होली की शरारतें

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रात को मैंने पत्नी से पुछा कि उस के दिमाग में क्या योजना है, उस ने कहा कि जब उस की शादी हुई था तो उसे भी लगा कि वह किसी पुरुष से संबंध कैसे स्थापित करेगी लेकिन सुहागरात को ही उसे महसुस हो गया कि उस को पुरुष का साथ चाहिए महिला का नही। उस के बाद उसे कोई परेशानी नही हुई। मैंने कहा कि मुझें तो आज तक ऐसा कुछ लगा ही नही की तुम्हें लड़कीयों में दिलचस्पी हो सकती है।

उस ने कहा कि मुझें यह लगता है कि हमें प्यार करते देख कर छाया के अन्दर की लड़की जाग जाए और वह तुम से संबंध बनाना चाहे और संभोग करने के बाद उस की लेस्वियन आदत खत्म हो जाए तब वह एक नॅारमल जिन्दगी जी सकेगी। मेरा अपना अनुभव तो यही कहता है, मुझें तो पुरुष के लगाव के बारे में पता ही नही चला हम दोनों एक दुसरे से ही संतुष्ट थे। पहली रात ही तुम्हारे प्यार ने मेरा जीवन बदल दिया था यही मैं छाया के लिए चाहती हूँ।

तुम ने हाँ कर के मेरी बहन की बड़ी मदद की है। मैंने उसे फिर से चुमा और कहा कि चिन्ता मत करो सब कुछ सही हो जायेगा। इस के बाद मैंने छाया को अपने पास बिठा कर उसे चुमा और उस से पुछा कि वह हमारे साथ शामिल होगी या केवल हमें देखेगी। उस ने कहा कि देखेगी। मुझें पता था कि उस के मन में मुझ से प्यार करने की बात है और उस ने इस बारे में बताया भी था।

हम मिया बीवी एक-दूसरे के कपड़ें उतारने में लग गये छाया एक तरफ बैठ कर हमें देख रही थी। मैने पत्नी का ब्लाउज उतार कर ब्रा के उपर से ही उस के उरोजों को मसला। मेरे होठ उस के उरोजों के मध्य में चुम्बन लेने में लगे थे। फिर मैंने उस की ब्रा उतार कर फैक दी। उस के उरोज छाया के उरोजों की तरह मांसल तो नही थे लेकिन भरे हुए उलटे कटोरे की तरह कसे हुए थे इस लिए मैं तो उन का दिवाना था। मैंने निप्पलों को दातों में ले कर काटना शुरु ही किया था कि बीवी ने आहहहह उहहहहह करना शुरु कर दिया। मैं अपना पुरा मुँह खोल कर पुरे उरोज को चुस रहा था। इस से उस के उरोज पत्थर की तरह कड़े हो गये थे।

दोनों बहने एक ही कद काठी की थी केवल छातियाँ ही उन को अलग करती थी। मैंने अपनी जीभ से उस के निप्पलों को चारों तरफ चाटना शुरु किया। दूसरे को हाथ से मसला, मेरी इन हरकतों से पत्नी के शरीर में उत्तेजना भरती जा रही थी। मेरा शरीर भी तनाव में आ रहा था। लिंग भी पुरे तनाव में आ रहा था। हम दोनों कमर से ऊपर से नगें थे। मैंने हाथ से उस की पीठ सहला कर हाथ को उस के नितम्बों के बीच की रेखा में घुसेड़ दिया। कपडा अभी बाधा बन रहा था। हम दोनों का लक्ष्य था कि हमारा फोरप्ले इतना लम्बा चले कि छाया के अन्दर की लड़की जग जाए और वह हमारे बीच आ जाए।

इसी लिए मैं धीरे-धीरे चल रहा था। मैंने छाया की तरफ देखा तो उस के हाथ अपने उरोजों पर कसे हुए थे। मुझें पता था कि उस दिन मेरे साथ सोने के बाद उस के मन में उस अनुभव को दुबारा पाने की इच्छा है। उस का सारा व्यवहार इस की चुगली कर रहा था। मुझें लगा कि अब ज्यादा देर नही है जब छाया भी हमारे बीच होगी। मैंने बीवी के उरोजों को छोड़ कर उस की नाभी की तरफ मुँह किया उस की नाभी के चुम्बन लेने शुरु किये। शादी के एक साल बाद भी मेरी बीवी के शरीऱ पर मांस नही चढा था। कसा हुआ बदन है। उभार की जगह उभार है। हमारी सेक्स लाईफ भी काफी रोचक है। वह मेरे साथ संभोग का पुरा मजा लेती है। नये आसनों का भी हम अभ्यास करते रहते है। लेकिन अभी कुछ ही आसनों को आजमा पाए है।

