एक नौजवान के कारनामे 247

Story Info
2. 5. 30 हनीमून - नग्न निवासी
1.4k words
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6
00

Part 247 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-5

मधुमास (हनीमून)

PART 30

हनीमून - नग्न निवासी

कुछ देर बाद मेरी नींद खुली तो मैंने देखा ज्योत्सना अभी भी सो रही थी। मैंने देखा कि मुग्धा और मेघा दोनों सोफे पर सो रही थी और क्या नज़ारा था! वे पूरी तरह से नग्न थी और कमर के ठीक नीचे उन्होंने एक कंबल से ढका हुआ था। मुझे उनकी आधी बालों वाली चूत और उनके पूरे नग्न छाती और स्तन दिखाई दे रहे थे ।

मुग्धा की नाभि गहरी थी और उसके स्तन इतने सुंदर रूप से गोल थे कि निप्पल उन पर तन कर खड़े हुए प्रहरी लग रहे थे। एक ही क्षण में मेरा लिंग कठोर हो गया था और मैं केवल अपने पजामा पहने हुए था, उसमे तंबू बन गया। मेरे द्वारा परदे हटा कर अंदर आने से जो सरसराहट हुई उसे सुनकर मुग्धा जाग गई और उसने आलस्य से अपनी आँखें खोलीं और प्रणाम कर मेरा अभिवादन किया। वह उठ बैठी और धीरे-धीरे अपने पैर फर्श पर रखे और मुझे देखते हुए और अपनी बाहों को फैलाते हुए जम्हाई ली।

अब उसका पूरा नग्न बदन मेरे सामने था ।

उसकी पुसी को छोड़कर उसके पूरे शरीर पर वैक्स किया गया था और उसे मेरी उपस्थिति में नग्न होने में कोई आपत्ति नहीं थी। वह मुस्कुराई, खड़ी हुई और मुझसे पूछा कि क्या मुझे कॉफी चाहिए। मैंने कहा हाँ लेकिन पहले मैं थोड़ी देर गाँव में टहलना चाहूँगा और वह उठी और अपने कंबल की मोड़ कर रखा और अपने अन्य कपड़ों को मोड़कर अपनी बाँह में ले लिया और गांड मटकाती हुई रसोई में चली गई। मैं अभी भी पूरे प्रकरण से चकित था, लेकिन मैंने कोई भावना दिखाने की हिम्मत नहीं की। मेघा अभी भी वहीँ सो रही थी ।

मैं अभी भी मुग्धा की पूरी नग्नता और मुग्धा की नग्नता के बाबजूद उसकी सहजता से चकित था। मैंने कुरता पायजामा पहना और बहार निकल गया । कॉलेज से अगला घर जो आया वहाँ मेज़ाज़ी मेरी सेक्रेटरी रहती थी और जैसे ही मैं उसके घर के पास आया, वह मेरा अभिवादन करने के लिए बाहर आई। एक और सदमा देने वाला नजर मेरे सामने था।

उसने माइक्रो मिनी स्कर्ट पहनी हुई थी और बस इतना ही। उसके गले में एक तौलिया लटक रहा था जिससे उसके दोनों स्तन बमुश्किल ढके हुए थे। जब मैं अपनी आँखों से उसका बलात्कार कर रहा था तो उसने बेपरवाही से मुझे हैलो कहा। वह बहुत सुंदर और वहाँ के अन्य निवासियों की तरह गोरी और लम्बी थी। उसे भी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि उसने एक पूर्ण अजनबी के सामने कैसे कपड़े पहने या नहीं पहने थे।

गाँव की सचिव मेजाजी ने आकर बताया कि उन्होंने दोपहर के भोजन से पहले एक छोटा-सा सार्वजनिक दरबार आयोजित किया है ताकि जो ग्रामीण हमसे मिलना और अभिवादन करना चाहते हैं वे ऐसा कर सकें। मैंने कहा कि मैं पहले गाँव का एक छोटा चक्कर लगाना चाहूंगा। तो वह बोली क्या वह मेरी मदद करे तो मैंने कह नहीं इसकी जर्रूरत नहीं है । ये बस थोड़ी-सी सैर के जैसा है । पूरा गाँव देखने हम बाद में चलेंगे ।

हमारे बीच एक त्वरित बातचीत हुई और मेरे पयजामेक में मेरा उग्र लंड एक बड़ा तम्बू बना रहा था था, मैंने उसे उसके दरवाजे पर छोड़ दिया और मैं जल्दी से कॉटेज के वॉशरूम की ओर चला गया।

दिन केस लगभग 12.00 बज चुके और फिर भी वहाँ सुखद हवा के झोंके से गर्मी नहीं थी। मैं कॉटेज के आसपास घूमा और देखा कि गाँव के घरो के बाहर कुछ बच्चे बिना कपड़ों के खेल रहे हैं। फिर मैंने किशोर लड़कियों का एक समूह देखा, वह भी खेल रही थी और वह भी नग्न थी। यह मुझे बड़ा अजीब लग रहा था कुछ किशोरियो के स्तन थोड़ा उभरे हुए थे और वे उछल-कूद कर रही थी तो उनके स्तन हिल रहे ठे। उनके साथ के लड़के भी खेल रहे थे और उनके लिंग भी अर्ध कठोर लग रहे थे और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। मेरा दिमाग इस सब के बीच दौड़ रहा था और इस गाँव में जो हो रहा था उसे समझने की कोशिश कर रहा था।

मैंने देखा कि दो ग्रामीण पुरुष तौलिया लपेटे हुए मेरी तरफ आ रहे थे उनके तौलिये भीगे हुआ लग रहे थे मैंने अनुमान लगाया वह स्नान करके आ रहे है । उन गरमाने ने मुझे देखा और प्रणाम कर पुछा

ग्रामीण 1: गुड मॉर्निंग भीनी जोवाई सर।, कैसे हैं आप।

मैं: गुड मॉर्निंग! मैं अच्छा हूँ धन्यवाद। आप सभी का भी दिन शुभ हो।

ग्रामीण 2: भीनी जोवाई सर। क्या आप किसी पार्टी में जा रहे हैं?

