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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 8
फल खाये और खिलाये
मैं ज्योत्सना के ओंठ चूमते हुए उसके स्तनों पर आ गया और उसे प्यार से देखने लगा मैं विश्वास नहीं कर सकता था कि उसका शरीर कितना सुन्दर और भगवान् ने पूरी फुर्सत में बनाया था।कोई जन्म के निशान, खिंचाव के निशान नहीं कोई मोल्स या धब्बे नहीं सबसे चिकनी त्वचा । मैंने पहले कभी ऐसी खूबसूरत और चिकनी त्वचा को देखा या स्पर्श नहीं किया था । मैंने उसे अपने साथ चिपका लिया ।
मेरे चूमने और आलिंगन करने से वह मेरी बाहों में पिघलगयी और मेरे चेहरे और मेरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया, जो मुझे बहुत अच्छा लगा । मैं दूर हटा और थोड़ा क्रीम लिया और उसके स्तनों पर डाल दिया । फिर थोड़ी शैम्पेन डाली और फिर थोड़ा शहद डाला और उसके ऊपर कुछ अंगूर स्टॉबेर्री आम और कुछ और कटे हुए फल उसके स्तन और छाती पर डाल दिए । उसने मुझे खींच कर अपने साथ चिपका लिया। वो क्रीम शैम्पेन शहद और स्टॉबेर्री आम और कुछ और कटे हुए फल उसके स्तन और मेरी छाती पर लग गए तो उसने अपनी छाती को मेरी छाती पर रगड़ दिया ।
फिर उसने मेरा बदन चाटते हुए कुछ फल खुद खाये और कुछ मुझे खिलाये । ऐसे ही मैंने उसके बदन और स्तनों को चाटा और फल खाये और खिलाये ।
फिर वो बोली "अब शहद की शीशी में से अपनी दो उंगलियाँ भर लो और मेरी योनी के छेद को शहद से रगड़ दो। इसे बहुत सारे शहद से भर दो और फिर उसे अपनी जीभ से चाट कर साफ़ करो ।" मैंने तब तक उसकी चूत में शहद डाला जब तक कि शहद बह कर बाहर निकल कर उसकी गांड में नहीं चला गया। वो फिर बोली "अब अपनी लम्बी जीभ निकालो और मेरे प्यारे छेद से उस शहद को चाटो।" जैसा कि मैंने अपनी जीभ को उसके छेद में डाला।मुझे वहाँ चिपचिपा शहद बहुत पसंद आया जो की उसकी चुतरस के साथ मिल कर बहुत स्वादिष्ठ हो गया था ।
मैं बोला "मममम. ये बहुत यमी है ।" मैंने अपने ओंठ ज्योत्सना के ओंठो के साथ मिला कर उसे भी चखाया तो बोली " ये सच में बहुत अच्छा है । आप मेरे चुतरस और शहद का स्वाद ले सकते हैं? अपनी जीभ को अंदर तक ले जाए उस जीभ से अच्छी तरह से चिपकाएं और शहद प्राप्त करें।" मैंने एक और खुरापात की और थोड़ा सा जूस और शैम्पेन को भी चुत के अंदर डाला उसे चाटा और मुँह से मुँह लगा कर ज्योत्सना को भी चटाया तो वो बोली ये तो पहले से भी स्वादिष्ट हो गया है । मुझे और चाहिए । मैंने उसे कई बार अपने मुँह से चटाया तो उसने मेरे मुँह को कस कर चूमते हुए हर बार साफ़ कर दिया । मैंने अपनी लंबी जीभ के साथ करीब एक घंटे तक जीभ से उसकी चुदाई की और सारा का सारा चुतरस, शैम्पेन और जूस मिला शहद चाट गया और बीच बीच में मुँह से मुँह लगा कर ज्योत्सना को भी चटाया । वह अपनी योनी में जा रही मेरी जीभ से प्यार करने लग गयी थी । जब भी मैं जीभ अंदर ले जाता था वह कराहती थी और मैं फिर दुबारा उसकी योनी को जीभ से और ज्यादा चाट कर प्यार करता था। । जब मैं अपना मुँह उसके मुँह से लगाता था तो वो मेरी जीभ को बहुत देर तक चूसती रहती थी ।