मैंने इस के बाद उस का पेटीकोट उतार दिया और उस की पेंटी भी उतार दी, उस की उभरी हुई योनि पुरे शबाव पर थी उस में भी रक्त का बहाव बढ़ गया था। मैंने उस पर मुँह रख कर उस को चाटना शुरु किया। योनि के ऊपरी ऊभरे हिस्से को होंठों के बीच लेकर चुसा। योनि के होंठ भी फुल गये थे उन को जीभ से चाटा। बीवी के मुँह से उहहहह आहहह उहहहहहह ओहहहहह की आवाजें निकल रही थी। इन सब से बेखबर मैं उस की योनि को पुरी तरह से भोग रहा था। अब मेरी ऊंगली उस के अन्दर चली गयी थी और अन्दर बाहर हो कर उस को उत्तेजित कर रही थी। मुझें भी योनि की सुगंध मुग्ध कर रही थी। नमकीन स्वाद जीभ पर आ रहा था।

तभी अचानक छाया अपने कपड़ें उतार कर बीवी के मुँह के उपर बैठ गई उस की योनि मेरी बीवी के मुँह पर थी उसने अपनी जीभ से उस को चुम लिया। दोनों को इस बात की आदत थी इस लिए वह मस्ती से एक-दूसरे की योनि चुस रही थी। मेरी बीवी ने अपने हाथ छाया के उरोजों पर रख कर उन्हें मसला। मेरी बीवी को नीचे से भी मजा मिल रहा था और ऊपर से भी उस की तो मौज थी। छाया भी मस्ती के कारण काँप रही थी। काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा। मुझें लगा कि अब मुझें बीवी के साथ संभोग करना चाहिए ताकि उस को देख कर छाया को भी उस की लालसा पैदा हो।

मैंने अपने आप को बीवी के दोनों पाँवों के बीच स्थिर किया और अपने लिंग को योनि पर लगा कर अन्दर धकेल दिया, लिंग बिना किसी प्रतिरोध के योनि में चला गया। अन्दर चिकनाहट की कमी नही थी। पहले धक्के में ही लिंग पुरा घुस गया शायद बच्चेदानी के मुँख तक पहुचा था क्यों कि बीवी के मुख से सिसकी निकली थी यह इस बात का घोतक था कि लिंग योनि की सीमा पार कर गया था। मैंने थोड़ा सा बाहर निकाल कर लिंग को फिर पुरी ताकत से धक्का दिया, इस बार बीवी के मुँह से चीख निकली और बोली की क्या फाड़ने का इरादा है।

मैंने धीरे-धीरे प्रहार करना जारी रखा। बीवी की हालात खराब थी उस को योनि में लिंग से उत्तेजना मिल रही थी और मुँह में छाया की योनि से। डबल आनंद आ रहा था उसे। मैंने अपना ध्यान अब मेरे आगे बैठी छाया की तरफ करा, हाथ बढ़ा कर उसे अपनी तरफ धकेला। मेरे हाथ उस के मांसल भरे हुए उरोजों पर जम गये। मेरी दोनों हथेलियों ने उरोजों को ढ़क लिया। निप्पल ऊंगलियों के बीच लेकर मसले गये। छाया मेरी छाती पर टिकी हुई थी। मैं उस के उरोजों से खेल रहा था, मेरे होंठ उस के कानों को चुम रहे थे। छाया के हाथ मेरे हाथो केऊपर कस गये थे।

