महारानी देवरानी 083

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घटराष्ट्र पर हमला हुआ और बलदेव बच गया
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Part 83 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 83

घटराष्ट्र पर हमला हुआ और बलदेव बच गया

घटराष्ट्र

घाटराष्ट्र का वह बहादुर सैनिक मरते दम तक अपने राष्ट्रहित में काम करते हुए घटराष्ट्र वासिओ को शाहजेब के आक्रमण की बात बताता है और पूरे घटराष्ट्र में हलचल मच जाती है। लोग बलदेव को भूल जाते हैं। सेनापति लोगों को भागते देख सभी को घटराष्ट्र के सैनिकों का साथ देने के लिए कहता है।

सेनापति: वृद्धो और बच्चो को कृपा कर के सुरक्षित स्थानो पर रखिये।

महाराज अब इस बलदेव का क्या करे।

राजपाल: पहले हमें शाहजेब से निपटना है । रही बात बलदेव की तो मेरे लिए यह शाहजेब के साथ ही अपनी तलवार से खतम कर दूंगा। तुम सब जाओ और महल के चारों ओर सैनिक को सुरक्षा के तैनात करो ।

सेनापति: जैसी आपकी इच्छा महाराज।

सेनापति: इस सैनिक का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए. हम सबको शाहजेब को किसी भी हाल में रोकना है।

सैनिक अपने भाला तलवार और तीरंदाज़ अपने वॉश, वाणो और तीर के साथ महल के चारो ओर सुरक्षा का घेरा बना लेते हैं।

महारानी जीविका और शुरष्टि महल के अंदर जाती हैं ।

जीविका: बहु महल का हर दरवाजा और खिड़की बंद कर दो।

श्रुष्टि: जी माँ जी!

जीविका: ये सब देवरानी के पाप का फल है जो हमारे देश में आज ऐसी मुसीबत आयी है।

कमला: राधा तुम जा कर पीछे का द्वार बंद करो दी में खिड़कियाँ लगाती हूँ।

जीविका: ये बादशाह शाहजेब ने कई वर्ष पहले जब दिल्ली परआक्रमण किया था तो वहा की हर स्त्री को इनके सैनिकों ने उठा लिया था।

शुरुष्टि: माँ जी मुझे बहुत डर लग रहा है।

जीविका: डरने की ज़रूरत नहीं हम उनसे युद्ध करेंगे और अगर कुछ ऐसा हुआ तो बहू हम तहखाने के गुप्त रास्ते से बाहर निकल जायेंगे।

शुरुष्टि: वो कहा है?

जीविका: मेरे कक्ष में है।

शुरुआत: ठीक है, पर मुझे तो उसका पता नहीं था।

जीविका: बहु राजपाल के पिता ने इसे गुप्त रखा था । हम सब ज़मीन के अंदर ही अंदर इस रास्ते से सीधा घाटराष्ट्र की सीमा तक पहुँच सकते हैं ।

शुरष्टि: भगवान न करे ऐसा कुछ हो!

कमला, राधा और सृष्टि महल की हर खिड़की, दरवाजा बंद कर देती है।

बाह र का नजारा ऐसा था कि राजपाल और सोमनाथ सैनिको के साथ शाहजेब के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे और सब सैनिक युद्ध के लिए त्यार थे।

सोमनाथ: सैनिको सब तय्यर?

सैनिक: हाँ हम तैयार हैं।

सोमनाथ: डरने की जरूरत नहीं मेरे बहादुर सैनिको आज तक हमारे देश पर कोई नहीं कब्ज़ा कर सका है । ये शाहजेब को भी खाली हाथ लौट कर दिल्ली जाना होगा।

राजपाल: सैनिको हमारी माँ घटराष्ट्र पर ये विदेशी ना कल कब्ज़ा कर पाएँ थे ना आज कर पाएंगे और शाहज़ेब इस बार दिल्ली ज़िंदा वापिस नहीं जाएगा।

सैनिक: हाँ शाहजेब जिंदा नहीं रहेगा!

