साथी हाथ बढ़ाना Ch. 01

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टीना का दुसरा सवाल जो सुषमाजी और सेठी साहब के बिच में कुछ मनमुटाव के बारे में था उसका जवाब देते हुए सुषमाजी ने फिर अपने दाम्पत्य जीवन की बात करते हुए टीना को बताया की शादी के बाद सुषमाजी का दाम्पत्य जीवन एक पत्नी की चाह होती है ऐसा ही सुखपूर्ण था। सेठी साहब सुषमा से चिपके ही रहते थे। छुट्टी के दिन सेठी साहब सुषमा से कम से कम दिन में तीन बार और रात में दो बार सेक्स करते थे। शादी के कुछ दिनों में तो सुषमाजी सेठी साहब की दिनरात चुदाई से जैसे ऊब सी गयी थीं। सेठी साहब का स्टैमिना इतना तगड़ा था की बिना झड़े सुषमाजी को वह परेशान कर देते थे। हालांकि सेठी साहब सुषमा को अपनी तगड़ी चुदाई से थका देते थे पर इसके बावजूद, सुषमाजी के लिए वह उनके जीवन का स्वर्णिम समय था। सुषमाजी से "चुदाई" शब्द सुनकर टीना चौंक पड़ी।

टीना के चेहरे का भाव देख कर सुषमाजी ने टीना को अपने पास खींचा और धीमे से बोली, "देखो यार, अब जब हमारी बात शारीरिक संबंधों, मतलब सेक्स के बारे में ही हो रही है तो बेहतर है हम यह औपचारिकता का मुखौटा फेंक कर साफ़ साफ़ बिना लागलपेट के खुल्लमखुल्ला बात करें। अब हम इतने करीब आ चुके हैं और हमें एक दूसरे पर इतना विश्वास हो गया है की समय आ गया है की हम एक दूसरे से अपना असली चेहरा ना छिपाएं।"

बात जारी रखते हुए सुषमाजी ने टीना को कहा की एक साल तक तो वह फॅमिली प्लानिंग करते रहे। एक साल बाद उन्होंने बच्चे का प्लान बनाया। करीब तीन साल तक बिना गर्भ निरोधक के वह मैथुन करते रहे। पर गर्भ तो दूर सुषमाजी का पीरियड में भी कोई देरी नहीं हुई। कई डॉक्टर को दिखाने के बाद जब सब डॉक्टरों ने एक ही सुर में कहा की सुषमाजी और सेठी साहब दोनों में से किसी में कोई कमी नहीं है। पर बच्चा क्यों नहीं हो रहा इसका जवाब कोई नहीं दे पा रहा था। कई डॉक्टर, वैद, हकिम और साधू संतों को दिखाने के बाद एक स्पेशलिस्ट गाइनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर जिसने इस मामले में काफी रिसर्च की थी, सेठी साहब को कहा की कई लाखों में कोई एक केस ऐसा होता है जब पुरुष के शुक्राणु किसी एक स्त्री के बीज से मेल नहीं खाते और स्त्री का बीज उस पुरुष के शुक्राणु से फलीभूत नहीं होता। हो सकता है किसी और स्त्री से संगम करने से वह फलीभूत हो। या फिर किसी और पुरुष के शुक्राणु से सुषमाजी का बीज फलीभूत हो।

लाखों में से एकाद केस ऐसा होता है की कोई ख़ास मर्द के वीर्य का बीज (क्रॉसमोज़ोम) किसी ख़ास औरत के बीज को फलीभूत नहीं कर पाता है। ऐसा क्यों होता है यह शारीरिक विज्ञान समझ नहीं पाया है। पर ऐसा कभी कभी होता है। वह डॉक्टर के अनुसार सेठी साहब और सुषमा के केस में भी ऐसा ही हुआ था। अगर सेठी साहब किसी और औरत से सम्भोग करे तो उस औरत को या सुषमाजी किसी और मर्द से सम्भोग करे तो सुषमाजी को माँ बनने में कोई दिक्क्त नहीं होगी ऐसा उस स्पेशलिस्ट डॉक्टर का ओपिनियन था। इसका मतलब तो यह हुआ की सेठी साहब के वीर्य से सुषमाजी गर्भ धारण नहीं कर सकती। जब से सेठी साहब और सुषमाजी को यह पता चला तब से जैसे उनके जीवन में एक अँधेरा सा छा गया। या यूँ कहो की उनके दाम्पत्य जीवन में एक उदासीनता आ गयी।

