प्यार और वासना

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जांघों तक सलवार और पैंटी के फंसे होने की वजह से सोनी अपने दोनों पैर और चौड़ी नहीं कर पा रही थी, फिर भी वो जितना संभव हो रहा था, उतना अपने पैर चौड़े करने की कोशिश कर रही थी ताकि मैं उसकी बुर को गहराई तक चाट सकूं.

मुझे भी ऐसे चाटने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी तो मैंने उसकी सलवार और पैंटी को उसके शरीर से अलग कर दिया और उसकी टांगों को चौड़ा करके अपनी जीभ बुर की दरार में फिराने लगा.

सोनी ने दीवार का सहारा लेकर अपनी एक टांग को मेरे कंधे पर रख दिया और मेरे बालों को सहलाने लगी.

अब सोनी की बुर एकदम खुल चुकी थी तो मैं अपनी जीभ सोनी के बुर की दरार में ऊपर से नीचे तक चलाने लगा. सोनी एकदम मदमस्त होकर सिसकारियां ले रही थी.

कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ को बुर के मध्य कड़क हो चुके भगनासे पर फिराना शुरू कर दिया और साथ ही अपनी एक उंगली को बुर के छेद में घुसा दिया. इससे सोनी चिहुंक सी गयी.

पर जैसे जैसे मेरी उंगलियों ने अन्दर बाहर करना शुरू किया, वैसे वैसे सोनी गर्म आहें भरने लगी.

इस प्रक्रिया को काफी टाइम हो चुका था, सोनी भी एकदम गर्म हो चुकी थी और मेरा भी खुद को कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था.

मैं नहीं चाहता था कि सोनी फोरप्ले के दौरान ही झड़ जाए, इसलिए मैं रुक गया और खड़ा हो गया.

मैंने सोनी को किस करते हुए बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके मम्मों को दबाने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने उसके पीठ के पीछे अपना हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल कर ब्रा को भी निकाल दिया. मेरे सामने उसके रसीले मम्मे उछल कूद करने लगे थे. मैंने उसके मम्मों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया.

इसी बीच अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मैंने बुर के दाने को भी रगड़ना शुरू कर दिया.

सोनी की हालत एकदम खराब हो चुकी थी. अब उसका खुद को रोकना मुश्किल हो गया था. उसने एक हटके से मुझे खुद के ऊपर से हटा दिया और मेरे कपड़े उतारने लगी.

जल्दी ही मैं भी उसके सामने एकदम नंगा हो गया. हम दोनों के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. सोनी मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गयी और मेरे लंड को पकड़ कर अपने बुर में घुसाने लगी.

मैं उसे और तड़पाना चाहता था, इसलिए मैंने सोनी को पलट दिया और उसके ऊपर आ गया. मैंने अपने लंड के सुपारे को बुर के दाने पर रगड़ना शुरू कर दिया.

सोनी के मुँह से सिसकारियां और आहों की मीठी सीत्कार निकलने लगी. यौन उत्तेजना की वजह से सोनी की बुर पानी छोड़ने लगी थी.

सोनी अपनी कमर उठाकर मेरे लंड को अपनी बुर में लेने की कोशिश करती तो मैं भी अपनी कमर उठाकर लंड और बुर के बीच की दूरी बढ़ा देता.

एक दो बार कोशिश करने के बाद जब सोनी सफल नहीं हुई तो खीज सी गयी. मुझे भी देर करना ठीक नहीं लगा तो मैंने अपने होंठों से सोनी के होंठों को लॉक किया और धीरे धीरे लंड को सोनी की बुर में घुसाने लगा.

कल की एक बार की चुदाई और चिकनाई की वजह से आज मेरा लंड आसानी से बुर में प्रवेश कर गया. उस दौरान सोनी के चेहरे पर हल्का दर्द झलक रहा था.

मेरा लंड चूत में पूरी तरह समा चुका था. मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया.

थोड़ी देर बाद सोनी खुद ही अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी. मैं समझ गया कि सोनी का दर्द गायब हो गया है और अब सोनी क्या चाहती है.

