देवर भाभी

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी कच्छी धोने लगी। लेकिन बैठते समय उन्होंने पेटीकोट ठीक से टांगों के बीच दबा लिया।

यह सोच कर कि पेटीकोट के नीचे अब भाभी की चूत बिल्कुल नंगी होगी मेरा मन डोलने लगा। मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि भाभी का पेटीकोट फिर से नीचे गिर जाए। शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली।

थोड़ी देर में भाभी बाहर आईं तो उनके हाथ में वही सफेद कच्छी थी जो उन्होंने अभी-अभी पहनी हुई थी।

भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी कच्छी धोने लगी। लेकिन बैठते समय उन्होंने पेटीकोट ठीक से टांगों के बीच दबा लिया। यह सोच कर कि पेटीकोट के नीचे अब भाभी की चूत बिल्कुल नंगी होगी, मेरा मन डोलने लगा।

मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि भाभी का पेटीकोट फिर से नीचे गिर जाए।

शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली।

भाभी का पेटीकोट का पिछला हिस्सा फिर से नीचे गिर गया। अब तो मेरे होश ही उड़ गए। उनकी गोरी-गोरी मांसल टाँगें साफ नजर आने लगीं।

तभी भाभी ने अपनी टांगों को फैला दिया और अब तो मेरा कलेजा ही मुँह में आ गया।

भाभी की चूत बिल्कुल नंगी थी।

गोरी-गोरी सुडौल जाँघों के बीच में उनकी चूत साफ नजर आ रही थी। पूरी चूत घने काले बालों से ढकी हुई थी, लेकिन चूत की दोनों फांकों और बीच का कटाव घनी झांटों के पीछे से नजर आ रहा था।

चूत इतनी फूली हुई थी और उसका मुँह इस प्रकार से खुला हुआ था, मानो अभी-अभी किसी मोटे लंड से चुदी हो।

भाभी कपड़े धोने में ऐसे लगी हुई थीं मानो उन्हें कुछ पता ही ना हो।

मेरे चेहरे की ओर देख कर बोलीं- क्या बात है रामू, तेरा चेहरा तो ऐसे लग रहा है जैसे तूने साँप देख लिया हो?

मैं बोला- भाभी साँप तो नहीं... लेकिन साँप जिस बिल में रहता है उसे जरूर देख लिया।

'क्या मतलब? कौन से बिल की बात कर रहा है?'

मेरी आँखें भाभी की चूत पर ही जमी हुई थीं।

'भाभी आपकी टांगों के बीच में जो साँप का बिल है ना.. मैं उसी की बात कर रहा हूँ।'

'हाय..उई दैया.. बदमाश.. इतनी देर से तू ये देख रहा था? तुझे शर्म नहीं आई अपनी भाभी की टांगों के बीच में झाँकते हुए?'

यह कह कर भाभी ने झट से टाँगें नीचे कर लीं।

'आपकी कसम भाभी इतनी लाजवाब चूत तो मैंने किसी फिल्म में भी नहीं देखी। भैया कितनी किस्मत वाले हैं। लेकिन भाभी इस बिल को तो एक लम्बे मोटे साँप की जरूरत है।'

भाभी मुस्कुराते हुए बोलीं- कहाँ से लाऊँ उस लम्बे मोटे साँप को

'मेरे पास है ना एक लम्बा मोटा साँप। एक इशारा करो, सदा ही आपके बिल में रहेगा।'

'हट नालायक...' ये कह कर भाभी कपड़े सुखाने छत पर चली गईं।

ज़ाहिर था कि ये करने का विचार भाभी के मन में उपन्यास पढ़ने के बाद ही आया था।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

अब तो मुझे पूरा विश्वास हो गया कि भाभी मुझसे चुदवाना चाहती हैं।

मैं मौके की तलाश में था जो जल्दी ही हाथ आ गया।

तीन दिन बाद कॉलेज में बॉडी-बिल्डिंग की प्रतियोगिता थी। मैंने खूब कसरत और मालिश करनी शुरू कर दी थी।

भाभी भी मुझे अच्छी खुराक खिला रही थीं।

एक दिन भाभी नहा रही थीं और मैं अपने कमरे में मालिश कर रहा था। मैंने सिर्फ़ अंडरवियर पहन रखा था, इतने में भाभी नहा कर कमरे में आ गईं।

वो पेटीकोट और ब्लाउज में थीं।

मैंने भाभी से कहा- भाभी ज़रा पीठ की मालिश कर दोगी?