वैसे ही शादी के कुछ सालों बाद पति पत्नी के बिच सेक्स की नवीनता कम हो जाती है। परन्तु डॉक्टर की बात सुन कर जैसे दोनों में एक दूसरे से सेक्स करने की इच्छा ख़तम सी हो गयी। सेठी साहब और सुषमाजी दोनों ही बच्चे पाने के लिए बड़े बेकरार थे पर भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। सुषमाजी ने कहा की वह दोनों किसी भी बच्चे को गोद लेने के पक्ष में नहीं थे। सुषमा जी का कहना था की जबतक या तो सुषमाजी का या सेठी अपना खुद का बच्चा ना हो तो वह प्यार आ ही नहीं सकता। जब से उनको समस्या इस बात का पता चला तब से सुषमा जी बड़ी गहराई से सोच में डूब गयी की इस को कैसे सुलझाया जाए।

सेठी साहब की दूसरी शादी का सवाल ही पैदा नहीं होता। एक रास्ता यह था की सेठी साहब किसी और औरत से बच्चा पैदा करे और वह बच्चा वह दोनों गोद ले ले। पर वह औरत कौन होगी और क्या वह ऐसी सौदेबाजी के लिए राजी होगी? यह बड़ा मुश्किल सवाल था। दुसरा रास्ता यह था की सुषमाजी किसी और मर्द से सम्भोग करे और फिर जो बच्चा हो वह उसे रख ले। किसी और मर्द से सम्भोग करना यह एक बड़ी दुविधा थी जिसके लिए सुषमाजी राजी नहीं थी। हाँ, अप्राकृतिक गर्भधारण से किसी और मर्द का वीर्य सुषमाजी के गर्भ में स्थापित कर वह सुषमाजी गर्भ धारण कर सकती थी। यह एक विषय था जिस पर सेठी साहब और सुषमाजी विचार कर रहे थे। पर सेठी साहब किसी भी अनजाने मर्द के वीर्य से बच्चा हो यह नहीं चाहते थे। मामला काफी जटिल बनता जा रहा था। अब किया जाए तो क्या किया जाए?

जहां तक की सेठी साहब का टीना को छेड़ने और लाइन मारने का सवाल था तो सुषमाजी ने टीना को शादी और विवाहेतर सेक्स के बारे में कुछ बातें खुलकर बतायीं।

सुषमाजी ने कहा, "देखो टीना, यह जिंदगी छोटी सी है। उसमें भी अपनापन महसूस हो, ऐसे कपल कहाँ मिलते हैं? बड़ी मुश्किल से आप दोनों हमें मिले हैं जिनसे हम खुले दिल से मिल सकते हैं, सारी बातें शेयर कर सकते हैं। जब हमारी शादी हुई थी तब सेठी साहब को मैंने अपनी शादी से पहले हुए अफेयर्स के बारे में बताना चाहा। तब सेठी साहब ने मुझे एक बात कही। उन्होंने कहा की मर्द और औरत किसी नाजुक घडी में जोश में आकर एक दूसरे से अगर सेक्स कर बैठे तो उसे बुरा नहीं मानना चाहिए। जरुरी सवाल यह है की क्या आप एक मर्द से जिन्दगी भर सुखदुख में साथ रहने का वादा करने के लिए तैयार हो? सेठी साहब ने शादी के समय मुझसे शादी करने के लिए एक शर्त रखी थी। उन्होंने मुझसे वचन लिया था की हम जिंदगी भर एक दूसरे पर पूरा विश्वास रखेंगे और एक दूसरे को कभी नहीं छोड़ेंगे। अगर कभी ऐसा हुआ की मेरा किसी गैर मर्द से या उनका किसी गैर औरत से कोई शारीरिक सम्बन्ध हो भी गया तो हम एक दूसरे को ताना टोका नहीं करेंगे, ना ही रोकेंगे और ना ही कोई सवाल करेंगे। सेठी साहब ने मुझे वचन दिया की वह कभी भी किसी गैर औरत को घर में नहीं घुसाएँगे और अपनी पत्नी का ओहदा किसी गैर औरत को नहीं देंगे। उसी तरह से उन्होंने मुझसे भी वचन लिया की मैं भी किसी गैर मर्द से किसी भी हद तक जाऊं, पर मैं सेठी साहब को छोड़ उसके साथ नहीं जाउंगी और सेठी साहब को नहीं छोडूंगी।"