मैंने भी अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया, पहले धीरे धीरे ... फिर स्पीड बढ़ा दिया. सोनी की आहें भी धीरे धीरे बढ़ने लगीं.

थोड़ी देर बाद मैंने सोनी को अपने ऊपर कर लिया. उसने खुद का बैलेन्स बनाया और मेरे लंड की सवारी करने लगी.

हम दोनों की कामुक सिसकारियां एक दूसरे का जोश बढ़ा रही थीं और उसी जोश की वजह से मैं जल्दी ही स्खलित होने को आ गया.

जब मैंने सोनी को बताया, तो सोनी बोली- बेबी थोड़ी देर और करो, मेरा भी होने वाला है. मैं- बेबी, निकलना कहां है? सोनी- आज अन्दर ही आने दो, मैं गोली खा लूँगी.

मैंने सोनी को अपने ऊपर झुकाया और नीचे से जोरदार झटके देने लगा. पट पट की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी.

अभी 2-3 मिनट ही हुए थे कि सोनी का शरीर काँपने लगा और वो मुझसे कसकर चिपक गयी. मैं समझ गया कि सोनी का काम हो गया.

सोनी मेरे ऊपर निढाल सी पड़ गयी. अभी मेरा नहीं हुआ था तो मैंने स्पीड कम नहीं की और वैसे ही झटके लगाता रहा.

थोड़ी ही देर में मेरे अन्दर की सारी गर्मी मैंने सोनी की चूत में छोड़ दी. हम दोनों एकदम से निढाल हो गए और एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे की सांसों को महसूस करने लगे.

हमारे प्यार का रस सोनी की चूत से धीरे धीरे रिस कर मेरी नाभि के नीचे टपकने लगा. कुछ देर बाद जब दोनों की सांसें नियंत्रित हुईं, तब मैंने सोनी की किस किया और उससे पूछा.

मैं- बेबी, आज कैसा लगा? सोनी मुझे जोर की किस करती हुई बोली- बेबी, आज तो सच में बहुत मज़ा आया, आज पता चला चुदाई में इतना मज़ा मिलता है, तभी सब चुदाई के लिए इतना तड़पते हैं.

इतना कह कर सोनी मुझसे फिर से चिपक गयी. उसके बाद हमने खुद को साफ किया और लॉज से ही मंगा कर कुछ नाश्ता किया.

उस दिन हमने दो बार सेक्स किया. पहली बार में मेरा जल्दी हो गया था, पर दूसरी बार मैं काफी देर तक टिका रहा.

दूसरे राउंड में हमने कई और पोजीशन में चुदाई का आनन्द लिया. सोनी भी उस दिन काफी खुश थी. उसकी चूत अब पूरी तरह खुल चुकी थी और उसे अब दर्द भी नहीं हो रहा था.

उसके बाद तो ये हमारा रूटीन बन गया, हम हर हफ्ते या 8-10 दिन में जब मौका मिलता, हम किसी लॉज में पहुंच जाते और कम से कम दो बार सेक्स करके ही निकलते.

हमारी जिंदगी मस्त चल रही थी. हम दोनों में किसी का जब भी सेक्स के लिए मन करता, हम कहीं ना कहीं जुगाड़ बना कर मिल लेते. जब कोई जुगाड़ नहीं बनता तो हम लॉज में पहुंच जाते.

इसी दौरान मेरे कॉलेज का जो ग्रुप था, उसमें एक लड़की थी रश्मि. मेरे 2-3 दोस्तों ने बताया कि उन्हें लगता है कि रश्मि मुझे पसंद करती है. और सच कहूँ तो मेरी बर्थडे के पार्टी के दौरान सबसे ज्यादा दुखी मैंने रश्मि को ही देखा था.

जब तक सोनी वहां थी, तब तक वो बस ऊपर से खुश होने का दिखावा कर रही थी. ये हम सबने भी महसूस किया था पर मैंने उस बात पर ध्यान नहीं दिया था.

किन्तु जब मेरे दोस्तों ने रश्मि के बारे में बताया, तब मुझे समझ में आया.

