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Click hereपापा ने मुझे नादानी का नाटक करते हुए कहा. इस सारे समय में पापा का लौड़ा मेरे हाथ में ही था और मैं उसे अनजाने में ही प्यार से सहला रही थी. पापा भी समझ रहे थे की मैं जवान हो गयी हूँ. और नादानी का नाटक करके मजा ले रही हूँ.
आज सारा दिन स्कूटर पर जो मैंने मजा लिया था पापा सब समझ रहे थे. पर वो भी इसी तरह आगे बढ़ते हुए बात को बढ़ा कर अपनी जवान बेटी का मजा लूटना चाहते थे.
इधर मैं तो तैयार थी ही अपनी चूत को अपने प्यारे पापा से चुदवाने के लिए,.
मैंने नादान बनते हुए कहा
"पापा पर मेरे टांगों के बीच में तो कोई भी पॉकेट नहीं है. आप चाहो तो छू कर देख लो. "
पापा यही तो चाहते थे.
बस उन्होंने तुरंत अपने हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डाल कर मेरी चूत पर रख दिया.
पापा का हाथ पहली बार मेरी नंगी चूत पर लगा था. मेरे मुँह से आह निकल गयी.
इतना मजा आया की क्या बताऊं. मैंने आगे को हो कर अपनी पूरी चूत पापा के हाथ में धकेल दी और नादान बनते हुए कहा.
"पापा देखे लिया। कोई भी पॉकेट नहीं है जिस में आपका यह लौड़ा अंदर रखा जा सके. "
पापा मेरी चूत पर हाथ फेरते ही समझ गए की उनकी बेटी तो बहुत गरम हो गयी है। क्योंकि मेरी चूत पानी पानी हो रही थी. और पापा का भी पूरा हाथ मेरी चूत के रस से भीग गया था.
पापा मेरी चूत की दरार में ऊँगली चलाते हुए झट से एक ऊँगली मेरी टाइट चूत के अंदर धकेल दी.
मैं एकदम दर्द से उछल पड़ी.
"आह पापा दर्द होता है. यह कोई पॉकेट थोड़े ही है. यह तो मेरा सुसु है. "
पापा ने मेरी चूत में से ऊँगली बाहर नहीं निकली और उसे प्यार से थोड़ा अंदर बाहर करते हुए बोले
"बेटी यह तुम्हारा सुसु नहीं है,. इसको तो चूत कहते है. अभी तुम्हारी चूत मैं कोई लौड़ा अंदर नहीं गया है इसलिए ये अभी इतनी टाइट है. इसमें जब आदमी का लौड़ा अंदर जाता है तो बहुत मजा आता है. तुमने देखा तो था की तुम्हारी माँ ने मेरा यह इतना बड़ा लौड़ा अंदर ले रखा था और फिर भी इतने मजे से मेरी गोद में उछल रहे थी, तुम भी एकबार मेरा यह लौड़ा अपनी इस चूत के अंदर ले कर देखो तुम्हे भी बहुत मजा आएगा. "
पापा ने वासना के जोर में एकदम से मुझे चोदने के लिए कह दिया. मैंने भी सोचा की नाटक बहुत हो गया है, अब चुदाई के लिए आगे बढ़ना चाहिए.
मैं पापा का लंड अपने हाथों में उसी तरह प्यार से सहलाती रही। और बोली
"पापा आपका यह लौड़ा तो बहुत बड़ा और मोटा है. यह मेरी चूत में कैसे जायेगा. और मुझे तो बहुत दर्द होगा. "
"बेटी पहली बार थोड़ा सा दर्द होगा पर इसके बाद तो बस मजे ही मजे है, इसको ही चुदाई कहते है, तुम जानती ही होगी की सारी लड़कियां चुदाई की कितनी इच्छा रखती है. तुम्हारी मम्मी भी रोज मुझसे चुदवाती है. तुम भी एक बार अपने पापा का लौड़ा चूत में ले लोगी और पापा से चुदवा लोगी तो रोज चुदवाने के लिए कहोगी. यदि तुम चाहती हो की तुम अपने पापा की गोद में आराम से बैठ सको और चुदवा सको तो एक बार चुदवा कर देखो, मजा न आये तो फिर चाहे दुबारा चुदाई न करवाना. "
मैं तो नाटक कर रही थी और असल में तो मैं पापा से चुदने को मरी जा रही थी,
अब और नाटक न करते हुए पापा के लंड को अपने हाथ से आगे पीछे करते हुए बोली.