सुषमाजी की बात सुनकर टीना के होश उड़ गए। सेठी साहब और सुषमा में इतना तालमेल? टीना ने कभी सोचा भी नहीं था की पति और पत्नी के बिच इतनी स्पष्ट अंडरस्टैंडिंग हो सकती है। सुषमाजी टीना को जैसे शादीशुदा जीवन का फलसफा समझा रही थी। टीना ने सुषमा जी की बात ध्यान से सुन रही थी। सुषमाजी ने बात जारी रखते हुए कहा, "मुझे नहीं पता की तुम चुदाई को कितना एन्जॉय करती हो। मैं तो बहुत एन्जॉय करती हूँ। जब मैं और सेठी साहब चुदाई करते हैं तो खुल कर सब कुछ करते हैं। कोई पाबंदी नहीं होती। क्या तुम लोग भी खुल कर चुदाई एन्जॉय करते हो?"

सुषमाजी का सवाल सुनकर टीना कुछ घबड़ा सी गयी। उसने सोचा नहीं था की सुषमाजी ऐसा कोई सवाल करेंगी। टीना ने कुछ हिचकिचाते हुए कहा, "जी, वैसे हम लोग वैसे ही सेक्स करते हैं जैसे होता है।"

सुषमाजी ने कहा, "अरे चुदाई के नाम से क्यों घबड़ा जाती हो? अंग्रेजी शब्द सेक्स बोल सकती हो तो देसी शब्द चुदाई क्यों नहीं बोल सकती? बात तो एक ही है। चुदाई हर मर्द और औरत के जीवन का एक अहम् हिस्सा होता है। चुदाई करना कोई पाप नहीं, बशर्ते की वह जबरदस्ती ना किया जाए। तुम्हारी बड़ी बहन होने के नाते मैं कह रही हूँ की अगर तुम चुदाई के समय खुल कर पूरा एन्जॉय नहीं करती तो समझो की जिंदगी का एक अद्भुत सुख गँवा रही हो। सेठी साहब तो इस बात में कुछ ज्यादा ही माहिर हैं। उन्होंने ने ही मुझे यह सब सिखाया है। मेरे सेठी साहब इतने हैंडसम और रोमांटिक हैं। मैं जानती हूँ की तुम सेठी साहब को बहुत पसंद करती हो। सेठी साहब तो तुमको पसंद करते ही हैं। और यार हर मर्द को दूसरे की बीबी अच्छी लगती है। तुम तो वैसे ही इतनी खूबसूरत, समझदार और अगर तुम बुरा ना मानो तो कहूं की सेक्सी हो। तुम मानो या ना मानो, पर हम सब को शादी के एक दो साल के बाद एक दूसरे से चुदाई में वह मजा नहीं आता जो शादी के बाद शुरूशुरू में आता है। और जिंदगी का यही वक्त है लाइफ एन्जॉय करनेका। तो मुझे तुम एक दूसरे से करीब आओ उसमें कोई बुराई नजर नहीं आती। मुझसे छिपाने या डरने की कोई जरुरत नहीं है। मुझे कुछ कहने की भी जरुरत नहीं है। सेठी साहब मेरे पति हैं और हमेशा रहेंगे। जब तुमसे सेठी साहब कुछ ज्यादा छेड़खानी करते हैं तो घरमें रातको मेरे साथ भी वह ज्यादा रोमांटिक हो जाते हैं। यह मेरे लिए बहुत अच्छी बात है।"

सुषमाजी की बात सुनकर टीना की आँखें चौड़ी फ़ैल गयीं। उसकी आँखों में अचम्भे का भाव देख कर सुषमाजी बोलीं, "देखो टीना। मैंने तुम्हें कहा है ना, की अब जब हम सेक्स के बारे बात कर ही रहे हैं तो बेहतर है हम कोई लागलपेट के बिना एकदूसरे से खुल्लमखुल्ला अपनी सारी सीक्रेट शेयर करें। मेरे साफ़ और खुल्लमखुल्ला चुदाई, लण्ड बगैरह शब्दों का प्रयोग करना और हमारी निजी बातें बताना इस लिए है की मैं और सेठी साहब तुम्हें और राजजी को पराया या दुसरा नहीं मानते। तुम दोनों को हम अपना मानने लगे हैं। हमारी जिंदगी का यह राज़, आज तक मैंने किसी से शेयर नहीं किया। तुम इसका बुरा मत मानना। मैं और सेठी साहब एकदूसरे से खुल्लमखुल्ला बातें ही करते हैं। अब तो आप लोगों से भी यह पर्दा नहीं रहा। अगर तुम भी मुझसे बिना घुमाये फिराए सारी बातें खुल्लमखुल्ला करोगी तो मुझे अच्छा लगेगा।"