हम तीनों में त्रिकोण बना हुआ था और आनंद हमारे शरीर में बह रहा था। यह आनंद अविस्मणीय था। हम तीनों एक ही लय में हिल रहे थे। उत्तेजना की बहाव एक-दूसरे के शरीर से बहता हुआ लौट कर वापस आ रहा था। मैं बीवी से संभोग कर रहा था, छाया के उरोजों को मसल रहा था, बीवी मेरे साथ संभोगरत थी, छाया की योनि का रसपान कर रही थी। छाया की योनि सनसना रही थी और उस के उरोज मेरे द्वारा मसले जा रहे थे। सब के मुँह से अजीब आवाजें निकल रही थी। करीब दस मिनट तक यही चलता रहा। इस के बाद मै डिस्चार्ज हो गया, छाया भी शायद बीवी के मुँख में डिस्चार्ज हो गयी थी।

बीवी ने तो इतनी उत्तेजना पहले अनुभव नही की थी, वह पसीने से नहा गयी थी। हल्की सी चीख सी रही थी। मैं बीवी की बगल में लेट गया, छाया भी मेरी बगल में लेट गयी। उस का शरीर भी पसीने से नहा गया था, सांस भी धोकनी की तरह चल रही थी। कुछ देर सब लोग ऐसे ही पड़े रहे, थोड़ी देर में सांस में सांस आयी। मैंने पहले बीवी का चुम्बन लिया फिर छाया को चुमने के लिए पलटा तो वह मेरा ही इन्तजार कर रही थी हम दोनों एक-दूसरे को ऐसे चुम रहे थे मानो प्रेमी प्रेमिका सालों बाद मिले हो।

मुझें इस समय छाया को चुमने में किसी तरह का अपराध बोध नही था। बीवी हम दोनों को चुपचाप देख रही थी। उस की आँखों में आश्चर्य को भाव थे। उस ने भी हम दोनों को चुमना शुरु कर दिया। उस को इस बात की खुशी थी कि उस की बहन आम औरत की तरह से व्यवहार कर रही थी।

आधा घन्टा हम ऐसे ही लेटे रहे अपनी उर्जा को इकठ्ठा करते रहे। पहल मेरी बीवी ने की, उस ने बैठ कर कहा कि अब आप को छाया के साथ संभोग करना है। उस ने छाया से पुछा कि क्या वो तैयार है तो उस ने सर हिला दिया। मैंने अपने लिंग को देखा और कहा कि इसे कौन तैयार करेगा? बीवी बोली की छाया करेगी। अब वो ही इस की मालकिन है। मै हँस पड़ा।

छाया ने बैठ कर मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया, नये मुँह का स्वाद आते ही लिंग में तनाव आना शुरु हो गया। छाया ने लिंग को लॅालीपॅाप की तरह से चुसना शुरु किया। उस ने पुरे लिंग को मुँह में लेने की कोशिश की। अब सिसकियाँ मेरे मुँह से निकल रही थी। मेरी बीवी इस हालत का मजा ले रही थी। उस ने मैंने निप्पलों को दातों से काटा। नीचे से करंट और उपर से भी करंट शरीर में दौड़ने लगा। थोडी देर में ही लिंग पुरे तनाव पर आ गया छाया ने उसे चाट कर साफ कर दिया था उस पर ऊभरी हुई नसे रक्त के प्रहाव से फुल गई थी।

मैंने छाया को पीठ के बल लिटा कर उस के ऊपर आ गया। उस की केले के तने के समान जाँघों के बीच में बैठ कर अपने लिंग को उस की फुली हुई योनि के मुँह पर रख दिया मैंने बीवी की तरफ देखा तो उस ने सिर हिलाया, मैंने छाया से कहा कि अगर दर्द ज्यादा हो तो बता देना। उस ने कहा कि बोल दुँगी। मैने बीवी को इशारा किया तो उस से कहा कि वह इस में शामिल नही होगी, वह केवल देखेगी।

मैंने लिंग को धक्का दिया तो वो योनि के अन्दर घुस गया योनि बहुत कसी हुई थी। योनि ने इस से पहले लिंग का अनुभव नही किया था। हो सकता है कि अन्दर हाइमन भी टुटा ना हो, अब यह बात बेमानी थी। यात्रा तो शुरु हो गयी थी, बाधाओं की चिन्ता किस को थी। जैसे ही लिंग का मुँह योनि में घुसा तो छाया की चीख निकली, मैंने उस के होंठों पर अपने होंठ रख कर उन्हें बन्द कर दिया। उस ने दर्द के कारण सर इधर उधर हिलाया। उस के हाथ मेरी पीठ पर कस गये नाखुन खाल में चुभ गये थे।

