महारानी देवरानी 084

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बलदेव देवरानी और शमशेरा, दोस्ती समझौते की राह
3.2k words
3.75
14
00

Part 84 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 84

बलदेव देवरानी और शमशेरा दोस्ती समझौते की राह

घटराष्ट्र सीमा पर

बलदेव और देवरानी को शमशेरा बचा कर ले आता है उधर वैध जी के साथ महारानी जीविका भी गुफा के रास्ते से बच कर निकल जाती है। महल में राजपाल या महारानी श्रुष्टि फंस जाती है और उनके साथ राधा कमला और सेनापति सोमनाथ भी पकड़ा जाता है।

शमशेरा अपने सैनिकों को देखता है जो आराम कर रहे थे वह घोड़े से उतर कर बलदेव को बुलाता है ।

शमशेरा: आ जाओ बलदेव!

बलदेव के घोड़े पर से पहले देवरानी उतरती है फिर बलदेव घोड़े की लगाम पकड़ कर चलते हुए आता है। उसे सेना देख हेरानी होती है।

बलदेव: ये इतने सैनिक यहाँ पर क्या कर रहे हैं?

शमशेरा: ये तो कम हो गए हैं आधी फौज तो हमने कुबेरी भेज दी है ।

बलदेव: परन्तु क्यों?

शमशेरा: क्यू के हम कुबेरी लूटने आए हैं, बलदेव । इसलिए घाटराष्ट्र पर चढ़ाई किए बिना हम कुबेरी लूट नहीं सकते। हमे खबर मिली थी राजा रतन घटराष्ट्र में है पर राजा रतन दिखाई नहीं दिया।

देवरानी: वह महल में नहीं है । वह तो कब का अपने राज्य चला गया ।

शमशेरा: सब बात तो ठीक है पर बलदेव तुम्हें क्यू अपने ही राज्य में तुम्हारे पिता ने द्वारा बंदी बनाया गया था ।

बलदेव ये सुन कर देवरानी की ओर देखता है।

देवरानी बलदेव को कहने का इशारा कर देती है।

बलदेव: ज़रा इस तरफ़ आओ!

शमशेरा: बोलो भी फौज हम से दूर है...मुझे ये बात समझ नहीं आती कोई बाप आख़िर क्यू अपने बेटे को बंदी बनायेगा?

बलदेव वही रुक जाता है।

"इधर आओ शमशेरा!"

शमशेरा पीछे मुड़ कर बलदेव के पास आता है।

बलदेव: भाई बात कुछ ऐसी है कि मैंने एक ऐसा कदम उठा लिया जिसके कारण से ये सब हुआ है ।

शमशेरा: कैसा कदम बलदेव?...अगर तुम मुझे नहीं बताना चाहते हो तो कोई बात नहीं!

देवरानी: नहीं बेटा तुमने तो अपनी जान पर खेलकर हमें बचाया हम तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलेंगे।

शमशेरा, देवरानी खाला कर दिया ना एक पल में पराया! वह तो हमें शक हुआ कि आप दोनों खतरे में हो और मैं तो महल में सिर्फ वहा फौज का जायजा लेने गया था कि शाहजेब की फौज और ताकत कितनी है पर वहा मुझे बलदेव बंधा हूया दिख गया।

बलदेव, धन्यवाद मेरे मित्र...बात ये है कि मैं इनसे प्रेम करता हूँ।

शमशेरा: अच्छा तो इसमें क्या नई बात है।

बलदेव: तुम समझ नहीं रहे हो मैं माँ को एक स्त्री के रूप में चाहता हूँ । हम एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते।

शमशेरा अपनी आंखे बड़ी करते हुए चौंक जाता है ।

शमशेरा: हम्म अगर मैं समझ पा रहा हूँ तो तुम अपनी माँ को चाहते हो, एक मर्द औरत जिस तरह इश्क़ करते हो वैसे इश्क करते हो तुम दोनो।

देवरानी: हाँ बेटा हम कब एक दूसरे को चाहने लगे पता भी नहीं चला!

