पुर्व प्रेमिका से मुलाकात

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अबकी बार उस के होंठ मेरे होंठों से चिपक गये और जब तक सांस नही फुली हम दोनों अलग नही हुऐ। तभी गार्ड सुटकेस और सारा सामान ले कर आ गया और सब कुछ रख कर चला गया। मैंने सुटकेस और सामान ऊठा कर उस के बेडरुम में रख दिया। फिर हम दोनों उस के कपड़े अलमारी में लगाने लग गये। मेरे कपड़ें जो बैग में थे उन को भी उस से निकाल कर अलमारी में रख दिया औस मेरे से कहा कि अच्छा ही हुआ कि कल तुम ने अपने लिए अन्डर गारमैन्ट भी खरीद लिये, यहाँ इस की जरुरत पड़ेगी इस लिए इन्हें यही रख रही हूँ, मैंने कहा कि यही सही रहेगा।

दोपहर हो चली थी मैंने कहा कि क्या खाओगी उस ने कहा कि मैं खाना खुद बनाती हूँ पता चल जायेगा कि किसी चीज की जरुरत तो नही पड़ेगी। मैंने उसे सारा फ्लैट दिखाया, बालकॉनी से बढ़िया नजारा दिखाई देता था। उस ने कहा कि लोकेशन तो बढ़िया है। मैंने कहा कि अब में नहाने जा रहा हूँ चाहे तो वह भी नहा ले उस ने कहा कि वह भी नहायेगी। मैं नहाने चला गया। नहा कर आया तो देखा कि वह मेरे कपड़ें ले कर तैयार खड़ी थी मैंने कहा कि अभी से मेरी आदत ना बिगाड़े, उस ने कहा कि उसे क्या पता कैसी आदत हो गयी है मेरी। मैंने कहा कि पहले जैसी डाली थी वैसी ही है कुछ भी बदली नही है। उस के अधरों पर मुस्कराहट आ गयी। वो जब नहाने गई तो मैं बाहर ही खड़ा रहा वो जब निकली तो मुझें देख कर बोली कि यहाँ क्यों खड़े हो मैंने कहा कि तुम्हारे गीले बालों को देखने के लिए खड़ा हूँ उस ने गीले बालों से मेरे पर पानी छिड़का और बेडरुम में चली गयी।

ऑफिस से फोन आया कि सर कोई और काम तो नही है। मैंने कहा कि किसी पंडित जी का इन्तजाम करो, मुझें कुछ बात करनी है, ड्रेस डिजाईनर भी ढुढ़ कर मिटिग फिक्स करो। मैं इस के बाद किचन मैं उस को खाना बनाता देखता रहा। मैंने उस की दोनों हथेलियाँ हाथ में ले कर चुम ली। वो बोली कि मुझें काम करने दो नही तो मैं रो दूगी। मैं वहाँ से हट गया। बेडरुम में जा कर लेटा तो नींद आ गयी। किसी ने किस करा तो नींद खुली देखा कि वह सर पर खड़ी थी बोली कि खाना खा लो।

मैं ने कहा कि नींद आ गयी थी। मैं उठ कर उस के साथ बाहर आ गया, दोनों बैठ कर खाना खाने लगे, मैंने उस से कहा कि खाना तो अच्छा बना लेती है। उस ने कहा कि तुम ने कभी मेरे हाथ का बना खाना कब खाया था? खाना खाने के बाद मेरे ऑफिस से फोन आया कि पंडित का इन्तजाम हो गया है। कहाँ भेज दूँ। मैंने उस की तरफ देखा तो उस ने कहा कि यही पर बुला लो मैंने कहा कि मेरे फ्लैट पर भेज दो। उस ने कहा कि आधे घन्टे तक आप के पास पहुँच जायेगा। मैंने उस से कहा कि तारीख तो तय कर लेते है। थोड़ी देर में पंडित जी आ गऐ मैंने उन्हे बताया कि शादी की तारीख निकल वानी है।

पंड़ित जी ने हम दोनों की जन्म तिथि पुछी और गणना करने लगे फिर बोली के बीस दिन बाद शुभ मुहर्त निकलता है। पंडित ने एक कागज पर तारीख लिख कर मुझें दे दी मैंने पुछा कि कोई और बात तो नही बतानी है तो उन्होंनें कहा कि आप चिन्ता ना करे यह बड़ा शुभ दिन है, आप आराम से शादी कर सकते है। मैंने पंडित जी को दक्षिणा दे कर विदा किया।

