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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 9
अंतहीन प्रतीक्षा
इधर मैं अपनी रानी ज्योत्स्ना के साथ सुहागरात के बाद ऐश्वर्या भाभी की चुदाई करने के बाद हनीमून मनाने में लगा हुआ था. उधर बारात वापस पैतृक स्थान पर चली गयी थी और मेहमान वापिस जाने लगे थे ।
प्यारे!- ( मोहन कृष्ण- देवर-मेरे पिताजी )
मधु! - ( मधु मालती - रूपमालती - राजमाता - भाभी- मेरी ताई )
मेरा दोस्त ब्रैडी लौटने से पहले भाई महाराज हरमोहिंदर और मेरे पिता जी से मिलने आएं और उन्हें परिवार और सभी रिश्तेदारों को कैमरून में अपने महल में बरात लाने के आमंत्रित किया ताकि उनकी बहनों ब्रेडी की बहनो जह्ज़रा, उर्बि, शाहिना, नकोसज़ाना, अदाएज़े, गाब्रिएला, एंजेल, केइशा, किआरा और सबसे छोटी ज़री के साथ मेरा विवाह संपन्न हो सके।उस समय आमिर के अब्बा नवाब फैसल खान, आमिर, उसकी बहने और मंगेतर ऐनी और पर्ल तथा उसकी बहन रुखसार और उसकी तीन बीबियां सारा, ज़रीना और दिलिया भी वहां पधारे. ब्रॉडी का निमंत्रण स्वीकार कर लिया गया और हमारे कुलगुरुऔर आमिर के अब्बाजान से परामर्श के बाद एक महीने के बाद हमारा विवाह तय किया गया।
महारानी ऐश्वर्या के बड़े भाई-ज्ञानेंद्र महाराज ने भी पुर्त्री राजकुमारी अजंता का विवाह मेरे साथ जल्द करने का आग्रह किया और महाराज विश्वरूप ने अपनी बहन राजकुमारी तरुणिका, महाराज विक्रम वर्धन ने अपनी पुत्री राजकुमारी रेविका और राजकुमार ज़ोरावर ने अपनी बहन राजकुमारी सनविका के विवाह का विवाह मेरे साथ जल्द करने का आग्रह किया तो नवाब फैसल खान ने भी आमिर की बहन रुखसार से आमिर के की बहन के साथ मेरे निकाह के लिए परिवार और सभी रिश्तेदारों को हैदराबाद में आने के लिए आमंत्रित किया।
और साथ ही मैं फूफा जी ने भी अपनी चारो बेटियों जेन लूसी अलका और सिंडी के शीघ्र विवाह के प्रस्ताव किया और तब भाई महाराज मौसा ने भी अपनी दोनों बेटियों बिना और श्रीजा तथा दोनों पोतियो रीता और नीता का विवाहके लिए शीघ्रता करने का आग्रह किया । सबके प्रस्ताव और निमंत्रण स्वीकार किये गए और हमारे कुलगुरु के परामर्श के बाद एक महीने के बाद का समय तय किया गया और विवाह स्थान आपसी परामर्श से तय किया जाना था। प्रस्थान के समय सभी मेहमानों को, मिठाईया, उपहार, कपड़े और भेट अर्पण की गयी.
राजमाता ने मेरी बड़ी और छोटी बुआ दोनों को रोक लिया की नयी बहु का स्वागत के समय घर की बेटियों की उपस्थिति शुभ होती है.
सायकाल में सभी रिश्तेदार और मेहमान के जाने के बाद राजमाता मेरे पिता जी के पास आई और कहा देवर जी मैंने अपनी देवरानी पत्नी से सुना है कि तुम हस्तरेखा पढ़ने में बहुत निपुण हो. क्या आप मेरे बारे में कुछ बता सकते हैं?"