मैंने सोचा, निश्चित रूप से, नग्न पुरुषों के बीच, पायजामा कुर्ते में जाना भी इस गाँव में एक आदमी के लिए निश्चित रूप से पार्टी में जाना जैसा ही है । मैं हँसा और बोला, मुझे नहीं पता था कि गाँव में कुर्त्ता पायजामा पहनना भी ओवर ड्रेसिंग हो पार्टी में जाने की ड्रेस माना जाता था। वे सभी हँसे और वह बोले। आप जो चाहें वह पहन सकते हैं । हमारे गाँव में अब कुछ खुला हुआ है । मैंने कहा या मुझे भी यही एहसास हो रहा है कि मैंने कुछ ज्यादा ही कपडे पहने हुए हैं ।

फिर मैं घूमता हुआ एक छोटे तालाब के करीब पहुँचा, मैंने देखा कि महिलाओं और पुरुषो का एक झुंड मेरी ओर आ रहा था और लगता था कि महिलाये अपने घरों को लौट रही नंगी थी लेकिन कमर पर एक तौलिया लपेटा हुआ था। उनके स्तन मेरे सामने थे और जब वह चल रही थी तो धीरे-धीरे उछलते थे और महिलाये हंस रही थी। उन सभी ने मुझे देखा और मेरे पायजामे में बने तम्बू को देखा हँसी और कहा "गुड मॉर्निंग सर, आपका छोटा भाई कैसा है" और ठहाका लगाया। मैं बेशर्मी से मुस्कुराया और अपने कंधे से लटकते अपने तौलिये से उस तम्बू को ढंकने की कोशिश की। इससे पुरुषों और महिलाये दोनोंऔर जोर से हसने लगे।

एक कोने में पेड़ के नीचे मैंने एक जोड़े को संभोग करते हुए देखा। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, मेरी सेक्रेटरी मेरे पास आयी उसने कहा, "मुझे आपकी मदद करने दीजिए सर" जिस पर मैंने जवाब दिया, "नहीं, मैं ठीक हूँ"। लेकिन उसने इसकी एक भी नहीं सुनी और मेरा पजामा उतार दिया।

मेरा लंड सीधा हो गया और आसमान की ओर देखने लगा। वह मेरे लंड का आकार, लम्बाई और मोटाई देख कर चकित थी । सर आपका लिंग गाँव के सारे मर्दो से बड़ा और तगड़ा है । राजकुमारी भीनी जी बहुत किस्मत वाली हैं और आपको इसके बड़े आकार के लिए शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है । बल्कि ये तो गर्व की बात है । मैंने देखा वहां मौजूद सभी महिलाये मेरे लिंड को खुले मुँह से साथ देख रही थी।

उसने फिर मेरा करता उतार दीया और मेरे लंड को पकड़ा और मुझे पानी की तरफ खींच लिया। मेरी छाती पर पानी के छींटे मारे और मुझे और मेरी पीठ को सहलाने लगी। वह जल्द मेज़सि मेरी कमर तक पहुँच गई और वह मेरी गेंदों को निचोड़ रही थी और मेरे लंड को खींच कर साफ़ कर रही थी। उसने फिर लंडमुंड पर चमड़ी को पीछे धकेल दिया और मेरी पत्नी के साथ मेरी पिछली चुदाई से अवशिष्ट सह को साफ किया।

उसने फिर मेरी गांड पर पानी के छींटे मारे और मेरी गांड पर उंगली डाली, जिससे मुझे झटका लगा। वह हँसी और कहा कि ऐसा करना ठीक है, किसी भी संक्रमण को रोकने के लिए हर छिद्र को ठीक से साफ करना चाहिए। फिर उसने धीरे-धीरे मेरे लंड की तब तक मालिश करनी शुरू कर दी जब तक मैं और नहीं रोक पाया और उसके हाथों में षक्लित जो गया। वह मुस्कुराई और मेरे लिंग से निकला वीर्य चूसने लगी और पूरा पी गई। उसने फिर कहा, वह मुझसे बाद में मिलेगी। मैंने थोड़ी शर्मिंदगी में अपना सिर हिलाया और एक शब्द भी नहीं कहा।

मैं उस पैलेस महल में वापस चला गया, मेरे कंधे पर तौलिया था जो मुझे एक ग्रामीण ने दिया था और ग्रामीणों की तरह मेरे कपड़े मेरी बांह पर रखे हुए थे थे। जब मैं घर पहुँचा, तो ज्योत्सना और मेघा जाग चुकी थी और ज्योत्सना टेबल पर बैठी थी, वह अभी तक नंगी थी। उसने मुझे नग्न अवस्था में चलते देखा और मुस्कुराई। मैं जानता था कि वह मन ही मन पूछ रही थी "क्या हुआ!" नंगे कहाँ घूम कर आये हो?

मैं उसके बगल में बैठ गया और उसे पूरा किस्सा सुनाया। तब तक मुग्धा हमारे लिए कॉफी ले लाईं और उन्होंने मुझसे वास्तव में पूछा कि क्या मैं कॉफी पीते हुए ब्लो जॉब करवाना चाहूंगा क्योंकि मुग्धा और मेघा को देखने से मेरा लिंग फिर से तन गया था और अब तौलिये में तम्बू बन गया था।

जारी रहेगी

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