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Click hereमैं दिल्ली में रहता हूँ। मेरी उम्र 24 वर्ष की है। मैं काफ़ी आकर्षक हूँ।
मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरे माता-पिता और मेरी बड़ी बहन है, जिसकी शादी हो चुकी थी और वो अपने पति के साथ बहुत खुश है।
मैं अपने बारे में बता दूँ।
मेरी उँचाई करीब 5'9″ है और मैं कसरती बदन का मलिक हूँ।
मैंने अपने लौड़े की भी खूब मालिश की है और मेरा लंड करीब 7″ लम्बा और करीब 3″ मोटाई वाला है।
मेरे दोस्तों ने मेरे लंड को देखा है और वो भी ताज्जुब करने लगते हैं और कहते हैं कि यार तेरा लंड बहुत ही मोटा और लम्बा है.. पता नहीं तेरी पत्नी झेल भी सकेगी या नहीं।
वैसे मैं भी बहुत ही सेक्सी हूँ।
कहानी अब से दो साल पहले की है तब मैं 22 साल का था।
ग्रेजुएशन के बाद मेरी नौकरी भी लग गई और मैं कमाने लगा।
मेरे घर वालों ने मेरी शादी की बातचीत शुरू कर दी।
मेरा मन चुदाई करने को बहुत करता है.. पर मैंने अब तक किसी से सम्भोग नहीं किया था।
हाँ.. कुछेक ब्लू-फ़िल्में देखी थीं और मम्मी-पापा की चुदाई भी कई बार देख चुका था।
मेरे पापा का लौड़ा भी मेरे जैसा ही है।
मेरी माँ को वो अब तो हफ्ते में एक-दो बार ही चोदते हैं.. पर जब भी वो चोदते हैं.. तो सुबह मम्मी ठीक से चल भी नहीं पातीं।
मुझे भी चुदाई की बहुत इच्छा होती थी.. पर अब तक किसी से चुदाई नहीं कर पाया था।
मैं सोचता था कि जो मज़ा बीवी को चोदने में है.. वो किसी और में नहीं है।
इसलिए मैंने अब तक मूठ मार कर ही काम चलाया था..
पर मेरा पानी भी बहुत देर में छूटता था.. इतनी देर में कि मूठ मारते-मारते मेरा हाथ तक दुखने लग जाता।
मेरे घर वालों ने दो-तीन जगह लड़की देखने के बाद मेरे पापा के एक दोस्त के परिवार में मेरा रिश्ता तय कर दिया।
अब मैं आपसे मेरी ससुराल वालों का परिचय करवा दूँ।
मेरे पापा के दोस्त दिनेश अंकल का काफ़ी अच्छा कारोबार था।
वो लोग यहीं पास नोएडा में ही रहते थे।
दिनेश अंकल की मौत करीब 5 साल पहले हो चुकी थी।
उनके परिवार में उनकी पत्नी ओर दो लड़कियाँ थीं।
छोटी वाली लड़की नीलम उम्र 18 साल और बड़ी रिंकी उसकी उम्र 20 साल की थी।
रिंकी की शादी 2 साल पहले हुई थी, पर वो अपने पति से और सास से झगड़ा करके वापस आ गई थी।
दिनेश अंकल की पत्नी यानि नीलम की मम्मी की मौत तो दस साल पहले ही हो चुकी थी और दिनेश अंकल ने रूपा नाम की एक टीवी मॉडल से शादी कर ली थी।
वो निहायती खूबसूरत और सेक्सी थी.. बिल्कुल परी जैसी...
वैसे नीलम भी बहुत ही सुन्दर थी।
मैंने देखते ही उसे पसंद कर लिया और तुरन्त ही हमारी शादी कर दी गई।
मेरी पहली रात बहुत ही खराब रही..
मैंने जैसे ही उसके कपड़े खोलने लगा..
उसने मुझे रोक दिया क्योंकि वो सम्भोग के बारे में ज़्यादा कुछ जानती नहीं थी।
वैसे मेरी बहन ने उसे पहले ही सब बता दिया था कि मर्द अपना लंड उसकी फुद्दी में डाल कर चोदता है..
