बुढ़े मालिक का काम वाली से प्यार

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15 दिन बाद मोहन लाल को लगा कि अब वह अपने आप को चैक कर सकते है। चैक करने के लिये वह रात को हस्तमैथुन करने का सोचने लगे। उन्हें लगा कि हस्थमैथुन करने के लिये भी उत्तेजना की जरुरत होगी। वह कहाँ से आयेगी। फिर उन्हें लगा कि आशा के सामने दूबारा असफल होने की बजाए वह अकेले में असफल हो तो सही रहेगा। यही सोच कर वह अपने कपड़ें उतार कर लिंग को हाथ से सहलाने लगे। कुछ देर बाद लिंग में तनाव आने लगा। लिंग तन कर खड़ा हो गया। उस को उन्होंने हाथ से दबा कर देखा तो पता चला कि लिंग लोहे की तरह कठोर था। किसी भी योनि पर आक्रमण करने के लिये पुरी तरह तैयार। यह देख कर उन के मन में विचार आया कि हस्तमैथुन की बजाए आशा के साथ ही प्रयास कर के देखने में कोई बुराई नही है।

यही सोच कर वह बेड से उठ गये और कमरा खोल कर बाहर आ गये। आशा के कमरे में पहुँच कर उस का दरवाजा खड़खड़ाया तो देखा कि दरवाजा खुला था। दरवाजा खोल कर जब कमरे में जा कर आशा को आवाज दी तो वह उठ कर बैठ गयी। बोली कि क्या बात है साहब? आशा तुम नहा कर आ सकती हो। यह सुन कर आशा को बात समझ आ गयी। वह बोली कि आप चलो मैं नहा कर आती हूँ। आशा को छोड़ कर मोहन लाल अपने कमरे में वापस आ गये। उन्होंने कंड़ोम का पैकेट निकाल कर तकिये के नीचे रख लिया। कुछ देर बाद आशा नहा कर आ गयी। उस ने दरवाजा बंद कर दिया और उन के सामने खड़ी हो गयी।

मोहन लाल ने उस का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर बिठा लिया। आज उस के शरीर से मादक खुशबु आ रही थी। वह भी मिलन के लिये पुरी तरह से तैयार थी। अब देर किस बात की थी। उन्होनें उस का चेहरा हाथों में पकड़ कर चुमा और उस की साड़ी हाथ से हटा दी। आशा कपड़े भी नये पहन कर आयी थी इसी लिये पसीने की बदबु नहीं आ रही थी। साबुन की खुशबु उस के बदन से आ रही थी। उन के होंठ उस की गरदन का चुम्बन ले रहे थे। फिर होंठ उस की छाती पर पहुँच गये। ब्लाउज उतर गया और मोहन लाल के होंठ आशा के उरोजों का स्वाद लेने लगे। उस के निप्पलों पर दांतों के प्रहार होने लगे। आशा कराहने लगी। आहहहह उहहहह करने लगी। उसे पता था कि आज उसे वह आनंद मिलेगा जो उसे आज तक नहीं मिला था। वह उस के लिये पुरी तरह से तैयार थी।

मोहन लाल ने उस का पेटीकोट भी उतार दिया अब वह बिल्कुल नंगी थी। उसे अपने साथ लिटा कर वह उस के बदन को चुमने लगे। इस से उन का लिंग तनाव में आने लग गया। उन का हाथ जब कमर से नीचे गया तो वहाँ पर बाल नहीं थे। मैदान बिल्कुल सफाचट था। मोहन लाल का हाथ आशा की जाँघों के मध्य उतर गया। योनि के होंठों को सहलाने लग गया। आज वहाँ पर नमी थी। योनि से पानी निकल रहा था। आशा भी उत्तेजित थी। मोहन लाल ने उसकी जाँघों को सहलाया और उस की योनि को चुमा। फिर अपनी जीभ उस की योनि में डाल दी, इस से आशा आहहहह उहहहहहहहहहहह करने लग गयी। इस से मोहन लाल की उत्तेजना को पर लग गये। उन से अब इंतजार नहीं हो रहा था।

