आएगा.

सुगंधा- ये तो अपने बहुत मस्त आइडिया लगाया है.

पापा- सुगंधा मैंने तुम्हें समझाया तो था कि हम दोनों करेंगे. घर की बात घर में रहेगी. वैसे भी तुम इस लंड और चुत के खेल में इतना आगे आ गई हो, अब तुम्हें भी लंड की जरूरत है. नहीं तो तुम भी मेरी तरह असंतुष्ट घूमती रहोगी समझी.

सुगंधा- आपकी बात सही है.

पापा- मेरी भोली सुगंधा तू डरती क्यों है. आज तेरी मस्त चुदाई कर दूँ, और तेरा डर भी दूर हो जाएगा. फिर हम तो रोज मजा कर सकते हैं. जब तक तेरी माँ नहीं आ जातीं तब तक खुलकर चुत लंड का खेल करेंगे और उसके आने के बाद छुपकर चुदाई हो जाएगी. क्यों कैसा लगा तुझे मेरा आइडिया?

सुगंधा- आइडिया तो मस्त है पापा, मगर सच कहूँ आपका बहुत बड़ा है, इसे देख कर ही मुझे डर लग रहा है.

पापा- पागल, मैं तेरा बाप हूँ तुझे तकलीफ़ थोड़े दे सकता हूँ. तू देखना कितने आराम से करूँगा, तुझे कम से कम तकलीफ़ होगी. चल अब देर मत कर साथ में बाथरूम जाएंगे और वहाँ अपनी झांटों की सफ़ाई करेंगे समझी.

सुगंधा- ठीक है मेरे प्यारे पापा चलो, आप नहीं मानने वाले.

दोनों बाप और बेटी बाथरूम में चले गए और वहाँ नंगे हो गए.

सुगंधा- अब क्या करना है पापा, क्या आप पहले मेरे बाल साफ करोगे?

पापा- हाँ मेरी जान... पहले तेरे जिस्म के सारे बाल साफ करूँगा, उसके बाद तू मेरे करना... मजा आएगा.

सुगंधा- लेकिन आप ऐसे कैसे करोगे... यहाँ तो बैठने की कोई जगह भी नहीं है.

जयशंकर जी ने सुगंधा को कमोड पे बिठा दिया और उसकी टांगें फैला दीं- अब समझ आया कैसे होगी ये झांटें साफ... अब बस चुपचाप बैठी रहना... मैं आराम से साफ कर दूँगा.

सुगंधा- पापा आराम से करना... कहीं कट ना जाए, नहीं तो खून निकल आएगा.

पापा- अरे ऐसे कैसे कट जाएगा और खून निकलने में अभी टाइम है मेरी जान... जब तेरी सील टूटेगी ना तब ज़रूर निकलेगा.

सुगंधा- पापा आप डराओ मत प्लीज़... नहीं तो मैं यहाँ से भाग जाऊंगी.

पापा- अरे मजाक कर रहा हूँ मेरी जान... चल अब चुप बैठ पहले अच्छे से साबुन लगाने दे, उसके बाद मैं तेरी चुत को चिकना बना दूँगा.

जयशंकर जी ने चुत पे साबुन लगाया, उसके बाद धीरे-धीरे वो रेजर से चुत को चमकाने में लग गए.

सुगंधा- आह... सस्स... पापा, आपका हाथ लगते ही चुत में आग लग गई ओफ्फ... लगता है, जैसे अन्दर कोई लावा उफान रहा हो... आह... प्लीज़ जल्दी से साफ करके इसको शांत कर दो, नहीं तो ये ऐसे ही सुलगती रहेगी.

पापा- कर दूँगा मेरी रानी... बस आज की बात है. कल से इसमें कोई लावा नहीं फूटेगा क्योंकि मैं अपना लंड इसमें हर वक़्त डाले रहूँगा ताकि इसको सुकून मिलता रहे.

सुगंधा- सच्ची पूरा दिन डाले रहोगे... ऐसे तो मुझे पूरा दिन ऐसे नंगी रहना पड़ेगा.

पापा- अच्छा है ना, हम दोनों के अलावा कोई है भी नहीं... तो कपड़े किस लिए पहनने हैं.

दोनों बाप-बेटी बहुत देर तक बातें करते रहे और साथ साथ जयशंकर जी ने सुगंधा के सारे बाल साफ कर दिए. फिर जब चुत को पानी से साफ किया तो उसका निखार देखने लायक था. जयशंकर जी ने उसपर एक जोरदार किस भी कर दिया, जिससे सुगंधा सिहर गई.

