प्यार और वासना

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

उह! मेरा हाथ जैसे किसी तपती धधकती भट्टी की ओर बढ़ रहा था. तभी मेरे हाथ को नर्म नर्म रेशमी रोमों का अहसास हुआ.

मैंने अपना हाथ पैंटी के अन्दर ही थोड़ा ऊपर उठाया और हथेली को एक कप सा बना कर, जिसमें मेरी चारों उंगलियां नीचे की ओर थीं, सोनी की तपती चूत पर रख दिया.

आआह...ह ... क्या अहसास था वो. उसकी चूत एकदम गर्म भट्टी की तरह तप रही थी. ऊपर से एकदम गर्म और नीचे से रिस रिस कर निकलता योनिरस.

'आ ... आ ... आह!'

उत्तेजना वश सोनी मुझसे कसकर लिपट गयी, मेरी उंगलियां सोनी के योनिरस से पूरी तरह भीग गयी थीं.

मैंने अपने हाथ की तर्जनी उंगली को चूत के निचले हिस्से से शुरू करके, चूत की दरार में ऊपर-ऊपर, फिराना शुरू कर दिया. तुरंत ही सोनी के जिस्म में थिरकन सी होने लगी.

मैंने अपनी उंगली का सिरा चूत की दरार के ऊपरी हिस्से पर स्थित चने के दाने के साइज़ के भगनासे पर लाकर रोक दिया.

पैंटी के अन्दर हाथ होने की वजह से मेरे हाथ को वो आजादी मिल नहीं पा रही थी जो मुझे चाहिए थी. इसलिए मैंने फिर से अपना हाथ निकाल लिया और सोनी के बगल से उठकर बैठ गया.

सोनी फिर से मुझे देखने लगी. उसके चेहरे पर वही सवाल था कि अब क्या हुआ?

अब मैं बैठे बैठे ही उसकी सलवार को नीचे सरकाने लगा. पर उसके शरीर से सलवार को अलग करने के लिए भी मुझे सोनी के सहायता की ज़रूरत थी.

मैंने सोनी की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखा और उसकी सलवार को फिर से नीचे की तरफ सरकाने लगा.

सोनी ने अपनी कमर को उठा कर मेरे काम को आसान कर दिया. मैंने सलवार के साथ साथ पैंटी को भी उसके घुटनों तक सरका दिया.

अब मेरी आंखों सामने देसी गर्लफ्रेंड सोनी की गेहुआं रंग की पुष्ट जांघें थीं और जांघों के जोड़ पर छोटे छोटे काले बाल थे.

शायद सोनी ने 6-7 दिन पहले ही अपने नीचे के बालों को साफ किया था. सोनी जांघों को चिपका कर दोनों हाथ अपनी चूत पर रखकर अपनी चूत छुपाने की कोशिश करने लगी.

मैंने सोनी के हाथ हटाने की कोशिश की तो सोनी ने और मजबूती के साथ अपना हाथ जमा लिया.

एक दो बार कोशिश करने पर जब सोनी ने अपना हाथ हटाने नहीं दिया तो मैं फिर से उसके ऊपर आ गया और उसे चूमने लगा.

मैं चूमते चूमते नीचे की तरफ जाने लगा. अभी तक सोनी सिर्फ नीचे से ही नंगी थी, उसके टॉप ने अभी भी उसके उरोज़ों को ढक कर रखा था और मेरा एक भी कपड़ा नहीं निकला था.

जैसे ही मैं सोनी की नाभि तक पहुंचा, सोनी ने फिर से अपने हाथ बुर पर रख दिए. मैंने अपनी जीभ को नुकीला बनाकर उसकी नाभि में घुसा दिया. इससे हुई गुदगुदी के मारे सोनी उछल पड़ी और उसने मेरे चेहरे को पकड़ कर हटा दिया.

जैसे ही सोनी फिर से अपना हाथ योनि पर रखने गयी, मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसकी बुर के भगनासे के ठीक ऊपर बालों वाले हिस्से को चूम लिया. सोनी एकदम सी कांप गयी और ढीली पड़ गयी.

