महारानी देवरानी 082

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घटराष्ट्र पर संकट
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Part 82 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 82

घटराष्ट्र पर संकट

घटराष्ट्र

अंधेरा धीरे-धीरे छट रहा था और पहली बार घटराष्ट्र पर किसी का आकर्मण होने वाला था। जिस धरती पर आज तक कोई नहीं पहुँच पाया और जो राष्ट्र शांति का प्रतीक था वह आज संकट में था।

बादशाह शाहजेब ने अपने सैनिकों के साथ पहाड़ पर चढ़ाई की और आधी रात को वह पहाड़ के चोटी पर चढ़ गया था । शाहजेब ने बड़ी चतुराई से अपने 25000 सैनिकों में से 15000 सैनिकों को अपने मंत्री के साथ कुबेरी रवाना कर दिया था ।

अभी पूरी तरह से अँधेरा छटा नहीं था और शाहजेब के सब सैनिक चुपचाप घटराष्ट्र की सीमा में प्रवेश कर चुके थे।

शाहजेब: सब यहाँ ठहर जाओ। हम अब घटराष्ट्र देश की सीमा में ।हैं यहाँ से हमें समझ बुझ से आगे बढ़ना है, आज शाम तक हम इस राजपाल को सबक सिखा कर साथ में हमारे लस्कर जो कुबेरी पर हमला करने गयी है उसने भी कुबेरी पर फतेह कर ली होगी। फिर हम वहा जा कर कुबेरी को लूटेंगे!...सब तैयार?

सैनिक: हम तैयार हैं जहांपनाह!

तभी सबका ध्यान एक पेड़ की ओर जाता है जिसकी डाली हिल रही थी जैसे ही शाहजेब उधर देखता है उसमें से एक सैनिक कूद कर भाग कर घोड़े पर बैठ जाता है।

शाहजेब: तीरो से छलनी कर दो उसे । वह घटराष्ट्र का जासूस है।

तीरन्दाज़ अपने तीर की बौछार करते हैं, उस घुड़सावर को काई तीर उसके पीठ पर लगते हैं पर वह रुकता नहीं और महल की तरफ जाता रहता है।

शाहजेब: चलो ये जा कर खबर राजा राजपाल को पंहुचा देगा, के हम आएँ है। हाहाहाहा!

ये सब पहाड़ की चोटी पर पहुँच चुके शमशेरा और सुल्तान के साथ देवराज भी सुन रहे थे । बादशाह शाहजेब इस बात से अंजान था कि ठीक उसके पीछे सुल्तान मीर वाहिद पारस की सेना को साथ लिए खड़े हैं।

शमशेरा आहिस्ता से कहता है ।

शमशेरा: इश्ह्ह कोई आवाज़ नहीं करेगा, सब अपने घोड़ों को पीछे ले चलो बिना आवाज़ किये । हमारे दुश्मन हमारे नीचे है।

शाहजेब नीचे खड़ा अपने सैनिकों को बताता है कि घटराष्ट्र और कुबेरी को जीतना उसके लिए कितना अहम है । थोड़ी देर में सब घटराष्ट्र पर हमला करने के लिए तैयार हो जाते हैं ।

शाहजेब: फतेह हमारी है।

सब सैनिक: फतेह हमारी है।

शाहजेब अपने 10, 000 सैनिकों को ले कर घटराष्ट्र के महल की ओर अपने सैनिकों के साथ जाने लगता है।

इधर अपनी सेना को रोके सुल्तान मीर वाहिद खड़े थे

सुल्तान: हमसे एक भूल हो गई देवराज!

देवराज: क्या भूल सुल्तान! हम तो समय पर पहुँच गए हैं और हम जब चाहें आक्रमण कर सकते हैं।

सुल्तान, देवराज जी शायद आपने शाहजेब की फौज को नहीं देखा हमे खबर मिली थी कि वह 25000 की फौज ले कर आ रहे हैं पर ये तो उसका आधा भी नहीं था।

देवराज: आपने सही कहा सुल्तान इस बात पर मेरा ध्यान नहीं गया।

सुल्तान, देवराज जी ये बात साफ है बादशाह शाहजेब ने अपनी आधी से ज्यादा फौज को कुबेरी लूटने के लिए कुबेरी भेज दीया है।

देवराज: क्या?

सुलतान: हा! देवराज!

शमशेरा: पर अब्बा हुजूर ऐसे में तो हम कुबेरी का खजाना खो देंगे, यहाँ का काम कर के जब तक हम कुबेरी पहुँचेगे वह जब तक कुबेरी को लूट के दिल्ली खजाना ले गए होंगे।

सुल्तान: हाँ, बेटा!

देवराज: घबराए नहीं सुल्तान, अब हमें दो फौज से नहीं चार फौजो से एक साथ समय लड़ना होगा।

सुल्तान: पर कैसे देवराज जी?

देवराज: सैनिको अब धीरे-धीरे नीचे उतरो...सुल्तान जी हम भी अपने आधे सैनिक कुबेरी भेज देंगे। जिस से बादशाह के लश्कर कुबेरी राज्य को लूट के भाग ना सके.