मैं इस से रुका नहीं और जोर से धक्का लगा कर पुरे लिंग को उस की योनि में डाल दिया। दर्द की वजह से वो गरदन पटक रही थी मैंने उस के उरोजों को चुमा, फिर होंठों पर चुम्बन लिया, इस से उस को कुछ आराम मिला। मैंने उस के दोनों हाथ उस के सर के ऊपर कर के अपने हाथों से पकड़ लिए। इस से वह मेरे काबु में आ गई। इस के बाद मैंने फिर से लिंग को अन्दर बाहर करना शुरु किया इस बार उस ने गरदन नही पटकी। थोड़ी देर धक्के लगने के बाद उस ने नीचे से अपने कुल्हें हिलाये और धक्कों में मेरा साथ देने लगी। यह सब एक रिदम में हो रहा था।

मेरे को भी इस संभोग में पुरी ताकत लगानी पड़ रही थी। छाया कि कुँवारी योनि कसी हुई थी और अन्दर धर्षण बहुत ज्यादा था। लिंग पर बड़ा जोर लग रहा था। कुछ देर बाद मैंने लिंग को बाहर निकाल लिया, लिंग पुरा खुन से सना हुआ था लाल रंग का हो रहा था। इस पर छाया ने हाथों से मेरे कुल्हों को जकड़ कर इशारा किया कि वह चाहती है कि लिंग फिर से अन्दर डालु। मैंने इस बार लिंग को एक बार में ही पुरा घुसेड़ दिया। छाया के चेहरे पर आनंद के भाव आये। मुझें यह देख कर शान्ति मिली की उस का यह व्यवहार सामान्य लड़की का था।

मैंने बीवी की तरफ देखा, उस के चेहरे पर भी सन्तुष्टी के भाव थे। हम दोनों की बड़ी चिन्ता दूर हो गई थी। मेरा ध्यान फिर नीचे लेटी छाया पर गया, उस के चेहरे पर सन्तुष्टी के भाव थे। मैने उस को अपने ऊपर कर लिया और खुद नीचे हो गया। अब छाया का पुरा नियन्त्रण था। उस के कुल्हे एक रिदम में ऊपर नीचे हो रहे थे मैं भी नीचे से कुल्हें ऊठा कर उस का साथ दे रहा था। मैंने हाथो से उस के उरोजों को सहलाया। अब मैं उठ कर बैठ गया तथा छाया के पाँवों को अपनी कमर के पीछे कर लिया इस कारण हम दोनों के शरीरों के बीच फासला मिट गया। उस के उरोज मेरे होंठो के करीब आ गये थे। वे अपने काम पर लग गये। छाया ने अपने होंठो को मेरे होंठों से चिपका लिया।

उस की जीभ मेरे मुँह में अठखेलियां खेलने लगी। मैंने भी उस की जीभ की नोक को चुसा। वासना का उफान पुरे उफान पर था। छाया अपने कुल्हों को जोर-जोर से उठा कर धक्का लगा रही थी। मुझें लगा कि वो डिस्जार्च होने वाली है मैंने उसे उठा कर लिटा लिया और ऊपर आ गया। ज्वालामुखी फटने को था। मैं अपने पुरे शरीर को तान कर धक्का लगा रहा था, छाया भी नीचे से उत्तर दे रही थी। छाया के हाथ मेरी कमर पर कस गये और उस के पाँव मेरी जाँघों पर कस गये। इस का मतलब था कि वह डिस्जार्च हो गयी। मैं भी इस के बाद डिस्जार्च हुआ। लिंग के ऊपर गरम द्रव की बौछार हो रही थी अपने वीर्य की गरमी भी मैंने महसुस की।

मैंने छाया को कस कर पकड़ लिया और बिस्तर पर पलट गया। अब वह मेरे ऊपर थी मैंने उसे इतना कस कर जकड़ा कि उस की कराह निकल गयी। उस ने दातों से मेरी पीठ पर काट लिया। दर्द की लहर मेरे बदन में फैल गयी। मैंने अपनी जकड़ उस पर से कम कर ली। वो मेरे ऊपर पड़ी हुई थी उस के उरोज मेरी छाती पर दबाव डाल रहे थे। कुल्हें लिंग को अन्दर करने के लिए झटके लगा रही थे। लिंग शिथिल हो कर योनि से बाहर आने की कोशिश कर रहा था लेकिन योनि की मांसपेशियों ने उसे कस कर जकड़ा हुआ था। वो उसे मथ रही थी। दर्द अब मेरे से बर्दाश्त नही हो रहा था। मेरे मुँह से सिसकिया निकलने लगी।