अब मैं इत्मीनान से उसके पैरों के पास बैठ गया और उसकी सलवार को पैंटी सहित निकाल कर बगल में रख दिया.

मेरे सामने सोनी का निचला हिस्सा बिना कपड़ों के खुल गया था. सोनी ने शर्मवश अपनी टांगों को घुटनों से मोड़ कर एक दूसरे से चिपका लिया.

मैं एक बार फिर उसके बगल से होते हुए उसके चेहरे के पास गया और उसके होंठों को चूमने लगा.

चूमने के बाद जैसे ही मैं नीचे जाने लगा, सोनी ने मुझे पकड़ लिया और विनती करते हुए कहने लगी- बेबी प्लीज, बस करो. इससे आगे नहीं. मैं- डरो मत बेबी, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जो तुम नहीं चाहती, मुझ पर भरोसा रखो.

मेरी बातें सुनकर सोनी ने खुद को ढीला छोड़ दिया. मैं एक बार फिर से उसके पैरों के पास जाकर बैठ गया और उसकी दोनों जांघों को अलग कर दिया.

उफ्फ ... एक लड़की के जिस्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा, छोटे छोटे रेशमी बाल और उनके बीच में एक लम्बी दरार के ऊपरी हिस्से में बिल्कुल अनछुई हल्की सी उभरी हुई मदनमणि.

मैंने झुक कर अपने होंठों के एक स्पर्श से उसका अभिनन्दन किया. किसी भी बुर पर मेरी जिंदगी का ये पहला चुम्बन था.

पहले तो बुर की महक और स्वाद थोड़ा अजीब सा लगा, पर जल्दी ही वो महक और स्वाद मेरा पसंदीदा बन गया.

मेरे चुम्बन से सोनी उछल सी पड़ी. एक तेज आवाज़ उसके कंठ से निकलकर उसके मुख से बाहर आई- आह्ह्ह ... बेबी ... उम्म् ...

मैंने अपनी जीभ से उसकी दरार को चीरते हुए नीचे से ऊपर और फिर ऊपर से नीचे कई बार चाटा. घुटनों से मुड़े पैरों के बीच में मेरा मुँह और मेरी जीभ अपना काम कर रही थी और उसकी बुर से लगातार बहता काम रस का झरना मुझे मजा देने लगा था.

पहले यौवन का रस और मैं उसको चाटता और पीता हुआ मदांध होता जा रहा था. सोनी अपना सर तकिए से ऊपर करके मुझे और मेरी हरकतों को देख रही थी.

अभी उसकी योनि को चाटते हुए कुछ ही पल बीता था कि इतने में सोनी ने मेरे सिर को पकड़ लिया और अपनी बुर पर दबाने लगी. इसी के साथ साथ उसके मुँह से लगातार निकल रहा था- आह ... सी ... ई ... बेबीईई ... आह ... करते रहो ... अह ... आ ... ऐसे ही ... अच्छा लग रहा है.

अब सोनी ने मेरा सर कसकर अपनी योनि पर जोर से दबा दिया जिससे मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी. मैंने अपने होंठ हटा लिए. मेरे होंठ हटाते ही सोनी ने अपना सर तकिए पर पटक दिया और लंबी लंबी सांस लेने लगी.

कुछ देर बाद मैंने फिर से जीभ को उसकी बुर पर लगा दिया और चाटने लगा. वो फिर से 'आअहह उम्म ह्म्म्म अम्म ...' जैसी आवाजें निकालने लगी.

थोड़ी ही देर में उसका बदन अकड़ने लगा और वो एक लंबी आह के साथ भलभला कर आ गयी ... मतलब वो एक बार स्खलित भी हो गयी.

उसके बाद मैंने सोनी को छोड़ दिया और अपने कपड़े ठीक करने लगा.

सोनी भी उठी और अपने कपड़े पहनने लगी. फिर हम दोनों लॉज से निकल आए.

रास्ते भर सोनी ने मुझसे बात नहीं की, मैं बार बार पूछता रहा पर उसके मुँह से एक शब्द नहीं निकला.

घर पहुंच कर मैंने उसे सॉरी का मैसेज किया और अपने लॉज वाली हरकत के लिए माफ़ी मांगी. सोनी ने कोई जवाब नहीं दिया. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर सोनी मुझसे किस बात पर नाराज़ है?

