साथी हाथ बढ़ाना Ch. 01

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मेरी बात सुनकर टीना ने कहा, "अच्छा? पर वह तो सब तो हाई सॉसाइटी में होता होगा। मध्यम क्लास के परिवार में ऐसा कहाँ होता है?"

तब मैंने मेरी बीबी को कहा, "सुषमाजी यही तो कह रही थीं तुम्हें? और देखो हमारे पड़ोस में ही शादीशुदा मर्द और औरतों के आपसी में गैरों से सम्बन्ध के कई किस्से हैं जो मैं अगर सुनाने बैठ गया तो डार्लिंग,तुम हैरान रह जाओगी। करते सब हैं, पर चोरी चुपके। कोई मर्द या औरत जाहिर थोड़े ही करेंगे की मैं फलां फलां को चोदता हूँ या उस से चुदवाती हूँ?"

मेरी बात सुनकर वह दांतो तले उंगली दबा गयी, और बोली, "बापरे! यह सब तो मुझे पता ही नहीं था।"

मेरी बात सुनकर टीना कुछ हैरानगी से मुझे देखती रही। मैंने कहा, "देखो मैं एक एक्ज़ाम्पल के तौर पर बात कर रहा हूँ। सेठी साहब के साथ आज हम इतना घुलमिल गए हैं तो क्या तुम्हें नहीं लगता की हमारे बिच भी ऐसा कुछ कभी हो सकता है? क्या तुम्हें नहीं लगता की कभी कोई नाजुक वक्त में मसाज करवाते हुए सेठी साहब तुम्हें अपनी बाँहों में ले लें और तुम भी उस समय एक इमोशन के बहाव में बह कर उनको रोक ना पाओ, और फिर एक से दो और दो से तीन होते हुए बात यहां तक बढ़ जाए की बदन और कपड़ों का कोई होशोहवाश ही ना रहे और जो हम सोचते हैं नहीं हो सकता वह हो जाए? क्या यह असंभव है? देखो मैं कोई इल्जाम नहीं लगा रहा। पर मुद्दा यहाँ यह है की क्या ऐसा हो सकता है या नहीं। मैं कहता हूँ हो सकता है। तुम बोलो, क्या ऐसा नहीं हो सकता?"

मैने देखा की मेरी बात पूरी तरह सुनकर मेरी बीबी मुझ से आँखें चुराती हुई नज़रे नीची कर बोली, "होने को तो कुछ भी हो सकता है, पर क्या ऐसा होना ठीक है?"

मैंने कहा, "क्यों ठीक नहीं है? अब ज़माना बदल गया है। आखिर जब जवाँ मर्द औरत एक दूसरे के इतने करीब हों और कुछ ऐसा माहौल बन जाए तो सेक्स हो ही जाता है। अगर तुम्हारे और सेठी साहब के बिच में क्या ऐसा नहीं हो सकता? और अगर ऐसा हो जाए तो कौनसा आसमान टूट पडेगा? अरे जब तुमने शादी से पहले एक मानसिक बहाव में बह कर उस शिक्षक से शारीरिक सम्बन्ध जोड़े तो कौनसा आसमान टूट पड़ा था? आज हम उस बात के बारे में कहाँ कुछ सोचते हैं?"

मेरी बात सुन कर टीना जैसे कुछ देर तक सन्न सी मुझे बड़ी बड़ी आँखों से देखती रह गयी। कुछ बोल नहीं पायी। कुछ देर बाद जब मैं भी टीना के जवाब की उम्मीद करता हुआ उसे देख रहा था तब मेरी बात का सीधा जवाब देने का बजाय मुझ पर बिगड़ती हुई टीना बोली, "वह शादी के पहले की बात थी। अब मैं शादीशुदा हूँ।"

