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शेर सिंह के तरफ से जो प्रेम पत्र बलदेव ने लिखा था उसका उदेशय यही था कि वह अपनी माँ के दिल का हाल जाननेा चाहता था। क्या उसकी माँ ने उससे सच में प्यार किया है या सिर्फ उसे एक पुरुष की जरूरत है जिसे वह अपनी शारीरिक जरूरतों के लिए इस्तेमाल करें। तो वह बेटे के बारे में कभी सोचेगी भी नहीं।
कमला वह प्रेम पत्र ले कर देवरानी के पास जाती है और कमला को देख देवरानी की सांसे बढ़ जाती है और वह मुस्कुराती है।
देवरानी: पात्र लेते हुए और यहाँ आने तक किसी ने तुम्हे देखा तो नहीं?
कमला: नहीं महारानी जी कमला इतनी बेवकूफ नहीं है।
देवरानी: अच्छा!
कमला: जी ये लो अपने आशिक का पत्र और हाँ अपने पति से छुपा कर पढ़ना।
देवरानी: मुस्कान देती है।
कमला: मैं आती हूँ फिर आगे क्या करना है आप बताना।
कमला उसके बाद सीधी सीढ़ियों से होते हुए ऊपर बलदेव के कक्ष में प्रवेश करती है और बलदेव को गहरी सोच में देखती है।
कमला: क्या हुआ इतना क्या सोच रहे है आप युवराज?
बलदेव: क्या कहा माँ ने?
कमला: महारानी ने कहा वह बताएंगी उत्तर देना है के नहीं?
ये सुन कर बलदेव की जान में जान आती है। फिर कमला वापस नीचे आ कर अपने काम में लग जाती है।
देवरानी पत्र लेकर अपना दरवाजा बंद कर के उत्साह के साथ पलंग पर बै के पत्र को खोलती है और पढ़ने लगती है।
प्रिये देवरानी,
में हू शेर सिंह आपके राज्य के पास ही मेरा राज्य है। बात उस दिन है जब तुम कुश्ती देखने आई थी और वहा पर अनेक राजो के साथ में भी निमंत्रन पर कुश्ती देखने आया था। जब पहली बार तुमको देखा तो एहसास हुआ के स्त्री ही है जिसे भगवान ने सबसे ज्यादा सुंदर बनाया है और मैंने अपने जीवन में कभी भी इतनी सुंदर स्त्री नहीं देखी है। तुम्हारी मुस्कान ने मेरे दिल पर ऐसा कब्ज़ा किया है कि अब में तुमसे प्रेम करने लगा हूँ और तुम्हे अपनी महारानी बनाने का इच्छा रखता हूँ, अगर तुम साथ दो तो ऐसा बहुत जल्दी हो सकता है और मुझे पता है तुम अपने इस जीवन से खुश नहीं हो और दिन रात भगवान की साधना में लगी रहती है। लेकिन अब और नहीं अब तुम्हे प्यार की साधना में डूब जाना है।
उत्तर की प्रतीक्षा में।
शेर सिंह।
ये पढ़ कर देवरानी गदगद हो जाति है। उसने अपने जीवन में पहली बार प्रेम पत्र पढ़ा था। तभी उसके कानो में कमला की आवाज गूंजती है और वह होश में आते हुए दरवाजा खोलती है।
कमला: आप क्या कर रही थी महारानी?
महारानी: कुछ नहीं।
कमला: अपने पत्र पढ़ा।
महारानी: हाँ और मुस्कुरा कर बोलती है हम अभी उत्तर लिखने के लिए समय लेंगे। अगर तुमसे वह आज मिले तो उन्हें कह देना।
कमला: मन में मन। (ये कामिनी गांड बेटे से रगड़वाती है। प्रेम के भूत ने इसको बलदेव के कारण पकड़ा है और अपनी चुत की कुटाई इसको किसी और से करवानी है, मैं ये होने नहीं दूंगी महारानी! और मुस्कुरा देती है और मेरे रहते हुए तो ये कतई सम्भव नहीं होगा! ")
कमला: ठीक है महारानी!
फिर वह वहा से ऊपर बलदेव के कक्ष में आती है, बलदेव कमला को देख झट से उठा खड़ा होता है।
बलदेव: क्या प्रतिक्रिया है माँ की?
