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Click hereनीलम काफ़ी हद तक गरम हो चुकी थी... मैंने उन दोनों के सामने बहुत बुरी तरह से रिंकी को एक बार और चोदा।
उसकी किलकारी और मस्ती से नीलम का डर दूर होता जा रहा था, वो भी मस्ती में आकर रूपा की चूचियों को चूसने लगी।
कमरे में हम चारों की मस्ती भरी किलकारियाँ गूंजने लगीं।
नीलम और रूपा दोनों झड़ कर थक चुकी थीं और अपने कमरे में चली गईं..
पर मैं अब भी रिंकी को चोद रहा था।
उसकी हालत बहुत बुरी हो चुकी थी... फिर भी उसमें अजीब सी मस्ती थी।
आख़िर हम एक-दूसरे से लिपट कर सो गए।
दो दिन तक मैं रिंकी और रूपा को ही चोदता रहा और नीलम हमारी चुदाई देखती रही..
पर अब भी वो मेरे हलब्बी लंड को लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।
अचानक तीसरे दिन मुझे पिताजी ने बुलवा लिया।
मुझे कुछ दिनों के लिए न्यूयॉर्क जाना था और वहाँ एक बड़ी कंपनी का एक्सपोर्ट का ऑर्डर मिलने वाला था।
पिताजी जा नहीं सकते थे इसलिए मुझे जाना था।
मैं उस दिन ही चला गया और जाते हुए मैं नीलम से मिला। वो मुझसे लिपट कर रोने लगी।
मैंने कहा- रानी मैं 15-20 दिन में ही लौट आऊँगा.. तब तक अपने आपको तैयार कर लेना.. नहीं तो तेरे बदले तेरी बहन को ले जाऊँगा समझी...
रूपा ने भी कहा- दामाद जी मैं हूँ न.. टेन्शन मत लें.. अभी काफ़ी समय है।
मैं न्यूयॉर्क में 20 दिन रहा... सारा कम अच्छे से पूरा हो चुका था।
इस बीच मैंने नीलम से भी बात की और रूपा से भी बात की।
रिंकी को माहवारी नहीं आई थी, उसे शायद मेरे चोदने से गर्भ रह गया था।
उसके पति ने अपना इलाज करवा लिया था और जब रूपा को संतुष्टि मिली कि वो रिंकी को खुश रखेगा.. तो उसे जाने दिया।
पति से चुदने के बाद रिंकी ने मुझे बताया कि उसे चुदाई में वो मज़ा नहीं आता जो मेरे साथ चुदने में आया था.. पर और कोई चारा भी नहीं।
मैंने उसे आश्वासन दिया- मैं हूँ.. जब तेरा मन करे.. आ जाया करना.. नीलम भी अब नहीं रोकेगी।
रूपा ने कहा- नीलम आपका बेसब्री से इन्तजार कर रही है...
मैं भारत आने के साथ फ़ौरन अपने ससुराल चला आया।
लगभग 20 दिन से मैं प्यासा था.. मुझे देखते ही रूपा मुझ पर टूट पड़ी।
नीलम घर पर नहीं थी.. मैंने उसे बहुत बुरी तरह से चोदा और उसकी गाण्ड भी मारी। वो बहुत खुश हो गई।
मैंने उसके मम्मे चूमते हुए कहा- मेरी प्यारी सासू जी.. अब तो इनाम देंगी नाआअ... या अब भी इंतजार करना होगा.. तुम्हारे इस भक्त को..
वो बोली- हाँ.. मेरे प्यारे जमाई राजा.. आअ... नीलम बस अभी आती ही होगी... वो अपनी सहेली की शादी में गई हुई है.. आज उसे जी भर कर चोद लेना... इस वजह से तो मैंने अभी चुदवा लिया तुमसे... वो कुछ नखरे करेगी... पर मैं सहायता करूँगी और तुम्हें जो भी करना हो कर लेना। जैसा मन चाहे वैसे चोद लेना... उसके रोने-धोने की कोई फिकर मत करना। वैसे चुदवाते हुए वो अब ज़्यादा नहीं रोएगी.. हाँ.. उसकी नाज़ुक गाण्ड में लंड घुसेगा.. तब वो ज़रूर चीखेगी.. चिल्लाएगी...