भाभी बोलीं- हाँ... हाँ.. क्यों नहीं, चल लेट जा।

मैं चटाई पर पेट के बल लेट गया। भाभी ने हाथ में तेल ले कर मेरी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया।

भाभी के मुलायम हाथों का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था।

पीठ पर मालिश करने के बाद चलने को हुई तो मैं बोला- कर ही रही हो तो पूरे बदन की मालिश कर दो ना... आपके हाथ की मालिश होने पर मैं ज़रूर बॉडी-बिल्डिंग प्रतियोगिता में जीत जाऊँगा।

'ठीक है कर देती हूँ, चल उल्टा हो कर लेट जा।'

मैं पीठ के बल लेट गया। भाभी ने पहले मेरे हाथों की मालिश की और फिर टाँगों की शुरू कर दी।

जैसे-जैसे मेरी जांघों के पास पहुँची, मेरी दिल की धड़कन तेज़ होने लगी।

मेरा लंड धीरे-धीरे हरकत करने लगा।

अब भाभी पीठ पर और लंड के चारों तरफ जांघों पर मालिश करने लगीं।

मेरा लंड बुरी तरह से फनफनाने लगा। ढीले लंड से भी अंडरवियर का ख़ासा उभार होता था। अब तो यह उभार फूल कर दुगना हो गया।

भाभी से यह छुपा नहीं था और उनका चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था।

कनखियों से उभार को देखते हुए बोलीं- राजू, लगता है तेरा अंडरवियर फट जाएगा.. क्यों क़ैद कर रखा है बेचारे पंछी को.. आज़ाद कर दे...! और यह कह कर खिलखिला कर हँस पड़ीं।

'आप ही आज़ाद कर दो ना भाभी इस पंछी को... आपको दुआएँ देगा।'

'ठीक है मैं इसे आज़ादी देती हूँ।' ये कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवियर नीचे खींच दिया।

अंडरवियर से आज़ाद होते ही मेरा 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड किसी काले कोबरा की तरह फनफना कर खड़ा हो गया।

भाभी के तो होश ही उड़ गए। चेहरे की हँसी एकदम गायब हो गई, उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी? घबराई हुई सी लगती हो।'

'बाप रे... ये लंड है या मूसल..! किसी घोड़े का लंड तो नहीं लगा लिया..? और ये अमरूद..! उस साण्ड के भी इतने बड़े नहीं थे।'

'भाभी इसकी भी मालिश कर दो ना।' भाभी ने ढेर सा तेल हाथ में लेकर खड़े हुए लंड पर लगाना शुरू कर दिया, बड़े ही प्यार से लंड की मालिश करने लगीं।

'राजू तेरा लंड तो तेरे भैया से कहीं ज़्यादा बड़ा है... सच तेरी बीवी बहुत ही किस्मत वाली होगी... एक लम्बा-मोटा लंड औरत को तृप्त कर देता है। तेरा तो...!'

'भाभी आप किस बीवी की बात कर रही हैं? इस लंड पर सबसे पहला अधिकार आपका है।'

'सच.. देख राजू, मोटे-तगड़े लंड की कीमत एक औरत ही जानती है। इसको मोटा-तगड़ा बनाए रखना। जब तक तेरी शादी नहीं होती मैं इसकी रोज़ मालिश कर दूँगी।'

'आप कितनी अच्छी हैं भाभी, वैसे भाभी इतने बड़े लंड को लवड़ा कहते हैं।'

'अच्छा बाबा, लवड़ा.. सुहागरात को बहुत ध्यान रखना। तेरी बीवी की कुँवारी चूत का पता नहीं क्या हाल हो जाएगा। इतना मोटा और लम्बा लौड़ा तो मेरे जैसों की चूत भी फाड़ देगा।'