सुल्तान: पर वह तो निकल गए हैं, अब तक शाहजेब की फौज पीटीआई नहीं कहाँ तक पहुँच गयी होगी।

देवराज: सुल्तान हमारे पास उनकी फौज का मुकाबला दो गुना ज्यादा फ़ौज है तो भी अगर वह हम से पहले कुबेरी को लूट भी ले फिर तो भी हम उन्हें कुबरी से बाहर जाने नहीं देंगे।

सुल्तान: पर बलदेव और देवरानी का भी कुछ अता पता नहीं है, की वह कहाँ है? हूरिया ने कहा था कि शमशेरा ने उसक घुड़सवारों को उनका पीछे करते हुए देखा था ।

शमशेरा: मैंने देखा तो कुछ लोगों को एक घोड़े का पीछा करते हुए पर में ये नहीं देख पाया की वह कौन था, मुझे पक्का नहीं पता है कि वह बलदेव ही था?

सुल्तान: हाँ बलदेव और बहन देवरानी पारस आये थे ।

शमशेरा: क्या? पर वह चले क्यू गए जब आये थे तो रुके क्यों नहीं?

देवराज: इसे छोडो युवराज। अभी हमें क्या करना है ये सोचते हैं।

देवराज अपनी बहन और भांजे का जिक्र सुन झन्ना जाता है।

देवराज: हममें से किसी को सेना के साथ कुबरी जाना होगा।

शमशेरा: मैं तो ये कहूंगा अब्बा हुजूर के आप राजा देवराज के साथ कुबेरी चले जाएँ क्यू के कुबेरी लूटना हमारे लिए ज्यादा जरूरी है।

सुल्तान: पर शहजादे आप अकेले कैसे सामना करेंगे शाहजेब का वह जंग जीतने ने के लिए भी हद तक जा सकता है।

शमशेरा: आप भरोसा रखिये फतेह हमारी ही होगी।

देवराज: ठीक कह रहे हो युवराज सुल्तान को हम अकेले ना तो घटराष्ट्र में रख सकते हैं ना अकेले वहा

ही भेज सकते हैं।

सुलतान: हाँ देवराज आज कल हमारी तबीयत खराब रहती है और उसके अलावा कभी-कभी भूलने भी लगा हूँ पर आज भी हमारी तलवार में धार वही है।

देवराज: जी सुलतान आप अब भी 100 के बराबर है। सुल्तान पर हम कोई खतरा नहीं ले सकते, आप हमारे साथ कुबेरी चलिए.

शमशेरा: आप लोग जाएँ और ये जंग मुझ पर छोड़ दीजिए हम दिल्ली के इस शाहजेब को संभाल लेंगे।

देवराज: सैनिको क्यू के बादशाह शाहजेब ने अपने आधे से ज्यादा लश्कर को कुबेरी भेज दिया है, इसलिए हम अपने आधे सैनिको को यहीं रखेंगे या आधे मेरे और सुल्तान के साथ कुबेरी जाएंगे।

कुछ देर में ही सैनिक बंट जाते हैं और सब अब तक पहाड़ से नीचे आ चुके थे।

देवराज: यहाँ की कमान शहजादे शमशेरा संभालेंगे, साथियो घबराना नहीं शाहजेब इस बार बच के नहीं जाना चाहिए.

शमशेरा: देवराज जी आपका दुश्मन हमारा दुश्मन है। आप फिक्र ना करें बादशाह शाहजेब इस बार मेरे हाथो से बचेगा नहीं।

देवराज: ठीक है युवराज आप के भरोसे मैं अपना शत्रु छोड़ रहा हूँ।

सुल्तान और देवराज 25000 फौज ले कर कुबेरी की ओर चल देते हैं और शमशेरा अपने 25000 फौज के साथ वही रुक जाता है ।

शमशेरा: साथियो अभी हम हमला नहीं करेंगे।

सैनिक 1: क्यों शहजादे हमें इनके पीछे से जा कर इन्हे सबक सिखाना चाहिए ।

शमशेरा: अब ये जा रहे हैं और घटराष्ट्र के सैनिकों से लड़ेंगे और जैसे ही ये शाहजेब घटराष्ट्र में अपना झंडा लहराएंगे हम आक्रमण कर देंगे। सार्थियो सब लोग थोड़ा आराम कर लो!