"कोई बात नहीं पापा. मैं तो रोज अपने प्यारे पापा के गोद में बैठना चाहती हूँ. अपन अपने लौड़ा मेरी चूत मैं डाल कर चोद लीजिये. दर्द होगा तो मैं सह लूंगी. आप चिंता न करें. आप बस जरा प्यार से और धीरे से चोदना. फिर मैं रोज इसी तरह आपकी गोद मैं आपका लौड़ा अपनी चूत {पॉकेट} में डाल कर बैठा करुँगी, अब आप ज्यादा बातें न करे और बस मुझे प्यार से चोद ले. पिक्चर भी ख़तम होने वाली है और फिर सारी लाइट्स भी जल जाएंगी. "
पापा समझ गए की मैं बहुत गरम हो गयी हूँ और चदवाने के लिए मरी जा रही हूँ. तो पापा ने भी और देर करना ठीक न समझा और अपने वो ऊँगली जो पहले ही आधी तो मेरी चूत में घुसी हुई थी को पूरा अंदर घुसा दिया. मैंने दर्द होते हुए भी मुँह से उफ़ तक न करी की कहीं पापा मुझे चोदने से मना न कर दें.
धीरे धीरे पापा ने मुझे गोद में बिठा लिया और किस करने लगे। मुझे गुदगुदी हो रही थी। वो पीछे से मेरे कान, गले, पीठ में चुम्मी ले रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था। गुदगुदी तो बहुत हो रही थी। मैंने एक हल्की टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन रखा था। धीरे धीरे पापा के हाथ मेरी टी शर्ट पर यहाँ वहां घुमने थे। आखिर में उन्होंने मेरे बूब्स को हाथ में ले लिया और टी शर्ट के उपर से हल्का हल्का दबाने लगे।
पापा ये आप....." मैं कुछ कहने जा रही थी पर पापा ने मुझे रोक दिया "बेटी इस चुदाई की महाविद्या को सीखना है तो प्लीस मुझे टोको मत। जो जो मैं करता हूँ करने दो। लास्ट में मजा ना आए तो तुम कहना" पापा बोले तो मैं मान गयी।
मैं चुप थी। पापा के हाथ मेरी 36" की चूचियों को हाथ में लेकर खेल रहे थे। 15 मिनट पर बाद मुझे इस चुदाई की महाविद्या में गहरा इंटरेस्ट आने लगा। मुझे अच्छा लगने लगा। फिर पापा मुझे किस करने लगे। कुछ देर बाद मेरा भी चुदाने का मन करने लगा। फिर पापा ने मुझे स्कर्ट को ऊपर करके चूत को पूरी तरह से नंगी करने का हुक्म दिया।
मैंने स्कर्ट ऊपर उठा कर अपने चूत अपने प्यारे पापा के लिए उनके आगे नंगी कर दी.
उधर पापा ने भी अपने लंड अपनी लुंगी से बाहर निकल कर वो नंगे हो गये।
आज मैं कसके चुदने वाली थी। पापा ने मुझे गोद में बिठा लिया अपनी सीट पर बैठे बैठे ही।
पापा की कमर में मैं दोनों पैर डालकर बैठ गयी। मेरी सेक्सी पतली 28" की कमर पापा की 40" की कमर से जुड़ गयी। पापा ने मुझे बाहों में भर लिया।
दोस्तों सिनेमा हाल मैं हम सबसे पिछली सीट पर थे और हाल में भीड़ थी थी ही नहीं तो हम चुदाई करते हुए किसी के द्वारा देखे जाने का कोई डर भी नहीं था.
