जेठ जी संग चुत चुदाई का मजा

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

भाई साहब का हर एक तरीका नया था ... कुछ अलग था, जो मेरे पति कभी नहीं करते थे.

मैं उनका लंड पकड़ कर चूसने लगी.

भाई साहब मेरी लंड चुसाई का मज़ा ले रहे थे.

वो मेरा सर पकड़ कर अपना लंड मेरे गले तक उतार देते, जिससे मुझे कई बार खांसी भी आ जा रही थी.

दस मिनट बाद मेरी बेटी सो गयी. मैंने भाई साहब का लंड मुँह से निकाला और बेटी को बेड पर लिटा दिया.

भाई साहब बोले- अनु चलो, सोफे पर चलते हैं.

मैं भाई साहब को सोफे पर ले गयी. भाई साहब का लंड मेरे थूक से चमक रहा था.

भाई साहब बोले- अनु उलटी होकर झुक जाओ.

मैं सोफे पर डॉगी पोज़ में आ गयी और भाई साहब का हाथ मैंने अपनी गांड पर रख दिया.

भाई साहब मेरी गांड को सहला रहे थे.

मुझे लगा भाई साहब डॉगी पोज़ में मेरी चुदाई करेंगे ... मगर भाई साहब ने अपना मुँह मेरी गांड में लगा दिया.

उनकी जीभ मेरी चूत की फांकों से होती हुई मेरी गांड तक आ रही थी.

आज पहली बार किसी ने मेरी गांड को ऐसे चाटा था ... क्योंकि मैंने कभी गांड नहीं मरवाई थी. मुझे ये पसंद नहीं था.

भाई साहब ने मेरी चूत में उंगली घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगे. भाई साहब की उंगली मेरी चूत में ... और जीभ मेरी गांड में मुझे एक अलग ही मज़ा दे रही थी.

तभी भाई साहब एक उंगली मेरी गांड में डालने लगे, तो मैंने मना कर दिया.

भाई साहब की उंगली और गांड चटाई के कारण मैं झड़ भी चुकी थी.

भाई साहब बोले- अनु मुझे कुर्सी पर बिठा दो.

मैंने उन्हें कुर्सी पर बिठा दिया.

उनका लंड सीधा खड़ा हुआ था. मैं भाई साहब के पैरों के बीच में बैठ गयी और उनके लंड के सुपारे पर अपनी जीभ चलाने लगी.

भाई साहब ने मेरे बाल पकड़े और अपने लंड पर मेरा मुँह दबा दिया.

जेठ जी का पूरा लंड मेरे मुँह में था, जो गले तक आ रहा था.

मेरी आंखें बड़ी हो गयी थीं और मेरी आंखों से आंसू निकल आए थे.

मैंने भाई साहब की जांघों पर हाथ से मारा, तो उन्होंने अपना लंड निकाला.

तब जाकर मेरी सांस आयी.

भाई साहब मुझसे सॉरी बोलने लगे.

मैंने कहा- कोई बात नहीं, मेरे बॉयफ्रेंड और हस्बैंड ने कभी ऐसा नहीं किया.

भाई साहब का ऐसा करना मुझे अलग ही सुख दे रहा था.

शायद इसी को हार्ड सेक्स कहते हैं, जो मुझे आज तक नहीं मिला था.

इस बार मैंने खुद उनका लंड पूरा अन्दर लिया और मुझे बहुत मज़ा आया.

उनका लंड मेरे थूक से गीला हो चुका था और मेरे मुँह से भी लार गिर रही थी.

भाई साहब आगे झुके और मेरे होंठों को चूसने लगे और मेरी सारी लार चाट गए.

जेठ जी बोले- अनु ... मेरे ऊपर आ जाओ.

मैं भाई साहब के ऊपर आ गयी और उनका लंड पकड़ कर मैंने अपनी चूत पर लगा दिया.

भाई साहब ने मेरी कमर पकड़ कर मुझे नीचे किया, तो उनका लंड मेरी चूत में समां गया.

मेरी कमर पकड़ कर भाई साहब ऊपर नीचे कर रहे थे. मैंने अपना दूध भाई साहब के मुँह में लगा दिया.

भाई साहब बच्चे की तरह मेरा बचा हुआ दूध पी रहे थे और नीचे से तेज तेज धक्के लगा रहे थे.

जेठ जी के हर धक्के में आह ही आवाज निकल जाती थी.

कुछ देर बाद भाई साहब बोले- अनु कुतिया बन जाओ.

भाई साहब कुर्सी से हट गए और अब मैं कुर्सी पर कुतिया बन गयी, जिससे मेरी गांड ऊपर उठ गयी.

अब भाई साहब मुझसे बिल्कुल खुले शब्दों में बात कर रहे थे.