उन के जाने के बाद हम दोनों बातें करने लगे कि आगे कैसे करना है। उस ने कहा कि सब कुछ तुम ने करना है देख लो।

मैंने कहा कि मैं मैरिज प्लानर को हॉयर करता हूँ। तुम्हारें और अपने कपड़ें भी लेने है, मैं अपने फोन पर लग गया, मैंने ऑफिस में फोन कर के इन बातों के लिए कह दिया। मैंने उस से पुछा कि किस तरह का लहंगा चाहिए तो उस ने कहा कि डिजाईनर लहंगा चाहिए, तुम भी अपने लिए डिजाईनर शेरवानी लेना। मैंने कहा कि अब यह सब अच्छा लगेगा? उस ने कहा हम अभी कौन से बुढ़े हो गये है। मैंने कहा कि तुम्हारी ही मानते है। मैंने उस से कहा कि वह जिन को बुलाना है उन की लिस्ट बना ले मैं अपनी लिस्ट बना लेता है। तभी ऑफिस से फोन आ गया कि वह एक मीटिंग अरेन्ज करवा रहा है। मैंने कहा कि शाम की मीटिग रखे। उस ने हाँ कह कर फोन रख दिया।

मैंने उस से कहा कि शाम तक लहंगे, शेरवानी का इन्तजाम हो जायेगा, मेरिज प्लानर भी कर लेगे। कुछ छुट तो नही गया है। उस ने कहा कि मुझें तो कुछ याद नही आ रहा है। मैंने कहा कि और कुछ भी करवाना हो तो बता देना, फिर मुझें याद आया कि उसे रिजाइन भी करना है मैंने उस से कहा कि कल उसे ऑफिस जा कर रिजाइन करना है ताकि उसे रिलिव किया जा सके। उस ने मुझें देखा कि मैं शायद मजाक कर रहा हूँ। मैंने कहा कि उस को रिजाइन तो करना पड़ेगा, क्योकि वो शादी की तैयारियों में बिजी रहेगी और ऑफिस नही जा पायेगी और मैं नही चाहता हूँ कि अब वह कम्पनी में किसी के अन्डर काम करे। शादी के बाद उसे नये पद पर कम्पनी जॉईन करनी पड़ेगी। उस ने मेरी तरफ देख कर कहा कि मुझें अभी भी विश्वास नही हो रहा है कि जिस कम्पनी में मैं दो साल से काम कर रही थी तुम उस के मालिक हो और कल मैं भी उस की मालकिन बन जाऊँगी।

मैंने कहा की मालिक की मालकिन बनने वाली हो तुम तो। वह हँस दी। बोली कि किस्मत का कैसा खेल है मैंने कहा कि मुझें भी तो नही पता चला कि मेरी एक मैनेजर मेरी अपनी परिचित है। पहले तो जब भी कोई नया जॉयन करता था तो एच आर मेरे से उस का परिचय करवाती थी अब लगता है कि कम्पनी बड़ी हो गयी है मुझें इस बारे में कुछ करना पड़ेगा तो उस ने कहा कि इस बात के लिए किसी की नौकरी नही जानी चाहिए। मैंने कहा कि नौकरी तो नही जायेगी लेकिन प्रोसेस को सही तो करना ही पडेगा।

उस ने कहा कि वह कल जा कर अपना इस्तीफा दे देगी, और उस में पर्सनल रीजन लिख देगी। मैं हाँ में सर हिलाया। मैंने कहा कि वह परेशान ना हो उस की नौकरी कही नही जा रही है बल्कि मैं उसे बड़े पद पर लगाऊँगा। मैं नही चाहता कि मेरी जान अब किसी के नीचे काम करे और जा कर उस को रिपोर्ट करे। इस पर वह बोली कि अब मुझ पर बड़ा प्यार आ रहा है मैंने कहा कि मुझें प्यार कब नही था अब जा कर उसे दिखाने का मौका मिला है।

