एक नौजवान के कारनामे 205

Story Info
सुहागरात कौमार्य भेदन के बाद प्रथम सम्पूर्ण मिलन का आनंद
2.2k words
4
88
00

Part 205 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन

CHAPTER-4

सुहागरात

PART 14

प्रथम सम्पूर्ण मिलन ​

वह उम्म्ह... अहह... हय... याह... करती हुई लगातार झड़ रही थी, उसकी योनि संकुचन कर रही थी और उसके संकुचन मेरे पिस्टन की कठोरता की लंबाई को ऊपर-नीचे कर रहे थे।

'अब मैं लंड बाहर निकालने वाला नही था. जब मैं उसे फिर धक्का मारा तो कुछ दर्द का अहसास पूरे बदन में हुआ. मैं उसके उरोजो पे हाथ रख कर उन्हें दबा और सहला रहा था, और उसके होंठ मेरे होंठो के अंदर थे. कभी सीने पे दर्द हुआ और योनि में धक्का लगा तो कुछ दर्द हुआ फिर कभी दर्द कम हुआ और फिर उसके पूरे शरीर मे मस्ती सी छाने लगी थोड़ी देर बाद जब वो अपने दर्द को लगभग भूल चुकी थी, तब मैंने मेरे दोनो हाथ उपर की तरफ कर उसकी कलाईयो को कस के पकड़ लिया, फिर उसकी पॅल्को को चूमा तो उसने लाजाते घबड़ाते हुए आँखे बंद कर दी. ये उसके लिए बिलकुल नया अनुभव था. मेरे होंठ अगले ही पल उसके होंठो पे थे. उसके होंठो को खुलवा कर, मैंने उनके बीच अपनी जीभ डाल दी और अपने होंठो से उसके होंठो को 'सील' कर दिया. और मैं कस के उसके होंठ चूस रहा था और जीभ मुँह के अंदर।

उसका सारा शरीर मस्ती से शिथिल हो गया तभी मैंने उसकी दोनो कलाईयो को पकड़ के खूब कस के धक्का मारा, और..हज़ारो बिजलियाँ एक साथ चमक गयी. हज़ारो बदल एक साथ कॅड्क उठे. दोनो कलाईयो की आधी चूड़ियाँ एक साथ चटक गयी. और दर्द की एक लहर उसकी जाँघो के बीच से निकल के पूरे शरीर मे दौड़ गयी. उसने चीखने की कोशिश की लेकिन उसके दोनो होंठ मेरे होंठो के बीच दबे थे, और सिर्फ़ गो गो की आवाज़ निकल के रह गयी. लेकिन मैं रुका नही एक के बाद दूसरा और.. फिर तीसरा।

कलाईयो को पकड़और होंठो की पकड़ बिना कोई ढील दिए मैं धक्के पे धक्का मारे जा रहा था. 8-10 धक्के के बाद ही मैं रुका, और कलाई पे पकड़ थोड़ी ढीली की. जब उसने दो पल बाद आँखे खोली तो उसका चेहरा दर्द से भरा था, उसने अपनी पलके बंद कर ली और सारा दर्द बूँद बूँद कर पीती रही।

मैं उसकी कलाई छोड़ के उसका सर सहलाने लगा. फिर कस के उसके रसीले होंठो को चूम लिया. मैंने उसको थॅंक्स देने के लिए चूमा और उसके बाद तो पूरे चेहरे पे चुंबनो की बारिश कर दी. और कस कस के फिर से उसके स्तन दबाने, मसलने, और उनका रस लेना शुरू कर दिया. उसका तन मन मे एक बार फिर से रस भर गया, दर्द का अहसास कम हो गया था. बस नीचे अभी भी मीठी सी एक टीस बची थी।