ये कह कर देवरानी अपना सर नीचे कर लेती है।

शमशेरा: हाहाहाहाहाहा! शमशेरा हसता जा रहा था।

बलदेव: क्या हुआ ऐसे क्यू हस रह हो।

देवरानी: बेटा तुम्हें पसंद नहीं आई ये बात!

शमशेरा अपनी हंसी रोकते हुए कहता है ।

शमशेरा: मैं इसलिए हस रहा हूँ क्योंकि आप दोनों एक दूसरे को एक शौहर बीवी की तरह प्यार करते हैं तो फिर मैं आपको खाला कहता हूँ, तो बलदेव को क्या खालू कहू?

और शमशेरा फिर से ठहाका थका लगा कर हंसता है।

बलदेव ये सुन कर शर्मा जाता है और देवरानी अपना सर नीचे किये रहती है।

शमशेरा: हाँ फिर ये भी हो सकता है के बलदेव मेरा छोटा भाई है तो आप मेरी भाभी हो गई. देवरानी खाला!

देवरानी: चुप करो शमशेरा तुम शैतान की तरह हँसे जा रहे हो?

शमशेरा: माफ़ कर दो खाला जान नहीं-नहीं भाभी जान?

शमशेरा हंसी रोकते हुए कहता है।

शमशेरा: असली बात तो ये है कि मैं बहुत खुश हूँ ये बात सुन कर क्यूकी जैसे बलदेव तुम अपनी माँ से मुहब्बत करते हो वैसे दिल ही दिल में है मुझे भी मेरी अम्मी जान से मुहब्बत है।

बलदेव और देवरानी इस तरह से शमशेरा के मुंह से साफ सपाट सुन अपने प्रेम की बात सुन और उसकी हिम्मत को देख अपने आखे फाड़े शमशेरा को ही देख रहे थे।

देवरानी: तुम्हारी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी वैसे मुझे ये पहले से पता था!

इस बार देवरानी सबको चौंका देती है।

अब बलदेव और शमशेरा देवरानी को अचंभित हो कर घूर रहे थे।

देवरानी: तुम दोनों उल्लू की तरह घूर रहे हो!

शमशेरा: पर खाला आपको ये कैसे पता? मैंने तो कभी किसी को नहीं बताया!

देवरानी: बाबू तुम मेरे सामने भले कितने भी जासूस बनो...पर मैंने पहले दिन ही तुम्हारी आँखों का पीछा करते हुए देख लीया थी के तुम किस निगाह से अपनी अम्मी को देखते हो।

बलदेव और शमशेरा देवरानी को ही भौचक हो देख रहे थे।

शमशेरा: आप तो बहुत तेज़ निकली! खैर अब मुझे लगता है ये मुमकिन है।

देवरानी: नामुमकिन...!

शमशेरा: पर क्यों?

देवरानी: मैंने कोशिश की कि तुम्हारी अम्मी को दाना डालने की तो उन्होंने वह हमेशा ये कह कर ये बात नकार दी कि ये कितना बड़ा गुनाह है। जहाँ तक मैं समझ पायी हूँ हुरिया दीदी मर जाएगी पर तुम्हारे प्रेम को कभी स्वीकार नहीं करेगी।

शमशेरा: कोई बात नहीं खाला जान! अब आप दोनों को ही देख कर खुश रहूँगा।

शमशेर आखे नम करते हुए कहता हैं।

देवरानी: शमशेरा बेटा, तो तुम विवाह कर लेना अच्छी-सी लड़की देख कर!

शमशेरा: नहीं खाला जान मेरे जिंदगी में उनके सिवा कोई और नहीं आ सकती।

देवरानी: इसलिए तुम हमेशा शादी के लिए मना कर देते हो...तो क्या जीवन भर कुवारे रहोगे?

शमशेरा: यादो के सहारे जिंदगी काट लूंगा!