मैंने कहा, तो क्या हुआ? शादी के बाद तुम्हारे सींग निकल आये हैं क्या? तुम तो वही हो जो पहले थी। खैर तुम्हारी बात भी गलत नहीं है। पहले तुम्हें अकेले ही ऐसा डिसिशन लेना होता था। अब तुम्हें पति का भी ख्याल रखना पड़ता है। पर जब मैं तुम्हारे साथ हूँ और अगर मुझे कोई एतराज नहीं हो और मैं ही तुम्हें सेठी साहब से चुदवाने के लिए कहता हूँ तो फिर तुम्हें परेशानी किस बात की? सच तो यह है की जवानी चार दिन की है। जिंदगी में ऐसे साथीदार बड़ी ही मुश्किल से मिलते हैं जिन पर पूरा भरोसा किया जा सकता है, जिन से चुदाई के सम्बन्ध हो सकते हैं। मैं तो मानता हूँ की सही साथीदार हो तो एन्जॉय करने का ऐसा मौक़ा छोड़ना नहीं चाहिए। देखो तुम्हीं कह रही थी की सुषमा और सेठी साहब इस वक्त बच्चे को लेकर एक अजीब सी उलझन में फंसे हुए हैं। अगर इस वक्त हमने उनका साथ दिया तो उनकी समस्या भी सुलझ जायेगी। वैसे ही उनके हम पर बड़े अहसान हैं और अगर हम थोड़ा कुछ कर सकें तो उनकी जिंदगी बन जायेगी, और हम एन्जॉय भी करेंगे। मैं तुम्हें वादा करता हूँ की अगर ऐसा कुछ भी हुआ तो तुम्हें चिंता करने की जरुरत नहीं। ऐसा देख कर मुझसे ज्यादा खुश और कोई नहीं होगा। यह मेरा तुम्हें वचन है। अभी हम मिले हैं, अगर कहीं हमारा अथवा उनका ट्रांसफर हो गया तो फिर बिछड़ जाएंगे। यह जिंदगी छोटी है। पता नहीं कितनी देर हम साथ में रहेंगे। तुम मानती तो हो ना की उनसे से हम सब कुछ शेयर कर सकते हैं?""

टीना ने मुंह टेढ़ा कर कटाक्ष में कहा, "ठीक है यार, बस भी करो। देखो यह सारी बातें हमारे बस में नहीं। जैसा तुमने कहा माहौल और मूड़ पर सब आधारित है। जो होगा जब होगा होगा। अब मैं यह समझ गयी की तुम क्या चाहते हो। तुम्हें मौक़ा मिला तो सुषमाजी को चोदने की इजाजत मैं तुम्हें देती हूँ बस? यार जो करना है करो पर इसका ढंढेरा पीटने की क्या जरुरत है?"

मैंने कहा, "मैं ढंढेरा नहीं पिट रहा बस सिर्फ यही कह रहा हूँ की जब सेठी साहब ने डार्लिंग कहा तब तुम जैसे बिदक गयी वैसे अगर सेठी साहब और कोई मरदाना हरकत करे या तुम्हें जकडले, बूब्स सेहला दे या किस करले तो बिदकना मत। अब तो हम ने सब शेयर करने की बात मानी है तो तुम भड़क मत जाना या पीछे मत हट जाना। तुम जानती हो सेठी साहब कितने सेंसिटिव हैं।"

टीना ने कुछ आत्मविश्वास दिखाते हुए कहा, "तुम बेकार परेशान हो रहे हो। उसकी चिंता तुम मत करो। यह बात मैं तुमसे ज्यादा अच्छी तरह जानती और समझती हूँ और सेठी साहब को भी मैं अच्छी तरह से हैंडल कर सकती हूँ। सेठी साहब का मेरे साथ मरदाना हरकतें करना मेरे लिए कोई नयी बात नहीं है। पर हाँ मुझे एक बात बताओ, मानलो अगर सेठी साहब ने मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत की और कुछ इधरउधर हो गया तो तुम्हें जलन तो नहीं होगी ना? फिर बाद में शिकायत मत करना।"

टीना की जुबान से जब यह निकल ही गया तब मुझे तसल्ली हो गयी की आखिर बात आगे बढ़ सकती है, अगर सेठी साहब कुछ करें तो। मैंने कहा, "कमाल है, मैं ही तुम्हें कह रहा हूँ की आगे बढ़ो और मुझसे ही तुम सवाल कर रही हो? मुझे कोई शिकायत नहीं, मुझे तो बल्कि ख़ुशी होगी।"

इस बात के तीन चार दिन के बाद की बात है। एक दिन ऑफिस से घर लौटते हुए मुझे टीना का फ़ोन आया। उसे फिर से वही पीठ में दर्द और चक्कर आ रहे थे। मैंने फ़ौरन सेठी साहब को फ़ोन किया और टीना के दर्द के बारे में बताया और कहा की वह टीना को फ़ौरन अटेंड करें। तक़दीर से सेठी साहब अपने घर पहुंचे ही थे। मेरा फ़ोन पाते ही वह टीना के पास जा पहुंचे।