उसकी बातों से मेरा लंड फिर से तन गया और रूपा को फिर से चोदने के लिए तड़पने लगा.. पर उसने रोक दिया और मेरे लवड़े को हिलाते हुए कहा- राजा आज रात तुम्हारी सुहागरात है... इसे मस्त रखना... आख़िर कुँवारी चूत चोदनी है.. बहुत कसी हुई होगी।
मैंने कहा- और सासू जी गाण्ड भी तो मारनी है?
वो मेरे लंड पर हल्की थपकी लगाते हुए बोली- हाँ राजा.. उसके लिए भी तो कड़ा लंड चाहिए.. खैर तुम जवान और ताक़तवर भी हो.. तुम्हारा लंड वैसे भी कड़ा ही रहता है.. लौंडिया की अलट-पलट कर गाण्ड भी.. मार लेना जैसे मन हो। फिर वो कपड़े पहन कर ऊपर के कमरे में जाने लगी। ऊपर दूसरे माले पर कमरा बन्द ही रहता था।
मैंने कहा- ऊपर क्यों जा रही हो?
वो बोली- लड़की बहुत चीखेगी चिल्लाएगी.. इसलिए ऊपर वाला कमरा सही रहेगा।
उसने ऊपर जाकर कमरा सज़ा दिया. शाम होने ही वाली थी.. तभी नीलम आ गई।
मुझे देखते ही वो शर्मा गई और रूपा से लिपट गई... पर उसे अब भी डर लग रहा था।
वो उससे लिपट कर बोली- मम्मी आज थोड़ा सा ऊपर से ही प्लीज़...
वो बोली- देखते हैं.. मैं हूँ न..
उन्होंने मुझे ऊपर के कमरे में जाने का इशारा किया।
कुछ देर बाद वो वियाग्रा और गरम दूध ले आई।
मुझे देते हुए बोली- आज पूरी रात... लो इसे ले लो... हम अभी आते हैं।
करीब एक घंटे के बाद वो दोनों आ गईं।
मेरा लंड एकदम पत्थर हो चुका था।
मैं लुंगी उतार कर नंगा ही अपने लंड को मसल रहा था।
दोनों ने आते ही कमरा बन्द करके कपड़े उतार दिए और एक-दूसरे से लिपट कर चुम्मा चाटी करने लगीं।
जब नीलम की नज़र मेरे लंड पर पड़ी तो वो बोली- हाय.. मम्मी देखो इनका लंड कितनी सख्ती से खड़ा है? लगता है आज रात फिर से तुम्हारी गाण्ड मारने वाले हैं।
रूपा हँस पड़ी.. कुछ बोली नहीं।
रूपा और नीलम काफ़ी देर एक-दूसरे की चूत चाटती रहीं।
नीलम की कुँवारी कमसिन चूत देख कर मैं पागल हो रहा था।
फिर रूपा हट गई और मैं उसकी संकरी कमसिन चूत को चूमने लगा।
उसकी चूत चूसते हुए मन तो कर रहा था कि अभी लौड़ा घुसा कर फाड़ दूँ।
फिर रूपा बोली- जमाई जी.. अब नीलम को बाँहों में भर कर प्यार करो। मैं भी तो देखूं.. तुम दोनों की जोड़ी कैसी लग रही है..
