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Click hereमहारानी देवरानी
अपडेट 86
बात बन गयी
::::: कुबेरी ::::
कुबेरी के महल के उत्तर से आक्रमण की तयारी में सुल्तान या देवराज अपनी सेना के लिए खड़े थे, वही कुबेरी के महल के पश्चिम से शाहजेब की सेना धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। कुबेरी की सीमा पर आकर सुल्तान अपना हाथ उठा कर इशारा करते हैं और सब रुक जाते हैं।
सुलतान: फौजियो हमें एक नहीं दो गुटों के साथ लड़ना है शाहजेब की 15000 फौज है और हमें पता है कि कुबेरी की ताकत क्या है, इसलिए युद्ध शुरू होने से पहले आप सब अपने साथ, जो कुछ लाए हो वह खा पी लो।
सुल्तान देखता है देवराज गहरी सोच में डूबा हुआ है सुल्तान अपने घोड़े में लटके बस्ते में से कुछ लड्डू निकाल कर देवराज को देते हुए कहते हैं ।
सुलतान: ये लो देवराज खाओ!
देवराज: नहीं सुल्तान अभी इच्छा नहीं है।
सुल्तान: खाओ भी, हमें पता नहीं की अभी कितने दिन तक जंग हो।
देवराज सुल्तान से एक लड्डू ले कर खाने लगता है, सुल्तान देवराज को पास से सैनिको से दूर ले जाता है
सुलतान: देवराज जी! आप इतने परेशान हैं और जब आप पारस से निकले हों तो आप कुछ ज्यादा परेशान लग रहे हों।
देवराज: नहीं सुल्तान ऐसा नहीं है।
सुल्तान: तो वह मुझे वह देवराज क्यों नहीं दिख रहा, जो हमेशा जंग में दिखता था। ऐसे सोच में डूबे रहोगे तो जंग कैसे लड़ पाएंगे हम।
देवराज: आप चिंता ना करें सुल्तान।
सुलतान: आप हमारे सालो पुराने दोस्त हैं। आप हमसे ना छुपाए, अगर आपको देवरानी की बात खाए जा रही है तो हमे बताएँ?
देवराज को जैसा झटका लगता है।
सुल्तान: देवराज! मैं ये नहीं कहना चाहता था।क्योंकि मुझे लगता था शायद आपको ये लगे की मैं आपका अपमान कर रहा हूँ, पर आप को ऐसे दुखी देख मुझसे रहा नहीं गया।
देवराज: आप क्या कहना चाह रहे हैं, सुलतान?
सुल्तान: देखिये देवराज जी हम जानते हैं, आप कितने अच्छे और इज्जतदार हैं। अगर आपकी बहन ने कोई गलत फैसला ले लिया तो उसके लिए हमारी आखो के सामने आपकी इज्जत कभी कम नहीं होगी।
देवराज की आँखे फटी रह जाती है और वह ये बात सुन चौक जाता है।
सुल्तान: चौकिए मत देवराज जी! पारस से निकलने से पहले जब हम तैयारी कर रहे थे तो हमारी बेगम हुरिया ने मुझे सब बता दिया था।
सुल्तान आगे बढ़ कर देवराज का हाथ पकड़ कर कहते है ।
सुलतान: आप फ़िक्र नहीं कीजिए देवराज जी! आप हमें ये जंग जीत करहमे कुबेरी का खजाना दीजिए आपको हम एक नायाब तोहफा देंगे।
सुलतान ने ये बात कह कर जैसे देवराज की दुखती नस पर हाथ रख दिया था।
देवराज: सुल्तान कैसे भूल जाऊ मैं भला कि मेरी बहन मेरे भांजे के साथ एक ऐसा रिश्ता बनाया है, जिससे मेरी आत्मा तक हिल गयी है।
देवराज का मुँह एक दम रोने जैसा हो जाता है।
सुल्तान उसको झट से गले लगा कर कहते हैं ।
सुल्तान: देवराज मेरे दोस्त तुम मेरे छोटे भाई जैसा हो, तुम किसी और की, वजह से अपना दिल मत दुखाओ!
सुल्तान गले लग कर देवराज के कंधे पर थपकी देते हुए उसे छोड़ता है ।
सुलतान: शेर कभी दुखी नहीं होते डट कर सामना करते हैं।
देवराज: हम्म सुल्तान पर अधर्मियों को पता नहीं वह कितना बड़ा पाप कर रहे हैं! ये भगवान को क्या मुंह दिखायेंगे?
सुल्तान: उनका गुनाह उनके साथ है। वैसे भी ऐसा होता ही रहा है पिछले जमाने में भी ऐसे रिश्ते कायम होते थे ।
देवराज: क्या बात कर रहे हो आप?
सुल्तान: सही कह रहा हूँ । हमारे अरब में बाप के मरने के बाद बाप की जगह के साथ उसके बेटे को उसकी माँ भी मिलती थी।
ये कह कर सुल्तान मुस्कुराता है जिसे देख देवराज का भी दिल थोड़ा हल्का होता है।
सुलतान: इतना वह नहीं मिश्र मैं तो कितने राजाओं ने अपनी बहन और अपने खानदान में शादीया की है ताकि अपनी सल्तनत किसी अन्य के हाथ में ना जाये ।
देवराज: पुराने जमाने की बात कुछ और थी पर अब तो हम समझदार हो गए हैं ना।
सुल्तान: हाहाहाहा क्या समझदार! इंसान तो इंसान ही रहेगा भायी, और वैसे भी मेरी बात का बुरा ना माने तो कहू!
