अंतरंग हमसफ़र भाग 177

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सेक्सी और खूबसूरत मुख्य पुजारिन की दीक्षा
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Part 177 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 45

सेक्सी और खूबसूरत मुख्य पुजारिन की दीक्षा​

फिर मैं जीवा को देखते हुए उस कमरे के बीचो बीच रखे बिस्तर पर जीवा को हाथ पकड़ ले गया और उसके हर कदम के साथ उछलते कुल्हे और चूतडो में संतुष्टि का एक भाव था, चाल में एक मादकता थी।

इतनी सेक्सी और खूबसूरत जीवा को देख मेरे अन्दर की वासना में जीवा की खूबसूरती ने आग में घी वाला काम किया। और मैंने तुरंत तय कर लिया था कि आज तो मैं जीवा की चुदाई करके ही दम लेगा और इसके लिए मुझे चाहे जो करना पड़े को करूँगा हालंकि वह लगभग नग्न ही थी पर फिर भी कुछ आभूषण पहने हुई थी और मैं उसे पूरी तरह नंगी इमेजिन कर रहा था। कमर लचकाती, कुल्हे मटकाती मद मस्त चलती जीवा के नितम्बो पर हाथ रख कर मैंने उसने पहले सहलाया और फिर दबा दिया! आह!

मैं उसकी खूबसूरती को बार-बार निहार रहा था और खुश हो रहा था। अब शृंगार और सज कर जीवा पहले से कई गुना ज्यादा सेक्सी और आकर्षक लग रही थी। और इसके कारण मेरा लंड बिलकुल कड़ा हो गया था ।

मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रख दिए। उसने मैंने उसकी कमर के आकार को महसूस किया। यह किसी मूर्तिकार द्वारा गढ़ी गई किसी भी मूर्ति से बेहतर थी। मैंने ने धीरे से अपनी हथेलियों को उसके पसली के पिंजरे के किनारों पर सरका दिया। खुशी की शुरुआती लहरों को महसूस करते ही उसने अपने मुंह से सांस छोड़ी। फिर वह अपने हाथों को अपने कोमल स्तनों के चारों ओर धीरे से घुमाते हुए सामने लाया, धीरे-धीरे अपने अंगूठे के साथ उसके निप्पल तक पहुँच गया जैसे कि वह अपने दिमाग में माप चला रहा हो। आज जीवा को वन में पहली बार किसी ने इस तरह से छुआ था। वह कराह रही थी और मैंने उसके निपल्स को थोड़ा अंदर दबा दिया। आनंद की लहर के रूप में उसका पेट सिकुड़ गया। उसकी प्रतिक्रिया ने मेरे लंड को बहुत कठोर कर दिया। मैं जानता था कि अब मैं जल्द से जल्द उसकी प्यारी कुंवारी चूत में प्रवेश करना चाहता हूँ। लेकिन उससे पहले मैं उसे अपने सीने में दबा लेना चाहता था। मैं उसके उस प्यारे शरीर को अपनी बाँहों में कस कर पकड़ना चाहता था। इसलिए उसने ऐसा करते हुए उसे अपने पास खींच लिया। उसके प्यार भरे आलिंगन ने उसे आस पास क्या है सब भुला दिया।

मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और तारीफ करता हुआ-जीवा आप आज बहुत खूबसूरत लग रही हो और सच बोलू तो आज तुम कमाल की लग रही हो, पता नहीं इसकी वजह क्या है लेकिन तुम सच में बहुत खूबसूरत और दिलकश लग रही हो। वह अपने वबालो ने हाथ फिरती हुई बोली इसका कारण भी आप ही हो आपने मेरे अन्दर की सोई औरत को जगा दिया हैऔर जीवा ने मेरी तरफ एक लम्बी मुस्कान छोड़ दी। उसे भी पता था आज उसका अंग-अंग दमक रहा है, शरीर के हर कोने में संतुष्टि झलक रही है। वह मेरी तारीफों से खुशी में झूम रही थी । वह बोली आपको मालूम नहीं है मैं आपके लिए पिछले चार साल से कितना तडपी हूँ अब जब आपसे मिलने का मौका आया है तो मेरा अंग-अंग खिल गया है । मैं पिछले चार साल से बेहद अकेली थी और मेरा मन और शरीर वासना की आग में जल रहा है। मैं आपसे मिलने के लिए बेकरार थी और मैंने सालो से लंड की तरफ देखा नहीं है और जब मैं महायाजक बनी थी तब भी मैंने अपनी इष्ट प्रेम की देवी से प्राथना की थी की मुझे सिर्फ आपसे प्रेम है और इसलिए मैंने ने सालो से चुदाई नहीं की और अपने कौमार्य को आपको ही समर्पित करने का मेरा निश्चय आज पूर्ण हो रहा था है इसलिए तुमसे चुदाई की तलब ने मेरा ये हाल कर दिया है और मुझ से चिपक कर रोने लगी।