पापा और मैं आराम से मजे ले सकते थे। पापा मुझे चोदकर आज बेटीचोद बन सकते थे। उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया। मैं भी चुदाने के मूड में थी इसलिए मैंने भी पापा को बाहों में कस लिया। फिर हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। हम सिनेमा हाल के सीट पर ही थे.
जगह थोड़ी कम थी पर चुदाई के नशे मैं हम दोनों को ही इसकी कोई परवाह नहीं थी..
पापा मेरे नंगे जिस्म को नीचे से उपर तक सहला रहे थे।
"ओह्ह बेटी!! तुम कितनी मस्त माल बन गयी। मैं तो जान ही नही पाया। आज मैं तेरी चूत का भोग लगाऊंगा और तुझे सेक्स विद्या का ज्ञान दूंगा" पापा बोले
"पापा....आज मेरा भी आपसे चुदाने का बड़ा मन है। आज आप मुझे चोदकर मेरी चूत का रास्ता बना दो. ताकि मुझे आज के बाद मैं जब भी अपने प्यारे पापा की गोद मैं उनके लंड को अपनी पॉकेट में रख कर बैठू तो मुझे कोई दर्द न " मैंने कहा
फिर हम होठो पर किस करने लगे। मेरे पापा मेरे गुलाबी होठो को पीने लगे। मुझे अच्छा लग रहा था। फिर मैं भी मुंह चला रही थी। हम दोनों एक दूसरे में पिघल रहे थे। मैं पापा के जिस्म को सहला रही थी। पापा भी मेरी नंगे जिस्म पर हाथ घुमा रहे थे। मेरी चूत गीली होने लगी थी। उसके बाद पापा गरमा गये। उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया। पागलों की तरह मुझे यहाँ वहां चूमने लगे। मेरे 36" के बड़े बड़े बूब्स उनके सीने से दब रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था। पापा मेरे नंगे जिस्म की खुस्बू बटोर ले रहे थे।
आज मैं किसी रंडी की तरह चुदवाना चाहती थी। मैं बेशर्म लड़की बन चुँकि थी। पापा ने झुककर मेरे बाए मम्मे को मुंह में भर लिया और चूसने लगे। मैं ".......उई..उई..उई.......माँ....ओह्ह्ह्ह माँ......अहह्ह्ह्हह..." की
आवाज निकालने लगी।
मुझे अजीब सा नशा छा रहा था। आज पहली बार कोई मर्द मेरे बूब्स चूस रहा था। मेरी चूत में खलबली हो रही थी। पापा बार बार मेरे नंगे पुट्ठो को सहला रहे थे। साफ़ था की उनको बेहद मजा मिल रहा था। मेरी पीठ पर बार बार उपर से नीचे वो हाथ सहला रहे थे। धीरे धीरे मेरे जिस्म में वासना और सेक्स की आग लग रही थी। हाँ आज मैं पापा का मोटा लंड खाना चाहती थी। पापा मेरे बाए मम्मे को चूस रहे थे।
फिर पापा मेरी दाई चूची को पीने लगे। मुझे लगा की मेरी चूत से माल निकल आएगा। पापा चूसते ही रहे और 20 मिनट बीत गये।
पापा बोले "बेटी तेरी चूत तो बहुत रस छोड़ रही है. तेरा रस भी बहुत स्वादिष्ट लगता है और मैं इसे पीना चाहता हूँ.
अपनी चूत चाटने का थोड़ा मौका देगी न अपने पापा को.
मैं कुछ न बोली और तुरंत पापा की ओर अपना पीठ पापा की ओर कर दी.
पापा ने मेरी स्कर्ट ऊपर कर के मेरी गांड नंगी कर दी.