बलदेव: देवरानी इसको बातों को क्या सुन रही हो ये बहुत बड़ा ठरकी है ।

शमशेरा ये देख के बलदेव अपनी माँ का नाम ले कर बुला रहा है अपने आखे बड़ी कर बलदेव को घूरता है ।

शमशेरा: झूटे मैं और ठरकी!

बलदेव: मुझे विश्वास नहीं होता तुम अपनी अम्मी को ऐसे नज़र से देखते हो!

शमशेरा अब मायुस हो जाता है।

शमशेरा: बलदेव तुम इसलिए कह रहे हो ना क्यूकी में कोठे पर जाता हूँ?

बलदेव:हां शमशेरा बुरा मत मानो तो हमे लगता है की प्रेमी कभी किसी दूसरे की तरफ आख उठा कर नहीं देखते हैं..

शमशेरा:देखो भाई मुझे वो जब बहुत याद आती है तो अपनी महबूबा हुरिया के नाम का ज़ाम गटक लेता हूं.

बलदेव:ज़ाम तक तो ठीक है पर तुम जो संबंध...!

देवरानी हल्का खांसती है.

देवरानी: भूलो मत मैं भी यहीं पर हूं, तुम दोनों बात को कहां से कहां ले जा रहे हो.

बलदेव और शमशेरा शर्मा जाते हैं.

बलदेव: वाह माँ!

देवरानी: वैसे हुरिया के नाम का ज़ाम! ये अच्छा था शमशेरा.

बलदेव:अपनी माँ को नाम से बुलाता है.

शमशेरा,और तुमने अभी जो अपनी माँ को नाम से बुलाया उसका क्या?

ये सुन अब बलदेव और देवरानी शर्म से पानी-पानी हो जाते हैं.

बलदेव: वो तो हम एक दूसरे को प्रेम करते हैं और हम दोनों को इस बात से कोई आपत्ति नहीं है.

शमशेरा:तो जैसे तुम अपनी मां से प्यार करते हो तो नाम ले कर बुला सकते हो, वैसे मेरा प्यार एक तरफा है, ये सही है, मैं क्यू नहीं उनका नाम ले सकता..तुम तो उनके सामने ले रहे हो. मैं पीछे भी नहीं ले सकता?

बलदेव:अब तुम्हारी मर्जी तुम जैसे चाहो करो हमे कोई आपत्ति नहीं!

देवरानी:अब तुम दोनो झगड़ो मत!

शमशेरा:देखा ना आपने खाला ये जाम की, कोठे की, हर बात का पर्दाफ़ाश कर रहा है तो क्या ये गलत नहीं है.

देवरानी: मुझे पता है शमशेरा पहले से वह तुम्हे खराब लत लगी हुई है, पर बलदेव को मेरे सामने तुम्हारी पोल इस तरह नहीं खोलनी चाहिए.

और देवरानी हसती है.

शमशेरा:खाला वो मैं मजबूरी में कभी-कभी जाम लेता हूँ.

देवरानी:इसलिये तो कहती हूं विवाह कर लो पत्नी आ जायेगी तो इधर उधर नहीं जाओगे..और तुम तो बलदेव को भी बिगाड़ रहे थे.

शमशेरा:हां वो उस दिन.तब मुझे क्या पता था ये अपनी मां का मजनू है..अगर पता होता तो इसे वहां ना ले जाता.

बलदेव और देवरानी एक साथ कहते हैं.

"कोई बात नहीं शमशेरा"

तभी पीछे से आवाज आती है

"शहजादे! "

शमशेरा पीछे मुड़ कर देखता है तो सैनिक उसे बुला रहा था.

तीनो चल कर सैनिको के पास पहुंचते है.

घटराष्ट्र महल

महल का दृश्य ऐसा था शाहजेब की सेना महल में घुस सब को कैद कर रही थी और उधर शुरष्टि को पकड़े बादशाह शाहजेब चूस रहा था.

शुरष्टि :छोडो मुझे!

और शुरष्टि शाहजेब को एक धक्का मारती है.

