अंतरंग हमसफ़र भाग 333

Story Info
10.41 आनंद की तालाश की यात्रा हस्त मैथुन
1.2k words
0
4
00

Part 333 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

मेरे अंतरंग हमसफ़र

333

दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 41

हस्त मैथुन

पहले झटके के बाद, एल्डा ने उसे छोड़ दिया और बर्टा ने फिर मेरे लंड को थोड़ा कस कर पकड़ लिया और एक बार फिर से अपना हाथ ऊपर-नीचे किया। इस बार, मुझे अपने पेट तक सनसनी महसूस हुई, क्योंकि एल्दा ने मेरी पीठ को तराश लिया था। एल्डा ने अपने दूसरे हाथ से मेरी कमर को हल्के से दबाया। अपने बाएँ हाथ का उपयोग करते हुए, बर्टा ने मेरे लंड को 3-4 बार और सहलाया और रुक गई और एल्दा ने मेरे अंडकोष को अपने दाहिने हाथ में पकड़ लिया और धीरे-धीरे उन्हें हलकों में घुमा दिया। मैंने पहले कभी भी अपने अंडकोष में ऐसा आनंद का अनुभव नहीं किया था। अपने बाएँ हाथ से, बेर्टा मेरे लिंग के निचली परिधि की मालिश कर रही थी और अपना दाहिना हाथ मेरी गेंदों पर घुमा रही थी। बीच में एक जब मेरी कमर की मालिश करना बंद कर देती थी तब दूसरी उस समय अपने दोनों हाथों से मेरे लिंग के साथ खेलती थी और फिर वापस दोनों कुछ देर बाद अपनी जगह बदल लेती थी। कभी-कभी उनके दोनों के हाथ मेरे लंड पर भी होते थे, एक बेस पर और दूसरा मेरे लंड के बीच से मेरे लंडमुंड की ओर बढ़ गया।

बेर्टा और एल्दा दौड़ने ने महसूस किया की लंड पकड़ते ही मेरी कमर ने उत्तेजना की कारन झटके लगने शुरू हो गए थे, बेर्टा ने एक हाथ से गरम, खून से भरे मांस की गरम राड, लोहे की तरह सख्त हो चके लड़ को बीच से कसकर पकड़ा, लंड पत्थर की तरह कठोर हो चूका था। और लंड को जड़ से पकड़कर जोर से ऊपर नीचे किया।

अब बेर्टा ने लंड से खेलना शुरू कर दिया, लंड की खाल को धीरे-धीरे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। बेर्टा की उंगलियों की मालिश से मुझे बड़ा अच्छा फील हो रहा था, इतना अच्छा मुझे आज तक किसी दूसरी चीज से नहीं हुआ, खुद मुठ मारने से इसकी तुलना करना ही बेकार है, बेर्टा से सुंदर कोमल हाथो से लंड पर लग रहे झटके से अच्छा मुझे कभी महसूस नहीं हुआ था। लेकिन मैं सिर्फ मुठ मार के झड़ने से संतुष्ट नहीं होने वाला था। वह लंड मुंड अंडकोषों और लंड की लम्बाई पर हाथ फिरा रही थी । जहाँ चमड़ी लंड की नाली पर एकत्रित हुई थी उस जगह पर भी बहुत हलके से उंगलिया चला रही थी और फिर ऐलड़ा ने फुर्ती से पास की ड्रोर से एक आयल निकाला और लंड पर उड़ेल दिया और बेर्टा लंड के चारो और तेजी से हाथ ऊपर नीचे करने लगी। बेर्टा के हाथ नीचे जाते ही तेल से सना सुपदा चमकने लगता और ऊपर आते ही अपनी ही खाल में घुस कर कही गुम-सा हो जाता। तेल लगाने से अब हाथ आसानी से लंड पर फिसल रहे थे।

एल्दा ने बेर्टा का हाथ पकड़ लिया और न केवल उसे अपने लंड तक ले गयी, बल्कि अपनी उंगलियाँ शाफ्ट के चारों ओर लपेट दी। उसने अपना हाथ बेर्टा के हाथ के ऊपर रखा और ऊपर और नीचे की गति शुरू कर दी। लंड की त्वचा पर उन दोनी हाथो के नरम स्पर्श को महसूस करना रोमांचक था। अब दोनों ने साथ में मेरी गर्दन को चूमा।

अब बर्टा ने अपने हाथ चलाने की गति जारी रखी और आनंद लिया, उसकी इच्छुक हथेली के नीचे कितना गर्म, कठोर, मांस महसूस हुआऔर उसे मजा आ रहा था ये उसकी साँसों से महसूस हो रहा था। एल्डा ने अपना एक हाथ बर्टा के हाथ पर रखा और उन्होंने हाथ ऊपर नीचे और गोल घूमाना जारी रखी, वे वास्तव में मुझे झटका दे रहे थे! वे कभी-कभी रुकते थे जबकि बर्टा का हाथ टिप के आधार पर था, क्योंकि मुझे रिम के खिलाफ धक्का देने का तरीका पसंद आया। फिर उनके हाथ ऊपर नीचे हो गए, अब एल्दा का हाथ नीचे था और बेर्टा का हाथ ऊपर था ।

