अंतरंग हमसफ़र भाग 184

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नई प्रधान महायाजक
1.5k words
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89
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Part 184 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 52

नई प्रधान महायाजक ​

जीवा की चूत से निकलता मेरे लंड से निकला सफ़ेद गाढ़ा वीर्य देख फिर पाईथिया उठी और उसने सब को बधाई दी और मैंने देखा हालाँकि मेरा लंड अभी भी कठोर था । दोनों ही पसीने से नहाए हुए थे। बुरी तरह मसलने के कारन जीवा के सुडौल स्तन लाल हो गए थे, उसके सपाट पेट पर भी लालिमा छाई हुई थी, बदन पर जगह-जगह नील पड गए थे। चूत में सुजन आ गयी थी । चुत के ओंठ सूज कर मोठे हो गए थे । ओंठ भी सूज गए थे और गाल भी लाल हो गए थे । कंधो पर चूसने से निशाँ पड़ गए थे । मेरे भी ओंठ दर्द कर रहे थे और लंड और अंडकोषों में भी दर्द महसूस हो रहा था । और लग रहा था कि मेरे बदन से ताकत निकल गयी है पर जीवा के चहरे पर अलग हो ओज था ।

पाईथिया ने उस मिले जल रस को मुझे चटाया और वह बोली ग्लोरिया अब तुम्हारी दीक्षा का समय हो गया है। मास्टर अब आप ग्लोरिया को दीक्षित कीजिये ।

मैं और जीवा दोनों पसीने से कई बार नहा चुके थे, जीवा एक झटके से आगे हुई और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ कर मेरा खड़ा लंड अपनी योनि में घुसा लिया और मैं भी अपने लंड को लंड रस से सनी चूत की गहराई में ठेल कर थका हुआ हाफता हुआ बिस्तर पर पसर गया और जीवा के नरम होंते स्तनों को दबाता हुआ लेट गया। जीवा ने भी मुझे बांहों में भर लिया और मेरे बाल सहलाने लगी और मेरे अंदर की सारी उर्जा वह मुझे कस करके चूस रही थी।

मेरी और जीवा की साँसे की सांसे उखड़ी हुई थी, दोनों सांसो को काबू में करने लगे हुई थे। जीवा अपनी चूत में वह अभी भी हलका कम्पन महसूस कर रही थी। मेरा लंड जीवा की चूत के अन्दर ही खड़ा हुआ था। जीवा का पूरा शरीर इस तकलीफ भरी जोरदार चुदाई से थक के चूर हो चूका था, उसकी कमर में हल्का-हल्का दर्द भी हो रहा था। जीवा संतुष्ट थी तृप्त थी लेकिन उसे अजीब-सा लग रह था, उसका तारणहार रक्षक उसकी बांहों में पड़ा अपनी सांसे काबू में कर रहा था। उसने यही चाहा था की वह अपने रक्षक को ही अपना कौमार्य सौंपेगी । वह मुझे ही अपनी इष्ट के बाद अब अपना सर्वस्व मान चुकी थी उसने मन ही मन अपनी इष्ट प्रेम की देवी को धन्यवाद दिया आज वह अपनी हवस वासना और हवस की पूर्ति चाहती थी ।एक अच्छी चुदाई का सबसे अच्छा लक्षण यही है कि चुदने और चोदने वाले दोनों ही सेक्स दुबारा करना चाहते हैं और बार-बार करना चाहते हैं और यही हम दोनों चाहते थे और अब उसे चुदाई मिलने वाले आनद का पता लग गया था। या यु कहिए शेरनी के मुँह खून लग गया था और उसकी हवस का पिटारा खुल चूका था, अब उसके लिए पीछे जाने का कोई अवसर नहीं बचा था । क्योंकि जिसे लंड का चस्का लगा वह चूत चुदाई के बिना नहीं रह सकती । जब तक नहीं चूड़ी नहीं चूड़ी । पर एक बार चूड़ी और मजा आया और चस्का लगा । आदत खराब हुई । तो हुई फिर वापसी का कोई रसाता नहीं रहता। और जीवा तो बड़े लंड से चुदी थी । उसकी चार सालो की वासना की पूर्ती उसके मन पसंद प्रेमी से और फिर बड़े लंड से हुई तो उसके लिए अब कोई अन्य रास्ता था ही नहीं । उसने घप्प से मेरा बड़ा लंड अंदर ले लिया और अपनी डेल्फी पाईथिया को करके बता दिया को अब आगे जो होगा उसकी इच्छा से ही होगा ।