अब शांत माहौल था बलदेव ये सब देख रहा था उसकी हाथ पैर अब भी बंधे हुए थे।

महल में कमला देवरानी के पास जाती है जो राजपाल के कक्ष में बंधी हुई थी। कमला देवरानी के मुंह में बंधे कपडे को खोलती है।

कमला: चुप रहो महारानी!

देवरानी: क्या चुप करु जब मेरे प्रेमी ने मेरे प्रेम में अपनी जान दे दी और फांसी पर लटक गया, तो मेरा जिंदा रहने का क्या फायदा? मुझे भी मार दो कमला... गला घोट दो मेरा!

देवरानी फफक-फफक कर रो पड़ती है।

कमला की आँखों में आसु आजाते है।

कमला: ऐसा नहीं कहते महारानी! भगवान बहुत बड़ा है उसने तुम्हारी सुन ली! बलदेव का फासी टल गयी है।

देवरानी ये सुनते हैं ही ऐसा महसूस करती है जैसे उसके शरीर से जो रूह निकल गई थी वह फिर से आ गई हो।

देवरानी: क्या तुम सच कह रही हो कमला?

कमला: हाँ पर बुरी खबर ये है कि दिल्ली के राजा हम पर किसी भी क्षण आक्रमण कर सकते हैं।

देवरानी: क्या...?

कमला: जी महारानी और उसकी सेना जितनी क्रूरता करती है आप वह तो जानती ही हो । शाहजेब खुद जो राज्य लूटता है उस राज्य के रानियो को अपने हरम में रख लेता है।

देवरानी: अब हमें क्या करना चाहिए कमला?

कमला: मैं वही बताने आई हूँ। महारानी जीविका की कक्षा में एक रास्ता है जो हमें जमीन के भीतर से ही घाटराष्ट्र की सीमा तक पहुँचाएगा ।

देवरानी: समझ नहीं आता शाहजेब के हमले का धन्यवाद कहू या..!

कमला: बस जो होता है अच्छे के लिए होता है।

देवरानी: तुमने देखा मेरे बलदेव को? वह कैसा है?

कमला: वह ठीक है, उस पर महाराज ने बहुत जुल्म किया है । ।आप दोनों को इतने बड़े संसार में कहीं और जा कर बस जाना चाहिए था।

देवरानी: हम भागने वालो में से नहीं हैं ।, अब मुझे मेरा हक चाहिए और यही घाटराष्ट्र में चाहिए.।मेरे और बलदेव का रिश्ता यहीं शुरू हुआ था। कमला हमारी यादे यहाँ से जुड़ी है हमें कहीं और नहीं जाना है ।

कमला: ये क्या बचपना है...खैर ये सब बाद की बात है पहले हमें बलदेव को छुड़ाना होगा।

देवरानी: पर कैसे?

कमला: वह मैं देख लुंगी बस अब आप रोना बंद कर दो और सही समय पर बलदेव के साथ यहाँ से निकल जाना ।

बाहर सेना शाहजेब की सेना की प्रतीक्षा में खड़ी थी और तभी हवा जो तेज चल रही थी उसमें धूल उड़ने लगी और घोड़ों के चलने की आवाज के साथ घोड़ों की आवाज आने लगी । सब की नजर सामने दूर दिल्ली के सैनिक घाटराष्ट्र की ओर बढ़ते हुए नजर आते हैं ।

सोमनाथ: वह आ रहे है महाराज!

राजपाल: आने दो वापस नहीं जा पाएंगे!

राजपाल अपना तलवार रख कर तीर कमान उठा लेता है।

सोमनाथ: तीरन्दाज़ आगे हो जाओ.।घुड़सवार को पीछे तैयार रहना है।

जैसे जैसी शाहजेब की फौज आगे आ रही थी उनकी तादाद देख कर सैनिक आपस में बात करने लगते है।

सोमनाथ: चुप करो सैनिको! हिम्मत मत हारो...युद्ध सेना से नहीं हिम्मत से जीती जाती है और हम उनसे गिनती में कम हैं तो क्या हुआ, हमारा आरा एक उनके 10 के बराबर हैं...जय भवानी!

