घरेलू चुदाई समारोह

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उधर कोमल, शाहीन और सजल ड्राईंग रूम में बैठ कर बातें कर रहे थे। अब उनमें किसी तरह का मलाल नहीं था। हँसना और मज़ाक करना भी अब आसान था, चूंकि पिछले कुछ घंटों में वो काफी करीब आ चुके थे। तीनों नंगे ही बैठे थे।

"तुम दोनों रुक कर मेरे साथ खाना खा कर क्यों नहीं जाते... मेरे पास एक मोटा मुर्गा है जो मैं अकेले तो बिल्कुल नहीं खा पाऊँगी", शाहीन बोली।

"धन्यवाद! आज इतना कुछ होने के बाद मैं अब घर जाकर खाना बनाने के मूड में भी नहीं हूँ।"

"सुनील का क्या होगा? क्या हम उसे भी खाने के लिये दावत दे दें?" शाहीन ने एक नटखट मुस्कुराहट के साथ पूछा।

कोमल बोली, "मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि मैं सुनील को ये बदला हुआ माहौल कैसे समझा पाऊँगी? मेरी तो हँसी ही निकल जायेगी।"

"तुम क्या सोचती हो कोमल....! क्या ये मुनासिब होगा कि हम उसे बता दें कि तुम सजल से चुदवाती हो?" शाहीन ने पूछा, "उसके लिये शायद ये कबूल करना मुश्किल हो कि उसकी बीवी अपने ही बेटे से चुदवाती है।"

कोमल ने अपने एक मम्मे को खुजलाते हुए कहा, "इतना जो इन कुछ दिनों में हुआ है, उसे देखकर लगता है कि मैं सब कुछ संभाल सकती हूँ, चाहे वो एक बेहद नाराज़ पति क्यों न हो... और फिर उसके पास भी तुम्हें चोदने के बाद ज्यादा बात करने का मुँह नहीं है।"

"हाँ! पर मेरा क्या होगा, मम्मी?" सजल के चेहरे पर गहरी चिंता के भाव थे।

कोमल ने सजल के सिकुड़े हुए लंड को थपथपाते हुए कहा, "अपने पापा को संभालने का काम तुम मुझ पर ही छोड़ दो तो बेहतर है.... मैं अब पीछे हटने वाली नहीं हूँ... उसे या तो सब स्वीकार करना होगा.... या चाहे तो वो तलाक ले सकता है।"

"मम्मी?" सजल अपने मम्मी-पापा के अलग होने की बात से आहत हो गया। "तुम्हारे ख्याल से ऐसा नहीं होगा... है न? मैं आप दोनों के बीच में नहीं आना चाहता...।"

"नहीं.... मेरे ख्याल से ऐसी नौबत नहीं आयेगी... कम से कम तुम से चुदवाने से तो नहीं... इससे हमारी शादी में और दृड़ता आयेगी... तुम्हें सोचकर आश्चर्य होगा पर तुम्हारे पापा ने मुझे एक बार कहा था कि बचपन में उनकी अपनी मम्मी को चोदने की बड़ी हसरत थी।"

"दादी को... पर वो तो...?" सजल चौंक गया।

कोमल ने उसे झिड़कते हुए कहा, "अरे... वो अब बूढ़ी हुई हैं... पर अपने दिनों में वो बेहद हसीन थी... उस बात को छोड़ो... मेरा मतलब है कि ये कोई नई बात नहीं है कि कोई लड़का अपनी मम्मी को चोदने की इच्छा रखता हो... शायद पापा ये बात तुमसे ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं और इस बात का मुझे विश्वास है।"

उसी समय सामने के दरवाज़े की घंटी बजी। शाहीन घबरा गयी।

"इस समय कौन हो सकता है?"

"हम तुम्हारे अतिथि शयन कक्ष में रहेंगे जब तक कि तुम इस आगंतुक को नहीं निपटा देतीं... सजल! अपने कपड़े उठाओ और मेरे साथ आओ..." कोमल ने कहा।

कोमल और सजल को उस कमरे में गये अभी कुछ ही क्षण हुए थे कि शाहीन घबरायी हुई अपने ऊँची ऐड़ी के सैंडल खटकाती अंदर आयी।

"अरे बाहर तो सुनील है... अब मैं क्या करूँ?"

