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Click hereमहारानी देवरानी
अपडेट 85
घटराष्ट्र की रक्षा का प्रण
बलदेव: और देवरानी मुझे मेरी रानी के रूप में चाहिए जिसका सब आदर सत्कार करे...मुझे बनना है घाटराष्ट्र का महाराजा और मैं देवरानी को बनाऊंगा महारानी...अगर मेरी मांगे पूरी हुई तो ही मैं तुम सब की मदद कर सकता हूँ।
ये सुन कर वाहा पर जितने चौधरी या सैनिक थे सबको सांप सूंघ गया । देवरानी अपने पल्लू को हल्का-सा ऊपर उठाये बलदेव को देखती है जो मुस्कुरा रहा था उसे देख देवरानी भी मुस्कुरा दी।
जीविका को ये सुनकर चक्कर-सा आ जाता है।
सन्नाटा छा जाता है या सब लोग इस कशमकश में पड़ जाते हैं या सोचने लगते हैं आखिर क्या किया जाए!
बलदेव: क्या हुआ सांप सूंघ गए सबको?
जीविका: नहीं...तुम हम से ये मांग छोड़ कर कुछ और मांग लो । तुम चाहे तो महाराजा बन जाओ घटराष्ट्र का जो चाहे वह करो । तुम 10 विवाह कर लो पर मैं तुम्हे देवरानी से विवाह के लिए अनुमति दे नहीं सकती।
चौधरी2: बलदेव आप महाराजा बन जाएँ तो हमें कोई आपत्ति नहीं पर अपनी माँ से विवाह करना तो पाप होगा । आप खुद सोचिए!
बलदेव: मैं जो सोच रहा हूँ वही बोल रहा हूँ और देवरानी भी इस बात से सहमत है।
जीविका: इस से पहले समय हाथ से निकल जाए तुम दोनों होश में आजाओ । तुम्हें पता है इस रिश्ते के कारण से हमारी कितनी बेइज्जती हुई है और तुम चाहते हो विवाह कर के दुनिया के सामने हमारी नाक कट जाए।
तभी देवरानी बोल पड़ती है।
देवरानी: माँ जी ये बात आप कह रही है? आपके बेटे ने मुझसे जीवन भर परायो-सा व्यवहार किया, तब आपकी नाक नहीं कटी?
आपके बेटे ने मुझे अपने मित्र रतन सिंह के बिस्तर पर भेजने के लिए जबरदस्ती की, क्या तब आप की नाक नहीं कटी?
आपका बेटा राजपाल पिछले 18 साल से वैश्यो के पास जाता है इससे आप की नाक नहीं कटी?
वाह! घटराष्ट्र वासियो अगर तुम्हारे राजा के ये सब काम करने से और मेरा जीवन नरक बनाने के बाद भी आप सबकी नाक नहीं कटी । तो जिसे मैं सच्चा प्यार करती हूँ, उस बलदेव से विवाह करने पर अगर आपकी नात कटटी है तो भी मुझे इसकी कोई परवा नहीं।
ये सुन सब के सब मूरत बन देखते रह जाते हैं।
बलदेव: हमारे पास ज़्यादा समय नहीं है और दादी माँ आप चाहें ना चाहें, हम फिर भी विवाह जरूर करेंगे।
बलदेव अपने कमर में लगे चाकू से अपने अंगुठे को लगाता है और चाकू की तेज धार से अंगूठा हल्का काट जाता है । बलदेव जा कर देवरानी के माथे पैर अपने अंगूठे के खून से देवरानी का माथा भर देता है ।
देवरानी बलदेव को देखती रह जाती है।
बलदेव: बनोगी न मेरी जीवन साथी।
देवरानी झट से बलदेव के चरण स्पर्श करते हुए कहती है ।
देवरानी: बलदेव जी मैं हमेशा आपका साथ दूंगी चाहे दुख हो या सुख हो!
बलदेव: ये क्या मेरे चरण मत छूओ।
बलदेव देवरानी को पकड़ कर उठाता है।
देवरानी: पति भगवान समान होता है और अपने भगवान की चरण छूना गलत नहीं है ।
ये सब देख कर गुफा में मौजुद जीविकाऔर जितने चौधरी थे और सैनिक सब स्थिर हो जाते हैं।
चौधरी2: महारानी जीविका आप अनुमति दे ना दे, ये तो वही करेंगे जो ये चाहते हैं। इसकी वजह से घटराष्ट्र को खोना ठीक नहीं होगा।
जीविका: तुम्हारे कहने का अर्थ क्या है कि मैं इन्हे विवाह करने की अनुमति दे, एक माँ बेटे को, तुम पागल तो नहीं हो गए हो ।
चौधरी2: पागल हम नहीं महारानी आपका पुत्र राजा राजपाल है, जिसने इस बेचारी को जीवन भर दुख दिये जिसकी सजा तुम सब भोग रहे हो।
चौधरी1 माफ़ करना महारानी पर आप अपने घर की इज्जत बचाने के लिए पूरे घाटराष्ट्र की बहू बेटियों की इज्जत की कोई चिंता नहीं कर रही हो।
चौधरी1: हम सब पूरे गृहराष्ट्र के गाँवों के मुखिया हैं और सालों से घटराष्ट्र के पालन पोषण में हमारा योगदान रह रहा है।
चौधरी2: महारानी जीविका अगर हम ये नहीं करेंगे तो सब बर्बाद हो जाएगा। वह शाहजेब दिल्ली की तरह यहाँ भी कब्ज़ा कर लेगा याऔर हमारी बहू बेटियों को वह उठा कर ले जाएगा।
चौधरी1: हमारा राज्य हम से छीन जाएगा और हमें यहाँ से भागना होगा या फिर शाहजेब के हाथो मरना होगा।
इन सबको अपने प्रस्ताव से असहमत देख बलदेव और देवरानी एक दूसरे की बाहो में बाहे डाल गुफ़ा की बहार निकलने लगे ।
चौधरी2: महारानी अपने परिवार के मान सम्मान के खातिर आप पूरे घटराष्ट्र के मान सम्मान को खो दोगी। आप बलदेव को हाँ कह दीजिए अन्यथा घटराष्ट्र की प्रजा को जब पता चलेगा कि आप सबको बचा सकती थी पर आप ने नहीं बचाया तो वह आपको कभी मुआफ नहीं करेगी ।
जीविका: (मन में) हे भगवान! अब मैं क्या करु एक तरफ पूरे घटराष्ट्र के लोग है दूसरी तरफ मेरे बेटे की पत्नी को मैं किसी और को कैसे दे दू... { (दूसरा मन) देवरानी ने भी तो बहुत तकलीफ उठाई है और वैसे भीवो दूसरा आदमी मेरा पोता बलदेव ही है।}
पूरी गुफा में जितने भी सैनिक और चौधरी थे, अब सब ज़ोर-ज़ोर से बातें करने लगते हैं और जीविका को ग़लत बताने लगते हैं, तभी एक ज़ोर की आवाज़ आती है जिसे सुन सब चुप हो जाते हैं।
"रुक जाओ बलदेव!"
