प्यार और वासना

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उसे देखा और प्यार हो गया
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इस कहानी की शुरूआत आज से करीब 6 साल पहले बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ में हुई थी. पर इसका अंत ऐसे होगा, ये तो मैंने भी नहीं सोचा था.

आगे राजीव की जुबानी ही पढ़िए क्या हुआ, कैसे हुआ और जो हुआ, क्या वो सही हुआ?

दोस्तो मैं राजीव कुमार, ये कहानी मेरी और सोनी की है. मैं कहानी शुरू करूं उससे पहले, थोड़ा अपने और अपनी फैमिली के बारे आप लोगो को बता देता हूँ.

मेरी उम्र इस समय 29 साल है, मैंने MCA किया हुआ है और फिलहाल मैं अपनी किराने की दुकान संभालता हूँ.

आप सबको थोड़ा अजीब लगेगा कि MCA किया हुआ बंदा किराने की दुकान पर क्यों? इसके पीछे भी एक वजह है और वो वजह ये है कि मेरी ये दुकान करीब बहुत साल पुरानी है. मुझसे पहले मेरे पापा ये दुकान संभालते थे, पर आज से करीब 8 साल पहले एक लंबी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गयी थी. घर में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा होने की वजह से घर की पूरी जिम्मेदारी मुझ पर आ गयी.

जब मेरे पापा थे, तब मैंने एक दो जगह नौकरी भी करके देखा. पर मुझे और मेरे पापा, दोनों को लगा कि नौकरी से ज्यादा अच्छा अपना बिज़नेस ही है.

दुकान भी अच्छी खासी चलती थी और ठीक ठाक आमदनी भी हो जाती थी. जब तक पापा थे, तब तक मैं नौकरी करता रहा. पर पापा के जाने के बाद मैंने अपनी दुकान ही चलाने का फैसला किया. और आज मैं अपने पापा से भी अच्छी तरह अपनी दुकान चला रहा हूँ.

मुझे पढ़ने का शौक बचपन से ही था और जब थोड़ा बड़ा हुआ, तो मेरा रुझान कम्प्यूटर की तरफ झुक गया. अपने इसी शौक की वजह से मैंने एक प्राइवेट कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट में एड्मिशन ले लिया.

मैंने जिस इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया था, उसकी 4 ब्रांच और भी थीं. मैं दोपहर में अपने भाई को दुकान पर बैठा कर कम्प्यूटर सीखने जाने लगा.

कम्प्यूटर सीखते हुए मुझे यही कोई दो ढाई महीने ही हुए होंगे कि तभी इस कहानी की नायिका सोनी की एन्ट्री होती है. दरअसल जो सर मुझे पढ़ाते थे, वो बाक़ी की ब्रांचों में भी पढ़ाने जाते थे.

एक दिन दोपहर में जब मैं सर के साथ बैठकर कम्प्यूटर सीख रहा था, तभी एक बहुत ही खूबसूरत लड़की भी वहीं पास में आकर बैठ गयी और सर से बात करने लगी. मैंने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया.

सफेद ड्रेस में वो पूरी अप्सरा लग रही थी.

अब मेरा ध्यान कंप्यूटर पर कम ... और उस पास बैठी लड़की पर ज्यादा था.

बार बार मैं उससे नजरें बचा कर उसे ही देखने की कोशिश करने में लगा था.

वो सर से बात करने में बिजी थी, पर बीच बीच में मेरी और उसकी नजरें मिल ही जाती थीं. तब मैं अपनी नजरें उस पर से हटा लेता.

मुझे ये डर लग रहा था कि अगर मैं उसे ऐसे ही घूरता रहा तो पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोचेगी.

पर मेरे ना चाहते हुए भी मेरी नजरें बार बार उसे ही देख रही थीं. उसने भी ये बात नोटिस कर ली थी पर उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया.

उसकी और सर की बातों से पता चला कि वो दूसरे ब्रांच की स्टूडेंट है और जो मैं सीख रहा हूँ, वही वो भी सीख रही थी.