"रूको!" कोमल ने कहा। उसका दिमाग तेज़ी से एक नतीज़े पर आया। "उसे पता नहीं कि सजल और मैं यहाँ हैं... उसे अंदर आने दो और अपने शयनकक्ष में ले जाओ... शायद सब कुछ ठीक हो रहा है... अगर तुम उसे अपने शयनकक्ष में ले जा कर चोदने में सफल हो जाती हो तो हम बीच में आकर तुम्हें रंगे हाथों पकड़ लेंगे... उसके बाद.... समझीं?"

शाहीन के चेहरे पर रंगत वापस आ गयी। उसे कोमल का प्लान समझ आ गया।

"हम्म्म्म... तब सुनील बहुत ही अजीब सी हालत में होगा... उसे हमारे बारे में कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं होगी... है न?"

"एकदम सही!" कोमल ने एक विषैली मुसकराहट से कहा, "अब जाओ और जैसा मैंने कहा है... वैसा करो... हम यहाँ छुपते हैं... तुम जा कर उसके लंड को अपनी चूत में घुसवाओ..." ऐसा कहकर कोमल ने शाहीन की नंगी गाँड पर प्यार भरी एक चपत लगाई।

कोमल ने एक झिर्री सी रखकर कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। इसमें से वो बाहर चल रहे प्रोग्राम को देख-सुन सकती थी। उसने सुनील के गोल्फ के सामान की आवाज़ सुनी। कुछ ही देर में उसने शाहीन को अतिथि कक्ष के सामने से सुनील को अपने शयन कक्ष में हाथ पकड़ जाते हुए देखा।

उसने शाहीन की बात सुनी, "मैंने सोचा था कि आज सुबह की चुदाई से तुम्हारा दिल भर गया होगा... तुम्हें कोमल के घर रहते हुए यहाँ आने में कोई खतरा नहीं महसूस हुआ?"

"मेरे ख्याल से उसने राकेश को मुझे छोड़ते हुए नहीं देखा... पर अब इस बात की चिंता करने से कुछ नहीं होगा... मैं अगले हफ्ते काफी व्यस्त हूँ... इसलिए आज कुछ समय तुम्हारे साथ बिता लेता हूँ... सारे समय मैं गोल्फ की जगह तुम्हारे बारे में सोचता रहा...!"

कोमल ने ये सुना तो उसे अपने पति पर गुस्सा आ गया और अब वो उस वक्त का इंतज़ार करने लगी जब वह उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ेगी।

उसने सजल की और मुखातिब होकर कहा, "देखना जब हम तुम्हारे पापा को पकड़ेंगे... वो हर बात जो हम कहेंगे... मानेंगे।"

कुछ देर सुनील और शाहीन की चुदाई शुरू होने के बाद वो बोली, "अब और नहीं ठहरा जा रहा... चलो हम हमला बोलते हैं।"

जब कोमल ने शाहीन के शयनकक्ष में झाँका तो कुछ समय के लिये वो सामने का मंजर देख कर ठिठक गयी। उसने सजल को अपने पास खींचा जिससे कि वो भी देख सके। उसके मन में एक बार ईर्ष्या आ गयी।

"वाह! अपनी चूत को मेरे लंड पर और जोर से दबाओ... शाहीन!" सुनील कह रहा था। उसका मोटा लंड शाहीन की चूत में गढ़ा हुआ था। शाहीन के सैंडल युक्त पाँव छत की ओर थे और सुनील उसे पुराने तरीके से ही ऊपर चढ़कर चोद रहा था। दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे।

"मुझे जोर से चोदो सुनील... और जोर से..." शाहीन अब सब भूल कर अपनी चूत का भुर्ता बनवाने में मशगूल थी। उसी समय उसकी नज़र दरवाज़े पर पड़ी और उसके मुँह पर एक शैतानी मुस्कान आ गयी। वहाँ सजल और कोमल उनका ये चुदाई का खेल देख रहे थे। उसने उन दोनों का थोड़ा मनोरंजन करने की ठानी। "जोर से चोदो मुझे सुनील... बिल्कुल रहम मत करो... फाड़ दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से..." ये कहकर शाहीन ने सुनील की गाँड भींचते हुए उसकी गाँड में एक अँगुली घुसा दी।

"हरामजादी!" सुनील के मुँह से गाली निकली। "अगर ऐसा किया तो मैं झड़ जाऊँगा...!"