सुगंधा- इसस्स पापा प्लीज़ चूस दो ना... आज इसमें बहुत आग लगी हुई है.

पापा- नहीं मेरी जान ऐसे नहीं पहले तू मेरी झांटें साफ कर, फिर कमरे में जाकर आराम से तेरी चुत को चाटूँगा.

सुगंधा- नहीं पापा आप खुद कर लो... मुझे ये रेजर चलाना नहीं आता. कहीं आपको लग गई तो मुसीबत आ जाएगी.

पापा- कुछ नहीं होगा ये तेरे पापा का लंड फौलाद से बना है. इतनी आसानी से नहीं कटेगा, चल मैं तुझे बताता हूँ वैसे करना है.

जयशंकर जी के बताने पर सुगंधा ने लंड पे अच्छे से साबुन लगाया, फिर धीरे-धीरे उसको साफ करने लग गई.

ये साफ सफ़ाई का प्रोग्राम चलते चलते दोनों एकदम गर्म हो गए थे. फिर दोनों ने साथ में शावर लिया और नंगे ही बाहर आ गए और सुगंधा बिस्तर पर चुत फैला कर ऐसे लेट गई जैसे अभी चुदने को रेडी हो.

सुगंधा- पापा, अब साफ सफ़ाई का प्रोग्राम खत्म हो गया ना... अब तो मेरी चुत की आग शांत कर दो प्लीज़!

पापा- ठीक है मेरी जान तेरा इतना ही मन है, तो कर देता हूँ. नहीं तो मैंने सोचा था कि आज रात तेरी चुत को लंड से ही अच्छी तरह से शांत करूँगा.

सुगंधा- नहीं पापा रात को मुझे पता है आप मेरी हालत बिगाड़ने वाले हो. उस टाइम कोई मजा नहीं आने वाला. इसी लिए बोल रही हूँ कि मुझे अभी मजा दे दो. फिर रात को तो बस दर्द ही होना है.

पापा- नहीं मेरी जान ऐसे सीधे ही थोड़े तेरी चुत में लंड घुसा दूँगा. पहले तुझे अच्छी तरह मजा दूँगा, उसके बाद पूरी रात तेरी जमकर चुदाई करूँगा.

सुगंधा- ऐसी बात है तो फिर मुझे सोने दो... तभी तो मैं रात को जाग पाऊंगी.

जयशंकर जी समझ गए कि सुगंधा सही बोल रही है और उनको भी थोड़ा रेस्ट कर लेना चाहिए क्योंकि रात में उनको अपनी बेटी की जवानी का मजा जो लूटना है. जयशंकर जी का मन था कि वो सुगंधा के साथ लिपट कर सोएं मगर कुछ सोचकर वो दूसरे कमरे में चले गए और सो गए.

रात दस बजे सुगंधा कमरे से बाहर आई. वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. उसके चेहरे की चमक देखने लायक थी. जयशंकर पापा जी तो बस उसको देख कर देखते ही रह गए.

सुगंधा- ऐसे क्या देख रहे हो पापा? क्या इरादा है आपका?

पापा- क्या बताऊं सुगंधा इतनी सुन्दर... उफ़फ्फ़ दिमाग़ चकरा गया. मेरा तो तुम दुनिया की सबसे हसीन लड़की हो. तुम्हें देख कर मेरी हालत खराब हो रही है.

सुगंधा- मैं जो भी हूँ, आपकी ही हूँ. अब आप जो चाहें मेरे साथ कर सकते हो. आज से सुगंधा आपकी हो गई समझो. पापा, सुबह से तड़प रही हूँ. अब जल्दी से आप मुझे शांत कर दो.

पापा- बस कुछ देर की बात है जान, उसके बाद हमेशा के लिए तू मेरी हो जाएगी.

जयशंकर जी ने सुगंधा को बांहों में लिया और उसको किस करने लगे. वो उसके मम्मों को भी दबा रहे थे. कभी कानों पर हल्का सा काट देते, तो कभी किस करते.

जयशंकर जी अब सुगंधा के एक-एक कपड़े को धीरे-धीरे निकाल रहे थे. लगभग 15 मिनट के इस प्यार में पापा ने अपनी बेटी सुगंधा को एकदम नंगी कर दिया था और खुद के कपड़े भी निकाल दिए थे.