देर से दाखिला लेने की वजह से वो पाठ्यक्रम में मुझसे थोड़ा पीछे थी, इस हिसाब से मैं उसका सीनियर हुआ.

करीब आधा घंटा वो सर से बात करती रही और मेरा ध्यान भटकाती रही.

उसकी खूबसूरती और सादगी के बारे में क्या कहूँ, बिना किसी खास मेकअप के भी वो किसी परी से कम नहीं थी. उसे देखा और प्यार हो गया.

जब किसी बात पर वो हंसती थी, तब तो वो और भी खूबसूरत लगने लगती.

पिछले आधे घंटे में सर और उसके बीच में क्या बातें हुईं, ये तो मैं नहीं सुन सका क्योंकि मेरा पूरा ध्यान उस खूबसूरत परी को जी भरके देखने में ही लगा था.

जब वो जाने के लिए खड़ी हुई, तब मेरे दिमाग में बस एक ही बात आई कि आज ही इसको जी भरके देख लेता हूं, पता नहीं आज के बाद ये हसीना फिर कभी मिले या ना मिले.

इसलिए मैंने अपना ध्यान कंप्यूटर से हटा कर उस खूबसूरत लड़की को देखने में लगा दिया.

जाते जाते वो सर से कल इसी समय आने को बोलकर चली गयी.

ये सुन कर दिल को तसल्ली हुई कि चलो कल भी इस खूबसूरत हसीना का दीदार करने का मौका मिलेगा.

उसके जाने के बाद मेरा मन पढ़ाई में लग ही नहीं रहा था, बस दिमाग में एक ही सवाल चल रहा था कि कल कैसे इस लड़की से बात की जाए?

मैं अपने घर पर भी आया, तो भी उसी के बारे में सोचता रहा और उससे बात करने का, पता नहीं क्या क्या प्लान बनाता रहा.

अगले दिन सुबह से ही मेरा ध्यान बार बार घड़ी पर ही जा रहा था, दिमाग में बस यही चल रहा था कि कितनी जल्दी ढाई बजे का समय हो ... और मुझे उस हसीना का फिर से दीदार करने का मौका मिले.

जैसे तैसे सुबह से दोपहर हुई और मैं अपने लेक्चर के टाइम से 10-15 मिनट पहले ही क्लास में पहुंच गया.

पूरी क्लास में नज़र दौड़ाई, पर वो नहीं दिखी. सर अभी दूसरे बैच का लेक्चर लेने में बिजी थे.

कोई कंप्यूटर भी खाली नहीं था जिस पर मैं प्रैक्टिस करके टाइम बिता सकूं. इसलिए मैं वहीं एक खाली पड़े केबिन में बैठकर उसके आने का और अपना बैच शुरू होने का इंतजार करने लगा.

आप सबको तो पता ही है कि इंतजार के पल कितने मुश्किल होते हैं. मेरे लिए वो 15 मिनट बिताना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था.

मेरी प्यासी निगाहें कभी घड़ी पर, तो कभी क्लास के मेन गेट पर ही टिकी थीं. ऐसा लग रहा था, जैसे समय रुक सा गया है.

बड़ी मुश्किल से समय बीता और मेरा लेक्चर शुरू होने वाला हो गया था, पर अभी तक वो नहीं आई थी.

कुछ देर इधर उधर करने के बाद मैं बुझे मन से जाकर अपने केबिन में बैठ गया और कंप्यूटर पर टाइमपास करने लगा. थोड़ी ही देर में सर भी आ गए और मुझे सिखाना शुरू कर दिया.

मेरा ध्यान अभी भी बार बार दरवाजे पर ही जा रहा था. सर भी समझ गए कि आज मेरा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है.

सर मुझे टोकते हुए कहने लगे- क्या हुआ राजीव, बार बार दरवाजे की ओर क्या देख रहे हो? सोनी का इंतजार कर रहे हो क्या? मैंने चौंकते हुए कहा- सोनी.. ये कौन है सर?

सर मुझे देखकर मुस्कुराते हुए बोले- वही, जिसे कल तुम घूर रहे थे और आज जिसका इंतजार कर रहे हो.