पर जब मैंने अपना लौड़ा उसे थमाया और उसने जब उसे देखा, तो वो रोने लगी।
वो रोते हुए बोली- इतना बड़ा डंडा.. भला मैं कैसे ले पाऊँगी.. मेरी तो फट ही जाएगी।
मैंने उसे बहुत समझाया..
पर वो नहीं मानी।
मुझे बड़ा गुस्सा आया क्योंकि हर मर्द चाहता है कि उसकी बीवी उससे प्यार से चुदवाए।
खैर.. फिर मैंने सोचा.. चलो इसे धीरे-धीरे प्यार से समझा लूँगा।
दो दिन तक मैंने बहुत प्यार से मनाया... पर वो मानने को तैयार नहीं थी।
फिर मैंने थोड़ी ज़बरदस्ती भी की, पर वो तैयार नहीं हुई और मैं उस पर ज़्यादा ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं करना चाहता था।
मैं उसके जिस्म का एक भी अंग नहीं देख पाया था.. हाँ, ऊपर से ही उसकी चूत और मम्मों को ही सहला पाया था।
तीसरे दिन ही वो तैयार हो कर कहने लगी- तुम बहुत परेशान करते हो... मुझे अपने घर जाना है।
मेरी बहन और माँ ने उसे बहुत समझाया.. पर वो रोने लगी।
मम्मी ने कहा- बेटा.. इसे ले जा अपने ससुराल में छोड़ दे और अपनी सास को समझा देना कि इसे कुछ सिखा कर भेजे।
माँ भी बहुत गुस्से में थीं.. वो भी जान चुकी थीं कि मैंने अब तक सुहागरात नहीं मनाई है।
मैं भी गुस्से में था.. मैं उसे लेकर अपनी ससुराल नोएडा उसे छोड़ने के लिए चला गया।
वहाँ अपनी सौतेली माँ को देख कर वो उससे लिपट गई और रोने लगी।
मैं अन्दर आकर मेरी बड़ी साली रिंकी से बातें करने लगा।
वो दोनों माँ-बेटी आपस में क्या बातें कर रही थीं वो तो नहीं जान पाया, पर उसने अपने हाथ से नाप बताते हुए मेरी ओर इशारा किया तो मैं समझ गया कि यह मेरे औजार के बारे में बता रही है।
मैं उसे छोड़ कर जाने लगा तो मेरी सास ने कहा- दामाद जी.. दो दिन यहीं रुक जाओ.. वैसे भी ऑफिस से तुमने छुट्टी ले ही रखी है। मैं तब तक नीलम को भी सब समझा दूँगी।
मेरी सास मेरी ओर अजीब नज़रों से देखते हुए मुस्कुरा दी।
मेरी सास की इस अदा से मैं हँस पड़ा और मेरा औजार अकड़ने लगा।
वैसे भी वो अपने वक़्त की ब्यूटी-क्वीन थी और अब भी उनकी उम्र ही क्या थी.. सिर्फ़ 30 साल.. पर देखने में वो बिल्कुल मेरी साली रिंकी की ही उम्र की लगती थी।
उस वक़्त ही मेरे मन में आया.. काश इसकी चूत ही चोदने को मिल जाए तो इसकी चूत का भोसड़ा बना दूँगा।
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फिर उन्होंने रिंकी को बुलाया और कहा- ले जा.. अपनी बहन को और इसे कुछ समझा।
वो दोनों बहनें अपने कमरे में चली गईं।
मैं फ्रेश हो कर आया और फ्रिज से जैसे ही बोतल निकाली.. तो मैंने देखा उसमें बियर के टिन रखे हुए थे।
मैं सोचने लगा.. ये कौन पीता होगा..!
कोई मर्द तो यहाँ है ही नहीं.. पर ज़्यादा सोचे-बगैर मैंने अपनी सास रूपा देवी से कहा- मैं अपने दोस्तों से मिल कर लौट आऊँगा।
वो बोली- ठीक है।
मैं वहाँ से निकल कर अपने कुछ दोस्तों से मिलने चला गया।
शाम करीब 8 बजे मैं लौट आया... साथ ही में बियर के कुछ टिन और एक वैट 69 की बोतल ले आया।
मैं जब वापस आया तब नीलम और रिंकी घर पर नहीं थीं।
वो कहीं अपनी सहेली के घर गई हुई थीं।
मेरी सास रूपा मेरा इंतजार कर रही थीं।
मेरे आते ही उसने बियर वग़ैरह ले लीं और बोलीं- खाना कब तक खाओगे?