उस ने मेरी बांह पकड़ कर कहा कि तुम्हारा यह रुप पहले मेरे सामने क्यों नही आया था मैंने कहा कि कुछ चीजों का मुल्य हम उन को खो जाने के बाद ही समझते है। तुम्हारी कीमत तो मैं ही जानता हूँ। वो हँस कर बोली की मेरे पल्लू से ही बँध कर बैठे रहोगे, मैंने कहा कि कल मुझें दो दिन के लिए बाहर जाना है इस लिए यह सब कर रहा हूँ, जाना कैसिल नही कर सकता, उस ने कहा कि मैं दो दिन कैसे बिताऊगी। मैंने कहा कि शॉपिग कर लेना और शायद कपड़े भी पसन्द कर लेना उस ने कहा कि वो कुछ नही करेगी जब तक मैं उस के साथ नही होऊँगा।

मैंने कहा कि तुम्हे साथ नही ले जा सकता नही तो अपने साथ ही ले जाता, फिर मुझें कुछ ध्यान आया और मैंने उस से पुछा कि उस का पासपोर्ट है तो उस ने कहा कि हाँ है। मैंने कहा कि उस में शादी के बाद नाम बदलवाना पड़ेगा शायद बोली कि इतने आगे की क्यों सोच रहे हो मैंने कहा कि हनीमून मनाने नही चलोगी तो वह शरमा गयी और बोली कि हमारा तो कल हुआ ही है, मैंने कहा कि कुछ तो जमाने को दिखाने को करना पड़ेगा तो वह मुझें मारने को दौड़ी, मैं दौड़ कर उस के दूर भाग गया।

तभी मेरा फोन बजा, दूसरी तरफ मैरिज प्लानर था वह मिटिग के लिए जगह पुछ रहा था मैंने उसे एक फाइव स्टार होटल का नाम बोला और कहा कि चार बजे मिलते है। हम दोनों मिल कर लोगों की लिस्ट फाईनल करने लगे। 50 से ज्यादा लोग नही थे हम ने तय किया कि शादी करके उस की पार्टी बाद में देगे। ज्यादा समय नही था सो हम दोनों तैयार होने लगे। चार से कुछ पहले दोनों निकल गये। होटल पहुंच कर लॉबी में पहुंचे तो वहाँ मैरिज प्लानर को इंतजार करते पाया। प्लानर ने पुछा कि सर कितने आदमी है मैंने उसे बताया कि 50 से ज्यादा नही होगे। बोला कि शादी की कोई थीम मैंने कहा कि हम पारंपरिक शादी चाहते है ज्यादा शौर शराबा नही चाहिए।

किसी कोठी या फार्महाउस पर कर लेते है जहाँ पर सुरक्षा का पुरा इन्तजाम होना चाहिए तो उस ने कहा कि सर मुझें बता दिया गया है। मैंने उसे बताया कि शादी अटेन्ड करने वालों के नाश्ते खाने का इन्तजाम उन्हें करना पड़ेगा जो फाईव स्टार जैसा होना चाहिए। लेकिन स्वाद घर जैसा होना चाहिए। उस ने पुछा कि मैम ती तरफ के कितने आदमी होगे तो मैंने कहा कि सब मिला कर 50 आदमी हो सकते है। पंडित का इन्तजाम भी उस को ही करना होगा लेकिन वह कर्मकांडी होना चाहिए उस ने सर हिलाया मैं पुछा कि उसे और तो कुछ नही पुछना उस ने कहा कि सर फोटोग्राफर भी करना होगा मैंने कहा कि हाँ बढ़िया होना चाहिए प्रिवैडिग नही होगी। जो कुछ भी होगा शादी में ही होगा।

उस ने कुछ कहने को मुँह खोला तो मैंने पुछा कि तुम्हे कुछ कराना है तो उस ने कहा कि छोटी सी प्रिवैडिग शुटिग करवा लेते है। शादी के दिन तो सही फोटो नही खीचँ पाती है। मेरे को उस की बात सही लगी और कहा कि प्रिवैडिग की बात भी जोड़ लो लेकिन उस का कोई एलमब मुझें पहले दिखला देना। यह सब बात करके हम होटल से चलने लगे तो मैंने कहा कि कुछ खाना है तो उस ने कहा कि नही घर चलते है। हम दोनों घर के लिए निकल पड़े। रास्ते में बेकरी देख कर मैंने कार रोकी तो वह बोली कि अब क्या लेना है मैंने कहा कि किसी के लिए कुछ लेना है अभी आता हूँ उस को कार में बैठा छोड़ कर मैं बेकरी गया और एक ब्लैक चाकलेट केक ले कर लौटा, जब उसे पीछे रख रहा था तो उस ने पुछा कि तुम्हें अभी तक ध्यान में है।

