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Click hereमहारानी देवरानी
अपडेट 72
रूठना मनाना प्यार मोहब्बत
सुल्तान के महल पहुँच कर सब आराम करने चले जाते हैं या रात हो जाती है सब धीरे-धीरे खाने की तैयारी शुरू कर देते हैं।
सब एक साथ बैठ कर भोजन कर रहे थे।
हुरिया, देवरानी तुम्हारा देवगढ़ का सफर कैसा रहा?
देवरानी, दीदी बस ऐसी ख़ुशी मुझे कभी नहीं मिली जितनी मुझे देवगढ़ और यहाँ रह कर मिल रही है।
सुल्तान, देवराज जी आपने सैनिकों को खबरदार किया के नहीं, हमे दुश्मनों से हमले की उम्मीद है।
देवराज: जी सुल्तान मैंने सभी को और मंत्री जी सचेत कर दिया है कि आक्रमण हो सकता है और साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया है कि देवगढ़ पर फिर हमला करने की अब मंगोलों की हिम्मत नहीं हैं ।
सुलतान: चलो अच्छी बात है।
सब खाना खा कर उठने लगते हैं फिर सोने के लिए अपने कक्ष में जाने लगते हैं।
अब सुल्तान और हुरिया बैठे बात कर रहे थे । उनको बलदेव भी बता रहा था कि उसको पारस घूम कर कितना मजा आया ।
देवरानी: बलदेव अगर तुम्हें नींद नहीं आती तो तुम पारस की बात करते रहो, मैं चली सोने।
ये देख सुन कर हुरिया हस देती है जो बलदेव की समझ नहीं आता।
सुल्तान: सोने का वक्त तो अब मेरा भी हो गया है...भाई बलदेव जाओ माँ का कहना मानो।
हुरिया इस बार ठहाका लगा कर जोर से हसती है फिर उसका चेहरा लाल पड़ जाता है तो सुल्तान उसे निहारने लगता है।
बलदेव उठ कर देवरानी के पीछे जाने लगता है।
हुरिया: सुल्तान आप भी जाएँ आराम कीजिये। मुझे भी नींद आ रही है ।
सुलतान: मल्लिका ए जहाँ आप जाएँ अपने होज़रे में हमारा इंतज़ार करें ।आज हम आ रहे हैं।
ये सुन कर देवरानी पलट कर हुरिया को कंखिया से देख आख मार कर मुस्कुरा कर चली जाती है।
जिसे देख हुरिया शर्म से सर नीचा कर लेती है ।
हुरिया: जी सुल्तान जैसी आपकी मर्जी!
हुरिया देवरान एवं बलदेव के पीछे चल रही थी, क्यू के उसका कक्ष भी देवरानी के कक्ष की बगल में था।
हुरिया को अपने पीछे आता देख देवरानी अपनी कक्ष के दरवाजे पर रुक जाती है, जिसे देख बलदेव कहता है ।
बलदेव: अब क्यू रुक गई माँ नींद नहीं आ रही क्या अब?
तब तक हुरिया देवरानी के पास मुस्कुरा कर आती है।
देवरानी: बेटा तुम जाओ मैं आती हूँ।
हुरिया: क्यू बहन आज बहुत जल्दी सोने चली तो तुम?
बलदेव: चलो ना माँ, अब क्या बाते बनाने लगी!
देवरानी: बोला ना जाओ बलदेव तुम जाओ! अपने वस्त्र बदलो, मैं आती हूँ, तुम हम औरतों की बात सुन क्या करोगे, मैं मलिका से कुछ बात कर के आती हूँ।
बलदेव ये सुन कर अंदर चला जाता है।
हुरिया: अरी रे वह चला गया! कैसी बात करती हो, वह नाराज़ हो गया लगता है।
देवरानी: और कैसी बात करूँ, उससे, आप भी ना दीदी!
हुरिया: प्यार से करो!
और फिर हुरिया मुस्कुराती है
देवरानी: वो तो ऐसे रोब दिखाता है जितना कभी मेरी पति भी ना दिखाए।
हुरिया: कमिनी तुम्हें प्यार तो पति का ही दे रहा है।
देवरानी: अभी बना नहीं है ना, और जो आप सोच रही हो, अभी तकवैसा कुछ नहीं हुआ है ।
हुरिया: अब तो तुम सोचो जो करना है करो, गुनहगार भी तुमको होना है।
देवरानी: अरे आप छोडो ये पाप पुण्य की बाते, जो होता है वह होने दो पर मेरी शादी कराओ तभी बात आगे बढ़ेगी।
हुरिया: (मन में-ए खुदा बचा ले इस मुसीबत से) छोडो ये सब! वापस कब जाना है?