'यह आप कैसे कह सकती हैं? एक बार इसे अपनी चूत में डलवा के तो देखिए।'

'सच.. देख राजू, मोटे-तगड़े लंड की कीमत एक औरत ही जानती है। इसको मोटा-तगड़ा बनाए रखना। जब तक तेरी शादी नहीं होती मैं इसकी रोज़ मालिश कर दूँगी।'

'आप कितनी अच्छी हैं भाभी, वैसे भाभी इतने बड़े लंड को लवड़ा कहते हैं।'

'अच्छा बाबा, लवड़ा.. सुहागरात को बहुत ध्यान रखना। तेरी बीवी की कुँवारी चूत का पता नहीं क्या हाल हो जाएगा। इतना मोटा और लम्बा लौड़ा तो मेरे जैसों की चूत भी फाड़ देगा।'

'यह आप कैसे कह सकती हैं? एक बार इसे अपनी चूत में डलवा के तो देखिए।'

'हट नालायक।' भाभी बड़े प्यार से बहुत देर तक लंड की मालिश करती रहीं। जब मुझसे ना रहा गया तो बोला- भाभी आओ मैं भी आपकी मालिश कर दूँ।'

'मैं तो नहा चुकी हूँ।'

'तो क्या हुआ भाभी मालिश कर दूँगा तो सारी थकावट दूर हो जाएगी, चलिए लेट जाइए।'

भाभी को मर्द का स्पर्श हुए तीन महीने हो चुके थे, वो थोड़े नखरे करने के बाद मान गईं और पेट के बल चटाई पर लेट गईं।

'भाभी ब्लाउज तो उतार दो.. तेल लगाने की जगह कहाँ है, अब शरमाओ मत.. याद है ना.. मैं आपको नंगी भी देख चुका हूँ।'

भाभी ने अपना ब्लाउज उतार दिया। अब वो काले रंग के ब्रा और पेटीकोट में थीं।

मैं भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर उनकी पीठ पर तेल लगाने लगा। चूचियों के आस-पास मालिश करने से वो उत्तेजित हो जाती थीं।

फिर मैंने ब्रा का हुक खोल दिया और बड़ी-बड़ी चूचियों को मसलने लगा। भाभी के मुँह से सिसकारी निकलने लगीं। वो आँखें मूंद कर लेटी रहीं।

खूब अच्छी तरह चूचियों को मसलने के बाद मैंने उनकी टाँगों पर तेल लगाना शुरू कर दिया।

जैसे-जैसे तेल लगाता जा रहा था, पेटीकोट को ऊपर की ओर खिसकाता जा रहा था। मेरा अंडरवियर मेरी टाँगों में फंसा हुआ था, मैंने उसे उतार फेंका।

भाभी की गोरी-गोरी मोटी जांघों के बीच में बैठ कर बड़े प्यार से मालिश की।

धीरे-धीरे मैंने पेटीकोट भाभी के नितंबों के ऊपर सरका दिया। अब मेरे सामने भाभी के विशाल चूतड़ थे।

भाभी ने छोटी सी जालीदार नाइलॉन की पारदर्शी काली कच्छी पहन रखी थी जो कुछ भी छुपा पाने में असमर्थ थी।

ऊपर से भाभी के चूतड़ों की आधी दरार कच्छी के बाहर थी, फैले हुए मोटे चूतड़ करीब पूरे ही बाहर थे।

चूतड़ों के बीच में कच्छी के दोनों तरफ से बाहर निकली हुई भाभी की लम्बी काली झाँटें दिखाई दे रही थीं।

भाभी की फूली हुई चूत के उभार को बड़ी मुश्किल से कच्छी में क़ैद कर रखा था। मैंने उन मोटे-मोटे चूतड़ों की जी भर के मालिश की, जिससे कच्छी चूतड़ों से सिमट कर बीच की दरार में फँस गई।

अब तो पूरे चूतड़ ही नंगे थे। मालिश करते-करते मैं उनकी चूत के आस-पास हाथ फेरने लगा और फिर फूली हुई चूत को मुट्ठी में भर लिया।