सैनिक: जय भवानी!

सोमनाथ आकार धीरे से राजपाल से पूछता है!

सोमनाथ: महाराज क्या हमें अभी कुबेरी से कोई मदद मिल सकती है?

राजपाल: चिंता नहीं करो भले ही राजा रतन सिंह यहाँ से गुस्से में गया है, फिर भी मुझे विश्वास है वह हमारी मदद करने के लिए सेना जरूर भेजेगा।

सोमनाथ: तो फिर हमें अपना दूत भेज देना चाहिए?

राजपाल: हमने पहले ही कुबेरी अपना दूत भेज दिया है।

सोमनाथ: वाह महाराज ये आपने अच्छा किया । जब तक हमें कुबेरी से मदद नहीं मिल जाती तब तक हम शाहजेब की सेना को हम संभाल लेंगे।

शाहजेब अब ठीक महल के सामने आकर रुकता है।

शाहजेब: फौजियो अब हम इन्हे मसल के रख देंगे, सब हमला करने के लिए तैयार?

सैनिक: हम तैयार हैं।

शाहजेब: यलगार हो!

शाहजेब के सैनिक आवाज करते हुए महल की ओर घोड़ों को भागते हैं।

इधर सोमनाथ!

"तीरन्दाज़ आक्रमण!"

फिर शाहजेब की सेना की तीरो से खातिर कर दी जाती है जो शाहजेब के कई सिपाहियों को घोड़े से नीचे गिरा रहे थे ।

सोमनाथ: घुड़सवार आगे बढ़ो तीरंदाज़ हाथ में भाला उठाओ!

दिल्ली की सेना सामने और महल की तरफ से घाटराष्ट्र की सेना दोनों अपने घोड़ों को तेजी से भगा रहे थे और कुछ और पलो में दोनों आपस में भिड़ जाते हैं और मार काट शुरू हो जाती है । दोनों तरफ से सैनिक एक दूसरे पर हमला कर रहे थे और मार रहे थे।

शाहजेब पीछे खड़ा देख रहा था, उसने बड़ी चतुराई से अपनी आधी सेना को लड़ाई के लिए पहले भेजा था । उसकी आधी सेना अब भी पीछे थी।

शाहजेब: भाईओ अब ये आग के गोलो से महल के दीवाल को छलनी कर दो।

शाहजेब की सेना आग के गोलों को तोपो में लगा कर मारना शुरू कर देती है जो सीधे राजपाल के महल के बाहरी दीवारों पर जा कर गिर रहे थे।

सोमनाथ: हाँ क्या शाहजेब ने अपनी फौज पूरी नहीं भेजी थी?

बलदेव अब भी बंधा हुआ खड़ा था । बलदेव के सब्र का बाँध टूट जाता है।

बलदेव: सोमनाथ वह शाहजेब है, उसको हराना आसान नहीं है । मुझे खोल दो नहीं तो तुम सब की नीति के कार्ब से पूरे घाटराष्ट्र को दुःख भोगना पड़ेगा।

राजपाल: सोमनाथ इसे कह दो आज इसका आखिरी दिन है और ये अपना पापी मुंह ना खोले।

सोमनाथ: हमें हमारा काम करने दो बलदेव नहीं तो हमे मजबूरन तुम्हारे मुंह को भी बाँधना होगा।

सोमनाथ: सैनिकों शाहजेब के सैनिक पीछे भी हैं उनको मुंह तोड़ जवाब दो! गोले मारो उन पर।

तीरन्दाज अपने तीर कमान छोड तोपो में गोलो में आग लगा कर शाहजेब के खेमे में मारने लगते हैं अब आसमान में दिन में रात का दृश्य था ।महल के दीवारो पर जैसे वह आग के गोले लगते और बाहर सैनिकों के गोले मारने की आवाज सुनते, घाटराष्ट्र के घर-घर में, सब के शरीर कांप उठते थे ।