शाहजेब शुरष्टि के सर को पकड़ के दीवार पर दे मारता है शुरष्टि बेहोश हो जाती है.

तभी शाहजेब के सैनिक आजाते हैं.

शाहजेब:इस कमीनी को होश में लाओ, इसे हम दिल्ली ले कर जाएंगे. इसको हम अपने हरम में रखेंगे.

सैनिक1:बादशाह सलामत आप का हुक्म हो तो हम भी कुछ मुर्ग मुसल्लम का इंतेज़ाम कर ले.

शाहजेब: हमारे जाने से पहले यहां की जितनी खूबसूरत औरतें हैं, उन्हें उठा लो!

सैनिक2:बादशाह सलामत तो हम कुबेरी कब जाएंगे?

शाहजेब: हम शाम में निकलेंगे थोड़ा आराम कर लेते हैं. जाने से पहले घटराष्ट्र के हर मर्द को मारो. हर एक गावो मैं जाओ! राजपाल को फांसी दे दो. उसके खानदान का कोई नहीं बचना चाहिए.

इधर जीविका और वैध जी गुफा के रास्ते चलते जा रहे थे.

वैध: महारानी आज हम इस गुफा से बाहर निकल नहीं पाएंगे.

जीविका:वैध जी अब हम बस पहुँचने ही वाले हैं.

घाटराष्ट्र के हर गांव में शाहजेब की सेना जा कर लूट पाट शुरू कर देती हैंऔर जो भी औरत उन्हें पसंद आती है उन्हें उठा लेते हैं.

घाटराष्ट्र में लगभाग 30 गाँव थे और हर तीन चार गाँवों का एक चौधरी था, जो महाराजा के लिए काम करते थे. वो सब मिल कर एक सभा बुलाते है जिसमें कुछ सैनिक वो होते हैं, जो युद्ध से अपनी जान बचाकर भागे थे, और कुछ वो जो महल के पहरेदार थे. लड़ नहीं सकते थे वो भाग कर आकर चौधरी से बात करते है.

सब मिल कर ये निर्णय करते हैं वो सब मिल कर घाटराष्ट्र की सीमा पर जो सुरंग का रास्ता है जो सीधा महल ले कर जाता है वहां जाएंगे.

20 चौधरी 10 सैनिक और पहरेदार मिल कर घाटराष्ट्र की सीमा पर जाते हैं.

घटराष्ट्र सीमा पर

चौधरी 1:सैनिको तुम सही कह रहे हो ना महारानी जीविका महल में नहीं थी.

सैनिक1:हा चौधरी साहब वो महल में नहीं थी.

चौधरी2: ठीक है हम उस जंगल के समीप हैं जहां वो रास्ता खुलता है.

तभी एक सैनिक पहाड़ पर नज़र घुमाता हैऔर वो सेना को देखकहता है

"हे भगवान इतनी सेना यहाँ क्या कर रही है?"

सब देखते हैं उसी तरफ वहा शमशेरा की सेना पुरे पहाड़ पर छाई हुई थी जिस से पहाड़ का रंग बदल गया था.

चौधरी1: अब ये सेना किसकी है?

सैनिक: इस समय हम सबका वहा पर जाना ठीक नहीं. आप सब यहीं रुके! मैं थोड़ा करीब जा कर देखता हूं.

सैनिक:सेना का झंडा हरा है ये तो विदेशी सेना है.

सैनिक अपने घोड़े को सेना की तरफ ले जाता है और कुछ दूर जाने के बाद वापस अपना घोड़ा मोड़ कर ले आता है.

चौधरी1: क्या हुआ तुम वापस आ गए?

सैनिक:चौधरी साहब वो सेना पारस की है. उसके झंडे से समझ गया और एक बात और देखि मैंने.

सैनिक: उनके साथ युवराज बलदेव भी दिखा दिया!

चौधरी1:क्या?

चौधरी2: अच्छा इसका मतलब है देवरानी की मदद से ये फौज यहां खड़ी है.