मैंने कहा- नीलम और रिंकी ने खा लिया?
वो बोलीं- वो दोनों अपनी सहेली के घर गई हुई हैं.. वहीं रुकेंगीं.. उधर उसके भाई की शादी है।
मैंने चुप रहा।
फिर रूपा बोली- मैंने फ्राइड-चिकन और मटन बनाया है.. कहो तो ले आऊँ?
मैंने कहा- ठीक है ले आओ... साथ मिल कर कुछ खा लेते हैं।
उसने खाना लगाया और मेरे लिए गिलास ले आई।
मैंने कहा- रूपा जी.. आपको भी मेरा साथ देना होगा।
वो मना करने लगी- मैं.. ना..आ.. बाबा नाआ...
मैंने कहा- अब ज्यादा बनो मत.. मैं फ्रिज में बियर के टिन देख चुका हूँ.. और जब पीती हो तो मेरे साथ पीने में क्या हर्ज है... आओ ना.. मज़ा आएगा।
फिर वो मान गई और बोली- ठीक है मैं अभी आई।
वो थोड़ी देर में वापस आ गई.. मगर अब नज़ारा बदल चुका था।
उन्होंने अपनी साड़ी उतार कर एक नाईटी पहन ली थी।
सासू जी का गोरा रंग उसमें बहुत ही खिल रहा था।
उनकी चूचियाँ जिनकी साइज़ 36-38 है.. बड़े ही उभार के साथ दिखाई दे रही थीं।
उनकी नाईटी का गला काफ़ी बड़ा होने से उसमें से उनकी अन्दर की काली ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी।
अब उस कमरे में सिर्फ़ मैं और मेरी सासू जी ही थीं।
मैंने उनके लिए ड्रिंक बनाया और साथ खाना खाते हुए ड्रिंक करने लगे।
करीब 3 टिन हम दोनों ने खाते हुए पूरे खत्म किए।
खाने के बाद जैसे ही सासू जी मुझसे बातें करने लगीं.. मैंने उनको पहली रात वाला किस्सा सुनाया तो वो दंग रह गईं।
वो बड़े ही प्यार से मुझसे बात कर रही थीं।
मैंने उनको जब यह बात बताई तो पहले थोड़ी सी घबराईं.. मगर बाद में हँसने लगीं।
मुझे उनके बर्ताव पर बहुत ही गुस्सा आने लगा था।
मैंने दो पैग बनाए और उसमें 69 डाली.. उन्होंने पीते हुए धीरे से मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और बोली- जाने दो ना राज.. नई कली है.. अभी तक किसी से चुदवाया नहीं है ना.. इसलिए लंड का मजा जानती नहीं है।
मैंने कहा- पर उसकी बड़ी बहन तो शादीशुदा है.. वो तो जानती थी।
वो थोड़ा नर्वस हो कर बोली- नहीं वो भी लंड का मज़ा लिए बगैर ही आ गई है।
मैंने कहा- वो क्यों?
तो वो बोली- शादी की पहली रात को ही उसका पति कारगिल चला गया था.. और अब तक नहीं आया.. उसने भी सिर्फ़ उसे नंगा ही किया था और फोन आते ही वो चला गया.. तुम चिंता ना करो मैं उसको समझा दूँगी।
उनकी खुली बातें सुन कर मैं तो दंग रह गया।
उन्होंने फिर मुझसे पूछा- तुमने पहले कभी किसी को चोदा है?
मैंने कहा- नहीं.. केवल मूठ मारी है।
तो बड़े चाव से बोली- किसके लिए?
मैंने कहा- बहुत सी लड़कियों के लिए और औरतों के लिए.. और..
वो बोली- हाँ हाँ कहो ना... और?
मैंने कहा- एक बार तुम्हें याद करके भी...
और मैंने अपनी नज़रें झुका लीं।
उन्होंने फिर मुझसे पूछा- तुमने पहले कभी किसी को चोदा है?
