मेरी छोटी ननद गीता 02

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"बहुत मस्ती भरी है.. तेरी चूची.. तेरी माँ का भी ऐसे ही थे... अब यह बताओ क्या निचे भी ऐसे ही मस्ती भरी है....?" बाबा अब सीधा उसकी होंठों को चूमता पूछा...

बेटी इतना छिनाल निकली की... "निचे कहाँ पापा? आप किस निचे की बात कर रहे है...?" इतना मासूम बन कर पूछी की बाबा को इसकी मासूमियत पर निहाल हो उठा। लेकिन बाप भी कुछ कम नहीं.. वह समझ गया की वह क्या पूछ रहा है.. गीता को मालूम है... उसने झट गीता के स्कर्ट के उपर से ही उसकी योनि को दबोचा और पुछा... "यह.. क्या यह भी मस्ती से भरी है...?"

"छी...बाबा आप कितने गंदे है..." वह शरमाते अपना मुहं बाबा की सीने में छुपाली। उस दिन ऐसे ही चेढ़ चाढ़ करते दिन बिताये। बाप बेटी दोनों ही मौके की तलाश मे थे। बेटी एक सुबह देखि बाबा के लंड की कल्पना अपने अनचूदी बुर में करने लगी तो पापा बेटी की उभरी चूत की कल्पना में डूब गया।

इसके बाद तो ऐसे हरकतें दोनों के बीच आम हो गए। एक दूसरे को देख कर मुस्कुरना, आंख दबना... ठेंगा दिखाना या जीभ निकाल कर चेढ़ना रोज मर्रे की बात होगयी।

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रविवार के सवेरे के 10.30 बजे थे। घर में गीता और उसके पापा ही रह गए है। गीता की माँ हर रविवार की तरह, इस रविवार को भी, दस बजे ही अपने दोस्तों की यहाँ किटी पार्टी में चली गई है। गीता बारह बजे की खाने की तैयारी कर रही थी।

गीता एक 20 वर्षीय जवान युवती है और स्थानीय कॉलेज से B.Sc सेकंड इयर कर रही है। दिखने में सांवली है पर उसके नयन नक्श तीखे है। B+ कप साइज के उसके दूधिया चूची तो देखने लायक है। कमर पतली और चूची के अनुपात में उसके मांसल कूल्हे। पत्तर से तराशे लगने वले जांघें और उसके बीच उभरी हुई तिकोन, तिकोन के बीचमें दो पतली लम्बी फांके। उफ़.. उसे देख कर तो किसीका भी मन यही चाहेगा की.. 'यार बस एक बार' ऐसी है गीता।

"बेटी गीता..." उसने अपने पापा की आवाज सुनी।

"जी बाबा आ रही हूँ.." वह कही, उठकर पापा के कमरे में गयी।

"बेटी... स्नान करना है... पीठ की मैल बराबर नहीं धुल रही है.. जरा पीठ मल दोगी...?"

"जी बाबा.. आप बाथरूम में चलिए मैं आ रही हूँ" वह कही और अपने कमरे में जाकर कपडे बदलने लगी। बदलते सोचने कगी की 'आज तो बाबा को पटाना ही है... आज बाबाको मैं अपना नंगापन दिखाउंगी'! वह घुटनों तक आने वाली स्कर्ट और शर्ट पहन कर बाथरूम में आयी तो देखि की उसके बाबा वहां के स्टूल पर कमर में एक सूती टॉवेल बंधे बैठे है। गीता अंदर गयी और बाबा के शरीर पर पानी डाली। दो मग पानी डालते ही उनके शरीर पर का पतला सूती टवल शरीर से चिपक गयी। गीता साबुन और स्क्रबर लेकर अपने बाबा को शरीर को मलने लगी।

पहले पीठ पर और फिर निचे को आयी। कमर के निचे साबुन लगाते समय देखि की बाबा का टॉवल बॉडी से चिपक गयी है निचे बाबा की घटीले नितम्ब और निचे उनके घटीले जांघ देख कर अनजाने में ही गीता के शरीर सिहर उठी।

