साथी हाथ बढ़ाना Ch. 05

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जैसे ही माया संजयजी की आहोश में लिपट कर उनको अपने होंठ चूमने के लिए दे बैठी, संजयजी ने माया को चूमते हुए कहा, "भाई साहब किसी का भी एहसान अपने ऊपर कभी रखते नहीं है। आज उन्होंने एक बार फिर यह साबित कर दिया।"

कहने की जरुरत नहीं की मुझे और माया को समय चलते हुए बच्चे हुए। माया को एक सुन्दर बेटी हुई और मेरे एक स्वस्थ और लंबा चौड़ा बेटा हुआ। हमारे घर में फिर से उत्सव का माहौल बन गया। उसके बाद मेरे जेठजी का ट्रांसफर कहीं और हो गया और माया और जेठजी हम से दूर चले गए। पता नहीं शायद यह तबादला जेठजी ने ही करवाया था क्यूंकि शायद वह मेरे और उनके संबंधों की किसी को भनक ना लगे यह चाहते थे। मेरे जेठजी जान गए थे की अगर हमारे दोनों के परिवार एक साथ रहे तो बार बार मेरा मन जेठजी से चुदवाने को करेगा। मैं अपने आप को रोक नहीं पाउंगी और जेठजी को डर था की कहीं वह बात खुल ना जाए। माता और पिता जी को इस बात की भनक ना लगे इसी के लिए जेठजी बड़े चिंतित थे। इसी के कारण शायद उन्होंने अपना तबादला करवा दिया था। फिर भी जब हम जेठजी को मिलने जाते थे तब मैं जेठजी के साथ और माया मेरे पति संजयजी के साथ ही सोती थी। मैं और माया दोनों भाइयों की सांझा बीबियाँ बन गयीं थीं। हम उस व्यवस्था से बहुत खुश थे।

किसी कानून और पुलिस की जरुरत ही नहीं

अगर दुनिया में सभी प्यार मोहब्बत से चले।

जो हसीना का हो मन जाए उसकी बाँहों में

कभी तुम्हारी कभी मेरी भी बाँहों में पले।।

नाहो गीला ना कोई शिकवा ना कोई इर्षा

नाहो लड़ाई नाही जलना ना कोई स्वामी।

सभी गले से गले मिल के सब को प्यार करें

ना यह तेरा ना वह मेरा ना कोई बदनामी।।

क्या मिलेंगे हमारे दिल से दिल कभी ऐसे

हमारी बीबियाँ दोनों की दुलारी होंगी।

हमारे बच्चे भी होंगे हमारे दोनों के

जो है सांझी हमारी सम्पदा सारी होंगी।।

वसुधैव कुटुम्बकम।

THE END

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3 Comments
AnonymousAnonymous9 months ago

One of the best stories I had read hats of to your. You are one of the fantastic writter

xranadexranadeover 1 year ago
good one

like your hindi stories, please make them as bold as English one.

AnonymousAnonymousover 1 year ago

You are a maestro in writing such immensely erotic stories. Please don't take such long breaks.

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