मैं नीलम को अपनी बाँहों में भर कर उसकी चूचियों को दबाते हुए चूमने लगा।
वो शर्मा रही थी.. पर बड़े प्यार से चुम्मा दे रही थी।
वो काफ़ी गरमा चुकी थी और मेरे लंड को मुठिया रही थी।
रूपा हमारे पास बैठ कर प्रेमालाप देखने लगी।
मैंने अब देर नहीं की और उठ कर उसकी गाण्ड के नीचे तकिया रख दिया।
अब वो थोड़ा घबरा गई और बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैं नीलम को अपनी बाँहों में भर कर उसकी चूचियों को दबाते हुए चूमने लगा।
वो शर्मा रही थी.. पर बड़े प्यार से चुम्मा दे रही थी। वो काफ़ी गरमा चुकी थी और मेरे लंड को मुठिया रही थी।
रूपा हमारे पास बैठ कर प्रेमालाप देखने लगी। मैंने अब देर नहीं की और उठ कर उसकी गाण्ड के नीचे तकिया रख दिया।
अब वो थोड़ा घबरा गई और बोली- यह क्या कर रहे हो?
रूपा ने जब उससे कहा कि अब उसकी चुदाई होगी.. तो वो फिर से नखरा चोदने लगी।
रूपा बोली- चल अब नखरे मत कर...
फिर उन्होंने प्यार से समझाया तो उसने टाँगें फैला दीं।
मैं उसकी टाँगों के बीच अपना लंड संभाल कर बैठ गया।
मैंने फिर रूपा को आँख मारी और उन्होंने उसके दोनों हाथ उसके सिर से ऊपर करके कस लिए और उसके ऊपर बैठ गई।
नीलम घबरा कर रोने लगी और बोली- ये क्या कर रही हो मम्मी.. छोड़ो मुझे...
मैंने सुपारा उसकी नाज़ुक चूत पर टिकाया और दबाना शुरू कर दिया। रूपा बोली- थोड़ा दुखेगा बेटी.. तू ज़्यादा छटपटाए नहीं.. इसलिए तेरे हाथों को पकड़ा है... तू डरना मत... पहली बार दर्द होगा, पर मज़ा भी आएगा।
मैंने सुपारा फँसाते ही कस कर ठाप मार दी.. 'फक्क' से सुपारा उसकी नाज़ुक चूत में घुस गया और नीलम दर्द से बिलबिला उठी।
वो चीखने वाली ही थी कि रूपा ने अपने हाथ से उसके मुँह को दबोच लिया।
उसने मुझे आँख मारी और मैंने तड़पती हुई नीलम की परवाह ना करते हुए फिर से एक धक्का मारा।
नीलम छटपटाते हुए बन्द मुँह से गोंगियाने लगी।
उस कुँवारी मखमली चूत ने मेरे लंड को ऐसे जकड़ रखा था जैसे किसी ने कस कर मुठ्ठी में पकड़ा हो।
नीलम की आँखों से आँसू निकलने लगे।
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैं उससे करीब एक महीने के बाद सुहागरात मना रहा था और उसकी तड़प देख कर और भी उत्तेजित हो गया था।
मैंने उसे और तड़पाने के लिए जानबूझ कर कहा- रूपा रानी मज़ा आ गया.. नीलम की चूत तो आज फट ही जाएगी.. मेरे मोटे लंड से... पर मैं छोड़ने वाला नहीं.. आज चोद-चोद कर फुकला कर दूँगा इस नाज़ुक म्यान को...
वो और भी छटपटाते हुए रोने लगी, रूपा बोली- अब राजा.. जैसे भी करो तुम्हें ही सारी उम्र चोदनी है इसे..
मैंने भी सोचा ज़्यादा डराना ठीक नहीं होगा... अभी गाण्ड भी मारनी थी.. इसलिए तड़पा-तड़पा कर चोदना ठीक नहीं होगा। इसलिए मैंने झुक कर उसका निप्पल मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
रूपा भी प्यार से उसकी दूसरी चूची को मसलने लगी।
धीरे-धीरे नीलम सामान्य होने लगी।
मेरा लंड उसकी नाजुक चूत में अभी 4″ ही घुसा था।
कुछ देर में उसका दर्द खत्म सा हुआ और वो बिल्कुल शांत हो गई।
मैं अब भी रुका हुआ उसकी चूची को बारी-बारी से चूस रहा था।
रूपा ने अब हाथ उसके मुँह से हटा लिया तो वो रोते स्वर में बोली- मम्मी बहुत दर्द हो रहा है.. इनसे कहो ना.. बस करें.. बाकी बाद में..