मैं खुशी से कराहने और कराहने लगा क्योंकि दोनों ने हाथ चलना और मेरी गर्दन को चूमना जारी रखा। जितना अधिक वे सहलाते, उतना ही मैं कराह रहा था और बर्टा और एल्दा जल्द ही मेरी गर्दन को चूसने लगी। मैंने उनके कान में फुसफुसाते हुए कहा, "तेज... इसे जोर से दबाओ... तेज... अब ये पूरा कड़ा है... अब धीमे हो जाओ। ऊह हाँ, तुम्हारा हाथ बहुत अच्छा लग रहा है। रुको मत, लड़की, रुको मत डॉनट' स्टॉप, करती रहो।"

मुझे एल्दा ने कहा कि आपके बड़े और सख्त धड़कते लंड को छूना बहुत अच्छा लग रहा है और यह जानना कि यह मुझे कितना उत्तेजित कर रहा था, सोने पर सुहागा जैसा था। जैसे-जैसे बेर्टा खून से लबालब भरे खड़े लंड पर झटको को स्मूथ और लयदार करती उसी तरह मेरी कमर झटके मारती रहती। धीरे-धीरे बेर्टा ने स्ट्रोक्स की रफ़्तार बढ़ा दी और उसने लंड पर हथेली की कसावट और तेज कर दी थी और अपनी पूरी स्पीड से लंड की खाल को ऊपर नीचे करने लगी। तभी लंड के सुपारे पर उसे वीर्य के निकलने से पहले निकलने वाली कुछ बूंदे नजर आई। बेर्टा ने हाथो के ऊपर नीचे करने की स्पीड कम कर दी। और फिर कलात्मक तरीके से उंगलियाँ लंड पर फिराने लगी।

इतने प्यार और जादुई तरीके से लंड की मालिश होने से मैं आनंद के सागर में गोते लगाने लगा।

फिर एल्दा मेरे फूले हुए, खून से भरे फड़कते तने लंड को पकड़ कर नीचे की तरफ झुकी और पोजीशन बनाकर ऐसे झुकी की लंड उसके मुहँ के सामने आ जाये। जब लंड का सुपाडा मुहँ से बस एक इंच दूर रहा गया तो एल्दा ने थोड़े से ओठ खोले और एक हल्की-सी फूंक लंड के सुपाडे पर मारी। बेर्टा की उंगलियों ने हलके-हलके लंड को रगड़ना जारी रखा।

फिर बेर्टा ने लंड को कसकर पकड़कर तीन बार जोर से ऊपर नीचे किया। मैं आनंन्द से कराहने लगा। उसके बाद एल्दा ने थोड़ा और ओठ खोले, ओठो पर जीभ फिरा कर उसको गीला किया। फिर थोड़ा-सा और झुक कर पूरी जीभ बाहर निकाल ली। जीभ का अगला हिस्सा सुपाडे के छेद तक पंहुच गया था, एल्दा ने जल्दी से प्रीकम की निकल आई बूंदों को जीभ से चाट लिया। फिर लार से सनी लसलसी जीभ अब सुपाडे के चारो ओर घूम रही थी।

एक दो बार सुपाडा चाटने के बाद एल्दा ने थोड़े और ओठ चौड़े किये और मुहँ खोला। धीरे से लंड के सुपाडे के चारो ओर ओठो का घेरा बना लिया और लार से सनी उसकी जीभ अब सुपाडे के चारो ओर घूम रही थी।

अब मेरी कामुक कराहे उत्तेजना के साथ बढ़ रही थी, मेरे नितम्ब बढ़ती उत्तेजना के कारन ऐठ रहे थे। बेर्टा अपने हाथ को फिर से लंड की जड़ में ले गयी और लंड के सुपाडे के थोड़ा-सा और एल्दा के मुँह के अन्दर धकेल दिया, देखते ही देखते, खून से भरा लाल सुपाडा एल्दा के गीले और गरम मुहँ में समा गया।

जैसे ने एल्दा की लार से भरा मुहँ से मेरी कमर के झटके से हिलते लंड के सुपाडे को पहली बार चूसा, मेरे मुहँ से हल्की-सी मादक आह निकल गयी। मैंने अपने कूल्हों को इधर-उधर घुमाना शुरू किया और मेरे पैर सीधे हो गए और कस गए, जबकि मेरी गर्दन को चूसने से दर्द होने लगा। जल्द ही मैंने अपना सिर पीछे कर लिया और अपने शरीर को और आगे बढ़ाया।

कहानी जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

Exstacy! Ch. 01 She discovers a sex clinic with a difference.in Novels and Novellas
A Christmas to Remember Why did he send her a summer postcard in December?in Erotic Couplings
Donkey Boy William Ch. 01 Meet William Sanders, porn star extraordinaire.in Exhibitionist & Voyeur
Fantasy Sex Cruise 01 Fantasy trip leads to a new reality.in Erotic Couplings
Sex with Paula Ch. 01 Her helping hand.in Exhibitionist & Voyeur
More Stories