आखिर वह एक 20 वर्ष की जवान लड़की है। 'कितना घटीला और स्ट्रांग है बाबा की बॉडी' वह सोची। उसका एक बॉयफ्रेंड था उसका शरीर तो इतना स्ट्रांग नहीं है। सोचती गीताने अपने बाबा की पीठ, कमर और निचे जांघें, पिंण्डलियों खूब मल मलकर धोयी। बाबा के बदन को धोते समय उसके जवान शरीर में एक अजीब सी सन सनाहट होने लगी। वह कई बार सोची की बाबाके टॉवेल के निचे हाथ दाल कर उनके नितंबों पर भी साबुन लगाये लेकिन अपने आपको संभाली।

इतने मे बाबा ने स्टूल पर से उठकर पैरों पर सबुन लगाने झुके। गीता ने देखि की जैसे ही बाबा आगे को झुके उनकी गांड की दरार कुछ चौड़ा हो गयी है। उस दरार को देख गीता के मन में एक छिछोरा ख्याल आया। वह अपने आप में मुस्कुराते गीली टॉवल को नितम्बों के ऊपर उठायी और बाबा की नितम्बों की दरार में अपनी तर्जनी ऊँगली घुसादी।

"हेय....गीता यह क्या कर रही हो..."? बाबा ने पुछा।

"क्या कर रही हूँ बाबा...?" और अपनी ऊँगली को जोर लगाती पूछी।

उसके स्वर में मजाकिया पन देख कर पाप समझ गए की अपनी बेटी जान बूझ कर गांड में ऊँगली क्र रही है।

हरामी बाप भी अपने पे आगया और कहा... "गांड में ऊँगली क्यों कर रही है..? हहाहाहाः ऐसे मत कर....ममममम..."

"क्यों...? क्या हुआ बाबा...?" कही और कुरेदने लगी।

"ससस...ममम... नहीं बेटी.. नहीं.. गुद गुदी होती है..."

अब गीता सामने की तरफ आयी... और अपने बाबा को देखते कही... "जब आप मुझसे ऐसे करते है तो मालूम है मुझे भी ऐसे ही लगती है.. गोद में बिठाकर अपना वहां चुभाते हो.... दो दिन पहले अपने क्या किये हो मालूम.. मेंरी पेंदे को पैलाकर एक ऊँगली से मेरी गुदा को खुरेद रहे थे... है की नहीं...?" वह पूछते पूछते बाबा की टॉवल निकला दी।

उसने देखा की बाबा का पूरा तनकर कड़क होगया है... और रह रहकर झटके खा रही है।

उसे देखते ही उसके मुहं में पानी आया... उस पानी को गटकते गीता बोली... "बबा कितना लवली है आपका यह... जी चाहता है की चूमूँ..." वह बोली।

"अगर दिल चाह रहा है तो चूमो बेटी.. यह तुम्हारा ही है..."

"जाओ बाबा आप.. झूट बोल रहे है... यह मेरा कैसा हो सकता है.. यह तो माँ का है..." बाबा के चढ़ को मुट्ठी में बांध कर पूछी।

"तुम्हारा माँ का था.. अब नहीं है....अगर तुम चाहो तो यह तुम्हारा हो सकता है..."

"क्या बाबा..सच में यह मेरा हो सकता है..."

"हाँ बेटी.. तुम्हारा ही है... तुम चूमना चाहती थी न.. चूमो..."

"वैसे बाबा आप माँ के साथ कमरे में क्यों नहीं सोते...?"

"पगली कहीं की.." बाबा अपने बेटी के गलों को पिंच करते बोलै... "यह सब बडों की बातें है..वैसे अब तुम भी बड़ी होगयी हो.. बताऊंगा.. लेकिन अब नहीं.... पहले उसे चूमो..." कहते उसने बेटी को घुटनों बल बिठाया।

गीता के मन में अजीब अजीब विचार आरहे थे जैसे जैसे वह साबुन लगा रहि थी उसके मम्मे बहूत ही मदक ढंग से हिल रहे थे। बेटी की दुद्दुओं को हिलते देख कर उसके बाबा के जांघों में सुर सूरी होने लगी। अपने बाबा की छाति और पेट पर साबुन लगाने के बाद वह टांगों पर लगाने के लिए अपने पैरों पर बैठी। जैसे ही वह बैठी उसके स्कर्ट खुल गायी और बाबा को स्कर्ट के अंदर अपनी 20 वर्षीय बेटी की जवानी; नंगी और चिकनी उभार और दो फुली फांके दिखी। बाबा की हालत और ख़राब हो गयी। एक बार एक आंख उठाकर बाब की हालत देख गीता अपने आप में मुस्कुरायी।

"ह्ह्हह्हआआ... क्या मस्त और चिकनी है मेरी बेटी की बुर' बाप सोचते हुए, बेटी की बुर को देखने लगे। गीता यह देख मुस्कुरायी और मुस्कुरते पूछी.. "बाबा... अच्छी है....?" पूछी।

उसके पिता गभरागाये और पूछे... "क्या...?"