इस बीच मेरे हाथ ज्योत्सना के बूब्स को मसलने में लगे रहे। फिर मैं उसकी चूचियों को खींचने लगता था तो ज्योत्सना सिहर जाती थी और सिसकने लगती थी ।
मैंने उसकी चूत में थोड़ा सा चमच से शहद डाला फिर थोड़ी सी शराब उड़ेली, थोड़ा जूस और क्रीम डाल कर उसमे संतरे की फांके, स्टॉबेर्री और अंगूर डाल दिए । फिर मैंने अपने लंड पर चमच से थोड़ा शहद डाला और फिर शैम्पेन की बोतल से थोड़ी सी शराब में भिगोया, जूस और क्रीम लगा कर मैंने अपने लंड को उसकी तंग और संकरी फलो से भरी चूत के छेद पर रख कर एक धक्का लगा दिया । लंड के उस जोर दार धक्के के कारण उसकी योनि रखे उन फलों को मसल कर उनका रस को गूदे से निचोड़ कर ज्योत्सना के चुतरस के साथ मिला कर चूत की जड़ में समा गया ।
उसकी चूत अंदर मौजूद फलो के कारण फूल टाइट हो गयी थी । आनंद ही आ गया ।
हाय माँ ।. उई मां मर गई।. उफ़ आह्ह्ह हह ... हाय मार डाला निर्दयी ने उईईई आह्ह आआ ऊओऊऊच ऊउई इम्म्मां ... उम्म्ह्ह्ह! फाड़ दी
मैंने उसे धीरे धीरे चोदा, फिर धीरेधीरे स्पीड बढ़ा कर जोर से चोदने लगा । फिर मेरी कमर चलने लगी । और वह भी लये से लये मिला कर साथ देने लगी । और हम दोनों एक बार और साथ में झड़ गए और मैंने चूत के अंदर पिचकारियां मारी ।
कुछ देर बाद मैंने धीरे से अपना लंड निकाला तो वो फलो के रस, फलो की लुगदी, शहद, शैम्पेन, क्रीम, चुतरस और मेरी चिकनाई से सना हुआ था ।
मैं अपना लंड ज्योत्सना के मुँह के पास ले गया । वो सारा रस बड़े मजे लेकर चाट गयी और मेरा लंड बिलकुल साफ़ कर दिया ।उसने मेरे मुँह के पास अपना मुँह लगा कर कुछ रस मुझे भी चखाया और बोली मुझे सारा रस चाहिए ।आप देंगे न मुझे । तो मैं पलटा और जितना भी रस जो लंड के साथ चूत से बाहर निकल आया था उसे जीभ से चाटते हुए अपने मुँह में इकठ्ठा किया और फिर जीभ और ऊँगली की मदद से उसकी चूत में से निकाला और जितना भी इकठ्ठा कर सकता था उसको अपने मुँह में इकट्ठा होते ही पलट कर उसके मुँह के पास ले गया हैं और उसे गहरा चुंबन करते हुए उसके मुँह पर अपना मुँह लगा दिया । और उधर लंड अंदर दुबारा घुसा दिया ।
फिर पलटा उसे लंड पर लगा हुआ रस चटाया और मुँह में रस इकठ्ठा कर बार बार पलट पलट कर उसे मुँह और लंड से रसचटा दिया ।