रूपा बोली- तुम चोदो राजा.. यह ज़रा ज़्यादा ही नाज़ुक है... देखना अभी किलकारियाँ भरेगी...
मैंने भी चूत ठोकना चालू रखा।
नीलम के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली- नीलू बेटी.. अभी थोड़ा दर्द ओर होगा फिर बहुत मज़ा आएगा... देखा नहीं था.. उस दिन रिंकी कैसे मजे में चुदा रही थी..
अब वो शांत हो चली थी।
उसकी चूत भी थोड़ी गीली होने लगी थी, मैंने बचा हुआ लंड धीरे-धीरे करके पेलना शुरू कर दिया।
करीब-करीब 5″ लंड चूत में घुस गया, मैं आधे लंड से ही धीरे-धीरे धक्के मारने लगा।
उसे मज़ा आने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी।
रूपा बोली- शाबाश मेरी बिटिया.. अब मज़ा आ रहा है न..
वो शर्मा कर आँसू भरी नज़रों से मेरी ओर देखने लगी।
रूपा मुझे आँख मारते हुए बोली- राजा तुम अपना काम पूरा करो.. मैं अपनी चूत की सेवा इससे करवाती हूँ।
वो उठ कर मेरी ओर पीठ करके नीलम के मुँह पर अपनी चूत जमा कर बैठ गई और उसके मुँह पर चूत रगड़ने लगी।
मैंने धीरे-धीरे पेलना शुरू कर ही दिया था, मेरा लंड बड़ी मुश्किल से अन्दर-बाहर हो रहा था।
मैंने उसकी क्लिट को मसलते हुए रगड़ना शुरू किया।
उसकी चूत कुछ देर में पसीज गई, फिर मैंने रूपा की दोनों चूचियों को कस लिया.. और ज़ोर से दबाया।
वो समझ गई अब मैं पूरा लंड घुसा दूँगा, उसने अपने चूतड़ों को उसके मुँह पर कस लिया और मैंने करारा धक्का मार दिया।
एक 'फत्त' की आवाज़ के साथ मेरा पूरा लौड़ा उसकी कमसिन चूत को फाड़ता हुआ जड़ तक पहुँच गया।
वो हाथ पैर फटकारते हुए तड़पने लगी..
पर उसके मुँह पर तो रूपा की चूत का ताला पड़ा था।
वो तड़पती रही और मैं ज़ोर-ज़ोर से चोदता रहा। उसकी चूत अब झड़ने लगी तो मैंने कहा- सासू जी अब मुझसे रहा नहीं जाता.. तुम हट जाओ.. मैं ज़ोर-ज़ोर से चोदना चाहता हूँ।
रूपा हट गई और नीलम चीखने लगी- ओह्ह मर जाऊँगीइइई.. हटाओ इसेए...
मैं उससे लिपट गया और चूमते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।
उसकी साँसें ज़ोर-ज़ोर से चलने लगीं।
मैंने नीलम की जीभ अपने मुँह में ले ली और कस-कस कर चोदने लगा।
आख़िर उसे कस कर मैंने करारा धक्का मारा और अपना सारा वीर्य चूत में उड़ेल दिया।
उसी के साथ वो भी झड़ने लगी।
उसकी चूत इतनी तंग थी कि मेरा लंड झड़ने के बाद भी कसा हुआ था।
उसकी चूत लपलपाने लगी थी... मुझे झड़ने में भी बड़ा मज़ा आया।
झड़ने के बाद मैंने उसे प्यार से चूमा और उठ कर लंड बाहर खींच लिया...
उसके साथ ही जैसे चूत से वीर्य और खून की पिचकारी निकली.. सारा बिस्तर खून से लाल हो गया।
रूपा ने मेरे लंड को पहले साफ़ किया फिर उठ कर ब्रांडी की बोतल ले आई और उसे चूत पर फेरते हुए साफ़ करने लगी।
फिर उसकी चूत सहलाते हुए बोली- क्यों मज़ा आया या नहीं...