मैंने कहा- नहीं.. केवल मूठ मारी है।
तो बड़े चाव से बोली- किसके लिए?
मैंने कहा- बहुत सी लड़कियों के लिए और औरतों के लिए.. और..
वो बोली- हाँ हाँ कहो ना... और?
मैंने कहा- एक बार तुम्हें याद करके भी...
और मैंने अपनी नज़रें झुका लीं।
मुझे लगा था कि वो शायद नाराज़ हो जाएगी... मगर वो तो खुश हो गई।
उसकी आँखों में मुझे नशा दिखाई दे रहा था।
मेरा लौड़ा अब अपने काबू में नहीं था, वो पैन्ट से बाहर आने को मचलने लगा था।
उन्होंने मुझे और पास बुला कर मेरा हाथ अपनी जांघों पर रखा और बोली- तुम्हारे लंड की साइज़ क्या है?
अब मैं भी मस्ती में आ गया था, मैंने कहा- 7-8 इंच..
वो बोली- यकीन नहीं होता है।
तो मैंने उनका हाथ लेकर सीधे अपने खड़े लंड पर रख दिया।
सासू जी की सेक्सी बातों से मेरा लंड खड़ा हो गया था।
उन्होंने जैसे ही मेरे लंड को छुआ.. मेरे शरीर में एक अलग सा नशा छा गया।
उनके हाथों को जैसी लंड का स्पर्श हुआ.. उन्होंने अपना हाथ झटके से पीछे कर लिया।
मैंने कहा- क्या हुआ?
वो घबराकर बोली- अरे ये तो वाकयी बहुत बड़ा है.. मैंने अब तक इतना मोटा और लम्बा लौड़ा नहीं देखा।
मैंने फिर से उनका हाथ लेकर अपने लंड पर रखा और धीरे से दबाया.. उनको बहुत ही मज़ा आया।
उन्होंने भी मेरा हाथ अपने चूचियों पर रखा और बोली- तुम इन्हें दबाओ..
मैंने महसूस किया कि उसकी चूचियाँ बड़ी सख़्त हो गई थीं।
थोड़ी देर तक हमारा यही दबाने का प्रोग्राम चल रहा था।
अब मैंने उनकी नाईटी के हुक खोल दिए।
उसने भी मेरी पैन्ट की चैन खोल दी।
अब मुझसे रहा नहीं गया... मैंने उनकी नाईटी पूरी उतार दी।
अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थी।
मैं उसके नंगे बदन को देखने लगा।
उनकी चूची आम के जैसी नुकीली और ऊपर को उठी हुई थीं दबाने में भी वो काफ़ी कड़क महसूस हो रही थीं।
उन्होंने भी मेरे कपड़े उतार दिए।
अब मैं भी सिर्फ़ अंडरवियर में रह गया था।
उसमें से मेरा लंड खड़ा होकर अपना पूरे आकार का आभास दे रहा था।
उनकी नज़र उस पर से हट नहीं रही थी।
उनकी टाँगें काफ़ी गोरी और मस्त दिखाई दे रही थीं।
मैंने उनकी ब्रा का हुक खोलना चाहा तो वो बोलीं- मैं निकाल देती हूँ।
मैंने कहा- नहीं..
क्योंकि मेरे शैतान दिमाग में एक अजीब सा ख्याल आया।
मैंने उनसे कहा- आप मेरी अंडरवियर उतार दो लेकिन हाथों से नहीं बल्कि अपने मुँह से...
उनको बड़ा अचम्भा लगा.. कि ये कैसी कामुक चाह?
मैं खड़ा हो गया और उनका सर अपने हाथ से पकड़ कर मुँह अपनी नाभि पर रख दिया... वो धीरे से मेरा अंडरवियर अपने दांतों से पकड़ कर नीचे की तरफ खिसकाने लगीं।
हम दोनों को एक अजीब सा आनन्द मिलने लगा...
वो तो पूरी मस्त हो गई और बोली- मुझे आज तक इतना मज़ा कभी नहीं आया था..
फिर मैंने खड़ा लंड उनके मुँह में दे दिया..