मैंने कार में बैठ कर कहा कि मैं कुछ भुल ही नही पाया हूँ। मैंने कहा कि कभी केक खरीदने के लिए मैरी जेब में पैसे नही होते थे तो मैं उसे टॉफी दे कर मन को समझा लेता था आज तो किसी बात की कमी नही है फिर मैं क्यों उसे केक नही खिला सकता, मेरी बात सुन कर उस ने मेरी बांह कस कर पकड़ ली। दोनों एक दूसरे को चुमते रहे। घर आने तक यह खामोशी जारी रही।

घर आ कर केक का डिब्बा मैंने किचन में जा कर रख दिया। वो उसे एक प्लेट में रख कर ले आयी। मैंने एक टुकड़ा काट कर उसे खिलाया तो उस ने उल्टा उसे मेरे मुँह से लगा कर कहा कि पहले तुम खायो फिर मैं खाऊँगी, मैंने उस की बात नही टाली। उस के बाद उस ने उसी टुकड़े को खा लिया। इस के बाद मैंने बांहे खोली तो वह उन में समा गई हम दोनों की आँखे आँसु बहाने लगी ना जाने कितनी देर तक हम दोनों यूं ही रोते रहे। जब रोना बन्द किया तो उस ने केक लगे होठों से मेरे होंठ चुम लिये।

इस चुम्बन के बाद दोनों ने पुरा केक खत्म कर दिया लगा मानो दस साल के भुखे थे। यादें जब आती है तो उन को रोकना मुश्किल हो जाता है। दोनों चुपचाप एक-दूसरे को चुमते हुए खड़े रहें। उस ने कहा कि तुम्हे कल जाने के लिए कपड़ें तैयार नही करने है मैंने कहा कि उसने अच्छा याद दिलाया मैं अभी जा कर कपड़े पैक करके लाता हूँ तभी मेरे फोन की घन्टी बजी दूसरी तरफ मेरी सेक्रेटरी थी उस ने कहा कि सर आप का क्या प्रोग्राम है? आप की सुबह की फ्लाईट है कपड़ें वगैरहा पैक करने होगे। मैंने कहा कि घर पर किसी को भेजो मैं वहा आ रहा हूँ सुबह का प्रोग्राम पक्का है उस को भी तो साथ जाना है। उस ने हाँ कहा और फोन रख दिया। यह सुन का उस ने कहा कि इसे सब याद रहता है मैंने कहा कि उसे याद रखने के पैसे मिलते है वह मेरी पर्सनल असिस्टेन्ट है। उस की यह जॉब है।

मैंने उस से कहा कि मैं घर पर जा कर सामान पैक करके आता हूँ कुछ मगाँना हो तो बता दे। उस ने कहा कि कुछ नही मगाँना है मेरे कहा कि खाना पैक करवा कर लाऊ तो वो बोली कि जैसी तुम्हारी मर्जी। निकलते में मैंने उस का मोबाइल का नम्बर पुछा तो उस ने कहा कि अभी तक नही लिया है। मैंने कहा कि तुम ने अभी तक दिया कहाँ है? उस ने हँस कर मेरा फोन ले कर नम्बर डायल कर दिया। मैंने मजाक में कहा कि इस नम्बर के लिए बड़ा लम्बा इन्तजार किया है। उस ने आँखे तरेर कर मेरी तरफ देखा। मैं बाहर निकल गया।

घर आ कर अपने कपड़ें पैक किये और जरुरी सामान डाल कर सुटकेस बन्द कर दिया। मेरा ड्राइवर आया हूआ था उसको बताया कि वह मुझें सुबह एयरपोर्ट छोड़ने के बाद मेरे फ्लैट से मैडम को लेकर ऑफिस जायेगा और सारे दिन मैडम के साथ ही रहेगा शाम को अगर उन को कही जाना होगा तो लेकर जायेगा फिर फ्लैट पर छोड़ कर आयेगा। अगली सुबह भी उसे उनके साथ ही रहना है। यह समझा कर मैं उसे साथ लेकर वापस फ्लैट पर लौट आया।