मैंने उसे कई मैसेज किए पर सोनी किसी भी मैसेज का जवाब नहीं दे रही थी.

करीब एक डेढ़ घंटे बाद सोनी का मैसेज आया. 'बोलो!'

मैंने उससे उसकी नाराज़गी की वजह पूछा, तो वो कहने लगी कि आज जो कुछ तुमने किया, कहीं उस वजह से मैं प्रेग्नेंट हो गयी तो? उसका ये मैसेज देखकर मुझे हंसी आ गयी.

पर अच्छा था कि हम व्हाट्सएप पर बात कर रहे थे और सोनी मुझे देख नहीं पा रही थी वरना पक्का वो और नाराज़ हो जाती.

मैंने उसे कॉल करने को बोला. फिर उसे समझाया कि ये रामायण या महाभारत वाला युग नहीं है जो किसी के छूने या गले लगाने से या चूमने से लड़की प्रेग्नेंट हो जाती है.

इसके साथ ही मैंने उसे प्रेग्नेंट होने की पूरी प्रक्रिया को समझाया. उसके बाद सोनी शांत हो गयी और अच्छे से बात करने लगी.

रात को व्हाट्सएप पर चैटिंग के दौरान जब मैंने उससे पूछा- लॉज में जो कुछ किया, वो सब कैसा लगा? उसने बताया- मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आया कि उस वक़्त क्या हो रहा था. मेरे लिए वो सब कुछ एकदम नया अहसास था.

फिर जब मैंने पूछा- कैसा लगा? तो उसने बताया- मुझे बहुत मज़ा आया.

उसके बाद हम दोनों ने प्यार भरी बातें की और एक दूसरे को शुभरात्रि कह कर सो गए.

उस दिन के बाद हम अक्सर लॉज में जाने लगे और सब कुछ भूल कर एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे.

धीरे धीरे सोनी की झिझक कम होती गयी. अब उसे मेरे सामने कपड़े निकालने में कोई झिझक नहीं होती थी.

हमें जब भी मौका मिलता, हम दोनों लॉज में या मेरे घर पर मिल लेते.

इस दौरान उसके चूचों के साथ ही साथ मैं उसकी योनि का भी रसपान कर लेता था, पर अभी तक हमारे बीच बात सहवास तक नहीं पहुंची थी और ना ही मैंने एक भी बार सोनी को अपना लंड चूसने के लिए बोला था.

मैंने कई बार उसे सहवास के लिए मनाने की कोशिश भी की, पर हर बार सोनी साफ साफ मना कर देती. मैं भी उस पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहता था इसलिए चुप हो जाता.

अब हमें बस लॉज या होटल में जाने के लिए एक बहाने की जरूरत होती और जैसे ही हमें मौका या बहाना मिलता, हम पहुंच जाते. उधर बातचीत के दौरान भी हमारी बातों में सेक्स एक अहम टॉपिक होता, हम खुल कर एक दूसरे से सेक्स की बातें करते.

इस दौरान हमारे रिश्ते की एनीवर्सरी, सोनी का बर्थडे और फिर से मेरा बर्थडे भी आया. हम हर मौके पर लॉज में जाते और 2-3 घंटे यादगार टाइम बिता कर वापस आ जाते.

मेरी स्नातक की पढ़ाई की दौरान मेरा भी दोस्तों का एक समूह था, जिसमें कुछ लड़कियां भी थीं.

सोनी के साथ रिश्ते में आने के बाद के दूसरे बर्थडे पर मैंने सबको सोनी से मिलाने के लिए एक छोटे से रेस्टोरेंट में पार्टी दी.

समय की कमी के कारण सोनी जल्दी निकल गयी.

सोनी के जाने के बाद मेरे कुछ दोस्तों ने झिझकते हुए बताया कि उन्हें सोनी मेरे लायक नहीं लगी.

मैंने सबकी बातें सुनी, पर ना तो मैंने उन्हें कुछ बोला और ना ही सोनी को कुछ बताया. मुझे सोनी पसंद थी तो दुनिया उसके बारे में क्या सोचती है या क्या कहती है ... इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता.

