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Click hereन्यूड सिस्टर पोर्न कहानी में पढ़ें कि हमारे घर में बाथरूम नहीं है, आँगन में नहाते हैं. मेरी बहन मेरे सामने सिर्फ पेंटी में नहा लेती थी. एक दिन दीदी ने मेरा लंड देख लिया.
फ्रेंड्स, कैसे हो आप सब! मैं शिवेन उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. मेरा एक बड़ा सा घर है, जिसमें हमारा परिवार रहता है.
मेरे परिवार में मेरे माता पिता के साथ चार बड़ी बहनें, एक बड़ा भाई और मैं हूँ. मैं सबसे छोटा हूँ.
बात 2016 की है, तब तक मेरी दो बहनों की शादी हो चुकी थी और दो अविवाहित थीं. छोटी बहन बड़े भाई के साथ बाहर रह कर पढ़ रही थी. वो भाई के साथ रह कर उसके खाने आदि का प्रबंध करती थी.
मैं अपने बारे में बताऊं तो मैं अभी पूरा गबरू जवान हूँ. शरीर भी ठीक ठाक है. कद 6 फीट का है. और पाठिकाओं की उत्सुकता के लिए बताना चाहूँगा कि मेरे लंड का साइज साढ़े छह इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा है.
यह सेक्स कहानी मेरी तीसरे नंबर की बहन की है, जिसका नाम दिव्या है.
उसकी हाईट 5 फुट 3 इंच है. गेहुंआ रंग है और जिस्म के कटाव के बारे में बताऊं, तो उसके 36 साइज के एकदम गोल चुचे हैं, कमर 30 की और उसकी गांड भी एकदम गोल मटोल 38 इंच की है.
दिव्या दीदी दिखने में गजब की सेक्सी लगती थी. 2016 में मैं जवान हो गया था और 12वीं क्लास में था.
एक दिन जब मैं स्कूल से घर आ रहा था तो मैं साइकल लेकर आते समय नाले में गिर गया था. किसी तरह से नाले से निकल कर घर पर आया तो उस समय दीदी नहा रही थी.
हमारे घर में बाथरूम नहीं है तो वो आंगन में नहा रही थी. गांव में हमारा पुराना सा बड़ा घर बंद सा है. दीदी घर का गेट बंद करके नहा रही थी.
मैं घर में आया तो घर पर उस समय कोई भी नहीं था. मम्मी पापा बाहर खेतों में काम देखने निकले हुए थे. मैंने गेट की कुण्डी को बजाया तो दीदी ने पूछा- कौन है?
मैंने बताया- मैं हूँ दीदी. वो बोली- मैं नहा रही हूँ, तू रुक जा अभी.
मैंने दीदी से कहा- दीदी, मैं नाले में गिर गया था, मुझे चोट लगी है और कीचड़ भी लगा है. दीदी जल्दी से तौलिया लपेट कर आई और उसने गेट की कुण्डी को खोला.
उसने खुद गेट के पीछे रह कर आधा दरवाजा खोला और मुझे अन्दर बुला लिया. मैं साईकिल लेकर अन्दर आ गया.
दीदी ने गेट बंद किया और तौलिया हटा कर वापस नहाने की जगह चली गई.
हमेशा से दीदी सिर्फ़ पैंटी में नहाती थी. मैंने हमेशा से दीदी को ऐसा ही देखा है. न्यूड सिस्टर मुझसे शर्माती नहीं है.
मुझे भी चुदाई का, सिस्टर पोर्न का कोई आईडिया नहीं था या किसी लड़की के जिस्म के बारे में मैं कुछ ख़ास नहीं समझता था क्योंकि मैंने ऐसा अनुभव अब तक कभी नहीं लिया था.
दीदी ने देखा कि मैं कीचड़ में काफ़ी गंदा हो गया हूँ. वो बोली- साइकल खड़ी करके इधर आ!
मैं साइकल पर बैग रख कर दीदी के पास आ गया. दीदी ने मेरी ड्रेस उतार दी और धोने के लिए एक तरफ रख दी.