सुगंधा- ओह पापा... आप कितने अच्छे हो इस्स... इतना प्यार कर रहे हो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है... उई... काटो मत ना पापा.

पापा- क्या करूं तू है ही इतनी मस्त, एकदम रस मलाई की तरह कि चाटने और काटने को दिल कर रहा है.

सुगंधा- अच्छा ये बात है... फिर मैं आपके लंड पर काटूं, तब आप कुछ मत कहना.

पापा- अरे ऐसी ग़लती मत करना अगर वहाँ काटेगी ना... तो वो उसका बदला तेरी चुत से ले लेगा, फिर मत कहना कि दर्द होता है.

सुगंधा- अच्छा मेरे पापा मैं हार गई, अब बातें ही करोगे या आगे भी बढ़ाओगे... मेरी चुत बहुत तड़प रही है.

जयशंकर जी समझ गए कि अब बातों का कोई फायदा नहीं. वो फिर शुरू हो गए और सुगंधा के शरीर को मज़े से चूसने लगे. धीरे-धीरे वो उसकी चुत पे पहुँच गए और जीभ से चुत को चाटने लगे. साथ ही उन्होंने उंगली से चुत को फैला कर सुगंधा के दाने को चूसना शुरू किया, जिससे सुगंधा के जिस्म में 440 वॉल्ट का करंट लगा, वो तड़पने लगी.

सुगंधा- ससस्स आह... पापा अपने ये क्या कर दिया... आह बहुत मजा आ रहा है... अइ ओफ्फ... चूसो आह...

जयशंकर जी बिना कुछ बोले अपने काम में लगे हुए थे. एक बार उन्होंने उंगली पर थूक लगाया और धीरे से चुत में थोड़ा घुसा दिया, जिससे सुगंधा तड़प उठी.

सुगंधा- आआ नहीं ओफ्फ... पापा दर्द हो रहा है आह... निकालो ना बाहर... आह...

पापा- मेरी जान चुप रह कर बस मजा ले, सीधे लंड घुसा दूँगा तो तुझे ज़्यादा तकलीफ़ होगी, इसलिए पहले उंगली से थोड़ी देर तेरी चुत को खोलने दे ताकि बाद में दर्द कम हो और ज़्यादा मजा आए.

सुगंधा समझ गई कि अब पापा जो कर रहे हैं, उसके भले के लिए ही होगा. वो बस मादक सिसकारियां लेती रही और उसने पापा को कह दिया कि आप जो करना चाहते हो करो... अब नहीं रोकूंगी.

पापा जी धीरे-धीरे उंगली से अपनी सगी बेटी की चूत को चोदने लगे. शुरू में उसको दर्द हुआ फिर जब उंगली चुत में एड्जस्ट हो गई तो उसको मजा आने लगा.

सुगंधा- आह... सस्स पापा इससे तो बहुत मजा आ रहा है... अब दर्द कम है... आह... करो और अन्दर तक घुसा दो ओफ्फ... आह...

सुगंधा की उत्तेजना देख कर अब जयशंकर जी ने दो उंगलियां एक साथ चुत में घुसा दीं और उसका अंजाम वही हुआ... सुगंधा के मुँह से दर्द भरी आवाज़ निकली, मगर वो सहन कर गई और वैसे ही पड़ी रही. कुछ देर बाद उसको मजा आने लगा और अब वो एकदम चरम पर पहुँच गई थी. उसकी साँसें तेज हो गईं और वो कमर को हिला-हिला कर मजा लेने लगी.

सुगंधा- आह... ससस्स... ज़ोर से करो पापा आह... फास्ट आह... मजा आ रहा है अइ और करो.

पापा- सुगंधा तेरी चुत में बहुत आग है... मेरी उंगली झुलस रही है... बाहर ये हाल है तो अन्दर तो क्या पता कितनी आग होगी... ले मेरी बेटी आने दे तेरी रस की धारा... तेरा पापा तैयार है पीने को.

पापा ने अब अपने होंठ चुत पर टिका दिए थे ताकि सुगंधा का रस सीधा उनके मुँह में जाए.

सुगंधा- आह पापा आह... चाटो... मैं गई उफ़फ्फ़ चूसो आह... ज़ोर से करो... मेरी चुत पापा आह... चाट लो.

सुगंधा कमर को हिला कर झड़ने लगी और उसका सारा रस पापा चट कर गए. अब बेटी तो शांत हो गई थी. मगर पापा जी का लंड पूरे उफान पर था और चुत को देख कर सलामी दिए जा रहा था.