रास्ते में छोले-भटूरे पैक करा कर ले लिये। वापस आने के बाद मैंने ड्राईवर को उस से मिलवा दिया और समझा दिया कि वो अब उस को कार से ले जायेगा। मैंने जब उसे छोले भटूरे दिये तो उस ने कहा कि यह तुम्हें कहाँ मिल गये मैंने बताया कि मैं कई सालों से इन को खा रहा हूँ जब भी दिल्ली की याद आती है तो मैं छोले-भटूरे खाने चला जाता हूँ। उस ने कहा कि तुम इतने सालों में बिल्कुल नही बदले हो। मैंने कहा कि बदलता कैसे मुझे बदलने वाली तो खुद बदल गयी थी। उस ने मुझें देखा और कहा कि कब तक मुझें सुनाते रहोगे, मैंने कहा कि सुना नही रहा हूँ सच्चाई बता रहा हूँ।

इस में बुरा मानने की कोई बात नही है। तुम ही हो जो मुझे बदल सकती हो। इस पर उस के चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी। मैंने कहा कि कल तुम मेरी कार में ही जाना और आना भी उसी, से मेरा ड्राईवर अब तुम्हारी सेवा में रहेगा। मैं दो दिनों के बाद लौटुगाँ, अगर कपड़ें पसन्द करने जाना हो तो इस के साथ चली जाना। उस ने कहा कि कपड़ें तो हम दोनों मिल कर ही पसन्द करेगे। मैंने कहा कि कोई और खरीदारी करनी हो तो कर लेना। उस ने हाँ में सिर हिला दिया।

दोनों से छोले-भटुरे खाये तो पुराने दिन याद आ गये कि कैसे दोनों छोले-भटुरे खाने करोल बाग जाते थे। मैंने उस से कहा कि कही मैं उस पर कोई जबरदस्ती तो नहीं कर रहा हूँ तो उस ने कहा कि तुम्हे ऐसा क्यों लग रहा है तो मैंने कहा कि तुम 10 साल तक अकेली रही हो बड़ी हो गयी हो मैं भी बड़ा हो गया हूँ काम करने का तरीका बदल गया है सब चीजो में अपनी चलाता हूँ कही ऐसा ना हो कि तुम कुछ करना चाहती हो और मेरी शर्म से चुप रहो ऐसा मैं बिल्कुल नही चाहता। उस ने मेरी तरफ देखा और कहा कि उसे अच्छा लग रहा है कि कोई उस की चिन्ता कर रहा है और उस के लिए सोच रहा है। हर लड़की की इच्छा होती है कि कोई ऐसा हो जो उसे प्यार करे उस की देखभाल करे।

तुम जो कर रहे हो ऐसा ही हर लड़की अपने लिए चाहती है। मैंने कहा कि यह सही बात है लेकिन अब हम बड़े हो गये है हमारी आदतें भी बदल गयी होगी इस लिए मैंने पुछा तो उस ने कहा कि अगर कुछ गलत लगेगा तो मैं टोक दुँगी। अभी तो मैं अपनी सेवा का मजा ले रही हूँ तुम उस में विध्न ना डालो। मैंने कहा कि नही डालते। मेरी बात सुन कर वह हँस दी और बोली कि पहले तो तुम पर मैं अपनी चलाती थी अब तुम्हारी बारी है कि तुम मुझ पर अपनी चलाओ, मैं कुछ नही कहुँगी। कितने सालों से मन में तमन्ना थी कि काश ऐसा होता जब ऐसा हो रहा है तो मैं उसे क्यों रोकुँगी। तुम मेरे लिए ही तो कर रहे हो।

मैंने कहा कि शायद आज मुझें लगा है कि मेरे इतना सब करने का कुछ अर्थ है। कोई है जो इस सब का फायदा उठा सकता है तो वो तुम हो। हमारी बातें खत्म होने का नाम नही ले रही थी अचानक मुझें याद आया कि उस के पासपोर्ट पर उस का नाम क्या लिखा है तो उस ने कहा कि मेडन नेम ही लिखा है। मैंने कहा कि उस में नाम बदलवाना पड़ेगा ताकि हम बाहर जा सके। इस के लिए शायद कोर्ट मैरिज भी करनी पडे। उस ने कहा कि यह तुम्हारी जिम्मेदारी है तुम जानों मैंने कहा कि मुझें पासपोर्ट दिखा दे। उस ने पासपोर्ट ला कर मेरे हाथ में दे दिया। मैंने उस की फोटो लेकर उसे वापस कर दिया और अपने वकील को मेल कर के पुछा कि इस मामले में क्या किया जा सकता है। थो़ड़ी देर में उस का जबाव आया कि वो पता कर के कल बतायेगा।