वो बोली डेल्फी आप मुझे और मास्टर को भी इस दिव्य रस को पिलाओ और मैं आप को याद दिला दू की मुझे दीक्षित करने के बाद मास्टर को किस प्रकार पुनः सशक्त करना होगा तभी मास्टर आगे ग्लोरिया को दीक्षित कर सकेंगे और इसके लिए मुझे उन्हें पुनः सशक्त करना होगा ।

पाईथिया के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा था । क्योंकि मंदिर की परम्परा के अनुसार नयी महायाजक और मुख्या पुजारिन दीक्षित होने के बाद सबसे शक्तिशाली महायाजक और प्रधान महायाजक हो जाती है । अब जीवा को दीक्षित करने की प्रक्रिया में सब पुजारिणो की पूरा शक्तिया प्रदान कर दी गयी थी । फिर पाईथिया अपने घुटनो पर बैठी । जीवा के सामने सर झुकाया और बोली । मुझे क्षमा कीजिये डेल्फी (जीवा) जैसी आपकी आज्ञा वैसा ही होगा ।

मेरा मोटा लंड जीवा की गीली चूत के अन्दर पड़ा हुआ था, उसे लंड ही तो चाहिए था, उसे अब बस लंड चाहिए था जो उसको चोद सके, जो उसकी चूत की गहराई तक जाकर उसकी चूत की दीवारों की मालिश कर सके, उसके हुस्न और तपन को लूट ले, उसके जिस्म को भोगे, उसके स्तनों को जमकर निचोड़े, उसे चूमे, चाटे, उसे उसके औरत का अहसास कराये, एक समपूर्ण औरत होने का। उसके जिस्म की वासना को तृप्त करे, उसे बार-बार तृप्ति का अहसास कराये। अब वह इस बात से इंकार नहीं कर सकती थी की वह एक औरत है और उसे अपनी वासना पूर्ति के लिए मेरे लंड की जरुरत थी। हालाँकि मैं कमजोरी महसूस कर रहा था लेकिन वह अब ऊर्जावान महसूस कर रही थी । उसने मेरी तरफ देख कर हल्की स्माइल करी।

तभी मैंने महसूस किया वह मुझे मेरे ओंठो पर किस करके अपना थूक मेरे मुँह के अंदर डाल कर थोड़ी ऊर्जा प्रदान कर रही थी । मैं उस थूक को गटक गया और मुझे अपने अंदर ऊर्जा का पुनः संचार महसूस हुआ और मैंने उसके नरम हो चुके स्तन को सहलाना और चूसना शुरू कर दिया। फिर मैं उसके स्तन के अलावा उसके बाकि शरीर पर भी हाथ फिरने लगा, उसकी छूट मेरे लंड को बाहर निकलने लगी और मेरा लम्बा मोटा लंड धीरे-धीरे चूत से खिसककर बाहर निकलने लगा था। हालाँकि जीवा तो चाहती थी की मेरा लंड इसी तरह उसकी चूत की गहराई में घुसा रहे। लेकिन उसकी योनि की मासपेशिया अब धीरे-धीरे फिर सिकुड़ रही थी आओर मेरे लंडरस और चूतरस और उसकी कौमार्य के रक्त से सने लंड को अब बहार धकेल रही थी और जैसे ही लंड निकला जीवा की चिकनी सफाचट चूत से लंडरस और चूत रस का मिश्रण निकल कर बहने लगा।