नीलम का दर्द कम हो चुका था... वो बोली- पहले तो लगा कि मेरी फट ही जाएगी.. पर आख़िर में मज़ा आया।
रूपा बोली- अब तुझे दर्द नहीं होगा सिर्फ़ मज़ा ही आएगा।
कुछ 15 मिनट तक हमने आराम किया।
नीलम काफ़ी शान्त हो चुकी थी।
रूपा ने उसे ब्रांडी का पैग दिया और कहा- इसे दवा समझ कर पी लो.. दर्द पूरी तरह मिट जाएगा।
तीन पैग के बाद वो मस्त होने लगी।
वो उठ कर रूपा को चूमने लगी और फिर उसकी चूत चाटने लगी।
रूपा ने भी नीलम की चूत को खूब चाटा और चूसा।
इस बीच नीलम फिर एक बार झड़ गई.. उसकी मस्ती बढ़ने लगी।
रूपा ने कहा- नीलू अब तो अपने पति के लंड से डर नहीं लग रहा ना..
वो शरमाते हुए बोली- नहीं.. अब नहीं लग रहा है.. हाँ.. थोड़ा-थोड़ा दर्द ज़रूर है।
रूपा बोली- दर्द भी जाता रहेगा.. फिर तो तू खुद चुदवाने के लिए बेचैन रहेगी।
नीलम फिर से गरम हो चुकी थी।
वो मुझसे बोली- राजा जी.. आओ न.. फिर से मुझे चोदो.. अब मैं नहीं रोऊँगी।
रूपा ने मुझे आँख मारी... मेरा लंड तो वैसे ही लोहा हो कर झटके ले रहा था।
नीलम को नशा भी होने लगा था..
फिर भी रूपा ने एक और पैग दे दिया।
मैंने उसे लिटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा।
वो बोली- बहुत गुदगुदी हो रही है चोदो ना..
मैंने उठ कर उसको चूमा और फिर उठा कर पट लेटा दिया।
उसे लगा शायद मैं पीछे से चोदने वाला हूँ जैसे रिंकी को चोदा था।
इसलिए वो कुहनियों और घुटनों पर होने लगी।
नीलम के गोरे चिकने और कसे हुए चूतड़ों को खा जाने को मन कर रहा था।
मैंने एक तकिया लिया और उसकी चूत पर लगा दिया.. जिससे उसकी गुदा ऊपर को उठ आए।
फिर उसके चूतड़ों को चूमते हुए चाटने लगा और फिर उसकी गुदा के छेद को जीभ से चाटने लगा।
उसे तुरन्त आभास हो गया कि ख़तरा है, वो बोली- ओह्ह.. राजा.. क्या कर रहे हो.. मेरी गाण्ड मत चूसो.. प्लीज़... नहीं ऐसा मत करो.. मैंने तुम्हें चूत चोदने को कहा था.. अगर गाण्ड मारनी हो तो मम्मी की मार लो.. मैं मर जाऊँगी.. मम्मी समझाओ ना.. इन्हें..
रूपा बोली- बेटा मार लेने दे आख़िर एक दिन तो मारेगा ही... आज ही अपने सारे छेद खुलवा ले.. आख़िर इतने दिनों से प्यासा है.. तेरे बदले वो इतने दिन हमारे साथ मज़ा कर रहा था और हर तरह से मन बहलाता रहा है।
फिर रूपा मुझसे मुखातिब हुई- प्यारे जमाई जी.. मारो आप.. इसके रोने पर मत जाओ..
सहायता की गुहार करती नीलम उल्टी डांट पड़ने पर सकते में आ गई।
रूपा उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए उसे समझाने लगी।
वो बोली- ओह्ह.. राजा.. क्या कर रहे हो.. मेरी गाण्ड मत चूसो.. प्लीज़... नहीं ऐसा मत करो.. मैंने तुम्हें चूत चोदने को कहा था.. अगर गाण्ड मारनी हो तो मम्मी की मार लो.. मैं मर जाऊँगी.. मम्मी समझाओ ना.. इन्हें..