मेरी बर्थडे के बाद रश्मि मुझे अक्सर व्हाट्सएप पर मैसेज करती और सबसे पहले सोनी के बारे में ही पूछती.

सच कहूँ तो दोस्तो, मैंने कभी भी रश्मि को उस नज़र से देखा ही नहीं था और जब से सोनी मेरी जिंदगी में आयी तो किसी और की तरफ देखने की जरूरत ही नहीं हुई.

रश्मि के बारे में मैंने जो कुछ जाना था और जो मेरे दोस्तों ने कहा था, वो सब मैंने सोनी को बता दिया.

उस वक़्त तो सोनी ने कुछ नहीं कहा. पर कुछ दिन बाद अक्सर सोनी मुझे रश्मि के नाम से ताने मारने लगी.

जैसे, जब कभी मैं किसी के भी साथ फ़ोन पर बात करता और उसी वक़्त सोनी का कॉल आता तो मेरा फ़ोन बिजी होता. फिर जैसे ही मैं सोनी को कॉल करता, सबसे पहले सोनी यही पूछती- रश्मि से बात कर रहे थे क्या? मैं समझ गया था कि सोनी रश्मि को लेकर असहज महसूस करने लगी है इसलिए मैं रश्मि को नजरअंदाज करने लगा.

जल्दी ही रश्मि से मेरा संपर्क टूट गया और धीरे धीरे सोनी ने भी रश्मि की बातें करना बंद कर दीं. हमारा रिश्ता फिर से पटरी पर आ गया.

अभी तक हमारे रिश्ते को करीब ढाई से तीन साल हो गए थे. सेक्स करना हम दोनों के लिए सामान्य बात बन चुकी थी.

हम हर बार कुछ ना कुछ नया करने का ट्राय करते, अब तक हम दोनों को काफी अनुभव हो चुका था कि एक दूसरे को कैसे खुश करें और हमसे जो बन पड़ता हम करते भी थे.

सोनी भी कभी कभी मेरा लंड मुँह में लेने की या चूसने की कोशिश करती, पर वो ज्यादा देर तक नहीं कर पाती. मैं भी उस पर दबाव नहीं डालता.

पहली बार चुदाई की वीडियो खोजने के दौरान मुझे पोर्न देखने की और नए नए आसन वाले वीडियोज़ खोजने की लत सी लग गयी थी. जब भी मुझे कोई नया और रोचक आसान वाला वीडियो मिलता, मैं वो डाउनलोड कर लेता और फिर सोनी को भी दिखाता.

सोनी भी GF BF Xxx वीडियोज़ देखने के लिए लालायित रहती और अगर उसे भी वीडियोज़ वाला आसन पसंद आता तो हम भी वही आसान सेक्स के टाइम आजमाते.

हमने एक दो बार गुदा मैथुन (अनल सेक्स) भी किया. पर उसमें मुझे तो मज़ा आता, पर सोनी को मज़ा नहीं आता.

इसलिए मैं उस पर गुदामैथुन के लिए ज्यादा दबाव नहीं डालता था.

अब सोनी अक्सर मुझे मेरा व्यवसाय छोड़ कर नौकरी करने को बोलती. वो कहती कि इतना पढ़े लिखे होकर दुकान चला रहे हो, इससे अच्छा कोई नौकरी करो.

उसे लगता है कि व्यवसायी लोग तो पैसे बहुत कमाते हैं, पर उनकी उतनी इज़्ज़त नहीं होती, जितना एक नौकरी करने वाले की होती है.

मैं उसे समझाता कि आजकल लोग नौकरी छोड़ कर अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि नौकरी करने वाले इंसान को एक मशीन के जैसे काम करना पड़ता है. फिर आजकल नौकरी के लिए इतनी प्रतिस्पर्धा मची है कि पहले जिस काम के दस हजार मिलते थे, अब उसी काम को सात से आठ हजार में करना पड़ता है. सरकारी नौकरी मिलने से रही और प्राइवेट नौकरी का हाल तो मालूम ही है.

पर सोनी को ये सब समझ नहीं आता, वो बस ये चाहती थी कि मैं दुकान छोड़कर कोई नौकरी करूं.