सैनिक2: पर शहजादे सुल्तान ने तो कुछ और ही कहा था।

शमशेरा: उफ़! अब आराम करने का कह रहा है बादशाह का शहज़ादा तो ये भी मंजूर नहीं...सब अपने घोड़ों से उतर कर बैठ जाओ या खाओ पियो आराम करो।

सब सैनिक हसने लगते हैं और अपने घोड़े से उतर कर बैठ जाते हैं। कोई-कोई सैनिक लेट जाता है।

शमशेरा भी पास के एक पत्थर पर जा कर बैठ जाता है और सोचने लगता है।

शमशेरा: (मन में) अगर अम्मी की बात ठीक थी तो ये लोग कौन थे जो इनको पकड़ना चाहते थे और देवराज क्यू अपनी बहन के ससुराल पर हमला करने के लिए हमारे साथ नहीं आया और ना ही उसने कहा के उनके परिवार को नुक्सान ना किआ जाए और मेरे बलदेव कहने पर वह बात पलट को रहे थे...इसका मतलब है या तो वह लोग राज्य में नहीं हैं, या देवराज जी उनके खिलाफ हो गए हैं ।

ये सब सोचते हुए शमशेरा झट से उठता है।

शमशेरा: (मन में) चलो एक बार फिर से घटराष्ट्र की जासूसी की जाए ।

शमशेरा: ऐ इधर आओ

शमशेरा अपना मुकुट उतारता है

"सुनो मुझे पगड़ी बाँधने में मदद करो।"

सैनिक: पर क्यू शहजादे आप जंग में है पगड़ी से हिफाजत नहीं हो पाएगी ।

शमशेरा: बड़े भोले हो और मुझे समझा हो...मैंने मुकुट इसलिए उतारा है ताकि मुझे कोई पहचान न पाए मैं घटराष्ट्र हो कर और ज्याजा ले कर आता हूँ।

सैनिक: पर आपका अकेला जाना खतरे से खाली नहीं होगा । शहजादे ये जसुसी का वक्त नहीं है आप मैदान ए जंग में हैं।

शमशेरा: शमशेरा को तलवार कोई छू ले ऐसा हो नहीं सकता।

शमशेरा अपना घोड़े पर बैठता है ।

शमशेरा: मेरे आने तक कोई हिलना नहीं, भले से पीछे हो जाना पर आगे नहीं आना ।

सैनिक मुँह देखते रहते हैं और शमशेरा घोड़ा दौड़ा के हवा से बाते करने लग जाता है।

सूर्य की पहली किरण खिल रही थी और रात भर के गमे महौल के बाद सुबह शांत थी, घटराष्ट्र में पूरी रात कोई भी सो नहीं सका था ।

सुबह राजा राजपाल महल से बाहर आता है तो देखता है सैनिक फांसी की तयारी कर रहे थे, । कुछ देर में पूरा घाटराष्ट्र धीरे-धीरे फांसी देने वाले स्थान पर इकट्ठा हो जाता है।

सेनापति: सैनिको जाओ बलदेव को ले आओ.

सैनिक जा कर बलदेव को ले आते हैं और फासी के तख्त पर खड़ा कर के बाँध देते हैं।

महल से जीविका और सृष्टि आ जाती है । साथ ही साथ रात भर कमला जो वैध जी के यहाँ जाग रही थी वह भी रोते हुए आती है

पूरे समाज के सामने बलदेव को फांसी देने की तयारी चालू थी और सब के आंखो में आसु थे । जो घटराष्ट्र का भविष्य था, आज वह हमेशा के लिए खत्म होने वाला था।

अंदर देवरानी जो रस्सी से बंधी थी, उसने अपना हाल रो-रो कर खराब कर लिया था । रोती हुई देवरानी रात भर अपने आखे बंद कर भगवान से प्रार्थना कर रही थी।

देवरानी: (मन में) भगवान अगर आज मेरे बलदेव को कुछ हो जाएगा तो मेरा तुझ से विश्वास उठ जाएगा और मैं तेरा नाम अपने जीवन में कभी नहीं लुंगी, भगवान मेरे बलदेव को बचा ले, भले तू मेरी बली ले ले।

राजपाल के दोनों आखो की लाली बता रही थी कि वह आज अपने बेटे को फांसी पर चढ़ाने के लिए आतुर था।

सेनापति: महाराज अब सूर्य उदय होने वाला है...आपकी आज्ञा हो तो फांसी दी जाए.

राजपाल: हा...!

जैसा वह हाँ कहता है लोग हाहाकार मचा देते हैं और लोगों के शोर गुल में एक घोड़े के आने की आहट आती है और उस घोड़े पर से एक सैनिक गिरता है जिसके पूरे बदन पर तीर लगे हुए थे ।

सैनिक: महाराज...!

सेनापति और राजपाल दौड़ कर उस घायल सैनिक के पास जाते हैं ।

सेनापति: बोलो किसने तुम्हारे साथ ऐसा किया?

सैनिक: महाराज...वो दिल्ली का बादशाह शाहजेब घटराष्ट्र में घुस आया है और कभी भी हमला कर सकता है। ये कह कर सैनिक अपना दम तोड़ देता है।

राजपाल: सेनापति जल्दी सैनिकों को एकत्रित करो घटराष्ट्र खतरे में है।

सेनापति: सैनिको... घाटराष्ट्र में हमारे शत्रु दिल्ली के बादशाह शाहज़ेब कभी भी हमला कर सकते हैं... घाटराष्ट्र के लोग आप सब से अनुरोध है के आप सब हमारा सहयोग करे ।

जारी रहेगी

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