जीवा ने इस रस को बेकार नहीं जाने दिया। वह खडी होने के लिए उठी तो उसके पांवों में लड्खाहट थी और उसकी नाभि के नीचे हो रहे दर्द का उसको अहसाह हुआ,। जीवा बुरी तरह पस्त हो चुकी थी, उसमे अब उठने की दम नहीं बचा था। मैंने अपनी ताकत बटोरी और सहारा देकर जीवा को उठाया। । उसने भी अपनी सारी ताकत एकत्रित की और उसने उठकर सारा लंड रस चूत के अन्दर से निचोड़ कर हथेली पर रख लिया और रस को मुँह में भर लिया और पी गयी और फिर मेरा लंड भी अपने मुँह में भर लिया और चाट कर साफ़ करने लगी। मेरे लिए ये इशारा प्रयाप्त था मैं लंड उसके मुँह में डाले हुए घूमा और अपना मुँह उसकी योनि पर ले गया और उसकी योनि चाट कर रस पीने लगा । फिर वह बेड पर पसर गयी और मैं उसके ऊपर आ गया उसे किस करने लगा और वह मेरे साथ लेट कर लिपट गयी। कुछ ही पल में दोनों को एहसास हुआ की दोनों में फिर से ऊर्जा भर गयी है और दोनों एक दूसरे को सहलाते हुए गहरे चुंबन करने लगे।

मैंने महसूस किया हम दोनों के बदन का पसीना सूख चला था और अब बदन में से भीनी दिव्य सुगंध आ रही थी। बुरी तरह मसलने के कारन जीवा के सुडौल स्तन जो लाल हो गए थे अब गुलाबी और फिर धीरे-धीरे सम्मनय हो गए. जीवा के सपाट पेट पर छायी लालिमा पहले गुलाबी हुई और फिर पेट और स्तन दूधिया हो गए बदन पर जगह-जगह पड़े नील मंद हुए और गायब हो गए। उसकी चूत में जो सुजन आ गयी थी । चुत के ओंठ जो सूज कर मोटे हो गए थे बहुत जल्दी सामान्य हो गए थे और मेरे ओंठो का सूजन भी कम हो गया था और लंड और अंडकोषों में हो रहा दर्द भी गायब हो गया था। ये निश्चित तौर पर उस दिव्य रस का कमाल थे जिसे मैंने और जीवा ने अभी चाटा था। अब उसके बदन और चेहरे का ओज बढ़ गया था और जीवा पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी ।

जीवा के खूबसूरत जिस्म को देखते ही मेरे अन्दर की लालसा फिर जगने लगी। मुझे महसूस हुआ की इतनी खूबसूरत जीवा को कम से कम एक बार तो और चोदना चाहिए। मुझे एहसास हो रहा था कि जीवा का मन अभी नहीं भरा था। और मेरा तो बिलकुल नहीं भरा था और भरेगा भी कैसे इतनी हसीन मदमस्त जिस्म की औरत, जिसके जिस्म के हर कोने से मादकता टपकती हो, मेरे से चिपकी हुई बैठी थी। ऐसी सुंदरी जिसका बदन पहली चुदाई के बाद और सुंदरऔर आकर्षक लग रहा हो । जिसका चुदाई के बाद चेहरा ओज से भर गया हो । ऐसी सुंदरी को पास बिकुल नग्न पाकर मेरा क्या किसी भी मर्द का मन नहीं भरेगा। ऐसी औरत को तो हर मर्द रात भर चोदता रहना चाहेगा, बस चोदते ही रहना चाहेगा और मैं कोई अपवाद नहीं था । पर मन में सवाल गूँज रहा था जीवा पाईथिया से बोली थी मास्टर को पुनः सशक्त करना होगा तभी मास्टर आगे ग्लोरिया को दीक्षित कर सकेंगे और अब मेरे मन में उत्सुकता था अब जीवा मुझे किस तरह से पुनः सशक्त करेगी । क्या पूरी प्रक्रिया दोहराई जायेगी? ऐसे ही सवाल मन में चल रहे थे ।

जारी रहेगी

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