"जिसे आप देख रहे हैं.. वहीँ..." बाबा जे आंखों में देखकर मुस्कुरायी।

बेटी की मुस्कराहट देख कर बाबा को हिम्मत आयी और बोले "बहुत अच्छी है..देख करदिल नहीं भर रहा है..."

"अच्छा तो क्या करने का इरादा है..?"

"मुझे भी उसे खाना है...खिलाओगी....?"

"वह तो आपकी है बाबा..." कहते बेटी ने अपना स्कर्ट उखाड फेंकी। अब उसकी फुली, फुली चिकनी बुर बाबा के सामने थी।

"चलो एक काम करते हैं... जल्दी से नाहा लेते हैं और बैडरूम में एक दूसरे को खाएंगे... ठीक..." बाबा अपनी बेटीसे बोले। वह झट अपना शर्ट भी निकल फेंकती है और आकर बाबा के गोद में बैठती है। फिर क्या था... दोनों बाप बेटी को अपना मुराद पूरा होती दिखी। दोनों झट पट नहाकर कमरे में आगये।

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कमरे में बेड पर बैठते ही बेटी गीता छाव के साथ बाबा के डंडे को मुट्टी मे दबाकर इधर उधर घुमाते देखने लगि।

"क्यों गीता.. पसंद आया...?"

"बहुत पसंद आया है बाबा.. कितना लम्बा है यह.. मोटा भी जयदा ही है..."

"बेटी क्या तुमने किसी का देखि हो...?"

"हाँ बाबा... मेरा एक बॉय फ्रेंड था.. उसका तीन चार बार देखि हूँ..."

"क्या उस से कराई भी हो...?"

"छी... बाबा आप कैसे गंदी बातें कर रहे हो... मैंने तो दो तीन बार उसे मुट्ठी में पकड़ी थी.. बस.. वह भी उसने जबरदस्ती पकड़ाया था..."

फिर गीता बाबा के डंडे को चूमने लगी.. पहले ऊपर के सुपाडे को.. फिर पूरे लम्बाई पर चुम्बनों का बौछार लगाने लगी।

"बेटी उसे मुहं में लो.. Lollypop की तरह चूसो उसे...?" बाबाने अपने बेटी का मुहं लंड पर दबाते बोला।

"छी बाबा.. नहीं.. वह गन्दी है... वहां से आप सुस्सू करते है..."

"अरे पगली.. तू एक बार चूसके तो देख.. अच्छा न लगेतो छोड़ देना ठीक... चूस ..मेरी गुड़िया.. चख अपने बाबा का लंड का स्वाद..."

"ओह बाबा.. आप गंदे बातें भी कर रहे हैं..."

"जिंदगी ही गंदे बातों में और गंदे कामों में है बेटी... तू अभी नहीं समझेगी .... बस एक बार चुद गयी तो इस गंदे कामों का मजा आजायेगा... चल पहले तो चूसले..."

फिर बाप बेटी एक दूर को चूसते चाटते एक दूर को पिंच करते मौज करते है।

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अपने बाबा को रिझाने के लिए गीता ने एक अपनी पुरानी स्कूल यूनिफार्म स्कर्ट और शर्ट पहनी। स्कर्ट और शर्ट पुराने थे तो वह साइज में भी छोटी होगये है। वह स्कर्ट आधे से ज्यादा जांघों को बहिर्गत कर रही है। और उसके शर्ट भी इतना तंग थी की उसके बड़े बड़े उभारों को छुपा नहीं पा रही थी। उसे देख कर गीता के बाबा अपने आप को रोक नहीं पाए।