टीना ने कुछ झिझकते हुए कहा, "सुषमाजी मैंने कभी इस तरह से किसी से बात नहीं की। पर यह सच है की हम भी आप दोनों को अपना मानते हैं। जहां तक मैं जानती हूँ, मेरे पतिमेरे मुकाबले काफी खुल्लमखुल्ला बातें करते हैं। हम पति पत्नी भी आपस में खुल्लमखुल्ला ही बात करते हैं। मेरे लिए यह अनुभव कुछ नया है इस लिए मुझे मेरी उलझन के लिए क्षमा करना।"

सुषमाजी ने टीना को कहा की वह ज़माना चला गया जब पति और पत्नी सिर्फ एक दूसरे से ही सम्भोग करके खुश रहते हैं। अब जो कपल कुछ एक्सट्रा एन्जॉय करना चाहते हैं, उन पति पत्नी में एक ऐसी अंडरस्टैंडिंग हो रही है की पति और पत्नी एक दूसरे ही सहमति से दूसरे मर्द या औरत के साथ शारीरिक सम्भोग का आनंद लेने के लिए तैयार रहते हैं। अक्सर ऐसे कपल दूसरे ऐसे कपल को ढूंढते रहते हैं जो एक ही मानसिकता वाले, मीठे स्वभाव के और विश्वास पात्र हों। ऐसे माहौल में एक पति का किसी और की पत्नी से मिलने पर काफी निजी तरीके सम्बोधन करना जैसे की "डिअर, डार्लिंग" बगैरह तो आम बात है। जब एक दूसरे के पति पत्नी से सम्भोग करने की बात हो तब पति के सामने ही उसकी पत्नी की कमर में हाथ डालकर उसे करीब खिंच कर लिपट कर आलिंगन करना कोई अजूबा नहीं गिना जाता। आज कल मोबाइल और इंटरनेट के कारण पति का पत्नी के अलावा दूसरी औरतों से और पत्नी का पति के अलावा दूसरे मर्दों से करीबी संपर्क काफी बढ़ गया है। इसके कारण परस्पर जातीय आकर्षण हो ही जाता है।

इस हालात में यह आवश्यक हो गया है की शादी के बंधन को बनाये रखने के लिए शादी के नियमों में कुछ आमूल परिवर्तन किये जाएँ। शादी का बंधन किसी साधारण औरत मर्द की चुदाई से कहीं बढ़कर है। औरत मर्द का प्यार साधारण तया शारीरिक भूख के अलावा भावुकता से भी जुड़ा हुआ होता है। पर शादी के बंधन में कई और मसले जुड़ जाते हैं जो शादी के बंधन को बनाये रखने में कारगर साबित होते हैं। बच्चे, समाज, परिवार, लोकलाज, आर्थिक सम्बन्ध इत्यादि इनमें प्रमुख हैं।

इसीलिए सुषमाजी ने कहा की उन्होंने और सेठी साहब ने मिलकर यह तय किया था की दोनों ही एक दूसरे के विजातीय संबंधों के बारे में एक दूसरे से कोई छानबीन नहीं करेंगे और ना ही कोई ज्यादा दिलचश्पी रखेंगे। यदि दोनों में से किसी को भी किसी और से जातीय सम्भोग करने की कामना हो तो वो करे। परन्तु उस व्यक्ति से ऐसे अधिक भावुक सम्बन्ध ना बनाये जिससे की वैवाहिक जीवन में कोई बाधा पैदा हो। सुषमा ने टीना से कहा की सेठी साहब ने जब से टीना से छेड़खानी करनी शुरू की है तब से सेठी साहब और सुषमा के संबंधों में भी कुछ सुधार होता नजर आ रहा है। जरुरी ना होने पर भी सेठी साहब सुषमाजी से कुछ छिपाते नहीं बल्की सारी बातें बता देते हैं।