सैनिक2:इसके पीछे बात कुछ और ही लग रही है.

चौधरी1:हमें महारानी जीविका को ढूंढना चाहिए, अभी बलदेव के पास जाना ठीक नहीं होगा.

सब जीविका को लेने के लिए जंगल में पहुँचते हैं और सुरंग के रास्ते को खोलते हैं.

जैसे ही अंदर से जीविका और वैध को रोशनी दिखती है, वो समझ जाते है उनको लेने कोई आगया है.

जीविका और वैध जी उबड खाबड सीढियो पर पथ्थरो पर चढ़ने की कोशिश करते हैं पर चढ़ नहीं पा रहे थे.

चौधरी1: शायद वो लोग ऊपर नहीं आ पा रहे, सैनिको रस्सी अंदर फेंको.

सैनिक रस्सी ले आता है और रस्सी को सुरंग में फेंकता है जिसे पकड़ कर वैध जी और जीविका महारानी ऊपर आती है।

जीविका ऊपर आते ही थक कर लेट जाती है।

जीविका: पानी!

सैनिक तुरंत अपने बस्ते में से पानी निकाल कर देते हैंऔर जीविका पानी पी कर अपनी आंखें बंद किये लेटी रहती हैं।

चौधरी2: महारानी आप ठीक हैं ना?

वैध जा कर जंगल से कुछ जड़ी बूटी लेते हैं और जीविका को खिलाते हैं।

थोड़े देर बाद जीविका होश में आती है।

जीविका को सब पास में वह एक गुप्त गुफा में ले आते हैं।

जीविका: मुझे यहाँ कहा ले आये...मेरा बेटा राजपाल: ।आआह! और फूट-फूट कर रो पड़ती है।

चौधरी2: महारानी आप रोये नहीं हम कुछ करते हैं।

जीविका: चौधरी साहब वह मेरे परिवार को मार डालेंगे ।

जीविका: सब लूट गया बर्बाद हो गया, हमारे राष्ट्र में अब विदेशियों ने कब्ज़ा कर लिया है ।

चौधरी2: आप ठीक कह रही हैं महारानी जीविका आज शाहजेब ने हमारे देश के हर गाँव हर घर में लूट पाट मचा रखी है और हमारी बहू बेटियों को भी उठा कर ले जा रहे हैं।

जीविका: सब का कारण में ही हू...हम आप सब को सुरक्षित नहीं रख सकेऔर खूब ज़ोर से रोने लगती है।

सैनिक1: महारानी हम महल से भाग आए और शाहजेब ने हुक्म दे दिया है कि महाराज राजपाल के परिवार में कोई जीवित नहीं रहे। महाराजा राजपाल भी बंदी बना लिया हैं और वह सब जाने से पहले सब को खत्म कर देंगे।

जीविका: नहीं मेरा लाल नहीं मर सकता है, हाय मेरा चिराग! नहीं...!

सैनिक2: महारानी अब हमारे पास और कोई रास्ता नहीं सिर्फ एक रास्ता बचा है

जीविका: क्या...मैं सब कुछ करूंगी अपने लाल को बचाने के लिए!

सैनिक2: हम युवराज बलदेव की मदद से बच सकते हैं।

जीविका: वो कैसे?

सैनिक2: महारानी वह अभी हजारो सैनिको के साथ घटराष्ट्र की सीमा पर है। शायद वह पारसी सैनिक है अगर...!

चौधरी1: पर वह हमारा साथ क्यू देंगे, अभी तो महाराज बलदेव को फांसी देने ही वाले थे।

सैनिक2: पर हम उनसे बात कर के देख सकते हैं।

जीविका: ठीक है उन्हें यहाँ बुला लो!