उधर शमशेरा भी शाहजेब की सेना के पीछे-पीछे महल तक आजाता है और महल के पास आकर अपना रास्ता बदल लेता है, क्यू के शमशेरा पहले भी घाटराष्ट्र आ चुका था और वह गली-गली जानता था और वह किसी भी तरह से घाटराष्ट्र के सैनिक के रूप में घाटराष्ट्र में घुस गया जाता है। शमशेरा को घाटराष्ट्र की गालिया कभी इतनी सूनी नहीं लगी थी जितनी आज थी। वह महल के करीब आकर अपने घोड़े को महल के पीछे बाँध देता है और अपने हाथ में तलवार लिए जहाँ पर युद्ध चल रही थी वहा जाता है। दरवाजे से उसे बलदेव बंधा हुआ दिखता है और देखता है निचे राजपाल और सोमनाथ अपने मंत्रियों के साथ युद्ध की राजनीति पर काम कर रहे हैं।

शमशेरा देखता है महल के सामने मैदान में तो सेनाओ की भिड़ंत हो रही है। शमशेरा मुस्कुराता हुआ मन में कहता है।

शमशेरा: शाहजेब तो घाटराष्ट्र पर भारी पड़ रहा है। देखते हैं ये मजेदार होने वाला है।

शाहजेब ये कह कर अपना तलवार उठा कर भागते हुए राजपाल या सोमनाथ की ओर जाता है ।

"जय घटराष्ट्र जय भवानी!"

सोमनाथ देखता है कि ये कौन सैनिक था जो पीछे छूट गया था।

सोमनाथ... कौन हो? अब जा कर तुम्हें समझ आ रहा है कि हम पर आक्रमण हो गया है।

शमशेरा हुलिये से समझ जाता है कि यही सेनापति है और वह राजपाल है।

शमशेरा: सेनापति जी हम किसान हैं पर हमारे पिता एक योद्धा थे जो राजा राजपाल के पिता का साथ जीवन भर दिए. हम से रहा नहीं गया तो हम अपने पिता का तलवार उठायी और पोशाक पहन लेंगे...क्या हमने कुछ गलत किया?

शमशेरा बड़ी होशियारी से अपनी भाषा बदल कर सोमनाथ और राजपाल को चकमा दे देता है।

राजपाल: बस अब पूरी रामकहानी न सुनाओ सैनिको के साथ जुड़ जाओ।

सोमनाथ: सुनो तुम उन तीरन्दाज़ो के साथ रुको। जब हम कहे तो रण में जाना ।

शमशेरा हाथ जोड़ कर..!

"जो आज्ञा महाराज!"

शमशेरा की इस बात को बलदेव भी देख रहा था और शमशेरा सेना की ओर जाते हुए बलदेव को देख एक आँख मार देता है।

बलदेव (: मन मे) बहुरूपिया शमशेरा!

और उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है।

युद्ध शुरू था और शाहजेब की सेना घटराष्ट्र पर भारी पड़ रही थी । अब दोपहर हो गयी थी ।

सोमनाथ: महाराज अब हमारे सैनिक गिनती में बहुत काम है। अब हमें जाना होगा।

सोमनाथ: जितने सैनिक हैं कान खोल कर सुन लो, हम मर जाएंगे लेकिन शाहजेब को कभी घटराष्ट्र पर कब्ज़ा नहीं करने देंगे।

राजपाल और सोमनाथ बाकी सैनिकों को तय्यार कर घोड़ों पर सवार हो कर रण भूमि में जाने लगते हैं।

सोमनाथ: हम शाहजेब की सैनिकों की मौत के घाट उतार देंगे।

सब सैनिक राजपाल और सोमनाथ के पीछे जाने लगते हैं और शमशेरा अपने घोड़े को राजपाल की सेना के साथ जोड़ता हैं या । जब शमशेर देखता हैं कि राजपाल और सोमनाथ ने युद्ध शुरू कर दिया हैं तो वह अपने घोड़े को छोड़ दौड़ कर बलदेव की ओर आता है।

राजपाल और सोमनाथ अपने तलवार कला का अच्छा प्रदर्शन करते हैं और शाहजेब की सेना में हड़कंप मच जाता है।

शाहजेब: पीछे मत हटो भाईओ!