रात को जब हम सोने लगे तो उस ने कहा कि तुम को इतनी सब बातें कैसे ध्यान रहती है मैंने कहा कि कम्पनी को चलाने के दौरान इस सब की आदत पड़ गयी है सोचने के तरीके में बदलाव आया है इसी वजह से आगे की सोच पाता हूँ। दोनों बिस्तर में जाते ही प्रेम क्रीड़ा में मग्न हो गये। सालों के प्यासें थे। काम के हाथों मजबुर थे। फिर लगा कि अब इस खेल को खत्म करके सोना चाहिए क्योकि सुबह जल्दी उठना था।

सुबह मैं जल्दी उठ कर नहाने चला गया नहा कर आया तो देखा कि वह जग गयी थी और मेरे लिए नाश्ता बना रही थी मैंने कहा कि मैं बाहर ही नाश्ता कर लेता हूँ तो उस ने कहा कि अब से नही करोगे। मैं तैयार होने चला गया तो वह नाश्ता लगाने लगी जब नाश्ता करने बैठा तो उस ने कहा कि मेरे को फोन जरुर करना मैंने कहा कि तुम भी कर सकती हो अगर मैं भुल जाऊँ तो। उस ने कहा कि वह करेंगी लेकिन आज तो उस ने ऑफिस जाना है।

मैंने कहा कि मैंने एच आर को बता दिया है उसे जैसा सही लगेगा वो तुम्हे बता देगी। हो सकता है कि तुम्हे रिजाइन करना ही ना पड़े अगर ऐसा हो तो तुम शादी के लिए छुट्टी अप्लाई कर देना। एक महीने की छुट्टी मिल जायेगी। मैं जब चलने लगा तो वह मेरे से लिपट गयी और बोली कि दो दिन कैसे बिताऊँगी। मैंने कहा कि मेरा भी यही हाल है लेकिन काम तो करने पड़ेगें। मैंने उसे चुमा तो वह रोने लगी मैंने कहा कि वह इस तरह से मेरी यात्रा में बाधा खड़ी कर रही है। उस ने अपने आँसु पोछ लिये। मैं भी चुपचाप सामान ले कर निकल गया। बाहर ड्राईवर इन्तजार कर रहा था।

एअर पोर्ट से उसे फोन किया तो उस ने कहा कि वह भी ऑफिस जाने के लिये तैयार हो रही है। जब मैंने दूसरे शहर में लैड़ करा तो उस ने फोन कर के कहा कि वह ऑफिस पहुँच गयी है और सब लोग उसे अलग नजरों से देख रहे है। मैंने कहा कि इन नजरों की उसे अब आदत डालनी पड़ेगी। मैं फिर काम में व्यस्त हो गया। रात को जब काम से फुरसत मिली तो उसे फोन किया और उस के दिन के बारे में पुछा तो उस ने कहा कि सही गुजरा वह जब कार से उतरी तो गार्ड से सलाम किया। ऑफिस में सब अलग निगाह से देख रहे थे। एच आर ने कहा कि आप रिजाईन मत करो छुट्टी एप्लाई कर दो मैंने ऐसा ही किया। कल से मैं छुट्टी पर हूँ बताओ कल क्या करुँ। मैंने कहा कि मॉल जा कर कुछ खरीदारी कर सकती हो। जिन को बुलाना है उन को फोन कर लो। उस ने पुछा कि मैंने खाना खा लिया या नही मैंने उसे बताया कि खाना खा लिया है और अब सोने जा रहा हूँ मैंने कहा कि नींद तो नही आयेगी लेकिन सोने की कोशिश करता हूँ उस ने हँस कर कहा कि मेरा भी यही हाल है देखते है क्या होता है।