कमला थोड़ा उदास होते हुए।
कमला: वह उत्तर देने के लिए मान गई है।
बलदेव ये सुन कर फिर से वही कुर्सी पर बैठ जाता है और उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे। "
कमला: चुप क्यों हो युवराज?
बलदेव: अब ये साफ हो गया उनके दिल में मेरे लिए कोई प्रेम नहीं है उन्हें सिर्फ एक पुरुष की जरूरत जो कोई भी मिल जाए तो उसके साथ वह चली जाएगी। मुझे छोड़ देगी।
कमला: ऐसा नहीं है युवराज।
बलदेवः बस करो अब कमला ये। मैं भी अब ये सब बंद करूँगा अब और नहीं और तुम भी (थूक गुटकते हुए) माँ के लिए कोई देख लो और ये पत्र में उसे शामिल कर लो और बुझा लेने दो देवरानी को अपनी प्यास। (हल्का क्रोधित हो कर बोला।)
कमला: युवराज। तमने दुनिया नहीं देखी है अभी, प्यास तो वही बुझती है जहाँ प्यार होता है और तुम बड़े प्रेमी बन रहे थे मजनू बन रहे थे और अब इतनी जल्दी हार गए?
बलदेव: हा हाँ में हार गया।
कमला: तुम्हें नहीं हारना है बलदेव। ये प्रेम में पागल लोगों को सहना पड़ता है और प्रेम की आग में कूदे हो तो जल कर नहीं इससे खेल के निकलो, डरो मत, डट के मुकाबला करो। तुम बलदेव हो बलदेव।
बलदेव: क्या करे हम।
कमला: सुनो ये जंग अब तुम्हारी यानी के एक बेटे के प्रेम और एक अनजान व्यक्ति शेर सिंह की है, तुम्हें शेर सिंह को हराना होगा, तुम अपने माँ को इतना प्यार दो कि वह शेरसिंह से मिलाप के लिए तैयार नहीं हो और डरो नहीं। मुझे यकीन है महारानी जो अपनी और अपने प्रेम की बली देने जा रही है। इसे समझ कर डर से वह नहीं कर पाएगी।
बलदेव: हम्म!
कमला: मुझे पूरा यकीन है कि वह एक अंजान व्यक्ति के साथ कभी नहीं जाएगी और तुम्हें ही अपना वर चुनेगी। बस तुम्हें अब अपना पुरुष कला से अपनी माँ को पटाना होगा। हर कदम पर एहसास दिलाना होगा कि तुम ही हो जो उसे हर प्रकार से खुश रख सकते हो।
बलदेव: तुम सही कहती हो मुझे हार नहीं माननी है।
कमला: और युवराज आप इतने समझदार हैं कि पुरुष कला आपको सीखाने की जरूरत नहीं है और मुस्कुराती है।
बलदेव भी बदले में एक मुस्कान देता है।
कमला: और हाँ अगर महारानी तुम्हारी हुई और घाटराष्ट्र ने स्वीकार कर लिया तो अगले महाराज तुम ही हो।
बलदेव आश्चर्य दर्शाता है।
कमला: हाँ महारानी को उड़ा लो और अगर राज्यवासी विद्रोह नहीं करे तो, घटकराष्ट्र के नियमों के अनुरूप फिर तुम ही राजा होंगे।
कमला: ठीक है तुम अपने का पर ध्यान दो और प्रेम पत्र का भी तुम शेर सिंह बन के उत्तर देते रहना परन्तु स्मरण रहे शेरसिंह की और महारानी के मिलने की स्थिति ना आए. उससे पहले अपना काम कर लो और फिर कमला वहा से चली आती है।
बलदेव अपने मन में सोचते हुए "शेरसिंह क्या मेरी देवरानी को मुझसे कोई नहीं छीन सकता, वह सिर्फ मेरी है सिर्फ मेरी।"
और जोश में आकर "मैं यानी के महाराजा बलदेव सिंह ये शपथ लेता हु की में देवरानी को अपनी बना के रहूँगा। मेरी बात यानी के पत्थरों की लकीर।"
ऐसे ही रात हो जाती है और चारो तरफ दियो की रोशनी जग मग करने लगती है। घाटराष्ट्र में कमला और जितने भी दास दा सिया थे वह भोजन बना कर राज महल से बाहर आने लगते हैं और अपने-अपने घर जाने लगते हैं। कोई पास की गाव में रहता है तो कोई दूर की गाँव में। रात भर महल के चारो तरफ सैनिकों का पहरा होता है। पर राज महल में सिर्फ राज परिवार ही रहता है बाकी लोगों के लिए अलग से राज दरबारकी पास जहाँ सभा लगती है वहाँ पर निवास की महल थे। उसके बगल में सैनिकों का गृह और भोजन घर था और अतिथि गृह भी उधर ही था।
वही अतिथि गृह था जो महल से निकलते ही सीधा दिखता था।
अतिथि गृह के पास बैठ वैध जी छत पर कुछ जड़ बूटी बिछा रहे थे जिस जाती हुई कमला देख लेती है और उनके पास जा कर आचार्य से बोलती है।
कमला: वैध जी ये आधी रात में क्या सुखा रहे हो, उन्हें धुप में सुखाना होता है।
वैधः अरे कमला तुम।
कमला: हाँ हम! हमने जो पूछा है उसके बारे में बताईये।
वैध मुस्कुराते हुए.