भाभी की कच्छी बिल्कुल गीली हो गई थी।

'इसस्स... आआ... क्या कर रहा है.. छोड़ दे उसे, मैं मर जाऊँगी... तू पीठ पर ही मालिश कर.. नहीं तो मैं चली जाऊँगी।'

'ठीक है भाभी पीठ पर ही मालिश कर देता हूँ।' मैं भाभी की टाँगों के बीच में थोड़ा आगे खिसक कर उनकी पीठ पर मालिश करने लगा।

ऐसा करने से मेरा तना हुआ लवड़ा भाभी की चूत से जा टकराया। अब मेरे तने हुए लंड और भाभी की चूत के बीच छोटी सी कच्छी थी।

भाभी की चूत का रस जालीदार कच्छी से निकल कर मेरे लंड के सुपारे को गीला कर रहा था।

मैं भाभी की चूचियों को दबाने लगा और अपने लंड से भाभी की चूत पर ज़ोर डालने लगा। लंड के दबाव के कारण कच्छी भाभी की चूत में घुसने लगी। बड़े-बड़े नितंबों से सिमट कर अब वो बेचारी कच्छी उनके बीच की दरार में धँस गई थी।

भाभी के मुँह से उत्तेजना भरी सिसकारियाँ निकलने लगीं।

मुझसे ना रहा गया और मैंने एक ज़ोरदार धक्का लगाया, मेरे लंड का सुपारा भाभी की जालीदार कच्छी को फाड़ता हुआ उनकी चूत में समा गया।

'आआहह...ऊई... उई माँ... ऊऊफ़.. यह क्या कर दिया राजू... तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए.. छोड़ मुझे, मैं तेरी भाभी हूँ... मुझे नहीं मालिश करवानी।'

लेकिन भाभी ने हटने की कोई कोशिश नहीं की। मैंने थोड़ा सा दबाव डाल कर आधा इंच लंड और भाभी की चूत में सरका दिया।

'अई...ऊई तेरे लवड़े ने मेरी कच्छी तो फाड़ ही दी, अब मेरी चूत भी फाड़ डालेगा।' मेरे मोटे लवड़े ने भाभी की चूत के छेद को बुरी तरह फैला दिया था।

'भाभी आप तो कुँवारी नहीं हैं.. आपको तो लंड की आदत है..!'

'अई... मुझे आदमी के लंड की आदत है घोड़े के लंड की नहीं... चल निकाल उसे बाहर...।' लेकिन भाभी को दर्द के साथ मज़ा आ रहा था।

उसने अपने चूतड़ों को हल्का सा उचकाया तो मेरा लंड आधा इंच और भाभी की चूत में सरक गया।

अब मैंने भाभी की कमर पकड़ कर एक और धक्का लगाया। मेरा लंड कच्छी के छेद में से भाभी की चूत को दो भागों में चीरता होता हुआ 5 इंच अन्दर घुस गया।

'आआआआहह... आ....आ. मर गई... छोड़ दे राजू फट जाएगी... उई...धीरे राजा... अभी और कितना बाकी है? निकाल ले राजू, अपनी ही भाभी को चोद रहा है।'

मैं भाभी की चूचियों को मसलते हुए बोला- अभी तो आधा ही गया है भाभी, एक बार पूरा डालने दो, फिर निकाल लूँगा।'

'हे राम.. तू घोड़ा था क्या पिछले जनम में... मेरी चूत तेरे मूसल के लिए बहुत छोटी है।'

मैंने धीरे-धीरे दबाव डाल कर तीन इंच और अन्दर पेल दिया।

'भाभी, मेरी जान थोड़े से चूतड़ और ऊँचे करो ना...!'

भाभी ने अपने भारी नितंब और ऊँचे कर दिए। अब उनकी छाती चटाई पर टिकी हुई थी। इस मुद्रा में भाभी की चूत मेरा लंड पूरा निगलने के लिए तैयार थी।

अब मैंने भाभी के चूतड़ों को पकड़ कर बहुत ज़बरदस्त धक्का लगाया। पूरा 10 इन्च का लवड़ा भाभी की चूत में जड़ तक समा गया।

'आआहह... मार डाला.. उई... अया... अ..उई... सी..आ... अया.... ओईइ.. मा...कितना जालिम है रे..आह....ऐसे चोदा जाता है अपनी भाभी को.. पूरा 10 इंच का मूसल घुसेड़ दिया..!'