सोनी की खुशी के लिए मैंने नौकरी करने का निश्चय कर लिया. सबसे पहले अपना बॉयोडाटा बनाया और कंपनियों के चक्कर काटने फिर लगा.

साथ ही साथ अपने सभी दोस्तों, जानपहचान वालों को भी बोल दिया कि मेरे लिए नौकरी तलाशने के लिए मदद करें.

नौकरी ढूंढते हुए मुझे करीब 15-20 दिन हो गए थे पर अभी तक मुझे कोई नौकरी मिल ही नहीं रही थी.

उसका सबसे बड़ा कारण मेरी उम्र थी, जो अब 27 साल की हो गयी थी. कोई भी कंपनी 27 साल के बंदे को नौसिखिया के तौर पर नहीं लेना चाहती थी.

फिर भी मैं लगा रहा.

दिन भर कंपनियों का चक्कर लगाता और रात को इंटरनेट के सहारे नई नई कंपनियों की वेबसाइट पर अपना बॉयोडाटा भेजता. इसी बीच मैं जिस सर से कंप्यूटर सीखता था, उन्होंने मुझे एक प्राइवेट क्लासेस में पढ़ाने का प्रस्ताव दिया.

मैंने सर के प्रस्ताव के बारे में सोनी को बताया, सोनी को भी सर का प्रस्ताव मेरे लिए ठीक लगा क्योंकि सोनी के पापा भी घर घर जाकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे. तो मैंने सर का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और जल्दी ही पढ़ाना शुरू भी कर दिया.

मुझे दोपहर के ढाई बजे से शाम के साढ़े सात बजे तक कंप्यूटर सीखना होता था.

मेरा पढ़ाने का काम अच्छा चलने लगा पर अब मेरा और सोनी का मिलना जुलना बहुत कम हो गया था क्योंकि सुबह उसका कॉलेज होता, दोपहर को और रात को 8 के बाद उसके पापा घर पर ही होते तो उसका निकलना मुश्किल होता.

दोपहर से शाम तक मैं बिजी होता और घर आते आते मुझे साढ़े आठ नौ बजे जाते.

दोस्तो, मूल रूप से मैं पूर्वोत्तर यू.पी. से हूँ और जो लोग यू.पी. से हैं, उन्हें बहुत अच्छी तरह पता है कि हमारे यहां लड़की 19-20 साल की और लड़का 22-23 साल का हुआ नहीं कि उनकी शादी कर देते हैं.

और मैं 27 का हो चुका था तो मेरे घर वालों ने भी मेरे लिए लड़की खोजना शुरू कर दिया था. कुछ रिश्ते तो मैंने बिना लड़की देखे ही मना कर दिए और कुछ लड़की को देख कर.

सिर्फ मना करने से बात खत्म नहीं हो जाती, घर वालों को मना करने का कारण भी बताना पड़ता था इसलिए मैं पहले ही कुछ ना कुछ सोच कर तैयार रहता.

उधर सोनी अपनी पढ़ाई में लगी थी और इधर मेरे घर वाले मेरे लिए लड़की देखने लगे थे.

दोस्तो, वो वक़्त मेरे लिए बहुत मुश्किल वक़्त था. पहले मैं नौकरी के लिए भाग रहा था. काम मिल गया था और अभी काम करते हुए 15-20 दिन ही हुए थे कि मेरे घर वाले फिर से मुझ पर लड़की देखने का दबाव डालने लगे.

इधर मैं सोनी से भी नहीं मिल पा रहा था तो सोनी के ताने अलग मिल रहे थे. मैंने सोनी को रिश्ते की बात बताई तो सोनी ने मुझे साफ साफ सभी रिश्तों को मना करने को बोल दिया.

मैं उससे भी शादी की बात करने को नहीं बोल सकता था क्योंकि उस वक़्त वो स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएशन) कर रही थी.

मेरे घर वाले हर तरह से मुझ पर शादी का दबाव बनाने लगे. भैया गुस्सा करके, भाभी प्यार से और मम्मी भावनात्मक रूप से.