उसने पूछा- ये सब कैसे हुआ? मैंने कहा- दीदी, मैं नाले में गिर गया था.
दीदी ने पूछा- हां, वो तो तूने बताया था, पर ये बता कि कहीं चोट तो नहीं लगी है? मैंने ना बोल दिया.
दीदी ने बोला- ठीक है, पहले नहा ले, फिर अन्दर जाना. मैं दीदी के पास ही बैठ कर अंडरवियर में पानी डालने लगा.
मुझे नहाते हुए सुसु आ गई तो मैं दीदी की तरफ पीठ करके मूतने लगा.
दीदी बैठ कर देख रही थी, वो बोली- मैं नहला दूँ? तो मैंने मना कर दिया, पर पता नहीं क्यों मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मैं नहाने के बाद उठा तो मेरा खड़ा लंड देखकर दीदी मुस्करा दी और बोली- ये तेरी नुन्नू को क्या हो गया? मैंने कहा- पता नहीं दीदी, कभी कभी ऐसा हो जाता है.
दीदी बोली- दिखा ... मैं देखूं! ये कहते हुए दीदी ने मेरा अंडरवियर खींच कर निकाल दिया.
मैंने दीदी से कहा- दीदी, मुझे शर्म आ रही है. दीदी बोली- अपनी बहन से कैसी शर्म?
मेरे लंड को दीदी हाथ में लेकर फैंटने लगी और बोली- तू तो पूरा जवान हो गया है. अब तेरी नुन्नु तो लंड बन गई है. दीदी के मुँह से लंड सुन कर मुझे कुछ अजीब सा लगा.
मगर मैं बस दीदी के हाथ से अपने लंड को सहलवाने का मजा लेता रहा. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था.
जब दीदी मेरे लंड को फैंट रही थी तब उसकी आंखें मेरे लंड पर ही लगी थीं और मेरी आंखें उसके थिरकते हुए मम्मों पर लगी थीं.
एक तरह से दीदी ने मेरी मुठ सी मारना शुरू कर दी. मेरा लंड एकदम से सख्त हो गया था. मेरे लंड ने दो मिनट में ही सफेद गाढ़े माल की पिचकारी मार दी जो दीदी की चूचियों पर जाकर गिरी.
दीदी के ब्वॉयफ्रेंड थे, उन्हें एक साथ मैंने भी देखा था. उस वक्त वो दोनों कुछ कर रहे थे पर मैंने ये ज़्यादा नहीं देखा था.
कहने का आशय ये कि मेरी दिव्या दीदी को सेक्स की फुल जानकारी थी. फिर मैंने दीदी से तौलिया लेकर अपना शरीर पौंछा और अन्दर आ गया.
कपड़े पहने और खाना लेकर खा लिया. फिर लेट गया.
तभी दीदी नहा कर आई, उसने कपड़े पहने हुए थे. दीदी ने मुझे उठाया और हंस कर पूछा- अब तेरा नुन्नू कैसा है?
मैंने कुछ नहीं कहा.
दीदी बोली- चल कोई बात नहीं, मैं खुद देख लेती हूँ. शायद मेरा बड़ा लंड देखकर दीदी की हवस जाग चुकी थी.
दीदी ने मेरी निक्कर नीचे की जिसमें मेरा लंड सोया हुआ था.
उस समय दीदी ने ब्रा पैंटी के ऊपर काली नाइटी पहनी थी, वो अपने बाल सुखा कर आई थी. उसने हल्की पिंक लिपस्टिक लगाई हुई थी और बाल ऊपर करके बांध रखे थे.
पहले दिव्या दीदी ने गेट बंद किया, फिर मेरे बगल में लेट कर मेरे लंड को सहलाने लगी. मेरा लंड थोड़ी देर में खड़ा हो गया.
मैंने दीदी से कहा- दीदी, ये क्या कर रही हो? दीदी ने बोला- जो परेशानी तुझे बाहर हो रही थी, वो तुझे बार बार नहीं होगी. इसका इलाज करना पड़ेगा.
मैंने कुछ नहीं कहा. मुझे मज़ा आने लगा.