भाभी की चूत में से थोड़ा सा खून भी निकल आया। अब मैं धीरे-धीरे लंड को थोड़ा सा अन्दर-बाहर करने लगा। भाभी का दर्द कम हो गया था और वो भी चूतड़ों को पीछे की ओर उचका कर लंड को अन्दर ले रही थीं।

अब मैंने भी लंड को सुपारे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अन्दर पेलना शुरू कर दिया। भाभी की चूत इतनी गीली थी कि उसमें से 'फ़च-फ़च' की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी।

'तू तो उस साण्ड की तरह चढ़ कर चोद रहा है रे.. अपनी भाभी को... ज़िंदगी में पहली बार किसी ने ऐसे चोदा है... अया...आ..अई. ह...उई.. ओह...'

अब मैंने लंड को बिना बाहर निकाले भाभी की फटी हुई कच्छी को पूरी तरह फाड़ कर उनके जिस्म से अलग कर दिया और छल्ले की तरह कमर से लटकते हुए पेटीकोट को उतार दिया।

भाभी अब बिल्कुल नंगी थी। चूतड़ उठाए उनके चौड़े नितंब और बीच में से मुँह खोले निमंत्रण देती, काली लम्बी झाँटों से भरी चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी।

भारी-भारी चूतड़ों के बीच गुलाबी गाण्ड के छेद को देख कर तो मैंने निश्चय कर लिया कि एक दिन भाभी की गाण्ड ज़रूर मारूँगा।

बिल्कुल नंगी करने के बाद मैंने फिर अपना 10 इंच का लवड़ा भाभी की चूत में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया। भाभी की चूत के रस से मेरा लंड सना हुआ था। मैंने चूत के रस में ऊँगली गीली करके भाभी की गाण्ड में सरका दी।

भाभी अब बिल्कुल नंगी थी। चूतड़ उठाए उनके चौड़े नितंब और बीच में से मुँह खोले निमंत्रण देती, काली लम्बी झाँटों से भरी चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी।

भारी-भारी चूतड़ों के बीच गुलाबी गाण्ड के छेद को देख कर तो मैंने निश्चय कर लिया कि एक दिन भाभी की गाण्ड ज़रूर मारूँगा।

बिल्कुल नंगी करने के बाद मैंने फिर अपना लवड़ा भाभी की चूत में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया।

भाभी की चूत के रस से मेरा लंड सना हुआ था।

मैंने चूत के रस में ऊँगली गीली करके भाभी की गाण्ड में सरका दी।

'उई मा... आह ...क्या कर रहा है राजू?'

'कुछ नहीं भाभी आपका यह वाला छेद दुखी था कि उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा, मैंने सोचा इसकी भी सेवा कर दूँ।'

यह कह कर मैंने पूरी ऊँगली भाभी की गाण्ड में घुसा दी।

'आआहह...उई...अघ... धीरे देवर जी, एक छेद से तेरा दिल नहीं भरा जो दूसरे के पीछे पड़ा है।' भाभी को गाण्ड में ऊँगली डलवाने में मज़ा आ रहा था।

मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।

भाभी शायद दो-तीन बार झड़ चुकी थीं क्योंकि उनकी चूत का रस बह कर मेरे अमरूदों को भी गीला कर रहा था।

15-20 धक्कों के बाद मैं भी झड़ गया और ढेर सारा माल भाभी की चूत में उड़ेल दिया।

भाभी भी इस भयंकर चुदाई के बाद पसीने से तर हो गई थीं। वीर्य उनकी चूत में से बाहर निकल कर टाँगों पर बहने लगा, भाभी निढाल होकर चटाई पर लेट गईं।

'राजू आज तीन महीने तड़पाने के बाद तूने मेरी चूत की आग को ठंडा किया है। एक दिन मैं ग़लती से तेरा ये मूसल देख बैठी थी बस उसी दिन से तेरे लंड के लिए तड़प रही थी... काश मुझे पता होता कि खड़ा होकर तो ये 10 इंच लम्बा हो जाता है।'