हमारे रिश्ते को करीब डेढ़ साल होने वाला था, पिछले साल मेरे बर्थडे से लॉज या होटल में जाने का सिलसिला अभी भी जारी था.

सेक्स की आग तो दोनों तरफ लगी थी. हम दोनों ही एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे पर सोनी प्रेग्नेंट होने की वजह से डर रही थी या फिर शायद उसे अभी तक मुझ पर भरोसा नहीं हुआ था.

मैंने भी सेक्स के लिए उस पर कभी दबाव नहीं डाला ... पर चूमाचाटी या बुर की चटाई या चुसाई के दौरान मैं उसे सेक्स के लिए एक बार पूछ जरूर लेता था.

मेरे बर्थडे के यही कोई 10-12 दिन बाद हम वैसे ही लॉज में गए थे और हम दोनों एक दूसरे के साथ चूमाचाटी में लगे थे. इसी दौरान जब योनि चटाई और चुसाई के समय मैंने सोनी को सेक्स के लिए पूछा, तो उसने हां कह दिया.

शायद वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी या उसे भी अब मुझ पर पूरा भरोसा हो गया था या फिर उसे भी अब सेक्स का मज़ा लेना था.

उसके हां कहते ही मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और मिशनरी आसन में ही उसकी बुर के छेद पर लंड टिका कर हल्के से धक्का लगा दिया.

मेरा पहला प्रयास विफल गया और मेरा लंड सरक कर ऊपर निकल गया. मैंने फिर से बुर के छेद पर लंड टिका कर जोर लगाया तो लंड का सुपारा सोनी की बुर में घुस गया.

सुपारा घुसते ही सोनी छटपटाने लगी और उसने मुझे धक्का देकर हटा दिया.

उस वक़्त सेक्स के बारे में मुझे भी ज्यादा कुछ मालूम नहीं था. हां मैंने इससे पहले एक भाभी के साथ एक बार सेक्स किया था और ये बात मैंने सोनी को भी बता दिया था. पर पहली बार किसी कुंवारी लड़की के साथ सेक्स कैसे करते हैं, ये मुझे नहीं पता था.

उसके बाद मैं सोनी को मनाता रहा, पर सोनी दूसरी बार ट्राय करने को नहीं मानी. थक हार कर मैं भी चुप हो गया और हम दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर वहां से निकल गए.

उस विफल प्रयास के बाद मुझे अहसास हो गया कि मैंने पिछली बार जल्दबाजी कर दी थी और अब मैं आगे मिलने वाले मौके को छोड़ना नहीं चाहता था. इसलिए मैंने इंटरनेट से पहली बार चुदाई के कई वीडियोज डाउनलोड किए और उन्हें ध्यान से देखा, कई बार देखा.

उनमें से कुछ वीडियोज़ मैंने सोनी को भी दिखाए और साथ में भी देखे.

अब सोनी भी एक और बार ट्राय करने को तैयार थी, पर पहली बार में होने वाले दर्द का डर अभी भी उसे डरा रहा था और वो तो होने वाले दर्द का छोटा सा हिस्सा महसूस भी कर चुकी थी.

मैंने उसे भरोसा दिलाया कि अगर उसे ज्यादा दर्द हुआ तो मैं आगे नहीं करूंगा.

पर मन ही मन मैं जानता था कि अगर इस बार भी मैं विफल रहा तो शायद सोनी कभी सेक्स के लिए तैयार नहीं होगी. इसलिए इस बार मैंने सोनी के साथ थोड़ा निर्दयी बनने का फैसला कर लिया था.

मुझे अच्छी तरह याद है, उस दिन 12 अगस्त था. हम दोनों अपनी फिक्स जगह यानि उसी लॉज में पहुंच गए और एक दूसरे में व्यस्त हो गए.

हर बार की तरह इस बार भी मैंने सोनी के एक एक करके सारे कपड़े निकाल दिए और खुद का भी अंडरवियर छोड़ कर सारे कपड़े निकाल दिए.

हम दोनों एक दूसरे के शरीर के ऊपरी हर हिस्से को चूमने लगे. मेरी देसी GF सेक्स के लिए तैयार थी.