कोमल के संयम का बाँध टूट गया। हालांकि देखने में बहुत मज़ा आने लगा था, पर वो अपने हाँफते और काँपते पति को रंगे हाथों पकड़ने का मौका नहीं छोड़ना चाहती थी।

"क्या हुआ सुनील...? घर पर मेरी चूत चोदकर मन नहीं भरता क्या?" कोमल ने अंदर घुसकर बिस्तर की ओर कदम बढ़ाते हुए सवाल किया। उसकी आवाज़ माहौल के विपरीत काफी शाँत स्वर में थी।

कोमल की आवाज़ सुन कर, सुनील को काटो तो खून नहीं। उसका जिस्म जैसे जड़ हो गया और धक्के बंद हो गये। उसका मुँह खुला का खुला रह गया जब उसने अपनी पत्नी और बेटे, दोनों को वहाँ नंगा खड़ा देखा। उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। शायद ये कोई सपना ही था।

"तुम्हें शायद मुझे देख कर आश्चर्य हो रहा है... प्रिय पति महाराज!" कोमल मुस्करायी और बिस्तर के पास जाकर खड़ी हो गयी। सजल को अपने पापा से डर लग रहा था और वो अपनी मम्मी के दो-तीन फीट पीछे ही खड़ा रहा। "पर आश्चर्य तो मुझे होना चाहिये... है न? ये देखकर कि तुम मेरी पीठ पीछे क्या गुल खिला रहे हो।"

सुनील ने शाहीन की चूत से अपना तना हुआ लौड़ा बाहर खींच लिया। उसने बिस्तर पर बैठ कर कुछ समय सोचकर अपनी आवाज़ को पाया। "पर तुम यहाँ पर क्या कर रही हो कोमल? और वो भी सजल के साथ? और फिर तुम दोनों नंगे क्यों हो?" वो अपनी आवाज़ में कठोरता पैदा करने की असफल कोशिश कर रहा था।

"मेरे साथ ज्यादा होशियार बनने की कोशिश मत करो..." कोमल उसे ऐसे नहीं बक्शने वाली थी, न वो अपने ऊपर कोई बात लेने वाली थी। सुनील उस समय उसी परिस्थिति में था जैसा वो उसे चाहती थी। "वो तुम हो जो गलत चूत में अपने लंड के साथ पकड़े गये हो... मैं नहीं!"

"ठीक है कि मैं पकड़ा गया हूँ और मेरे पास कोई सफाई भी नहीं है... पर सजल तुम्हारे साथ यहाँ क्यों आया है और तुम दोनों नंगे क्यों हो?" सुनील ने अपने नंगे बेटे की ओर देखते हुए पूछा। सजल का लंड इस समय खड़ा था।

"ये मत समझो कि सजल ये सब देखने समझने के लिये बड़ा नादान है... सजल! इधर आओ..." जब सजल अपनी जगह से हिला भी नहीं तो कोमल ने दोबारा कहा, "सजल, इधर आओ... तुम्हारे पापा तुम्हें छुयेंगे भी नहीं... ये मेरा वादा है।"

सजल धीमे कदमों से अपनी मम्मी के साथ आ कर खड़ा हो गया पर उसकी सहमी नज़र अपने पापा के चेहरे पर ही रही। कोमल ने शाहीन की और आश्वासन के लिये देखा। उसकी नई सहेली ने गर्दन हिलाकर अपना समर्थन दिया।

"तुम्हें याद है सुनील... जब तुमने मुझे अपनी मम्मी को चोदने की इच्छा के बारे में मुझे बताया था?" कोमल ने सँयत शब्दों में भूमिका बाँधी।

"कोमल!" सुनील चिल्लाया, "तुम ऐसे समय वो बात यहाँ कैसे कर सकती हो? मैंने तुम्हें वो बात दुनिया को बताने के लिये थोड़े ही बताई थी।"

कोमल ने अपना हाथ उठाकर उसे शाँत रहने का इशारा किया। उसने सजल की ओर अपना हाथ बढ़ाया और उसे अपनी और खींचा।

"मैं सिर्फ तुम्हें उस समय की याद दिला रही थी जब तुम सजल की उम्र के थे... इससे तुम्हें वो समझने में आसानी होगी जो मैं तुम्हें बताने वाली हूँ।" कोमल ने एक गहरी साँस भरी और अपने स्वर को संयत किया, "मैं सजल से उसकी छुट्टियों के कुछ समय पहले से चुदवा रही हूँ।"

कमरे में एक शाँती छा गयी। अगर सुंई भी गिरती तो आवाज़ आती।

फिर सुनील ने हिराकत भरे स्वर में कहा, "कितनी घृणा की बात है ये... तुम अपने बेटे से कैसे...?"