'तो भाभी आपने पहले क्यों नहीं कहा। आपको तो अच्छी तरह मालूम था कि मैं आपकी चूत का दीवाना हूँ। औरत तो ऐसी बातें बहुत जल्दी भाँप जाती हैं।'

'लेकिन मेरे राजा.. औरत ये तो नहीं कह सकती कि आओ मुझे चोदो। पहल तो मर्द को ही करनी पड़ती है और फिर मैं तो तेरी भाभी हूँ।'

'ठीक है भाभी अब तो मैं आपको रोज़ चोदूँगा।'

'मैं कब मना कर रही हूँ? एक बार तो तूने चोद ही दिया है, अब क्या शरमाना? इतना मोटा लम्बा लंड तो बहुत ही किस्मत से नसीब होता है। जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती तेरे लंड का मैं ख्याल करूँगी। इसको मोटा-ताज़ा बनाए रखने के लिए मैं तेरे लंड की रोज़ मालिश कर दूँगी। अच्छा अब मुझे जाने दे मेरे राजा, तूने तो मेरी चूत का बाजा ही बजा दिया है।'

उसके बाद भाभी उठ कर नंगी ही अपने कमरे में चली गईं।

जाते समय उनके चौड़े भारी नितंब मस्ती में बल खा रहे थे। उनके मटकते हुए चूतड़ देख कर दिल किया कि भाभी को वहीं लिटा कर उनकी गाण्ड में अपना लवड़ा पेल दूँ।

अगले दिन बॉडी-बिल्डिंग की प्रतियोगिता थी। मैंने ये प्रतियोगिता इस साल फिर से जीत ली, अब मैं दूसरी बार कॉलेज का बॉडी-बिल्डिंग चैम्पियन हो गया।

मैं बहुत खुश था, घर आ कर मैंने जब भाभी को यह खबर सुनाई तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा।

'आज तो जश्न मनाने का दिन है, आज मैं तेरे लिए बहुत अच्छी-अच्छी चीज़ें बनाऊँगी। बोल तुझे क्या इनाम चाहिए?'

'भाभी आप जानती हैं.. मैं तो सिर्फ़ इसका दीवाना हूँ, ये ही दे दीजिए।' मैं भाभी की चूत पर हाथ रखता हुआ बोला।

'अरे वो तो तेरी ही है... जब मर्ज़ी आए ले लेना, आज तू जो कहेगा वही करूँगी।'

'सच भाभी.. आप कितनी अच्छी हो।' यह कह कर मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और अपने होंठ भाभी के रसीले होंठों पर रख दिए।

मैं दोनों हाथों से भाभी के मोटे-मोटे चूतड़ सहलाने लगा और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल कर उनके होठों का रस पीने लगा।

ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत को इस तरह चूमा था।

भाभी की साँसें तेज़ हो गईं।

अब मैंने धीरे से भाभी की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार सरक कर नीचे गिर गई।

'राजू, तू इतना उतावला क्यों हो रहा है? मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही। पहले खाना तो खा ले, फिर जो चाहे कर लेना। चल अब छोड़ मुझे।'

यह कह कर भाभी ने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की।

मैंने उनके कुर्ते के नीचे से हाथ डाल कर भाभी के चूतड़ों को उनकी सॉटिन की कच्छी के ऊपर से दबाते हुए कहा- ठीक है भाभी जान, छोड़ देता हूँ.. मगर एक शर्त आपको माननी पड़ेगी।'

'बोल क्या शर्त है?'

'शर्त यह है कि आप अपने सारे कपड़े उतार दीजिए, फिर हम खाना खा लेंगे।' मैं भाभी के होंठ चूमता हुआ बोला।

'क्यों तू किसी ज़माने में कौरव था.. जो अपनी भाभी को द्रौपदी की तरह नंगी करना चाहता है?' भाभी मुस्कुराते हुए बोलीं।

मैं भाभी की कच्छी में हाथ डाल कर उनके चूतड़ों को मसलते हुए बोला- नहीं भाभी.. आप तो द्रौपदी से कहीं ज़्यादा खूबसूरत हैं और मैंने अपनी प्यारी भाभी को आज तक जी भर के नंगी नहीं देखा।'

'झूट बोलना तो कोई तुझसे सीखे, कल तूने क्या किया था मेरे साथ? बाप रे.. साण्ड की तरह... भूल गया?'