आज का दिन मेरे लिए बहुत अहम था, आज मुझे हर हाल में सोनी का योनिभेदन करना ही था इसलिए आज सोनी को पूरी तरह गर्म भी करना जरूरी था.

कुछ देर तक उसके ऊपरी हिस्से को चूमने के बाद मैं अपने घुटने पर बैठ गया और उसकी नाभि के आसपास का हिस्सा चूमते हुए नीचे की तरफ जाने लगा. जैसे ही मैंने उसकी बुर के भगनासे को अपने जीभ से छुआ, सोनी ने सिसकारी लेते हुए मेरे सर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा दिया.

खड़े खड़े ही सोनी अपनी टांगें जितना खोल सकती थी, उसने उतना खोल कर मेरी जीभ और चेहरे के लिए जगह बना दी. मैंने अभी तक कई आसनों में सोनी के बुर की चटाई और चुसाई की थी, पर ये स्टैंडिंग आसन आज मैं पहली बार आज़मा रहा था.

इस आसन में मेरी जीभ चूत के भगनासे तक तो आराम से पहुंच रही थी, पर योनि की दरार में ज्यादा अन्दर नहीं जा पा रही थी. मैंने एक दो बार कोशिश भी की कि अपनी जीभ को बुर की दरार की गहराई में पहुंचा दूँ, पर मैं सफल नहीं हो पाया.

सोनी भी उस आसन में सहज महसूस नहीं कर पा रही थी तो उसने दीवार का सहारा लेकर अपनी एक टांग को उठाकर मेरे कंधे पर रख दिया और अपना एक हाथ मेरे बालों में फिराने लगी.

मेरे कंधे पर पैर रखते ही सोनी की बुर की दरार खुल सी गयी और मैंने बुर के निचले हिस्से में अपनी जीभ को नुकीला बना कर घुसेड़ दिया. मैं उसकी बुर को चाटने और चूसते हुए और अन्दर तक जीभ को घुसाने लगा.

कुछ देर तक वैसे ही करने के बाद मैं अपनी जीभ को बुर की दरार में ऊपर नीचे घुमाने लगा.

सोनी से यह बर्दाश्त नहीं हुआ और वो एक लंबी आह के साथ लड़खड़ा गयी.

जैसे ही सोनी ने खुद को संभाला, मैं फिर से शुरू हो गया.

बीच बीच में मैं बुर को अपने पूरे मुँह में भी भरने की कोशिश करता या फिर चूत के होंठों को अपने होंठों से खींच लेता. काफी देर तक मैं बैठे बैठे ही मैं सोनी की बुर का रसपान करता रहा.

सोनी भी मज़े लेकर मेरा साथ दे रही थी. मैं सोनी को गर्म तो करना चाहता था ... पर उतना नहीं कि वो स्खलित हो जाए.

इसलिए जब मुझे लगा कि सोनी का स्खलन निकट आ गया है, तब मैं रुक गया और उठ खड़ा हुआ.

सोनी मेरी तरफ देखते हुए कहने लगी- बेबी, थोड़ी देर और करते, अच्छा लग रहा था मुझे! मैं- हां बेबी, अभी और करूंगा पर उससे पहले जो हम डिसाइड करके आए हैं, वो कर लें!

सोनी थोड़ा निराश होते हुए बोली- ह्म्म्म ... ठीक है. पर कैसे करेंगे? उसका पूछने का मतलब था कि किस आसन में.

मैं- जैसे तुम बोलो. सोनी- जैसे तुम्हें ठीक लगे. मैं- ठीक है, डॉगी स्टाइल में करते हैं. सोनी- ह्म्म्म.

हमने जो भी पहली चुदाई के वीडियोज़ देखे थे, उन सब में हमें डॉगी स्टाइल वाला पसंद आया था तो हमने भी वैसे ही करने का सोच लिया था.

मैंने ये स्टाइल इसलिए भी चुना कि अगर लंड घुसाने के वक़्त सोनी आगे सरकने की कोशिश करेगी, तो मैं उसको कमर से पकड़ कर आगे नहीं जाने दूंगा.