जीविका जाते हुए बलदेव या देवरानी को रोकती हैं तो बलदेव और देवरानी पीछे घूम कर देखते हैं।
जीविका: हमें तुम्हारी मांगे मंजूर है।
ये सुन कर तो जैसे बलदेव और देवरानी की खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। देवरानी की आंखो में खुशी की आसु छलक जाते है और वह बलदेव के सीने पर सर रख कहती है ।
देवरानी: आख़िर हमारी प्रेम कहानी रंग लाई!
बलदेव: प्रेम अगर सच्चे मन से करो तो आज ना कल जीत होती ही है।
बलदेव और देवरानी वापस आते हैं।
बलदेव: धन्यवाद दादी!
जीविका अपना मुंह फेर लेती है।
बलदेव: दादी आप अपने पोते की होने वाली पत्नी को अपनी पॉट पोतबहू को आशीर्वाद नहीं दोगी?
ये सून देवरानी लज्जा जाती है। बलदेव उसे देख कहता है ।
बलदेव: पैर छूओ दादी के भी!
देवरानी मुस्कुराती हुई जीविका के चरण छू लेती है पर जीविका अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लेती है।
जीविका: चलो अब काम की बात करो। आज शाम में शाहजेब जा रहा है, अगर वह निकल गया यहाँ से तो...!
बलदेव: दादी मैं शाहजेब को यहाँ से किसी भी एक स्त्री को ले कर जाने नहीं दूंगा।आवश्श्यकता पड़ी तो चाहे मैं अपनी प्राण दे दूंगा और घटराष्ट्र पर जैसे ही हम वापस अपना झंडा लहराएंगे मैं देवरानी से विवाह करूंगा।
चौधरी2: बेटा चलो हमारे पास समय बहुत कम है।
बलदेव: चौधरी साहब आप चिंता मत कीजिए मुझे पता है शाहजेब अपने कुछ सैनिकों के साथ कुबेरी की तरफ जाएगा ोरव अपने आधे से ज्यादा सैनिकों को यहीं लूट मार करने के लिए रखेगा...पर ये उसकी ऐसी मंशा है जो मैं कभी पूरी नहीं होने दूंगा।
चौधरी2: हम सबको बेटा तुम से यही उम्मीद थी।
बलदेव: चौधरी जी घटराष्ट्र की हर स्त्री मेरी माँ बहन है उनके हुए हर एक अपमान का बदला मैं शाहजेब से लूंगा।
ये सुन कर वहा पर सब बलदेव को गौर से देखने लग जाते हैं।
बलदेव अपना हाथ आगे उठा कर प्रण लेता है।
"मैं बलदेव सिंह यानी के घटराष्ट्र का महाराजा आज प्रण लेना हुँ को शाहजेब को सज़ा मिलेगी और इसका बदला हम उससे दिल्ली छीन कर लेंगे।"
सब आशाचार्यचकित हो कर बलदेव की ओर देखते हैं...!
कुबेरी
इधर कुबेरी में महल में आराम कर रहा राजा रतन सिंह के साथ उसकी पत्नी एलिजा थी, जो उसे मदिरापान करवा रही थी। रतन सिंह इस बात से अंजान था कि उसके राज्य में दो अलग-अलग सेना आक्रमण करने के लिए लगभाग पाहुच चुकी है। एक दिल्ली की सेना और उसके पीछे सुल्तान की सेना जिसका साथ देवराज दे रहा था।
रतन: और पिलाओ एलिजा! इस देवरानी के रूप ने मुझे पागल कर दिया है।
एलिज़ा रत्न सिंह को ग्लास भर के मदिरा मदीरा देती है और वह मदिरा पीने लगता है।
शाहजेब की सेना कुबेरी को पश्चिम दिशा से आक्रमण करने की तैयारी कर रही थी और सुल्तान तथा देवराज अपनी सेना के साथ उत्तर दिशा से आक्रमण करने की तयारी में थे।
जारी रहेगी