छाया भी होश में आ गई उस ने योनि की मसल को ढीला किया मेरा लिंग बाहर निकल आया। लिंग की शक्ल देखने लायक थी पुरा का पुरा योनि द्रव रक्त और वीर्य से लोथपोथ था। छाया की योनि से भी द्रव निकल कर मेरे अंड़कोषों पर गिर रहा था। मैंने भी छाया के कुल्हों में अपने नाखुन गड़ा दीये। तुफान उतर जाने के बाद शान्ति छा गयी। छाया मेरे ऊपर से हट कर बगल में लेट गयी। उस की सांसे तेज चल रही थी। इस कारण उस के उरोज ऊपर नीचे हो रहे थे। मेरी आंखों के सामने जो तारें नाच रहे थे वह अब हट गये थे।

छाया ने पलट कर मुझें चुमना शुरु कर दिया, उस ने कहा कि जीजा जी इस के लिए थैक्यू। मैंने कहा कि थैक्यू कहना है तो अपनी दीदी को कहो सब उस ने करा है। अब मेरी बीवी भी उठ कर हम दोनों के बीच आ गई, हम दोनों ने उसे भावुक हो कर चुमना शुरु कर दिया, उस ने रोना शुरु कर दिया मैंने उस के आँसु अपने होठों से पी लिये। छाया तो उस से कस कर लिपट गई। काफी देर तक भावनाओं का तुफान बहता रहा। हम तीनों का शान्त होने में समय लगा।

मैंने दोनों को चुम कर शान्त किया और कहा कि तुम दोनों बहनों के प्रेम की जीत है, तुम ने मुझ से वो काम करवा लिया जिस के बारे में मैं सोचना भी पाप समझता था, लेकिन तुम दोनों को सलाम है। छाया बोली की आप ने शायद मुझें मेरा जीवन लौटा दिया है, दीदी ने अपने वैवाहिक जीवन को मेरे लिए दांव पर लगा दिया। आप ने अपने आप को पीछे कर के मेरे बारे में सोचा, इस के लिए मैं सारी जिन्दगी शुक्रगुजार रहूगीं। आप दोनों के कर्ज से मैं जीवन भर मुक्त नही हो सकती। मेरी बीवी बोली कि आप ने तो हमारे जीवन को ही दांव पर लगा दिया। समाज की निगाहों से इस को कोई पाप समझ सकता है लेकिन यह राज हम तीनों के सिवा और कोई नही जानेगा।

मैंने कहा कि इस कमरे से बाहर सब सामान्य व्यवहार करेगें जैसे करना चाहिए। अब सोते है काफी थक गये है। सब मुस्करा दिये और एक दूसरे से लिपट कर सो गये।

लेटते समय मै सोच रहा था कि होली पर जिस लड़की के उरोज से हाथ लग जाने से मैं जितना परेशान था, आज उस से संभोग कर के उतना ही खुश हूँ, समय भी क्या शय है। कल उस के स्पर्श से डर रहा था आज उस को भोग रहा था। दूसरी औरत के नाम से किसी भी औरत को आग लग जाती है लेकिन यहाँ तो खुद वो ही अपने पति को अपनी बहन के साथ कर रही है। संबंधों को समझना मुश्किल है।

इस बात की खुशी थी कि बीवी की चिन्ता खत्म हो गई कि उस के कारण उस की बहन सामान्य जीवन नही जी पायेगी। उन दोनों की लेस्बियन लाईफ अस्थाई थी, उस में स्थायित्व नही था। समाज में लेस्बियनस् के बारे में वैसे ही गलत धारणा है। अब कम से कम छाया सामान्य लड़के से लगाव कर पायेगी और भविष्य में शादी भी कर सकेगी। चिन्ता से मुक्ति की गहरी नींद आ गई। दूसरे दिन छुट्टी थी इस लिए जल्दी उठने की चिन्ता नही थी।