दोस्तो, सर मेरे साथ थोड़ा मजाकिया और दोस्त के जैसे ही व्यवहार करते थे इसलिए उनसे पढ़ने में मुझे भी मज़ा आता था.

सर से मुझे पता चला कि उस खूबसूरत हसीना का नाम सोनी है.

मैं- अरे नहीं सर. क्या आप कुछ भी बोलते रहते हो. सर- अच्छा, कल तो मैंने देखा तुम्हें, बार बार सोनी को ही देख रहे थे. मैं- अरे नहीं सर, मैं तो बस ऐसे ही!

हम अभी बात ही कर रहे थे, इतने में सोनी आ गयी और मेरी बगल वाली कुर्सी पर बैठते हुए सर से माफ़ी मांगने लगी.

सोनी- सॉरी सर, मुझे आने में थोड़ी देर हो गई. सर मेरी तरफ देखते हुए बोले- हां, हम लोग कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं.

मेरी चोरी पकड़ी गई थी, अब खुद को बचाने के लिए ... या सर को गलत साबित करने के लिए, मैंने अब एक बार भी सोनी की तरफ नहीं देखा.

तभी सर ने मेरा नाम लेते हुए कहा. सर- राजीव, ये सोनी है. मेरी लॉ ब्रांच की स्टूडेंट और अभी अगले महीने इसका 12 वीं का एग्जाम है.

फिर सर सोनी से मुखातिब हुए- सोनी, ये राजीव है, जो तुम्हारे पाठ्यक्रम में है, वही सब ये भी सीख रहा है.

इस तरह सर ने हम दोनों का परिचय करा दिया और हम दोनों को अलग पढ़ाना शुरू कर दिया.

हम दोनों की नजरें एक दूसरे से बचते हुए एक दूसरे को ही देखने में लगी रहीं. इसी तरह हमारा लेक्चर पूरा हो गया.

मैं पूरे लेक्चर के दौरान उससे बात करने का मौका ढूंढ रहा था पर मेरे लिए ऐसा कोई मौका बन ही नहीं पा रहा था.

आखिरकार मुझे मौका तब मिला जब वो जाने के टाइम सर से कुछ नोट्स मांगने लगी. पर उस समय सर के पास नोट्स मौजूद नहीं थे.

तो सर ने मुझसे नोट्स के बारे में पूछा, जो मेरे पास मौजूद थे. फिर सर ने सोनी को बोला कि वो नोट्स मुझसे ले ले. सोनी मुझसे बात करने लगी.

सोनी- क्या आप मुझे नोट्स दे सकते हैं? मैं- हां जरूर, पर मेरे पास अभी मौजूद नहीं हैं, अगर आप चाहो तो मैं आपको मेल कर सकता हूँ.

हां बोलकर उसने मुझे अपनी ईमेल आईडी दे दी और बाय बोलकर चली गयी.

उसके जाते ही मैंने सारे नोट्स उसे मेल कर दिए. मेरा मेल मिलते ही उसने सामने से मुझे थैंक्यू करके मेल कर दिया.

ऐसे ही 2-3 दिन हम दोनों एक दूसरे से ईमेल के द्वारा ही बात करते रहे, फिर बात फेसबुक पर होने लगी और अगले 15 दिनों बाद ही व्हाट्सएप पर बात होने लगी.

आप समझ सकते हैं कि आग कितनी तेजी से फ़ैल गई थी. मुझे उससे प्यार हो गया.

इसी दौरान मैंने उसे प्रपोज़ किया और उसने मेरा प्रपोजल स्वीकार भी कर लिया. अब हम दोनों एक प्रेमी जोड़ा बन गए थे. हमारी घंटों बातें होने लगी थीं.

नए नए प्यार का नशा क्या होता है, ये तो आप सबको पता ही होगा. मेरा भी वही हाल था.

अब मेरा मन दुकान या पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता, दिन भर बस सोनी के बारे में सोचना या उसके कॉल का इंतजार करना, यही मेरा काम रह गया था.

पहले सामान्य सा रहने वाला राजीव अब सजने संवरने लगा था. ऐसा लगने लगा था, जैसे इससे खूबसूरत जिंदगी हो ही नहीं सकती.

