गंगाराम और स्नेहा Ch. 04

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"सर आप ने तो जान से ही मार डाला मुझे..." वह समीर से बोली...

"मैंने तो तुम चोदो चाहे कुछ होजाये कहने का बाद ही अंदर डाला है..." समीर उसके गाल को चूमते बोला।

स्नेह कुछ बोली नहीं.. उसे मालूम है वह बहुत उत्तेजित हुई थी.. अब वह फिर बुरमें खुजलि महसूस करने लगी। अनजाने में ही उसके कमर ऊपर उठी।

समीर को पता है वह कमर उठा रहि है.. लेकिन.. उसने कोई मूवमेंट नहीं दिया ऊपर से वह स्नेहा के गर्दन को, कंधे से थोड़ा ऊपर चूमते हल्का सा दांतों से काट भी रहा था।

"स्स्सस्स्स्स....." स्नेहा एक सिसकारी ली।

समीर का एक्शन जारी रहा... अबकी बार उसके हाथ नितम्बों के निचे चलेगये और नितम्बों को सहलाने लगे। अब स्नेह मे खुजली और बढ़ी। पर्टिक्यूलरली जब वह उसके गर्दन चूमते दांतों से हल्का हल्का काट रहाथा तो उसे लगा की उसकी खुजली बढ़ी। उसने फिर कमर उछाली। और बोली "सर करिये न..."

"क्या करूँ?" उसके गलो को पिंच करते पूछा।

उसकी इस बात से स्नेहा एक नयी नवेली दुल्हन की तरह शरमाई...उसके गाल लाल होगये।

"प्लीज। ..सर... चोदिये ..." अपनी कमर उछलते बोली।

"तुम तो रो रही थी...ना...ना कह रहीथी..." समीर हँसते उसे देख कर कहा। वह उसे चेढ़ रहा था।

"दर्द भी तो ऐसा था... बापरे..कितना पेन (pain) हुआ है... सॉरी सर उस दर्द में मैं आपको क्या क्या बोली..."

"डोंट वोर्री... इस खेल में यह सब आम बात है... तो शुरू करूँ?"

"हाँ सर करिये..." और उसने अपने कुलहे उठायी।

समीर जब अपना पिछे खींच रहा था तो "सससससस..." कही।

"दर्द हो रहा है...?" वह रुका और पोछा।

"थोड़सा...."

"बर्दास्त करो..." कहते उसने अपना डंडा कुछ बहार खींच अंदर धकेल। फिर कुछ देर में ही दोनों जोश में आगये। समीर दाना दन चोदने लगा और स्नेहा भी जोश में कमर उछलने लगी।

"वह..दीपा.. क्या तंग चूत है तुम्हारी... बहुत दिनों बाद ऐसा मजा मिला... सच.."

"चोदिये सर... आआह.. सच मुझे भी आनंद आ रहा है.. डालिये... और अंदर... आआह्ह्ह्ह.... माय गॉड.... क्या ठोकर मार रहे है आप...फ्फु.." अपनी छोटीसी गाँड उठाते बड बडाने लगी।

उसके बाद कम से कम 15 मिनिट तक दोनों के बीच में एक महा युद्ध जैसा चुदाई चली। फिर दोनों झड़े! समीर अपना गरम लावा छोड़ने वाला था तो स्नेहा बोली..."सर अंदर नहीं... आपको मालूम है.. मैं कुंवारी हूँ... प्लीज..."

ठीक है..यह लो.. तुम्हरे पेट पर मेरा गिरा रहा हूँ..." कहा और अपना लंड खींच कर स्नेह के पेट पर गिरादीय।

कोई दस मिनिट बाद दोनों उठे और फ्रेश हुए।

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स्नेहा यह लो तुम्हरा मामाका फाइल कहते उसने स्नेह के सामने ही फाइल दस्तखत करके उसे लौटाया।

"थैंक्यू सर..." स्नेहा बोली।

"थैंक्यू तो मुझे बोलना चाहिए... इतना उम्दा चुदाई के लिए... थैंक यू; फिर मिलोगी...?"

"जरूर सर.. आप अपना मोबाइल नंबर दीजिये..."

मोबाइल नंबर दिया और स्नेहा का पुछा। वह भी अपन नंबर दी लेकिन दो नंबर बदल कर बोली।

"सर एक बात बोलूं..."

"हाँ कहो..."

"आपकी पत्नी बहुत सुन्दर है सर.. हल में फोटो देखि थी... बच्चा भी सुन्दर है..."

थैंक्यू..." वह कहा और स्नेह के गलों को चूमा।

स्नेहा फाइल लेकर अपने होंठों पर एक मुस्कान लेकर अपने गंगाराम अंकल को खुश करने चली।

दोस्तों यह था कैसे स्नेहा ने गंगाराम की काम को अंजाम दिलाई... आपको कैसी लगी स्नेहा और समीर खान की चुदाई... कमेंट करे प्लीज... फिर मिलते है..

अगली एपिसोड में...               तब तक के लिए गुड बाई...

स्वीटसुधा 26

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