सुषमाजी की बात सुनकर टीना को एक तगड़ा झटका लगा। सुषमाजी और सेठी साहब के सम्बन्ध इतने खुले और घनिष्ठ होंगे उसकी टीना ने कल्पना तक नहीं की थी।

सुषमाजी से बात कर टीना को काफी अच्छा लगा। वह काफी तनावमुक्त महसूस कर रही थी। टीना ने मुझे इस चर्चा के बारे में जब बताया तो मैं भी अचंभित सा सोचता ही रह गया। सुषमाजी ने टीना को जो शादीशुदा कपल का फलसफा सिखाया था वह सब टीना ने मुझे अक्षरसः कहा। सुषमाजी के स्पष्ट विचारों के बारे में सुनकर तो मैंने भी दांतों तले उंगलीयाँ दबालीं।

हकीकत में तो सुषमाजी को सेठी साहब और टीना का एक दूसरे के करीब आना अच्छा लगा। उनके मन में आस जगी की अगर टीना और सेठी साहब के सम्बन्ध और गहरे हुए तो हो सकता है की टीना को मनाया जा सके और शायद कुछ बात बन जाए। टीना और सेठी साहब का एक दूसरे के प्रति जो आकर्षण पैदा हो रहा था वह मुझसे भी अछूता नहीं था।

पर जलन होने के बजाय मुझे भी सेठी साहब और टीना का इस तरह करीब आना अच्छा लगने लगा। एक कारण यह भी था की शादी की पांच सालों के बाद की पति और पत्नी के नीच में विजातीय आकर्षण की नीरसता से शायद टीना ऊब चुकी थी। चुदाई के समय वह पहले जैसी सक्रियता नहीं ला पा रही थी जो शादी के बाद होती थी। मुझे लगा की शायद टीना के लिए भी सेठी साहब का उसकी जिंदगी में आना और इस तरह टीना के लिए उसकी सुंदरता, सेक्सीपन और कमनीयता की सराहना पाना एक अच्छा सौपान था जिसे टीना कहीं न कहीं एन्जॉय कर रही थी। मेरे मन में एक आस जगी की शायद हमारी यह घनिष्ठता आगे चल कर कुछ रंग ला सकती थी। काश ऐसा हो की सेठी साहब मौक़ा पाकर टीना की चुदाई करे और टीना भी उनसे सहर्ष चुदवाये। अगर ऐसा हो तो टीना की चुदाई सेठी साहब साहब कैसे करते हैं, टीना के मन के भाव सेठी साहब से चुदवाते समय कैसे होंगे, टीना चुदाई को कैसे एन्जॉय करेगी यह सब सोच कर मेरा लण्ड भी मेरे पायजामे ने खड़ा हो गया। मैं टीना और सेठी साहब की चुदाई के बारे में सोचने लगा। अब विधाता को क्या मंजूर था वह तो विधाता ही जाने।

उधर टीना और सेठी साहब की कहानी पनप रही थी तो मुझे सुषमा के बदन को हासिल करने की लालसा सता रही थी। सुषमा का चेहरा बेबी फेस कहते हैं, वैसा था। सुषमा की छाती उनकी कमर के नाप को चुनौती देने वाली थी। उनकी गाँड़ भी बड़ी सुआकार थी। मेरी रातों की नींद सुषमा की गाँड़ के बारे में सोच कर गायब हो जाती थी। सुषमाजी के बदन की खुशबु पाने के लिए मैं हरदम बेचैन रहता था। हर बार जब भी सुषमा मेरी नज़रों से नजरें मिलाकर देखती थी तो पता नहीं मुझे ऐसा लगता था जैसे उनकी आँखें मुझे चुनौती दे रही हो की "आओ और मुझे अपनी बाँहों में ले लो।" हो सकता है की वह मेरे मन की लालसा ही थी या फिर हकीकत में वह ऐसा कुछ चाह रही थी।

एक दिन हम चारों मेरे घर में बैठ कर गपशप मार रहे थे। टीना कुछ नाश्ता लेने अचानक जब उठ खड़ी हुई तो उसे चक्कर आने लगे और लड़खड़ा कर वह टेबल का सहारा ले कर डाइनिंग कुर्सी पर लुढ़क कर बैठ गयी। उसका यह हाल देख हम सब सावधान हो गए तब टीना ने कहा की उसे काफी चक्कर आ रहे थे और गर्दन में सख्त दर्द हो रहा था।