जिस दिन मैंने सोनी को प्रोपोज़ किया था, ठीक 10 दिन बाद सोनी का बर्थडे था. तो मैंने एक अच्छी सी टाइटन ब्रांड की घड़ी उसको गिफ्ट की थी.

अभी तक हमारे बीच बस मिलना, प्यारी प्यारी बातें करना, एक दूसरे की परवाह करना, यही सब चल रहा था. एक दिन सोनी ने मुझे वर्सोवा बीच पर मिलने को बुलाया, मैं भी मस्त तैयार होकर उससे मिलने चला गया.

हम दोनों काफी देर तक बीच पर बैठ कर बातें करते रहे. इसी बीच सोनी ने मौका देखकर अपने होंठ मेरे होंठों से छुआ कर हटा लिए और हंसने लगी.

मुझे तो समझ में ही नहीं आया कि सोनी ने ये जानबूझ कर किया या गलती से हो गया. उसका हंसना मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था, मैंने भी मौका देखकर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.

सोनी को इससे कोई आपत्ति नहीं थी तो मैंने भी अपने होंठ सोनी के होंठों से हटाने में कोई जल्दबाजी नहीं की.

रिलेशनशिप में आने के करीब डेढ़ दो महीने बाद ये पहला मौका था जब मैंने ... या यूं कहूँ कि हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया.

उसके बाद हमें जब भी किस करने का मौका मिलता, हम शुरू हो जाते. पर उससे आगे बढ़ने की मैंने कभी कोशिश ही नहीं की क्योंकि हम रोज़ रोज़ तो मिलते नहीं थे. जब 2-3 दिन में मौका मिलता, हम तभी मिलते थे.

पर फ़ोन पर बातचीत के दौरान सोनी जिस तरह मेरा ख्याल रखती थी या जैसे मेरी परवाह करती थी, मैं कोई भी ऐसी वैसी हरकत करके उसे खोना नहीं चाहता था.

इसी तरह हमारा रिश्ता अच्छे से चल रहा था. हम दोनों एक दूसरे के साथ खुश थे.

यहां मैं आप सभी पाठकों को बताना चाहूंगा कि मेरे यहां दो घर हैं. एक घर दुकान से लगकर है.. और दूसरा दुकान से तीन किलोमीटर दूर है. मैं दिन भर दुकान पर और रात को घर पर रहता था. छुट्टी के दिन मैं कभी कभी दोपहर में भी घर पर आराम करने चला जाया करता था.

एक दिन दोपहर में मैं अपने घर पर अकेला था और हम दोनों व्हाट्सएप पर बातें कर रहे थे. बातों बातों में मैंने उसे घर पर अकेले होने वाली बात को बता दिया और ऐसे ही मज़ाक में उसे अपने घर पर आने को बोल दिया.

सोनी ने भी आने को हां बोल दिया. मुझे लगा कि शायद सोनी भी मुझसे मज़ाक कर रही है, वो आएगी नहीं. पर मैं गलत था, थोड़ी ही देर में सोनी ने कॉल करके बताया कि वो मेरी बिल्डिंग के नीचे है.

अब ये सोच करके मेरी हालत खराब होने लगी कि सोनी को घर के अन्दर लेकर आऊं कैसे? अगर मना भी करता हूँ तो उसे बुरा लगेगा. अगर उसे किसी ने मेरे घर में आते देख लिया, तो सब लोग मेरे और सोनी के बारे में क्या सोचेंगे?

बिल्डिंग वालों की नज़र में मेरी छवि भी एक अच्छे लड़के की थी.

इसी बीच सोनी बार बार कॉल करके पूछ रही थी कि क्या करूं? सोनी को मना करने का मेरा मन नहीं था और हां बोलने की मुझमें हिम्मत नहीं थी. समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं?

कुछ देर तक मैंने सोनी को नीचे ही रुकने के लिए बोल दिया और सोचने लगा कि क्या किया जाए? हिम्मत तो दिखाना ही थी वरना पता नहीं सोनी मेरे बारे में क्या सोचती.