रूपा बोली- बेटा मार लेने दे आख़िर एक दिन तो मारेगा ही... आज ही अपने सारे छेद खुलवा ले.. आख़िर इतने दिनों से प्यासा है.. तेरे बदले वो इतने दिन हमारे साथ मज़ा कर रहा था और हर तरह से मन बहलाता रहा है।
फिर रूपा मुझसे मुखातिब हुई- प्यारे जमाई जी.. मार तू.. इसके रोने पर मत जाओ..
सहायता की गुहार करती नीलम उल्टी डांट पड़ने पर सकते में आ गई। रूपा ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए उसे समझाने लगी।
रूपा झट से जाकर मक्खन ले आई और मेरे लंड को मक्खन से तर कर दिया.. फिर नीलम की गाण्ड पर लगाया।
नीलम अब भी सिसक रही थी।
'ओह मम्मी रोको ना.. मैं मर जाऊँगी...'
रूपा बोली- सारे मज़े ले ले आज.. मैं तुझे पूरी तरह तैयार करके ही ससुराल भेजने वाली हूँ..
मैंने मक्खन से लथपथ गाण्ड में एक ऊँगली घुसा दी।
उसकी गाण्ड बहुत टाइट थी।
फिर मैंने दूसरी ऊँगली भी घुसा दी.. तो वो दर्द के मारे रोने लगी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने उसे चिढ़ाने के लिए कहा- नीलू रानी.. सच तेरी गाण्ड तो तेरी माँ और रिंकी से भी ज्यादा टाइट है... बड़ा मज़ा आएगा।
मैंने अपना लाल सुपारा उसकी गुदा पर रखा और रूपा को इशारा किया।
रूपा ने नीलम का मुँह दबोच लिया और मैंने तुरन्त ही सुपारा पेल दिया।
मेरा सुपारा आधे से ज़्यादा उसकी गाण्ड के छेद को खोलता हुआ धंस गया।
नीलम का जिस्म एकदम कड़ा हो गया ओर वो छटपटाने लगी।
रूपा मस्ती में आ चुकी थी। उसे भी मज़ा आ रहा था।
वो बोली- जमाई राजा.. लगता है आज तो इसकी फट ही जाएगी।
मैंने कहा- हाँ.. मेरी सासू जान.. आज तो इसकी फाड़ ही देता हूँ। बड़ा मज़ा आएगा... इसे भी तो पता चले गाण्ड मरवाना क्या होता है.. जब रिंकी की मार रहा था तो कैसे मज़े लेकर देख रही थी...
मैंने और मक्खन लगाया और हल्का दबाव दिया तो सुपारे का अगला हिस्सा गाण्ड में फँस सा गया।
नीलम मारे दर्द के अपने हाथ-पैर फटकारने लगी।
उसके तड़पते जिस्म को देख मुझे बड़ा मज़ा आने लगा।
उसके दबे मुँह से सीत्कार निकल रही थी।
रूपा भी उसकी तड़प देख कर गरमा उठी.. वो भी अपनी चूत में ऊँगली डाल कर सिसकारियाँ भरने लगी।
मैंने झुक कर रूपा को चूम लिया और नीलम के शांत होने का इंतजार करने लगा।
मैंने रूपा को अपने करीब किया और उसकी चूंचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूमने लगा।
वो बोली- रुक क्यों गए हो.. पेल दो ना पूरा अन्दर?
मैंने कहा- ऐसे तो उसका दर्द कम हो जाएगा... तुम उसके मुँह से हाथ हटा लो। मैं धीरे-धीरे उसकी चीख सुनते हुए डालूँगा और गाण्ड मारने का पूरा मज़ा लूँगा।
वो हँसने लगी और बोली- तू बड़ा मादरचोद है.. जो करना हो कर ले... रुक तो ज़रा...
उसने अपना हाथ नीलम के मुँह से हटा लिया.. नीलम फिर से चीखने लगी।
'ओह माँ.. मर रही हूँ.. माँ आई.. निकालो ओहह इसे..'