मुझे घर पहुँचते काफी देर हो गयी। मैं जब घर पहुंचा तो सेठी साहब घर से टीना का मसाज कर बाहर निकल रहे थे। मैंने दरवाजे की बेल बजाई। कुछ ही देर में टीना ने दरवाजा खोला। टीना के पीछे सेठी साहब भी दिखाई दिए। सेठी साहब ने आपने दोनों हाथ उठाते हुए कहा, "तुम्हारी पत्नी की मैंने जो सेवा करनी थी की। अब वह एकदम ठीक है।"

उस रात को सब काम निपटा कर जब टीना सोने को आयी तो मैं बड़े आश्चर्य से उसे देखता ही रहा। टीना की आँखों में मुझे वह उन्माद और कामवासना का शुरुर नजर आ रहा था जो शादी के बाद कुछ महीनों तक मैंने एन्जॉय किया था। टीना के चेहरे के भाव से और उसके पहनावे से यह साफ था की उस रात उस पर काम वासना का उन्माद छाया हुआ था। जाहिर था उस रात वह मुझसे बेतहाशा चुदवाना चाहती थी। टीना ने एक छोटी सी नाइटी पहन रक्खी थी और अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था। बैडरूम की बत्ती बुझा कर जब मेरी बीबी मेरे करीब आयी तो लेटने के बजाए वह मुझ पर चढ़ गयी और बड़ी शिद्दत से मुझसे लिपट कर पागल की तरह मुझे चूमने लगी और बड़े प्यार से बहकी बहकी आवाज में अश्पष्ट शब्दों में मेरे कान में कभी मुझे "जानू' तो कभी "माय डार्लिंग" "माय बेबी" कह कर मुझे उकसाने लगी। जाहिर था की मसाज के दरम्यान कुछ ऐसा हुआ था जिसके कारण मेरी बीबी काफी उत्तेजित हो चुकी थी और उसे अपनी चूत की खुजली को कैसे भी जल्द से जल्द शांत करना था।

मेरी बीबी की नाइटी को उसके बदन से फारिग कर मेरी बीबी के नंगे बदन को मैं अपने हाथों से महसूस करने लगा। टीना ने भी मेरे पाजामे का नाड़ा खोल मेरे खड़े सख्त लण्ड को अपनी उँगलियों में लिया और उसे सहलाने लगी। टीना एक चुदासी कुतिया की तरह मुझसे चुदवाने के लिए बेताब हो रही थी। यही मौक़ा था की मैं मेरी बीबी की उत्तेजना को और भड़काऊं और टीना को सेठी साहब से चुदवांने के बारे में बात करके मेरी बीबी के मन की बात समझने की कोशिश करूँऔर यह भी जानने की कोशिश करूँ की उस शाम कुछ हुआ की नहीं?

मैंने मेरी बीबी की टाँगीं चौड़ी कीं और उनके बिच मेरा सर डालकर मैं अपनी जीभ से टीना की चूत की पंखुड़ियों के बिच से रिस रहे स्त्री रस का आस्वादन करने लगा। मेरी जीभका स्पर्श महसूस करते ही टीना बोल उठी, "क्या करते हो? ऊपर चढ़ जाओ और मुझे चोदो प्लीज?"

मैंने पूछा, "क्या बात है? आज मेरी तक़दीर अचानक ही कैसे खुल गयी? आज मेरी रानी चुदाई के लिए इतनी बेताब कैसे है जी? कुछ बात तो है।"

टीना कुछ शर्माती हुई बोली, "हाँ, बात तो है। बात ही कुछ ऐसी है जी। पर तुम पहले मुझे मत तड़पाओ। अंदर डालो और चोदो मुझे तो बताऊँ। सुनोगे तो तुम्हारा जोश भी बढ़ जाएगा।"

मैंने पूछा, "अच्छा? बताओं ना जानेमन ऐसी क्या बात हुई?" हालांकि मुझे शायद कुछ आईडिया था की मेरी बीबी मुझे क्या कह सकती है।

टीना ने मुझे लिटा कर मेरी टांगों के बिच में जा कर मेरे लण्ड को अपने हाथों में पकड़ा और मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले कर वह बड़ी शिद्दत से चुसने लगी। अपना मुंह ऊपर निचे कर वह मेरे लण्ड को उस रात जबरदस्त वी.आई.पी. ट्रीटमेंट दे रही थी। मुझे इतना ज्यादा सुख बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने पूछा, "री, अब बताओ भी आखिर क्या हुआ?"