पहले तो उन्होंने थोड़ा मना किया.. पर कुछ ही देर में शुरू हो गई।
वो तो मेरे लंड को आईसक्रीम की तरह चूस रही थी।
मेरा लंड अब बिल्कुल तैयार हो गया था।
फिर मैंने उनको ज़मीन पर उल्टा लेटने को बोल कर उनसे कहा- अब देखो मैं तुम्हारी ब्रा को कैसे उतारता हूँ..
मैं उनकी पीठ पर बैठ गया और अपना तन्नाए हुए लंड को उनकी पीठ पर रगड़ने लगा।
फिर मैंने उनकी ब्रा के हुक में लंड को फंसा कर उसको निकालने की कोशिश करने लगा.. मगर उनकी ब्रा बहुत ही कसी होने के कारण मुझे तकलीफ़ हो रही थी।
मेरे लंड का स्पर्श अपने पीठ पर पाकर तो वो मेरी दीवानी हो गई थी।
फिर मैंने अपने लंड को हुक में फंसा कर एक ऐसा झटका दिया कि उनका हुक टूट गया।
वो मेरे लंड की ताक़त देखकर दंग रह गई।
फिर मैंने उनकी पैन्टी भी उतार दी।
उनकी चूत बिल्कुल साफ़ थी... ऐसा लगता था कि अभी-अभी झांटें साफ़ की थीं।
उसके गुलाबी फांकों को देख कर मेरा दिल बाग़-बाग़ हो गया।
जैसे ही मैंने उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाली.. वो एकदम से मचल उठी और उसके मुँह से 'आहह..' की आवाज निकलनी शुरू हो गई।
मैंने महसूस किया कि वो पूरी तरह से मस्त हो गई थी।
मैंने उसे बाँहों में भर लिया और चूमते हुए कहा- रूपा मेरी जान.. क्यों ना अपनी बेटी की जगह तू ही मेरे साथ सुहागरात मना ले...
वो कुछ नहीं बोली...
मैं उसे चूमते हुए कमरे में ले आया और बिस्तर पर धकेल कर उसके जिस्म से खेलने लगा।
मैं उस पर लेट कर उसकी चूचियों को दबाते हुए चूम रहा था और वो बुरी तरह से सिसक रही थी।
अब उससे रहा नहीं गया.. उसने मेरा लंड हाथों में ले कर अपनी चूत पर रखा और अपनी गाण्ड उछाल कर अन्दर लेने की कोशिश करने लगी..
पर उसकी चूत 5 सालों से सूखी पड़ी थी।
मेरा सुपारा उसकी चूत में अन्दर घुसने की बजाए फिसल रहा था।
मैंने उसकी टाँगें अपने कन्धों पर रखीं और अपने लंड को चूत के मुँह पर रख कर हल्के से दबाव दे कर सुपारा फँसा दिया और अगले ही पल अपनी पूरी शक्ति से एक करारा झटका मार दिया।
मेरा लंड इस जोरदार झटके से करीब-करीब 4″ तक उसकी छूट में घुस गया और वो बुरी तरह से चीख पड़ी।
मैंने फिर लंड थोड़ा खींचा और फिर एक धक्का दे मारा।
मेरा करीब आधे से ज़्यादा लंड चूत में घुस चुका था लेकिन इस झटके से उनकी आँखों में पानी भर आया।
वो चिल्लाने लगी- छोड़ दो.. मैं मर जाऊँगी.. तुम्हारा लंड नहीं खूँटा है..
मैंने उससे कहा- यह तो अभी शुरुआत है.. मेरी जान.. तू देखती जा, अभी तेरी क्या हालत करता हूँ।
उसकी आँखों में डर दिखाई दे रहा था।
मैंने फिर थोड़ा संभाल कर अपने हाथों से उसकी चूचियाँ ज़ोर से मसलीं फिर उसके एक निप्प्ल को मुँह में लेकर दांतों से काटने लगा।
तो वो कुछ ही देर दर्द भूल कर फिर से लंड खाने को मचलने लगी।
फिर मैंने अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर से एक ऐसा झटका मारा कि पूरा लवड़ा चूत को चीर कर अन्दर चला गया।
अब वो जोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी- फाड़ दी.. मुझे नहीं..ईईईई चुदना मेरी फट गई..इइई मैं मर जाऊँगी..