वैध: बात ये है कि इसे धूप की नहीं ओस की आवश्यकता है जब रात में ओस का पानी इन ख़ास जड़ बूटी पर लगेगा तो इसका प्रभाव मनुष्यो के लिए दुगना हो जाएगा। वैसे वैध मैं हूँ तुम नहीं।
कमला: तुनक के, वैध" मैं सब जनती हु वैध जी आप क्या करते हैं इन जड़ बूटियो का।
वैध जी: शर्माते हुए ऊपर से नीचे तक कमला को देखता है ऊपर से नीचे तक सावला गोल चेहरा बड़े पपीते जैसे लटके हुए वक्ष मोटी कमर और नाभि के नीचे मोटी गोल गांड।
वैध: कमला जिस काम से सेहत अच्छी हो वैध जी वही करते हैं। "
कमला: हा हाँ वैध जी ठीक है।
वैध: वैसे तुम कहा रहती हो?
कमला: पास के गाँव में, मुझे पानी की प्यास लग गई है।
वैध: कमला पानी अंदर है जा कर मटका से जल ले कर पी लो।
फिर वैध अपने काम में लगा रहता और कमला पानी पीने वैध जी के कक्ष में घुस जाती है वही पर उसे वह तेल की शीशी और बिस्तर दिखता है जहाँ पर वैध अपने लिंग पर तेल लगा कर मालिश कर रहे थे वह याद आते ही उसकी चूत में चींटी रंगने लगती है और मटका जो के कपडा ढका हुआ था, उसके पास खड़ी हो कर वह जोर से बोली।
कमला: "वैध जी ओ वैध जी आपका मटका कहा है?"
वैध जी तुरत अंदर आते हैं "यही पर तो था तुम्हे दिखाता है नहीं"
और देखता है कि कमला अपना गांड निकले खड़ी थी और कपडे से ढका मटका और ग्लास वही उसके सामने था।
"कमला तुम्हें कुछ नहीं दिखता, वह तुम्हारे सामने है मटका"
कमला कहती है "कहा है?"
वैध जी थोड़ा झल्लाते हुए, कमला के पीछे जाते हैं और हाथ आगे बढ़ा कर कपडा हटा के मटके पर से ग्लास उठाते है और पानी निकले के लिए जैसे ही ग्लास अंदर डालते हैं, वैध जी कमला से पीछे से चिपकते हैं और उनका लंड बिना देरी किए, खड़ा हो कर कमला के गांड से सट के अंदर घुस जाता है और कमला की आंखे बंद हो जाती हैं।
कमला: "आह!"
कमला की तीन साल प्यासी चुत ऐसे तड़प जाती है जिसे एक मुसल लौड़ा ही बुझा सकता है।
वैध जी अब ग्लास पीछे ले कर कमला के हाथ में देते है तभी उनका हाथ कमलाकी उन्नत चूचो से टकरा जाता है। कमला का हाथ अभी अपने नीचे अपने घाघरे को पकड़े मसल रहा था, वैध जी थोड़ा पीछे से जोर लगाते है और लंड को थोड़ा और गहराई में घिसते हैं और अपने एक हाथ को कमला के कंधे पर रखते हैं दूसरे से ग्लास के साथ अपना हाथ कमला के बिना अंतर वस्त्र के दूध को पीसते है।
तभी कमला अपने बंद आखे खोलती है और पानी का ग्लास ले कर एक सांस में गटक जाती है और थोड़ा झल्लाते ते हुए एक झटका पीछे मारती है और वैध जी के लंड पर इतनी मोटे गांड का झटका लगता है और झटके से वैध जी अपने आप पर काबू नहीं रख पाते हैं और वही बिस्तर पर गिर जाते हैं कमला: बड़ा आया मुझे पानी पिलाने वाला!