रात के खाने के समय हर रोज़ मेरी शादी के मुद्दे पर ही बहस होती और मुझे चुपचाप सब कुछ सुनना पड़ता.

कुछ भी करके मुझे अपनी शादी की बात दो साल तक टालना था. पर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कैसे करूं?

सोनी के बारे में घर वालों को मैं अभी बताना नहीं चाहता था क्योंकि सोनी दूसरी जाति की थी. अगर घर वालों को सोनी के बारे में बता देता तो पता नहीं मेरे घर वाले क्या करते. इसलिए मैं कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता था.

मैं दिमागी रूप से काफी परेशान हो गया था. कई दिनों तक सोचने के बाद मेरे दिमाग में एक आईडिया आया जो मेरे लिए थोड़ा अजीब और रिस्की तो था पर उसके सिवा मेरे पास और कोई विकल्प भी नहीं था.

मैं वो आईडिया आजमाने के लिए सही मौके का इंतजार कर रहा था और जल्दी ही वो मौका मुझे मिल गया.

एक दिन मैं दोपहर में घर पर खाना खा रहा था और उस वक़्त घर पर सिर्फ मैं और भाभी ही थे. मेरी भाभी से अच्छी जमती थी.

ऐसे ही बातों बातों में भाभी ने मेरी शादी की बात को छेड़ दिया और मुझसे पूछने लगीं- राजीव, सच सच बताओ, तुम हर रिश्ते के लिए मना क्यों कर रहे हो? कोई और लड़की पसंद है क्या? अगर कोई पसंद है तो बताओ, उसके घर वालों से बात की जाए. मैं- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है.

भाभी- फिर क्यों हर रिश्ते को मना कर रहे हो? मैं- सच कहूं भाभी? आप किसी से कहोगी तो नहीं ना? मैं थोड़ा गंभीर होते हुए बोला.

भाभी- नहीं, किसी से नहीं कहूंगी. मैं- भैया से भी नहीं ना? भाभी ने खीझते हुए कहा- नहीं बाबा, किसी ने नहीं कहूंगी.

मैं- भाभी मुझमें शारीरिक समस्या है, मैं अभी शादी नहीं कर सकता, अभी इसका इलाज करा रहा हूं. डॉक्टर ने बोला है कि एक डेढ़ साल तक इलाज कराना पड़ेगा, उसके बाद मैं ठीक हो जाऊंगा.

मेरी बात सुनकर भाभी चौंक गयी और मुझे ऊपर से नीचे तक देखने लगीं. उनके मुँह से कोई शब्द ही नहीं निकल रहा था.

मैं अच्छी तरह जानता था कि ये बात भाभी भैया को जरूर बताएंगी क्योंकि कोई भी औरत कोई भी बात पचा नहीं सकती और धीरे धीरे ये बात सबको पता चल जाएगी.

जैसी मुझे उम्मीद थी, वही हुआ. उस रात जब हम सब साथ में खाना खाने बैठे, तब किसी ने भी मेरी शादी की बात नहीं छेड़ी. सब चुपचाप खाना खाकर उठ गए.

सब मुझसे नज़र बचा कर बड़ी अजीब ही नज़रों से मुझे देख रहे थे ... खासतौर पर भैया भाभी. उस दिन के बाद मेरे लिए रिश्ते आने बंद हो गए, एकाध जो आ जाते, भैया उन्हें कोई ना कोई बहाना बना कर मना कर देते.

अब मेरे सर से एक टेंशन कम हो गया था, मैंने ये शारिरिक कमजोरी वाली बात सोनी को कभी नहीं बताई.

मुझे क्लासेज में पढ़ाते हुए करीब डेढ़ से दो महीने हो गए थे, उसी क्लासेज में एक लड़की रेसेप्सनिस्ट के तौर पर काम करती थी और उसका नाम शिल्पा था.

वो भी लगभग मेरे ही उम्र की थी. क्लासेज में 5-6 घंटे बिताने की वजह से और हमउम्र होने की वजह से जल्दी ही उसकी और मेरी दोस्ती हो गयी. मेरे और शिल्पा के बीच व्हाट्सअप पर भी चैटिंग होने लगी थी.