देवरानी: आप चिंता न करें! हो सका तो हम कल ही निकल जाएंगे! क्यूकी बलदेव के पिता ने दो दिन में लौट आने के लिए कहा था। उन्हें अंदेशा है कि कही शमशेरा या दिल्ली का शहंशाह हमला ना कर दे, अपनी सेना ला कर घाटराष्ट्र या कुबेरी पर।
हुरिया: मैं तो इन जंगो से आज आ चुकी हूँ, बहन। सुल्तान की भी अपनी पूरी उमर जंग में बीत गयी है ।
देवरानी: पर आज आपकी बारी है, लगता है आज सुल्तान का आखिर अपने डेढ़ सौ हरम की स्त्रीयो को छोड़ आप पर दिल आ गया।
हुरिया: चुप कर बदमाश! जा! अब कल बात करेंगे...भाई साहब तेरा इंतजार कर रहे होंगे।
देवरानी: कौन भाई साहब...? उफ्फ्फ!
फिर बात को समझ आने पर बोली ।
"दीदी तुम ना कम नहीं हो!"
हुरिया: अब तुम निकाह करने का सोच रही हो बलदेव से, तो वह मेरी बहनोई या जीजा ही तो होंगे ना, मेरी बहन!
देवरानी: सुश शह्ह्शह्ह! दीदी दिवारो का भी कान है! अब मैं जाती हूँ उनको ज्यादा प्रतीक्षा कराना ठीक नहीं।
मुस्कुराते हुए हल्की मयूसी से कहती है।
हुरिया: ओह उनको वाह जी वाह! हाँ-हाँ हाँ 1
इस बात पर देवरानी ठहाका लगा कर अपनी कक्षा में घुसती है ओर हुरिया भी अपनी कक्षा में घुस कर अपने पलंग पर लेट जाती है।
हुरिया भी अपनी कक्ष में जा कर अपने शौहर सुल्तान मीर वाहिद का इंतज़ार करने लगती हैं।
इधर देवरानी दरवाजा बंद करके अंदर आती है।
"क्यू हो गयी बात पूरी देवरानी! आज बहुत जल्दी आ गयी!"
"तुम ना बच्चो की तरह मत किया करो!"
"मैं बच्चो की तरह बर्ताव कर रहा हूँ या तुम?"
"तुम थोड़ी देर रुक नहीं सकते, मेरे लिए! बात-बात पर तुम, अभी से इतना गुस्सा करते हो विवाह के बाद क्या करोगे?"
देवरानी हल्का गुस्सा हो कर कहती है।
"तुम्हें ऐसा लगता है कि मैं हमारे विवाह के बाद तुम्हें खुश नहीं रखूंगा तो ठीक है।"
ये कह कर बलदेव पलंग के कोने में अपना सर तकिये में घुसा कर उल्टा लेट जाता है।
देवरानी फुसफुसाती है।
"अब बत्ती भी मैं बुझाउ ये तो-तो गया घोड़े की तरह!"
देवरानी कक्ष में जल रही सब बत्ती बुझाती है पर कुछ मोमबत्तियों को जलता छोड़ देती है।
और जा कर पलंग के एक कोने में लेट जाती है।
देवरानी लेटी हुई इंतजार कर रही थी कि अब बलदेव उसके साथ बोलेगा। देवरानी की नींद भाग गई थी ।
देवरानी: (मन मैं) शायद बलदेव सही में गुस्सा हो गया है पर इसको तो मेरी भी बात समझनी चाहिए ना।
थोड़ी देर बाद देवरानी अपनी जगह से उठती है और बलदेव के पीठ से लग के चिपक जाती है ।
देवरानी: मेरा राजा गुस्सा हो गया?
देवरानी बलदेव से पीछे से चिपक कर अपना हाथ उसके कंधों पर रखती है।
बलदेव: मुझे नींद आ रही है, सोने दो!
देवरानी: राजा को नींद बिना रानी को बाहो में लिए हुए आ जाए ऐसा भी पहले कभी नहीं हुआ है?
बलदेव देवरानी का हाथ अपने कंधों से हटा कर झटका देता है।
माँ मुझे नींद आ रही है तंग मत करो!"