दूसरे दिन छाया ने मुझ से पुछा कि रात को आप ने मेरे से संभोग करते समय जरा भी दया नही दिखाई थी। कुँवारी लड़की के साथ ऐसी निर्दयता अच्छी बात नही है। आपने तो मेरी जान ही निकाल दी थी। ऐसे प्यार किया जाता है। मैंने यह सुन कर कहा कि तुम्हारी दीदी ने अपनी सुहागरात की कहानी तुम को सुनाई है या नही मुझें पता नही। लेकिन आज मेरे से सुनो।

हमारी सुहागरात सात दिन तक चली थी, पहले दिन तो तुम्हारी दीदी ने चुम्बन भी लेने नही दिया था, संभोग तो दूर की बात है।

मेरी बात सुन कर मेरी बीवी हँसने लगी की अब हर बात थोड़ी ना बताई जाती है। वो बोली कि मुझें तो पहले दिन समझ नही आ रहा था कि इस पुरुष के साथ क्या करुँ। मेरी तुम्हारी दोस्ती की वजह से मेरी पुरुषों में कोई दिलचस्पी नही थी। शादी के समय मना करने की हिम्मत नही थी। शादी के बाद इन के अच्छे व्यवहार को देख कर मुझें लगा कि मैं इन को अपनी समस्या समझा पाऊँगी। इस लिए पहली रात तो मैंने इन्हे अपने को हाथ भी नही लगाने दिया। सुबह अपनी माँ से इन्होनें झुठ बोल दिया कि अभी इस को महावारी हो रही है इस लिए कुछ नही हुआ है।

दूसरे दिन हम हनीमून के लिए मनाली चले गये। वहाँ पर इन्होनें एकान्त में लॅाज लिया हुआ था इस लिए वहाँ जो कुछ हो उसे कोई जान नही पायेगा। वहाँ पर जा कर रात में मैंने सोचा कि चुम्बन तो हम तुम भी करते थे तो इस को करने में कोई परेशानी नही थी। सो इस रात को हम दोनों की चुम्बन रात हुई। तुम्हारे जीजू की भलमनसाहत ही थी कि मैं अपने नकली जाल से निकल पायी, कोई और होता तो झल्ला कर या तो जबरदस्ती करता या छोड़ देता लेकिन तेरे जीजू ने ऐसा कुछ नही किया और मेरे से बात की मेरे डर को खत्म किया और मेरे से दोस्ती करी।

बाद की सब बात तो अपने आप हो गई मैंने दो दिन पहले तक इन को भी हमारे रिश्ते के बारे में नही बताया था। तीसरे दिन हम ने सारा दिन मनाली घुमने में गुजारा, रात को जब सोने गये तो मेरा मूड बहुत रोमांटिक हो रहा था, मन से इन के प्रति प्यार पैदा हो गया था कि यह आदमी मेरी सब बातें मान रहा है कुछ कह नही रहा है। ऐसा आदमी भाग्य से मिलेगा अब तो बाकी जिन्दगी इसी के साथ बितानी है, इन के व्यवहार ने मेरा मन जीत लिया और मैंने मन ही मन निश्चय किया की आज से इन की हर बात माननी है। रात को यह जब पास में आये तो हम दोनों ने एक दूसरे को चुमना शुरु कर दिया चुमते चुमते कब हमारे हाथ एक दूसरे के बदन पर फिरने लगे और कब कपड़ें बदन से उतर गये पता ही नही चला।

फिर जब इन्होने संभोग करना आरम्भ किया तो दर्द के मारे बुरा हाल हो गया तब इन्होने लिंग को निकाल कर मुझें फिर से चुमना शुरु कर दिया सारे बदन को सहलाया। इस के बाद फिर लिंग डाला तो दर्द हुआ तो लेकिन प्यार की प्यास इतनी जोर की लगी थी कि उस का पता ही नही चला। जब पुरा घुसा तो जोर से चीखने लगी इन्होनें डर से पुरा लिंग बाहर निकाल लिया। दर्द कम होने की जगह बढ़ गया मैंने इनके लिंग को अपने हाथ से योनि पर लगा कर इन से कहा कि करो।