कुछ ही देर में दिव्या दीदी में लंड खड़ा कर दिया. मैंने ये सब पहले नहीं किया था क्योंकि मैं बाहर किसी से इस बाते में ना तो बात करता था और ना ही कोई मुझसे बात करता था इसलिए मुझे कुछ नहीं पता था.
अब शायद दीदी भी गर्म होने लगी थी. दीदी ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया.
मैं मज़े में पागल होने लगा था. दीदी ने अपनी नाइटी उतार कर फेंक दी.
मैंने देखा कि दीदी ने नीचे रेड कलर की ब्रा पैंटी पहनी थी. दीदी का बदन सफेद दूध की तरह चमक रहा था. दीदी ने ब्रा और पैंटी भी उतार कर फेंक दी. वो मुझे अपनी चूची चूसने को बोल रही थी.
मैं- दीदी, क्या बोल रही हो? वो जबरदस्ती दूध पिलाने लगी, अपने बूब्स दबवाने लगी.
मैंने दीदी को पहली बार पूरी नंगी देखा था. दीदी और मैं अब पूरी तरह से गर्म हो चुके थे. दीदी ने मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और कहा- अपने इस लंड को मेरे इस वाले छेद में डालो.
इस तरह दीदी ने खुद अपने आप चुदाई की शुरुआत की थी.
मैं- दीदी मैं कैसे डालूँ?
दीदी ने मुझे नीचे लिटाया और मेरे खड़े लंड पर अपनी चूत को सैट करके मेरे ऊपर बैठ कर दबाने लगी. मेरा लंड एक बार में अन्दर घुस गया पर मुझे थोड़ा दर्द हुआ.
मेरे लंड में ऐसा लगा जैसे खाल फट गई हो.
दरअसल मेरी लंड की सील खुल गई थी. वो मेरा फर्स्ट टाइम था.
दीदी तो पहले ही अपनी चूत में लंड ले चुकी थी इसलिए उसे कुछ ज्यादा तकलीफ नहीं हुई.
दीदी ज़ोर ज़ोर से गांड हिलाती हुई चुद रही थी, मादक सिसकारियां भर रही थी. साथ ही वो अजीब अजीब सी आवाज निकाल रही थी 'अहह ह्म्म्म मांआ ...' दीदी ऐसे करते हुए मेरे सीने पर सर रख कर निढाल हो गई.
मुझे अपने लंड पर गर्म गर्म सा लगा. मैंने भी दिव्या दीदी की चूत में पानी छोड़ दिया.
दीदी मेरे ऊपर पड़ी रही और वो मुझे किस कर रही थी, जीभ से मेरे निप्पल चाट रही थी. मैंने भी दीदी को अपनी बांहों में भर लिया.
दीदी ने कहा- मजा आया? मैंने कहा- हां, शरीर एकदम हल्का सा लगने लगा है.
वो बोली- इसे चुदाई कहते हैं. जानता है? मैंने कहा- हां, मैंने रज्जू के साथ तुम्हें ये सब करते देखा था.
दीदी बोली- अब मैं उसके साथ चुदाई नहीं करूंगी. अब तू ही मेरे साथ ये सब करना. और किसी से इसका जिक्र भी मत करना. अपने दोस्तों से ख़ासतौर पर बिल्कुल भी नहीं. समझ गया? मैंने कहा- हां ठीक है.
ये न्यूड सिस्टर पोर्न वाकिया एक बार हुआ तो दीदी ने अपने बदन की प्यास बुझाने का साधन मुझे बना लिया था. अब वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से भी नहीं मिलती थी.
दीदी मेरे साथ रात को हमेशा अपनी गर्मी बुझाने आ जाती. पापा मम्मी अक्सर खेत पर बने कमरे पर सोने लगे थे. ऐसे ही समय निकलता गया.
ऐसे ही मैंने अपना स्कूल खत्म किया और ग्रॅजुयेशन में बीएससी में दाखिला ले लिया. मुझे चुदाई का पूरा अनुभव हो गया था. मैं बीस साल का और दिव्या दीदी तेईस साल की हो गई थी.