"मुझे पता है मेरे राजा को मेरी बात बुरी लगी है ।"
"बुरी नहीं तो क्या अच्छी लगेगी! तुम्हें इतना प्यार करता हूं फिर भी तुम ऐसा कैसे सोच सकती हो?"
"अरी मेरी जान! मुझे क्षमा कर दो गलती से मुँह से निकल गया था ।"
"नहीं देवरानी! मैं तो तुम्हें आज इतना तंग कर रहा हूं, तुम्हे लगता है मैं तुम्हें दुख देता हूं, तो विवाह के बाद और भी दुख दूंगा। जाओ सो जाओ! "
"नहीं मेरे राजा अगर मैं ऐसा सोचती तो तुम्हारे साथ इतने सपने नहीं देखती। तुम अपनी रानी को कभी भी दुःख नहीं दे सकते। बस कभी कभी ज़िद्दी हो जाते हो।"
"हां तो ढूंढ लो कोई और!"
देवरानी ये सुन कर उदास होते हुए बलदेव से दूर जाते हुए कहती है
"अगर दूसरा ही ढूँढना होता तो तुमसे क्यू प्रेम करती?"
बलदेव देवरानी को पलट कर देखता है तो उसकी आँखों को आसुओं से भरी हुई पाता है। बलदेव झट से देवरानी को अपने गले से लगा लेता है।
देवरानी ज़ोर से बलदेव को भींच लेती है।
देवरानी अपने हाथ से बलदेव के पीठ पर मुकके से मारने लगती है।
"जान से मार दूंगी अगर तुमने कभी मुझे किसी और के पास जाने को कहा।"
"मां तुम्हारे बाहो में आए बिना नींद नहीं आती है ।तुमने उसने दीवाना बनाया है इसलिए मैंने जिद की थी ।"
"बेटा मुझे भी कौन सा नींद आयेगी । उससे पहले जब तक मैं तुम्हारी बहो में झूल ना लू। "
"मेरी रानी मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ।"
"आह मेरे राजा! "
बलदेव देवरानी के होठों को ले कर चूमने लगता है,
"गलप्पप गलप्पप स्लरप्प आह उम गलप्प गलप्प उम्म्म आह गलप्पप गलप्प गलप्प! चुम्म्म पुच्च्च्च!
गैलप्प गैलप्प आह गैलप स्लरप्प गैलप्प! "
बलदेव देवरानी को लिटा कर उसके मम्मे दबाते हुए उसे चूमना जारी रखता है ।
"आह माँ मुझे खुद से दूर मत रखो! "
"उम्म्म्म आआह बेटा मुझ से नाराज़ भी मत होना, तुम जब तक मसलो नहीं, नींद नहीं आती है,"
बलदेव देवरानी को खडी कर पलंग के पास उसकी गांड को मसलने लगता है।
"आआह माँ क्या गांड है!"
"उम्म्म्म आह आआह मेरे रज्जा! "
"आह माँ उह! "
"उफ्फ्फ राजा!"
बलदेव धीरे-धीरे देवरानी को नंगी करने लगता है।
नीचे बैठ बलदेव देवरानी की साड़ी को अपने दांतो से उसके नाभि के नीचे से खीचता है, फिर साड़ी को खीचता हुया खोल देता है।
बलदेव खड़ा हो कर देवरानी के पीछे खड़े हो कर देवरानी का ब्लाउज भी उतार देता है।
बलदेव: वाह! तुम सुन्दरता की मूरत हो महारानी देवरानी!
इस बात से देवरानी फूली नहीं समाती।
और बलदेव का हाथ अपने कमर पर रखती हैं।
देवरानी:ये सुंदरता की मूरत तुम्हारे सामने केवल जंघिया तथा ब्रेसियर में खड़ी है। लो प्यार करो!
बलदेव:आआह मेरी रानी!
बलदेव अपना लौड़ा देवरानी की गांड पर दबाते हुए, अपना हाथ ब्रासियर के पीछे ले जा कर ब्रा को खोलता है।
"मां, मल्लिका से आपको बड़े रंग बिरंगे वस्त्र उपहार के रूप में मिले है "
पीछे से बलदेव खोलता है और देवरानी इतराते हुए अपने दूध को आगे से आज़ाद करती है।
"ले पी ले तुझे बड़ा शौक है ना।"
"आह माँ कितने बड़े तरबूज़ हैं आपके।"
"खा जा आह इन्हें लाल।"
"मां इंचे कच्चा चबा जाऊंगा।"
" आआह नहीं! "
"चलो माँ बिस्तर पर तुम्हारी बजाता हूँ।"
"रुक जा!"