टीना एकदम मेरे पास आयी और मेरे लण्ड से मुंह सटाकर बोली, "तुम कहते थे ना, की आखिर सेठी साहब भी एक मर्द हैं। आज उन्होंने अपनी मर्दानगी दिखा दी।"

टीना की बात सुनकर मेरी जान हथेली में आ गयी। मैंने आश्चर्य से पूछा, "क्या कहती हो? क्या सेठी साहब ने तुम्हें चोद दिया?"

टीना एकदम गुस्से में बोली, "क्या बकवास करते हो? ऐसा कुछ नहीं हुआ। अरे उन्होंने अपनी मर्दानगी मतलब मर्दों वाली हरकतें की आज मेरे साथ।"

मैंने पूछा, "अच्छा? क्या किया उन्होंने?"

टीनाने मुझे उस शाम हुई सारी कहानी शब्दशः सुनाई। मेरी पत्नी की कहने से मुझे यह महसूस हुआ की उसने कुछ भी नहीं तोडा मरोड़ा और सारी कहानी जैसे हुई थी वही मुझे कही।

टीना ने कहा, "आज जब मैंने तुम्हें फ़ोन किया तब मुझे बड़ा जबरदस्त दर्द हो रहा था। मुझसे बैठा नहीं जा रहा था। मेरी हालत बहुत खराब थी। तुमने फ़ौरन फ़ोन कर सेठी साहब को बताया और वह दो ही मिनट में आ पहुंचे। तुम तो जानते ही हो की जब मुझे दर्द होता है तो मैं कैसे तड़पती हूँ। सारे कपडे निकाल फेंकने का मन करता है।" आगे टीना ने कहा उसे सुनकर मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया।

सेठी साहब ने आते ही टीना की हालत देखि। टीना कभी लेट जाती तो कभी आधी बैठती थी। पीठ कमर और छाती में शूल की तरह जो दर्द हो रहा था उससे तंग आकर अपनी साडी उसने निकाल दी थी, की शायद उससे कुछ आराम मिले। टीना के बाल बिखरे हुए थे, कपाल और गर्दन से पसीने की धार जैसे बह रही थी। ब्लाउज और ब्रा गीले होने के कारण टीना के खूबसूरत मम्मे (स्तन मंडल) की झाँखी हो रही थी। टीना के स्तनोँ के निप्पल की श्यामल रूपरेखा दिखाई दे रही थी। सेठी साहब ने आते ही सबसे पहले ही टीना के स्तनोँ को और निप्पलों को जब इतने साफ़ अंदाज में पहली बार देखा तो उनके भी पसीने छूट गए।

यह शायद पहली बार हो रहा था की सेठी साहब किसी सुन्दर औरत को फिजियोथेरपी करते हुए इतने अधिक उत्तेजित हुए हों। पर टीना का उस समय के रूप का दर्शन अद्भुत्त था। ऐसा लगता था जैसे कोई कामपीड़ित स्त्री किसी कामदेव के सामने कामातुर होकर रतिक्रीड़ा की इच्छा से बल खाती हुई उपस्थित हुई हो। पसीने के कारण टीना का ब्लाउज भी गिला हो रहा था। टीना को देखते ही बरबस सेठी साहब का लण्ड उनकी निक्कर में हलचल करने लगा। बड़ी मुश्किल से उसे सम्हालते हुए सेठी साहब ने टीना को अपनी दोनों बाँहों में उठा लिया और पहले बैडरूम में खुद पलंग पर बैठे और फिर टीना को अपने करीब आगे बिठाया। ऐसा लगता था जैसे सेठी साहब ने टीना को अपनी गोद में बिठाया हो।

मैंने पूछा, "क्या बात करती हो? सेठी साहब ने तुम्हें अपनी गोद में बिठा दिया?"

टीना ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर जैसे कहीं मैं कोई शक तो नहीं कर रहा हूँ ऐसे मेरी और देखा और बोली, "हाँ यार, जब गर्दन और पीठ पर मसाज करना होता है तो ऐसे ही बैठना पड़ता है ना? एकदम गोद में नहीं पर लगभग ऐसे ही जैसे गोद में हूँ। मेरा पिछवाड़ा बिलकुल उनके उसके ऊपर टिका हुआ था।"

मैंने मेरी बीबी को उकसाते हुए पूछा, "तुम्हारा पिछवाड़ा उनके उसके ऊपर टिका था, मतलब?"