वह आशा की जाँघों के बीच बैठ गये, लेकिन तभी उन्हें कुछ ध्यान आया तो उन्होनें अपना हाथ बढ़ा कर तकीये के नीचे से कंडोम निकाल लिया। उस के पैकेट को फांड़ कंड़ोम को निकाल कर लिंग पर चढ़ाया और अपने लिंग को आशा की योनि पर ऊपर नीचे किया। लिंग में भरपुर तनाव था उस से योनि को सहला कर उन्होंने लिंग के सुपारे को योनि के मुँह पर लगा कर जोर लगाया। लिंग पहली बार में ही योनि में चला गया। दूसरी बार जोर लगाया तो आधा लिंग योनि में समा गया। मोहन लाल रुक कर आशा की प्रतिक्रिया की प्रतिक्षा करने लगे। जब नीचे से कोई उत्तर नहीं मिला तो उन्होंने जोर लगाया और इस बार पुरा लिंग योनि में समा गया। नीचे से आशा ने आहहह उहहह की।

आशा की आह सुन कर मोहन लाल का उत्साह बढ़ गया और वह धीरे-धीरे अपने लिंग को आशा कि योनि में अंदर बाहर करने लगे। यह कार्य वह काफी समय बाद कर रहे थे। इस लिये इस का भरपुर आनंद उठाना चाहते थे। इस लिये वह धक्के लगाने में ज्यादा जोर नहीं लगा रहे थे। योनि में नमी की वजह से घर्षण नहीं था। आशा की योनि बहुत कसी हुई थी। इसी कारण से लिंग को वह मथ सा रही थी। कुछ देर धक्कें लगाने के बाद मोहन लाल रुक गये और आशा का मुँह चुमने लग गये। आशा भी इस में उन का साथ दे रहे थे। वह भी अब पुरी तरह से वासना की आग में जल रही थी। उन के होंठ आशा के उरोजों का रस फिर से पीने लग गये थे। इस से मोहन लाल की उत्तेजना और बढ़ गयी। वह फिर से लिंग को धक्कें देने लगे। कुछ देर बाद फचफच की आवाज कमरे में भरने लगी। मोहन लाल को संभोग में आनंद आ रहा था, वह इस आनंद को लम्बा करना चाहते थे इस लिये वह आशा के ऊपर से उतर गये। आशा की बगल मे लेट कर वह आशा के शरीर को सहलाते रहे। फिर उठ कर आशा के ऊपर आ गये और अपने लिंग को उसकी योनि में डाल दिया।

इस बार उन के प्रहार तेज थे। आशा नीचे से कराह रही थी। काफी देर तक मोहन लाल धक्कें लगाते रहे। आशा शायद डिस्चार्ज हो गयी थी इस लिये उस के पाँव मोहन लाल की कमर से लिपट गये। कुछ देर बाद मोहन लाल की आँखों के सामने भी तारे नाच गये और वह आशा के ऊपर गिर गये। कुछ देर बाद वह आशा के ऊपर से उतर कर उस की बगल में लेट गये। उनका लिंग अभी भी तना हुआ था। इसी वजह से कंड़ोम अभी लिंग से उतरा नहीं था। आशा की योनि से पानी निकल रहा था। दोनों ही हाँप रहे थे संभोग काफी लम्बा चला था। यही इस का कारण था। कुछ देर बाद दोनों सही हो गये। मोहन लाल ने आशा की तरफ देखा, वह आँखें बंद किये पड़ी थी। आशा को हाथ से हिलाया तो उस ने आँखें खोल दी। उस के चेहरे पर संतुष्टि के चिन्ह देख कर मोहन लाल के मन में चैन पड़ा। किसी भी औरत को सेक्स में संतुष्ट करना पुरुष का सबसे बड़ा चैलेन्ज होता है। आज वह फिर से इस युद्ध में विजयी हुये थे। अब कुछ और करने को था नहीं इस लिये वह भी नींद की आगोश में डुब गये।

सुबह जब उन की आँख खुली तो आशा सोई पड़ी थी। उस के ऊपर एक भी कपड़ा नहीं था। सुबह के कारण लिंग तनाव ले रहा था। लेकिन मोहन लाल जल्दीबाजी नहीं करना चाहते थे। रात को सेक्स सही हुआ था उन्हें बहुत सालों बाद आनंद मिला था। आशा से भी पुछ सकते थे लेकिन उन्हें ऐसा करने में डर लग रहा था। वह तेजी से भागना नहीं चाहते थे। इसी लिये मन को मार कर उठ गये और कपड़ें पहन कर कमरे से निकल गये। बाहर बादल छाये हुये थे। इस कारण से सूर्य देव के दर्शन नहीं हो रहे थे। वह वापस कमरे में आये तो देखा कि आशा जाग गयी थी। उन्हें देख कर बोली कि कल तो सब सही हुआ था। मोहन लाल ने सहमति में सर हिलाया। आशा कपड़ें पहन कर चाय बनाने चली गयी। आशा की बात से मोहन लाल के सर से चिन्ता का भार उतर गया।