वैध: आह में मर गया! और वैध झूठ मूठ की दर्द की चीखे निकालने लगता है!
कमला: सब समझती थी के ये बुड्ढा नाटक कर रहा है और मन में सोचती है "अभी अपना लंड मेरी गांड में पल रहा था और इसकी गांड फट रही है!"
कमला: क्या हुआ वैध जी?
वैध: तम्हारे धक्के की वजह से नस चढ़ गयी है आआ! कोई मेरी मदद करो!
कमला: अब तो सभी दास दासी अपनेअपने घर जा चुके है और पूरा घाटराष्ट्र सो चुका होगा तुम खुद क्यों नहीं मदद कर लेते अपनी! वैध तो तुम ही हो?
वैध: सब नहीं है पर तुम तो हो यहा, तुम बड़ी निर्दायी हो! आह!
कमला ( (मन में) बुड्ढा लगता है मेरी चुत खोले बिना मनेगा नहीं और वैसे भी में अच्छे लंड के लिए तड़पती रहती हूँ और इसका तो मैने देखा ही है, मुझे ये मौका नहीं खोना चाहिए) : पर वैध जी मुझे मेरे घर में भी तो जाना देरी हो रही है।
वैध: तुम्हारी मर्जी। आह! हाय! में मर गया।
कमला कुछ सोचती है ठीक है "बताओ कहाँ की नस चड्ढी है?"
वैध: कमर से नीचे की।
कमला कमर पर हाथ लगा कर यहा?
वैध: हाँ! कमला दरवाजा बंद कर दो ठंडी हवा आ रही है। कहीं मेरी जान न चली जाए!
कमला: (मन में) बुढ़े तेरी जान तो नहीं पर दरवाजा बंद नहीं किया तो मेरी गांड तो चली ही जाएगी। फिर कमला हल्का मुस्कुराते हु बाहर आकर अपने समान की पोटली कमरे की अंदर रखती है और दरवाजे बंद कर खिड़की के दोनों पट्ट सटा देती है।
वैध जी: सामने रख शीशी में तेल है वह लगाओ उससे मुझे राहत मिलेगी।
कमला उठ कर मेज़ से वह तेल उठा कर बिस्तर पर आती है जहाँ वैध सिर्फ धोती और कुर्ता पहनने पेट के बल लेटा हुआ था।
कमला एक कातिल मुस्कान के साथ अपने हाथ में तेल लगा कर कुर्ता उठा कर वैध के कमर पर तेल लगाती है।
वैध जी: अरे ऐसे मेरा कुर्ता खराब हो जाएगा। इसे निकल दो!
कमला कुर्ता को दोनों ओर से पकड़कर सर के तरफ खींचती है और वैध हलका उठ कर कुर्ता निकालने में मदद करता है, अब कमला के सामने था एक 63 वर्ष पुरुष जिसके बाल सफेद होने चाहिए थे।
कमला: आपके बाल और दाढ़ी इतनी उमर होने पर भी सफेद नहीं हुए कितनी उमर है आपकी?
और वैध की कमर पर हल्का-हल्का तेल लगाने लगती है।
वैध: 63 है पर ये सब मेरे योग और जड़ बूटीयो का कमाल है और जवानी आयु से नहीं हृदय में होती है और शक्ति में होती है।
कमला: हा मैं 50 कि हूँ और अभी से आधे बाल सफेद हो गए हैं।
वैध: मैं तुम्हे नुस्खा बताऊंगा जिससे शक्ति मिलेगी खुशी मिलेगी और सफेद बाल काले हो जाएंगे।
कमला: हा बड़े आए जवान मर्द!
वैध: आह और दर्द बढ़ रहा है। थोड़ा निचे मलिश करो!