'कैसे भूल सकता हूँ मेरी जान... अब उतार भी दो ना।' यह कहते हुए मैंने भाभी का कुर्ता भी ऊपर करके उठा दिया। अब वो सिर्फ़ ब्रा और छोटी सी कच्छी में थीं।

'अच्छा तेरी शर्त मान लेती हूँ, लेकिन तुझे भी अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे।'

और भाभी ने मेरी शर्ट के बटन खोल कर उतार दिया।

इसके बाद उन्होंने मेरी पैन्ट भी नीचे खींच दी।

मेरा लौड़ा अंडरवियर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था। भाभी मेरे लौड़े को अंडरवियर के ऊपर से सहलाते हुए कहा- राजू, ये महाशय क्यों नाराज़ हो रहे हैं?

'भाभी नाराज़ नहीं हो रहे, बल्कि आपको इज़्ज़त देने के लिए खड़े हो रहे हैं।'

'सच.. बहुत समझदार है।' यह कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवियर भी नीचे खींच दिया।

मेरा लौड़ा फनफना कर खड़ा हो गया। भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गई और वो बड़े प्यार से लौड़े को सहलाने लगीं।

मैंने भी भाभी की ब्रा का हुक खोल कर भाभी की चूचियों को आज़ाद कर दिया।

फिर मैंने दोनों चूचकों को बारी-बारी से चूसा और भाभी की कच्छी को नीचे सरका दिया।

गोरी-गोरी जांघों के बीच में झांटों से भरी भाभी की चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी।

'अब तो मैंने तेरी शर्त मान ली, अब मुझे खाना बनाने दे।' ये कह कर वो रसोई की ओर चल पड़ीं।

ऊफ़.. क्या नज़ारा था.. गोरा बदन, चूतड़ों तक लटकते घने बाल, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए भारी नितंब, सुडौल जांघें और उन मांसल जांघों के बीच घनी लम्बी झांटों से भरी फूली हुई चूत।

चलते वक़्त मटकते हुए चूतड़ और झूलती हुई चूचियाँ बिल्कुल जान लेवा हो रही थीं।

भाभी रसोई में खाना बनाने लगीं।

मैं भी रसोई में जा कर भाभी के चूतड़ों से चिपक कर खड़ा हो गया।

मेरा लौड़ा भाभी के चूतड़ों की दरार में फँसने की कोशिश करने लगा।

मैं भाभी की चूचियों को पीछे से हाथ डाल कर मसलने लगा।

'छोड़ ना मुझे, खाना तो बनाने दे।' भाभी झूटमूट का गुस्सा करते हुए बोलीं और साथ ही में अपने चूतड़ों को इस प्रकार पीछे की ओर उचकाया कि मेरा लौड़ा उनके चूतड़ों की दरार में अच्छी तरह समा गया और चूत को भी छूने लगा।

भाभी की चूत इतनी गीली थी कि मेरा लौड़े के आगे का भाग भी भाभी की चूत के रस में सन गया।

इतने में भाभी कुछ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मेरे होश ही उड़ गए।

भाभी के भारी चूतड़ों के बीच से भाभी की फूली हुई चूत मुँह खोले निहार रही थी।

मैंने झट से अपने मोटे लौड़े का सुपारा चूत के मुँह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया, मेरा लौड़ा चूत को चीरता हुआ 3 इंच अन्दर घुस गया।

'छोड़ ना मुझे, खाना तो बनाने दे।' भाभी झूटमूट का गुस्सा करते हुए बोलीं और साथ ही में अपने चूतड़ों को इस प्रकार पीछे की ओर उचकाया कि मेरा लौड़ा उनके चूतड़ों की दरार में अच्छी तरह समा गया और चूत को भी छूने लगा।