इन्होने जब लिंग डाला तो मैंने अपने नीचे के होठ के दातों से दबा लिया कि चीख ना निकले यह भी कुँवारे थे इस लिए डरे हुये थे लेकिन मैंने इन्हें इशारा किया और इन्होने लिंग पुरा एक बार में ही डाल दिया। अन्दर आग लग गई, लेकिन मैं चुप रही लेकिन जब तीन चार बार लिंग के ऊपर नीचे होने से दर्द कम हुआ फिर तो हम दोनों पुरी रफ्तार से चल पड़े जब तक मंजिल पर नही पहुँचे रुके नही। बाकी दिन तो मानों पर लगा कर उड़ गये।

तेरे साथ हमें पता था कि तुझे इन से लगाव है इन की तरफ झुकाव है। इस लिए एक बार तो यह होना ही है इस लिए उस प्रवाह को रोकना नही था। ज्यादा देर करने से हो सकता था कि तु डर जाती और बात बिगड़ जाती हम दोनों वैसे ही इतने समय तक एक नकली संबंध में बंधे थे जिस का टुटना जल्दी जरुरी था। अब तु ही बता कि तुझे कैसा लग रहा है। नॅारमल है या नही। इन से डर लग रहा है या नही?

इस बात को सुन कर छाया हँसने लगी कि जीजा जी से कैसा डर। इन से तो आज तक कभी डर नही लगा कल भी मुझें कोई डर नही था, पता था जो कर रहे है वो मेरे भले के लिए कर रहे है। शायद जीजा जी पहले पुरुष है जिन में मेरी दिलचस्पी जगी है। अब मुझें लग रहा है कि तुम और मैं सामान्य जीवन जी पायेगे। जीजा जी को छेड़ने का तो मेरा हक है और उसे मैं छोड़ नही सकती। ये सुन कर हम पति पत्नी जोर से हँस पडे़।

मैंने कहा कि आज का कोई खास प्रोगाम हो तो पहले से बता देना। दोनों हँस कर बोली कि अब तो एक ही प्रोगाम होगा हर दिन।

अकेले में मेरी बीवी ने मुझ से कहा कि छाया को जब तक वो यहाँ पर है आप को हर रात भोगना है ताकि वो जब वापस जाये तो उस के अन्दर लेस्वियन भावना खत्म हो जाये, मेरे मन की बात समझ कर वो बोली की मैं तो साथ हुँगी ही। उसे पहले ही पता चल जाता था कि मेरे मन में क्या है। होठों तक शब्द आने से पहले ही वो सब जान जाती थी। उस के सामने मैं झुठ नही बोल सकता था। बोली की हम दोनों को भोगने के लिए डबल ताकत की जरुरत होगी इस का इन्तजाम मैं करती हूँ। मैंने कुछ कहा नही, केवल मुस्करा दिया।

रात को फिर छाया का नम्बर था आज वो संभोग का मजा ले रही थी। पहले दौर के बाद मेरी बीवी भी हम दोनों के साथ आ गई और थ्रिरी सम का दौर चला। इस में मजा तो आता है लेकिन ताकत भी लगती है। तीसरे दिन हम ने बीयर की कई बोतले खाली कर दी, इस के बाद तो नशे में जोर का धमाल हुआ। उस का असर सुबह यह था कि छाया और उस की बहन से चला नही जा रहा था, मेरे कमर के नीचे के हिस्से में दर्द की लहरे उठ रही थी। हमें खुद भी पता नही था कि हमने नशे में कितनी बार सेक्स किया था और कैसे किया था?

उस दिन मुझें डर सा लगा कि इस तरह हम किसी नई मुसीबत में तो नही फँस जायेगे। मैंने बीवी से बात की तो वह बोली की कल तो हद हो गयी थी अब आगे से ध्यान रखेगे कि सीमा ना लाँघे।

छाया एक महीने हमारे साथ रही और इस दौरान मैंने और मेरी बीवी ने उस के मन से लेस्वियन का हर विचार निकाल दिया था। उस ने स्त्री-पुरुष के संबंध का इतना स्वाद चख लिया था कि उसे अब स्त्री-स्त्री का स्वाद पसन्द नही आयेगा।

इस घटना के दो साल बाद छाया की शादी हो गयी। वह अपने पति के साथ सुख से है। मैं यह बात हर समय ध्यान रखता हूँ कि वह जब भी आस-पास हो तो मैं संयत रहूँ।

**** समाप्त ****

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