यही सब सोचते हुए और धड़कते दिल के साथ मैंने दरवाजा खोल कर देखा कि कोई है तो नहीं बाहर.

मेरे फ्लोर का पैसेज पूरी तरह खाली था, तब जाकर मेरी जान में जान आयी.

मैंने तुरंत ही कॉल करके सोनी को ऊपर बुला लिया और दरवाजे पर खड़ा होकर उसका इंतजार ... और अगल बगल के घरों पर नज़र रखने लगा.

जल्दी ही सोनी ऊपर मेरे घर के सामने आ गयी, मैंने तुरंत ही उसे अपने घर के अन्दर लिया और दरवाजा बंद कर लिया.

सोनी तो मेरे घर में आ गयी थी पर अभी भी मेरा दिल धक धक कर रहा था. और मैं जानता था कि वही हाल सोनी का भी था.

सोनी को रिलैक्स करने के लिए मैंने उसे एक पीने के लिए गिलास पानी दिया. उसने थोड़ा सा पानी पीकर गिलास मुझे पकड़ा दिया और बाकी बचा पानी मैं पी गया.

पानी पीने के बाद भी मेरी हालत वैसी ही थी, इसलिए मैं बेड पर बैठ कर खुद को रिलैक्स करने लगा. हम दोनों एक दूसरे को अपने सामने देखकर खुश भी थे और थोड़े टेंशन में भी.

अभी मैं बेड पर ही था, इतने में सोनी मेरे पास आई और उसने मुझसे लिपटते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. मैंने भी अपनी जान के होंठों का रस लेना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद सोनी मुझे बेड पर लिटाते हुए मेरे ऊपर ही लेट गयी. अब हम दोनों दुनिया के बारे में सोचना छोड़ कर अपने में मस्त हो गए.

हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों से अलग होना ही नहीं चाहते थे.

सोनी अभी भी मेरे ऊपर थी और मेरे होंठों को लगातार चूम रही थी. मैं भी उसका भरपूर साथ दे रहा था.

कुछ देर तक वैसे ही रहने के बाद मैंने उसे पलट कर अपने नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर आ गया.

हम दोनों की कमर के ऊपर का हिस्सा बेड पर और कमर के नीचे का हिस्सा हवा में और पैर जमीन पर ही थे.

मैं भी लगातार सोनी को चूमे जा रहा था और सोनी भी मेरा साथ दे रही थी. कभी गर्दन, तो कभी गाल तो कभी होंठ ... मैंने उसके चेहरे के किसी भी हिस्से को नहीं छोड़ा, हर जगह को जी भरके चूमा और चाटा.

चुम्माचाटी का दौर करीब 15-20 मिनट तक चलता रहा. कभी सोनी मेरे ऊपर तो कभी मैं सोनी के ऊपर.

इसी बीच जब मैं सोनी के ऊपर था और उसे चूम रहा था.

तभी सोनी ने मेरा साथ देना रोक दिया. मैं अभी भी सोनी की आंखों में ही देख रहा था और समझने की कोशिश कर रहा था कि सोनी ने ऐसा क्यों किया?

मैंने अपनी भौंहों को ऊपर करके इशारे में पूछा- क्या हुआ? मेरे सवाल के जवाब में सोनी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक मम्मे पर रख दिया और अपनी आंखें बंद कर लीं.

उसका इशारा समझ कर मैं उसके मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा.

कुछ देर तक हल्के हल्के से दूध सहलाने के बाद मैंने उसके एक मम्मे को अपनी पूरी मुट्ठी में भरकर थोड़ा जोर से दबा दिया जिससे उसके मुँह से आह निकल गयी.

मेरी समझ में ही नहीं आया कि मेरी इस हरकत पर उसे दर्द हुआ या मज़ा आया. इसलिए मैंने अपना हाथ हटा लिया और उसके चेहरे को देखने लगा.

मैं- दर्द हुआ क्या? मेरा सवाल सुनकर वो हल्के से मुस्कुराई, फिर ना में सिर हिलाया. मैं समझ गया कि मेरा उसके मम्मे को दबाना उसे अच्छा लगा.