रूपा ने उसके मुँह के नीचे से तकिया हटाया और अपनी चूत पर मुँह रख कर लेट गई और एक हाथ से उसके सिर को चूत पर दबोचने लगी।
कुछ देर बाद मैंने धीरे-धीरे नीलम की गाण्ड में लंड पेलना शुरू कर दिया।
कस कर फँसा होने के बाद भी मक्खन के कारण लंड फिसल कर गहराई में इंच-इंच करके जा रहा था।
जैसे ही वो छटपटाती तो मैं रुक जाता... फिर लंड पीछे खींच कर पेल देता.. जिससे वो बुरी तरह कांप उठती। उसकी आँखों से आँसू की धारा बह रही थी।
आख़िर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने लंड पूरा बाहर खींच कर बुरी तरह से धक्का मार दिया।
मेरा लंड करीब करीब पूरा उसकी गाण्ड के छेद में समा गया और वो बुरी तरह से चीख उठी।
'ओह मम्मी.. मैं मर गई.. लुट गई में. मर जाऊँगीईई... उठो देखो तो सहीईईई.. तुम भी मेरी दुश्मन मत बनो.. बहुत दर्द हो रहा है.. मेरी गाण्ड फट रही है..उईईई...'
रूपा भी थोड़ा डर गई और उठ कर उसकी गाण्ड देखने लगी।
वो बोली- नहीं बेटी.. अब पूरा लंड घुस चुका है.. तेरी गाण्ड नहीं फटी है।
फिर उसका दर्द कम करने के लिए उन्होंने उसकी चूत पर हाथ ले जाकर उसे सहलाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसका चीखना बन्द होने
लगा।
रूपा ने अपनी ऊँगली उसकी चूत में घुसा दी और अन्दर-बाहर करती रही।
कुछ ही देर में वो झड़ने लगी.. उसकी चूत से रस बहने लगा।
जब वो पूरी तरह शांत हो गई तो रूपा मुझसे बोली- तू ज़रा रुक..
उसने उठ कर वापस नीलम के मुँह को अपनी चूत पर लगा कर कस लिया ओर बोली- अब मैं भी मज़ा कर लेती हूँ.. तू अब जी भर कर गाण्ड मार ले...
मैंने झुक कर नीलम की दोनों चूंचियों को कस कर दबोच लिया और ज़ोर-ज़ोर से उसकी गाण्ड मारने लगा।
वो फिर दर्द से बिलबिला उठी।
उसका मुँह खुल कर चूत पर दब जाता और दाँत गाड़ने से रूपा को बड़ा मज़ा आ रहा था।
वो बोली- राजा..आाअ कस-कस कर पेलो.. इसके मुँह के दबाव से बड़ा मज़ा आ रहा है।
मैं बुरी तरह से उसकी गाण्ड मारता रहा.. आख़िर कर वो शिथिल हो गई।
मैंने एक करारा धक्का मारा और उसकी गाण्ड में ही स्खलित हो गया।
मैंने देखा नीलम बेहोश हो चुकी थी।
नहीं तो मेरे उबलते वीर्य की धार से उसकी गाण्ड की सिकाई होती।
उससे उसे आराम ज़रूर मिलता।
रूपा भी झड़ कर शांत हो चुकी थी।
फिर मैंने उसे सीधा पीठ के बल लेटा दिया।
उसकी गाण्ड भी छूट की तरह बुरी तरह से फूल चुकी थी.. जिसे देख कर मेरा लंड फिर से तन्ना गया।
मैं उसके होश में आने का इंतजार करने लगा।
रूपा बड़े प्यार से उसकी चूत और गाण्ड को सहला रही थी।
जैसे ही वो होश में आई.. मारे दर्द के सिसकने लगी।
रूपा ने फिर मेरे लंड पर मक्खन लगाया और मैंने उसकी दोनों टाँगें उठा कर फिर से उसकी गाण्ड में लंड पेल दिया।
इस बार उसे चीखने दिया।
वो बुरी तरह चीखते-चीखते लस्त हो गई।