टीना की बात सुन कर सेठी साहब फ़ौरन उठखड़े हुए और टीना जिस कुर्सी पर बैठी थी उसके पीछे जाकर उन्होंने टीना को आराम से बैठने को कहा। फिर अपने दोनों हाथों की हथेलियां टीना के दोनों कंधे पर रख कर अपनी उंगलियां और अंगूठे के दबाव से टीना के कंधे के कालर की हड्डियों की मांसपेशियों को दबा कर उनका मसाज करने लगे। कुछ ही देर में जब वह फारिग हुए तब टीना ने अपनी गर्दन इधरउधर मोड़ कर देखि, फिर एकदम उठखडी हुई। थोड़ा चलने के बाद उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे और ख़ुशी भरी मुस्कान थी। टीना ने मेरी और मुड़कर मुझे कहा, "कमाल है! सारा दर्द एकदम गायब हो गया। ना कोई चक्कर और ना ही कोई दर्द! सेठी साहबके हाथों में तो जादू है!"

मैंने एक राहत की सांस ली, क्यूंकि पिछले कुछ दिनों से टीना को अक्सर ऐसा दर्द होता रहता था और कुछ देर तक, जब तक वह दर्द अपने आप ख़तम नहीं हो जाता, टीना बड़ी परेशान रहती थी। टीना की बात सुनकर सेठी साहब ने कहा, "टीना, तुम्हें ब्लड सर्कुलेशन की कुछ दिक्कत है। अगर तुम यह मसाज एक महीने तक करवाती रहोगी और साथ में कुछ दवाइयां और कुछ आसान एक्सरसाइज करोगी तो सब ठीक हो जायेगा। इस मसाज में थोड़ी ताकत से मांसपेशियों को जोर से दबाने की जरुरत है। इस बिमारी को हलके में मत लेना। इसे अगर अभी नजर अंदाज किया तो आगे चल कर बड़ी प्रॉब्लम हो सकती है। मैं भाई साहब को यह मसाज कैसे करना वह सीखा दूंगा। वह रोज यह मसाज कर देंगे। बाकी एक्सरसाइज बगैरह मैं आपको समझा दूंगा।"

टीना ने मेरी बात सुन कर मेरी और देखा और बोली, "इनको कहाँ फुर्सत है? यह तो कल से चार दिन के लिए फिर से टूर पर जा रहे हैं।"

मैंने कहा, "सेठी साहब, वैसे भी आप करीब रोज घर तो आते ही हो, हमारा हालचाल पूछने। तो आप ही टीना को शाम को घर आ कर रोज मसाज कर दिया करना। अगर आपको तकलीफ ना हो तो। और ट्रीटमेंट बगैराह तो आप ही करना क्यूंकि मुझे दवाइयां और डॉक्टर से दूर रहना ही अच्छा लगता है।"

उस रात मैंने सोते ही मेरी बीबी की टाँग खींचनी शुरू की। मैंने कहा, "टीना, सेठी साहब तो वैसे ही तुम्हें छूने का कुछ ना कुछ बहाना ढूंढते रहते हैं। तुमने तो उन्हें बढ़िया मौक़ा दे दिया मसाज करने का। अब तो ना सिर्फ वह तुम्हारा कंधा बल्कि पुरे बदन का मसाज कर देंगे।"

टीना ने टेढ़ी नजर से मेरी और देखा और बिना कुछ बोले रजाई में सर घुसा कर सो गयी। सोते सोते बोली, "तुमने क्यों मना कर दिया मसाज सिखने से? इसका मतलब तुम चाहते हो की सेठी साहब ही मेरा मसाज करे। ऊपर से मुझे दोष देते हो?"