दूसरा दिन भी ऐसे ही निकल गया। देर रात की फ्लाईट थी वापसी की। रात को दो बजे फ्लाइट लैड़ करी। ड्राईवर कार ले कर आया हुआ था। हमने पहले सैक्रेटरी को उसके घर छोड़ा उस के बाद मुझें छोड़ कर ड्राईवर गाड़ी लेकर चला गया। वो मेरे इन्तजार में जगी हूई थी। मेरे आने पर बोली कि चाय पीने का मन है मैंने कहा कि नेकी और पुछपुछ। वह चाय बनाने चली गयी मैं कपड़ें उतार रहा तो उस ने कहा कि अब कुछ नही पहनना मैंने कहा कि क्यों भई तो जबाव मिला कि बाद में भी तो उतारने हैं। मैंने हँस कर कहा कि मैडम पसीने से तरबतर हूँ कहो तो नहा लूँ उस ने हँस कर कहा कि यह सही रहेगा।

मैं नहाने चला गया। नहा के निकला तो उस ने चाय का कप पकड़ा दिया और कहा कि मुझें तो तुम्हे तोलिए में देखने की आदत थी। जब भी मैं तुम्हारे घर आती थी तो तुम ऐसे ही मिलते थे मेरे को देख कर कपड़े पहनने भाग जाते थे। मैंने कहा कि जब कुछ पहनने को होता नही था। इस लिये यह ही ड्रेस बन जाती थी। चाय के बाद उस ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये और हम दोनों एक लम्बे चुम्बन में डुब गये। उस ने मुझें कस कर जकड़ लिया। उस के उरोज मेरे सीने में चुभ रहे थे मैंने कपड़े में हाथ डाला तो उस ने ब्रा नही पहन रखी थी मेरे हाथ अपने मनपसन्द काम में लग गये। वो बोली कि कभी तो कुछ आराम से कर लिया करो। मैंने कहा कि आराम हराम है।

उस ने मेरा तोलिया खोल दिया और मेरे लिंग को अपने हाथों में ले लिया। वह अचानक बेड पर बैठ गयी उस ने लिगं को मुँह में ले लिया। मैं खड़ा हुआ उत्तेजाना से कांप रहा था जब उस ने मुझें चरम पर ले जा कर स्खलित कर दिया तब उस के होंठों से मेरे लिंग को छुटकारा मिला। अब मेरी बारी थी मैंने उसे लिया कर उस की योनि में दो ऊंगलियों को डाल दिया। धीरे-धीरे जी-स्पाट को उत्तेजित करना शुरु किया। उस के मुँह से आहहहहहहहह उहहहहहहहह आआहहहहहहहहहह निकलने लगी। मैं होंठों से उस के कठोर उरोजों के तने हुए निप्पल पी रहा था उस ने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर कस रखे थे। उस के चेहरे से मुझें लगा कि वो स्खलित होने वाली है तो मैंने अपना लिंग उस की योनि में डाल दिया। उस ने हल्की सी कराह मुँह से निकाली।

मैं लिंग डाल कर पुरी गति से धक्के लगाने लगा दो दिन का अवकाश की पुर्ति भी तो करनी थी दोनों के शरीर पर काम का कब्जा था गति इतनी अधिक थी कि सारा बेड हिल रहा था। हम दोनों जब ही रुके जब चरम पर पहुँच गये। उस से अलग हो कर जब मैं लेटा तो उस ने कहा कि उस का तो दम ही निकलने वाला था। मैंने कहा कि प्यार करने से कभी किसी का दम नही निकलता तो उस ने कहा कि तुम अपनी ताकत नही जानते इतनी जोर से धक्के लगा रहे थे कि लगा कि मेरी कमर ही टुट जायेगी मैंने कहा कि मुझें रोका क्यों नही? इस पर उस ने कहा कि मुझें मजा आ रहा था दर्द तो अब हो रहा है। मैंने उसे चुमा और कहा कि आगे से यह बात मैं अपने दिमाग में रखुँगा। दोनों की ताकत निचुड़ चुकी थी इस लिए दोनों सो गये।