पापा ने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को फैलाया और अपना मुह मेरी चूत पर रख दिया.
मेरी बालो भरी चूत को पागलो की तरह चाटने लगे और मै मदहोशी के सागर में डूबकर पापा का साथ देने लगी. जब जब पापा अपनी जीभ को मेरी चूत पर फेरते तब तब मेरे मुँह से कामुकता भरी आवाज़े निकलती। वह साथ साथ अपने हाथो से मेरी गांड मसलने लगे. चूत चाटने में पापा को और चटवाने में हम दोनों इतने पागल हो गए. मुझे पता ही नहीं चला की मेरा पानी निकलने वाला है. जब अचानक मेरी चूत ने पानी छोड़ा
तो मेरे मुँह से आहहाहा आहहाहा की आवाज़ निकली.. और मेरी चूत का पानी झड़ा और पापा के मुँह में गिरा जिसे पापा मज़े से पी लिए.
पापा बोले "कैसा लगा बेटी.? कुछ मजा आया क्या अपनी चूत चटवाने में. "
"जी पापा बहुत मजा आया. मुझे तो पता ही नहीं था की अपनी चूत को चटवाने में इतना आनंद मिलता है. वरना मैं तो कभी का आपसे अपनी चूत चटवा चुकी होती. खैर कोई बात नहीं. अब मैं रोज आपसे ऐसे ही अपनी चूत को चटवाउंगी. आप चाटेंगे न मेरी चूत को?"
"हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं, मैं तो अपनी प्यारी बेटी की चूत चाटने को हमेशा तैयार हूँ. तुम्हारी मम्मी तो बहुत देर से आती है. मैं ऑफिस से आने के बाद रोज इसी तरह से तुम्हारी चूत चाटा करूँगा. पर क्या तुम्हे पता है की जैसे चूत चटवाने में मजा आता है उसी तरह लौड़ा चाटने और चूसने मैं भी मजा आता है. "
मैं समझ गयी की पापा अब मुझसे अपना लंड चटवाने को मचल रहे हैं. मैं तो तैयार थी ही बल्कि मैं तो अपने प्यारे पापा का लौड़ा चूसने को मरी ही जा रही थी.
मैंने मौके को हाथ से न जाने देने के लिए तुरंत कहा.
"पापा आप ने मुझे पहले कभी क्यों नहीं बताया.? आज तो में आप का लंड चूस कर ही रहूंगी। मैं भी तो देखूं की पापा का लौड़ा चूसने में कितना मजा आता है और कैसा लगता है. "
"तो ऐसा करो की तुम इन सीट की दोनों लाइनों के बीच मैं बैठ जाओ और मेरे लौड़े को चूस लो. किसी को तुम दिखाई भी नहीं दोगी और आराम से मेरा लंड चूस भी सकोगी.
मैंने समय खराब न करते हुए तुरंत बैठ गयी और पापा के लंड को अपने छोटे छोटे हाथों में पकड़ लिया।
बेटी! आ मेरा लौड़ा चूस आकर!' पापा बोले. उनका लौड़ा पुरी तरह से खड़ा हो गया था. बहुत बड़ा और दोस्तों बहुत ही सुंदर गुलाबी रंग का पापा का लौड़ा था. मेरी नजर तो लौड़े के सुपाड़े पर लगी हुई थी. उनका सुपाड़ा ही बहुत गुलाबी और विशाल था. किसी मोटे मार्कर पेन की तरह पापा का सुपाड़ा नुकीला नुकीला था.