टीना ने हवा में हाथ उठाकर अपनी हताशा जताते हुए कहा, "अरे यार, तुम तो मुझसे खुल्लमखुल्ला बुलवा कर ही रहोगे! मेरे कहने का मतलब था की मेरी गाँड़ उनके लण्ड पर टिकी हुई थी।"

मैंने कहा, "ओके, चलो आगे बढ़ो। फिर क्या हुआ?"

टीना ने जारी रखते हुए कहा, "राज इतना दर्द होते हुए भी जब ऐसा हुआ तो मैं वाकई में घबड़ा गई, क्यूंकि मेरे गोद में बैठते ही उनका वह एकदम खड़ा होने लगा।"

मैंने टीना को चिढ़ाने के लिए पूछा, "वह कौन? कौन खड़ा हो गया?"

टीना ने घूंसा मारते हुए चिढ कर कहा, "तुम जानते नहीं क्या खड़ा हो गया? मुझे चिढ़ाओ मत। मैं वैसे ही परेशान हूँ तुम और मत परेशान करो मुझे।"

मैंने कहा, "तो ठीक है, बोलो ना की सेठी साहब का लण्ड खड़ा हो गया? उसमें कौनसी शर्म है? जैसे मेरा लण्ड वैसे उनका लण्ड है। वैसे तो तुम मुझसे एकदम खुल कर बात करती हो।"

टीना ने नजरें चुराते हुए कहा, "तुम कितने गंदे हो! जब तक मैं गन्दी गन्दी बात नहीं करुँगी तुम मेरा पीछा छोड़ोगे नहीं। ठीक है भाई, सेठी साहब का लण्ड खड़ा हो गया और जैसे ही मैं उनकी गोद में बैठी तो उनका लण्ड मेरी गाँड़ की दरार में घुसने लगा। मैंने घाघरा पैंटी बगैरह पहना था उस समय। सेठी साहब ने भी पयजामा पहना था। फिर भी।"

मैंने कहा, "मैंने तो तुम्हें पहले ही बता दिया था की सेठी साहब का लण्ड कोई आम मर्द की तरह नहीं है। इतने कपडे बिच में होती हुए भी अगर सेठी साहब का लण्ड को तुमने अपनी गाँड़ की दरार में महसूस किया तो फिर तुम्हें भी मानना पडेगा की वह लण्ड अच्छा खासा लम्बा और मोटा तो होगा।"

मैंने पूछा, "फिर क्या हुआ?"

टीना ने फिर अपनी नजरें नीची कर कहा, 'खैर तुम तो जानते हो की जब मुझे यह दर्द होता है तो मेरा क्या हाल होता है। मैंने सेठी साहब से कहा की मुझे चक्कर आ रहे हैं, मेरी पीठ, कमर और साइड पर एकदम शूटिंग पैन हो रहा है और मैं उसे बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ। उन टाइट कपड़ों में मुझे साँस लेने में भी दिक्कत सी लग रही है।"

टीना ने कहा की सेठी साहब ने उसकी बात सुनकर फ़ौरन कहा, "तुम्हें एतराज ना हो तो ब्लाउज और ब्रा निकाल दो। फिर मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहते हैं की अगर तुम्हे दिक्कत है तो मैं अपनी आँखों पर पट्टी बाँध दूंगा।"

जब टीना ने यह सूना तो टीना क्या कहती? टीना ने कहा, "सेठी साहब, कहावत है की डॉक्टर से पेट नहीं छिपाते। अब मैं आपसे क्या छिपाऊं? मुझे आप पर पूरा भरोसा है। अब मैंने अपने आपको आपको सौंप दिया। अब आपको जैसा ठीक लगे ऐसे करो।"