उन्होंने उसका उदास पीला चेहरा देखा, और कहा, "भाभी" ओह्ह्ह! हाँ... आप मेरे पास आओ," उन्होंने राजमाता को अपने पास बुलाया।
पिताजी ने जवाब दिया, "भाभी जी, देखिए, मैं एक पेशेवर हस्तरेखा विद् नहीं हूं लेकिन मैंने शौकिया तौर पर हस्तरेखा विज्ञान का गहराई से अध्ययन किया है, मैं कुछ चीजों को विवरण में बता सकता हूं, लेकिन सब कुछ नहीं।"
राजमाता ने उत्सुकता से चिंतित स्वर में अनुरोध किया, "कृपया मेरी हथेली देखें, और जो कुछ भी आप जानते हैं मुझे बताओ।"
मेरे पिताजी ने राजमाता का हाथ पकड़ा और उनकी हथेली की रेखाओं को देखने लगे।
उन्होंने राजमाता की दाहिनी हथेली ली, और कहा, "दाहिना हाथ वह है आपके संचित कर्म जिसके साथ आप पैदा हुए हैं, और बायां वह है जो आपने जीवन भर जमा किया है। पुरुषों के लिए, यह दूसरी तरफ है। बायां हाथ वह है जिसके वह साथ पैदा हुआ है, और दाया हाथ वह है जो उसने जीवन भर जमा किया है।"
फिर उन्होंने का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने के बाद राजमाता का उनके अतीत की कुछ बातें बताना शुरू किया, और उसने सहमति से अपना सिर हिलाया। सबसे पहले वो बोलो आपके माता पिता ने आपका नाम मधुमालती रखा था और जिसे आपकी शादी के बाद में बदल कर रूपमालती कर दिया गया था. राजमाता सब कुछ ध्यान से सुन रही थी ।
"भाभी, आपकी विवाह रेखा में यह स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि आप 25 वर्ष की आयु में विधवा हो गयी थी,
राजमाता बोली देवर जी ये तथ्य तो सबको ज्ञात है आप ये बताईये मेरे पुत्र को कितनी संताने होंगी.
निश्चित रूप से आपके बहुत सारे पोते-पोतियां होंगी। लेकिन ......। पिताजी कुछ बोलते हुए रुक गए ।
राजमाता ने कहा आप क्यों रुक गए? मुझे बताओ यह क्या है जो आप बोलते बोलते रुक गए.
पिताजी बोले राजमाता एक बहुत ही अजीब बात मैंने देखी है कि पोते-पोतियों को प्राप्त करने में कुछ समस्या है। और आपको पोते-पोतियों को पाने के लिए आपको काफी प्रयास करना होगा. वहां कुछ विध्न है.
राजमाता ने कहा कि हाँ, हम बहुत कुछ कर चुके हैं और आप जानते हैं उस अभिशाप से छुटकारा पाने के लिए हमने हर संभव कोशिश की है। हमने कुमार को रानियों के गर्भाधान के लिए शामिल किया लेकिन फिर भी अभी तक मुझे रानियों के गर्भधारण की खुशखबरी नहीं मिली है। जो मुझे चिंतित कर रही है।
पिता जी बोले राजमाता भाभी आप बिलकुल चिंता ना करे इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लगता है. लेकिन आप विश्वास कीजिये आप को खुशखबरी शीघ्र ही मिलेगी. आप कृपया धैर्य धारण कीजिये.
राजमाता बोली आप कुछ और बताईये.