वो मुझे हमेशा सर ही कह कर बुलाती.

धीरे धीरे शिल्पा और मेरे बीच काफी बातचीत होने लगी. क्लासेज के टाइम को छोड़कर भी शिल्पा अक्सर मुझे मैसेज करती और मैं भी उसको रिप्लाई कर देता.

कभी कभी जब मैं सोनी के साथ होता, तब भी शिल्पा का मैसेज आ जाता.

मैंने सोनी को शिल्पा के बारे में पहले ही बता दिया था. शिल्पा ने मुझे अपने बॉयफ्रेंड और मैंने उसे सोनी के बारे में बता दिया था.

हम दोनों को एक दूसरे के बारे में पता था, इसलिए कभी कभी हमारे बीच एडल्ट जोक भी हो जाता.

जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि जब से मैंने क्लासेज में पढ़ाना शुरू किया, तब से मैं और सोनी सामान्यतः मिल नहीं पा रहे थे.

उससे पहले हम हर दूसरे तीसरे दिन किसी ना किसी रेस्टोरेंट या कॉफ़ी शॉप पर मिल जाते थे. पर क्लासेज में जाने की वजह से अब वो सब बंद हो गया था.

जब हमें सेक्स करना होता तो हम सुबह ही सोनी के कॉलेज के टाइम ही निकल जाते और एक डेढ़ बजे तक वापस आ जाते. इधर मेरे और शिल्पा के बीच व्हाट्सएप पर बातचीत भी ज्यादा होने लगी थी.

सोनी फिर से मेरे और शिल्पा के बारे में सोच कर असहज होने लगी थी और बात बात पर मुझ पर कटाक्ष करती और कहती- सेक्स करने के लिए टाइम है तुम्हारे पास ... और ऐसे मिलने के लिए टाइम नहीं है. क्या तुम्हारा मुझसे मन भर गया है?

मैं उसकी मनोदशा अच्छे से समझता था और उसे हालात के बारे में समझाता भी था, पर उसके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था.

इसलिए मैंने चालू बैच खत्म करके वहां पढ़ाना छोड़ दिया और फिर से अपनी दुकान पर आ गया.

इसके बाद मैं बराबर सोनी को टाइम देने लगा जिससे जल्दी ही सोनी के सारे गिले शिकवे दूर हो गए. सोनी अब खुश तो थी पर उसे अभी भी मेरे दुकान चलाने से परेशानी थी.

आज से करीब दो साल पहले सोनी को चेन्नई जाने का मौका मिला.

हुआ यूं कि सोनी का एक छोटा भाई है रोहण, जो चेन्नई में रह कर पढ़ाई कर रहा था. सोनी के मम्मी पापा ने उसे 2-3 दिन घूमने के लिए रोहण के पास भेजने का पक्का किया था.

सोनी को जैसे ही पता चला, उसने मुझे भी साथ चलने को कह दिया.

रोहण को हमारे बारे में पता था और सोनी ने रोहण से बात करके मेरे आने के बारे में बता दिया था.

पर दिक्कत ये थी कि हम रहते कहां? क्योंकि रोहण 3-4 लड़कों के साथ मिलकर एक घर भाड़े पर लेकर रह रहा था.

सोनी के मम्मी पापा ये सोच रहे थे कि सोनी रोहण के कमरे में रह लेगी.

पर सोनी के दिमाग में और ही कुछ चल रहा था. उसने रोहण को पता नहीं कैसे मेरे और सोनी के होटल में रहने के लिए मना लिया था.

चेन्नई का दौरा हमारे लिए हनीमून से कम नहीं था. हम दिन भर रोहण के साथ घूमते और रात को होटल के कमरे कामक्रीड़ा का आनन्द लेते. तीन दिन तक हम चेन्नई में रहे और तीनों दिन और रात हमने सभी चीजों का भरपूर आनन्द लिया. चाहे घूमने फिरने की बात हो या फिर कामक्रिया की.

देखते ही देखते हमारे रिश्ते को पांच साल हो गए, पांचवी सालगिरह हमने इमैगिका जाकर मनाई.

