महारानी देवरानी 003

Story Info
राजकुमार बलदेव
1.3k words
4
55
00

Part 3 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

महारानी देवरानी

अपडेट 3

उसके बाद राजा राजपाल अपनी आयी रानी देवरानी को ले कर अपने राज्य घाटकराष्ट्र आ जाता है जहाँ उसे समाज या घरवालों के ताने सहने पड़ते हैं क्योंकि उसने नियम का उल्लंघन कर दुसरा विवाह कर लिया था । उसकी पहली पत्नी सृष्टि उससे वचन लेती है कि वह पहले सृष्टि को प्रथमिकता देगा उसके बाद दूसरी पत्नी देवरानी को।

सृष्टि ने साफ कर दिया था और इसी शर्त पर उसकी दूसरी शादी स्वीकार की थी की उसके आज्ञा के बिना राजा देवरानी के पास ना जाए । मजबूरन वह उसकी बात मान लेता है । इधर देवरानी को इस विषय पर पूरी खबर उसकी दासी कमला देती है और देवरानी ओर जैसे पहाड़ टूट पड़ता है।

।उधर राजा रतन अपने राज्य को बढ़ाने में लग जाता है और युद्ध में न चाहते हुए भी राजा राज पाल को जाना पड़ता था । इसलिए राजा राज पाल का बहुत कम समय अपने राज्य में बीतेता था, दीन रात युद्ध करने के वजह से उनको शराब की लत लग गई और उन्हें कभी-कभी ही अपने महल में रहने का सौभाग्य मिलता और तब रानी सृष्टि राजा-राजा राज पाल को नहीं छोड़ती थी और उनके साथ राज विलास और भोग में लिप्त रहती थी । वह बहुत हम समय हु राज राजपाट को अकेला छोड़ती थी । इस कारण रानी देवरानी राजा से मिलन के लिए तड़पती हुई जीवन यापन करने लगी।

अपनी पहली पत्नी के भनक लगे बिना चोरी छिपे राजा राज पाल अपनी नयी कमसिन रानी देवरानी से 6 महिनों में मुश्किल से एक या दो बार छिप-छिप कर मिलाप कर लेते थे। इस विवाह के समय हुई सुहागरात के 9 महीने बाद पारस की राजकुमारी या घाटकराष्ट्र की रानी, रानी देवरानी ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया जिसका नाम रखा गया बलदेव सिंह।

18 साल बाद महल में आज शुद्ध घी के दिए जलाये गए । हर तरफ खुशी का माहौल था। हो भी क्यू ना आज राजकुमार बलदेव सिंह का 18वा जन्मदिन जो था या आज वहअपने पिछले पांच वर्ष शिक्षा ग्रहण कर अपने गुरु के आश्रम से वापिस महल आया था।

अब राजा राज पाल की आयु लगभग 58 वर्ष हो गई थी ।राजा राज पाल की पहली पत्नी सृष्टि के आयु अब लगभग 48 वर्ष की थी पर लम्बाई कम होने के कारण वह कम आयु की लगती थी। अभी भी उनका बदन ढला नहीं था पर जहाँ सब बूढ़े हो रहे वही देवरानी दिन बा दिन जवान होते जा रही थी, देवरानी अब लगभाग 35 वर्ष की हो गयी थी और 5.10 ही लम्बाई वाली पतली छर्हरी राजकुमारी ने अब एक लम्बे कद की स्त्री का रूप प्राप्त कर लिया था, देविका के वक्ष संभाले नहीं संभालते थे जो 44 DD साइज के दो बड़े गुब्बारे की तरह चलने पर हिलते थे ।

पतली कमर उन पर दो बड़े-बड़े दृढ स्तन और दो मटके की तरह गोल नितम्बो के साथ लम्बे कद की रानी देवरानी और उसके ऊपर से दूध जैसा रंग जिसे देख सिपाही से ले कर पंडित तक आहे भरते थे । फिर आज देवरानी ने गहरे लाल रंग का ब्लाउज और साड़ी पहनी थी । उनका ब्लाउज इतना टाइट था कि जब भी देवीरानी चलती थी उनके स्तन दो पानी से भरे गुब्बारे किसी शराबी की तरह लड़खड़ाते हुए हिलने लगते थे ।

देवरानी पूजा की थाली तैयार कर रही थी तब उसकी दासी कमला आयी और उसे कहने लगी "महारानी युवराज आ गए!"

इतना सुनते ही देवरानी खुशी के मारे भर गयी और थाली ले कर दरवाज़े पर चली गयी और उनकी नज़र सीधे युवराज पर पड़ी जो अपने पिता राजा राजपाल से गले मिल रहा था।

देवरानी अपने युवा पुत्र को काई वर्षो बाद देख रही थी । उसे देख उनकी आँखे एक दम पत्थर कि तरह जम गयी है और मन में बोल रही थी " कितना बड़ा हो गया मेरा युवराज मेने इसका नाम बलदेव सही रखा था कितना ऊंचा लंबा और चौड़ा हो गया है। फिर भी कितना हसमुख है। अरे इसने तो मूंछे भी रख ली है, (तभी बलदेव अपनी मूंछो पर ताव देता है) देखो कैसे मूंछो को ताव दे रहा है जैसे कहीं का महाराजा हो। इसे देख कर कौन कहेगा के ये केवल 18 वर्ष का है, दिखने में 30 वर्ष का पूरा पुरुष राजा लग रहा है।