फिर भी कन्फर्म करने के लिए मैंने पूछ लिया- फिर क्या हुआ ... अच्छा लगा ना? इस बार उसने शर्माते हुए हां में सर हिलाया.

उसके बाद तो मैं टूट सा पड़ा उसके दोनों मम्मे मेरे दोनों हाथों में आ गए थे. कभी हाथों से, तो कभी अपने मुँह से ... जी भरके मैंने सोनी के चूचों से कपड़ों के ऊपर से ही खेला.

जितना अभी तक हम दोनों के बीच में हुआ था, मैं उतने में ही बहुत खुश था. इसलिए उससे आगे कुछ करने का ना तो मैंने कोई कोशिश की और ना ही मेरा मन हुआ.

उस दिन सोनी करीब 45-50 मिनट मेरे घर पर रही और हमने जी भरके एक दूसरे को प्यार किया.

उसके बाद सोनी मेरे घर से चली गयी, पर जाते जाते हमने एक दूसरे को टाइट वाली झप्पी और किस किया.

उस दिन के बाद हम जब भी मिलते या जब भी हमें मौका मिलता, तब किस के साथ साथ मैं उसके चूचों से भी खेलने लगता.

इसके बाद हम एक दूसरे से पूरी तरह खुल गए थे, अब हमारे बीच सेक्स की भी बातें होने लगी थी.

इस घटना के कुछ दिन बाद मेरा बर्थडे था और सोनी ने मेरा बर्थडे स्पेशल बनाने के लिए मुझे किसी ऐसी जगह का इंतजाम करने को बोला जहां हम दोनों के सिवाए और कोई ना हो.

मुम्बई जैसे शहर में ऐसी जगह खोजना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल काम था.

मेरे पास और भी कई ऑप्शन थे जैसे लॉज, होटल या गेस्ट हॉउस. पर मैं सोनी को ऐसी किसी जगह पर लेकर जाना नहीं चाहता था.

मैं भी कभी पहले न तो किसी लॉज में और ना ही किसी होटल में गया था और ना ही मुझे इन सब के बारे में कुछ मालूम था. और मैं सोनी को मना भी नहीं कर सकता था और उसे किसी लॉज या होटल में चलने को बोल भी नहीं सकता था.

दो तीन दिन ऐसे ही निकल गए और मैं किसी ऐसी जगह का इंतजाम तो दूर, मैं किसी ऐसी जगह के बारे में पता तक नहीं लगा पाया था. सोनी जब भी फ़ोन करती, जगह के बारे में जरूर पूछती, पर मेरे पास कोई जवाब नहीं होता.

थक हार कर मैंने उसे लॉज और होटल के ऑप्शन के बारे में बता दिया. होटल और लॉज हम दोनों के लिए नया था, तो स्वभाविक डर भी हमारे मन में था.

और उन दिनों इंटरनेट पर एमएमएस बनाए जाने की खबरों की बाढ़ भी आई हुई थी, जो हमारे डर को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी.

फिर मैंने अपने कुछ लफ़ंडर दोस्तों से लॉज और होटलों के बारे में पूछताछ की, जो अपनी अपनी माशूकाओं को लेकर लॉज या होटल में जाया करते थे.

उनकी बातों से पता चला कि सब लॉज एक जैसे नहीं होते, कुछ लॉज या होटेल अपने ग्राहकों की गोपनीयता की सुरक्षा का भी ख्याल रखते हैं.

मैंने अपने दोस्तों से उन लॉज और होटल का पता ले लिया जो उनके हिसाब से सुरक्षित थे.

पर मैंने सोनी को लेकर जाने से पहले एक बार खुद जाकर पता लगाने का सोचा और इस काम के लिए अपने एक दोस्त को साथ में चलने के लिए मना लिया.

अपने बर्थडे के ठीक दो दिन पहले मैं अपने दोस्त के साथ लॉज के बारे में इन्क्वायरी करने के लिए निकल गया.

कुछ लॉज में जाकर इन्क्वायरी भी की और घर लौट आया. घर पहुंचते ही सबसे पहले मैंने सारी बातें सोनी को बता दीं.