शाहीन, कोमल का साथ देने के लिये, सुनील की बात काटते हुए बोली, "अब ऐसे शरीफ़ मत बनो तुम सुनील... तुम भी कोई बड़े शरीफ़ इंसान नहीं हो... अगर कोमल को तुम घर में उसके मन मुताबिक चोदते रहते तो वो क्यों सजल की ओर जाती? हो सकता है कि शायद वो फिर भी सजल से चुदवाती ही, कौन कह सकता है। अगर मेरा सजल जैसा बेटा होता तो मैं तो उसको जरूर चोदती।"

"पर मुझे यह मंजूर नहीं..." सुनील बोला।

"बकवास...!" शाहीन ने जवाब दिया। "तुम्हारे पास कोई चारा भी नहीं है सुनील! कोमल माफी नहीं माँग रही है... वो तुम्हें बता रही है कि या तो तुम इसे कबूल करो या..." शाहीन ने अपने शब्द अधूरे छोड़कर अर्थ साफ कर दिया।

"अरे ये सब बेकार की बातें छोड़ो...! हम सब चुदासे हैं और एक दूसरे की चुदाई छोड़कर क्या गलत, क्या सही की बातें चोदने में लगे हैं... इधर आओ सुनील और मुझे चोदो... जो तुम कह रहे थे... अपने लौड़े को देखो, ये अब पहले से भी ज्यादा तना हुआ है... मैंने इतना सख्त पहले इसे नहीं देखा।" ये कहते हुए शाहीन ने अपने हाथों से सुनील का विशाल मोटा लंड ले लिया और उसे सहलाने लगी। "इसे यूँ ही चलने दो सुनील! कोमल और मेरे पास तुम्हारे लिये बहुत कुछ खास है।"

ये कहकर शाहीन ने सुनील का हलब्बी लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। कोमल ने भी अपना तीर फेंका। उसने बिस्तर पर झुकते हुए अपनी बाँहें उसकी गर्दन में डाल दीं। उसके विशाल मम्मे अब सुनील के चेहरे के पास थे।

"बोलो मत सुनील... मेरे मम्मों को चूसो। शाहीन को अपना लंड चूसने दो... हम दोनों को तुम्हें चोदने चाटने दो.... मेरी जान! अब चीज़ें दूसरे नज़रिये से देखो... अब तुम्हें छुपकर अपने पड़ोस में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तुम्हारी जब इच्छा हो, हम दोनों तुमसे चुदवाने के लिये तैयार रहेंगी।"

सुनील अपने दोनों ओर फैले हुए नंगे गर्म जिस्मों में खो गया। कोमल ने अपने मम्मों को उसके मुँह में डाल दिया। सुनील इतना ताकतवर था कि इन दोनों औरतों को परे धकेल सकता था, पर उसने ऐसा किया नहीं। उसे दोगुने आनंद की प्राप्ति हो रही थी।

"ठीक है... मैं हार मानता हूँ।" सुनील ने अपना मुँह कोमल के मम्मों से हटाते हुए कहा, "हम बाद में बात करेंगे... पर मुझे अभी भी सजल और तुम्हारे बीच का... "

"अपना मुँह बंद रखो, सुनील... अगर खोलना है तो मेरे मम्मों को चूसने के लिये... हाँ अब ठीक है... जोर से चूसो...!"

"अब ये सब बहुत हो चुका..." शाहीन सुनील के लंड की चुसाई रोकती हुई बोली, "अब मुझे इस मोटे लंड से अपनी चूत चुदवानी है... इस पूरे सीन से मेरी चुदास बेइंतहा बढ़ गयी है... अरे सुनील तुम्हारा लंड तो जबर्दस्त फूल गया है... हम्म्म... अब ये मत कहना कि तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा।" ये कहकर शाहीन ने पूरा लौड़ा एक ही झटके में अपनी चूत में पेल डाला।

अब चूंकि सुनील का लंड एक समय में एक ही चूत चोद सकता था, कोमल को अपनी प्यासी चूत के लिये कोई दूसरा इंतज़ाम करना लाज़मी हो गया।

वो बिस्तर से खड़ी हो गयी और अपने बेटे से बोली, "ज़मीन पर लेटो सजल... मैं तुम्हें वैसे ही चोदना चाहती हूँ, जैसे शाहीन तुम्हारे पापा को चोद रही है।"