कमला धोती के अंदर हाथ डाल वैध की गांड की दरार पर मलिश करती है।
वैधः धोती निचे कर दो नहीं तो ये ख़राब हो जायेगी।
कमला भी मर्द को छूने और ऐसी बाते करने से उत्तेजित हो गई थी और इस बार वह बिना नखरा दिखाये धोती निचे कर के मलिश करती है।
वैध एक बार फिर जोर से चिल्लाता है।
कमला: अब क्या हुआ?
वैध: दर्द अब नाभि की तरफ पेट पर हो रहा है।
कमला: आखो में वासना ला कर बोली तो पलट जाओ.
जैसे हे वैध पलटता है उसका 7 इंच का लंड धोती में साफ दिख रहा था।
कमलाखे फाड़ कर देखते हुए-
कमला: कहा हैं दर्द?
वैध अपने आंखों से इशारे अपने लंडकी तरफ करता है, कमला अपने नीचे की होठ काटते हुए उसके लौड़े को अपने हाथों से पकड़ लेती है, वैध अपने आंखों को बंद कर लेता है और कहता है"इस्पे तेल लगाओ!"
कमला झट से धोती खोल कर निचे फेक देती है और अपने तेल भरे हाथ से उसके लौड़े पर मंथन करने लगती है, कमला के आंखो में वासना की लाली छा जाती है। कुछ दो मिंट रगड़ने से लौडा सख्त हो जाता है। तब वैध जी और कमला झट से उथ के बैठते है और कमला को बैठे-बैठे अपनी गोद में ले लेते हैं।"
कमला: वैध के सर पर हाथ रखते हैं सिस्की लेती है और वैध उसके घाघरा की नाड़े को खींच कर कमला को नीचे से नग्न कर देता है और उसे अपने खड़े लंड ऊपर बैठा कर। उसके दोनों आम जैसे वक्षो का मर्दन करने लगता है, कमला आँख बंद किये होती है।
वैध: आखे खोलो कमला!
कमला: हममम! और कमला घूम कर सीधी हो कर वैध की साथ गले लग जाती है और अपना दूध वैध की सीने से रगड़ने लगती है, वैध हल्का नीचे की तरफ गिर कर पलंग के सिरहाने की तरफ टेक लगा लेता है और पीछे हाथ ले जा कर कमला की पहाड़ जैसी गांड पर दो जोरदार थपड लगाता है।
कमला: आआहहह नहीं वैध जी!
वैध: इन्हे पहाड़ो ने मझे बहुत तड़पाया है। में इनकी भुर्जी बना दूंगा।
कमला ये पहाड़ भी टूटने के लिए त्यार हैं। चकना चूर कर दो इन्हे अपने हाथों से।
वैध ने अब उसकी चोली को उतार फेंकी और उसके दूध मुह में ले कर चूसने लगता है और एक हाथ से उसके दुसरा दूध को दबाता है और दुसरे से उसकी गांड को दबोचता है, कमला की चुत अपना रस छोड़ रही थी, उसे वैध के लौड़े से रगड रही थी, कुछ देर ऐसी ही दूध और गांड को बारी से रगड़ने के बाद वैध और कमला एक दूसरे को बाहो में जकड कर होठ चुसने लगते हैं।
फिर वैध कमला को अपने नीचे ले कर अपना लंड उसकी चुत पर रगड़ता है और एक बार में कमला की चुत में घुसा देता है कमला बस "उह्ह्ह कर रह जाती है" और अपना हाथ वैध के सर पर रख देती है।
अब वैध गति से कमला की चुत चुदाई करने लगता है और उसकी "उह आह" के सिस्की निकलती रहती है के 20 मिंट की चुदाई के खराब वैध निधल हो जाता है कमला पर गिर जाता है।
वैध: कमला मेरी जान तुम कितनी अच्छी हो!
कमला: हम्म्म वैध जी!
वैध: वैसे तो तुम बहुत बोलती हो पेचुदाई की दौरान तो एक दम शांत अवतार धारण कर लिया तुमने।
कमला: हम्म मेरे राजा मेरे सरताज आज तीन साल की बाद चुदी हूँ।
वैध: क्यों इतने दिन खराब किये?
कमला उन्हें बताती है कैसे उसका पति तीन वर्ष पहले मर गया और वैध जी उसको वादा करते हैं के वह उसे अपनी पत्नी की तरह रखेंगे। फिर उस रात एक बार और वैध जी कमला की चुदाई करते है और दोनों वही तो जाते हैं।
कहानी जारी रहेगी