सोनी भी मुझ पर आंख बंद करके भरोसा करती थी, मेरी पूरी बात सुनने के बाद सोनी बस इतना ही बोली- तुम अपने साथ मुझे चाहे जहां भी लेकर चलो, मैं बिना किसी झिझक और बिना कोई सवाल किए तुम्हारे साथ चलूंगी.

उसकी ऐसी बातें सुनकर तो एक बार मन में आया कि सोनी को किसी ऐसी जगह पर चलने को मना ही कर देता हूं. पर उसकी इच्छा भी पूरी करने का फर्ज भी मेरा ही था.

फिर हम दोनों ने मिल कर फैसला लिया कि हम लॉज में जाएंगे और अगर हमारे साथ कुछ गलत हुआ तो हम साथ में झेल भी लेंगे.

मेरा बर्थडे जुलाई महीने में था और उस समय सोनी का कॉलेज भी शुरू हो चुका था. हमने निश्चय किया कि हम दोनों उसके कॉलेज के टाइम ही जाएंगे और कॉलेज छूटने तक घर आ जाएंगे ताकि उसके घर वालों को किसी भी प्रकार का शक न हो.

मेरे बर्थडे के ठीक एक दिन पहले शाम को ही सोनी ने केक लेकर अपनी एक सहेली के घर पर रख दिया और मैंने भी लॉज में फ़ोन करके लॉज का टाइमिंग, रेट वगैरह भी पूछ लिया.

तय समय और जगह पर हम मिले और निकल पड़े लॉज के लिए, लॉज की सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद हम एक कमरे में बंद हो गए या यूं कहें कि हमने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया.

दरवाजा बंद करते ही मैंने सबसे पहले कमरे की सारी लाइट्स को ऑफ किया फिर अपने मोबाइल के कैमरे से पूरे कमरे की तलाशी ली कि कहीं कोई हिडेन कैमरा तो लगा नहीं है. पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद मैंने लाइट्स ऑन कर दीं और सोनी को बता दिया.

मेरी तरफ से हरा सिग्नल मिलते ही सोनी मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे बर्थडे विश किया.

फिर उसने मेरे पूरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी. इससे अच्छा बर्थडे गिफ्ट और क्या हो सकता था मेरे लिए.

मेरी जिंदगी का सबसे अहम लड़की इस वक़्त मेरे साथ थी और हम ऐसी जगह पर थे, जहां अब हमें कोई टेन्शन भी नहीं थी.

कुछ देर तक चूमाचाटी के बाद हमने साथ में मेरे बर्थडे का केक काटा और एक दूसरे को अपने होंठों से खिलाया.

केक काटने और खाने खिलाने के बाद एक बार फिर से चूमाचाटी का दौर शुरू हो गया. इस बार चूमाचाटी के साथ ही साथ मैं सोनी के चूचों से भी खेल रहा था.

अभी सोनी मेरे नीचे और मैं सोनी के ऊपर था. सोनी भी आंखें बंद करके उस पल का आनन्द ले रही थी.

कुछ देर बाद मैंने थोड़ा और आगे बढ़ने का सोचा, इसलिए मैं उसके ऊपर से हटते हुए कंधों के बल उसके ठीक बगल में लेट गया और अपना एक हाथ उसके चूचों से हटाकर कमर के पास ले गया.

उसके टॉप के निचले हिस्से से अपना हाथ घुसा कर उसके पेट को सहलाने लगा.

मेरा हाथ उसके पेट पर पड़ते ही वो गुदगुदी की वजह से उछल सी पड़ी और उसने मेरा हाथ पकड़ कर बाहर कर दिया.

थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसके टॉप में अपना हाथ घुसा दिया. पर इस बार मैंने अपना हाथ उसके पेट पर ना रख कर सीधा उसके एक चूचे पर रख दिया. अपने चूचे पर मेरे हाथ का अहसास होते ही सोनी ने एक बार आंखें खोल कर देखा और फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं.