रात को फिर से दोनों से संबंध बनाये, आज दोनों ने सेक्स का भरपुर आनंद उठाया, मोहन लाल ने आशा को पीछे की तरफ से भोगा। कुतिया की पोजिशन में संभोग किया। आशा ने बहुत आहहह उहहहह... करी लेकिन मोहन लाल ने उसे नहीं छोड़ा। अब उनका मन आशा के पिछवाड़ें का मजा लेने का था। वह जानते थे कि इस के लिये उसे पहले तैयार करना पड़ेगा। उन के औजार का भी तैयार होना जरुरी था। उनकी बीवी ने कभी उन्हें पीछे से नहीं करने दिया था। यह नहीं था कि उन्होंने गुदा मैथुन का मजा नहीं लिया था। वह भी अपनी जवानी में रंगीन मिजाज थे इस लिये मजे तो उन्होनें भरपुर लिये थे। अब जीवन की संध्या में भी पीछे नहीं रहना चाहते थे।

तीसरे दिन जब रात को सोने गये तो आशा नहा कर आयी तो मोहन लाल ने कहा कि आज कुछ नया करने का मन है लेकिन पता नहीं तु उस के लिये तैयार होगी या नहीं। आशा यह सुन कर बोली कि मैं भला क्यों मना करुँगी।

इस में बहुत दर्द होता है

वह तो कल भी हुआ था

इस में उस से भी ज्यादा होता है

दर्द कम करने का कोई उपाय नहीं है

पहली बार होगा लेकिन बाद में कम हो जायेगा

आप जैसा सही समझो करो, अगर मजा आता है तो मैं तैयार हूँ

यह सुन कर मोहन लाल मन ही मन में खुश हो गये। वह आशा से बोले कि रसोई से एक कटोरी में सरसों का तेल ले कर आजा। आशा तेल लेने चली गयी। जब वह तेल ले कर आयी तो मोहन लाल कपड़ें उतार कर बैठे थे। आशा को उन्होंने अपने पास बिठाया और कहा कि आज पीछे से करेगें, पहले कभी किया है, आशा को समझ नहीं आया तो मोहन लाल ने कहा कि तेरी गाँड़ मारनी है। आशा यह सुन कर बोली कि हाँ दो-तीन बार इन्होनें किया था। मुझे तो लगा कि कोई बड़ी बात होगी। यह सुन कर मोहन लाल खुश हो गये। उन्होनें आशा को पास में बिठाया और उसे चुमना शुरु कर दिया, वह उसे पुरा मस्त करना चाहते थे इस के बाद ही वह गाँड़ मरवाने के लिये तैयार होगी। उस के ब्लाउज को उतार कर उस के उरोजों को सहलाने लग गये। कुछ देर बाद आशा भोगने के लिये पुरी तरह तैयार हो गयी। अब मोहन लाल ने उस के पेटीकोट को उतार दिया। इस के बाद उसे बेड पर पेट के बल लिटा दिया। उस की गाँड़ पर हाथ फिराया। इस के बाद अपने हाथ में तेल लगा कर उस की गहराई में उसे लगाने लग गये। इस से आशा चिहुंकी लेकिन मोहन लाल को रोका नहीं शायद वह भी इस अनुभव को पाने की इच्छा रखती थी।

मोहन लाल ने एक ऊँगली को तेल मे पुरा डुबा कर आशा की गुदा पर फिराया। धीरे से ऊंगली को गुदा में घुसेड़ दिया। ऊंगली गुदा में घुस गयी। आशा के उत्तेजित होने के कारण गुदा में कसाब कम था लेकिन ऊंगली कस कर अंदर जा रही थी। उन्होंने ऊंगली निकाल कर उसे तेल में डुबाया और उसे पुरा गाँड मे उतार दिया। आशा कराहने लगी। लेकिन मोहन लाल रुके नहीं। ऊंगली के बाद उन का अगुंठा उस की गुदा में उतर गया। आशा को इस में मजा आने लगा था। कुछ देर तक मोहन लाल अगुंठें को गुदा के अंदर बाहर करते रहे। जब उन्हें लगा कि आशा पुरी तरह से तैयार है तो उन्होंने अपना अगुंठा गुदा से बाहर निकाल लिया।