थोड़ी देर बाद उसने फिर मेरे कड़क लंड को गर्म दालचीनी के तेल से रगड़ा। तेल ने मेरे लंड को और गर्म कर दिया अच्छा लगा लेकिन थोड़ा मीठा मीठा दर्द भी हुआ। उसने फिर मेरी गेंदों को तेल से रगड़ा और फिर मेरे लंड को दालचीनी के तेल की एक और बड़ी खुराक दी। "अब इस बड़े लंड को मेरी चूत में डाल दो और जैसे ही तुम मुझे चोदोगे, घर्षण से तेल गरम होगा और दोनों अपने आप से बाहर होंगे क्योंकि यह सेक्स को तीव्र कर देगा ।
"अब मुझे चोदो: मैंने उसकी योनि पर लंड लगा कर एक कस के धक्का लगाया और उसकी योनी में प्रवेश किया "अब मुझे जोर से चोदो। बड़े लंड को मेरी चूत में जोर से बार बार धकेलो।" और घर्षण के कारण दालचीनी के तेल के प्रभाव से योनि भी गर्म हो गयी जिससे हम दोनों को बहुत कामुक महसूस हुआ। मैंने पहले कभी अपने लंड पर इतना कामुक कुछ महसूस नहीं किया था। मेरे धक्को की गति से उत्तेजित हो हम दोनों जल्द ही चिल्ला रहे थे और चरमोत्कर्ष पर पहुँच रहे थे । और लगभग एक साथ ही झड़ गए।
उसने फिर मेरा लंड बाहर निकाला और 69 की पोज़िशन में हो गई ताकि वे एक दूसरे से दालचीनी युक्त चुतरस और मेरी चिकनाई युक्त रस को चाट सकें। मेरे लंड में आग लगी हुई थी और मैं बस उसे नॉन स्टॉप चोदना चाहता था। मैंने अपना लंड उसके गले तक घुसा दिया और मैंने उसके मुँह की चुदाई की। उसकी योनी भी जल रही थी और मैंने अपनी जीभ को उसमे से तेल को चाटते हुए बहुत प्यार किया। वो रात भर मेरे मोटे लंड से चुदने के लिए तैयार थी। उसने कभी इतना कामुक महसूस नहीं किया था और उसके चूसने से मुझे पता था कि वो भी उसी तरह महसूस कर रही थी ।
मैं उसे कस कर पकड़े हुए था, मेरे हाथ उसके नितम्बो को निचोड़ रहे थे, मेरी कमर उसके पेट के खिलाफ रगड़ रही थी, और मेरा मुंह उसके मुँह से चिपका हुआ, दोनों की जीभ एक साथ घुम और घुमा रही थी। हमने बहुत देर तक ऐसे ही आलिंगन किया, बस एक दूसरे के पास पकड़े और गर्मागर्म चुंबन करते हुए ।
हम फिर से एक दूसरे को पकड़ते हैं, त्वचा के खिलाफ त्वचा की उत्तेजना का आनंद लेते हैं। मेरा लंड हमारे शरीरो के बीच फंस गया है, और उसे ज्योत्सना के बदन के ऊपर धड़कते हुए महसूस कर रहा था । मैंने ज्योत्सना की अपनी तरफ धीरे से खींचा और उसके नरम स्तनों को मेरी छाती के दबा दिया उसके निप्पल कठोर हो कर खड़े हुए मेरी छाती में चुभ रहे थे । और हम दोनों एक दुसरे को बेकरारी से चूमने लगे । जिससे मेरा लंड बहुत जल्द ही दुबारा कड़क हो योनि में प्रवेश के लिए योनि पर दस्तक देने लगा । इस तरह उसने पूरी रात मेरे लंड को कड़ा रखा और मुझे हमेशा नए नए कौतुभो से आश्चर्यचकित करती रही। यही कारण है कि मुझे इस सेक्सी ज्योत्सना को चोदना बहुत पसंद है ।
तो दोस्तों ये कहानी जारी रहेगी। आगे मैंने ज्योत्सना के साथ हनीमून कैसे मनाया और हमने क्या क्या किया आगे क्या हुआ? ये अगले CHAPTER- 5 मधुमास (हनीमून)-भाग 9 में पढ़िए ।
आप आपने कमैंट्स और अनुभव भेजते रहिये इससे और बेहतर कहानी लिखने को प्रोत्साहन मिलता है ।
आपका दीपक