भाभी की चूत इतनी गीली थी कि मेरा लौड़े के आगे का भाग भी भाभी की चूत के रस में सन गया। इतने में भाभी कुछ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मेरे होश ही उड़ गए।

भाभी के भारी चूतड़ों के बीच से भाभी की फूली हुई चूत मुँह खोले निहार रही थी। मैंने झट से अपने मोटे लौड़े का सुपारा चूत के मुँह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया।

मेरा लौड़ा चूत को चीरता हुआ 3 इंच अन्दर घुस गया।

'आआ.......ह... क्या कर रहा है राजू? तुझे तो बिल्कुल भी सबर नहीं... निकाल ले ना...।'

लेकिन भाभी ने उठने की कोई कोशिश नहीं की।

मैंने भाभी की कमर पकड़ कर थोड़ा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया। इस बार तो करीब 8 इंच लौड़ा भाभी की चूत में समा गया।

'आ...आ..आ...आ..आ..वी मा..आआ.. मर गई, छोड़ ना मुझे, पहले खाना तो खा ले।' भाभी सीधी हुई पर लौड़ा अब भी चूत में धंसा हुआ था। मैंने पीछे से हाथ डाल कर भाभी की चूचियां पकड़ लीं।

'भाभी, आप खाना बनाइए ना आपको किसने रोका है?'

उसके बाद भाभी उसी मुद्रा में खाना बनाती रहीं और मैं भी भाभी की चूत में पीछे से लौड़ा फँसा कर भाभी की पीठ और चूतड़ों को सहलाता रहा।

'चल राजू खाना तैयार है, निकाल अपने मूसल को।' भाभी अपने चूतड़ पीछे की ओर उचकाते हुए बोलीं।

मैंने भाभी के चूतड़ पकड़ कर दो-तीन धक्के और लगाए और लौड़े को बाहर निकाल लिया। मेरा पूरा लंड भाभी की चूत के रस से सना हुआ था।

भाभी ने टेबल पर खाना रखा और मैं कुर्सी खींच कर बैठ गया।

'आओ भाभी, आज आप मेरी गोद में बैठ कर खाना खा लो।'

'हाय राम तेरी गोद में जगह कहाँ है? एक लम्बी सी तलवार निकली हुई है।' भाभी मेरे खड़े हुए लंड को देखती हुई मुस्कुरा कर बोलीं।

'भाभी आपके पास म्यान है ना.. इस तलवार के लिए।' यह कहते हुए मैंने भाभी को अपनी गोद में खींच लिया।

भाभी की चूत बुरी तरह से गीली थी और मेरा लौड़ा भी चूत के रस में सना हुआ था।

जैसे ही भाभी मेरी गोद में बैठीं मेरा खड़ा लौड़ा भाभी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया।

'अईया...आआहह..ऊऊहह ...अया.. कितना जंगली है रे तू... 10 इंच लम्बा मूसल इतनी बेरहमी से घुसेड़ा जाता है क्या?'

'सॉरी भाभी.. चलो अब खाना खा लेते हैं।'

हमने इसी मुद्रा में खाना खाया। खाना खाने के बाद जब भाभी झूठे बर्तन रखने के लिए उठीं तो मेरा लंड 'फ़च्च' की आवाज़ के साथ उनकी चूत में से बाहर आ गया।

बर्तन समेटने के बाद भाभी आईं और बोलीं- हाँ तो देवर जी अब क्या इरादा है?

'अपना इरादा तो अपनी प्यारी भाभी को जी भर के चोदने का है।' मैंने कहा।

'तो अभी तक क्या हो रहा था?'

'अभी तक तो सिर्फ़ ट्रेलर था, असली पिक्चर तो अब चालू होगी।' कहते हुए मैंने नंगी भाभी को अपनी बांहों में भर के चूम लिया और अपनी गोद में उठा लिया।

मैं खड़ा हुआ था, मेरा विशाल लंड तना हुआ था और भाभी की टाँगें मेरी कमर से लिपटी हुई थीं।

भाभी की चूत मेरे पेट से चिपकी हुई थी और मेरा पेट भाभी की चूत के रस से गीला हो गया था।