हां, मैंने अभी धक्के मारने नही शुरू किए थे. मैंने उसके नितंबो के नीचे कुशन को, और उठी हुई टाँगो को, फिर से अड्जस्ट किया. यहाँ जिम की टारिंग जो उसने की थी वो काम आयी और उसके हिप्स थोड़ा और उठाए और दर्द के बावजूद जांघे खूब कस के, पूरी ताक़त से फैलाई. अब मैंने फिर बहुत हल्के हल्के थोड़ा सा बाहर निकाल के 'लंड 'अंदर बहुत प्यार से घुसेड़ा.और मेरे हाथ उसकी कमर पे ले जाकर कुछ देर धीमे धीमे करने के बाद, मेरा हाथ रे सीने पे जा पहुँचा और स्तनों को दबाना, सहलाना चालू कर दिया. थोड़ी देर मे दोनो किशोर रसीले उरोज पकड़ के, कभी कमर, कभी नित्म्बो को मसला और मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ने लगी. मेरे होंठ और उंगलिया कभी होंठो का रस लेती, कभी रस कलशो का और जब मैंने उसके 'मदन द्वार' के उपर उस 'तिलस्मि बटन' को छू लिया तो उसके पूरे बदन मे तरंगे दौड़ने लगी. थोड़ी ही देर मे उसकी सारी देह काँप रही थी और वो उत्तेजना के चरम शिखर पे पहुँच के शिथिल हो गयी।

उस दौरान मैं रुका नही, लेकिन जैसे ही ज्योत्स्ना का शरीर के ढीला पड़ा तो मैं भी रुक गया, और, पहले पॅल्को पे, फिर होंठो पे और गोलाईयो के तले से होते हुए 'शिखरो' तक पहुँचा, वो मेरे स्वागत मे खड़े हो गये थे. फिर तो ' अपने होंठो से चूम कर, सहला कर. होंठो के बीच भींच कर और मेरी उंगलियाँ भी अब उसकी देह के कटाव और गोलाईयो से अंजान नही थी, कभी उसके सीने को छू कर, दबाती, सहलाती और मसलती. जब वो मेरे चुंबनों का जवाब देने लगी और नितम्ब उठाने लगी तो मैंने फिर से अंदर बाहर..करना शुरू कर दिया अब दर्द तभी हो रहा था, जब मैं कस के शॉट मारता था..वो सिहर उठती थी लेकिन अब इसमें सुख और मजा ज़्यादा था. थोड़ी ही देर मे स्पीड बढ़ गयी अब हम दोनो मे से कोई रुकना नही चाह रहा था. मैंने उसे बाहो मे कस के भींच लिया और दबा कर उसके, अंग अंग को चूम लिया और वो भी बिना कुछ बोले इस नये सुख को, बूँद बूँद करके सोख रही थी. और धक्को की रफ़्तार और तेज हो गयी थी।

धीरे धीरे इस तरह मेरे और मेरी प्रियतमा ज्योत्सना के बीच एक तरह से चोदने और चुदवाने की जुगल बंदी शुरू हुई। हालांकि शुरू में ज्योत्सना को काफी दर्द हो रहा था फिर वो जल्द ही मेरे हर धक्के के साथ उतनी ही फुर्ती से ऊपर की और अपना बदन उठाकर जवाब दे रही थी । उसके मन में बस एक ही इच्छा थी की वह कैसे मुझे ज्यादा से ज्यादा सुख दे जिससे की उसका प्रियतम ज्यादा से ज्यादा आनंद ले सके। जब मेरा मोटा और लम्बा लण्ड जैसे ही ज्योत्स्ना की संकरी चूत के योनि मार्ग में घुसता की दो आवाजें आतीं। एक ज्योत्स्ना की ओहह ह... और दुसरी मेरे बड़े और मोटे अंडकोष की दो जाँघों के बिच में टकरा ने की आवाज फट फट । यह आवाजें इतनी सेक्सी और रोमांचक थीं अब दोनों का दिमाग सिर्फ चोदने पर ही केंद्रित था।

देर रात तक हम दोनों ने मिलकर ऐसी जमकर चुदाई की जो की किसी लड़की से नहीं की थी। ज्योति के लिए तो वह पहला मौक़ा था।