चौधरी2: हाँ अगर उसके दिल में घटराष्ट्र के लिए जरा भी जगह होगी तो वह जरूर साथ देगा।

सैनिक2: हमें जल्दी जाना होगा...हो सकता है पारसी सेना युवराज बलदेव को ले जाने के लिए ही यहाँ आई हो । वह लोग कभी भी पारस निकल सकते हैं।

जीविका: आप चौधरी साहब दो सैनिकों को ले कर जाएँ और उन्हें प्यार से ले कर आईये ।

एक चौधरी और दो सैनिक गुफा से निकल कर घोड़ों पर सवार हो कर जहाँ बलदेव था उस पहाड़ की ओर चल देते हैं ।

इधर बलदेव और देवरानी बैठ कर शमशेरा से गप्पे मार रहे थे। बलदेव और देवरानी शमशेरा को पूरी कहानी सुनाते हैं। कैसे उन्हें प्यार हो गया और फिर कैसे वह दोनों पकड़े गए.

देवरानी: तो शमशेरा अब आगे क्या करना है?

शमशेरा: अब हम बिना शाहजेब को सबक सिखाएंगे तो जाएंगे नहीं। क्या आप दोनों हमारा साथ दोगे?

देवरानी: मैं चाहती हूँ मुझे मेरा हक मिले । घटराष्ट्र में, जिससे मुझे वंचित रखा गया, पर जबरदस्ती नहीं और युद्ध कर के भी नहीं।

शमशेरा: आप लोग चाहें तो रुक जाएँ, नहीं तो आप चाहें तो पारस जा कर रुक सकते हैं। मैं शाहजेब का काम तमाम कर के ही आऊंगा ।

बलदेव: माँ आज कल इन हालात में कोई आपके और मेरे बारे में नहीं सोचेगा!

इतने में बलदेव को सामने से तीन घुड़सावर आते दिखाई देते हैं और शमशेरा के सैनिक अपने तलवार निकाल लेते हैं ।

"रुक जाओ! कौन हो तुम लोग?"

चौधरी: भाई मैं चौधरी हूँ घटराष्ट्र का। युवराज बलदेव से बात करने आया हूँ।

ये सुन कर के घटराष्ट्र का कोई आया है, देवरानी अपना पल्लू नीचे कर अपना मुहं ढक लेती है।

बलदेव: अरे! चौधरी साहब आप?

चौधरी: युवराज आपको देख प्रसन्नता हुयी ।

बलदेव: चलो कोई तो है जिसे हम जीवित देखना पसंद करता है नहीं तो घटराष्ट्रा में तो सब यही चाहते हैं कि हम मर जाएँ।

चौहद्दी: नहीं युवराज ऐसा नहीं है...!

बलदेव: कहिये क्या सेवा करे आपकी?

चौधरी देवरानी को देखाता है जो अपने पल्लू से अपना मुंह ढके खड़ी थी।

चौधरी: बहू रानी भी यहीं है क्या?

बलदेव: जी हाँ भगवान ने हम दोनों को बचाना था। इसलिए बच गए ।

चौधरी: वो आपको आपकी दादी महारानी जीविका याद है।

तभी देवरानी अपने एक हाथ से अपने पल्लू को खोस कर बोलती है।

देवरानी: इनकी कोई दादी वादी नहीं है। ना हमारा कोई परिवार है ।

बलदेव: जाने दो माँ ऐसा मत कहो।

चौधरी: हम समझ सकते हैं बहू रानी, ये जिस बहू का आवाज मैं आज पहली बार सुन रहा हूँ अगर वह ऐसा कह रही है तो उसके दिल में कितना दर्द होगा।

बलदेव: हमें नहीं मिना किसी से!

देवरानी को चौधरी बात पसंद आती है।

देवरानी: ठीक है हम चलते हैं पर हमारे साथ कुछ गलत नहीं होना चाहिए ।

चौधरी: मैं मर जाऊंगा पर आप दोनों को नुकसान नहीं पहुँचाएंगे।

वो तो जीविका जी ही यहीं आ जाती पर इतनी सेना देख हम यहाँ उन्हें खुद नहीं लाना चाहते थे।

ये सुन बलदेव मुस्कुरा देता है।

शमशेरा: अगर इनको कुछ हुआ तो सोच लो।

चौधरी: आप लोग पारस निकालने वाले हैं क्या?... जब तक युवराज बलदेव वापिस नहीं आते तब तक कृपया आप लोग रुक जाएँ!