टीना से इजाजत मिलते ही सेठी साहब ने आगे झुक कर पहले टीना के ब्लाउज के बटन खोल दिए। बटन खोलते ही टीना ने स्तनोँ का बोझ कुछ हल्का महसूस किया। टीना ने पीछे मुड़कर सेठी साहब की और देखा और राहत की एक गहरी सांस ली। सेठी साहब ने महसूस किया की टीना पीड़ा से वाकई परेशान थी। सेठी साहब ने फ़ौरन ब्रा का हुक भी खोल दिया। टीना के पके हुए बड़े खड़भुजा जैसे दोनों स्तन सख्त बन्धन से आजाद होते ही बाहर कूद पड़े। सेठी साहब की नजर बचाते हुए बाजू में रखे तौलिये से टीना ने उन्हें फुर्ती से ढकने की कोशिश की। पर चूँकि तौलिया कुछ दुरी पर रखा हुआ था तो टीना को उसे हासिल करने में कुछ मशक्क्त करनी पड़ी और थोड़ा सा खिसक कर उसे ले कर स्तनोँ को ढ़कने में कुछ समय भी लगा। उस अंतराल में सेठी साहब को टीना के गोरे गोरे अल्लड़ मस्त फुले हुए पर फिर भी सख्ती से खड़े स्तनों के और उसके ऊपर गुब्बारे की बाहर की और खींची हुई चॉकलेटी रंग की निप्पलों के भी दर्शन की अच्छी खासी झांकी तो हो ही गयी।

टीना के गोरे गोरे कोमल से पर सख्त खींचे हुए स्तन देख कर सेठी साहब अपने हाथों को बड़ी ही मुश्किल से उन्हें मसल ने से रोक पाए। स्तन इतने भरे और फुले हुए थे जैसे वह दूध से भरे हुए हों। स्तनों के ऊपर बिच में स्थित उद्द्ण्ड चॉकलेटी रंग की निप्पलेँ जैसे सेठी साहब के हाथों और होठों को चुनौती से रहीं थीं की "आओ मुझे जोर से मसलो और खूब चुसो और काटो।" उन्हें देख कर भी कुछ ना कर पाने के कारण सेठी साहब के मन में जैसे भीषण अन्तर्युद्ध चल रहा था।

एक तो टीना के दो अल्लड़ स्तनोँ को उनकी पूरी छटा में देखना और फिर टीना की गाँड़ का सेठी साहब के लण्ड से रगड़कर छूना सेठी साहब तो जैसे तैसे झेल गए पर सेठी साहब का लण्ड कहाँ से बर्दाश्त कर पाता? जैसे ही सेठी साहब टीना के ऊपर से कंधे पर मसाज करने के लिए झुके तो सेठी साहब के काफी कण्ट्रोल करते हुए भी उनका लण्ड सेठी साहब के कण्ट्रोल के बाहर हो गया। सेठी साहब के ढीले से पयजामे में से फुला हुआ सख्त नारियल के पेड़ की तरह खड़ा सेठी साहब का लण्ड टीना ने अपनी गाँड़ की दरार पर महसूस किया।

अनायास ही टीना ने पीछे मुड़कर देखा तो सेठी साहब का लण्ड सेठी साहब के स्लैक्स में से अपनी लम्बाई दिखाता हुआ कपडे के अंदर लटकता हुआ पयजामे का एक बड़ा तम्बू बनाया हुआ दिख रहा था। अपने पूर्व रस रिसने के कारण सेठी साहब की दो जाँघों के बिच में पयजामे पर लण्ड ने बनाया हुआ तम्बू चिकनाहट से गीला भी हो चुका था। टीना ने सेठी साहब के तनाव भरे चेहरे को देख कर यह भी महसूस किया की उस समय वह टीना को इस हालत में देख कर बड़ी ही विवशता की विकत स्थिति में से गुजर रहे थे। शर्म और व्याकुलता के मारे टीना बेचारी कुछ बोल नहीं पा रही थी। सेठी साहब ने महसूस किया की टीना की नजर जो उनके दो जाँघों के बिच में लटके हुए तम्बू पर पड़ी थी तो घभराहट और अटपटाहट के मारे उन्होंने अपनी दोनोँ जाँघों को जोड़ कर कोशिश की टीना उनके लण्ड की वह स्थिति देख ना पाए। वह समझ गए की उनका लण्ड टीना की गाँड़ की दरार को कौंच रहा था और उसे टीना ने महसूस किया था।

वह बोल पड़े, "सॉरी, टीना, वैरी सॉरी यार" कहते हुए वह अचानक उठ खड़े हुए और अपनी निक्कर और उसमें उनका खड़ा हुआ लण्ड एडजस्ट कर ठीक करने में लग गए। टीना ने पीछे मुड़कर सेठी साहब को यह गुत्थमगुत्थी करते हुए देखा। सेठी साहब अपनी निक्कर में लण्ड को कैसे ठीक करते? वह तो जैसे जैसे सेठी साहब कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे और बड़ा होता जा रहा था और सेठी साहब के कण्ट्रोल में नहीं आ रहा था।