मैं बोला--देखो जीवा सेक्स जवान शरीर की जरुरत है तुम प्रेम और सेक्स की देवी की उपासक और पुजारिन होऔर अच्छे से जानती ही हो अपनी वासना को कितना भी दबावों, वह दबने वाली नहीं है, बल्कि तुम्हे बीमार बना देगी। तुम जवान हो और बहुत खूबसूरत भी। अगर तुमारे अन्दर चुदवाने के इक्षा होती है तो इसमे कुछ भी गलत नहीं है ये तो प्राकृतिक है। तुम अपनी चुदवाने की इच्छा मारकर खुद पर घनघोर अत्याचार कर रही थी।

एक तो काम पिपासा ऊपर से मेरे विनम्रता से बोले गए शब्दों को सुन जीवा मेरे धे पर सर रखकर बेतहाशा रोने लगी। मैंने कहा जीवा तुम्हे कुछ कहने की जरुरत नहीं है, तुम्हे बस खुद को प्यार करने की जरुरत है जिससे तुम्हे ख़ुशी आनंद मिले वह करो, अपने शरीर के सुख के लिए तुम्हे जो करना पड़े करो। इतना कहकर मैंने जीवा को गले लगा लिया औरजीवा भी जोर से मुझसे लिपट गयी, उसके लिपट जाने से उसके स्तन और चूचीया मेरे सीने से दब गयी। मुझे भी मेरे नंगी छाती पर जीवा के स्तन और चुचियो का अहसाह हो रह था, मैंने जीवा पर अपनी बांहों का कसाव बढ़ा दिया, जिससे स्तन और चूची ज्यादा कसकर मेरे सीने से रगड़ने लगी। इस रगडन से मेरे लंड में हल्की-सी हरकत हुई।

मैं बोलै जीवा मुझे इन शारीरिक सुखो का एहसास कुछ ही दिन पहले हुआ है और अब सोचता हूँ मैं कैसे इतने दिन इनके बिन रह लिया । जबकि तुम तो इतने साल पहले इनके बारे में जानती थी, तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो मेरा यकीन करो। तुम्हारे जैसी बला की खूबसूरत लड़की को हमसफर पाकर कोई भी मर्द गर्व महसूस करेगा।

जीवा सुबुक रही थी और कसकर मेरे से लिपट गयी थी। जीवा खुद से मेरे साथ लिपटी जा रही थी उसका खुद पर नियंत्रण कम होता जा रह था, में जीवा पीठ सहलाता हुआ पीठ पर से हाथ फेरते-फेरते अपना हाथ उसकी कमर ने नीचे जाकर उसके उठे हुए चिकने गोलाकार गोरे मांसल चुतड पर दबाव बनाकर जीवा की कमर को अपनी तरफ खींच और दबा रहा था। और मेरा लंड कड़ा होने लगा था।

उसके कोमल शरीर को उसका अहसास साफ साफ़ हो रहा था, उससे चिपकी होने की वजह से वह मेरे लंड के तनाव और कठोरता को-को अपनी नाजुक कमर के निचले हिस्से और केले के तने जैसी चिकनी नरम गुदाज जांघो और चुतड़ो पर महसूस कर रही थी। वह सोच रही थी की उसकी असलियत का पताचलने के कारन ही अब मैं उसे बुरी तरह चोद डालना चाहता है। एक तो मेरे लंड का बड़ा आकार और मेरे इरादे के बारे में सोचकर जीवा घबराये और डर गयी। उसके दिमाग में हाहाकारी तरीके से बुरी तरह चोदने के सीन चलने लगे। लेकिन इस हालत में भी उसकी चूत में हल्की-सी वासना के उफान की सनसनाहट-सी महसूस हो रही थी और हर बीतते पल के साथ ये सनसनाहट बढती जा रही थी, क्योंकि मैं अपने एक हाथ से जीवा के उठे हुए चिकने गोलाकार गोरे मांसल चुतड लगातार मसल रहा था और उसके शरीर को अपने ऊपर खींच रहा था। जीवा भी अपनी चिकनी नरम गुदाज जांघो और चूतडो के बीच मेरे कठोर लंड के स्पर्श और तनाव को महसूस कर रही थी।

मैंने थोड़ा जीवा का चेहरा ऊपर किया और उसके ओठो को पहले धीमे से और फिर उसे कसकर चूम लिया, जीवा के मुहँ से हल्की आह निकल गयी, मैं सख्ती से जीवा के ओठ चूमने लगा और अपनी जीभ जीवा के मुहँ में डाल दी, मैंने एक हाथ से जीवा की खुद से चिपकाये हुए था जबकि उसका एक हाथ जीवा के भारी गोल मांसल चुतड की लगातार मालिश कर रहा था। मेरा सख्त होकर खड़ा लंड जीवा की चिकनी नरम गुदाज जांघो पर पहले से ज्यादा जोर से महसूस हो रहा था।