जैसे ही मैंने गति पकड़नी शुरू की, उसकी सांसे तेज हो गई और वह मेरे धक्के के साथ लय मिला कर अपने कूल्हों को हिला रही थी और नतीजा ये हुआ हम दोनों एक साथ उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रहे थे । मुझे फिर से मेरी गेंदों में झुनझुनी महसूस होने लगी और उसने भी इसे महसूस किया होगा क्योंकि मेरे लंड का सूपड़ा फूल कर बड़ा हो गया था और ये महसूस करके हुए उसने अपनी बाहों को मेरी टीथ के चारों ओर लपेटा, मुझे गले लागते हुए ऊपर खींच लिया। और इस क्रिया, से मेरा लंड उसके अंदर एक इंच या उससे भी अधिक अंदर गया और मेरी गेंदे उसकी योनि के ओंठो के साथ चिपक गयी । ज्योत्सना काँप उठी और इतनी पूरी बची हुई ताकत से आगे-पीछे हिलने लगी, वह मेरे लंड के सिर पर जो उत्तेजना डाल रही थी वह अवर्णनीय थी! मैंने लंड उसके गर्भाशय ग्रीवा में धकेल दिया था और मैं अपने लंड के सिर को उसकी योनि के अंत में महसूस कर सकता था और उसके गर्भाशय ग्रीवा का मुंह मेरे लंड के सिर पर शीर्ष के खिलाफ रगड़ रहा था। मैं कराह उठा " ओह्ह मैं शूट करने वाला हूं!"

जैसे ही मैंने पिचकारी मारना शुरू किया, उसने एक गहरी, गहरी कराह निकाली और मेरे साथ चिपक गयी ओर मेरे नीचे दब गई। जब उसने पहला शॉट महसूस किया, तो वह सिहर उठी और बोली, "इतना हॉट! इतना तेज! बाप रे! आप मुझे भर रहे हो "और वो कांपने लगी और रुकी नहीं इस बीच मैंने उसमें लगभग चार या पांच और पिचारिया मारी । उसकी मांसपेशियों मेरे लंड कके चारों ओर इतना तंग हो गयी की मैं वास्तव में महसूस कर रहा था कि और उसके उत्कर्ष का रस मेरे लंड को भिगो रहा था! वह मुंह खोलकर ओह्ह हाय करती हुई और भारी सांस लेती हुई कांप रही थी। । यह सबसे अविश्वसनीय अनुभूति थी और ज्योत्सना निरंतर कांप रही थी, प्रत्येक कंपकंपी के साथ "उउह्ह और आह " कर रही थी और फिर वह बेहोश हो गई।

मेरे घुटने अकड़ने लगे, इसलिए मैं ज्योत्सना के ऊपर गिर गया, अभी भी उसका बदन मेरे चारों ओर लिपटा हुआ था, लंड अभी भी नादर था और हम एक साथ जुड़े हुए थे। उसने मेरे कूल्हों के साथ अपने पैरों को मोड़ लिया और मैं उसकी छाती पर लेटा हुआ था, मैं महसूस कर सकता था कि उसका दिल मेरी छाती से धड़क रहा है और मेरा दिल भी बहुत तेजी से धड़क रहा था। भले ही हम दोनों एक-एक मिनट पहले चरम पर थे, ज्योत्सना को अभी भी ऐंठन हो रही थी, मेरे लंड को जकड़ रही थी, ऐसा लगा जैसे वह मेरे लंड को चूस रही हो।

मैं उसके चेहरे के किनारे को सहलाते हुए और अपनी उँगलियों से उसके बालों को ब्रश करते हुए वहाँ लेट गया, जब वह अपने कामोन्माद आनंद से नीचे आ गई और उसकी साँस धीमी हो गई। उसने मेरी छाती को चूमा और धीरे से कहा, "मैं लग रहा है कि हमारी आत्माएं आपस में जुड़ी हुई हैं और मुझे वास्तव में आपके जैसा महसूस हुआ। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ कुमार । मुझे कभी नहीं पता था कि प्यार कभी भी इस तरह भी हो सकता है और मैंने कभी भी इस भावनाओं को महसूस करने या अनुभव करने का सपना नहीं देखा होगा जो मैंने आपके साथ, मेरे पति के साथ अभी साझा की हैं। "