देवरानी अपने दोनों वक्षो हवा में लहराते हुए कुछ जल रही मोमबत्ती को बुझा देती है।
"माँ ये क्या?"
"मुझे शर्म आती है।"
"तुम्हारे दोनो गेंद बहुत हिल रहे है संभालो गिर ना जाए।"
"कमीना! "
"आह आजा मेरी रानी!"
बलदेव देवरानी को अपने ऊपर लिए पलंग पर लेट जाता है।
देवरानी की गांड को हाथ में थामे हुए बलदेव ज़ोर से भीखते हुए उसे अपने ऊपर ले लेता है।
"आराम से ना राजा!"
"नहीं माँ मेरी रानी, तुम्हारे अंदर इतनई कामुकता और कामोतेजना है कि ये बेटा आराम से कुछ नहीं कर सकता।"
"तू भी तो काम देव से काम नहीं मेरे राजा।"
देवरानी बलदेव के होठों को चूसने लगती है और उसकी गर्दन को सहलाने लगती है देवरानी की गांड को बलदेव जोर से भींच रहा था ।
"आआआह राआआज नहीं! "
बलदेव अपना लौड़ा अपने धोती के अंदर से ही महारानी की चूत पर धक्के मार रहा था।"
"ये ले मेरी रानी।"
"ना आआआह हाआ। ऐसे ही राजा! उह आम! "
"आआह माँ रानी मेरी महारानी! "
"आआहा राजा ।आआआआआआआआआआआआआ आआआआआआआआआआआआ अह्ह्ह्ह आआआआआआआआआआआआआआआआआआआ!
देवरानी अपने आखे बंद के पीछे हो कर सीधा लेट जाती है ।और उसकी चूत से पानी की बौछार होने लगती है।
बलदेव नीचे झुक कर देवरानी के उखड़ी सांसो को संभालते हुए उसके जांघो को सहलाने लगता है
"आराम से मेरी रानी! "
देवरानी की चूत में जैसे चीटिया रेंगने लगती है जब बलदेव देवरानी के पानी छोड़ रही चूत पर झुक कर चुम लेता है।
"आआआह राजा! "
देवरानी तुरंत अपने आखे खोल देखती है और बलदेव को अपनी चूत पर झुका हुआ पाती है।
देवरानी: ( मन में ) ये बलदेव मुझे इतना झाड़ देता है जबकि कमला तो घंटो मेहनत करती थी तो भी मैं झड़ती नहीं थी ।जादू कर देता है बलदेव मुझ पर ।
फिर देवरानी अपनी सोच पर मुस्कुराती है।
"माँ क्या सोच रही हो आपका तो हो गया? "
फिर बलदेव झट से देवरानी का हाथ अपने लौड़े पर रखता है।
देवरानी के हाथ कांपने लगते हैं,, और वो अपना हाथ पीछे लेती हैं।
बलदेव देवरानी को देख कहता है।
"तू ऐसी नहीं मानेगी देवरानी! "
बलदेव खड़ा हो कर देवरानी की गांड पर अपना लंड टिकाए धक्का देता है देवरानी उसके आगे खड़ी आखे बंद कर कराहने लगती है ।
"आआह" राजा! "
बलदेव झट से अपना एक हाथ देवरानी की जंघिया के ऊपर से ही अंदर महारानी देवरानी की चूत में घुमा कर फिरा देता है फिर एक उंगली उसकी चूत में घुसा देता है।
देवरानी को जैसे करंट लगता है ।
"आआआआआआआआआआआआआआआआआह राजा!"
"क्या हुआ माँ?"
"मरररर गई!"
बलदेव अपने हाथ पर कुछ गीला मेहसूस करता है।
"आज बेटा निकालो! बरसो बाद इसमें कुछ गया है! आआह मैं मर जाऊँगी!"
"आह माँ तुम्हारी चूत के बाल कितने मुलायम हैं,और चूत तो अन्दर पूरी गीली है! आआह! "
"आह! मैं कैसे इसे समझाऊँ! ओह्ह्ह! इस जालिम को! मैं मर रही हूं दर्द से, बेटा तू कुछ और कर! "
"तो मेरा मुँह में ले लो! "
" छहि मैं नहीं जानती वो सब! "
"क्यों आपने कामसूत्र पुस्तक नहीं पढी?"