'ले बेटी!! इसे मुँह में लेकर चूस. तुझको भी खूब मजा आएगा" पापा बोले
मैंने शुरुवात लौड़ा हाथ में पकड़ने से की. ये सब मेरे लिए थोडा अजीब था. क्यूंकि आज तक मैं किसी लडके या आदमी का लौड़ा नही चूसा था. मैंने डरते डरते पापा का सुपाडा मुँह में ले लिया. उसका सवाद मुझे नमकीन नमकीन लगा. मैं चूसने लगी. कुछ देर बाद तो मुझे खूब मजा आने लगा. मेरा मनोबल बढ़ गया. अब मैंने पापा का लौड़ा आगे तक लेकर चूसने लगी. धीरे धीरे मेरा मजा बढ़ने लगा. और मैंने पापा का लौड़ा पूरा का पूरा अंदर गले तक मुँह में भर लिया और किसी रंडी की तरह चूसने लगी.
शाबाश बेटी!!! शाबाश!! शाबाश बेटी!! तू अच्छा लंड चुस्ती है. चूस बेटा चूस!!' पापा बोले. मेरा कॉन्फिडेंस और बढ़ गया. पापा का लंड बहुत सुंदर था. उसपर बहुत सारी नसे निकली थी. पापा का लंड खूब मोटा और पुष्ट भी था. मैं इस बात की पूरी उमीद लगा रही थी की जब ये सिलबट्टे सा लौड़ा मेरी बुर में जाएगा और मुझे चोदेगा तो कितना मजा और सुकून मिलेगा. पर अभी तो चूसने का समय था.
पापा के लंड की खाल माँ को चोद चोद कर पीछे भाग गयी थी. सुपाडा तो इतना सुन्दर था की मैं आपको क्या बखान करूँ. मैं जब पापा का लौड़ा चूस रही थी तो उन्होंने अपना हाथ मेरे दूध पर रख दिया और सहलाने लगे. इस तरह भी मुझे बहुत मजा आया.
पापा खुश हो गए और उन्होंने मेरा मुँह अपने लौड़े के ऊपर कर दिया.
मैंने भी समय खराब करना उचित न समझा और उनका लंड चूसने लगी। पहले तो मैंने काफी देर तक पापा का लंड हाथ में लेकर फेटा।
धीरे धीरे मैं मुंह में लेकर चूसने लगी। पापा के लंड को मैंने हाथ से पकड़ किया था। और जल्दी जल्दी चूसने लगी। साथ ही मेरे हाथ गोल गोल लौड़े पर घूम रहे थे। पापा मेरे सिर को अंदर हाथ से दबा देते थे जिससे जड़ तक उनका लौड़ा मेरे मुंह में जा सके। दोस्तों आज पहली बार मैं किसी मर्द के खड़े लंड को चूस रही थी। वो बहुत ही जूसी था। मैं जीभ से उसको चाट लेती थी। लंड के मुंह को [छेद पर] मैं जीभ से चाट लेती थी। पापा सिसक उठते थे। वो आराम से सीट पर बैठ कर अपना लौड़ा आज अपनी सगी बेटी से चूसा रहे थे। आज पापा बेटीचोद बन चुके थे।
"आह बेटी!! और जल्दी जल्दी" पापा से हुक्म दिया
मैं और जल्दी जल्दी अपना मुंह पापा के 10" के लौड़े पर चलाने लगी। मेरे गुलाबी होठ आज पापा के खूब काम आ रहे थे। पापा तो ऐश कर रहे थे। कुछ देर तक ऐसा ही चला। मैंने काफी देर तक उनका लंड चूसा। पापा को भरपूर मजा मिल गया।
अब मेरी चूचियां कामवासना के नशे से और जादा फूल गयी थी।36" की चूचियां अब 40" की दिख रही थी। मैं मस्त चोदने लायक माल लग रही थी।
बेटी....मजा आ रहा है न. यदि अच्छा लग रहा है तो बोल की पापा मेरी चूत आज फाड़ दो" पापा बोले
पापा ....आज तुम मेरी चूत कसके फाड़ दो" मैंने उसकी लाइन दोहराई
जितना मन करे तुम मुझे चोद लो" मैंने कहा
हमे भरपूर मजा मिलने लगा। पापा सिर्फ मेरी आँखों में झाँक रहे थे।
मैं भी सिर्फ उनको ही ताड़ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को नजरो ही नजरों में चोद रहे थे। पापा फिर से मेरे होठ चूसने लगे। उनके हाथ अब भी मेरे डबलरोटी जैसी फूले चूतड़ों पर थे। वो सहला रहे थे। फिर पापा ने मुझे हल्का सा उचकाया और मेरी चूत के छेद पर लंड लगा दिया।