हम दोनों ऊपर वाले कमरे में सोने लगे थे, पढ़ाई का बहाना रहता था. फिर मम्मी पापा भी खेत पर सोते थे तो कोई दिक्कत नहीं थी.
दीदी अब और भी हॉट व सेक्सी हो गई थी. मैं अब हमेशा ही दीदी के साथ ही सोता था.
सर्दी का टाइम था, वो शनिवार की रात थी. उस दिन कमरे में दिव्या दीदी बोली- यार शिवेन, आज दारू पीते हैं ... देखते हैं कि मज़ा आता है या नहीं. जाकर ले आ. सिगरेट भी ले आना.
मैंने ओके कहा और शॉप पर चला गया, ओल्डमोंक की रम की बोतल ले आया. साथ में एक विल्स की डिब्बी ले आया. मुझे दीदी ने अन्दर लिया और गेट बंद कर दिया.
दीदी ने महफिल का सारा इंतजाम कर रखा था. वो खाना पानी रूम में ले आई थीं. दीदी ने पनीर की सब्जी बनाई थी.
दिव्या दीदी ने गर्म टी-शर्ट और लोवर पहना हुआ था.
दीदी ने खाना लगाया, मैंने पैग बनाए. पहला पैग कड़वा लगा, उसके बाद चखना खाया.
धीरे धीरे तीन पैग ले लिए. हम दोनों को अच्छा ख़ासा नशा चढ़ गया था.
दीदी सिगरेट फूँकती हुई बोली- सच में यार मज़ा आ रहा है. मन कर रहा है नंगी नाचने लगूँ? मैंने भी धुंआ उढ़ाया और बोला- दीदी, रोक कौन रहा है?
दीदी बोली- चल, फिर तू भी कपड़े निकाल ... अपन सुहागरात मनाते हैं. मैंने अपने कपड़े निकाल दिए और रज़ाई में घुस गया.
दीदी ने भी अपने कपड़े निकाल दिए. वो भी रज़ाई में आ गई.
मैंने ब्लू फिल्म लगाई. हम दोनों ने 10 मिनट देखी. फिर मैं दिव्या दीदी के ऊपर टूट पड़ा. पता नहीं क्या हो रहा था.
दीदी ने देर तक किस किया. कभी मैं उसकी जीभ चूसता, कभी उसके होंठ काटता. गर्दन पर चूमता.
फ़िर मैंने उसकी चूचियों को खूब मसला, दबाया, काटा, चूसा. दीदी एकदम गर्म हो गई थी. बार बार लंड मांग रही थी.
मैं आज फुल मूड में था. मैंने रज़ाई में 69 की पोजीशन में दीदी की चूत पर मुँह रख दिया और छेद में जीभ घुसा कर दाने को चाटने लगा.
दीदी मेरे लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी. ऐसा करते करते दस मिनट में हम दोनों ने एक साथ पानी छोड़ दिया ओर लेटे रहे.
जब तक मेरा लंड खड़ा नहीं हो गया, दिव्या दीदी मेरे लंड को चूसती रही. लंड खड़ा होने के बाद दीदी की चूत को मैंने ऐसा चोदा कि उसका सारा नशा उतार दिया.
दीदी चुदते हुए ज़ोर ज़ोर से आहें भर रही थी. दीदी 'अहया एयाया हम्म्म आयेए आह ...' करती हुई पानी छोड़ने लगी.
मेरा लंड दीदी के पानी से गीला हो गया था. मैंने कहा- दीदी, मेरा पानी भी निकलने वाला है.
दीदी बोली- आज मैं तेरे रस को पीऊंगी राजा. मैंने चूत से लंड निकाला और दीदी के मुँह में डाल दिया.
उसने लंड पकड़ा और मुँह में लेकर आगे पीछे करने लगी. तभी एकदम से पानी निकला और उसके गले से नीचे उतरता चला गया.
हम दोनों नशे में नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर सो गए.
दीदी की अब शादी हो गई है. अब मुझे चूत चोदने को नहीं मिलती है.