मेरे कहते ही सोनी बेड पर डॉगी स्टाइल में आ गयी. उसके बाद मैंने अपनी पैंट की जेब में रखी तेल की शीशी को निकाला और अपनी उंगलियों पर उड़ेल लिया, फिर उसको सोनी की चूतके छेद और आसपास लगा दिया.

काफी सारा तेल मैंने अपने लंड पर लगा लिया.

मैंने सोनी की टांगों को घुटनों से और चौड़ी कर दीं और उसकी चूतके छेद में अपनी बीच वाली बड़ी उंगली डाली.

उंगली को चला कर मैंने तेल को अन्दर तक पहुंचा दिया. सोनी लगातर आहें भरती रही. उसके बाद मैंने सोनी का योनिभेदन करने के लिए अपने लंड का सुपारा छेद पर लगा दिया.

सोनी 'शी शी ई ...' करती रही. वो मुझसे कहने लगी- बेबी, अगर ज्यादा दर्द हुआ, तो रुक जाना प्लीज. मैं- सच में असली मज़ा लेना है, तो थोड़ा तो दर्द सहना ही पड़ेगा. अगर तुम्हें डर लग रहा है, तो फिर रहने देते हैं.

सोनी ने मेरी ओर सर घुमाकर देखा और बोली- ठीक है करो.

कुछ देर तक मैं चूतकी दरार में अपने लंड को ऊपर नीचे करता रहा. साथ ही साथ दूसरे हाथ से मैं सोनी के चूचों को भी मसलता रहा.

सोनी सांस रोके मेरे झटके का इंतजार कर रही थी पर मैंने झटका ना देकर धीरे धीरे लंड पर दबाव डालना शुरू किया.

बुर और लंड दोनों पर तेल लगे होने की वजह से लंड का सुपारा गप्प करके घुस गया. सुपारा अन्दर घुसते ही सोनी के मुँह से दर्द भरी आह निकल गई और उसने अपनी कमर उचका ली.

सोनी की कमर उचकाने की वजह से सुपारा बाहर आ गया.

मैं कुछ देर तक एक हाथ से सोनी की पीठ और दूसरे हाथ से उसके चूचे सहलाता रहा और बीच बीच में उसकी पीठ को चूम लेता रहा. थोड़ी देर बाद मैंने अपने हाथ से उसकी पीठ पर दबाव बनाया और उसकी पीठ को दबा दिया ताकि उसकी बुर थोड़ी बाहर की तरफ आ जाए.

फिर मैंने अपने लंड पर तेल लगा कर थोड़ा और दबाव दिया.

बुर की फांकें लंड के सुपारे को पकड़ चुकी थीं. सोनी सांस रोके मेरे अगले हमले का इंतजार कर रही थी.

पर मैंने सुपारे को वहीं पर रोक दिया और सोनी की पीठ चूमते हुए उसका ध्यान होने वाले दर्द से हटाने की कोशिश करने लगा.

मैं- बेबी, दर्द हो रहा है? सोनी लगभग डांटती हुई बोली- नहीं, तुम्हें जो करना है, जल्दी करो.

उसकी बात सुनते ही मैंने उसकी कमर को कसके पकड़ा और एक जोरदार धक्का दे मारा. मेरे लंड का लगभग तीन चौथाई हिस्सा बुर फाड़ता हुआ अन्दर प्रवेश कर चुका था.

लड़की सील तोड़ धक्के से चीख पड़ी- उई मम्मीईई ... आह ... मर गई उह ... बेबी ... मेरी फट गई ... आंह प्लीज बाहर निकालो ना. बहुत दर्द हो रहा है. प्लीज बाहर निकाल लो, मैं मर जाऊंगी.

सोनी आगे सरकने की कोशिश करने लगी पर मेरी मजबूत पकड़ की वजह से वो आगे नहीं जा पायी.

फिर सिसकती हुई रोने सी लगी- आंह बेबी प्लीज, बहुत दर्द कर रहा है ... एक बार निकाल लो ... बाद में फिर से डाल लेना.