पापा ने मेरे दोनों पुट्ठो को कसके पकड़कर अंदर ही तरफ दबाया। मेरी चूत की सील टूट गयी। पापा का लंड अंदर चला गया। पापा मुझे चोदने लगे।
मैंने उनको कसके पकड़ लिया। पापा मुझे गोद में बिठाकर चोदने लगे। मेरी आँखों से आंसू की कुछ बूंद निकल गई। मेरे बेटीचोद पापा पी गये।
पापा आराम आराम से मुझे चोदने लगे। कुछ देर बाद मैं अपनी कमर उठाने लगी। मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी।
वासना और सेक्स की आग में मैं जल रही थी। चुदाते चुदाते मेरी आँखों में जलन हो रही थी। मेरा गला भी सुख रहा था। काश मेरे मुंह में कोई १ घूंट पानी डाल देता। फिर पापा ने मेरे सेक्सी पतले छरहरे पेट पर हाथ रख दिया और सहला सहला कर मुझे चोदने लगे।
मेरे चेहरा अजीब तरह से बन गया था। मेरे गाल पिचक गये थे। मेरे दोनों भवे आपस में जुड़ गयी थी। मेरे मुंह से "आऊ.....आऊ....हमममम अहह्ह्ह्हह...सी सी सी सी..हा हा हा.." की आवाज आ रही थी। जैसे मैं कोई तेज मिर्ची खा रही थी और सी सी की आवाज निकाल रही थी।
पापा का लंड अब बड़ी आराम से मेरी चूत में दौड़ रहा था। अब मेरी चूत रवां हो गयी थी। उसका रास्ता बन गया था। पापा का लंड मेरी चूत के आखिरी किनारे तक जा रहा था। मुझे भरपूर यौन सुख की प्रप्ति हो रही थी। कभी मैं बेचैनी से ऑंखें बंद कर लेती थी तो कभी खोल लेती थी।
सिर्फ पापा को ही ताड़ रही थी। मेरी चूत में उनका लौड़ा पिघल रहा था। मैं अच्छे से जानती थी आज रात पापा मुझे चोद चोदकर मेरी रसीली बुर फाड़ देंगे। फिर पापा मेरे उपर झुक गये और जल्दी जल्दी कमर घुमाने लगे। मेरी चूत में जल्दी जल्दी उनका लंड जाने लगा। चट चट की आवाज मेरी चूत से आने लगी जैसे बच्चे ताली बजा रहे हो।
फिर पापा जल्दी जल्दी मुझे चोदने लगे। दोस्तों हम लेटे नही थी। सिर्फ कुर्सी की सीट पर हम दोनों बैठो हुए थे। पापा की कमर जल्दी जल्दी मेरी कमर और पेडू से टकराने लगी। मैं चुदने लगी। बाप रे!! 10" के शक्तिशाली लंड को मैं साफ़ साफ अपने पेट में महसूस कर रही थी।
पापा धीरे धीरे मुझे हल्का हल्का उछालकर चोद रहे थे। ऐसा लग रहा था मैं साईकिल चला रही हूँ। मुझे अभूतपूर्व मजा मिल रहा था। ऐसे दिव्य चुदाई के महासुख को आज मैंने पहली बार पाया था। मैं किस्मतवाली थी की अपने बाप का मोटा लंड खा रही थी। फिर पापा मुझे जल्दी जल्दी गोद में बिठाकर चोदने लगे। मैं खुद को पापा के हवाले कर दिया।
मेरी चूत से पट पट की आवाज आने लगी। मैं " हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ....ऊँ--ऊँ...ऊँ सी सी सी सी... हा हा हा.. ओ हो हो...." की आवाज निकाल रही थी। मेरी सांसे टूट रही थी। मैं गहरी साँस लेने की कोशिस कर रही थी। पापा का मोटा लंड मेरी चूत फाड़ रहा था। मेरी कुवारी चूत से निकला खून कुर्सी की सीट पर लग गया था
पापा फिर मेरे होठ पीने और चूसने लगा और घप घप मुझे चोदने लगे। फिर उन्होंने मेरे दोनों पैर का स्टैंड बना दिया। खुद थोडा पीछा हो गये और जल्दी जल्दी कमर चला कर मेरी चूत बजाने लगे। कुर्सी पर चुदाई करवाना थोड़ा अजीब और मुश्किल था पर मुझे इतना मजा आ रहा था की क्या बताऊं.