जीवा ने कुछ ही देर पहले पूरे शरीर की वैक्सिंग और नहाने के बाद शरीर पर तेल लगाया था और उसके शरीर पर बालों का नामोनिशान नहीं था, जिसके कारन कंधो से लेकर कमर तक उसकी नरम गोरी त्वचा से ढका नाजुक बदन हलकी मशालो की रौशनी में सुनहरे संगमरमर की तरह चमक रहा था। उसके स्तन कठोर होकर समाने की तरफ तने हुए थे, जब मैंने उसकी तनी हुई चुचियाँ देखि तो मेरी सांसे तेज हो गयी। । उसके कुंवारे और अनछुए सुडौल, ठोस और सामने की तरफ तने हुए थे।

उसने मुझे अपने पास खींचा और मैंने उसे जब दुबारा चूमा तो वह भी मेरे ओंठ चूमने लगी इससे मुझे आत्मविश्वास मिला। मैंने उसे घुमाया और उसकी पीठ पर लिटा दिया और उसके तंग पेट पर चुंबन लगाने लगा। मैंने उसके दाहिने स्तन को ऊपर की ओर लंबी चाट के साथ आगे बढ़ा। उसके कोमल निप्पल को अपने होठों से दबाया और उसकी प्रतिक्रिया की तलाश की। उसका मुंह खुला हुआ था। फिर मैंने अपनी लार से उसके निप्पल को भीगो लिया और उसमें से लार को वापस चूसा। उसका शरीर गर्म हो रहा था। उसकी छाती बड़ी हो गई और सिकुड़ गई, क्योंकि उसने जोर से सांस ली। फिर मैंने अपनी जीभ से उसके निप्पल से खेलते हुए उसके बाएँ स्तन पर चला गया।

उसने मेरी तरफ देखा। मैं जल्दी से उसके कोमल, गुलाबी होठों को चूमने लगा। उसने अपने चेहरे पर मेरी गर्म सांसों के झोंकों को महसूस किया। मैंने जीवा के चुतड छोड़ कर अब स्तन मसलने शुरू कर दिए, धीरे-धीरे मेरी हथेली और उँगलियों की सख्ती बढती जा रही थी, बीच-बीच में जीवा के ओठ चुसना छोड़ चुचियो पर अपने दांत गडा देता, तो जीवा के मुहँ से सीत्कार भरी सिसकारी फूट पड़ती, फिर उन्हें छोटे बच्चे की तरह चूसने लगता, फिर वापस जाकर जीवा के ओठो से ओठ सटा देता और अपनी जीभ जीवा के मुहँ में ठेल देता और दोनों के मुहँ की लार एक दुसरे में घुलने मिलने लगी।

इतनी खुसुरत जीवा को चोदने के ख्याल से ही मेरा लंड तो लंड मेरा रोम-रोम भी खड़ा हो गया और लंड की तरफ खून का दौरा तेज हो गया। जिवा जो की अप्सराओ से भी बहुत ज्यादा खूबसूरत है। इतनी खूबसूरत, फूल-सी नाजुक जीवा की टाइट चुत को जब मैं चोदूँगा तो कितना मजा आएगा, ये सोच के ही मेरा लंड और ज्यादा तन गया। मैं जीवा की जांघो के बीच में चिकनी गोरी बाल रहित चूत त्रिकोण घाटी को गौर से देखने लगा अब मेरे समाने एक नंगी अप्सरा मुझे अपने अन्दर समां जाने का आमंत्रण दे रही थी। उसकी खूबसूरत कसी हुई चिकनी गुलाबी चूत अन्दर तक, आखिर छोर तक पूरी तरह अंदर समा जाने के लिए आमंत्रण दे रही थी।

मैंने उसके स्तन को दबाते हुए दुसरे हाथ से उसकी जनघो को सहलाया और फिर ड्सके दोनों चूतडो का जायजा लेने लगा।

कमर से नीचे जांघो तक उभरे हुए, कुंवारी सुडौल कसावट लिए हुए, नरम-नरम मांसल गोल बड़े-बड़े चुतड देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया। और उससे थोड़ा दूर हुआ तो अब जिवा का ध्यान मेरे लंड पर गया ।

जीवा ने आश्चर्य से मेरी की कमर की तरफ देखा और उसने मेरा मोटा लम्बा, खून के तेज दौरे से कांपता लंड ऊपर की तरफ सीधा था जिस्की मोटाई और लम्बाई देख जीवा की आंखे फटी की फटी रह गयी। लंड उत्तेजना से फूल गया था और खून के बहाव के कारन होने वाला कांप रहा था। इतना मोटा बड़ा लंड उसने कभी इतने पास से नहीं देखा था।

उसे अंदाजा था कि मेरा लंड बड़ा है लेकिन इतना बड़ा ये अंदाजा उसे नहीे था।

कहानी जारी रहेगी

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