मैं उसकी पीठ को चूमते हुए बोला- बेबी जितना दर्द होना था, हो चुका. अब दर्द नहीं होगा क्योंकि मेरा पूरा अन्दर जा चुका है. उस वक़्त मैंने सोनी को झूठ बोला.

तब सोनी थोड़ी शांत हुई और मैं भी उसके रिलैक्स होने का इंतजार करने लगा. कुछ देर बाद सोनी अपनी कमर इधर उधर हिलाने लगी तो मैं भी धीरे धीरे अपनी कमर आगे पीछे करने लगा.

अभी भी मेरा लंड पूरी तरह से उसकी योनि में नहीं गया था. मगर जितना गया था, मैं उतने ही हिस्से को आगे पीछे करने लगा. मेरे हर झटके पर सोनी के मुँह से 'आह ... उह ... आह ...' निकल रहा था.

कुछ देर बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया. सोनी की बुर एकदम साफ थी मतलब ना ही सोनी के बुर में ... और ना ही मेरे लंड पर मुझे खून दिखा.

सोनी भी सीधी बैठ गई थी और वो कभी मेरे लंड को देखती, तो कभी अपनी बुर को.

वैसे मैंने कहीं पढ़ा था कि पहली बार चुदाई के दौरान खून निकलना जरूरी नहीं है. और सच कहूं तो मुझे उस वक़्त फर्क भी नहीं पड़ रहा था.

पर सोनी ये सोच कर टेंशन में थी कि उसकी बुर से खून क्यों नहीं निकला या मैं क्या सोचूंगा उसके बारे में?

वो बार बार मुझे विश्वास दिलाने की कोशिश करने लगी कि ये उसका पहली बार है. मैंने उसको प्यार से समझाया कि ये सब मुझे बताने की जरूरत नहीं है, तुम्हारा कुँवारी होना या ना होना मेरे लिए जरूरी नहीं है. मेरे लिए बस इतना जरूरी है कि तुम मेरे साथ हो तो सिर्फ मेरी बन कर रहो और मुझे तुम पर पूरा भरोसा है.

काफी देर तक हम उसी मुद्दे पर बात करते रहे और मैं उसको समझाता रहा. तब जाकर वो सामान्य हुई.

उसके बाद मैंने सोनी को मिशनरी आसन में कर दिया और उसके ऊपर आकर अपने लंड को उसकी बुर में घुसा कर अपनी कमर चलाने लगा. धीरे धीरे सोनी का भी दर्द गायब हो गया और वो अब कामुक सिसकारियां लेने लगी.

मैंने सही मौका देखकर एक और जोर का धक्का लगाया. मेरा पूरा लंड बुर में जड़ तक घुस चुका था.

इस प्रहार से सोनी की तो जैसे आंखें ही बाहर को आ गयी थीं. जैसे ही वो चीखने को हुई, मैंने तुरंत ही उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया. सोनी बस 'गु ... गु ...' करके रह गयी.

मैं धीरे धीरे फिर से अपनी कमर आगे पीछे करने लगा. थोड़ी ही देर में सोनी अपने हाथ मेरी कमर पर रख कर मेरी कमर की रफ्तार को बढ़ाने लगी.

गीली बुर और लंड में तेल लगे होने की वजह से चिकनाहट में कोई कमी नहीं थी. इस वजह से मेरा लंड आराम से अन्दर बाहर चलने लगा.

अभी कुछ पल ही बीता था कि मुझे लगा मेरा होने वाला है इसलिए मैंने जल्दी से अपना लंड निकाल लिया और भाग कर बाथरूम में घुस कर हस्तमैथुन करके अपना पानी निकाल दिया.

उस वक़्त मुझे लगा शायद अभी सोनी का स्खलन नहीं हुआ था, पर अब मैं कुछ नहीं कर सकता था. उसके बाद हम तैयार होकर निकल गए.

घर पहुंच कर बातचीत के दौरान सोनी के बताया कि उसे उतना मज़ा नहीं आया, जितना हम वीडियोज़ में देखते थे.

इसलिए उसने अगले दिन फिर से लॉज में चलने को बोला और साथ ही साथ ये भी शर्त रख दी कि अब हम किसी दूसरे लॉज में जाएंगे. जब मैंने कारण पूछा तो उसने बताया- अभी आज ही हम इस लॉज में जाकर आए हैं, अगर कल फिर गए तो लॉज वाले भी सोचेंगे कि कितनी ठरक चढ़ी है दोनों को.