सजल की हिम्मत अब धीरे-धीरे वापिस आ रही थी। अब जब उसने अपने पापा को चुसाई और चुदाई में मशगूल देखा तो वो जाकर ज़मीन पर चौड़ा हो कर अपनी पीठ के बल लेट गया और अपनी चुदासी मम्मी का अपने तैनात लौड़े की सवारी के लिये इंतज़ार करने लगा। सुनील स्तब्ध होकर अपनी पत्नी को अपने बेटे के तनतनाये हुए लंड पर सवार होते हुए देख रहा था। उसने कोमल को सजल से चुदवाने से रोकने के लिये एक शब्द भी नहीं कहा। इस समय वो इतना रोमाँचित था कि उसके लिये ऐसा करना संभव ही नहीं था। नाराज़गी की जगह उसके मन में विस्मय अधिक था।

"ये मेरे लिये ही खड़ा है न, बेटे?" कोमल ने अपनी गर्म प्यासी चूत को सजल के लंड पर सरकाते हुए सरगोशी की। उसने सजल के लंड को पकड़ कर अपनी चूत को उस पर आहिस्ता से उतार दिया। "मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत में फुदकता हुआ लग रहा है... मॉय डार्लिंग।"

सजल ने अपने हाथ बढ़ाकर अपनी मम्मी के फुदकते हुए मम्मों को पकड़ लिया। कोमल की गर्म चूत अब उसके गर्माये हुए लंड पर नाच रही थी। उसने अपने पापा की ओर देखा तो वो इस नज़ारे से बहुत मज़ा लेते हुए लगे।

"है न देखने लायक सीन, सुनील?" शाहीन ने अपने विशाल मम्मों को पकड़कर सुनील के लंड पर अपनी चूत सरकाते हुए पुछा। "तुमने सोचा भी न था कि ये देखकर तुम्हें इतना मज़ा आयेगा।"

कोमल ने अपना सिर घुमा कर अपने पति की आँखों में देखा। "देखो... कितना बढ़िया है ये सब। अब तुम्हें ये बुरा नहीं लग रहा होगा... है न मेरी जान? ज़रा सोचो तो कि अब हम लोग क्या और कर सकते हैं... सजल को चोदते हुए देखो सुनील! देखो मैं अपने बेटे को कितना सुख दे रही हूँ।"

"मेरे मम्मों को और जोर से दबाओ सजल! और मुझे जोर से नीचे से झटके मार कर चोदो।" उसकी चूत को अब तेज़ और दम्दार चुदाई की इच्छा थी।

सुनील शाहीन की गर्म चूत की भट्टी में अपने लंड से पूरे ज़ोर से चुदाई कर रहा था। उसने शाहीन की दोनों गोलाइयों को अपने हाथों से पकड़ रखा था और दबा रहा था। पर उसकी नज़रें पूरे समय अपनी पत्नी और बेटे की चुदाई पर टिकी हुई थीं। अब उसे कोई जलन नहीं थी। उसने उस उम्र को याद किया जब वो सजल की उम्र का था। उसके मन में भी अपनी माँ को चोदने की बड़ी इच्छा थी। आज वो अपनी उस हसरत को अपने बेटे सजल के रूप में पूरी होते देख रहा था।

उसने शाहीन की चुदाई की रफ्तार बड़ाते हुए आवाज़ दी, "चोदो उसे कोमल..." ये कहकर उसने अपना रस शाहीन की प्यासी चूत में भर दिया।

कोमल ने अपने झड़ते हुए पति को शाबाशी दी, "भर दो उसकी चूत को सुनील... आज हम रात भर चुदाई करेंगे।"

कोमल और सजल को चोदते देखना ही शाहीन के लिये काफी था पर अपनी चूत में सुनील के रस के फुहारे से तो वो बेकाबू हो गयी। "कोमल मुझे देखो... मैं तुम्हारे शौहर को चोद रही हूँ.... मैं उसके साथ झड़ रही हूँ... आआआआआआआआ आआआआआआआ ईईईईईईईईईई ईईईईईईईईईईईईईई!"

सुनील और शाहीन थोड़ी देर के लिये शाँत हो गये और दोनों माँ बेटे का खेल देखने लगे।

"जल्दी करो तुम दोनों, सजल भर दे अपनी माँ की चूत..." शाहीन ने उन्हें बढ़ावा दिया।

सुनील को अपनी आवाज़ सुनकर आश्चर्य हुआ, "चोद उसकी चूत को जोर से, सजल!"