तब अचानक सेठी साहब झुंझला कर एकदम दबी आवाज में बोल पड़े, "ससुरा, कुत्ते की औलाद, कण्ट्रोल ही नहीं हो रहा! साले चुपचाप दब के बैठ, इतना उछलता क्यों है?" टीना समझ नहीं पायी की सेठी साहब किसे गालियां निकाल रहे थे। शायद उनसे अपने आपको सम्हाला नहीं जा रहा था। सेठी साहब का हाल देख कर टीना ना चाहते हुए भी मुस्कुरा पड़ी। खैर टीना भी समझती थी की इस हालात में कैसे कोई मर्द अपने आपको सम्हाले?

टीनाको पीठ का इतना ज्यादा दर्द हो रहा था की उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। टीना ने सेठी साहब से कहा, "सेठी साहब छोड़िये उसको। उसकी चिंता मत कीजिये। उसको तो मैं झेल लुंगी, पर यह दर्द नहीं झेला जा रहा। पहले मुझे इस दर्द से फारिग कीजिये प्लीज।"

टीना ने जब यह कहा तब सेठी साहब अपने लण्ड को कण्ट्रोल करने की चिंता से कुछ हद तक निश्चिन्त हुए और अपने काम पर ध्यान देने लगे। सेठी साहब ने टीना को अपने आगे छाती पर लेटने को कहा जिससे वह टीना की पीठ और कन्धों पर अच्छी तरह मसाज कर सके। सेठी साहब के पास कुछ हर्बल तेल था जिसे उन्होंने टीना की पीठ पर काफी मात्रा में गिराया। बहते हुए तेल की धारा में हाथ डालकर उसे टीना की पूरी पीठ पर हल्के से हथेली में लेकर पूरी पीठ पर फैलाने लगे। धीरे धीरे अपना अंगूठा टीना के कन्धों के पीठ वाले हिस्से पर रख कर अपनी अंगूठे की बाजू वाली उंगली से सही पॉइंट पर दबाकर सेठी साहब एकक्यूप्रेशर की तकनीक से दबाव देने लगे। धीरे धीरे दबाव बढ़ता गया और टीना के मुंह से हलकी सी सिसकारी भी निकल पड़ी।

टीना के हाल भी बड़े ही अजीब थे। एक और सेठी साहब के खड़े सख्त लण्ड का टीना की गाँड़ के ऊपर रगड़ना, दूसरे सेठी साहब के टीना के स्तनों को देख लेना और फिर मालिश करते हुए उनके हाथ अनायास ही कई बार टीना के स्तनोँ को छूने से टीना की सिसकारियां अक्सर कामुकता की कराहट जैसे निकल जाती थीं।

तेल को निचे फ़ैल कर गिरने से रोकने के लिए बार बार सेठी साहब को टीना की छाती तक अपनी हथेली ले जानी पड़ती थी। कई बार इसके कारण सेठी साहब का हाथ टीना के स्तनों को छू लेते थे। सेठी साहब ने डरते हुए पूछा, "टीना, देखो मालिश करते हुए कई बार मेरा हाथ तुम को इधर उधर छू सकता है। प्लीज इसे गलत मत समझना। तुम कहोगे तो मैं हाथों को दूर ही रखूंगा।"

टीना की हालत तो वैसे ही खराब थी। टीना ने दबी हुई आवाज में कहा, "सेठी साहब, आप भी कमाल हो! हाथों को दूर रखोगे तो मालिश कैसे करोगे? मैंने कोई शिकायत की क्या? आप इतने क्यों परेशान हो रहे हो? मैं समझ सकती हूँ। आप चिंता मत करो। आप अपना काम करो। प्लीज बेकार में हिचकिचाओ मत।"

टीना की इस तरह खुली इजाजत मिलने पर सेठी साहब ने राहत की गहरी साँस ली। अब वह कुछ हद तक निश्चिंत हो गए। सेठी साहब ने टीना की पीठ, कंधे और कमर पर अच्छी तरह से मालिस की और ऐसा करते हुए हालांकि सेठी साहब ने टीना के स्तनोँ पर मसाज तो नहीं किया पर कई बार उन्हें टीना के स्तनोँ को छूना पड़ा। सेठी साहब का लण्ड भी पूरी मसाज के दरम्यान खड़ा का खड़ा ही रहा और अक्सर टीना की गाँड़ की दरार में ठोकर मारता रहा। पर सेठी साहब ने यह ध्यान रखा की उनसे कोई ऐसी हरकत ना हो जिससे टीना को कोई शिकायत का मौक़ा मिले।