पिताजी हाथ को कुछ अल्टा पलटा और बोले राजमाता आपकी संतान रेखा दिखा रही है कि आपके दो बच्चे होंगे," उन्होंने कहा। और जब ये दोनों चीजें होंगी तो आपके पाओतो और पोतीयो की रेखा में कई फूल खिलेंगे ।
राजमाता ने अपनी हथेली वापस खींच ली। "देवर जी ये क्या बकवास है! मेरा केवल एक ही बच्चा है जो की मेरा पुत्र राजा हरमोहिंदर है।और इस उम्र में मेरा एक और बच्चा कैसे हो सकता है और इसके अलावा मेरे पति पहले से ही नहीं हैं।" उन्होंने थोड़ा आश्चर्य चकित और क्रोधित होते हुए कहा।
मेरे पिता ने कहा, " भाभी मुझे नहीं पता, आपकी हाथो की रेखाये यही कह रही है।"
राजमाता ने कहा फिर से देखिये देवर जी, लगता है कही कोई भूल है ।
उन्होंने फिर से उनकी हथेली ली, और उसे अपनी गोद में रख लिया, और रेखाओं का अध्ययन करने लगे । उन्होंने राजमाता को उनके अपने अतीत के कुछ तथ्य बताए जो सार्वजनिक नहीं थे । फिर उन्होंने कहा, "भाभी, आपकी शादी की रेखा ठीक ठाक थी, आपकी संतान रेखा बोलती है कि आपकी शादी के ३ वर्ष बाद एक बच्चा हुआ।"
"यह सच है," उन्होंने कहा, और जैसे ही उन्होंने ये कहा बड़े बड़े आँसू उनके गालों पर लुढ़क गए।
मेरे पिता ने आश्चर्य से राजमाता की ओर देखा उनकी आँखों में आँसू भर आए थे, और उनके गालों पर आँसुओं की बाढ़ आ गई थी ।
फिर वह कहने लगी, " जब मैं अठारह वर्ष की हुई थी तब मेरे माता-पिता ने आपके चचेरे भाई राजा के साथ मेरी शादी तय कर दी थी। जैसा कि आप हमारे जैसे परिवार में जानते हैं, सास-ससुर, रिश्तेदार और हर कोई एक नवविवाहित जोड़े से तुरंत बच्चे की उम्मीद करता है। हर गुजरते महीने में, मेरे पति और मैं ऐसे संकेतों की तलाश करते थे जो यह संकेत देते हों कि दस महीने के समय में हम माता-पिता बन जाए । हमें इस बात का थोड़ा भी एहसास नहीं था कि पितृत्व का हमारा मार्ग अनिश्चितता के साथ काफी लंबा, अनिश्चित होगा। हम एक-दूसरे को नैतिक समर्थन दे रहे थे की हो सकता है यह आने वाले कठिन समय का पूर्वाभास था, लेकिन जब एक बरस बीत गया और तो मैंने स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श किया। मेरा और मेरे पति का मेडिकल परीक्षण किया गया। रिपोर्ट/परीक्षणों से, यह पता चला कि मेरे पति के शुक्राणुओं की कम संख्या के कारण, मैं गर्भ धारण नहीं कर पायी थी । चूँकि मैं अपने पति से बहुत प्यार करती थी और उन्हें चोट नहीं पहुँचाना चाहती, पुरुष बांझपन आमतौर पर वीर्य और वीर्य की गुणवत्ता में कमी के कारण होता है। इसका मतलब है कि आपका पति गर्भ धारण करने में सक्षम नहीं है भले ही उसने आपके साथ लगातार संभोग किया हो। लेकिन शुक्राणु उत्पादन, कम शुक्राणु और असामान्य शुक्राणु या रुकावट के कारण गर्भधान नहीं होता है और संतान नहीं होती है ।"
फिर हमने सबसे कुशल डॉक्टरों से परामर्श किया और हमने कुछ दवाएं आजमाईं और जिससे उनके स्पर्म काउंट में सुधार हुआ और फिर आपके भतीजे का जन्म हुआ। लेकिन जब मेरा बेटा मात्र 5 साल का था तो आपके चचेरे भाई राजा की एक दुर्घटना में मौत हो गई। और मैं तब से एक विधवा के रूप में रह रही हूँ युवा राजकुमार को राजा के रूप में ताज पहनाने के बाद मैंने अपना सारा समय अपने राज्य के मामलों के प्रबंधन में लगा दिया। और अब मेरा बेटा फिर से संतान उत्पति में नाकाबिल साबित हुआ है। और मैं एक पोते की अंतहीन प्रतीक्षा कर रही हूं।
तो दोस्तों ये कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले CHAPTER- 5 मधुमास (हनीमून)-भाग 10 में पढ़िए ।
आपका दीपक