मैंने उसकी कोमल, प्यारी मुस्कान और उसकी आँखों में देखा, उनमे एक मासूम चमक थी जो एक गहरे और कोमल प्रेम से भरी हुई लग रही थी और अब जुनून के सुलगते अंगारे से जगमगा रही थी।

जैसे ही मैंने ज्योत्सना के सुंदर चेहरे की ओर देखा, उसने अपनी उंगलियों से मेरे चेहरे के किनारे को सहलाते हुए, मुझे प्यार से देखा। उस पल, हमें एहसास हुआ कि हम पहले से कहीं ज्यादा एक-दूसरे से प्यार करते हैं। हम लोग बहुत देर तक उसी तरह लिपटे रहे।

सुहाग की सेज गुलाब की पंखुड़ियो से सजाई गयी थी। मैंने थोड़ी सी गुलाब की पंखुड़िया अपने हाथो मे ली और उसकी जवानी के कलसो पे बरसा दी फिर कुछ मोगरे के और दुसरे फूल बरसा दिए । थोड़ी देर मे फूलो को पंखुड़ियो से ढँके सिर्फ़ स्तनों के शिखर' बाहर निकले और फिर वो मेरे नीचे और मैं उसके ऊपर आ गया । धीरे से मैंने उसकी गोरी पेशानी चुम ली फिर उसे चूमा और फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी।

मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा और मेरे हाथ उसकी छूट पर गए और मुझे उसकी चूत गीली लगी. मैंने उनकी चुत को ऊपर से हो चूमा और रस चाटा उसके बाद मैंने अपने हाथो के उसके मोमे दबाने लगा और तभी उनका निप्पल मुझे कड़ा सा महसूस हुआ तो मैंने अपनी उंगलियों से निप्पल को खींचा को वो कराह उठी आआह मेरे राजा धीरे बहुत दुख रहे हैं. मैंने निप्पल को किस की और फिर उनके ओंठो को चूमा।

मैं ज्योत्सना पर चढ़ कर बेकरारी से चूमने लगा। और चूमते चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट तक उसका लिप्स किस लेता रहा मैंने अपना हाथ उठाया और उनके बूब्स दबाने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।

मै चुचियों को मसलने लगा, और वो मादक आवाजें निकालने लगी, आह उह आह की आवाजें पुरे कमरे में गूंज रही थी, फिर मैंने उनके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया ज्योत्स्ना के स्तन कड़क हो गए थे उसने चूसने के बाद फिर मैंने उनकी नाभि को चूमा अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी. मैंने उनके एक एक अंग को चाट डाला और उनकी चूत पर हाथ फेरने लगा तो ज्योत्सना ने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था।

मेरा लंड तनकर पूरा 90 डिग्री का हो गया था। मैंने उसे लंड पकड़ाया तो वो मेरे लंड पकड़कर सहलाने लगी फिर मैंने उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके दोनों पैरों को फैलाया और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया वो गर्म से गर्मतर हो गई।

फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया और मैंने कुछ देर पूछा कि मज़ा आ रहा है दर्द तो नहीं हो रहा । फिर वो बोली कि हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है. फिर कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वो पूरी मस्ती में कराह रही थी अआह्ह्ह आाआइईई और करो तेज करो, बहुत मजा आ रहा है। में अपनी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ाता जा रहा था हाआअ, आह राआआआआजा, आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो।,, आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहह हाँ, अब ऐसे ही वो मौन कर रही थी। फिर मैंने उसकी गांड पकड़कर अपनी स्पीड बढ़ा दी।

में उसे लगातार धक्के लगा रहा था और फिर में ऐसे ही 15-20 मिनट तक उसको उसी पोज़िशन में चोदता गया। फिर अब उसे भी मज़ा आने लग रहा था, अब वो भी अपने कूल्हे उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। अब मैंने उसे और ज़ोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया था। फिर थोड़ी देर के बाद वो झड़ गयी ।

फिर मैंने उसकी जमकर धुनाई करते हुई चुदाई की और उसको 3 बार और झड़ाने के बाद अपना रस उसकी चूत में ही डाल दिया। मुझे उसके चेहरे पर साफ साफ संतुष्टि नजर आ रही थी।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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