पूजा की कहानी पूजा की जुबानी Ch. 07

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" हाय .. भैया.. तुम्हारा बहुत मोटा है ... वैसे भी मेरी नन्हीसी जान तीन महीने से नहीं चूदी है..आआह्ह्ह..." में तिलमिलाते बोली।

"अरे ऐसा क्यों...?" पूछे।

तुम्हे मालूम है न भैय्या उनकी नौकरी (Job) ही ऐसा है.. सेल्स इंचार्ज है तो महिने में 22, 25 दिन तो दौरे पर रहते हैं.. अनेका बाद एक दिन रेस्ट करते हैं और फिर मुझे पर टूट पड़े हैं.. लेकिन पिछली तीन बार से ऐसा नहीं हुआ। वह आते थे और रेस्ट करते; मैं तैयार हो ही रहती हूँ की उनका फ़ोन बजती है... और फिर सॉरी पूजा मुझे चलना है.."कहते चलदेते है... thisis happening from last three months" में बोली।

भैय्या मेरे ऊपर लेटकर मेरे गालों को, अधरों को, चूची को किस करते मुझे गरमाने लगे। कुछ ही देर में मेरी बुर में मदन रस निकलने लगी। तबतक मेरी दर्द भी कुछ कम हुयी। मैं धीरे से कमर उछली।

"पूजा.. शरू करूँ... " भैय्या पूछे।

"हाँ... भैय्या लेकिन पहले धीरेसे..." मैं अपने कूल्हे उछाले बोली। फिर क्या था भैय्या धीरे धीरे अपना औजार मेरे अंदर घुसेड़ने लगे। देखते ही देखते भैय्या का मेंरे में पूरा समा गया।

"चोदो भैय्या"

अब भैय्या शुरु हो गए। दनादन कमर ऊपर निचे करने लगे। अब मेरी बुरसे, टूटे बांध की तरह पानी बहनमे लगी; और भैय्या का लवड़ा चिकना होता गया और मेरी चुदाई आसान होती गयी। जैसे जैसे भय्या का ठोकर पड़ती थी मैं वैसे ही मेरि कमर उछाल रही थी।

आआह... चोदो मुझे... अब दर्द नहीं है...मममम.. और अंदर तक डालो भैया.. अपने लंड को... कितना सुख है चुदाने में..." कहती में अपनी कमर उछाल रही थी।

पूजा अब तुम सावर करो... तम मेरे ऊपर आजाओ.."और मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिए। विपरीत रति मेरा भी पसंदीदा पोज़ है है तो में भैय्या के कमर के दोनों ओर पैर रख कर उनपर चढ़ गयी। अपने हाथोंसे अपने फांकों को खोलकर भय्यासे बोली..." भैय्या सुई की छेद में धागा चढ़ाओ.." कही। भैय्या अपना लंड मेरे अंदर चढाने लगे। कुछ ही पलमे भैय्या का मुस्तनड मेरे अंदर चली गयी और में ऊपर निचे होने लगी।

जैसी जैसे में उनपर ऊपर निचे हो रही थी, वैसे वैसे मेरी वजनी चूचियँ भी हिल रही थी। भैय्या हाथ बढाकर उनके पकड़कर मींजने लगे। कभी कभी निप्पल को ट्विस्ट करने लगे। फिर मेरे कमर में हाथ डालकर मुझे झुकाये और मेरी चूचिको अपने मुहं मे लिए "ससससस....भैया..." में सीत्कार कर उठी।

"क्या हुआ पूजा..?"

कुछ नहीं भैय्या तुम जरी रखो..." में एक हाथ से उनके सिर को अपनी छाती पर दबाते बोली। भैय्या एक के बाद एक मेरी चूचियों को चूसते उसमे से निकलती दूध पि रहे थे।

"में भैय्या का चूषण मजा लेती... मेरी ककर उछलती भैया से बोली... "भैया.. एक बात पूछूं...?"

"हाँ.. हाँ.. पूजा पूछो.."

"आपमें और नीरजा मे कैसे बनी...?" में पूछी।

"ओह वह एक लम्बी कहानी है....अब नहीं.. बाद में बताऊंगा.. पहले असली काम होने दो..."

ठीक है.. भैय्या जैसा आप कहें...." में अपनी कमर उछलते बोली।

फिर उसके बाद हम दोनों के बीच धमासान चुदाई हुयी...पूरा आधेघंटे तक भैया ने मेरी चूत की कचूमर निकाल दिये.. फिर अपना गर्म लावा से मेरी बुर भरकर निढाल हो गए।

इतनी देर की चुदाई में मैं चार बार झड़ी।

"पूजा तुम कब निकल रही हो...?" भैय्या पूछे।

"दो दिन में निकलने को थी भैया..लेकिन अब लगता है एक हप्ता तो रुक ही जातिहुँ...उनको दौरे से आने में अभी पंद्रह दिन तो लग ही जायेंगे।

"Good I am happy..." भइया बोले तबतक उनका मेरे बुर के अंदर फिर से कड़क होने लगी।

उस रत भैय्या ने मुझे तीन बार पटक पटक कर चोदे। दोस्तों.. यह थी मेरे और मेरे बडे भैया की चुदाई का किस्सा.. आशा करती हूँ की आपको मेरा यह अनुभव संतोष जनक रही है.. फिर मिलती हूँ अगली एपिसोडेड में तब तक के लिये पूजा मास्तानि का अलविदा खूबूल करिये...

आपकी अपनी

पूजा मस्तानी

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