रूपा बोली- लगता है फिर बेहोश हो गई.. बड़ी नाज़ुक है ये तो... तू परवाह मत कर... मार ज़ोर-ज़ोर से.. मसल-मसल कर ठोक... कुछ नहीं होगा... अगर होगा तो मैं इसे डॉक्टर के पास ले जाऊँगी।
मैं उसके छोटे-छोटे स्तन मसलते हुए बेहोश नीलम की बेरहमी से गाण्ड मारता रहा.. जैसे वो लड़की नहीं रबर की गुड़िया हो।
इस बार करीब एक घंटे मैं बुरी तरह उसकी गाण्ड मारता रहा.. फिर लस्त हो कर लेट गया।
हम बुरी तरह थक चुके थे।
रूपा भी वहीं लेट गई।
नीलम अब भी बेहोश थी।
हम दोनों भी वहीं बगल में लेट गए।
दूसरे दिन सुबह उसके सिसकने की आवाज़ से मेरी आँख खुल गई।
वो उठ नहीं पा रही थी.. उसकी हालत बुरी थी।
गाण्ड और चूत के दर्द के मारे वो लगातार रो रही थी और बिलख रही थी।
मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा और जैसे ही मैं उस पर चढ़ने लगा रूपा ने मुझे रोक दिया और कहा- नहीं.. अब अभी नहीं... उसे दो दिन आराम करने देना... अब जब ये खुद अपने आपको तुम्हारे लिए तैयार ना कर ले.. उसे आराम करने देना। तब तक मैं हूँ न...
दो रात तक मैंने सिर्फ़ रूपा की चुदाई की.. नीलम ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
दो रात उसने हम दोनों की घमासान चुदाई देखी... तीसरी रात वो खुद हमारे कार्यक्रम में शामिल हो गई।
मैंने उससे वायदा किया कि मैं उसकी गाण्ड अब नहीं मारूँगा.. जब तक वो खुद नहीं कहेगी।
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उस रात मैंने उसे बहुत सुख दिया और बड़े प्यार से चूत चाट-चाट कर चोदा।
उस रात मैंने नीलम और रूपा दोनों को दो-दो बार चोदा।
आज नीलम को बहुत मज़ा आया।
उसके बाद रूपा की माहवारी शुरू हो गई.. इसलिए वो हमारे खेल में शामिल नहीं हो पाई।
उस रात मैंने नीलम को बहुत ही बुरी तरह से चोदा।
आख़िर में उसकी ज़बरदस्त गाण्ड भी मारी।
वो रो-रो कर बेहोश होकर लस्त पड़ गई।
इस भयानक चुदाई के बाद नीलम की हालत दो दिन खराब रही।
उसे बुखार आ गया और वो ठीक से चल फिर नहीं पा रही थी।
तीन दिन के बाद जब वो संभली.. तो मैंने उसे सिर्फ़ एक बार ही चोदा।
धीरे-धीरे वो गाण्ड और चूत चुदवाने की आदी हो चुकी थी। अब उसे मज़ा आने लगा था।
उसके बाद मैंने रूपा से अपने घर जाने की इजाज़त ली।
रूपा बुरी तरह से बिलख पड़ी और बोली- राज.. मैं भी अब तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊँगी.. तुम यहीं पर रह जाओ।
मैंने कहा- मैं घर जमाई बन कर नहीं रह पाऊँगा।
वो बोली- तो मुझे तुम अपने साथ ले चलो।
मैंने उसे आश्वासन दिया और कहा- मैं पिताजी से इजाज़त ले लूँगा और अलग घर लेकर तुम्हें वहीं बुलवा लूँगा।
तब कहीं वो शांत हुई।
घर पहुँच कर मैंने मम्मी-पापा से इजाज़त ली।
वो भी बोले- ठीक है.. बेचारी विधवा अकेली कहाँ रह पाएगी।
मैंने अलग फ्लैट ले लिया और उन्हें भी बुलवा लिया।
बीच-बीच में रिंकी भी आ जाती और हम जी भर कर चुदाई का आनन्द लेते।