शाहजेब की सेना अपने बादशाह की बात सुन कर राजपाल और सोमनाथ का सामना करने लगती है।

शाहजेब अब आगे आकर अपने आखिरी टुकड़ी के साथ राजपाल और सोमनाथ के सैनिको के साथ लड़ने लगते हैं।

कुछ देर में वही घटराष्ट्र की सेना बहुत कम हो जाती है और वह भगने लगती है तो शाहजेब की सेना उनको खदेड़ते हुए महल की ओर बढ़ने लगती है।

सैनिक: भागो हम सब मारे जायेंगे!

राजपाल: भागो मत सैनिको, अपनी आखिरी सांस तक लडो!

सोमनाथ: महाराज अब हमारा जीतना मुश्किल है, आप तहखाने के रास्ते से राज परिवार को बचा लीजिए । मैं इनको रोकता हूँ।

सोमनाथऔर राजपाल महल के आगे खड़े हो कर शाहजेब की सेना पर भारी पड़ रहे थे ।

सोमनाथ: महाराज आप अन्दर जाइये!

राजपाल की नज़र तभी सामने जाती और उसे बलदेव नहीं दिखता।

राजपाल: ये बलदेव कहाँ गायब हो गया?

****** (दरअसल हुआ ये था) ********

शमशेरा फौज को छोड़ बलदेव के पास आता है और उसके हाथ की रस्सी को काट कर उसे आजाद करता है।

बलदेव, धन्यवाद भाई शमशेरा!

शमशेरा: तुम मेरे छोटे भाई हो! चलो अब हमें निकालना होगा। यही सही समय है शाहजेब की फौज इस तरफ आ रही है। उनके आने से पहले हमे निकल जाना चाहिए!

बलदेव: भाई! आप जा कर घोड़ा तैयार करो। मैं माँ को ले कर आता हूँ।)

***********************************************************************

सोमनाथ: आप अपनी जान बचाये महाराज!

राजपाल घोड़े से उतर कर भाग कर महल में जाता है पर तब तक शाहजेब भी महल तक पहुँच जाता है और सोमनाथ को चारो ओर से घेर लेता है।

शाहजेब भी अपने सैनिकों के साथ महल में घुस जाता है।

सोमनाथ अपने आप को घिरा पा कर घोड़े से कूद जाता है और महल की ओर भागता है । कुछ सैनिक उसके पीछे भागते हैं, सोमनाथ अपने पीछे मुड़कर बैठ कर उनके पैरों पर तलवार मारता है और महल में घुसता है उसके पीछे शाहजेब के सैनिक भी घुस जाते हैं।

बलदेव महल में आकर अपनी माँ को इधर से उधर हर कक्ष में देख रहा था, तभी उसके कान में हंगाममें का शोर सुनाई देता है । वह समझ जाता है कि महल में शाहजेब ने धाबाबोल दिया है । वह और भी शिद्दत से अपनी माँ को हर कक्ष में ढूँढता है।

इधर कमला और राधा जीविका के साथ उसके कक्ष में थी और उनके साथ वैध जी भी थे।

कमला: महारानी जीविका आप चले जाएँ सब महल में आ गए है ।

जीविका: तुम सब भी चलो, मेरे बेटा राजपाल कहा है उसे भी ले चलो, मैं अकेला जीवित रह कर क्या करूँगी?

कमला: आप बात मानिये आप जाये! एक काम कीजिये वैध जी, आप राजमाता को ले जाये। अगर वह सब इस कक्षा में आये तो कोई बच के निकल नहीं पायेगा! जल्दी कीजिये!

जीविका: शुरूष्टि कहा है उसे लाओ!

जीविका ये कह कर तहखाने से उतरती है और अपनी वैशाखी ले कर उसका साथ देते हुए वैध जी भी उतरने लगते हैं, दोनों नीचे पाहुच कर गुफा के रास्ते पर चलने लगते हैं।

कमलाः महारानी श्रुष्टि कहा हो आप?