भाई साहब ने मेरी गांड पकड़ कर अपना लंड चूत में डाल दिया. भाई साहब का लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से टकराया, जिससे मेरे मुँह से जोर से आह की आवाज निकल गयी.

भाई साहब बोले- मज़ा आ रहा है अनु?

मैंने भी कहा- हां भाई साहब.

उन्होंने मेरे बाल पीछे से पकड़ कर कुछ जोर से खींचे और धक्के लगाने लगे.

भाई साहब का हर धक्का मेरी बच्चेदानी पर लगता और उनका मेरे ऐसे बाल खींचना, मुझे एक अलग ही अहसास करवा रहा था, जिससे मैं आज तक अनजान थी.

भाई साहब एक हाथ से मेरे बाल पकड़े हुए दूसरे हाथ से मेरी गांड पर जोर जोर से थप्पड़ मार रहे थे. भाई साहब की चुदाई से मेरा रोम रोम खिल उठा था और कुछ ही देर में मेरा पानी निकल गया. जब मुझे चरम सुख मिला, तो मैं सब कुछ भूल गयी.

मेरा पानी मेरे हस्बैंड भी निकाल देते हैं ... मगर आज भाई साहब की चुदाई से एक अलग चरम सुख मिला था, जो मेरे हस्बैंड मुझे कभी नहीं दे पाए.

भाई साहब बोले- अनु लगता है तुम्हारा अभी अभी पानी निकला है.

मैंने कहा- हां भाई साहब, इस सुख के लिए मैं तरस गयी थी. आज पहली बार मुझे ऐसा चरम सुख मिला है.

भाई साहब बोले- अनु चलो बेड पर चलते हैं.

मैंने कहा- वहां बेटी सोई हुई है, वो जाग जाएगी.

भाई साहब बोले- कुछ नहीं होगा. मैं साइड में होकर तुम्हारी चुदाई करूंगा.

मैं भी हामी भरते हुए उन्हें बेड के पास ले गई.

मैं बेड के साइड पर लेट गयी और अपनी टांगें फैला दीं. भाई साहब मेरे ऊपर लेट गए और उन्होंने मेरी चुत टटोल कर अपना लंड चूत में डाल दिया.

भाई साहब धक्के लगाने लगे और मैंने अपनी टांगें उनकी पीठ पर लॉक कर दीं.

उनका बदन मेरे बदन को पीस रहा था ... रगड़ रहा था और उनके होंठ मेरे होंठों को लगातार चूस रहे थे.

दस मिनट तक भाई साहब ने मेरे होंठों को चूसते हुए चुदाई की, फिर मैं और भाई साहब एक साथ झड़ गए.

कुछ देर बाद भाई साहब मेरे ऊपर से हट गए.

उनके लंड निकालते ही मेरी चूत से उनका पानी निकलने लगा.

भाई साहब का लंड भी पानी से भीगा हुआ था, जिसे मैंने चाट कर साफ़ कर दिया.

मुझे अपनी बांहों में लेकर भाई साहब लेट गए और बोले- थैंक्स अनु, तुमने मुझे जो सुख दिया है ... वो मुझे मेरी बीवी ने भी नहीं दिया.

मैंने कहा- हम दोनों को ही ये सुख चाहिए था.

भाई साहब बोले- काश ... मैं तुम्हें देख पाता.

मैंने कहा- अगर आप देख सकते तो शायद हमारे बीच ये कभी नहीं होता.

उसके बाद तो जैसे घर में सेक्स का तूफ़ान आ गया था.

भाई साहब मुझे किचन में, बाथरूम में, सीढ़ियों पर ... कहीं भी चोदने लग जाते.

पति के काम पर जाने के बाद मैं सिर्फ नाइटी में रहती और भाई साहब के कमरे में पूरे दिन नंगी उनकी बांहों में रहती.

भाई साहब दिन में कई बार मेरी चुदाई करते. उनका चुदाई का तरीका हस्बैंड से ज्यादा अच्छा है.

इस तरह मुझे मेरे जेठ ने चोदा.

तो दोस्तो, यह थी अनुराधा की चुदाई की कहानी. आप सबको कैसी लगी.

12
Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
Share this Story

Similar Stories

मेरी विधवा मां की चुत चुदाई एक बार रात को मैंने घर आया तो मैंने अपनी विधवा माँ को फूफा..in Incest/Taboo
जेठ के लंड जेठ के लंड ने चूत का बाजा बजायाin Incest/Taboo
बेटी बनी बाप की रखैल पापा ने अपनी बेटी को उसके बॉयफ्रेंड के साथ नंगी कार मे देखाin Incest/Taboo
ससुरजी के साथ मेरे रंगरेलियां 01 Pati ki anupatithi me sasur bahu ki masti.in Incest/Taboo
Doodham Gaon Pt. 01 Doodham Gaon ki kahani, jaha aurton ka doodh becha jata hai.in Incest/Taboo
More Stories