"बाबा कैसा है यह ड्रेस..." गीता अपने बाबा से पूछती है। 20 वर्ष की बेटी की जवानी देख कर पिता पागल सा हो गया। उसने अपने हाथ फैलाया तो गीता अपने बाबा के बाहों में आगयी। बाबा ने बेटी के गद्देदार चूतड़ों को दबाता उसे चूम रहा था। बेटी गीता बी कुछ काम नहीं थी। वह अपने शर्ट के घुंडीया खोलकर अपनी चूची को बाबा के मुहं में ठूँसती है...। बाबा उसके चूची को जोर से चूसता है तो बेटी.. मदहोश होकर "हाहाहाःहाहा...बाबा.. हाहाहा" कहती बाबा के सर को अपने चूची पर दबती है।

बाबा बेटी कि कुल्हे दबाता और चूची को चूसते रहता है तो बेटी बाबा के बालों में प्यार से हाथ फेरती है। बाबा जब गीता के स्कर्ट के अंदर हाथ डाला तो वह चकित रह गया। गीता अंदर पैंटी भी नहीं पहनी थी। बाबा ने समझा की गीता की यह हरकतें जरूर हेमा ने ही सिखाई होगी। उसीने गीता को पाठ पढ़ायी होगी की बाबा से चुदाने का मजा हि कुछ अलग है... "हेमा थैंक्स..." वाह अपने आप में हेमा को थैंक्स बोला।

बाबा जब अपने बेटी के स्कर्ट के निचे हाथ डाला तो उसके कूल्हे नंगा पाकर उस मालयम कूल्हों पर हाथ फेरते, दबाते और उसके गांड की दरार में उँगलियाँ फेर रहा था।

"आआह्ह्ह्ह.. बाबा.. ससस.. यह क्या कर रहे हो...?" मस्ती भरी आँखों से वह अपने डैड को देखते पूछी।

"मैं अपनी बेटी की गांड की दरार में ऊँगली दाल रहा हूँ बेटी ताकि तुझे मस्ति चढ़े.. क्यों.. अच्छा नहीं लगा...?"

बहतु अच्छी है बाबा.. वैसे ही करिये..."

वह उसके गांड में ऊंगली करते और उसके दुद्दू चुभलाते मस्त हो रहा था। उसका लंड अकड़कर.. इस्पात की चढ़ बन गयी है..."

बेटी अब रहा नहीं जाता.... अब चोदने दो..."

मैं कब मना कर रही हूँ बाबा.. आप ही तो मुझे मस्ती चढाने की बात कर रहे है.. मुझे तो पहलेसे ही मस्ती छड़ी है,... आपके हर रोज के हरकतों से क्या मस्ती नहीं चढ़ी होगी.. चलो.. मैं भी उत्सुक हूँ आप से मेरी सील तुड़वाँने के लिए" कही और बिस्तर पर की चित लेट गयी।

उसके स्कर्ट उसके नितम्बों के निचे दबी है तो शर्ट के सारे बटन खुले थे और दोनों चोर इधर उधर पड़े थे।

गीता के बाबा की लुंगी बिस्तर के निचे पड़ी है जब की उसका टी शर्ट अभी भी उसके शरीर पर है। गीता अपने पैरों को को फैलाकर पड़ी है। बाबा बेटी की मुलायन जांघों पर हाथ फेरता उसके खुले जांघों में आया। वह अपना आठ इंच कड़क लंड हाथ में पकड़ कर उसके टोपा बेटी की बुर की दरारों के बीच रगड़ रहा था।

गीता अपने सांस रोक कर बाबाको अपने मे प्रवेश केलिए इंतजार कर रही थी। गीता बहुत गरमा चुकी है और उत्सुक थी की अपने बाबा का एक ही बारे में पूरा का पूरा अपने मे समालेने के लिए।

अपने सुपाड़े को बेटी फांकों पर रगड़नेके बाद हरामी पिता अपनी बेटी की आँखों में देखता बोला "बेटी गीता... मैं अंदर डाल रहा हूँ..." कहा और अपनी कमर को निचे की ओर दबाया।

"हाँ बाबा मैं उसी का इंतजार कर रही हूँ... डालिये.. आजकल उसमे कुछ ज्यादा ही खुजली हो रही है... चोदिये मुझे.. डालो अंदर..." बेटी जोश में आकर बोलते अपनी कमर को ऊपर उछाली।

ठीक उसी समय गीता के पिता ने एक जोर का दक्का दिया.. "Sssssshhhh... hhhaaaa... hhhhaaaaahhh" वह एक दर्द और मीठी सिसकार ली। लगभग आधा लावड़ा गीता के तंग बुर में अड़स गई है। "हाहाहाहाहा... वह एक बार और सीतकार करि और अपने जांघों को टाइट करि। साथ ही साथ गीता ने अपनी बुर के मांस पेशियों को भी अपने बाबा के लंड की गिर्द टाइट करि।