मैंने मेरी बीबी को मनाते हुए कहा, "अरे तुम तो बुरा मान गयी। मैं तो वैसे ही मजाक कर रहा था। हम बात कर रहे थे ना की सेठी साहब काफी रोमांटिक लगते हैं। अगर वह रोमांटिक हैं और अब उन्हें मौक़ा मिला है तुम्हारा मसाज करने का तो अच्छी बात है ना? वैसे ही बेचारे इतने सालों के बाद सुषमाजी से बोर हो गये होंगे। तुम्हारे जैसी सेक्सी औरत अगर उनसे मसाज कराये तो वह खुश तो होंगे ही? इसमें कौनसी बुरी या गलत बात है?" मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।"

रजाई में टेढ़ी हो कर घुसी हुई टीना ने कहा, " देखो तुम ना सेठी साहब के बारे में उलटिपुलटि बात मत किया करो। मैं मानती हूँ की सेठी साहब बातचीत करने में कुछ ज्यादा ही रोमांटिक लगते हैं, पर वह हमेशा मेरे साथ बड़ी इज्जत से पेश आये हैं। अगर वह मालिश भी करेंगे तो कभी मेरा फायदा नहीं उठाएंगे, इसका मुझे पूरा यकीन है।'

मैंने कहा, "देखो तुम्हारी बात गलत नहीं है। पर मर्द आखिर मर्द होता है। जब किसी औरत से उसका शारीरिक आकर्षण बहुत ज्यादा हो जाता है तब नाजुक परिस्थिति में समझदार से समझदार आदमी भी अपना आपा खो बैठता है। वह अच्छा बुरा सोच नहीं पाता है। उसमें भी जो मर्द काफी शशक्त और वीर्यवान होता है उसका लण्ड उसके दिमाग पर हावी हो जाता है। सेठी साहब वाकई में समझदार हैं, पर उनका लण्ड उन पर भारी पड़ सकता है क्यूंकि उनका लण्ड वैसे भी बहुत लंबा, मोटा और तगड़ा है और आसानी से सतुष्ट नहीं होता। तुम ज्यादा इत्मीनान से मत रहना। मैं तुम्हें बता रहा हूँ की सेठी साहब बहुत ज्यादा सेक्सी हैं। जब वह उकसा जाते हैं तो उनका अपने आप पर नियत्रण रखना भी बड़ा ही कठिन हो जाता है।"

टीना मेरी बात सुन कर कुछ गुस्से में बिस्तर में बैठ गयी और बोली, "तुम क्या बकते रहते हो? तुमने सेठी साहब का लण्ड कब देखा? तुम ऐसे ही फ़ालतू की बकवास कर मेरा दिमाग खराब मत करो।"

मैंने मेरी बीबी को शान्ति से समझाते हुए कहा, "कुछ दिन पहले सुषमाजी उनके चाचाजी के यहां गयी थी ना, उस की अगली सुबह की बात है। मैं जब सुबह घूमने निकला तो सेठी साहब के ड्रॉइंगरूम में लाइट देख कर मैं उनके दरवाजे पर पहुंचा......" मैंने फिर मेरी पत्नी को उस सुबह की पूरी दास्तान सुनाई। मेरी सारी बात सुन मेरी बीबी की नींद ही उड़ गयी। मैंने जब कहा की सेठी साहब का लण्ड वास्तव में सात से आठ इन्चा लंबा और करीब दो से तीन इंच मोटा था तो जैसे मेरी बीबी की सांसे थम सी गयीं। पता नहीं उसके मन में उस समय क्या विचार आ रहे होंगे? वैसे तो कोई भी औरत किसी मर्द के ऐसे तगड़े लण्ड के बारे में सुन कर यही सोचने लगेगी की अगर ऐसा तगड़ा मर्द उसकी चुदाई करे तो क्या हाल होगा उसका? ख़ास तौर से जब मैंने मेरी पत्नी को कहा की जब सेठी साहब सुषमाजी को चोदते हैं तो सुषमाजी को नानी याद दिला देते हैं बिना थके या झड़े सुषमाजी को चोदते ही रहते हैं। सुषमाजी बेचारी त्राहिमाम त्राहिमाम हो जाती है। टीना ने जब यह सूना तो टीना के चेहरे पर और ख़ास कर उसकी आखों में आतंक और आश्चर्य दोनों के ऐसे मिश्रित भाव मैंने देखे जो कोई भयानक हॉरर फिल्म में फिल्म की हीरोइन के चेहरे पर खुनी का सामना होने पर आते हैं।

बड़ी मुश्किल से अपने आप को सम्हालते हुए जैसे वह अपने आप को ही नसीहत दे रही हो वैसे बोली, "मुझे क्या लेनादेना? सेठी साहब जाने और सुषमाजी जाने।"

फिर कुछ रुक कर बोली, "पर एक बात तो है की जब चुदाई हो तो तगड़ी ही होनी चाहिए। तुम तो कई बार शुरू होने से पहले ही झड़ जाते हो। तो सारा मजा ही किरकिरा हो जाता है। खैर मुझे क्या? पर तुम यह सब मुझे क्यों सूना रहे हो?"