लेकिन मैंने उसकी चिल्लमपों की तरफ़ ध्यान नहीं दिया और अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में ही उसने पानी छोड़ दिया और उसका बदन काँपने लगा।
अब उसका दर्द मजे में बदल गया..
वो भी पूरे आनन्द के साथ मेरा लंड अपने अन्दर लेने लगी..
उसकी मस्ती से मेरी रफ़्तार और तेज़ हो गई।
थोड़ी देर बाद वो फिर झड़ गई।
लेकिन मैं पूरे जोश में था.. मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसके मुँह में दे दिया।
हम दोनों की शर्म तो शराब ने खत्म कर ही दी थी... वो भी रंडी के मानिंद मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी।
वो चाहती थी मैं उसके मुँह में ही झड़ जाऊँ इसलिए वो ज़ोर-ज़ोर से लवड़े को मुठियाते हुए चूस रही थी।
मगर मेरे मन में तो कुछ और ही था।
मैं पीछे से उसकी चूत को सहलाने लगा तो कुछ देर में ही वो फिर से गरम होने लगी।
अब मैंने अपना लंड मुँह से निकाला और कहा- रूपा रानी.. थोड़ा तेल ले आओ...
वो बोली- क्यों राजा.. अब तेल की क्या ज़रूरत है?
मैंने कहा- अब मैं तेल लगा कर चोदना चाहता हूँ।
उस बेचारी को क्या मालूम मैं क्या करने वाला हूँ।
वो तेल ले कर आई तो मैंने कहा- अपने हाथों से लौड़े पर तेल लगा दो।
उसने मेरे लंड को पूरी तरह तेल से रगड़ दिया।
मैंने उसे लेटा कर उसकी गाण्ड के नीचे तकिया रख दिया और कहा- मेरी प्यारी सासू जी.. अब मैं तुझे वो मज़ा दूँगा.. जिसे तू कभी नहीं भूलेगी।
मैंने उनके दोनों हाथों को उठा कर सिर के ऊपर से ले जाते हुए पलंग की एक छड़ से बाँध दिया.. जिससे उसकी चूचियों में और भी कसाव आ गया और वो और भी सख्त हो गईं।
थोड़ी देर मैं मम्मों को बारी-बारी से चूसता रहा.. जिससे वो और भी ज़्यादा गरमा गई और बोली- राजा अब और क्या करोगे.. मेरी चूत फिर से लपलपा रही है जल्दी से चोदो ना...
मैंने दोनों टाँगों के बीच अपने हाथ डाल कर उसकी चूत पर लंड टिकाया और एक ही धक्के में पूरा का पूरा अन्दर उतार दिया।
तेल की वजह से उसे ज़्यादा तकलीफ़ तो नहीं हो पाई, पर उसके मुँह से चीख ज़रूर निकल गई।
कुछ ही देर मैं वो बड़बड़ाने लगी- ओ.. मेरी जान.. मेरे राजा.. आहह.. बड़ा मज़ा आ रहा है.. मेरी लड़की के तो भाग खुल गए.. क्या मजेदार लंड है...रे.. चोद दे.. फाड़ दे आआअज.. इसकी सारी खुजली मिटा दे... ओह आआआहस्स्स..
उसकी चूत से पानी बहने लगा.. पूरे कमरा 'पचपच' की आवाज़ से गूँज रहा था।
वो जैसे ही मस्ती में झड़ने लगी.. मैंने लंड निकाल कर फ़ौरन गाण्ड के छेद पर रखा और अन्दर को धकेल दिया।
वो अचानक हुए इस हमले से बिलबिला उठी... उसने मुझसे छूटने की कोशिश की.. पर उसके हाथ बँधे हुए थे और मेरी पकड़ काफ़ी मजबूत थी।
उसका मुँह खुला का खुला रह गया।
मैंने जानबूझ कर एक और करारा धक्का मारा तो मेरा लंड उसकी गाण्ड में जड़ तक समा गया।
उसके मुँह से ज़ोरदार चीख निकल गई- ओह माँ मर जाऊँगी..इइई.. ये क्या कर दिया.. निकाल इसे...