"ऐसा नहीं है वो सब तो कहानी थी ।"
बलदेव अब अपनी छोटी उंगली चूत से निकलता है।
"फच " आवाज करती हुयी उंगली निकलती है ऐसे जैसे किसी बोतल की धक्कन खुला हो! इस बार बलदेव अपनी बीच की उंगली देवरानी की चूत में पेल देता है।
"आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ हे भगवानआआआआआं मैं मररर गयई!"
देवरानी की आंखो से आसु छलक जाते हैं।
देवरानी अपना हाथ बलदेव के हाथ पर मारती है, जिससे बलदेव समझ जाता है कि देवरानी अबऔर नहीं सह सकती है।देवरानी की आंखों में आसु देख फिर वो अपनी उंगली "फच की आवाज से चूत से बाहर निकलता है।
बलदेव जैसे ही हाथ उसके जंघिये से बाहर निकलता है देवरानी राहत की साँस लेती है।
बलदेव अपनी उंगली पर देखता है वो खून से लाल था।
"ये क्या माँ? मुझे लगा पानी है।"
"तुम्हें बस वैसे ही लगता है । इतने बरसों बाद कुछ गया है, योनि पूरी चिपक गई थी, रक्त तो निकलना ही था।"
"क्षमा कर दो माँ मैंने आपको दुख दे दिया!"
"कोई बात नहीं बेटा,तू मेरा राजा है,आज नहीं तो कल ।!।"
ये बोलते हुए शर्मा जाती है ।
"मा लज्जाना बंद करो, अब मेरा निकाल दो।"
बलदेव देवरानी को अपनी ओर खींच लिया बाहो में भर के उसके जंघिया में हाथ डाल अंदर तक उसके मासल चूतड को मसलने लगता है।
"माँ मेरा लौड़ा पकड़ो ना।"
देवरानी ना चाहते हुए बलदेव का लौड़ा अपने हाथ में ले लेती है ।
"आह राजा कितना बड़ा लिंग है।"
"लिंग नहीं मेरी जान ये आपके बुर के अंदर जाने वाला लौड़ा है। "
"धत्त्त! बेशर्म! "
"अहह! मेरी रानी! "
"आह राजा!"
देवरानी उत्तेज़ना से बलदेव का लौड़ा खूब मसलती है और लौड़े की हिलाती है।
फिर देवरानी अपने वक्ष को बलदेव के सीने पे खूब रगड़ती है पर बलदेव था की अपना पानी निकालने के लिए राजी नहीं था।
"बेटा मेरे हाथ दुख गए हिलाते हुए! "
"माँ इसलिए कहा था मुँह में ले लो निकल जाएगा! "
देवरानी जोश में आकर नीचे बैठती है फिर बलदेव के लौड़े को लंगोट के ऊपर से ही अपनी जिभ से बलदेव के लौड़े के टोपे को चाटती है।
"ये ले तेरे माँ की जिभ तेरे लिंग तेरे लौड़े पे । "
ये सुन कर बलदेव उत्तेजना से कराहने लगता है ।
"आआआआआआआआआआआआआआआआ! अह्ह्ह्ह! हाईये!
आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ करने का समय आ गया!! हाईये!"
देवरानी एक बार अपनी जिभ लगा कर उठती है तो बलदेव उसको अपने ऊपर ले लेता है फिर उसकी चूत पर अपना लैंड रगड़ते हुए, देवरानी की जंघिये में हाथ डाल कर गांड को जोर से मसलने लगता है, थोड़ी देर ऐसे मसलने से बलदेव अपनी आंखें बंद कर लेंता है ।
"आआआह माआआ मैं गया हम्म आआआह! "
देवरानी कभी बलदेव के माथे को चूमती है, कभी उसके होठों को, कभी अपने बड़े पहाड़ जैसे वक्ष उसके सीने में दबाती है, फिर थोड़ी देर में बलदेव शांत होता है और हाँफते देवरानी को ढीला छोड़ता है।
"मज़ा आ गया! माँ! "
देवरानी बलदेव के ऊपर हट कर बगल में लेटते हुए उसे चूमती है।
"यात्रा से थकी हुई थी तुम भी थके हुए थे और साथ में खून भी निकल आया था!"
दोनों एक दूसरे को देखते हैं फिर दोनों की हंसी छूट जाती है।
जारी रहेगी ।