कटोरी से तेल ले कर मोहन लाल ने अपने लंड़ पर उसे चुपड़ लिया। अब वह वार करने के लिये तैयार थे। आशा को घुटनों के बल ऊपर उठा दिया। अब उस के चुतड़ उन के सामने थे। आशा के पीछे खड़े हो कर मोहन लाल ने अपना लंड़ आशा के चुतड़ों की गहराई में ऊपर नीचे किया। फिर लंड़ को पकड़ कर उसे आशा की गाँड के मुँह पर दबाया। दबाने से लंड़ गाँड़ में घुसने का प्रयास करने लगा। लंड़ का सुपाड़ा आशा की गाँड़ में घुस गया। आशा आहहहह उहहहह करने लग गयी। मोहन लाल रुके फिर उन्होनें दम लगा कर लंड़ को धक्का दिया तो लंड़ का मुँह आशा की गाँड़ में घुस गया। आशा उहहहह कर रही थी। मोहन लाल ने अपने हाथों से उस के उरोजों को सहलाया और हाथ लंड़ पर लगा कर जोर दिया और आधा लंड़ आशा की गाँड़ में समा गया। आशा दर्द के कारण हिलने लगी और कराहने लगी। आशा की गाँड़ बहुत कसी हुई थी लेकिन मस्त होने के कारण कसाब कम सा हो रहा था। अब रुकने का समय नहीं था। यही सोच कर मोहन लाल ने जोर लगा कर अपना पुरा लंड़ आशा की गाँड़ में घुसेड़ दिया। अब रुक गये। उनके हाथ नीचे से आशा के उरोजों को दबा रहे थे। फिर उन की ऊंगली आशा के मुँह में चली गयी। उत्तेजना वश आशा उनकी ऊंगली चुसने लग गयी।

कुछ देर रुकने के बाद मोहन लाल ने लंड़ को अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। वह अपनी गति बहुत धीमी रख रहे थे। कुछ देर आशा की गाँड़ मारने के बाद वह अपने हाथ से आशा की योनि को सहलाने लगे। योनि से भी पानी निकल रहा था। उन की ऊंगली आशा को नीचे से भी मजा देने लगी। आशा के मुँह से आवाजे निकलने लग गयी। बाहर हो रही बारिश के कारण किसी के सुनने का कोई डर नहीं था। कुछ देर गाँड मारने के बाद मोहन लाल का मन उस से भर गया। अब वह आशा की चूत मारने की सोच रहे थे। यह सोच कर उन्होंने अपने लंड़ को आशा की गाँड़ से निकाल लिया।

आशा को सीधा कर दिया और तकिये के नीचे से कंड़ोम निकाल कर उसे अपने लंड़ पर चढ़ा लिया। इस के बाद आशा की टाँगों को फैला कर उस के बीच बैठ कर उन्होनें उसकी चूत में अपना लंड़ घुसेड़ दिया। चूत पानी से भरे होने के कारण लंड़ बिना किसी धर्षण के अंदर चला गया। मोहन लाल धीरे-धीरे धक्कें लगाने लग गये। कुछ देर बाद नीचे से आशा भी अपने कुल्हें उठा कर साथ देने लगी। कुछ देर तक दोनों इस का मजा लेते रहे। आशा डिस्चार्ज हो गयी और उस ने अपनी टाँगें मोहल लाल की पीठ पर कस ली। मोहन लाल को पता चल गया था कि वह झड़ने वाले है। ऐसा ही हुआ कुछ देर बाद वह भी डिस्चार्ज हो गये और आशा के ऊपर लुढ़क गये।

कुछ देर वह आशा के ऊपर से उठ कर उस की बगल में लेट गये। आज उन्होंने आशा की गाँड़ भी मार ली थी। चूत का मजा भी ले लिया था। आशा ने आगे और पीछे दोनों से उन्हें भरपुर मजा दिया था। दोनों इस से खुश थे। मालिक और नौकरानी के बीच बने संबंध मजबुत होने लग गये। आगे आने वाले समय में मोहन लाल और आशा ने अपनी सेक्स लाइफ का पुरा मजा लिया। मोहन लाल की नीरस जिन्दगी में फिर से बहार आ गयी थी। आशा का सुना जीवन भी हरा-भरा हो गया।

**** समाप्त *****

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