Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereवह बोली कि हाँ यह बात सही है, तुम मुझ से झुठ नहीं बोलोगें यह मैं जानती हूँ। अब परेशान होना बंद कर दो। सब कुछ सही हुआ है। अगर एक मिनट भी तुम प्यार करते तो भी मैं खुश होती। मुझे तो तुम से प्यार करना था, समय का कोई बंधन नही था। प्यार में किसी और चीज की जगह नहीं है। बिस्तर पर तो तुम पुरे बदमाश बन जाते हो। कोई ऐसी बदमाशी नहीं है जो तुम ने ना करी हो। मैंने हंस कर कहा कि कुछ तो छोड़ ही दिया है। उस ने इशारा समझ कर कहा कि आगे मौका मिलेगा। चिन्ता मत करों।
माधुरी के साथ संभोग में इतना अधिक समय लगने का कोई कारण मेरी समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन मन में संतोष था कि मैं उसे सन्तुष्ट कर सका। यही मेरे लिये सबसे बड़ी बात थी। हम दोनों खुश थे यही सबसे बड़ी बात थी। उम्र के इस पड़ाव पर सेक्स से सन्तुष्टि मिलना आसान नहीं है। कुछ शरीरिक परेशानियां कुछ उम्र का असर सेक्स आसान नहीं रहता। अगर दोनों पार्टनर मन से भाग लेते है तो सब कुछ आसान हो जाता हैं। शायद यही मेरे और माधुरी के बीच हुआ था। मन में विस्वास हुआ कि मैं अभी भी काम का हुँ, बेकार नहीं हो गया हूँ। माधुरी नें मुझे हिलाया तो मैं अपनी तन्द्रा से जागा। वह बोली कि क्या सोच रहे हो? मैनें कहा कि कुछ खास नहीं। यह कह कर मैं उठ कर खड़ा हो गया और बाहर चलने लगा तो माधुरी बोली कि कुछ देर रुक कर जाना।
मैनें कहा कि इतना कमजोर मत समझों तो वह बोली कि मैं अपने लिये कह रही थी कि मेरे पास कुछ देर और बैठों। उस की बात सुन कर मैं रुक गया और उस के साथ बैठ गया। उस का सिर मेरे कंधे पर टिक गया और वह बोली कि आज तुम नें मेरी बात मान कर मेरी इज्जत बढ़ा दी है। मैनें कहा कि यह क्या बात है। तुम्हारी मेरे मन में बहुत इज्जत है, जो कारण था वह तुम्हें बता दिया था। अगर तुम करीब नहीं होती तो क्या यह बात तुम्हें बताता? वह बोली कि सही कह रहे हो, कोई भी पुरुष इस बात को किसी के साथ खास कर प्रेमिका के साथ तो शेयर नहीं करेगा। मैंनें कहा कि तुम पहले मेरी दोस्त हो बाद में कुछ, इस लिये तुम्हारें साथ इस बात को बिना किसी झिझक के शेयर किया था। उस की बांहें मेरे चारों ओर कस गयी और वह बोली कि अपनी सब चिन्तायें मुझे दे दो। मैंनें कहा कि जब अपने आप को तुम्हें सौप दिया है तो चिन्तायें तो अपने आप तुम्हारें पास आ गयी है। मुझे संभाल कर रखना, वह बोली कि छुपा कर रखुगीं। हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही बैठे रहे।
समाप्त