देवराज: जी कहिए.
सुल्तान: हुरिया कह रही थी कि देवरानी ने बहुत दुःख उठाया है। उसके साथ बहुत बुरा बरताव किया गया था फिर सुल्तान देवराज को वह हर बात बता देता है जो देवरानी ने हुरिया को बताई थी। देवराज ध्यान से सुलतान की पूरी बात सुनता है।
सुल्तान: हमने ये भी पता किया है अपने घाटराष्ट्र के नुमाइंदों से की राजपाल ने तुम्हारी बहन देवरानी को राजा रतन सिंह के साथ हमबिस्तर के लिए मजबूरकरने की कोशिश की ।
ये बात सुन कर देवराज का गुस्से से आख लाल हो जाती है।
सुल्तान: हाँ देवराज जी! अब बेचारी देवरानी ने इतनी परेशानी उठाई हे जिंदगी भर, तो उससे अब नफ़रत क्या करना।
देवराज: राजा रतन की इतनी हिम्मत मेरी बहन के ऊपर आख उठाई. अब मैं उसे जिंदा जला दूंगा।
सुल्तान: ये हुई ना बात देवराज जी । ये जंग हमें कैसे भी जीतनी है । आप अपनी बहन के ऊपर गंदी नजर रखने वाले को अपने हाथों से सजा दो।
देवराज: सुलतान! अब उसका खून मेरी इस तलवार पर लगने से पहले मेरी तलवार नहीं रुकेगी।
सुल्तान: और बुरा ना मानो तो तुम्हें राजपाल जैसे बूढ़े से देवरानी की शादी नहीं करवानी चाहिए थी।
देवराज: तब सिर्फ पिता जी निर्णय लेते थे। मेरी आयु कम थी इसलिए चाह कर भी हम कुछ ना कर सका और पिता जी इस कमीने राजा रतन के बहकावे में आ गए थे।
सुल्तान: राजा देवराज अपनी बहन पर तुम्हे जो गुस्सा है उसे थूक दो। वैसे भी उसका कोई नहीं है तुम्हारे सिवा।
ये सुन कर देवराज खामोश हो जाता है।
देवराज: सैनिक!
सैनिक भाग कर आता है।
देवराज: पानी लाओ और तुम सब अब जल्दी तैयार हो जाओ, सूर्य ढलने वाला है। आक्रमण करने का समय आ गया है ।
उधर कुबेरी महल में आराम से मदीरा पी कर सो रहा था राजा रतन सिंह।
:::: घटराष्ट्र की सीमा पर ::::
इधर बलदेव और देवरानी गुफा में जीविका और गाँव के चौधरीयो के साथ उनके साथ कुछ सैनिक भी थे।
बलदेव: अब हमें चलना चाहिए!
देवरानी: ठीक है।
चौधरी2: भगवान तुम्हें विजयी बनायें!
सैनिक2: हम भी आपके साथ जायेंगे युद्ध में।
बलदेव: हमारे पास बहुत बड़ी सेना है, आप अपनी तरफ से जो सहायता कर सकते हैं कर देना, पर अभी मुझे आपकी ज़रूरत नहीं पड़ेगी । आप लोगों की सुरक्षा पर ध्यान दो ।
बलदेव जीविका के पास जा कर उसकी पैर छूता है।
"दादी मुझे आशीर्वाद तो अपने राष्ट्र की सुरक्षा करने के लिए जा रहा हूँ।"
जीविका न चाहती हुई भी उसके सर पर हाथ फेरती है।
बलदेव देवरानी को ले कर गुफा से बाहर आता है और अपने घोड़े पर बैठ दोनों शमशेरा के पास आते हैं।
शमशेरा: आगये तुम लोग । क्या हुआ? क्यू बुलाया था?
बलदेव: भाई एक ख़ुशख़बरी है।
शमशेरा: क्या बताओ?
बलदेव: ऐसे नहीं सुनो...मुझे दादी ने बुलाया था और हमारे गाँव के सब मुखिया जो चौधरी कहलाते है । उन सब को लगा के तुम मुझे घटराष्ट्र से वापस पारस ले जाने के लिए आये हो।
शमशेरा: अच्छा! फ़िर?
बलदेव: फिर क्या, वह कहने लगे कि उनका राज्य खतरे में है। सबको कैदी बना लिया है शाहजेब ने और उसकी फ़ौज ने लूट पाट मचा रखी है अगर हम उसकी मदद कर सकें तो...!
शमशेरा: तो फिर तुमने क्या कहा?
बलदेव: मैंने कहा कि अगर मेरी मांग पूरी हुई तो मैं पारसी फौज की मदद से शाहजेब की फौज को हरा सकता हूँ।
शमशेरा: तुमने क्या मांगा?
बलदेव: मैंने देवरानी को पत्नी के रूप में माँगा और घटराष्ट्र की गद्दी भी मांगी । तो वह थोड़ी सोच और चौधरियो के कहने के बाद वह मान गई
बलदेव झट से शमशेरा के गले लग जाता है जिसे देख देवरानी मुस्कुराने लगती है।
शमशेरा: बस भी करो...आखिर तुमने अपनी माँ को जीत ही लिया।
शमशेरा बलदेव के गले से अलग होता है
शमशेरा: तो अब तुम दोनों कहीं नहीं जाओगे, बल्कि हमारे साथ जंग में शरीक हो रहे हो...हमें सूरज ढलते ही शाहजेब को धूल चटा देनी है।
जारी रहेगी