वो जैसे ही मस्ती में झड़ने लगी.. मैंने लंड निकाल कर फ़ौरन गाण्ड के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मार दिया।
वो अचानक हुए इस हमले से बिलबिला उठी... उसने मुझसे छूटने की कोशिश की.. पर उसके हाथ बँधे हुए थे और मेरी पकड़ काफ़ी मजबूत थी।
उसका मुँह खुला का खुला रह गया।
मैंने जानबूझ कर एक और करारा धक्का मारा तो मेरा लंड उसकी गाण्ड में जड़ तक समा गया।
उसके मुँह से ज़ोरदार चीख निकल गई- ओह माँ मर जाऊँगी..इइई.. ये क्या कर दिया.. निकाल इसे...
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को कस कर चूमते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।
मेरी सास की गाण्ड इतनी तंग लग रही थी जैसे कि 18 साल की लड़की को चोद रहा होऊँ।
हमारी चुदाई के फटके पूरे कमरे में गूँज रहे थे।
वो बिलबिला रही थी.. पर कुछ कर नहीं पा रही थी।
मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए गाण्ड मारता रहा और साथ-साथ उसके दूध के गगरों को मसलने लगा और कभी उसकी चूत को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगा।
उसकी चूत का पानी बह कर उसकी गाण्ड की ओर आ गया.. जिससे मुझे चिकनाई मिल गई और मेरा लंड सास की गाण्ड में अब मक्खन की तरह चलने लगा।
मेरे लंड में अब सनसनी सी होने लगी।
हमारी चुदाई को करीब 20-25 मिनट हो चुके थे।
इतनी कसी और गरम-गरम गाण्ड के सामने अब मेरे लंड ने जवाब दे दिया..
मैंने अपना लंड गाण्ड से निकाला और उसकी चूत में डाल दिया।
करीब 5-6 धक्के में ही मेरा ज्वालामुखी फट गया और वो जौंक की तरह मुझसे चिपक गई।
उसने भी मेरे साथ पानी छोड़ दिया।
मैं अपने लौड़े का पानी रुक-रुक कर झटके ले ले कर उसकी चूत में छूटता रहा और मेरे होंठों ने उसके होंठों को जोर से दबा लिया।
जब मैं पूरा वीर्य छोड़ चुका तब मैंने उसके होंठ छोड़े और उसे एक आँख मार कर पूछा- कैसा लगा जान?
वो रोते हुए बोली- भला ऐसे भी कोई करता है?
मैंने उसके हाथ खोल दिए... मैं उसे प्यार से चूमने लगा.. कुछ देर में वो सामान्य हो गई।
वो बोली- अच्छा हुआ कि तुमने मेरी बेटी को चोदा नहीं.. वर्ना वो तो मर ही जाती... अब जब तक वो लंड लेने के लिए तैयार नहीं हो जाती.. तुम मेरे साथ ही सुहागरात मना सकते हो, इधर आकर मेरे साथ ही सुहागरात मना लिया करो।
मैं तो खुश हो गया था कि बेटी के साथ में माँ की चूत फ्री में मिल गई।
उसे शायद अब भी काफ़ी दर्द हो रहा था। वो उठ कर बाथरूम जाने लगी.. पर वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।
बाथरूम से लौट कर वो विस्की की बोतल ले आई और दो पैग बना कर हम दोनों ने पिए।
वो बोली- राज मज़ा तो बहुत आया.. पर दर्द भी बहुत हुआ... शायद.. मेरी गाण्ड तो तूने फाड़ ही दी है..