शुरष्टि अपनी कक्षा में ही थी जैसे ही शाहजेब के सैनिक महल में घुसे वह अपनी कक्ष से निकलने ही वह वाली थी कि शाहजेब के सैनिक उसकी तरफ आने लगे और ना चाहते हुए भी वह रुक कर अपने कक्ष का दरवाजा बंद कर लेती है।

कमला जीविका के कक्षा में सृष्टि का इंतजार कर रही थी क्यू के उसे देवरानी को भी बचाना था।

कमला जीविका जिस रास्ते से गई थी उसे कालीन से छुपा देती है और खुद देवरानी को बचाने के लिए निकल पड़ती है।

महल के बीचो बीच शाहजेबऔर राजपाल लड़ रहे थे या, वही उसके सैनिक सोमनाथ से लड़ रहे थे।

कमला बाहर निकलती है तो उसे बलदेव दिखता है।

बलदेव: कमला माँ कहाँ है?

कमला बलदेव को देख खुश हो जाती है।

कमला: वह राजपाल की कक्ष में है।

दोनों भाग कर राजपाल के कक्षा में आते हैं जहाँ शाहजेब के सैनिक भी उसे देख लेते हैं और उनके पीछे वह भी दौड़ने लगते हैं।

"पकड़ो उन्हें कोई बच नहीं पाये!"

"कमला जल्दी भागो।"

दोनों आते हैं और देवरानी को बंधा देख बलदेव का खून खौल जाता है।

देवरानी आहट सुन कर आखे ऊपर करती है तो उसके आखो के सामने बलदेव था।

देवरानी मन में: भगवान धन्यवाद करती है । मैं इसके बदले में चारो धाम यात्रा करूंगी मेरे बलदेव की जान बचाने के लिए आपका बहुत धन्यवाद!

बलदेव: माँ!

बलदेवऔर कमला झट से देवरानी की रस्सी खोलते है।

देवरानी: बलदेव तुम ठीक तो हो ना?

बलदेव देवरानी को गले से लगा लेता है।

कमला जा कर कक्ष का दरवाज़ा लगा देती है।

कमला: अभी सही समय नहीं है तुम दोनों जल्दी निकलो यहाँ से।

बलदेव: चलो देवरानी!

देवरानी: चलो राजा!

दरवाज़े पर अब शाहज़ेब के सैनिक आ जाते हैं और दरवाज़ा पीटने लगते हैं।

कमला: तुम दोनों खिड़की से चले जाओ।

देवरानी: पर तुम!

कमला: मेरी चिंता मत करो तुम लोग जाओ।

बलदेव: धन्यवाद कमला फिर मिलेंगे।

कमला की आंखो में आसु आजाते हैं।

कमला: कमला इतनी जल्दी नहीं मरने वाली, तुम दोनों के बच्चे को देख के मरूँगी और कमला की आंखो से आसु छलक जाते हैं । बलदेव देवरानी को उठा कर खिड़की पर चढ़ा देता है और बारी-बारी से दोनों महल के दूसरे ओर कूद जाते हैं।

तभी कमला को ज़ोर का धक्का लगता है और दरवाज़ा टूट जाता है और सैनिक अंदर आता है।

एक सैनिक आकर कमला को पकड़ कर एक थप्पड़ मारता है।

"हरामज़ादी कह गये वह लोग?"

कमला को थप्पड़ इतना ज़ोर से लगता है कि वह सीधा दूर जा कर गिरती है।

बलदेव देवरानी का हाथ पकड़े भाग रहा था।

तभी इन दोनों तरफ से सैनिक आते हैं तो बलदेव थोड़ा रुकता हैऔर अपने कमान के तीरों से बारी-बारी से दोनों सैनिकों को मार गिराता है, फ़िर देवरानी का हाथ पकड़ कर भागने लगता है।

देवरानी मुस्कुरा कर बलदेव को देखती है।

इधर राजपाल के हाथ से तलवार छूट जाती है और सोमनाथ भी अपने हाथ खड़े कर देता है।

शाहजेब: पकड़ लो इन्हे...!