मैंने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, "बेचारी सुषमाजी।"

मेरी बात सुन कर टीना गुस्सा करती हुई अपना मुंह बना कर बोली, "अगर सुषमाजी पर इतना ही रहम आ रहा है तो तुम जाओ और आंसूं पोंछो बेचारी सुषमाजी के।"

मैंने धीरे से कहा, "सेठी साहब चाहते हैं की मैं सुषमाजी को कार चलाना सिखाऊं।"

टीना ने कुछ रूखी आवाज में कहा, "तो जाओ,सिखाओ सुषमाजी...... को कार चलाना। मुझे तो तुम कार चलाना सीखा नहीं पाए और चले सुषमाजी...... को कार सिखाने!" जब मेरी पत्नी अपना मुंह बना कर "सुषमाजी" बोली तो बीबी के अंदर से जलन की बू आ रही थी।

उस हालात में मैंने चुप रह कर सो जाना ही ठीक समझा।

शादी से पहले

मेरी पत्नी टीना शादी से पहले काफी दबंग सी लड़की थी। दबंग से मेरा मतलब है उसे लड़कों के साथ घूमने में कोई झिझक नहीं होती थी। पर यह भी सच है की कोई लड़का उसके साथ नाजायज छूट की भी उम्मीद नहीं रख सकता था। टीना ने दो तीन लड़कों की ऐसी पिटाई की थी की टीना के पीछे पुरे कॉलेज में "मर्दानी" के नाम से मशहूर थी।

कॉलेज में पढ़ाई में टीना हमेशा अव्वल या दूसरे नंबर पर आती थी। हालांकि वह पढ़ाकू या किताबी कीड़ा नहीं थी। वह खेलकूद में, डांस गाने में काफी रूचि रखती थी और ऐसे कार्यक्रम में हिस्सा भी लेती थी। पुरे कॉलेज में टीना के बारे में काफी चर्चे होते रहते थे। टीना के माँ बाप टीना को पूरा सपोर्ट करते थे। घरमें भी जब टीना पढ़ती थी तो इतनी एकाग्रता से पढ़ती थी की उसे खाने पिने का भी ध्यान नहीं रहता था। टीना की एक छोटी बहन और एक बड़ा भाई था। टीना घर में सब को आँख के तारे के समान प्यारी थी। एक जमाने में टीना के पुरखे बहुत बड़े जमींदार हुआ करते थे। पर अब वह सब ठाठ ख़तम हो चुका था।

कॉलेज के समय में टीना ने कॉलेज के ही एक शिक्षक के घर में एक्स्ट्रा क्लासेज ज्वाइन की थीं। शुरू में तो चार पांच लड़के लडकियां थीं पर बादमें आखिर में सिर्फ टीना ही रह गयी थी। पढ़ाई कराने वाले शिक्षक शादीशुदा थे पर उनकी बीबी और बच्चे गाँव में रहते थे और शिक्षक शहर में अकेले ही रहते थे और बच्चों को पढ़ाते थे।

टीना ने मुझे शादी के पहले ही साक्षात्कार में कबुल किया था की वह कुमारी नहीं थी। जाने अनजाने में उस शिक्षक के साथ तत्कालीन शारीरिक सम्बन्ध हुआ था। वह शिक्षक की टीना को पूरी एकाग्रता से पढ़ाने की लगन से इतनी प्रभावित हुई की एक कमजोर पल में दोनों युवा बदन एक दूसरे से सम्भोग करने से रोक नहीं पाए। उनका वह अफेयर कुछ महीनों चला। एकदिन अचानक टीचर की बीबी गाँव से सर से मिलने आयी और उसे टीना और उसके पति के नाजुक संबंधों के बारे में पता लगा। टीचर की पत्नी ने अकेले में टीना से बात की और दो हाथ जोड़कर टीना से बिनती की की वह उसके पति से दूर चली जाए। टीना को इस बात का काफी गहरा सदमा पहुंचा और उसके बाद वह टीचर से कभी नहीं मिली।