"ऐसे अपने पुत्र को देखते देख उनकी आँखों में पानी आ जाता है । बलदेव भी अपनी माँ को देखता है और बलदेव का भी अपनी माँ की प्रति स्नेह छलक जाता है और अपने पास खड़े अपने पिता या बड़ी माँ की तुलना अपनी माँ से करता है" मेरी माँ तो इन दोनों के सामने दोनों की बेटी लग रही है, ऊपर उसके तीखे नयन नक्श, चमकटी हुई त्वचा, उसके आला लम्बा पतला गठीला बदन, लम्बी कद काठी, मेरी माँ को देख कर कोई ये नहीं कह सकता कि ये मेरी माँ है, कोई अनजान लोग देखें तो सभी सोचेंगे मेरी छोटी बहन है आज भी इनकी आयु 25 से ज़्यादा नहीं लगती।"

तभी राजा राज पाल दोनों को टोकते हुए कहते हैं-

राजा राज पाल: भाग्यवान दोनों माँ या पुत्र ने एक दूसरे को देख लिया हो तो आगे की कारवाई की जाए! बलदेव अपनी माँ के चरण छुओ।

बलदेव तूरंत अपने माँ के पास जा कर उनके सुंदर पैरो को स्पर्श कर देवरानी से आशीर्वाद प्राप्त करता है ।

पूजा कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा, पूजा खत्म होने के बाद सभी उठ कर जाने लगे । देवरानी और कमला आस पास मिठाई बटवाने लगी । जब बलदेव उठ कर अपने कक्ष की ओर चल देता है, तब उसे कुछ बातें करने की आवाज सुनती देती है और वह उस तरफ चल देता है और अंत में अपनी बड़ी माँ सृष्टि के कक्ष के पास रुक जाता है।

सृष्टि: आज तो ये बलदेव भी अपनी शिक्षा पुरी कर के लौट आया है ।

राधा: हाँ महारानी मेने देखा आज देवरानी बहुत खुश लग रही थी, कहीं वह आप से बदला लेने का कोई क्षडयंत्र तो नहीं बना रही!

रानी सृष्टि: राधा हो सकता है तम सही हो क्योंकि मेने उससे उसके पति का सुख छीना है और लगता है वह बुढ़िया इसका बदला लेने के लिए जरूर मेरे लिए खड़ा खोदेगी।

राधा: तो हमें क्या करना चाहिए महारानी।

सृष्टि: सही समय का इंतजार, मैं बताउंगी के आपको क्या करना है राधा अभी तुम जाओ महाराज आते ही होंगे।

सब काम खत्म करने के बाद बलदेव को ले कर राजा राजपाल अपनी माँ यानी के महारानी जीविका जो अपनी जिंदगी के आखिरी दिन जी रही थी उनके कमरे में जाता है । बलदेव अपनी दादी जो कि बिस्तर पर लेटी थी और उनकी टांगो ने काम करना बंद कर दिया था इसलिए वह चल नहीं सकती थी परन्तु उनकी हाथ ठीक थे और थोड़ी मुश्किल से बोल भी लेती थी, बलदेव दादी को देख खुश होता है और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता है फिर उनकी बगल में बैठ जाता है।

दादी: बेटा बलदेव!

बलदेव: जी दादी!

दादी: मझे माफ़ कर दे में तेरा स्वागत करने द्वार पर ना आ सकी, अब में चल नहीं सकती

बलदेव: आप इस राज्य की महारानी हैऔर हम आपकी संतान हैं आपकी आज्ञा पर हम हिमालय भी चढ़ कर आपसे मिलने आ स्कते है।

दादी: बस बेटा, मझे तुमसे यही उम्मेद थी, तुम ही घटकराष्ट्र के भविष्य हो, भगवान तुम्हे एक अच्छा और महान राजा बनाएँ और तुम इतिहास बनाओ।

दादी जीविका राजमाता बलदेव के सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देती हैं। फिर बलदेव और राजा राज पल बाहर आते हैं।

राजपाल: पुत्र अब कल सुबह मिलते हैं अब आप अपने कक्ष में जा कर आराम करो।

बलदेव फिर एक बार राजपाल के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता है तो राजपाल अपने पुत्र को गले लगा लेता है और कहता है-

राजपाल: वाह पुत्र आप कितना लंबा हो गए हो देखते देखते!

बलदेव: कहा पिता जी, बस 6.3 फिट ही हू!

राजपाल: तेरे दादाजी की कद काठी भी तेरे जितनी नहीं थी तू अपने माँ पर गया है और फिर दोनों हसने लगते हैं ।

बलदेव अपनी प्रशंसा सुन कर प्रसन्न हो कर अपने एक उन्गली और अंगूठे से अपनी मूंछो पर ताव देता है।

राजपाल: बेटा अपनी माता को भोजन खिला कर सोना! तम्हे तो पता है वह तुम्हारे बिना नहीं खाती।

बलदेव: जी पिता जी!

फिर बलदेव अपनी माँ के कक्ष की ओर चल देता है!

कहानी जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

Reluctant Seduction Seduction is sweeter with reluctance.in NonConsent/Reluctance
All's Fair in Warfare Ch. 01 The Grand Duke and the Prince enact their treasonous plan..in Sci-Fi & Fantasy
The Wanderer A man searches across millennia for his true love.in Romance
Drews Troubles - Aya Ch. 01 Children can be special or a pain, you decide.in Sci-Fi & Fantasy
The Maharani Pt. 01 Lust leads to emancipation.in Novels and Novellas
More Stories