मैंने कहा- कहाँ फटी है... सही-सलामत तो है... हाँ अबकी बार दर्द नहीं होगा।
उस रात मैंने उसे एक बार और खूब चोदा और एक बार फिर उसकी गाण्ड मारी।
उसको चोदते- चोदते कब सुबह होने को आई.. पता ही नहीं चला।
हम एक-दूसरे से लिपटे हुए कब सो गए.. कुछ भी पता नहीं चला।
सुबह जब उठे.. तब 8 बज चुके थे।
मेरी बड़ी साली आ चुकी थी और वो हम दोनों को नंगा एक-दूसरे की बाँहों में नंगा देख चुकी थी।
मेरी सास की चूत और गाण्ड सूज कर पकौड़ा बन गई थी।
फिर मैंने किसी की परवाह किए बिना उसे एक बार और चोदा।
वो उठ कर कपड़े पहन कर जाने लगी तो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
वो कमरे से बाहर निकली तो उसकी नज़र मेरी साली रिंकी पर पड़ी।
वो एकदम से सहम गई.. मैं भी बाहर आया... मैंने सोचा, चलो अच्छा है.. इसे पता चल गया... अब मेरा काम आसान हो जाएगा.. और हो सकता है साली की चूत भी चोदने के लिए मिल जाए।
वो बोली- रिंकी क्या बात है.. नीलम कहाँ है?
वो हड़बड़ा कर बोली- ओह.. व..वो आ रही है...
रूपा कुछ समझ तो रही थी पर वो चुप रही।
फिर रिंकी बोली- माँ.. तुम जीजू के कमरे में क्या कर रही थी और ये लड़खड़ा कर क्यों चल रही हो?
वो हँसते हुए बोली- कुछ नहीं.. गाण्ड के पास फुन्सी उठ आई है.. इसलिए ऐसे चल रही हूँ।
रिंकी हँस पड़ी और कुछ नहीं बोली।
रूपा तुरन्त बाथरूम चली गई.. रिंकी मेरे पास आई और बोली- जब इनकी ये हालत है तो तुम नीलम की क्या हालत करोगे?
फिर मेरे लंड को दबाते हुए अपने कमरे में भाग गई।
मैं बाथरूम गया और फ्रेश हो कर आ गया।
तब तक नीलम भी आ गई... वो रूपा से बातचीत कर रही थी और मुझे देख कर थोड़ा डर भी रही थी।
मेरी सास ने मुझसे कहा- मैंने उसे समझा दिया है.. धीरे-धीरे वो समझ जाएगी कि शादी के बाद क्या होता है।
मैंने उन्हें खींच कर अपनी बाँहों में भर लिया और कहा- समझ जाए तो ठीक.. वरना तुम तो ही..
वो मुस्कुरा कर अलग हो गई और बोली- दामाद जी जरा समझा कीजिए.. उन दोनों ने देख लिया तो गजब हो जाएगा।
मैंने कहा- रिंकी तो देख ही चुकी है अब डर काहे का...
पर वो मुझसे अलग हो कर मुस्कुराते हुए बोली- सब्र कर लो मेरे राजा.. आज तुम्हारी सुहागरात ज़रूर मनवाऊँगी नीलम से.. पर मुझे तुम भूलना मत... अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊँगी... तुमने मेरी भावनाओं को फिर से जगा दिया है।
मैंने कहा- कभी नहीं मेरी जान.. कहो तो अभी ही...
वो हँसते हुए मुझसे अलग होकर मुझे चूम कर चली गई।
मैं नाश्ता करने के बाद चला गया, अपने दोस्तों से मिला और हम बार में व्हिस्की पी कर फिल्म देखने चले गए।
फिल्म बहुत ज़्यादा सेक्सी थी उसमें नग्न नाच और संभोग के दृश्यों की भरमार थी।
फिल्म देखते हुए मैं कई बार उत्तेजित हो गया था.. चुदाई का बुखार मेरे सर पर चढ़ कर बोलने लगा था।
घर लौटते समय मैं फिल्म के चुदाई वाले दृश्यों को बार-बार सोच रहा था और जब भी उन्हें सोचता.. नीलम और रिंकी का चेहरा मेरे सामने आ जाता।
मैं बेकाबू होने लगा था... मैंने आज फ़ैसला कर लिया था कि आज अगर नीलम अपनी मर्ज़ी से राज़ी नहीं होगी तो मैं उसका देह शोषण कर दूँगा।
मैंने वियाग्रा ले ली और फिर अपनी ससुराल जाने लगा।
मैं बेकाबू होने लगा था।
आज मैंने मन बना लिया कि आज चाहे जो भी हो.. अपनी पत्नी को या साली को चोदूँगा ज़रूर...