ये सुन कर शमशेरा मुस्कुराता है।

शमशेरा मन में) इस बुड्ढे को क्या बताउ के हम शाहजेब को लिए बिना यहाँ से नहीं जाएंगे।

बलदेव और देवरानी चौधरी के साथ उसी गुफा में चल देते हैं जहाँ घाटराष्ट्र के कुछ सैनिक और अन्य चौधरी, जीविका और वैध जी के साथ रुके हुए थे।

थोड़े देर में वह सब उस गुफा तक पहुँचाते हैं, अंदर जाते हैं ही जैसे ही बलदेव की नजर जीविका पर पड़ती है उसकी आखे गुस्से से लाल हो जाती है।

देवरानी जीविका को देख अपना मुँह फेर कर एक कोने में चली जाती है।

वैध: आइये युवराज बलदेव! पधारिये!

बलदेव: जी वैध जी! आप ठीक तो हो ना।

बलदेव अपनी दादी जीविका की तरफ देख भी नहीं रहा था।

चौधरी1: आइए आप लोग बैठिए!

सैनिक2: युवराज हमारे घटराष्ट्र का हाल अभी बहुत बुरा है। शाहजेब ने अति कर दी है।

चौधरी2: हाँ युवराज हमारी बहू बेटी कोई भी सुरक्षित नहीं है।

बलदेव: अब इसका कारण मैं तो नहीं हूँ?

सैनिक2: पर आप हमारी मदद कर सकते हैं।

चौधरी2: महारानी जीविका आप कहिए!

जीविका: बलदेव बेटा जो हुआ सो हुआ। अभी सिर्फ मेरे बेटे राजपाल की जान ही नहीं पूरे घटराष्ट्र वासियों की जान और इज्जत तुम्हारे हाथ में है। अगर तुम हमारी मदद करोगे तो...

बलदेव: जब मुझे मरता हुआ छोड़ दिया था तब तो कोई घटराष्ट्र वासी मेरी मदद के लिए नहीं आया अब मैं क्यों उनकी मदद करूँ।

जीविका: तुम हमारी मदद करो हम सब तुम्हारा अहसान कभी नहीं भूलेंगे।

बलदेव: महारानी जीविका हम ने भी आप से बहुत बार कहा की आप हम पर अहसान कर दें पर हमारी आपने एक नहीं सुनी।

जीविका: देखो अभी बदला लेने का समय नहीं है। बोलो बदले में तुम्हें क्या चाहिए?

बलदेव कुछ सोचता है फिर कहता है।

बलदेव: बदले में मुझे घटराष्ट्र के राजा की गद्दी चाहिए और...!

चौधरी2: और क्या

जीविका भी बलदेव की ओर देख रही थी और सब एक टक बलदेव को देख जा रहे थे।

बलदेव: और देवरानी मुझे मेरी रानी के रूप में चाहिए. सब उसका महारानी की तरह आदर सत्कार करे...मुझे घाटराष्ट्र का महाराजा बनना है और मैं देवरानी को बनाऊंगा महारानी!...अगर मेरी मांगे पूरी हुई तो ही मैं तुम सब की मदद कर सकता हूँ।

ये सुन कर वहा पर जितने भी चौधरी और सैनिक थे, सबको सांप सूंघ गया और देवरानी अपने पल्लू को हल्का-सा ऊपर उठा कर बलदेव को देखती है। बलदेव मुस्कुरा रहा था और देवरानी भी ये देख मुस्कुरा दी।

जीविका को ये सुन चक्कर-सा आ जाता है।

सन्नाटा छा जाता हैऔर सब लोग इस कशमकश में पड़ जाते हैं और सोचने लगते हैं आखिर क्या किया जाए...!

जारी रहेगी

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