रोहण भी हमारे साथ था तो उस दिन हमें चूमाचाटी का मौका तो नहीं मिला.

लेकिन उसके अगले दिन हमने लॉज में जाकर अपनी पांचवी सालगिरह अपने तरीके से मनाई.

पिछले पांच सालों में हम मुम्बई के लगभग सभी प्रसिद्ध जगहों पर घूमने गए और कई बार हम मुम्बई के बाहर भी जाकर आए.

अब यहां से शुरू हुई हमारे रिश्ते के पतन की कहानी.

सोनी की स्नाकोत्तर की पढ़ाई भी पूरी हो गयी और सोनी नौकरी ढूंढने लगी. अब वो नौकरी ढूंढ रही थी और उसके पापा उसके लिए लड़का.

सोनी के पापा को 3-4 लड़के पसंद भी आ गए थे पर लड़के वालों को सोनी पसंद नहीं आयी.

हमारे यहां लड़की से तो पूछा ही नहीं जाता कि उसे लड़का पसंद भी है या नहीं. सोनी के साथ भी वही हो रहा था.

जब सोनी के लिए उसके पापा लड़का खोजने लगे तब मैंने उसे हमारे बारे में बात करने को बोला.

उस वक़्त सोनी ने ये बोलकर मुझे शांत कर दिया कि अभी बस देख रहे हैं, रिश्ता तो मेरी मर्जी से ही पक्का होगा ना ... और जब ये लोग लड़का खोज खोज कर थक जाएंगे, तब मैं इन्हें तुम्हारे बारे में बता दूंगी. शायद तब तक मुझे कोई अच्छी सी नौकरी भी मिल जाए और तब मेरे मम्मी पापा मुझ पर दबाव भी नहीं डाल पाएंगे.

हमारा रिश्ता वैसे ही मस्ती से चल रहा था. इधर सोनी नौकरी के लिए भाग रही थी और उधर सोनी के पापा लड़का खोजने में लगे थे.

पिछले साल मई में सोनी के पापा को मुम्बई से सटे एक उपनगर में एक लड़का पसंद आया.

लड़का सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, लड़के का नाम रोहित था. उसका बड़ा भाई डॉक्टर और उसके पापा बी.एम.सी. स्कूल में अध्यापक थे.

दोनों के घर वालों की मर्जी से एक मीटिंग तय हुई जिसमें सोनी और रोहित भी शामिल हुए.

बातचीत होने के बाद लड़के वालों ने सोनी के पापा से सोच कर बताने के लिए समय मांग लिया.

मीटिंग से आने के बाद सोनी ने मुझे बताया कि उसे लड़का पसंद नहीं आया और उसे लगता है कि ये रिश्ता भी कैंसल हो जाएगा.

जब मैंने कारण पूछा तो सोनी ने बताया कि पहली बात लड़का उससे 6 साल बड़ा है और दूसरी बात लड़के की मां को ऐसी बहू चाहिए, जो 5-6 घंटे की नौकरी करके घर आ जाए. उन्हें मेरे जैसी आई.टी. क्षेत्र की लड़की अपनी बहू के रूप में नहीं चाहिए.

मैं सोनी की बात सुनकर रिलैक्स हो गया.

सोनी लगातार इंटरव्यू देने जाती पर हर बार किसी ना किसी वजह से उसका चयन नहीं पाता. और जब कभी वो घर पर होती तो उसके मम्मी पापा हमेशा रिश्ते की ही बात करते. सोनी से जब कभी पूछा जाता तो वो लड़के की उम्र का हवाला देकर रिश्ते के लिए मना कर देती.

पर उसके मम्मी पापा उसे समझा कर चुप करा देते.

इन सब वजहों से सोनी एकदम चिड़चिड़ी सी हो गयी थी, कई बार मुझसे भी बिना किसी बात के सोनी झगड़ने लगती. मैं उसकी हालत समझता था इसलिए ज्यादातर मौकों पर चुप ही रहता था.

देखते ही देखते मई, जून और जुलाई बीत गया. ना ही सोनी को कोई जॉब मिला और ना ही लड़के वालों की तरफ से हां या ना का जवाब आया.