शादी की तैयारी

हम दोनों शादी की तैयारी में लग गये। सबसे पहले शादी के लिय जगह फाईनल करनी थी। मैरिज प्लानर ने जो जगह दिखाई उस में से हम ने एक जगह फाईनल कर दी। शहर से थो़ड़ी दूर थी लेकिन बड़ी शानदार जगह थी, रहने के लिए भी अच्छा इन्तजाम था, सुरक्षा का भी पुरा प्रबंध था। इस के बाद शादी के मीनू को भी फाईनल कर दिया। अब शादी के लिए हम दोनों के कपड़ें पसन्द करने की। हम दोनों डिजाइनर से मिले और उसे अपनी पसन्द बतायी। उस ने हमारे अनुसार हमें डिजाइन दिखाये। कुछ खास पसन्द नही आये उस ने एक दिन का समय मांगा और हम घर लौट आये। हम दोनों से अपने लिए अन्य कपड़ों और सामानों की खरीदारी करनी शुरु कर दी।

रिस्तेदारों को देने के लिए कपड़ें तथा अन्य उपहार भी खरीद लिये। शाम को दोनों इतने थके हुए आते थे कि सोने के सिवा कुछ और करने का दम ही नही रहता था। एक दिन जब शॉपिग करने गये तो उस ने कहा कि उसे कुछ अपने लिये खरीदना है मैं बाहर ही वेट करुँ। मैं हैरान सा दुकान के बाहर उस का इन्तजार करता रहा। जब वह बाहर निकली तो उस के हाथ में पैक किया हुआ पार्सल था। वह मेरा हाथ पकड़ कर वहाँ से चल दी। हम दोनों से अपने लिए भी कुछ अलग कपड़ें खरीदे। अभी तक हम दोनों ऐसे ही सामान्य कपड़े पहनने के आदी थे। लेकिन अब इस में बदलाव करना था इस लिए हम ने अपने वार्डरोब में नये कपड़ें शामिल किये। जुते और चप्पलों के भी नये सैट खरीदे गये।

इस बीच में पासपोर्ट के लिए दोनों ने कोर्ट में शादी भी की क्यों कि उस के पासपोर्ट में नाम बदलना था। हनीमून के लिए मारीशस की टिकट भी बुक करवा ली गयी। बहुत पहले ही हम दोनों ने तय किया था कि हम अपना हनीमून मारीशस में मनायेगे। शादी की तारीख करीब आ गयी। हम दोनों के रिस्तेदार भी आ गये थे, जितना हो सका शादी के पहले के रीति रिवाज पुरे किये जाने लगे।

शादी के दिन वह अपने मन पसन्द गुलाबी रंग के लहगे और चोली में बहुत सुन्दर लग रही थी मैं भी क्रीम कलर की शेरवानी में जँच रहा था। शादी के रीति रिवाजों के दौरान हम दोनों अपनी भावनाओं को बड़ी मुश्किल से काबू कर रहे थे। दस सालों का इन्तजार अब पुरा हो रहा था। शादी होने के बाद उस की सहन सीमा खत्म हो गयी और वह सुबक पड़ी। उस की मां से उसे सभांला सब को लगा कि लड़कियां तो इस मौके पर रोती ही है। वह अपनी मां के कन्धे पर सर रख कर सुबकती रही। उसे और मुझें पता था कि असल बात क्या थी।

खाना खाने के बाद जब सारे मेहमान चले गये तो हम दोनों भी समारोह स्थल से चलने के लिए तैयार हो गये। मेरे ऑफिस के कुछ लोग पीछे से सामान ले जाने के लिए रह गये। वो और मैं जब कार में घर जाने के लिए बैठे तो उस ने कार में मेरे कन्धे पर अपना सर टिका दिया। मैंने उस का हाथ दबाया और उसे आश्वस्त किया। जब घर पहुँचे तो घर में प्रवेश करते समय उस ने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया।

अन्दर मेरे और उस के रिस्तेदार थे।वह चुपचाप मेरा हाथ पकड़े घर में आ गयी। मैंने उस का हाथ पकड़ कर उसे बेडरुम में ले गया। बेडरुम में आते ही उस की भावनाऐं उमड़ पड़ी और वह मुझ से लिपट गयी वो और मैं दोनों रो रहे थे, काफी देर तक हम युही खड़े रहे। जब अपने पर कुछ कंट्रोल हुआ तो हम दोनों बेड पर बैठ गये। उस ने मेरे हाथ को कस कर पकड़ कर कहा कि अब इसे कभी नहीं छोड़ना, मैंने कहा कि इतनी मुश्किल से तो पकड़ में आया है, कैसे छोड़ दूँगा।