कोमल ने भी अपने पति की बात सुनी। उसे खुशी हुई कि सुनील ने सब कुछ स्वीकार कर लिया है। उसने सुनील की ओर मुस्कुराकर देखा और अपना ध्यान अपनी चुदाई की ओर वापिस लौटा लिया। वो भी अब झड़ने के करीब थी।

"मैं झड़ रही हूँ... सजल...! सुनील...!" सजल के लंबे मोटे लौड़े पर उछलते हुए कोमल चींखी। अचानक वो ठहर गयी। उसकी चूत में अजीब सा संवेदन हो रहा था। सजल भी अब झड़ रहा था। वो भी चींखने लगा, "मम्मी.. मैं भी... आआआआआह!" पर उसने अपने धक्कों की रफ्तार कम न की। कोमल को यही पसंद था: उसके झड़ने के बाद भी अपनी चूत में मोटे लंड से घिसाई। "चोद मेरे लाडले.... वा..आआआआआआआआआआआआआआआ..ह!"

शाहीन और सुनील दोनों देख रहे थे कि कैसे कोमल, सिर्फ ऊँची एड़ी की सैंडल पहने बिल्कुल नंगी, अपने बेटे के लंड पर उछलती हुई झड़ रही थी। शाहीन के मन में आया कि काश उसे भी वही सुख मिले जो अभी कोमल को मिल रहा था। सुनील को भी समझ आया कि क्यों उसकी बीवी अपने बेटे से चुदवाने लगी थी। कोमल एक बार और झड़ी और निढाल हो गयी।

"काश मैं तुम्हें समझा पाती शाहीन... जो मैं इस वक्त महसूस कर रही हूँ... इसमें इतना सुख है... मैं नहीं समझा सकती।"

"इस लज़्ज़त का पूरा मज़ा लो... बोलो मत...!" शाहीन ने ठंडी साँस लेते हुए कहा।

थोड़ी देर बाद ही सजल और सुनील के लंड दोबारा तन कर खड़े हो गये। अब उन्हें फिर चुदाई की इच्छा हो रही थी। चूंकि वो अभी शाहीन को चोद कर हटा था, सुनील ने कोमल की ओर अपना रुख किया। कोमल इस समय झुक कर शाहीन की चूत चाटने में व्यस्त थी। सुनील ने पीछे से जाकर एक ही झटके में अपना पूरा लौड़ा कोमल की चूत में पेल दिया।

"ऊँओंफ्ह।" कोमल के मुँह से अजीब सी चीत्कार निकली। कई साल बाद उसके पति ने उसे इतनी बेरहमी से चोदने की कोशिश की थी। उसने अपनी कमर हिलाते हुए सुनील को उत्साहित किया, "मुझे यूँ ही बेरहमी से चोदो सुनील... मुझे खुशी है कि तुम मुझे आज ऐसे चोद रहे हो... फाड़ दो मेरी चूत...!"

शाहीन यूँ ही छूटने वालों में से तो थी नहीं। वो अपनी ऊँची ऐड़ी की सैंडल में गाँड मटकाती सजल के पास आयी और बोली, "देख अपने मम्मी-पापा की चुदाई... और मेरी चूत का भोंसड़ा बना।"

सजल आगे बढ़ा और शाहीन के ऊपर चढ़ाई कर दी। अपने लंड को उसने शाहीन की गीली चूत में पेल दिया। उसने अपने पापा को देखा जो कोमल की ताबड़तोड़ चुदाई कर रहे थे। उसकी मम्मी उन्हें और बढ़ावा दे रही थी। सजल ने तेजी से शाहीन कि चुदाई की और कुछ ही समय में दोनों का पानी छूटने लगा। उधर सुनील और कोमल का भी खेल खत्म हो गया था और दोनों लंड अपनी चूतों को पानी पिला कर शाँत हो गये थे। चारों थक भी गये थे।

शाहीन ने सबको खाना खिलाया और बीयर पिलायी और एक बार फिर सबने मिलकर चुदाई की। दोबारा फिर मिलने के वादे के साथ सिंह परिवार अपने घर चला गया।

कोमल सोने के पहले यही सोच रही थी कि अब उसके जीवन में एक नया अध्याय शुरू हो गया है।

ये सोचकर वो सुनील से चिपककर सो गयी।

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