कुछ ही देर में टीना का दर्द गायब हो गया। सेठी साहब ने जब टीना के बदन के ऊपर से अपना वजन हटा लिया तो टीना ने एक गहरी राहत की साँस ली। तौलिये को अपनी छाती पर ही रखे हुए टीना सेठी साहब की और मुड़ी और उनकी बाँहों में जा कर उनसे लिपट कर बोली, "सेठी साहब आपने मुझे नयी जिंदगी दे दी। यह दर्द मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया था। आपका बहुत बहुत शुक्रिया। मेरी समझ में नहीं आ रहा की मैं इसका बदला कैसे चुकाऊँगी।" यह कह कर टीना ने अनायास ही सेठी साहब के गाल पर एक उन्माद पूर्ण चुम्मी की और उठ कर दूसरे कमरे में कपडे पहनने चली गयी। उस समय सेठी साहब किंकर्तव्यमूढ़ बनकर बैठे हुए टीना के बारे में सोचने लगे।

बीबी से यह कहानी सुन कर मेरा लण्ड भी अपना रस रिसने लगा। टीना उसे सहलाती रहती थी और कभी कभी झुक कर उसे चुम भी लेती थी। इस बात को कहते कहते टीना भी काफी उत्तेजक दशा में थी यह मैं अनुभव कर रहा था।

मैंने टीना से पूछा, "क्या तुम्हें पता है की सेठी साहब कुत्ता बगैरह कह कर किसे कोस रहे थे?'

टीना ने मेरी तरफ प्रश्नार्थ भाव में देखा। मैंने कहा, "वह अपने शैतान लण्ड को कोस रहे थे। वह उसे बैठने के लिए जबरदस्ती कर रहे थे।"

टीना अपनी बड़ी बड़ी आँखें फुलाते हुए मेरी और देख कर बोली, "अरे बापरे! ओह..... तुम क्या कह रहे हो? वह अपने लण्ड को कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे? मतलब अगर आज सेठी साहब अपने आप पर कण्ट्रोल ना कर पाते तो मेरी तो बजा ही दी होती उन्होंने।"

मैंने कहा, "बिलकुल, मैं तो बड़ा हैरान हूँ। कोई भी मर्द कितना भी संयम रखे, ऐसे मौके पर अपना नियत्रण कर ही नहीं सकता। ऐसा मौक़ा कोई मर्द छोड़ता है? एक खूबसूरत औरत अपने आधे कपडे निकाले तुम्हारे सामने ऐसी लेटी हुई है की तुम्हारा लण्ड उसकी चूत से रगड़ रहा है, बस देर है तो उसका घाघरा ऊपर करने की और पैंटी निकालने की। तो कौन मर्द ऐसी औरत को चुदाई किये बगैर छोड़ेगा?"

मेरी बात सुन कर टीना की साँसें फूलने लगीं। उसे महसूस हो रहा था की मैं जो कुछ कह रहा था वह सब सच था। टीना खुद जानती थी की दरअसल बात तो यह थी की उस समय का जो माहौल था उसमें सेठी साहब से कहीं ज्यादा टीना खुद उस समय की उत्तेजना और उन्माद का शिकार थी। सेठी साहब को ज्यादा कुछ करने कीजरूरत नहीं थी। एक खूबसूरत औरत आधी नंगी उनके लण्ड से सट कर औंधी लेटी हुई थी। सेठी साहब को तो सिर्फ उसका घाघरा ही उठाना था और पैंटी को निचे करके अपना लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ देना था। अगर सेठी साहब ने एक क़दम और आगे बढ़ा कर टीना के सारे कपडे निकाल दिए होते और मसाज करते हुए टीना को नंगी कर अपनी बाँहों में ले लेते तो टीना उन्हें चोदने से रोक ना पाती। बल्कि एक अभिसारिका की तरह टीना सामने चलकर अपने आप को सेठी साहब को सौंप देती। सेठी साहब को टीना का नंगा बदन पाने के लिए ज्यादा कुछ संघर्ष नहीं करना पड़ता।