शाहजेब भाग कर हर कक्षा की तलाशी लेने लगता है।

शाहजेब अपने हाथ में तलवार लिए जैसे ही महारानी श्के श्रुष्टि के कक्ष पर धक्का देता है वह दरवाजा बंद पाता है।

शाहजेब एक जोरदार धक्का मारता है 6 फिट से ऊपर लम्बाई वाला और जानवर जैसी ताकत रखने वाला शाहजेब दरवाजे को तोड़ गिरा देता है और अब वहाँ दरवाजे पर सिर्फ परदा ही लगा था ।

शाहजेब अपनी तलवार आगे बढ़ाता है उसे सामने महारानी श्रुष्टि दिखती है जिसके हाथ में तलवार थी।

शाहजेब: देख कर तो लगता है कि आप यहाँ की मल्लिका हो पर तलवार आपने सही से नहीं पकड़ा है

शुरष्टि एक कदम पीछे होते हुए बोलती है ।

शुरष्टि: तुमने सही समझे शाहजेब हमें तलवार पकड़ना भी आता है और सर काटना भी।

शाहजेब: तो आप जानती हैं हमें!

शुरष्टि: तुझे जैसे नीच को तो सब जानते है कुत्ते!

शाहजेब गाली सुन कर गुस्से में आता है फिर सृष्टि को ऊपर से नीचे तक देखता है।

शाहजेब: कद के साथ आपका जहन भी छोटा है। महारानी आपको एक बादशाह से बात करने नहीं आती है ।

शुरष्टि आगे बढ़ कर तलवार चलाती है।

शाहजेब: हाहा उमर ढल गई लेकिन अब भी लड़ाकु हो महारानी!

शाहजेब आगे बढ़कर एक जोर का प्रहार करता है जिस से शुरष्टि के हाथ की तलवार गिर जाती है।

शाहजेब अपना तलवार आगे बढ़ा कर शुरष्टिकी गर्दन पर रख कहता है ।

"चीज़ तो बड़ी मस्त हो, पुरानी शराब हो तुम!"

शाहजेब एक हाथ से शुरष्टि की कमर पर हाथ रख कर सहलाता है और अपने तलवार फेक कर शुरष्टि को दबोच कर बाहो में ले लेता है।

"आह मेरी रानी आजतेरी जैसी माल को चोद कर मजा आएगा!"

"छोड दे मुझे शाहजेब अंजाम अच्छा नहीं होगा!"

शाहजेब आगे बढ़कर शुरष्टि के होंठ अपने होठों में भर लेता हैं और ओंठ चूस लेता है ।

इधर बलदेव और देवरानी महल से भागने में कामयाब हो जाते हैं और शमशेरा अपने साथ एक और घोड़ा लिए दोनों का इंतज़ार कर रहा था।

"जल्दी इस घोड़े पर बैठ मेरे पीछे आजाओ!"

ये कह कर शमशेरा अपने घोड़ों को भगाता है।

बलदेव देवरानी को घोड़े पर बिठाता है फिर खुद कूद कर बैठ जाता है और शमशेरा के पीछे जाने लगता है।

डोनो तरफ से शमशेरा के पीछे शाहजेब के सैनिक थे। शमशेरा अपने दोनों हाथों में तलवार लिए सब को काट रहा था और बलदेव भी अपने हाथों में तलवार लिए उसके पास जो भी सैनिक हमला करने उसके पास आया उसे मार देता है।

कुछ दूर यू ही चलते हुए अब शमशेरा और बलदेव के पीछे कोई नहीं था।

बलदेव पीछे मुड़ कर देखता है।

बलदेव: शमशेरा अब हमारा पीछा कोई नहीं कर रहा।

शमशेरा: चलते रहो बलदेव ये शाहजेब बहुत हरामी है कहीं से भी टपक सकता है।

शमशेरा बलदेव देवरानी हवा में बात करते हुए घाटराष्ट्र की सीमा पार कर लेते हैं ।

जारी रहेगी

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