अब मैं और सोनी दोनों ही आश्वस्त हो गए कि ये भी रिश्ता कैंसल हो ही जाएगा.

हम दोनों पहले की ही तरह मिलते साथ में समय व्यतीत करते.

अब क्लाइमेक्स की स्थिति शुरू होने को आई.

सोनी लगातार जॉब के लिए कोशिश कर रही थी. इसी बीच सोनी ने एक कंपनी में इंटरव्यू दिया था और उसका फाइनल रिजल्ट अभी आना बाकी था.

अगस्त का महीना चल रहा था, एक दिन सोनी का मैसेज आया कि उसने जिस कंपनी में आखिरी बार इंटरव्यू दिया था, उसमें उसका सिलेक्शन हो गया.

मैं तो खुशी से उछल पड़ा, आखिरकार सोनी की मेहनत रंग लाई.

उसने मुझे एक रेस्टोरेंट में मिलने को बुलाया. मैं भी फटाफट रेडी होकर उससे मिलने पहुंच गया. मैं तो बहुत खुश था, पर न जाने क्यों सोनी खुश नहीं थी.

जब मैंने जोर देकर पूछा, तब सोनी ने बताया कि रोहित के घर वालों ने शादी के लिए हां बोल दिया है.

मेरी खुशी तो जैसे फुर्र हो गयी. मेरी तो समझ में नहीं आ रहा था कि जॉब मिलने की खुशी मनाऊं या उसकी शादी की बात फाइनल होने का गम? हम दोनों की हालत एक जैसी थी. हमें तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि अब क्या करें?

बाद में सोनी ने मुझे भरोसा दिया कि हमारा रिश्ता ऐसे ही रहेगा, ये शादी तो वो अपने पापा की खुशी के लिए कर रही है. बस और शादी के कुछ टाइम बाद वो अपने पति को छोड़कर हमेशा के लिए मेरे पास आ जाएगी.

मैंने उसे, उसके पापा से बात करने के लिए कहा. तो उसने ये बोलकर मना कर दिया- तुम जॉब नहीं करते हो. मैं क्या बोलूंगी पापा को कि मैं जिससे शादी करना चाहती हूँ, वो एक दुकानदार है? फिर जब मेरी जॉब पर्मानेंट हो जाएगी और मैं अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊंगी, तब कोई भी मुझे किसी भी फैसले के लिए फ़ोर्स नहीं कर पाएगा. इसलिए अगर तुम मुझे प्यार करते हो, तो मुझ पर भरोसा रखो. मेरी खुशी सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे साथ है.

उसकी बातें सुनकर अच्छा तो लगा पर दिमाग में अभी भी कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करूं? उस दिन के बाद धीरे धीरे हमारे बीच सब कुछ बदलने लगा.

अब वो जॉब पर भी जाने लगी थी तो अब हमारा मिलना भी सिर्फ शनिवार या रविवार को ही होने लगा.

लॉज में भी जाना बहुत कम हो गया था. हम जब भी लॉज में जाते तब हमारे बीच सेक्स कम और उसकी शादी की या शादी के बाद की बातें ही होतीं.

वो हर बार मुझे यही भरोसा दिलाती कि वो जल्दी ही मेरे पास हमेशा के लिए आ जाएगी. इसी बीच सोनी की एक बचपन की सहेली, जो हम दोनों के बारे में शुरू से जानती थी, उसने भी सोनी को समझाया कि वो अपने पापा से बात करे.

सोनी की सहेली ने तो यहां तक कहा कि अगर वो चाहे तो वो खुद जाकर उसके पापा से बात कर सकती है. पर सोनी उसे मना कर देती.

इन्हीं सब उलझनों में अक्टूबर आ गया. अब हमारा मिलना बहुत कम हो गया था. मिलते भी तो रेस्टोरेंट में.

सोनी अब लॉज में जाने से परहेज करने लगी थी.

उसे किसी ने बताया था कि लंबे समय के बाद संभोग करने से संभोग के टाइम पर दर्द होता है और वो सोच रही थी कि ऐसे में उसके होने वाले पति को लगेगा कि वो कुंवारी है.