"मममममम म.. बेटी क्या टाइट ग्रिप है.... हहहहहहहहहहहहहह.... वैसे ही जकड के रखो.. क्या मस्ती भरी है' तेरी बुर देखो कैसे दबा रही है मेरे लवडे को..." कहते हुए एक और शॉट अपनी बेटी बुर में दिया।

"बाबा मेरा ऐसा करना आपको अच्चा लगा ..." बेटी अपनी गांड उछालती पूछी।

"यस स्वेत हार्ट... it is so...so...goooooooooooooood..." .

"MMMMaaaha..."

अंदर बाहर .. अंदर बाहर .. बाबाका जॉय स्टिक उसके अंदर होते उसके चूत के मांस पेशियों को रगड़ते उसे आनंद दे रही थी। .

"papajeeee..." she called raising her bum up.

"बाबा..." गया ने अपनी गांड उठाते बुकयी।

"बोलो बेटी..."

"आप अपने गन्ने को क्या खाद देरहे है पापा.. जो इतना बड़ा और मोटा है... आप जब भी मुझे गोद में बिठाते हर बार यह और मोटा महसूस होती वह अपने डैड के लिए कमर उछलते पूछी।

"हां..हां..हह..." बाबा ठहाका लगाया हऔर बोला "वह इसलिए की मैं इसे किसी की बुर के रस में डुबाके रखता हूँ..."

"अच्छा तो वह किसकी बुर की रस है,,.." बेटी पूछी।

"मेरी प्यारी सुन्दर बहु हेमा की... और किसकी..."

"बाबा आप.. आप.. भाभी को..." वह आश्चर्य से बोली।

"हाँ बेटी.. तुम्हारी भाभी ही.. उसी ने मुझे नया जीवन दिया है.. नहीं तो मैं तुम्हारी मम्मी से तंग आकर suicide करने को सोच रहा था।

"kyaaaa...."

"हाँ बेटी.. मैं इतना निराश होगया था की तुम्हारी भाभी ने ही मुझे सम्भाली..." वह भावुक होकर बोला।

उसके बाद बाप ने बेटी को जोर जोरसे चोदने लगा।

"हाँ .. बाबा.. वैसे ही चोदिये अपनी बेटीको मजा आरहा यही.. ओह बाबा आने पहले क्यों नहीं चोदे मुझे.." बोलते गीता अपने बाबा के हर शॉट के साथ अपनी कमर उछलने लगी। इस तरह एक दूसरे को चोदते वह 20 मिनिट तक चुदते रहे और फिर बाबा ने बेटी से पोछा "बेटी क्या तुम सेफ पीरियड में हो...?"

"हाँ बाबा.. "

तो मैं तुम्हारे अंदर छोड़ रहा हौं.. छोड़ूँ..."

"हाँ बाबा .. छोड़िये.. मेरी बुर को आपका अमृत रास पिलाइये" कहते वह भी झड़ी।

चार पांच दकके देकर बाप भी बेटी के अंदर अपना गर्म मदन रस छोड़ा, फिर दोनों सुस्त होकर पड़े रहे।

तो दोस्तों यह थी मेरी छोटी ननद गीता की अपने बाबा से चुदाई का किसा ..कैसा रहा आप अपने कमेटं में लिखे; और पढ़ने के लिए धन्यवाद।

अब रोकती हूँ फिर मिलेंगे..

आपकी चहेती

हेमा नंदिनी।

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AnonymousAnonymous3 months ago

Mai 11 sal ki umar se chudwa rehi hoo, sab se pehle padosi KAKA ne mujhey pata kar lauda sahlwaya, fir jibh se chatwaya, muh mei le kar chuswaya. Wo 63 sal ke the. mai to pas se pahli bar lauda dekhi thi, darr bhi lagta tha 8.5 inchi andar kaise jayega. wo koyi creem ya tel nahi lagana chahte the.Dard huwa aur bohot der huwa, lekin unhone garam garm mal andar hi choda. Kuch din bad to wo ek din mei 3-4 dar chodte, fir unke 3-4 dosto ko bhi prasad milne laga -- Mohini

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