उसकी बात मुझे भी ठीक लगी तो हमने किसी और लॉज में जाने का पक्का कर लिया. इतने दिनों से लॉज में जाने की वजह से अब हम दोनों में किसी और लॉज में जाने में कोई झिझक नहीं थी.

अगले दिन हम फिर मिले और पहुंच गए एक नए लॉज में. लॉज की सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद हम फिर से एक कमरे में बंद हो गए.

नया लॉज था और नया कमरा भी तो एक बार चैक करना भी जरूरी था इसलिए मैंने फिर से पहली बार वाला ही तरीका अपनाया, कमरे की सारी लाइट्स ऑफ करके अपने मोबाइल के कैमरे से कमरे का हर एक कोना चैक किया.

पूरी तसल्ली होने के बाद जैसे ही मैं लाइट्स को ऑन किया, सोनी ने तुरंत ही अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए. आज कुछ ज्यादा ही जल्दी में थी लड़की!

जब मैं मज़ाक में बोला- क्या बात है? आज कुछ ज्यादा ही जल्दी में हो? तो सोनी भी मुस्कुराती हुई बोली- आज पूरा मज़ा लेना है ना इसलिए.

मैं सोनी की मंशा समझ गया, चूकि सोनी को बुर चुसाई का आनन्द तो मैं पहले से ही देता आया था. अब तो उसे बुर चुदाई का आनन्द देना था इसलिए आज मैं कोई जल्दीबाजी नहीं करना चाहता था.

इतने देर में सोनी अपना टॉप निकाल चुकी थी, अब उसके शरीर के ऊपरी हिस्से पर सिर्फ ब्रा बची थी.

आज मैं सोनी को पूरी तरह गर्म करके चोदना चाहता था ताकि उसे भी चुदाई का भरपूर आनन्द मिले. इसलिए मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसे किस करने लगा. सोनी भी मेरा पूरा साथ देने लगी.

किस के दौरान मेरे हाथ कभी सोनी की पीठ सहलाते तो कभी उसके नितंबों को. हमारे जीभ एक दूसरे में उलझे पड़े थे. कुछ मिनट की किसिंग के बाद मैं पहले उसके गालों को, फिर गले पर फिर कंधे पर किस करते हुए नीचे आने लगा.

आज मैंने उसके मम्मों को चूसा तो कुछ अलग बात थी बल्कि अभी तक छुआ तक नहीं था.

उसके कंधे पर किस करने के बाद मैं अपने घुटनों पर बैठ गया और सोनी की नाभि को चूमने लगा. गुदगुदी के कारण सोनी ने हंसते हुए मेरे मुँह को अपनी नाभि से हटा दिया.

अब मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी सलवार को पैंटी सहित उसके जांघों तक नीचे खींच दिया. आज सोनी की बुर एकदम साफ थी मतलब आज ही उसने बुर की झांटों को साफ़ किया था.

उसकी सफाचट बुर देखकर मेरी आंखों में तो चमक सी आ गयी. मैंने शरारती अंदाज में सोनी के चेहरे की तरफ देखा तो सोनी ने शर्म वश अपने हाथों से अपना चेहरा छिपा लिया.

मेरे लिए यही सही मौका था और मैंने देर न करते हुए अपने होंठ सोनी की बुर के ऊपरी भाग पर रख दिया. अपनी बुर पर मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही सोनी के मुँह से आह सी निकल गयी और वो मेरे ऊपर झुक सी गयी.

अब मैं शुरू हो गया. चूँकि सोनी खड़ी थी और मैं घुटनों पर था, तो इस आसन में मेरी जीभ सोनी की बुर की गहराई तक तो पहुंचना मुश्किल था, फिर भी जितना संभव हुआ, मैंने अपनी जीभ को बुर की दरार में चलाना शुरू कर दिया.

इधर मेरी जीभ ने हरकत शुरू की ही थी कि सोनी के मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं जो मेरा जोश और बढ़ा रही थीं.