पापा भी पूरा जोर लगा कर तेज तेज चोद रहे थे. मुझे खुद को दोनों हाथों से रोकना पड़ा वरना मैं गिर जाती। मैंने दोनों हाथ पीछे कर दिए और अपने भार को हाथों से रोका। पापा ने भी ऐसा ही किया। वो दूर से मेरी चूत में लम्बे और गहरे शॉट्स मारने लगे। मुझे चुदाई का ब्रह्मसुख मिल रहा था। आज हम बाप बेटी २ जिस्म एक जान हो गये थे। कुछ देर बाद पापा ने फिर से मुझे गोद में भर लिया और हवा में उचका उचकाकर मेरी चूत मारने लगे। मेरी चूत अब रवां हो गयी थी।
मैंने अपने हाथ उनके कन्धो पर टिका दिए। पापा ने मुझे 35 मिनट लंड पर बिठाकर सारी दुनिया घुमा दी। फिर मेरी चूत में माल छोड़ दिया।
फिर कुछ ही देर में मुझे लगा कि जैसे मेरे जिस्म में से सारा खून फटकर मेरी चूत में से निकलने वाला है और फिर इसी के साथ मेरा पानी झड़ गया। अब में बिल्कुल ठंडी हो चुकी थी,
कुछ देर के लिए हम दोनों चिपके रहे। पापा का लंड 10 मिनट तक मेरी चूत में रहा माल निकलने के बाद भी। तब जाकर वो शांत हुआ और छोटा हो गया था। जैसे ही पापा ने लंड मेरी चूत से निकाला उनका मॉल मेरी चूत से निकलने लगा।
पापा के लंड से इतना माल निकला था की पूरी सीट गीली हो गयी थी.
अब हम दोनों बिल्कुल शांत थे और बहुत थक गये थे। फिर 5 मिनट के बाद ही पिक्चर ख़त्म हो गयी और लाईट जलती इससे पहले ही मैंने अपनी चड्डी यह कहते हुए पहन ली कि अब वो सूख चुकी है। अब दोनों पिक्चर ख़त्म हो चुकी थी एक जो पर्दे पर चल रही थी और एक जो हम बाप बेटी के बीच में चल रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद लाईट जली और फिर हम दोनों हॉल से बाहर निकले। फिर बाहर आकर पापा मुस्कुराते हुए बोले कि पिक्चर कैसी लगी? तो तब मैंने जवाब दिया कि इससे बढ़िया पिक्चर मैंने आज तक नहीं देखी, तो तब पापा बोले कि मेरे साथ घूमा करेगी तो और भी बढ़िया चीज़े देखने को मिलेंगी और फिर में मस्कुराती हुई गाड़ी पर बैठ गयी और फिर हम घर की तरफ चल पड़े ।
इस तरह मेरा और मेरे पापा का प्यार का और सेक्स का संभन्ध बन गया.
इसके बाद जब भी हमें मौका मिलता हम दोनों बाप बेटी मजे लूट ते हैं.
The End