मैं समझ गया कि मेरी इस हरकत से भी सोनी को कोई एतराज नहीं है तो मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही दोनों चूचों को बारी बारी से दबाने लगा, मसलने लगा. सोनी भी धीरे धीरे आहें भरने लगी.

कभी मैं उसकी पेट को सहलाता तो कभी उसके चूचों को मसलता, साथ ही साथ उसके होंठों को भी मैं अपने होंठों से अलग होने नहीं दे रहा था.

काफी देर तक सोनी के चूचों से खेलने के बाद मैं अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उसके सलवार के नाड़े पर रख दिया और वहीं अपनी उंगलियां फिराने लगा.

सोनी भी शायद समझ गयी कि अब मैं क्या करने वाला हूँ, उसने मेरा हाथ पकड़ कर हटा दिया.

कुछ देर बाद मैंने फिर से अपना हाथ वहीं रख दिया पर इस बार मैंने अपनी उंगलियों का कुछ हिस्सा उसकी सलवार के अन्दर तक डाल दिया और सहलाने लगा. सोनी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ देखकर ना में सिर हिलाया.

मैंने एक दो बार कोशिश की हाथ और अन्दर ले जाने की, पर सोनी ने मेरा हाथ कस कर पकड़ रखा था. फिर मैं उसकी आंखों में देखते हुए बोला.

मैं- सिर्फ एक बार. उसने फिर से ना में सिर हिला दिया.

मैं- सिर्फ एक बार प्लीज. सोनी ने कुछ बोला तो नहीं पर उसके हाथ की पकड़ ढीली हो गई. मैं समझ गया कि सोनी ने मुझे मूक सहमति दे दी है.

इसके बाद तो मैंने अपना हाथ सीधा देसी गर्लफ्रेंड की पैंटी के ऊपर से ही चूत पर रख दिया.

मेरे हाथ रखते ही सोनी के मुँह से सिसकारी निकल गयी, साथ ही साथ उसने अपनी कमर को उठा कर बेड पर पटक दिया. मेरी उंगली पड़ते ही सोनी ने अपनी दोनों टांगों को थोड़ा खोल दिया. मैं उसकी चूत के दरार में पैंटी के ऊपर से ही अपनी उंगलियां फिराने लगा.

उसकी पैंटी का कुछ हिस्सा भीग चुका था. मेरी उंगलियों की हरकत की वजह से सोनी भी मचलने लगी और अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी.

पैंटी के ऊपर से चूत के भगनासे से खेलना थोड़ा मुश्किल हो रहा था इसलिए मैंने अपना हाथ सोनी के सलवार से निकाल कर उसके पेट पर रख दिया.

सोनी मेरी तरफ देखते हुए अपना चेहरा उचका कर इशारों में ही पूछा कि क्या हुआ? मैंने भी अपना सर ना में हिलाकर बता दिया कि कुछ नहीं.

उसके बाद कुछ देर तक सोनी के पेट को सहलाने के बाद मैंने उसकी सलवार के नाड़े को पकड़ लिया और हल्के हल्के से खींचने लगा.

सोनी भी समझ गयी कि अब मैं क्या करने वाला हूँ. उसने तुरंत ही मेरा हाथ पकड़ कर हटाते हुए कहा- नहीं बेबी, इससे आगे नहीं प्लीज!

दोस्तो, रिलेशनशिप में आने के बाद हम दोनों एक दूसरे को बेबी ही कहकर बुलाते थे.

मैं- बेबी प्लीज, एक बार. इसके आगे कुछ नहीं करूंगा. मैं सिर्फ एक बार देखना चाहता हूँ बस! सोनी ने फिर से मना कर दिया और मैं उसे मनाता रहा.

कुछ देर तक मनाने के बाद मेरी मेहनत रंग लाई, सोनी मान गयी पर सिर्फ दिखाने के लिए, उसके आगे मुझे कुछ भी करने की इजाज़त नहीं थी.

मैंने उसके बगल में ही लेटे लेटे फिर से उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और अपने एक हाथ से उसके सलवार के नाड़े को खोल दिया. नाड़ा खोलते ही मैं अपना हाथ पैंटी के अन्दर डालने लगा.

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